धर्म समाज

देशभर में होलिका दहन आज, जानिए...पूजन का शुभ मुहूर्त

हिंदू धर्म में कई सारे पर्व मनाए जाते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन होली का त्योहार बहुत ही खास माना जाता है जो कि हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा पर मनाया जाता है इस दिन लोग एक दूसरे को अबीर गुलाल लगाकर खुशियां मनाते हैं। होली का त्योहार बड़ी धूमधाम के साथ देशभर में मनाया जाता है इस बार यह पर्व 25 मार्च को मनाया जाएगा।
इससे एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है जो कि 24 मार्च दिन रविवार यानी की आज किया जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार होलिका दहन हमेशा ही शुभ मुहूर्त में करना अच्छा होता है आज होलिका दहन के दिन भद्रा लगी हुई है ऐसे में भद्रा काल में भूलकर भी होलिका दहन न करें। तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा होलिका दहन का शुभ मुहूर्त बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त-
हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है और इसके अगले दिन होली मनाई जाती है इस साल फाल्गुन पूर्णिमा 24 मार्च को सुबह 9 बजकर 54 मिनट से आरंभ हो चुकी है जो कि 25 मार्च दिन सोमवार यानी कल होली के दिन दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर समाप्त हो जाएगी।
ऐसे में होली का त्योहार 25 मार्च दिन सोमवार को मनाया जाएगा और होलिका दहन 24 मार्च दिन रविवार यानी आज किया जाएगा। इस दिन होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त देर रात 11 बजकर 13 मिनट से लेकर 12 बजकर 27 मिनट तक मिल रहा है होलिका दहन के लिए आपको कुल 1 घंटे 14 मिनट का समय प्राप्त हो रहा है।
और भी

शनिवार के दिन करें शनिदेव की पूजा

  • सुख समृद्धि का मिलेगा आशीर्वाद
सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी देवता की पूजा को समर्पित होता है वही शनिवार का दिन शनि महाराज की पूजा के लिए विशेष माना जाता है इस दिन भक्त भगवान की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं माना जाता है कि ऐसा करने से शनिदेव का आशीर्वाद मिलता है।
ऐसे में अगर आप भी शनि महाराज की विधिवत पूजा कर रहे हैं तो उनकी प्रिय आरती का पाठ जरूर करें। माना जाता है कि ऐसा करने से कुंडली से शनि दोष समाप्त हो जाता है साथ ही जीवन कल्याण की ओर बढ़ता है और शनिदेव प्रसन्न होकर सुख समृद्धि और तरक्की प्रदान करते हैं तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं शनि देव की संपूर्ण आरती पाठ।
॥शनिदेव की आरती॥
''जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥
जय जय श्री शनि देव....
श्याम अंग वक्र-दृ‍ष्टि चतुर्भुजा धारी।
नी लाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥
जय जय श्री शनि देव....
क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥
जय जय श्री शनि देव....
मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥
जय जय श्री शनि देव....
देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥
जय जय श्री शनि देव भक्तन हितकारी।।
शनि देव की जय…जय जय शनि देव महाराज…शनि देव की जय''!!!
॥शनिदेव की स्तुति॥
नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च ।
नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम: ॥1॥
नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च ।
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते ॥2॥
नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम: ।
नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोऽस्तु ते ॥3॥
नमस्ते कोटराक्षाय दुर्नरीक्ष्याय वै नम: ।
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने ॥4॥
नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोऽस्तु ते ।
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करेऽभयदाय च ॥5॥
अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तु ते ।
नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तुते ॥6॥
तपसा दग्ध-देहाय नित्यं योगरताय च ।
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम: ॥7॥
ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज-सूनवे ।
तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात् ॥8॥
देवासुरमनुष्याश्च सिद्ध-विद्याधरोरगा: ।
त्वया विलोकिता: सर्वे नाशं यान्ति समूलत: ॥9॥
प्रसाद कुरु मे सौरे ! वारदो भव भास्करे ।
एवं स्तुतस्तदा सौरिर्ग्रहराजो महाबल: ॥10॥
और भी

चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल से, जानिए...कलश स्थापना का मुहूर्त

सनातन धर्म में कई सारे पर्व मनाए जाते हैं और सभी का अपना महत्व होता है लेकिन हिंदू नव वर्ष के आरंभ में नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है जो कि वर्ष के प्रथम माह में पड़ता है और यह पूरे नौ दिनों तक चलता है नवरात्रि के ​शुभ दिनों में मां दुर्गा के नौ अगल अगल स्वरूपों की पूजा की जाती है और व्रत आदि भी रखा जाता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवमी तक नवरात्रि का व्रत किया जाता है चैत्र माह में पड़ने के कारण ही इसे चैत्र नवरात्रि के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि इस दौरान मां दुर्गा की आराधना करने से सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा चैत्र नवरात्रि की तारीख और मुहूर्त के बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 8 अप्रैल की रात 11 बजकर 50 मिनट से अगले दिन यानी की 9 अप्रैल की रात 8 बजकर 31 मिनद्यट तक रहेगी। चैत्र प्रतिपदा तिथि का सूर्योदय 9 अप्रैल दिन मंगलवार को हो रहा है ऐसे में चैत्र नवरात्रि का आरंभ भी इस दिन से हो जाएगा। इस बार चैत्र नवरात्रि का आरंभ 9 अप्रैल से हो रहा है जो कि 17 अप्रैल को समाप्त हो जाएगी। यह पर्व पूरे नौ दिनों तक मनाया जाएगा। इस बार नवरात्रि में एक भी दिन क्षय नहीं हो रहा है। पूरे नौ दिनों तक चैत्र नवरात्रि का होना शुभ माना जा रहा है।
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त-
नवरात्रि के प्रथम दिन कलश स्थापना की जाती है ये काम शुभ मुहूर्त देखकर ही करना उचित माना जाता है इस दिन कलश स्थापना के लिए दो शुभ मुहूर्त मिल रहे है। जिसमें पहला शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 2 मिनट से 10 बजकर 16 मिनट तक मिल रहा है। इसकी कुल अवधि चार घंटे 14 मिनट तक रहेगी। इसके अलावा दूसरा शुभ मुहूर्त 11 बजकर 57 मिनट से दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। जिसका समय 51 मिनट तक है। इस मुहूर्त में कलश स्थापना करना लाभकारी होगा।
और भी

