धर्म समाज

चैत्र नवरात्रि पर चमकेगा इन 4 राशियों का भाग्य

  • बरसेगी माँ दुर्गा की कृपा
नई दिल्ली। सनातन धर्म में चैत्र नवरात्रि का विशेष महत्व है. इस साल चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल से शुरू हो रही है। घटस्थापना 8 अप्रैल को है। इस बार चैत्र नवरात्रि ज्योतिषीय दृष्टि से भी खास होगी। ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति अनुकूल रहेगी। पाँच राजयोगी बनते हैं। चंद्रमा और बृहस्पति मिलकर मेष राशि में गजकेसरी योग बनाते हैं। शनि शश राजयोग बनाएगा। शुक्र और बुध की युति से लक्ष्मी नारायण योग का निर्माण होता है। सूर्य और बुध के मिलन से बुधादित्य राजयोग उत्पन्न होता है। शुक्र उच्च राशि में गोचर करके मालव्य योग का निर्माण करता है। इसके अलावा सावर्त अमृत सिद्धि, प्रीति, रवि, आयुष्मान और पुष्य नक्षत्र योग का भी प्रशिक्षण दिया जाता है। ग्रह-नक्षत्रों के इस संयोग से 4 राशियों को बहुत फायदा होगा। स्थानीय लोगों को मां दुर्गा का विशेष आशीर्वाद मिलता है. धन वृद्धि के योग हैं।
मेष राशि-
मेष राशि के जातकों पर मां दुर्गा के साथ-साथ मां लक्ष्मी की भी कृपा बनी रहती है। आर्थिक लाभ और सफलता की प्रबल संभावना है। नई नौकरी या व्यवसाय शुरू करने के लिए यह समय अनुकूल रहेगा। आपकी पदोन्नति हो सकती है. संतान की ओर से शुभ समाचार मिलेगा। निवेश पर लाभ होगा।
सिंह राशि-
इस बार चैत्र नवरात्रि सिंह राशि के लोगों के लिए भी खास रहेगी। पद-प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। समाज में मान-सम्मान बढ़ेगा. परिवार में खुशियां आएंगी। व्यवसायियों के लिए यह अवधि अनुकूल रहेगी। लंबे समय से प्रतीक्षित कार्य पूर्ण होगा। आर्थिक पक्ष मजबूत होगा।
कुंभ राशि-
कुंभ राशि वाले लोग रहेंगे भाग्यशाली। मां दुर्गा के अलावा शनिदेव भी अनुकूल रहेंगे। आप कड़ी मेहनत से अपने हर काम में सफलता हासिल करेंगे। धन-समृद्धि में वृद्धि होगी। सम्मान मिलेगा. कारोबार का विस्तार होगा.
वृषभ राशि-
वृषभ राशि वाले लोगों पर भी मां दुर्गा की कृपा बनी हुई है। भाग्य आपका साथ देगा। व्यापार में लाभ होगा। आपकी आर्थिक स्थिति बेहतर रहेगी। आर्थिक लाभ की संभावना है।
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दाह संस्कार के बाद गंगा में क्यों प्रवाहित की जाती है राख

  • जानिए... वजह
नई दिल्ली। मौत एक ऐसी हकीकत है जिससे कोई नहीं बच सकता. पृथ्वी पर जन्म लेने वाले प्रत्येक व्यक्ति को मरना अवश्य है। हिंदू धर्मग्रंथों में कुल 16 संस्कारों का जिक्र है जो जन्म से लेकर मृत्यु तक जरूरी हैं। हिंदू धर्म में किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी आत्मा की रक्षा के लिए कई तरह की परंपराओं का पालन किया जाता है जो जरूरी मानी जाती हैं। दाह संस्कार के बाद मृतक की राख को किसी पवित्र जल स्रोत या गंगा में बहाने की भी परंपरा है। आइए उन्हें इसके महत्व से अवगत कराएं।
इससे राख बिखर जायेगी
हिंदू धर्म में शरीर को जलाने को दाह संस्कार कहा जाता है। यह हिंदू धर्म के 16 संस्कारों में से अंतिम संस्कार है। दाह संस्कार की रस्म पूरी होने के बाद, राख को गंगा जैसे पवित्र जल स्रोत में विसर्जित कर दिया जाता है। हिंदू वेदों और पुराणों में माना जाता है कि गंगा की उत्पत्ति भगवान विष्णु के चरणों से हुई है और भगवान शिव इसे अपनी जटाओं में धारण करते हैं।
ऐसे में मृतक की राख को गंगा में प्रवाहित करने से आत्मा को शांति मिलती है। यह भी माना जाता है कि मृतक की आत्मा की यात्रा तभी शुरू होती है जब मृतक की राख को गंगा में विसर्जित किया जाता है। इसलिए ऐसा माना जाता है कि दाह संस्कार के बाद मृतक की राख को गंगा नदी में नहलाना चाहिए ताकि मृतक की आत्मा को शांति मिल सके।
इसका उल्लेख गरुण पुराण में मिलता है। गरुण पुराण के अध्याय 10 में एक कहानी है जो मृतक के अवशेषों और राख को गंगा में प्रवाहित करने के महत्व को बताती है। कहानी के अनुसार, पक्षियों के राजा गरुड़ ने भगवान विष्णु से कहा कि जब किसी की मृत्यु हो जाती है, तो मृतक के रिश्तेदारों को उसका दाह संस्कार करना चाहिए।
लेकिन परिवार मृतक के अवशेष और राख को इकट्ठा करके गंगा में क्यों छोड़ देते हैं? इस मामले में, कहा जाता है कि भगवान विष्णु मृतकों का दाह संस्कार करते थे और फिर दिवंगत आत्मा को प्रसन्न करने के लिए राख को गंगा में बहा देते थे। क्योंकि पवित्र नदी गंगा सभी पापों को धो देती है।
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भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने महाकाल मंदिर में की विशेष पूजा-अर्चना

