धर्म समाज

कई शुभ योगों में पूजा-पाठ करने से होगी कई गुना फल की प्राप्ति

  • रंग पंचमी पर बन रहे शुभ योग
हिंदू धर्म में कई सारे पर्व मनाए जाते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन रंग पंचमी को खास माना गया है जो कि भगवान श्रीकृष्ण और देवी राधा की पूजा अर्चना को समर्पित होता है। पंचांग के अनुसार हर साल चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि पर रंग पंचमी मनाई जाती है। इस बार रंग पंचमी का पर्व 30 मार्च को मनाया जाएगा।
देशभर में यह पर्व बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। माना जाता है कि इस दिन सूखे रंग से होली खेली जाती है धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रंग पंचमी के दिन देवी देवता धरती पर होली खेलने आते हैं। इस बार की रंग पंचमी बेहद ही खास होने वाली है क्योंकि इस दिन कई शुभ योगों का संयोग बन रहा है जिसमें सिद्धि योग भी शामिल हैं माना जाता है कि इन शुभ योगों में अगर पूजा पाठ और शुभ कार्य किए जाए तो दोगुना फल मिलता है, तो आज हम इसी के बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
रंग पंचमी पर बन रहे शुभ योग-
ज्योतिष अनुसार रंग पंचमी पर सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है जो कि रात 10 बजकर 47 मिनट तक रहेगा। इस योग में पूजा पाठ करने से साधक को विशेष फल की प्राप्ति होती है। सिद्धि योग को शुभ कार्यों के लिए भी श्रेष्ठ माना गया है इसके बाद व्यतिपात योग का भी निर्माण हो रहा है। रंग पंचमी के दिन रवि योग निर्मित हो रहा है।
जो कि रात 10 बजकर 3 मिनट से हो रहा है और 31 मार्च को सुबह 6 बजकर 12 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा तैतिल करण योग 9 बजकर 13 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा 30 मार्च को शिव संध्याकाल 9 बजकर 13 मिनट तक नंदी पर विराजमान रहेगा। इस दौरान शिव पूजन करना लाभकारी माना जाता है इसके अलावा शुभ कार्यों को करने से सफलता हासिल होती है।
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बेलपत्र पेड़ के नीचे दीपक जलाने से मिलते हैं ये लाभ

नई दिल्ली। हिंदू धर्म में ऐसे कई पेड़-पौधों का जिक्र है जिनके पास दीपक जलाना शुभ माना जाता है। माना जाता है कि इन पेड़ों या पौधों के पास दीपक जलाने से घर में सौभाग्य और समृद्धि आती है। हालांकि हर पेड़ या पौधे के पास दीपक जलाने के अलग-अलग फायदे होते हैं। दरअसल, हिंदू कथाओं में भगवान शिव का बहुत महत्व है और लोग उन्हें विशेष मानते हैं और अलग-अलग तरीकों से उनकी पूजा करते हैं। और उनसे मदद मांगने के लिए विशेष कार्य करें। उनका एकमात्र काम बेलपत्र नामक एक विशेष पेड़ के नीचे दीपक जलाना है। यह लेख लोगों को समझाता है कि ऐसा क्यों करते हैं, किसे करना चाहिए और भगवान शिव के लिए बेलपत्र का पेड़ क्यों महत्वपूर्ण है।
बेलपत्र का पौधा भगवान शिव को बहुत प्रिय माना जाता है। कुछ शास्त्रों के अनुसार ऐसा भी माना जाता है। बेलपत्र का वृक्ष माता पार्वती के पसीने से उत्पन्न हुआ। इसलिए बेलपत्र का पेड़ भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। उसी प्रकार बेलपत्र के वृक्ष में माता पार्वती का वास होता है।
1. बेलपत्र के पास दीपक जलाने से घर में देवी लक्ष्मी का वास होता है और धन लाभ के योग बनते हैं। घर की आर्थिक स्थिति में सुधार होने लगता है और व्यक्ति गरीबी, कर्ज, अत्यधिक खर्च आदि जैसी समस्याओं से मुक्त हो जाता है।
2. बेलपत्र के पौधे के पास दीपक जलाने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और उनकी कृपा से जीवन की चिंताएं दूर हो जाती हैं। जीवन में खुशियां आती हैं और हर काम में सफलता मिलने लगती है।
3. यदि घर में बेलपत्र का पौधा है तो प्रतिदिन शाम को बेलपत्र के पास सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। इससे घर से नकारात्मक ऊर्जा भी दूर हो जाती है और घर में शांति का वास होने लगता है।
4. बेलपत्र के पौधे के पास दीपक जलाने से घर की पारिवारिक परेशानियां दूर हो जाती हैं। इसके अलावा ज्योतिष में माना जाता है कि बेलपत्र के पास दीपक जलाने से ग्रह और वास्तु दोष भी दूर होते हैं।
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शीतला अष्टमी व्रत 2 अप्रैल को, जानिए... सही मुहूर्त