नहीं हो रहा विवाह, होलिका दहन की अग्नि में अर्पित करें ये खास चीज़

हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल होली का त्योहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा पर मनाया जाता है जो कि इस बार 25 मार्च को पड़ रही है देशभर में होली का त्योहार बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है इस दिन लोग एक दूसरे को अबीर गुलाल लगाकर खुशियां मनाते हैं होली से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है जो कि इस बार कल 24 मार्च मनाई जाएगी।
इस दिन कुछ खास उपायों को अगर किया जाए तो शीघ्र विवाह के योग बनने लगते हैं और शादी विवाह में आने वाली अड़चने भी दूर हो जाती है तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा इन्हीं उपायों के बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
होलिका दहन के आसान उपाय-
में किसी तरह की बाधा आ रही है या फिर शीघ्र विवाह के योग नहीं बन रहे हैं तो ऐसे में आप कल यानी होलिका दहन के दिन हवन सामग्री में घी मिलाकर होलिका की आग में अर्पित करें माना जाता है कि इस उपाय को करने से विवाह में आने वाली बाधाएं दूर हो जाती है साथ ही शीघ्र विवाह के योग बनने लगते हैं। आप चाहे तो हवन सामग्री अर्पित करते हुए होलिका की परिक्रमा भी कर सकते हैं ऐसा करने से लाभ की प्राप्ति होती है।
अगर आपके वैवाहिक जीवन में तनाव बना हुआ है और प्रेम व मधुरता की कमी है तो ऐसे में आप होलिका दहन वाले दिन एक नारियल और घी में भीगी हुई 108 बाती। होलिका की आग में एक एक कर डाल दें। होलिका की परिक्रमा के दौरान ये उपाय करना है। आखिरी में नारियल अर्पित करें। माना जाता है कि इस आसान से उपाय को करने से दांपत्य जीवन में मिठास आएगी और तनाव दूर हो जाएगा।
और भी

कब से शुरू हो रहा हैं हिन्दू नववर्ष, गृह प्रवेश का ये है शुभ दिन

हिंदू नववर्ष का प्रारंभ चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होता है. उस दिन से चैत्र नवरात्रि का भी प्रारंभ होता है. उस दिन कलश स्थापना के साथ ही पहली नवदुर्गा मां शैत्रपुत्री की भी पूजा होगी. हिंदू पंचांग का नया वर्ष इस बार 9 अप्रैल मंगलवार से प्रारंभ है. नए साल में अगर आप भवन निर्माण के बारे में विचार कर रहे हैं, तो आपको यह कार्य किसी भी शुभ मुहूर्त में करना उचित रहेगा. शुभ मुहूर्त में शुरू किया गया कार्य न केवल बिना किसी बाधा के पूरा होता है, बल्कि अपने निर्धारित समय में पूरा होगा.
बता दें कि हिंदू नववर्ष का प्रारंभ सम्राट चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने कराया था. हिंदू कैलेंडर में दो पक्ष होते हैं, एक कृष्ण पक्ष और दूसरा शुक्ल पक्ष. 15 दिनों का एक पक्ष होता है. प्रतिपदा से अमावस्या तक कृष्ण पक्ष और प्रतिपदा से पूर्णिमा तक शुक्ल पक्ष होता है. हिंदी कैलेंडर में 12 माह होते हैं. हर 3 साल पर एक अधिक माह इसमें जुड़ जाता है, उसे मलमास या अधिकमास कहते हैं.
भवन निर्माण का कार्य शुभ मास में ही करना चाहिए. वास्तुपुरुष की सही समय पर स्थापना करने से घर में सभी प्रकार की सुविधा बनी रहती है, सदस्यों के बीच आपसी प्रेम के साथ रिश्तों का भी विघटन नहीं होता. आजकल एकांकी परिवार अधिक होने से कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, ऐसे में आने वाली अप्रैल से जुलाई लेकिन देवशयनी एकादशी से पहले अक्टूबर में मकान बनाने का प्रारंभ करना शुभ रहता है.
मार्च, जून, सितंबर, दिसंबर में निर्माण कार्य का प्रारंभ नहीं करना चाहिए, क्योंकि इन महीनों में भवन निर्माण करना अशुभ रहेगा. अगर किसी ने अपनी परिस्थितियों के अनुसार कार्य शुरू भी करा दिया तो बाधाएं आती रहती हैं.
अगर आपको किसी भी बिल्डिंग के कंस्ट्रक्शन का काम शुरू करना है, तो शुभ तिथियां पहले ही दी गई, महीने की किसी भी तिथियों में जैसे द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी और पूर्णिमा वगैरह शुभ हैं. इनके अलावा कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा भी शुभ रहेगी. अभी से अगर आप इसके माध्यम से सभी कार्यों को नियम बनाकर चलेंगे, तो आने वाले मुहूर्त का उपयोग करने में सफल हो सकते हैं.
और भी