उज्जैन। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी. नड्डा ने बुधवार को सपरिवार उज्जैन पहुंचकर महाकाल मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की। उन्होंने बाबा महाकाल से देश-प्रदेश की जनता की सुख-समृद्धि की कामना की।
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा दो दिवसीय मध्य प्रदेश के प्रवास पर आए हैं। उन्होंने मंगलवार को शहडोल और जबलपुर में आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। वह बुधवार को जबलपुर से उज्जैन पहुंचे और महाकाल मंदिर पहुंचकर अपने परिवार के साथ भगवान महाकाल का अभिषेक एवं पूजा-अर्चना कर देश और प्रदेश की जनता की सुख-समृद्धि की कामना की।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल, लोकसभा चुनाव प्रदेश प्रभारी डॉ. महेन्द्र सिंह, प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद एवं पार्टी के प्रदेश सह कोषाध्यक्ष अनिल जैन कालूहेड़ा उपस्थित रहे।
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उज्जैन में 9 अप्रैल को दीपों से जगमगाएगा शिप्रा तट

  • जलेंगे 5 लाख दीपक, रंगारंग कार्यक्रम भी होंगे
उज्जैन। उज्जैन में एक बार फिर दीपावली से नजारा देखने को मिलने वाला है। गुड़ी पड़वा के दिन शिप्रा नदी के रामघाट पर शिव ज्योति और बड़ा महोत्सव के तहत 5 लाख दीपक प्रज्वलित किए जाने वाले हैं। इस कार्यक्रम को लेकर तैयारियां का दौर जोर-शोर से चल रहा है। नदी पर जलाए जाने वाले दीपकों के लिए ब्लॉक तैयार किया जा चुके हैं। रंगाई पुताई का काम लगभग खत्म हो चुका है। अब नदी के बीचों बीच स्टेज बनाने का काम शुरू कर दिया गया है।
रामघाट पर होने वाले इस महोत्सव से जुड़ा सभी काम अधिकारियों की देखरेख में हो रहा है। कामों का जायजा लेने के लिए मंगलवार को कलेक्टर नीरज कुमार सिंह और एसपी प्रदीप शर्मा मौके पर पहुंचे। यहां पर उन्होंने सभी व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने के निर्देश दिए। इस उत्सव में शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पर पहुंचने वाले हैं। जिनके लिए पेयजल की सुरक्षा के साथ बैरिकेडिंग और सुरक्षा व्यवस्था समेत आकस्मिक चिकित्सा के इंतजाम करने के निर्देश जारी किए गए हैं।
इस महोत्सव के अंतर्गत रामघाट पर 5 लाख दीपक प्रज्वलित किए जाने वाले हैं। इसके लिए यहां पर पांच ब्लॉक तैयार किए गए हैं जिसमें शहर ब्लॉक में 225 दीपक रखेंगे। नदी के बीच एक स्टेज बनाया जाएगा जहां से सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का दौरा देखने को मिलेगा। सिंगर जुबिन नौटियाल कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पहुंचने वाले हैं। वह इसी स्टेज से अपनी मनमोहक प्रस्तुतियों से दर्शकों का दिल जीतेंगे। भीड़ को देखते हुए सुरक्षा के लिए 6000 वालंटियर नियुक्त किए जाने वाले हैं। दीप प्रज्वलन अलग-अलग ब्लॉक में किया जाएगा।
इस महोत्सव के अंतर्गत यात्रियों के सुविधा को देखते हुए यहां छायादार टेंट लगाए जाएंगे। कार्यक्रम पूरी तरह से कचरा मुक्त रहे इस बात का विशेषताओं पर ध्यान रखा जाएगा। जल्दी लोकसभा चुनाव का दौर शुरू हो जाएगा ऐसे में यहां जनता को मतदान के प्रति जागरूक भी किया जाएगा। यहां फायरफाइटर की व्यवस्था उपलब्ध रहेगी और जरूरत पड़ने पर श्रद्धालुओं को आकस्मिक चिकित्सा भी मिल सकेगी।
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चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल से, इन वास्तु नियमों का करें पालन