हिंदू धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन शीतला अष्टमी विशेष मानी जाती है जो कि मां शीतला को समर्पित होती है इस दिन भक्त देवी मां की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं माना जाता है कि ऐसा करने देवी की कृपा प्राप्त होती है धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता शीतला देवी पार्वती का ही एक रूप हैं।
हर साल चैत्र मास की अष्टमी तिथि के दिन शीतला अष्टमी का व्रत किया जाता है शीतला माता को आरोग्य की देवी माना गया है। मां शीतला को ठंडा यानी की शीतल भोग बेहद प्रिय है इसलिए इस दिन भक्त माता की विधिवत पूजा कर उन्हें बासी भोग अर्पित करते हैं। माता की पूजा के लिए यह भोग एक दिन पहले बड़ी साफ सफाई के साथ तैयार किया जाता है और अष्टमी तिथि पर मां को अर्पित ​किया जाता है। पूजन के बाद व्रती इसी प्रसाद को ग्रहण करके अपने व्रत को खोलते है। तो ऐसे में आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा बताने जा रहे हैं कि इस साल शीतला अष्टमी कब मनाई जाएगी तो आइए जानते हैं।
शीतला अष्टमी की तारीख-
हिंदू पंचांग के अनुसार शीतला अष्टमी का पर्व हर साल चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर मनाया जाता है इस बार शीतला अष्टमी का व्रत 2 अप्रैल को मनाया जाएगा। शीतला अष्टमी को बसौड़ा के नाम से भी जाना जाता है इस दिन बासी भोजन कया जाता है।
मान्यताओं के अनुसार बसौड़ा के बाद बासी भोजन नहीं करने की सलाह दी जाती है क्योंकि गर्म अधिक हो जाती है जिससे सेहत पर इसका बुरा असर पड़ सकता है मां शीतला आरोग्य की देवी मानी जाती है इनकी पूजा अर्चना और व्रत व्यक्ति को अच्छी सेहत का आशीर्वाद प्रदान करती है।
शीतला अष्टमी व्रत शुभ मुहूर्त-
हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 01 अप्रैल 2024 को रात 09.09 बजे शुरू होगी और इस तिथि का समापन 02 अप्रैल को रात 08.08 बजे होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, शीतला अष्टमी का व्रत 02 अप्रैल 2024 को ही मनाना उचित होगा। इस दौरान पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 06.10 बजे से शाम 06.40 बजे तक रहेगा।
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चैत्र नवरात्र पर बन रहे हैं ये शुभ संयोग

  • जीवन पर पड़ेगा इसका चमत्कारी असर
नई दिल्ली। चैत्र नवरात्रि हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है. देवी के भक्तों को इस दिन का बेसब्री से इंतजार रहता है. मान्यता के अनुसार, भक्त मां दुर्गा की पूजा के लिए नौ दिनों तक व्रत रखते हैं। ये नौ दिन मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा के लिए समर्पित हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो भक्त इस अवधि के दौरान भावपूर्वक देवी की पूजा करते हैं उन्हें वांछित आशीर्वाद प्राप्त होता है।
इस बार चैत्र नवरात्रि में एक नहीं बल्कि कई शुभ संयोग बनेंगे। नवरात्रि के पहले दिन अभिजीत मुहूर्त के साथ सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग का शुभ संयोग बन रहा है। सुबह 7:35 बजे से पूरे दिन सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि योग है। साथ ही 12:03 से 12:54 तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा। ऐसे में इस बार की नवरात्रि बेहद अद्भुत होगी.
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, प्रतिपदा तिथि चैत्र माह 8 अप्रैल, 2024 को रात 11:51 बजे IST से शुरू होता है। इसके अलावा, यह अगले दिन यानी 9 अप्रैल को 20:29 बजे समाप्त होगा। 9 अप्रैल 2024 को उदया तिथि के अवसर पर चैत्र नवरात्रि शुरू होगी.
चैत्र नवरात्रि के नियम-
चैत्र नवरात्रि के दौरान भक्त नौ दिनों तक उपवास करते हैं। नवरात्रि के प्रत्येक दिन के साथ पूजा अनुष्ठान और परंपराएं जुड़ी हुई हैं। पहले दिन, लोग घटस्थापना करते हैं, जो माँ दुर्गा की उपस्थिति का प्रतीक है और त्योहार की शुरुआत का प्रतीक है। व्रत के आठवें दिन कन्याओं की विशेष पूजा की जाती है क्योंकि लड़कियाँ देवी का प्रतिनिधित्व करती हैं।
रामनवमी मनाने के बाद इस दिन भगवान राम की पूजा की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि जो भक्त पूरी श्रद्धा के साथ पूजा के सभी नियमों का पालन करते हैं उन्हें देवी भगवती का पूरा आशीर्वाद प्राप्त होता है।
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शीतला अष्टमी व्रत 2 अप्रैल को