खरमास के दिनों में इन चीजों का दान माना गया है शुभ

सनातन धर्म में खरमास के दिनों को बेहद ही खास माना जाता है इस दौरान किसी भी तरह का शुभ व मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है इस बार खरमास का आरंभ 14 मार्च से हो चुका है।
जो कि 13 अप्रैल को समाप्त हो जाएगा। ऐसे में आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा बता रहे हैं कि खरमास के दिनों में किन चीजों का दान करना शुभ माना जाता है और इससे आप पुण्य को प्राप्त कर सकते हैं तो आइए जानते हैं।
खरमास में करें इन चीजों का दान-
ज्योतिष अनुसार खरमास के दिनों में बर्तन का दान करना शुभ माना जाता है ऐसा करने से कलह क्लेश से छुटकारा मिल जाता है। आप इस दौरान पीतल के बर्तनों का ही दान करें। ऐसा करने से कुंडली का गुरु मजबूत होकर शुभ फल प्रदान करता है। खरमास में वस्त्रों का दान करना भी शुभ माना गया है इससे कंगाली का सामना भी नहीं करना पड़ता है साथ ही भगवान विष्णु की भी कृपा प्राप्त होती है।
खरमास के दिनों में आप चाहे तो गुड़ का भी दान कर सकते हैं इससे समाज में मान सम्मान बढ़ता है और परेशानियां दूर रहती है। इसके अलावा इस दौरान केसर का दान करना भी उत्तम माना जाता है इससे कार्यों में आने वाली ​रुकावटें दूर हे जाती है साथ ही सौभाग्य में वृद्धि होती है। खरमास के दिनों में कस्तूरी का दान करना अच्छा होता है इससे संतान संबंधी समस्याओं का समाधान हो जाता है और जीवन में खुशहाली आती है।
और भी

प्रदोष व्रत पर हो रहा है इन शुभ योग का निर्माण, करें ये उपाय

इस साल फाल्गुन माह का दूसरा प्रदोष व्रत 22 मार्च, 2024 यानी आज रखा जा रहा है। शुक्रवार को पड़ने की वजह से इसे शुक्र प्रदोष व्रत बोला जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शुक्र प्रदोष व्रत धनदायक माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन का उपवास रखने से पैसों से जुड़ी हर समस्या दूर हो जाती है। इसलिए सभी व्यक्ति को इस दिन भगवान शंकर की शाम को विधिवत पूजा करनी चाहिए।
साथ ही उनसे अपने कष्टों के निवारण के लिए प्रार्थना करनी चाहिए। यह इस माह का आखिरी प्रदोष व्रत है इसलिए इसका महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है।
शुक्र प्रदोष पर धृति और रवि योग का निर्माण हो रहा है। इसके साथ ही सूर्य-बुध की युति से बुधादित्य योग, कुंभ राशि में शुक्र, शनि और मंगल की युति से त्रिग्रही योग का भी निर्माण हो रहा है। ऐसे में आज का दिन शुभता से परिपूर्ण होगा, जो लोग आज का व्रत रख रहे हैं या शिव पूजन कर रहे हैं, उन्हें शिव जी की आसीम कृपा प्राप्त होगी। मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष व्रत की पूजा शाम के समय ज्यादा शुभ मानी जाती है।
प्रदोष व्रत पर करें ये उपाय-
जो जातक अपने व्यापार में तरक्की चाहते हैं, उन्हें प्रदोष व्रत वाले दिन शाम को शिव मंदिर में जाकर भगवान शिव को जल चढ़ाना चाहिए। इसके बाद सफेद चंदन और बेलपत्र चढ़ाना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि ऐसा करने से धन प्राप्ति के रास्ते खुल जाते हैं। साथ ही मां लक्ष्मी का घर में हमेशा के लिए वास रहता है।
और भी

होलिका दहन पर क्या करें और क्या ना करें, जानिए...

सनातन धर्म में कई सारे पर्व मनाए जाते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन होली का त्योहार बेहद ही खास माना गया है जो कि हर साल फाल्गुन मास में ड़ता है इस बार होली 25 मार्च दिन सोमवार को मनाई जाएगी इससे एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है।
होलिका दहन इस बार 24 मार्च को किया जाएगा। इस दिन पूजा पाठ का विधान होता है लेकिन इसी के साथ ही कुछ ऐसे काम हैं जिन्हें भूलकर भी नहीं करने चाहिए तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा बता रहे हैं कि होलिका दहन पर क्या करें क्या ना करें, तो आइए जानते हैं।
ज्योतिष अनुसार होलिका दहन के दिन सबसे पहले सुबह उठकर होलिका पूजन करने का विधान होता है और यह पूजा हमेशा शुभ मुहूर्त में ही की जाती है। फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि के दिन होलिका दहन का पर्व मनाया जाता है इस दिन व्रत करने की भी परंपरा है इसलिए इस दिन उपवास जरूर रखें। अगर आप अपने घर में सुख समृद्धि और शांति चाहते हैं तो होलिका दहन के दिन घर की उत्तर दिशा में घी का दीपक जलाएं ऐसा करना शुभ माना जाता है होलिका दहन की सुबह होलिका की पूजा में सरसों, तिल, 11 गोबर के उपले, अक्षत, चीनी और गेहूं के दाने व गेहूं की सात बालियां अर्पित करें।
इसके बाद होलिका पूजन करने के बाद होलिका की सात बार परिक्रमा करें और जल अर्पित करें। इस दिन दान पुण्य करना भी लाभकारी माना जाता है। होलिका दहन के दिन भूलकर भी धन का लेन देन नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से घर की बरकत चली जाती है इस दिन काले, सफेद वस्त्रों को धारण करने से भी बचना चाहिए। इन रंगों को अशुभ माना गया है आप पूजा के समय पीले, लाल, गुलाबी रंग के वस्त्र पहन सकते हैं। होलिका दहन की पूजा में महिलाओं को बाल नहीं बांधने चाहिए यानी खुले बालों से होलिका की पूजा करें। इसके बाद किसी भी समय महिलाएं बाल बांध सकती है।
और भी