  • सुख-समृद्धि की होगी प्राप्ति
सनातन धर्म में नवरात्रि के पर्व को बेहद ही खस माना जाता है जो कि देवी साधना को समर्पित होता है यह पर्व पूरे नौ दिनों तक चलता है इसमें मां दुर्गा के नौ अलग अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है और व्रत आदि भी रखा जाता है मान्यता है कि नौ दिनों तक मां भगवती की आराधना करने से जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और खुशहाली आती है इस साल चैत्र नवरात्रि का आरंभ 9 अप्रैल से होने जा रहा हैं
वही समापन 17 अप्रैल को हो जाएगा। नवरात्रि के नौ दिनों में माता की साधना आराधना के अलावा अगर कुछ वास्तु नियमों का पालन किया जाए तो देवी का आशीर्वाद मिलता है साथ ही वर्षभर सुख समृद्धि बनी रहती है तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा चैत्र नवरात्रि से जुड़े वास्तु नियमों के बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
चैत्र नवरात्रि से जुड़े वास्तु नियम-
वास्तुशास्त्र के अनुसार नवरात्रि की शुरुआत होने से पहले ही अपने घर की साफ सफाई जरूर कर लें। ऐसा करने से घर में खुशहाली बनी रहती है और समृद्धि के मार्ग खुल जाते हैं। वास्तु अनुसार मां दुर्गा की प्रतिमा को हमेशा ही उचित दिशा में रखें। भूलकर भी गलत दिशा में प्रतिमा को स्थापित ना करें ऐसा करने से पूजा का फल नहीं मिलता है।
ऐसे में आप माता की प्रतिमा को मंदिर के पूर्वोत्तर कोने में स्थापित कर सकते हैं। साथ ही देवी प्रतिमा हमेशा ही माता की चौकी में ही स्थापित करें। इसके अलावा पूजन करते वक्त भक्तों का मुख पूर्व या उत्तर दिशा में होना चाहिए। इस दिशा में बैठकर पूजा पाठ करने से शुभता आती है। नवरात्रि के पहले दिन अखंड ज्योति जरूर जलाएं। ऐसा करने से सुख समृद्धि आती है और तरक्की के योग बनने लगते हैं।
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कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा घायल, किसी ने नारियल फेंककर मारा, कथाएं रद्द

सीहोर। सीहोर से अंतर्राष्ट्रीय कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने मनासा सहित आगामी कथाएं निरस्त कर दी हैं. देशभर के श्रद्धालुओं के लिए सूचना भी जारी की गई है. जिले के आष्टा में महादेव की होली के दौरान रंग की जगह किसी ने नारियल फेंका, जिससे उन्हें सिर में चोट लगी है. ब्रेन में सूजन है. डॉक्टर ने आराम की सलाह दी है. इसका खुलासा खुद कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने किया है. महादेव की होली के दौरान के रंग की जगह लगा नारियल...
कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा के आह्वान पर नवाबी होली की परंपरा को बंद करते हुए 'महादेव की होली' की शुरुआत बीते दो साल से की जा रही है. जिले के आष्टा में 29 मार्च को कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा के सानिध्य में महादेव की होली खेली गई. इसी दौरान रंग की जगह फेंका गया नारियल उनके सिर में लगा. अब सिर में ब्रेन के अंदर सूजन है. डॉक्टरों ने आराम की सलाह दी.
इसके चलते पंडित प्रदीप मिश्रा ने मानसा सहित आगामी कथाओं को निरस्त करने का फैसला लिया है. वहीं, मनासा में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा है कि अगले साल फिर आएंगे. कथा करेंगे, जिसका पूरा खर्चा हमारी समिति उठाएंगी.
कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा के स्वास्थ्य के खराब होने की खबर मिलते ही देशभर के श्रद्धालु सहित कई लोगों ने उनकी अच्छी सेहत की कामना की है. सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्म्स पर तमाम लोग कुशलक्षेम जान रहे हैं.
अंतर्राष्ट्रीय कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा रुद्राक्ष महोत्सव और अपनी कथाओं के लिए देश-दुनिया में जाने जाते हैं. सीहोर के कुबेरेश्वर धाम में हर साल रुद्राक्ष महोत्सव आयोजित किया जाता है. इसके साथ ही रुद्राक्ष का वितरण कुबेरेश्वर धाम में कराया जाता है जिसमें लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं.
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10 मई को मनाई जाएगी अक्षय तृतीया

  • इन अनुष्ठानों को करने से होता है पापों का नाश
हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया पर्व को बहुत शुभ माना जाता है। पौराणिक मान्यता है कि इसी दिन भगवान परशुराम का जन्म हुआ था। एक धार्मिक मान्यता ये भी है कि अक्षय तृतीया तिथि पर ही त्रेता युग और सतयुग की शुरुआत हुई थी। यही कारण है कि कृत युगादि तृतीया भी कहा जाता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, अक्षय तृतीया पर्व हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, इस तिथि को अक्षय तृतीया इसलिए कहा जाता है क्योंकि इन तिथि को किए गए पुण्य कर्मों का कभी नाश नहीं होता है। साथ ही मांगलिक कार्य करने के लिए किसी शुभ मुहूर्त की भी जरूरत नहीं होती है। अक्षय तृतीया पर दान-पुण्य, पूजा-पाठ, जप-तप और शुभ कर्म करने पर मिलने वाला फलों में कमी नहीं होती है।
अक्षय तृतीया पर पूजा का शुभ मुहूर्त-
हिंदू पंचांग के अनुसार, अक्षय तृतीया इस साल 10 मई, शुक्रवार को मनाई जाएगी। तृतीया तिथि की शुरुआत 10 मई को सुबह 4.17 बजे होगी और इस तिथि का समापन 11 मई 2024 को सुबह 02.50 बजे होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, 10 मई को ही अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाना उचित होगा। इस दिन देवी लक्ष्मी और जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 5.48 बजे से लेकर दोपहर 12.23 बजे तक रहेगा।
अक्षय तृतीया का महत्व-
हिंदू धर्म शास्त्रों के मुताबिक, अक्षय तृतीया तिथि को स्वयं सिद्ध अबूझ मुहूर्त बताया गया है। इस दिन मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, सोने-चांदी के आभूषण खरीदने के साथ घर, भूखंड या वाहन आदि खरीदना शुभ होता है।