हिंदू धर्म में शीतला माता को स्वच्छता एवं आरोग्य की देवी माना जाता है। पौराणिक मान्यता है कि शीतला अष्टमी का व्रत करने से भक्तों को आरोग्य की प्राप्ति होती है। पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, शीतला अष्टमी के दिन बासी खाने का भोग लगाने से कई गंभीर बीमारियों से बचा जा सकता है। यहां जानें इस व्रत के बारे में विस्तार से।
शीतला माता पूजा मुहूर्त-
हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 01 अप्रैल 2024 को रात 09.09 बजे शुरू होगी और इस तिथि का समापन 02 अप्रैल को रात 08.08 बजे होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, शीतला अष्टमी का व्रत 02 अप्रैल 2024 को ही मनाना उचित होगा। इस दौरान पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 06.10 बजे से शाम 06.40 बजे तक रहेगा। देश में कुछ स्थानों पर शीतला सप्तमी तिथि पर भी शीतला माता की पूजा की जाती है। शीतला सप्तमी व्रत 1 अप्रैल को रखा जाएगा।
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हनुमान जयंती कब मनाई जाएगी, जानिए...तिथि और मुहूर्त

हिंदू धर्म में कई सारे पर्व त्योहार मनाए जाते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन हनुमान जयंती को बेहद ही खास माना जाता है जो कि हनुमान पूजा को समर्पित दिन होता है इस दिन पूजा पाठ और व्रत करने का विधान होता है हनुमान जयंती के दिन व्रत पूजन करने से भगवान की कृपा मिलती है और सारे कष्ट दूर हो जाते हैं ऐसे में आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा बता रहे हैं कि इस साल हनुमान जयंती कब है और पूजन का शुभ मुहूर्त क्या है तो आइए जानते हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार हनुमान जयंती का पर्व इस साल चैत्र पूर्णिमा को पड़ती है पंचांग के अनुसार पूर्णिमा तिथि 23 अप्रैल को सुबह 3.25 बजे शुरू होगी और 24 अप्रैल को सुबह 5.18 बजे समाप्त हो जाएगी। ऐसे में हनुमान जयंती का पर्व 23 अप्रैल दिन मंगलवार को मनाया जाएगा।
हनुमान जयंती की पूजा विधि-
आपको बता दें कि हनुमान जयंती के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें इसके बाद हनुमान मंदिर जाएं या घर पर ही पूजा करें। इसके लिए हनुमान जी की प्रतिमा पर सिंदूर लगाएं। अब धूप, दीपक, नैवेद्य अर्पित कर मंत्र जाप से हनुमान जी की विधिवत पूजा करें। इस दिन हनुमान चालीसा, आरती और बजरंग बाण का पाठ करें। इस दिन कई लोग उपवास भी रखते हैं इस दिन पूजा पाठ के साथ ही हनुमान मंत्र का जाप जरूर करें।
हनुमान मंत्र जाप-
ॐ श्री हनुमते नमः
ॐ ऐं भ्रि हनुमंते, श्री राम दुताय नमः
ॐ अंजनेय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि. तन्नो हनुमान प्रचोदयात्।
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भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी पर इस मुहूर्त में करें गणपति पूजा

सनातन धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व होता है लेकिन संकष्टी चतुर्थी को बेहद ही खास माना जाता है जो कि हर माह में दो बार आती है एक कृष्ण पक्ष और दूसरी शुक्ल पक्ष में मनाई जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हर संकष्टी चतुर्थी की एक अलग कथा है इस बार भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी मनाई जा रही है जो कि चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर पड़ती है।
भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी का व्रत आज यानी 28 मार्च दिन गुरुवार को किया जा रहा है यह तिथि गणपति साधना को समर्पित होती है इस दिन भक्त भगवान श्री गणेश की विधि विधान से पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं माना जाता है कि इस दिन पूजा पाठ और व्रत करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और कष्ट दूर हो जाते हैं ऐसे में अगर आप भी श्री गणेश का आशीर्वाद पाना चाहते हैं तो आज गणपति की पूजा शुभ मुहूर्त में ही करें ऐसा करने से सुख समृद्धि में वृद्धि होती है और दुख परेशानियां दूर हो जाती हैं।
भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी तिथि और मुहूर्त-
हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की संकष्टी चतुर्थी का आरंभ 28 मार्च को शाम 6 बजकर 56 मिनट से हो चुका है वही इस तिथि का समापन 29 मार्च को रात्रि 8 बजकर 20 मिनट पर हो जाएगा। ऐसे में इस दिन चंद्रमा की पूजा के बाद ही व्रत पूर्ण होता है
इस दिन आप अपने व्रत का पारण चंद्रमा को जल अर्पित कर उनकी विधिवत पूजा करें इसके बाद ही व्रत खोले। माना जाता है कि इस दिन भक्ति भाव से भगवान की पूजा करने से वे प्रसन्न हो जाते हैं और सुख समृद्धि और सफलता का आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
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उज्जैन नगरी में आयोजित होगा सिंहस्थ हिंदू धार्मिक मेला