त्रिपुर भैरवी जयंती पर करें महाकाली कवच का पाठ

  • पूरी होगी हर मनोकामना 
मां काली की पूजा शास्त्रों में बहुत ही फलदायी मानी गई है। कहा जाता है, जो भक्त मां की पूजा विधि अनुसार करते हैं उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। ऐसे में जब त्रिपुर भैरवी जयंती करीब है, तो मां काली की पूजन का महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है।
इस दौरान अगर कोई साधक ''महाकाली कवच'' का पाठ करते हैं उनके गुप्त शत्रुओं का नाश होता है। तो आइए पढ़ते हैं -
॥महाकाली कवच॥
काली पूजा श्रुता नाथ भावाश्च विविधाः प्रभो ।
इदानीं श्रोतु मिच्छामि कवचं पूर्व सूचितम् ॥
त्वमेव शरणं नाथ त्राहि माम् दुःख संकटात् ।
सर्व दुःख प्रशमनं सर्व पाप प्रणाशनम् ॥
सर्व सिद्धि प्रदं पुण्यं कवचं परमाद्भुतम् ।
अतो वै श्रोतुमिच्छामि वद मे करुणानिधे ॥
रहस्यं श्रृणु वक्ष्यामि भैरवि प्राण वल्लभे ।
श्री जगन्मङ्गलं नाम कवचं मंत्र विग्रहम् ॥
पाठयित्वा धारयित्वा त्रौलोक्यं मोहयेत्क्षणात् ।
नारायणोऽपि यद्धत्वा नारी भूत्वा महेश्वरम् ॥
योगिनं क्षोभमनयत् यद्धृत्वा च रघूद्वहः ।
वरदीप्तां जघानैव रावणादि निशाचरान् ॥
यस्य प्रसादादीशोऽपि त्रैलोक्य विजयी प्रभुः ।
धनाधिपः कुबेरोऽपि सुरेशोऽभूच्छचीपतिः ।
एवं च सकला देवाः सर्वसिद्धिश्वराः प्रिये ॥
ॐ श्री जगन्मङ्गलस्याय कवचस्य ऋषिः शिवः ।
छ्न्दोऽनुष्टुप् देवता च कालिका दक्षिणेरिता ॥
जगतां मोहने दुष्ट विजये भुक्तिमुक्तिषु ।
यो विदाकर्षणे चैव विनियोगः प्रकीर्तितः ॥
|| अथ कवचम् ||
शिरो मे कालिकां पातु क्रींकारैकाक्षरीपर ।
क्रीं क्रीं क्रीं मे ललाटं च कालिका खड्‌गधारिणी ॥
हूं हूं पातु नेत्रयुग्मं ह्नीं ह्नीं पातु श्रुति द्वयम् ।
दक्षिणे कालिके पातु घ्राणयुग्मं महेश्वरि ॥
क्रीं क्रीं क्रीं रसनां पातु हूं हूं पातु कपोलकम् ।
वदनं सकलं पातु ह्णीं ह्नीं स्वाहा स्वरूपिणी ॥
द्वाविंशत्यक्षरी स्कन्धौ महाविद्यासुखप्रदा ।
खड्‌गमुण्डधरा काली सर्वाङ्गभितोऽवतु ॥
क्रीं हूं ह्नीं त्र्यक्षरी पातु चामुण्डा ह्रदयं मम ।
ऐं हूं ऊं ऐं स्तन द्वन्द्वं ह्नीं फट् स्वाहा ककुत्स्थलम् ॥
अष्टाक्षरी महाविद्या भुजौ पातु सकर्तुका ।
क्रीं क्रीं हूं हूं ह्नीं ह्नीं पातु करौ षडक्षरी मम ॥
क्रीं नाभिं मध्यदेशं च दक्षिणे कालिकेऽवतु ।
क्रीं स्वाहा पातु पृष्ठं च कालिका सा दशाक्षरी ॥
क्रीं मे गुह्नं सदा पातु कालिकायै नमस्ततः ।
सप्ताक्षरी महाविद्या सर्वतंत्रेषु गोपिता ॥
ह्नीं ह्नीं दक्षिणे कालिके हूं हूं पातु कटिद्वयम् ।
काली दशाक्षरी विद्या स्वाहान्ता चोरुयुग्मकम् ॥
ॐ ह्नीं क्रींमे स्वाहा पातु जानुनी कालिका सदा ।
काली ह्रन्नामविधेयं चतुवर्ग फलप्रदा ॥
क्रीं ह्नीं ह्नीं पातु सा गुल्फं दक्षिणे कालिकेऽवतु ।
क्रीं हूं ह्नीं स्वाहा पदं पातु चतुर्दशाक्षरी मम ॥
खड्‌गमुण्डधरा काली वरदाभयधारिणी ।
विद्याभिः सकलाभिः सा सर्वाङ्गमभितोऽवतु ॥
काली कपालिनी कुल्ला कुरुकुल्ला विरोधिनी ।
विपचित्ता तथोग्रोग्रप्रभा दीप्ता घनत्विषः ॥
नीला घना वलाका च मात्रा मुद्रा मिता च माम् ।
एताः सर्वाः खड्‌गधरा मुण्डमाला विभूषणाः ॥
रक्षन्तु मां दिग्निदिक्षु ब्राह्मी नारायणी तथा ।
माहेश्वरी च चामुण्डा कौमारी चापराजिता ॥
वाराही नारसिंही च सर्वाश्रयऽति भूषणाः ।
रक्षन्तु स्वायुधेर्दिक्षुः दशकं मां यथा तथा ॥
इति ते कथित दिव्य कवचं परमाद्भुतम् ।
श्री जगन्मङ्गलं नाम महामंत्रौघ विग्रहम् ॥
त्रैलोक्याकर्षणं ब्रह्मकवचं मन्मुखोदितम् ।
गुरु पूजां विधायाथ विधिवत्प्रपठेत्ततः ॥
कवचं त्रिःसकृद्वापि यावज्ज्ञानं च वा पुनः ।
एतच्छतार्धमावृत्य त्रैलोक्य विजयी भवेत् ॥
त्रैलोक्यं क्षोभयत्येव कवचस्य प्रसादतः ।
महाकविर्भवेन्मासात् सर्वसिद्धीश्वरो भवेत् ॥
पुष्पाञ्जलीन् कालिका यै मुलेनैव पठेत्सकृत् ।
शतवर्ष सहस्त्राणाम पूजायाः फलमाप्नुयात् ॥
भूर्जे विलिखितं चैतत् स्वर्णस्थं धारयेद्यदि ।
शिखायां दक्षिणे बाहौ कण्ठे वा धारणाद् बुधः ॥
त्रैलोक्यं मोहयेत्क्रोधात् त्रैलोक्यं चूर्णयेत्क्षणात् ।
पुत्रवान् धनवान् श्रीमान् नानाविद्या निधिर्भवेत् ॥
ब्रह्मास्त्रादीनि शस्त्राणि तद् गात्र स्पर्शवात्ततः ।
नाशमायान्ति सर्वत्र कवचस्यास्य कीर्तनात् ॥
मृतवत्सा च या नारी वन्ध्या वा मृतपुत्रिणी ।
कण्ठे वा वामबाहौ वा कवचस्यास्य धारणात् ॥
वह्वपत्या जीववत्सा भवत्येव न संशयः ।
न देयं परशिष्येभ्यो ह्यभक्तेभ्यो विशेषतः ॥
शिष्येभ्यो भक्तियुक्तेभ्यो ह्यन्यथा मृत्युमाप्नुयात् ।
स्पर्शामुद्‌धूय कमला वाग्देवी मन्दिरे मुखे ।
पौत्रान्तं स्थैर्यमास्थाय निवसत्येव निश्चितम् ॥
इदं कवचं न ज्ञात्वा यो जपेद्दक्षकालिकाम् ।
शतलक्षं प्रजप्त्वापि तस्य विद्या न सिद्धयति ।
शस्त्रघातमाप्नोति सोचिरान्मृत्युमाप्नुयात् ॥
और भी