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'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'

 

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सोमवती अमावस्या पर महिलाएं करें ये उपाय

  • अखंड सौभाग्य का मिलेगा आशीर्वाद
हिंदू मान्यताओं के अनुसार अमावस्या तिथि पर स्नान और दान करना बहुत शुभ माना जाता है। सोमवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसे में हमारे साथ शेयर करें अप्रैल में सोमवती अमावस्या के कुछ खास उपाय जो आपके वैवाहिक जीवन को खुशहाल बना देंगे।
चैत्र माह की अमावस्या तिथि 8 अप्रैल को सुबह 3:21 बजे शुरू हो रही है। इसके अलावा यह तिथि 8 अप्रैल को 23:50 बजे समाप्त हो रही है। ऐसे में चैत्र मास की अमावस्या 8 अप्रैल, सोमवार को मनाई जाएगी। चूँकि यह अमावस्या तिथि सोमवार के दिन पड़ती है इसलिए इसे सोमवती अमावस्या भी कहा जाता है।
सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करना शुभ माना जाता है। इस दिन सुबह स्नान के बाद पीपल के पेड़ पर गंगा जल चढ़ाएं। फिर कच्चा सूत लें और उसे पीपल के पेड़ के चारों ओर 108 बार लपेटें। ऐसा माना जाता है कि यह उपाय पुरुषों की दीर्घायु को बढ़ावा देता है।
हिंदू धर्म में सोमवार का दिन भगवान शिव के लिए पवित्र माना जाता है। ऐसे में विवाहित महिलाओं को सोमवती अमावस्या के दिन कच्चे दूध से शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए। साथ ही माता पार्वती को सुहाग सामग्री भी अर्पित करें। इस तरह आप निरंतर खुशियों का आशीर्वाद पा सकते हैं।
सोमवती अमावस्या को शिव-पार्वती की विशेष पूजा का स्थान माना जाता है। ऐसे में इस दिन सोमवती व्रत रखें और भगवान शिव और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा करें। ऐसा माना जाता है कि इस दिन व्रत करने से विवाहित महिलाओं को अनंत सुख की प्राप्ति होती है। इससे पारिवारिक जीवन में भी खुशहाली आती है।
ऐसे में अगर पति-पत्नी के बीच अक्सर झगड़े होते रहते हैं तो सोमवती अमावस्या के दिन गाय को पांच प्रकार के फल खिलाएं। इसके बाद श्रीहरि मंत्र का जाप करते हुए तुलसी की 108 बार परिक्रमा करें। इससे पारिवारिक जीवन की परेशानियां दूर हो सकती हैं।
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आज शीतला अष्टमी, इस विधि से करें माता की पूजा

सनातन धर्म में कई सारे पर्व मनाए जाते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन शीतला अष्टमी को खास माना गया है जो कि चैत्र मास में पड़ता है यह तिथि माता शीतला की साधना आराधना को समर्पित होती है। इस दिन भक्त देवी मां की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं माना जाता है कि ऐसा करने से देवी की असीम कृपा प्राप्त होती हैं। पंचांग के अनुसार शीतला अष्टमी का व्रत हर साल चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी पर किया जाता है।
इस बार यह व्रत आज यानी 2 अप्रैल दिन मंगलवार को किया जा रहा है। शीतला अष्टमी का व्रत होली के आठ दिन बाद मनाया जाता है माता शीतला देवी पार्वती का ही एक स्वरूप हैं। मां शीतला को आरोग्य की देवी माना गया है इनकी साधना भक्तों को निरोगी रहने का आशीर्वाद प्रदान करती है ऐसे में आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा शीतला अष्टमी की पूजा विधि के बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते हैं शीतला अष्टमी पर माता की पूजा विधि।
शीतला अष्टमी पूजन विधि-
आपको बता दें कि शीतला अष्टमी के दिन ठंडे पानी से स्नान करके साफ वस्त्रों को धारण करें फिर पूजा की थाली तैयार करें। पूजा की थाली में दही, पुआ, रोटी, बाजरा, सप्तमी को बने मीठे चावल, नमक पारे और मठरी रखें। वही दूसरी थाली में आटे से बना दीपक, रोली, वस्त्र, अक्षत, मौली, होली वाले बड़कुले की माला, सिक्के और मेहंदी रखें और साथ में ठंडे पानी का लौटा भी रख दें। इसके बाद देवी शीतला की प्रतिमा पर जल अर्पित करें देवी को चढ़ाया जल थोड़ा रख लें पूजा के बाद इसे आंखों पर लगाएं। इससे आरोग्य मिलता है।
अब नीम के पेड़ पर जल अर्पित कर देवी को कुमकुम, हल्दी, मेहंदी, अक्षत, कलावा अर्पित करें बासी हलवा, पूड़ी, बाजरे की रोटी, पुए, राबड़ी आदि का भोग अर्पित करें। इसके बाद घी का दीपक बिना जलाएं ही देवी के समक्ष रख दें। शीतला अष्टमी व्रत कथा का पाठ करें। शीतलाष्टक स्तोत्र भी पढ़ें। इसके बाद हल्दी को गिलाकर हाथ में लगाएं और इसे प्रवेश द्वार व रसोई की दीवार पर छापे दें। फि इस बार कुमकुम और चावल लगाए। इस दिन माता को लगा भोग ही परिवार के साथ प्रसाद के तौर पर ग्रहण करें।
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सोमवती अमावस्या पर इस विधि से करें शिव की पूजा