उज्जैन। साल 2028 में उज्जैन में सिंहस्थ का आयोजन होगा। जिसमें करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु शामिल होने के लिए पहुंचेंगे। 12 साल में एक बार अवंतिका नगरी में कुंभ का आयोजन होता है। साल 2016 के बाद 2028 में यह मौका पड़ रहा है। जब एक बार फिर देश और दुनिया भर से साधु संत कुंभ मेला में पहुंचेंगे और स्नान करेंगे। इसके अलावा दुनिया भर से जनता यहां धर्म लाभ लेने पहुंचेगी।
सिंहस्थ के दौरान प्रशासन को बड़े स्तर पर व्यवस्थाएं करनी पड़ती है। श्रद्धालुओं की संख्या हजारों नहीं बल्कि करोड़ों में होती है और इतनी भीड़ को संभालने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है। साल 2016 के सिंहस्थ में आंधी तूफान और बारिश की स्थिति बनी थी जिसके चलते मेला क्षेत्र में आपातकालीन परिस्थितियों उत्पन्न हो गई थी। ऐसी स्थिति फिर से निर्मित ना हो इसके लिए इस बार व्यापक स्तर पर इंतजाम किए जाएंगे।
जानकारी के मुताबिक आपातकालीन स्थिति से अच्छी तरह से निपटा जा सके इसके लिए हाउसिंग बोर्ड की तरफ से देवास रोड पर एक इमरजेंसी ऑपरेटिंग सेंटर तैयार किया जाएगा। सिंहस्थ 2028 में तो इसका संचालन होगा ही साथ ही इसके बाद भी इसे संचालित किया जाता रहेगा। मेला क्षेत्र में अगर कोई भी अप्रिय स्थिति बनती है तो तुरंत ही इस केंद्र से राहत और बचाव कार्य किया जाएगा।
इस बार सिंहस्थ 2028 में देश और विदेश से तकरीबन 14 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं के आने का अनुमान लगाया जा रहा है। इन सभी के आवागमन से लेकर आपदा प्रबंधन तक उचित व्यवस्थाएं की जाएगी। देवास रोड पर इमरजेंसी केंद्र बनाए जाने के साथ सैनिक भोजन शाला का निर्माण भी किया जाएगा और सैनिक कल्याण भवन भी निर्मित होगा। इस पूरे परिसर में बाउंड्री वॉल और प्रवेश द्वार के साथ सौंदर्यीकरण किया जाएगा। यह प्रोजेक्ट तकरीबन 68 करोड़ 50 लाख से ज्यादा का होने वाला है।
कमांड सेंटर बनाया जाएगा-
इमरजेंसी सेंटर के अलावा एक संभाग स्तर का कंट्रोल एंड कमांड सेंटर भी बनाया जाएगा। इसके अलावा होमगार्ड, सैनिक ट्रेनिंग सेंटर और सर्फेस वॉटर रेस्क्यू की बिल्डिंग भी बनाई जाएगी ताकि हर आपातकालीन स्थिति से अच्छी तरह से निपटा जा सके। सीनियर महिला और पुरुष अधिकारियों की ट्रेनिंग सेंटर के साथ मीटिंग हॉल और हॉस्टल का निर्माण होगा।
प्रोजेक्ट हुआ तैयार-
जिला इमरजेंसी ऑपरेटिंग केंद्र बनाए जाने के लिए प्रोजेक्ट पूरी तरह से तैयार कर लिया गया है। जल्द ही इसकी कार्य योजना तैयार करते हुए निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा। जैसा कि जाहिर है कि इस इमरजेंसी सेंटर का निर्माण मुख्य रूप से सिंहस्थ के लिए किया जा रहा है इसलिए इसे जल्द से जल्द पूरा किया जाएगा।
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पापमोचनी एकादशी, नोट करें तारीख और मुहूर्त