गुरुवार के दिन जरुर करें ये उपाय, सौभाग्य की होगी प्राप्ति

गुरुवार का दिन बेहद विशेष माना जाता है। यह दिन भगवान विष्णु और देवताओं के गुरु बृहस्पति को समर्पित है। इस दिन उनकी पूजा करने से आध्यात्मिक ऊर्जा के साथ सौभाग्य की प्राप्ति होती है। ऐसा भी कहा जाता है कि जिन जातकों की कुंडली में गुरु की स्थिति कमजोर होती है, उनका विकास रुक जाता है।
इसलिए ज्योतिष शास्त्र में इस दिन को लेकर कई सारे उपाय बताए गए हैं, जिनका पालन करने से गुरु की दशा में सुधार होता है। तो आइए उन उपायों के बारे में जानते हैं-
भगवान विष्णु के समक्ष जलाएं दीपक-
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, गुरुवार के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। इसके बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य दें। फिर भगवान विष्णु के मंदिर जाएं और पूजा के बाद उनके समक्ष घी का दीपक जलाएं। ध्यान रहे कि बाती कलावे की हो। ऐसा करने से भगवान विष्णु आपसे प्रसन्न होंगे। साथ ही जीवन में कभी धन की कमी नहीं रहेगा।
अपने गुरु से लें आशीर्वाद-
ऐसा कहा जाता है कि गुरुवार के दिन अपने गुरु का आशीर्वाद अवश्य लेना चाहिए। यह किसी के खराब समय के लिए वरदान की तरह साबित हो सकता है। ऐसे में इस दिन अपने गुरु से मिलें या फिर फोन में बात करके उनका आशीर्वाद लें, जो लोग ऐसा करते हैं उनके कार्य में तरक्की होती है। साथ ही मनचाही नौकरी मिलती है।
गुरुवार को करें यह काम-
गुरुवार के दिन दूध और केसर की खीर बनाएं। इसके बाद जगत के पालनहार भगवान विष्णु को भोग लगाएं। फिर पूरे परिवार के साथ बैठकर खाएं, जो लोग यह उपाय करते हैं उनके रिश्तों में प्रेम बढ़ता है। साथ ही जीवन सुखी और समृद्ध रहता है।
और भी