  • जीवन सदैव रहेगा खुशहाल
नई दिल्ली। चैत्र माह में पड़ने वाली अमावस्या का बहुत महत्व है. इस बार चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या 8 अप्रैल को है। सोमवार के दिन पड़ने के कारण इसे सोनवती अमावस्या कहा जाता है। इस दिन भगवान महादेव और माता पार्वती की विशेष पूजा और व्रत का विधान है। हम अपने पूर्वजों का भी तर्पण करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इससे पितरों को प्रसन्नता और आशीर्वाद मिलता है। सोनवती कहा जाता है कि अमावस्या के दिन भगवान शिव के साथ देवी पार्वती की विधिपूर्वक पूजा करने से साधक को आनंद और शांति की प्राप्ति होती है और भक्त को अखंड सुख, आनंद और पितृ आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह एक धार्मिक मान्यता है. कृपया मुझे बताएं कि सोनवती अमावस्या के अवसर पर भगवान महादेव की पूजा करना कितना फलदायी है।
सोनवती अमावस्या 2024 एक सुखद समय है।
पंचांग समाचार पत्र के अनुसार, चैत्र कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 8 अप्रैल को सुबह 3:21 बजे शुरू होती है और उसी दिन रात 11:50 बजे समाप्त होती है। इसी क्रम में 8 अप्रैल को सोनवती अमावस्या मनाई जाएगी।
सोनवती अमावस्या 2024 पूजा विधि-
सुनवती अमावस्या ब्रह्म मुहूर्त में उठें और भगवान शिव का ध्यान करके अपने दिन की शुरुआत करें। इसके बाद गंगा जल से स्नान करें। अगर संभव हो तो इस दिन पवित्र जलधारा में स्नान करें। फिर सूर्य देव को जल अर्पित किया जाता है। इसके बाद दीपक जलाकर भगवान शिव और माता पार्वती की विधिपूर्वक पूजा करें। फिर भगवान की आरती करें और विशेष मंत्रों का जाप करें। मैं इस दौरान आपके सुख, शांति, कल्याण और सफलता की कामना करता हूं। इस अवसर पर पिंडु दान भी किया जाता है। उसके बाद, वे भगवान शिव को कुछ विशेष चढ़ाते हैं और अंत में लोगों को उपभोग के लिए प्रसाद वितरित करते हैं।
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काशी विश्वनाथ में एक दिन में पहुंचे 6 लाख से भी अधिक श्रद्धालु

  • आंकड़े ने नया रिकॉर्ड स्थापित किया
वाराणसी। काशी विश्वनाथ दर्शन करने रविवार को 6 लाख से भी अधिक श्रद्धालु पहुंचे। इस आंकड़े ने नया रिकॉर्ड स्थापित कर दिया है। खास बात यह है कि गैर-त्योहार के मौके पर पहली बार इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालु काशी विश्वनाथ के दर्शन करने पहुंचे।
इससे पहले, मार्च में 95 लाख से अधिक श्रद्धालु काशी विश्वनाथ के दर्शन करने पहुंचे थे। काशी विश्वनाथ धाम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) विद्या भूषण मिश्रा ने कहा, "31 मार्च को 6,36,975 लाख श्रद्धालु काशी विश्वनाथ दर्शन करने पहुंचे। किसी गैर-त्योहार के मौके पर पहुंचने वाले क्षद्धालुओं की यह अब तक की सबसे बड़ी संख्या है।" उनके मुताबिक, इस साल मार्च महीने की तुलना में पिछले साल मार्च में करीब 37,11,060 श्रद्धालुओं ने काशी विश्वनाथ धाम के दर्शन किए थे।
सीईओ ने कहा, "अगर हम त्योहार के लिहाज से देखें तो इससे पहले अगस्त महीने में 95,62,206 श्रद्धालु काशी विश्वनाथ का दर्शन करने पहुंचे। पूरे मार्च में 95,63,432 श्रद्धालु मंदिर दर्शन करने पहुंचे।" उन्होंने कहा, "24 घंटे के दरम्यान 18 मार्च को काशी विश्वनाथ के दर्शन करने 5,03,024 लाख से भी अधिक श्रद्धालु पहुंचे। 31 जनवरी के बाद सामान्य दिनों के दौरान औसत फुटफॉल प्रति दिन 1.5 लाख से ऊपर हो गया है।"
मंदिर पदाधिकारियों के मुताबिक, पुनर्निर्मित काशी विश्वनाथ धाम के खुलने से पहले मंदिर में प्रति दिन औसतन 20,000 लोग आते थे और महा शिवरात्रि जैसे विशेष अवसरों पर यहां 2.5 लाख से अधिक भक्त आते थे।
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कल से शीतला अष्टमी, जानिए...पूजन का शुभ मुहूर्त