हिंदू धर्म में वैसे तो कई सारे व्रत पड़ते हैं लेकिन एकादशी का व्रत सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है जो कि हर माह में दो बार आता है अभी चैत्र मास चल रहा है और इस माह पड़ने वाली एकादशी को पापमोचिनी एकादशी के नाम से जाना जा रहा है जो कि विष्णु पूजा का उत्तम दिन होता है।
इस दिन भक्त भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं माना जाता है कि ऐसा करने से भगवान की कृपा प्राप्त होती है इस दिन उपवास रखने वालों को जाने अनजाने में किए गए पापों से छुटकारा मिल जाता है साथ ही व्रत को करने से सभी समस्याएं दूर हो जाती है ऐसे में आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा पापमोचिनी एकादशी की तारीख और मुहूर्त के बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
पापमोचिनी एकादशी की तारीख और मुहूर्त-
हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का आरंभ 4 अप्रैल को दोपहर 4 बजकर 14 मिनट पर हो रहा है वही इस तिथि का समापन 5 अप्रैल को दोपहर 1 बजकर 28 मिनट पर हो जाएगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार पापमोचिनी एकादशी का व्रत 5 अप्रैल दिन शुक्रवार को किया जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की पूजा सुबह और शाम के समय जरूर करें।
माना जाता है कि ऐसा करने से विष्णु जी के साथ साथ माता लक्ष्मी का भी आशीर्वाद मिलता है जिससे धन संबंधी समस्याओं का समाधान हो जाता है। पापमोचिनी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें इसके बाद व्रत पूजन का संकल्प लेते हुए भगवान की विधिवत पूजा करें और प्रिय भोग अर्पित करें। इस दिन पूजा पाठ और व्रत करना लाभकारी माना जाता है ऐसा करने से कष्टों का निवारण होता है।
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रंग पंचमी 30 मार्च को, जानिए...शुभ मुहर्त

रंगों का त्योहार रंग पंचमी हर साल चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस बार रंग पंचमी 30 मार्च को मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन देवी-देवताओं की पूजा करने और उन्हें प्रसाद चढ़ाने से साधकों को शुभ फल की प्राप्ति होती है और जीवन की सभी चिंताओं से छुटकारा मिलता है। खैर, इस लेख में हम बताएंगे कि रंग पंचमी क्यों मनाई जाती है।
रंगों का त्योहार पंचमी होली के पांच दिन बाद मनाया जाता है। प्राचीन काल में होली कई दिनों में मनाई जाती थी, लेकिन चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को होली का अंतिम दिन माना जाता है। रंग पंचमी का त्योहार जहां देश के कई हिस्सों में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है, वहीं मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में तस्वीर अलग है।
इस खास मौके पर धन की देवी मां लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है. किंवदंती है कि रंग पंचमी पर भगवान कृष्ण ने राधा रानी के साथ होली खेली थी। इसलिए इस दिन भगवान कृष्ण और राधा रानी का गुणगान किया जाता है।
रंग पंचमी का शुभ मुहूर्त 2024-
चैत्र मास में कृष्ण पक्ष पंचमी तिथि 29 मार्च को रात 8:20 बजे शुरू होती है और 30 मार्च को रात 8:20 बजे समाप्त होती है। इस बीच, रंग पंचमी उत्सव 9 मार्च (शनिवार) को मनाया जाएगा।
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बेटी को लेकर तिरुपति बालाजी पहुंचे राम चरण और उपासना

मुंबई। साउथ सिनेमा के सुपरस्टार राम चरण आज अपना 39वां जन्मदिन मना रहे हैं। एक्टर अपने दिन की शुरुआत भगवान के दर्शन से करते हैं. बुधवार सुबह बर्थडे बॉय अपनी बेटी किरिन काला और पत्नी उपासना के साथ बालाजी का आशीर्वाद लेने के लिए तिरुपति पहुंचे। इस दौरान की तस्वीरें और वीडियो सोशल नेटवर्क पर तेजी से शेयर किए जा रहे हैं। इस दौरान उपासा अपनी बेटी को मीडिया से बचाती नजर आईं।
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चैत्र माह 2024 के व्रत और त्योहार कैलेंडर