होलिका पर रहेगा भद्रा का साया, जानें ​होलिका दहन समय

सनातन धर्म में वैसे तो कई सारे पर्व मनाए जाते हैं लेकिन होली का त्योहार प्रमुख माना गया है जो कि हर साल फाल्गुन मास में पड़ता है इस दौरान लोग एक दूसरे को अबीर गुलाल लगाते हैं और खुशियां मनाते हैं होली की धूम देशभर में देखने को मिलती है।
पंचांग के अनुसार होली का त्योहार हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि पर मनाया जाता है इस बार यह पर्व 25 मार्च को पड़ रहा है इसके एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है जो कि इस बार 24 मार्च को पड़ रहा है। होलिका दहन पर चंद्र ग्रहण के साथ साथ भद्राकाल का भी साया रहने वाला है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भद्राकाल में होलिका दहन करना अच्छा नहीं माना जाता है ऐसे में आज हम आपको होलिका दहन का मुहूर्त बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
होलिका दहन की तारीख और मुहूर्त-
हिंदू पंचांग के अनुसार होलिका दहन 24 मार्च को किया जाएगा। बता दें कि 24 मार्च को पूर्णिमा तिथि का आरंभ हो रहा है पूर्णिमा तिथि का शुभ मुहूर्त 9 बजकर 54 मिनट से लेकर अगले दिन यानी की 25 मार्च को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट तक रहेगा। मान्यताओं के अनुसार होलिका दहन हमेशा भद्रा रहित मुहूर्त में किया जाता है। होलिका दहन के दिन भद्रा का साया रहने वाला है बता दें कि 24 मार्च को पूर्णिमा तिथि में भद्रा का साया आरंभ होगा।
भद्रा का समय 9 बजकर 54 मनट से लेकर रात्रि 11 बजकर 13 मिनट तक है ऐसे में होलिका दहन के दिन लगभग 15 घंटे तक भद्रा काल रहेगा। भद्रा काल में होलिका दहन नहीं किया जाता है। ऐसे में भद्रा समाप्त होने के बाद ही होलिका दहन किया जाएगा। इस साल भद्रा काल की समाप्ति 11 बजकर 13 मिनट पर हो रही है ऐसे में होलिका दहन 11 बजकर 13 मिनट से लेकर 12 बजकर 20 मिनट के बीच किया जा सकता है।
और भी

प्रभु श्रीराम के दर्शनार्थ रायपुर से अध्योध्या के लिए जाएगी बस

रायपुर। राजधानी रायपुर से सीधे अयोध्या के लिए बस सेवा की शुरुआत होने जा रही हैं। यह बस रीवा, प्रयागराज होते हुए अयोध्या पहुंचेगी। इसके अलावा इस रुट में कई और भी धार्मिक स्थल शामिल होंगे। इस बस सेवा की शुरुआत जल्द ही होगी जिसका सीधा फायदा राजधानी के राम भक्तों को हासिल होगा। हालांकि इसका किराया कितना होगा यह तय नहीं हो सका हैं। यह सफर 17 से 20 घंटे का होगा।
और भी

होलिका दहन की रात को करें लौंग के ये उपाय, बनेंगे बिगड़े काम

सनातन धर्म में होलिका दहन का विशेष महत्व है. हर वर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन अग्नि की पूजा की जाती है। इस बार होलिका दहन का त्योहार 24 मार्च को मनाया जाएगा. ऐसा माना जाता है कि इस दिन अग्नि पूजा, स्नान, दान और व्रत करने से देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। जीवन की चिंताएं और बुरे विचार मन से दूर हो जाते हैं। होलिका की रात लौंग का उपचार मुंह के लिए लाभकारी माना जाता है।
सनातन धर्म में लौंग को बहुत पवित्र और लाभकारी माना जाता है। इसका उपयोग चर्च सेवाओं के दौरान किया जाता है। लौंग वातावरण से नकारात्मकता को दूर करता है। यह संक्रमण और बैक्टीरिया को खत्म करने में मदद करता है।
होलिका दहन की रात देवी लक्ष्मी के मंत्र का जाप करते हुए 108 लौंग होलिका की अग्नि में डाल दें। इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। आप कर्ज मुक्त हो जायेंगे. धन-संपदा में वृद्धि हो सकती है।
मुख की अग्नि में कपूर के साथ 11 या 21 लौंग जला दें। इसलिए कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें। ऐसा करीब सात बार होता है. इससे आपके करियर और बिजनेस में फायदा होगा। सुख-समृद्धि बढ़ेगी। धन संबंधी परेशानियां भी खत्म हो जाएंगी।
होलिका की रात एक तवे पर 7 से 8 लौंग भून लें। इसे अभी अपने घर के एक कोने में छोड़ दें। इस तरह आपको बुरी नजर से छुटकारा मिल जायेगा. नकारात्मक ऊर्जा ख़त्म हो जाएगी. परेशानी का समय समाप्त हो जाएगा। परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
सुलझ जाएंगे सारे बिगड़े काम-
होलिका की रात एक नींबू में चार लौंग का मुंह गाड़ दें। इसके बाद 21 बार “ओम श्री हनुमते नमः” मंत्र का जाप करें। हनुमान चालीसा का पाठ करें. एक नींबू को लाल कपड़े में लौंग के साथ लपेटकर अपने साथ रखें। इससे लोगों को भय से मुक्ति मिलती है. महत्वपूर्ण कार्यों की बाधाएं दूर होती हैं। सफलता मिलने की संभावना है.
और भी