  • पढ़ें ये आरती...
सनातन धर्म में कई सारे पर्व मनाए जाते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन शीतला अष्टमी को बेहद ही खास माना जाता है जो कि होली के सात दिन बार मनाई जाती है इसे बसौड़ा के नाम से भी जाना जाता है इस दिन मां शीतला की पूजा अर्चना का विधान होता है साथ ही इस दिन देवी को बासी भोजन का भोग लगाया जाता है।
पंचांग के अनुसार शीतला अष्टमी का व्रत हर साल चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर मनाया जाता है इस बार यह पर्व 2 अप्रैल दिन मंगलवार यानी की कल मनाया जाएगा। इस दिन मां शीतला की विधिवत पूजा करें और उनकी प्रिय आरती जरूर पढ़ें। तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं मां शीतला की संपूर्ण आरती पाठ।
शीतला अष्टमी पूजन का शुभ मुहूर्त-
हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल शीतला अष्टमी का व्रत 2 अप्रैल दिन मंगलवार यानी की कल किया जाएगा। शीतला अष्टमी को बसौड़ा के नाम से भी जाना जाता है 2 अप्रैल की सुबह 6 बजकर 10 मिनट से लेकर शाम को 6 बजकर 40 मिनट के बीच कभी भी माता शीतला की पूजा की जा सकती है।
माता शीतला की आरती-
ओम जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता,
आदि ज्योति महारानी सब फल की दाता. जय शीतला माता...
रतन सिंहासन शोभित, श्वेत छत्र भ्राता,
ऋद्धि-सिद्धि चंवर ढुलावें, जगमग छवि छाता. जय शीतला माता...
विष्णु सेवत ठाढ़े, सेवें शिव धाता,
वेद पुराण बरणत पार नहीं पाता. जय शीतला माता...
इन्द्र मृदंग बजावत चन्द्र वीणा हाथा,
सूरज ताल बजाते नारद मुनि गाता. जय शीतला माता...
घंटा शंख शहनाई बाजै मन भाता,
करै भक्त जन आरति लखि लखि हरहाता. जय शीतला माता...
ब्रह्म रूप वरदानी तुही तीन काल ज्ञाता,
भक्तन को सुख देनौ मातु पिता भ्राता. जय शीतला माता...
जो भी ध्यान लगावें प्रेम भक्ति लाता,
सकल मनोरथ पावे भवनिधि तर जाता. जय शीतला माता...
रोगन से जो पीड़ित कोई शरण तेरी आता,
कोढ़ी पावे निर्मल काया अन्ध नेत्र पाता. जय शीतला माता...
बांझ पुत्र को पावे दारिद कट जाता,
ताको भजै जो नाहीं सिर धुनि पछिताता. जय शीतला माता...
शीतल करती जननी तू ही है जग त्राता,
उत्पत्ति व्याधि विनाशत तू सब की घाता. जय शीतला माता...
दास विचित्र कर जोड़े सुन मेरी माता,
भक्ति आपनी दीजै और न कुछ भाता.
ओम जय शीतला माता....
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भगवान शिव की पूजा करने से घर में होगा सुख-समृद्धि का वास

  • सोमवार का दिन शिव पूजा के लिए श्रेष्ठ
सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी देवता की पूजा को समर्पित होता है वही सोमवार का दिन शिव पूजा के लिए श्रेष्ठ माना गया है इस दिन भक्त भगवान शिव की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं मान्यता है कि ऐसा करने से प्रभु की कृपा प्राप्त होती है।
लेकिन इसी के साथ ही अगर सोमवार के दिन शिव पूजन के समय शिवाष्टक स्तोत्र का पाठ भक्ति भाव से किया जाए तो घर में सुख समृद्धि का वास होता है और मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं ये चमत्कारी पाठ।
।।शिवाष्टक स्तोत्र।।
जय शिवशंकर, जय गंगाधर, करुणा-कर करतार हरे,
जय कैलाशी, जय अविनाशी, सुखराशि, सुख-सार हरे
जय शशि-शेखर, जय डमरू-धर जय-जय प्रेमागार हरे,
जय त्रिपुरारी, जय मदहारी, अमित अनन्त अपार हरे,
निर्गुण जय जय, सगुण अनामय, निराकार साकार हरे।
पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥
जय रामेश्वर, जय नागेश्वर वैद्यनाथ, केदार हरे,
मल्लिकार्जुन, सोमनाथ, जय, महाकाल ओंकार हरे,
त्र्यम्बकेश्वर, जय घुश्मेश्वर भीमेश्वर जगतार हरे,
काशी-पति, श्री विश्वनाथ जय मंगलमय अघहार हरे,
नील-कण्ठ जय, भूतनाथ जय, मृत्युंजय अविकार हरे।
पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥
जय महेश जय जय भवेश, जय आदिदेव महादेव विभो,
किस मुख से हे गुरातीत प्रभु! तव अपार गुण वर्णन हो,
जय भवकार, तारक, हारक पातक-दारक शिव शम्भो,
दीन दुःख हर सर्व सुखाकर, प्रेम सुधाधर दया करो,
पार लगा दो भव सागर से, बनकर कर्णाधार हरे।
पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥
जय मन भावन, जय अति पावन, शोक नशावन,
विपद विदारन, अधम उबारन, सत्य सनातन शिव शम्भो,
सहज वचन हर जलज नयनवर धवल-वरन-तन शिव शम्भो,
मदन-कदन-कर पाप हरन-हर, चरन-मनन, धन शिव शम्भो,
विवसन, विश्वरूप, प्रलयंकर, जग के मूलाधार हरे।
पार्वती पति हर-हर शम्भो, पाहि पाहि दातार हरे॥
भोलानाथ कृपालु दयामय, औढरदानी शिव योगी,
सरल हृदय, अतिकरुणा सागर, अकथ-कहानी शिव योगी,
निमिष में देते हैं, नवनिधि मन मानी शिव योगी,
भक्तों पर सर्वस्व लुटाकर, बने मसानी शिव योगी,
स्वयम्‌ अकिंचन, जनमनरंजन पर शिव परम उदार हरे।
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डोंगरगढ़ मंदिर में चैत्र नवरात्रि को लेकर गाइड लाइन जारी

  • चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल से प्रारंभ
डोंगरगढ़। चैत्र माह की नवरात्रि इस वर्ष 9 अप्रैल से शुरू हो रही है। 17 अप्रैल को रामनवमी के साथ ही महापर्व का समापन होगा। इस वर्ष चैत्र का प्रतिपदा 8 अप्रैल की देर रात शुरू हो रहा है। बता दें कि इसी कड़ी में डोंगरगढ़ मंदिर में मेले की तैयारी को लेकर प्रशासन ने बैठक ली है। इस बैठक में बम्लेश्वरी ट्रस्ट समिति और स्थानीय लोग भी बैठक में शामिल रहे। कलेक्टर संजय अग्रवाल ने नवरात्रि को लेकर निर्देश जारी किए हैं।
जानकारी के मुताबिक बता दें कि डोंगरगढ़ मेले की तैयारी को लेकर कलेक्टर संजय अग्रवाल ने विभागों के अधिकारी कर्मचारी को व्यवस्था बनाने के निर्देश दिए और दर्शनार्थियों की सुविधा के लिए लोगों से सुझाव लिए हैं। जैसा कि सभी जानते हैं नवरात्रि के 9 दिनों में मां के 9 रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। मां को प्रसन्न करने के लिए भक्त व्रत भी रखते हैं। हिंदू मान्यता के अनुसार, नवरात्र के दौरान मां दुर्गा की विशेष पूजा करने से साधक को सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही मां दुर्गा की आशीर्वाद प्राप्त होता है।

 

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मंदिर का ताला तोड़कर बेशकीमती शिवलिंग की मूर्ति चोरी

बिलासपुर। जिले के ओखर गांव में स्थित गतेश्वर नाथ मंदिर से शिवलिंग चोरी का मामल सामने आया है. बीती रात अज्ञात चोरों ने गांव के गतवा तालाब के पास स्थित व्हाइट संगमरमर पत्थर के शिवलिंग को चुरा लिया. मंदिर का ताला तोड़कर घुसे चोरों ने बेशकीमती मूर्ति की ही चोरी की है, दानपेटी को हाथ भी नहीं लगाया है. घटना को अंजाम देने के बाद अज्ञात चोर भाग निकले. घटना की जानकारी सुबह गांव के लोगों को हुई. जिसके बाद मामले की सूचना पुलिस को दी गई. पुलिस की टीम मामले की जांच कर रही है.
जानकारी के मुताबिक पचपेड़ी थाना क्षेत्र के ग्राम ओखर में बस्ती के अंदर स्थित गतवा तालाब है. जिसके तट में स्थित गतेश्वर महादेव के शिवलिंग को कोई अज्ञात व्यक्ति काले ग्रेनाइट की जलहरी में स्थित सफेद संगमरमर की शिवलिंग को चोरी कर ले गया. चोरों ने मंदिर का ताला तोड़कर घटना को अंजाम दिया. ग्रामीण ने जब सुबह नहा कर पूजा करने मंदिर पहुंचे, तब देखा की जलहरी के ऊपर का भाग शिवलिंग गायब है. ग्रामीणों ने इसकी सूचना पचपेड़ी पुलिस को दी. जिसके बाद पुलिस अफसर फॉरेंसिक और डॉग स्क्वायड टीम के साथ मौके पर पहुंचे. फिलहाल, जांच जारी है.
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9 अप्रैल से चैत्र नवरात्र की शुरूआत