फाल्गुन माह के बाद चैत्र माह की शुरुआत होती है. धार्मिक दृष्टि से इस महीने का विशेष महत्व है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, यह हिंदू नव वर्ष का पहला महीना है। चैत्र का महीना 26 मार्च को शुरू होता है और अगले महीने यानि 26 मार्च को समाप्त होता है। घंटा। 23 अप्रैल। इस महीने में कई महत्वपूर्ण उपवास के दिन और छुट्टियाँ हैं जिनका आध्यात्मिक दृष्टिकोण से विशेष महत्व है। आपकी जानकारी के लिए हम आपको बताना चाहेंगे कि इस महीने रंग पंचमी, पापमोचिनी एकादशी, चैत्र नवरात्रि और हनुमान जयंती सहित कई व्रत और त्योहार मनाए जाते हैं।
2024 के चैत्र माह के व्रत और छुट्टियों का कैलेंडर-
27 मार्च 2024- भाई दूज
28 मार्च 2024- भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी.
30 मार्च 2024- रैंक पंचमी
31 मार्च 2024- शीतला सप्तमी, कालाष्टमी.
5 अप्रैल 2024- पापमोचिनी एकादशी.
6 अप्रैल 2024- शनि त्रयोदशी, प्रदोष व्रत.
7 अप्रैल 2024- मासिक शिवरात्रि.
8 अप्रैल, 2024- चैत्र अमावस्या, सूर्य ग्रहण।
9 अप्रैल, 2024- चैत्र नवरात्रि की शुरुआत, झूलेलाल जयंती, हिंदू नववर्ष की शुरुआत.
11 अप्रैल 2024- मत्स्य जयंती, गौरी पूजा.
12 अप्रैल 2024- लक्ष्मी पंचमी.
14 अप्रैल 2024-यमुना छठ
16 अप्रैल 2024- महतारा जयंती, मासिक दुर्गाष्टमी.
17 अप्रैल 2024- रामनवमी
19 अप्रैल 2024- कामदा एकादशी.
20 अप्रैल, 2024- वामन द्वादशी, त्रिशूर पुरम।
21 अप्रैल 2024- महावीर स्वामी जयंती, प्रदोष व्रत.
23 अप्रैल 2024- हनुमान जयंती, चैत्र पूर्णिमा व्रत.
इसलिए खास है चैत्र का महीना-
मान्यता है कि चैत्र माह में श्रद्धानुसार दान-पुण्य करने से भक्त को शुभ फल की प्राप्ति होती है। इस महीने सूर्य मेष राशि में उच्च स्थान पर आ जाएगा, जो ज्योतिषीय दृष्टि से शुभ माना जाता है। इसके अलावा, इस महीने हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है और चैत्र नवरात्रि, पापमोचिनी एकादशी और रामनवमी सहित कई त्योहार और व्रत आते हैं।
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भाई दूज आज, जानिए...तिलक का शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार भाई दूज का त्योहार साल में दो बार मनाया जाता है एक दिवाली के बाद आता है तो वही दूसरा होली के बाद मनाया जाता है इस दिन बहने अपने भाई का तिलक कर उनकी लंबी आयु के लिए ईश्वर से प्रार्थना करती है। यह पर्व भाई बहन के प्रेम और पवित्र रिश्ते का प्रतीक माना जाता है इस साल भाई दूज का पर्व आज 27 मार्च बुधवार को मनाया जा रहा है।
होली भाई दूज बहनों द्वारा भाई का तिलक करना अच्छा माना जाता है ऐसा करने से भाई की आयु में वृद्धि होती है साथ ही भाई बहन के जीवन में खुशहाली और समृद्धि सदा बनी रहती है तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा होली भाई दूज पर भाई को तिलक करने की सही विधि बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
भाई दूज का शुभ मुहूर्त-
पंचांग के अनुसार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि की शुरुआत 26 मार्च 2024 को दोपहर 02 बजकर 55 मिनट पर हो रही है। अगले दिन 27 मार्च 2024 को शाम 05 बजकर 06 मिनट पर इसका समापन होगा। 27 मार्च को भाई को टीका करने के लिए दो शुभ मुहूर्त हैं। 
भाई दूज पर भाई को तिलक करने का मुहूर्त-
पहला मुहूर्त- सुबह 10.54 से दोपहर 12.27। दूसरा मुहूर्त- दोपहर 03.31 से शाम 05.04।
भाई का तिलक करने की सही विधि-
आपको बता दें कि होली भाई दूज के दिन सुबह उठकर सबसे पहले स्नान करें और साफ वस्त्रों को धारण करें। इसके बाद केसर और लाल चंदन का तिलक तैयार करें। पहले भगवान श्री गणेश और फिर विष्णु जी को तिलक लगाएं। इसके बाद भाई को उत्तर या पूर्व दिशा में बिठाकर तिलक करें। तिलक लगाने के बाद कुछ मिठाई भाई को खिलाएं और उसकी लंबी आयु के लिए प्रार्थना करें। इसके बाद भाई बहन को उपहार जरूर दें। ऐसा करने से लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है।
इस दिन भूलकर भी भाई बहन लड़ाई झगड़ा न करें माना जाता है कि ऐसा करने से रिश्तों में दरार पैदा होती है इसके अलावा इस दिन भाई अपनी बहन को कुछ न कुछ उपहार जरूर भेंट करें। इससे माता लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है।
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होली भाई दूज पर तिलक करने की विधि, जानें शुभ मुहर्त