नरसिंह द्वादशी कब, जानें शुभ मुहर्त और पूजा विधि

पंचांग के अनुसार हर साल फाल्गुन माह यानी कि शुक्ल पक्ष की द्वादशी के दिन नरसिम्हा द्वादशी मनाई जाती है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने नरसिम्हा का अवतार लिया था और भगवान नरसिम्हा ने राक्षस राजा हिरण्यकशिपु का वध किया था।
चतुर्दशी तिथि शुक्ल पक्ष फाल्गुन मास प्रारंभ 21 मार्च को प्रातः 2:22 बजे। इसके अलावा यह तिथि 22 मार्च को सुबह 4 बजकर 44 मिनट पर समाप्त हो रही है. ऐसे में उदय तिथि के अनुसार 21 मार्च 2024, गुरुवार को नरसिम्हा द्वादशी मनाई जाएगी। इस दौरान पूजा का समय इस प्रकार रहेगा-
नरसिम्हा द्वादशी पूजा मुहूर्त - 06:24 से 07:55 तक
दूसरा मुहूर्त पूजा सुबह 10:57 बजे से दोपहर 12:28 बजे तक है।
नरसिम्हा द्वादशी पूजा विधि-
नरसिम्हा द्वादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। इसके बाद सूर्योदय होने पर अर्ध्य देने और व्रत का संकल्प लें। पूजा घर को अच्छी तरह साफ करने के बाद उस पर गंगा जल छिड़कें। - अब खंभे पर पीला कपड़ा बिछाएं और उस पर भगवान नरसिम्हा की तस्वीर या मूर्ति लगाएं. इसके बाद पूजा के दौरान भगवान नरसिम्हा को फल, फूल, धूप दीप, पंचमेवा, नारियल, अक्षत और पीतांबर चढ़ाएं। अंत में भगवान नरसिंह की आरती करें और पूजा के दौरान शंख बजाएं।
इन मंत्रों (नरसिंह मंत्र) को दोहराएं।
भगवान नरसिम्हा की विशेष कृपा पाने के लिए आप नरसिम्हा द्वादशी के दिन इन मंत्रों का जाप कर सकते हैं:
आपत्ति निवारण हेतु नरसिम्हा मंत्र-
ॐ उग्रं विरामं महाविष्णु ज्वलन्तं सर्वतोमुखम्।
नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्यु मृत्युं नमाम्यहम्।
नरसिम्हा गायत्री मंत्र-
ॐ वज्राण्है विद्महे तीक्ष्ण धनस्त्राय धीमहि। तन्नो नृसिंह प्रहोदायत ||
संपत्ति बाधा दूर करने के लिए नरसिम्हा मंत्र
ॐ नृम मलोल नरसिम्हाई पुरै-पुरै
ऋण समाधान नरसिम्हा मंत्र
ॐ क्रोध नरसिम्हाय नृम नम:
और भी

रंगभरी एकादशी आज, धन हानि से बचने करें ये काम

सनातन धर्म में कई सारे पर्व मनाए जाते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन एकादशी व्रत बेहद ही खास माना गया है जो कि हर माह में दो बार आता है अभी फाल्गुन मास चल रहा है और इस माह की एकादशी को रंगभरी एकादशी के नाम से जाना जाता है वैसे तो हर एकादशी में श्री हरि और माता लक्ष्मी की पूजा का विधान होता है। लेकिन रंगभरी एकादशी के दिन विष्णु लक्ष्मी के संग शिव पार्वती की भी पूजा की जाती है मान्यता है कि इस दिन पूजा पाठ और व्रत करने से देवी देवताओं का आशीर्वाद मिलता है इस साल रंगभरी एकादशी का व्रत आज 20 मार्च दिन बुधवार को किया जा रहा है इस दिन कुछ ऐसे काम हैं जिन्हें गलती से भी नहीं करने चाहिए वरना धन हानि का सामना करना पड़ सकता है।
रंगभरी एकादशी पर न करें ये काम-
रंगभरी एकादशी के ​दिन भूलकर भी चावल का सेवन न करें, माना जाता है कि आज के दिन चावल का सेवन करने से दोष लगता है। एकादशी के दिन भूलकर भी तुलसी की पत्तियों को ना तो स्पर्श करें और ना ही इन्हें तोड़े ऐसा करने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी नाराज हो सकती है। रंगभरी एकादशी के दिन भूलकर भी काले वस्त्र नहीं धारण करने चाहिए।
ऐसा करने से पुण्य की प्राप्ति नहीं होती है और कष्ट उठाने पड़ते हैं। एकादशी के दिन मांस मदिरा, लहसुन प्याज आदि का सेवन करने से बचना चाहिए ऐसा करने से पाप लगता है। आज के दिन भूलकर भी किसी का अपमान नहीं करना चाहिए ऐसा करने से परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
और भी