  • मां मनका दाई मंदिर में भक्तों के बीच संवाद का अनोखा तरीका
जांजगीर। 9 अप्रैल से चैत्र नवरात्र की शुरूआत होने वाली है और माता के देवालयों में फिर भक्तों की भीड़ उम़ड़ने लगेगी। जांजगीर में स्थित मां मनका दाई मंदिर है जहां माता और भक्तों के बीच संवाद का अनोखा तरीका है। यहां भक्त माता से अपनी सीधी बात कहते हैं। माता भी भक्तों की फरियाद सुनती हैं और उनकी मनोकमाना पूरी करती है। बात अजीब है, पर सत्य है।
दरअसल, जांजगीर चांपा जिले के खोखरा में विराजित मां मनका दाई मंदिर के दिवालों पर हजारों की संख्या में भक्त अपनी बात व मनोकामना लिखकर माता से सीधे बात करते हैं। माता भी उनकी फरियाद को पूरी करती है, यही वजह है कि अब दिनों दिन दीवारों पर संदेशों की संख्या बढ़ती जा रही है। कोई भी, कैसी भी अर्जी हो भक्त इस मंदिर में आकर दीवारों पर लिखते हैं जो कि उनके मनोकामना बताने का तरीका भी अनोखा है। भक्तगण मुख्य मंदिर के दीवार पर अपनी प्रार्थना लिखते हैं। इसे माता और भक्तों के संवाद का तरीका मान सकते हैं।
शायद भक्तों को लगता है कि ऐसे दीवार में अपनी बात लिखने से मां मनका दाई तक वह बात पहुंचती है और पूर्ण फलिभूत होती है। भक्‍तों की कई समस्या, मांग और कामना होती है, वह मंदिर में माता के पास अपना दुखड़ा लेकर आते हैं। पूजा उपासना चड़ावे के साथ ही वे मां मनका से सीधे बात करना चाहते हैं।
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सोमवती अमावस्या 8 अप्रैल, जानिए...शुभ मुहूर्त

सनातन धर्म में पूर्णिमा और अमावस्या तिथि को बेहद ही खास माना गया है जो कि हर माह में एक बार आती है अभी चैत्र का महीना चल रहा है और इस माह पड़ने वाली अमावस्या चैत्र अमावस्या या फिर सोमवती अमावस्या के नाम से जानी जा रही है
सोमवती अमावस्या के दिन स्नान दान व पूजा पाठ का विशेष महत्व होता है मान्यता है कि जो लोग सोमवती अमावस्या के दिन सुबह उठकर पवित्र नदी में स्नान करते है उनको माता पार्वती और शिव का आशीर्वाद मिलता है इस दिन दान पुण्य करना भी अच्छा माना जाता है तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा बता रहे हैं कि इस साल सोमवती अमावस्या कब मनाई जाएगी तो आइए जानते है।
सोमवती अमावस्या की तारीख और मुहूर्त-
हर साल सोमवती अमावस्या चैत्र मास की अमावस्या तिथि पर पड़ती है इस साल चैत्र माह की अमावस्या तिथि 8 अप्रैल दिन सोमवार को है। सोमवती अमावस्या तिथि का आरंभ 8 अप्रैल को सुबह 8 बजकर 21 मिनट पर हो रहा है साथ ही इस तिथि का समापन उसी रात 11 बजकर 50 मिनट पर हो जाएगा। इसलिए सोमवती अमावस्या 8 अप्रैल दिन सोमवार को मनाई जाएगी।
पंचांग के अनुसार अमावस्या तिथि के दिन स्नान दान व पूजा पाठ का शुभ मुहूर्त 8 अप्रैल को सुबह 4 बजकर 32 मिनट से लेकर सुबह के 5 बजकर 18 मिनट तक है इस मुहूर्त में पवित्र नदी में स्नान करना शुभ रहता है क्योंकि इसी समय इंद्र योग और उत्तर भाद्रपद नक्षत्र है।
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शनिवार के दिन करें इन शक्तिशाली मंत्रों का करें जाप

सनातन धर्म में सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी देवता की पूजा अर्चना को समर्पित होता है वही शनिवार का दिन भगवान श्री शनिदेव की पूजा के लिए विशेष माना जाता है इस दिन भक्त भगवान शनिदेव की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं माना जाता है कि ऐसा करने से प्रभु की कृपा प्राप्त होती है
लेकिन इसी के साथ ही अगर शनिवार के दिन भक्ति भाव से शनि पूजा की जाए साथ ही शनिदेव के चमत्कारी मंत्रों का जाप किया जाए तो भगवान जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं इसके साथ ही शनि मंत्रों का जाप करने से असाध्य रोगों से छुटकारा मिलता है और नौकरी व कारोबार में उन्नति भी प्राप्त होती है तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं शनिदेव के शक्तिशाली मंत्र।
शनिदेव के चमत्कारी मंत्र-
1. शनि देव का बीज मंत्र
“ओम प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः
शनि देव के मंत्र जाप करने का सही विधि”
2. शनि आरोग्य मंत्र का जाप
“ध्वजिनी धामिनी चैव कंकाली कलहप्रिहा
कंकटी कलही चाउथ तुरंगी महिषी अजा”
“शनैर्नामानि पत्नीनामेतानि संजपन् पुमान्।
दुःखानि नाश्येन्नित्यं सौभाग्यमेधते सुखमं”
3. शनि दोष निवारण मंत्र
“ओम त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम
उर्वारुक मिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात”
“ओम शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये शंयोरभिश्रवन्तु नः
ओम शं शनैश्चराय नमः”
4. शनि गायत्री मंत्र का जाप
“ओम भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्”
5. शनि देव का महामंत्र
“ओम निलान्जन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम
छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम”
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