होली भाई दूज का पर्व बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। यह हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह पर्व भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को दर्शाता और मजबूत करता है। इस साल होली भाई दूज 27 मार्च, 2024 को मनाया जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, साल में दो बार भाई दूज मनाया जाता है, एक है होली भाई दूज जिसे भ्रातृ द्वितीया के नाम से जाना जाता है।यह रंगवाली होली के दूसरे दिन मनाया जाता है। वहीं दूसरा, जो अधिक लोकप्रिय है वह दीपावली पूजा के दो दिन बाद मनाया जाता है।
तिलक करने का शुभ मुहूर्त-
पहला मुहूर्त सुबह 10 बजकर 54 मिनट से दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक। वहीं, दूसरा मुहूर्त दोपहर 03 बजकर 31 मिनट से शाम 05 बजकर 04 मिनट तक।
होली भाई दूज पर तिलक करने की विधि-
सबसे पहले अपने सभी भाईयों को तिलक और भोजन का निमंत्रण दें। भाई का प्रेम भाव के साथ स्वागत करें। अपने भाईयों को चौकी पर बिठाएं। भाई का मुख उत्तर-पश्चिम दिशा में होना चाहिए। इसके बाद गोपी चंदन या हल्दी, कुमकुम अक्षत से तिलक करें। भाई को नारियल देकर कलावा बांधकर भगवान यम से उनकी सुरक्षा की कामना करें। तिलक विधि के बाद भाई अपनी बहनों को उपहार दें और उनका आशीर्वाद लें।
होली भाई दूज से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य-
होली भाई दूज का त्योहार सिर्फ भाई-बहन के रिश्ते का त्योहार नहीं है। यह भाई-बहनों के बीच के रिश्ते और उनके द्वारा साझा किए जाने वाले प्यार का भी उत्सव है। इस विशेष दिन पर भाई-बहन एक दूसरे के प्रति अपने प्यार को जाहिर करते हैं। होली भाई हमें अपने भाई-बहनों के साथ साझा किए गए प्यार और स्नेह को संजोने और एक-दूसरे का सम्मान करने की याद दिलाता है। साथ ही यह पिछले मतभेदों को माफ करने और नई शुरुआत करने का शुभ समय होता है।
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देशभर में होलिका दहन आज, जानिए...पूजन का शुभ मुहूर्त

हिंदू धर्म में कई सारे पर्व मनाए जाते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन होली का त्योहार बहुत ही खास माना जाता है जो कि हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा पर मनाया जाता है इस दिन लोग एक दूसरे को अबीर गुलाल लगाकर खुशियां मनाते हैं। होली का त्योहार बड़ी धूमधाम के साथ देशभर में मनाया जाता है इस बार यह पर्व 25 मार्च को मनाया जाएगा।
इससे एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है जो कि 24 मार्च दिन रविवार यानी की आज किया जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार होलिका दहन हमेशा ही शुभ मुहूर्त में करना अच्छा होता है आज होलिका दहन के दिन भद्रा लगी हुई है ऐसे में भद्रा काल में भूलकर भी होलिका दहन न करें। तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा होलिका दहन का शुभ मुहूर्त बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त-
हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है और इसके अगले दिन होली मनाई जाती है इस साल फाल्गुन पूर्णिमा 24 मार्च को सुबह 9 बजकर 54 मिनट से आरंभ हो चुकी है जो कि 25 मार्च दिन सोमवार यानी कल होली के दिन दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर समाप्त हो जाएगी।
ऐसे में होली का त्योहार 25 मार्च दिन सोमवार को मनाया जाएगा और होलिका दहन 24 मार्च दिन रविवार यानी आज किया जाएगा। इस दिन होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त देर रात 11 बजकर 13 मिनट से लेकर 12 बजकर 27 मिनट तक मिल रहा है होलिका दहन के लिए आपको कुल 1 घंटे 14 मिनट का समय प्राप्त हो रहा है।
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शनिवार के दिन करें शनिदेव की पूजा

  • सुख समृद्धि का मिलेगा आशीर्वाद
सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी देवता की पूजा को समर्पित होता है वही शनिवार का दिन शनि महाराज की पूजा के लिए विशेष माना जाता है इस दिन भक्त भगवान की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं माना जाता है कि ऐसा करने से शनिदेव का आशीर्वाद मिलता है।
ऐसे में अगर आप भी शनि महाराज की विधिवत पूजा कर रहे हैं तो उनकी प्रिय आरती का पाठ जरूर करें। माना जाता है कि ऐसा करने से कुंडली से शनि दोष समाप्त हो जाता है साथ ही जीवन कल्याण की ओर बढ़ता है और शनिदेव प्रसन्न होकर सुख समृद्धि और तरक्की प्रदान करते हैं तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं शनि देव की संपूर्ण आरती पाठ।
॥शनिदेव की आरती॥
''जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥
जय जय श्री शनि देव....
श्याम अंग वक्र-दृ‍ष्टि चतुर्भुजा धारी।
नी लाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥
जय जय श्री शनि देव....
क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥
जय जय श्री शनि देव....
मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥
जय जय श्री शनि देव....
देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥
जय जय श्री शनि देव भक्तन हितकारी।।
शनि देव की जय…जय जय शनि देव महाराज…शनि देव की जय''!!!
॥शनिदेव की स्तुति॥
नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च ।
नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम: ॥1॥
नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च ।
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते ॥2॥
नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम: ।
नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोऽस्तु ते ॥3॥
नमस्ते कोटराक्षाय दुर्नरीक्ष्याय वै नम: ।
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने ॥4॥
नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोऽस्तु ते ।
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करेऽभयदाय च ॥5॥
अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तु ते ।
नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तुते ॥6॥
तपसा दग्ध-देहाय नित्यं योगरताय च ।
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम: ॥7॥
ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज-सूनवे ।
तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात् ॥8॥
देवासुरमनुष्याश्च सिद्ध-विद्याधरोरगा: ।
त्वया विलोकिता: सर्वे नाशं यान्ति समूलत: ॥9॥
प्रसाद कुरु मे सौरे ! वारदो भव भास्करे ।
एवं स्तुतस्तदा सौरिर्ग्रहराजो महाबल: ॥10॥
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चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल से, जानिए...कलश स्थापना का मुहूर्त