वृंदावन में ऐसे खेली जाती है होली, कई मायनों में है खास

होली हर साल फाल्गुन माह की पूर्णिमा को मनाई जाती है। ऐसे में होली का त्योहार 25 मार्च 2024 को मनाया जाएगा. लेकिन व्रज क्षेत्र मथुरा, वृन्दावन, बरसाना, नन्दगांव आदि में होली का त्यौहार कई दिन पहले से ही प्रारम्भ हो जाता है। इस दौरान लठमार होली, लड्डू होली और फूलों की होली भी मनाई जाती है। होली के त्योहार का आनंद लेने के लिए न केवल देश भर से बल्कि विदेशों से भी लोग इन स्थानों पर आते हैं।
होली का त्यौहार व्रज क्षेत्र में बहुत धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यहां की लट्ठमार होली, लड्डू होली और फलों की होली विश्व प्रसिद्ध है। पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान कृष्ण, राधा रानी और गोपियों के साथ फूलों से होली खेली जाती थी। तभी से इस होली का चलन बन गया.
ऐसे खेली जाती है होली-
फुलवाली होली के दौरान, भक्त फूलों और प्राकृतिक फूलों के रंगों से बने रंगों के साथ त्योहार मनाते हैं। वृन्दावन के बांके बिहारी मंदिर में फूलों की होली की खास धूम देखने को मिलती है. इस अवसर पर, भक्त मंदिर में एकत्रित होते हैं जहाँ मंदिर के पुजारी भक्तों पर रंग-बिरंगे फूलों की वर्षा करते हैं। साथ ही, लोग एक-दूसरे पर गुलाब, कमल और गेंदे की पंखुड़ियां बरसाते हैं। इस दौरान लोग होली के गीत और भजन गाते हैं और नृत्य भी करते हैं।
इसलिए यह खास है-
इस लिहाज से फूलों की होली इसलिए भी खास है क्योंकि यह होली प्रकृति के प्रति सम्मान भी दर्शाती है। सिंथेटिक रंगों की तुलना में फूलों का उपयोग स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों ही दृष्टि से बेहतर माना जाता है क्योंकि फूलों से बनी होली त्वचा और आंखों की रक्षा करती है। साथ ही, यह पर्यावरण के अनुकूल है।
और भी

क्रिकेटर केएल राहुल ने किए भगवान महाकाल के दर्शन

उज्जैन। भारतीय क्रिकेट टीम के प्रमुख बल्लेबाज और विकेट कीपर केएल राहुल ने बुधवार सुबह अपने परिवार के साथ उज्जैन के श्री महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन किए। जानकारी के मुताबिक, राहुल अपने माता-पिता के साथ बाबा महाकाल की भस्म आरती में शामिल हुए। साथ ही उन्होंने अपने परिवार के साथ करीब दो घंटे तक नंदी हॉल में बैठकर बाबा से आशीर्वाद लिया.
केएल राहुल ने भस्म आरती के दौरान गर्भगृह की दहलीज से महाकाल के दर्शन किए और करीब दो घंटे ध्यान-पूजन में बिताए. प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में राहुल ने भगवान की दया और आशीर्वाद के लिए प्रार्थना की। आपको बता दें कि कुछ दिन पहले भारतीय क्रिकेटर उमेश यादव ने भी अपने परिवार के साथ बाबा महाकाल के दर्शन किए थे.
क्रिकेटर राहुल इससे पहले अपनी पत्नी अथिया शेट्टी के साथ महाकालेश्वर मंदिर गए थे। जब उन्होंने गर्भगृह में दर्शन किये. इसके बाद राहुल, अथिया शेट्टी और पूरा परिवार फिर से लाइन में लगकर महाकाल की पूजा की. के.एल. राहुल और अथिया शेट्टी की शादी पिछले साल जनवरी में हुई थी। तब से वह अक्सर धार्मिक आयोजनों में हिस्सा लेने लगे। दर्शन के बाद दोनों ने मंदिर प्रांगण में दर्शनार्थियों से बातचीत की.
और भी

उज्जैन में 9 अप्रैल को शिव ज्योति अर्पणम् महोत्सव का आयोजन

उज्जैन। नगर गौरव दिवस के अवसर पर 9 अप्रैल को उज्जैन शहर में एक भव्य कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा, जिसमें शिव ज्योति अर्पणम महोत्सव का आयोजन किया जाएगा. इस महोत्सव के तहत 26 हजार दीपक जलाकर विश्व रिकॉर्ड बनाने का प्रयास किया जाएगा. इन सभी कार्यक्रमों की बदौलत उज्जैन शहर का नाम गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज होगा। इसके लिए उज्जैन नगर पालिका ने क्षिप्रा घाटों पर सफाई का काम शुरू कर दिया है।
नगर प्रशासन द्वारा आयोजन की तैयारी-
अब उज्जैन नगर निगम ने शिव ज्योति अर्पणम महोत्सव की तैयारी शुरू कर दी है. दीपोत्सव की तैयारियों को लेकर निगम आयुक्त आशीष पाठक ने सभी घाटों की धुलाई, रंग-रोगन, सफाई, खाली कराने और पेड़-पौधों की छंटाई के आदेश दिए हैं।
संपूर्ण व्यवस्था का विवरण-
दरअसल, इस कार्यक्रम में करीब 25,000 स्वयंसेवक शामिल होंगे जो दीप जलाने में सक्रिय भूमिका निभाएंगे. नगर प्रशासन द्वारा शिव ज्योति अर्पणम से संबंधित सभी तैयारियां भी शुरू कर दी गई हैं। इसके अलावा कार्यक्रम के तहत घाटों की साफ-सफाई का काम भी शुरू हो गया है.
मान लीजिए इस सर्किट में 26 हजार दीपक जगमगाएंगे. कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव भी शामिल होंगे. इस संबंध में सावधानियों का अत्यंत सावधानी से पालन किया जाता है।
और भी

Jhutha Sach News

news in hindi

news india

news live

news today

today breaking news

latest news

Aaj ki taaza khabar

Jhootha Sach
Jhootha Sach News
Breaking news
Jhutha Sach news raipur in Chhattisgarh