सनातन धर्म में कई सारे पर्व मनाए जाते हैं और सभी का अपना महत्व होता है लेकिन हिंदू नव वर्ष के आरंभ में नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है जो कि वर्ष के प्रथम माह में पड़ता है और यह पूरे नौ दिनों तक चलता है नवरात्रि के ​शुभ दिनों में मां दुर्गा के नौ अगल अगल स्वरूपों की पूजा की जाती है और व्रत आदि भी रखा जाता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवमी तक नवरात्रि का व्रत किया जाता है चैत्र माह में पड़ने के कारण ही इसे चैत्र नवरात्रि के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि इस दौरान मां दुर्गा की आराधना करने से सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है। तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा चैत्र नवरात्रि की तारीख और मुहूर्त के बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 8 अप्रैल की रात 11 बजकर 50 मिनट से अगले दिन यानी की 9 अप्रैल की रात 8 बजकर 31 मिनद्यट तक रहेगी। चैत्र प्रतिपदा तिथि का सूर्योदय 9 अप्रैल दिन मंगलवार को हो रहा है ऐसे में चैत्र नवरात्रि का आरंभ भी इस दिन से हो जाएगा। इस बार चैत्र नवरात्रि का आरंभ 9 अप्रैल से हो रहा है जो कि 17 अप्रैल को समाप्त हो जाएगी। यह पर्व पूरे नौ दिनों तक मनाया जाएगा। इस बार नवरात्रि में एक भी दिन क्षय नहीं हो रहा है। पूरे नौ दिनों तक चैत्र नवरात्रि का होना शुभ माना जा रहा है।
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त-
नवरात्रि के प्रथम दिन कलश स्थापना की जाती है ये काम शुभ मुहूर्त देखकर ही करना उचित माना जाता है इस दिन कलश स्थापना के लिए दो शुभ मुहूर्त मिल रहे है। जिसमें पहला शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 2 मिनट से 10 बजकर 16 मिनट तक मिल रहा है। इसकी कुल अवधि चार घंटे 14 मिनट तक रहेगी। इसके अलावा दूसरा शुभ मुहूर्त 11 बजकर 57 मिनट से दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। जिसका समय 51 मिनट तक है। इस मुहूर्त में कलश स्थापना करना लाभकारी होगा।
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नहीं हो रहा विवाह, होलिका दहन की अग्नि में अर्पित करें ये खास चीज़

हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल होली का त्योहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा पर मनाया जाता है जो कि इस बार 25 मार्च को पड़ रही है देशभर में होली का त्योहार बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है इस दिन लोग एक दूसरे को अबीर गुलाल लगाकर खुशियां मनाते हैं होली से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है जो कि इस बार कल 24 मार्च मनाई जाएगी।
इस दिन कुछ खास उपायों को अगर किया जाए तो शीघ्र विवाह के योग बनने लगते हैं और शादी विवाह में आने वाली अड़चने भी दूर हो जाती है तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा इन्हीं उपायों के बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
होलिका दहन के आसान उपाय-
में किसी तरह की बाधा आ रही है या फिर शीघ्र विवाह के योग नहीं बन रहे हैं तो ऐसे में आप कल यानी होलिका दहन के दिन हवन सामग्री में घी मिलाकर होलिका की आग में अर्पित करें माना जाता है कि इस उपाय को करने से विवाह में आने वाली बाधाएं दूर हो जाती है साथ ही शीघ्र विवाह के योग बनने लगते हैं। आप चाहे तो हवन सामग्री अर्पित करते हुए होलिका की परिक्रमा भी कर सकते हैं ऐसा करने से लाभ की प्राप्ति होती है।
अगर आपके वैवाहिक जीवन में तनाव बना हुआ है और प्रेम व मधुरता की कमी है तो ऐसे में आप होलिका दहन वाले दिन एक नारियल और घी में भीगी हुई 108 बाती। होलिका की आग में एक एक कर डाल दें। होलिका की परिक्रमा के दौरान ये उपाय करना है। आखिरी में नारियल अर्पित करें। माना जाता है कि इस आसान से उपाय को करने से दांपत्य जीवन में मिठास आएगी और तनाव दूर हो जाएगा।
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