धर्म समाज

वास्तु के अनुसार घर के अंदर नहीं लगाने चाहिए ये पौधे

इन दिनों देशभर में इंडोर प्लाटिंग का काफी ज्यादा क्रेज है. कुछ लोग अपने घर को सजाने के लिए पौधे लगाते हैं तो कुछ वास्तु को ध्यान में रखते हुए घर में पौधे लगाना पसंद करते हैं. घर आंगन में पौधे लगाने से हरियाली बनी रहती है और सकारात्मक ऊर्जा (Positive Energy) का संचार होता है. पर क्या आप जानते हैं कि कुछ पौधे ऐसे भी होते हैं जो घर में तरक्की को रोकने का कारण बन जाते हैं. कई बार देखा गया है कि इंडोर प्लांट (Indoor Plants) की प्लाटिंग करने वाले लोग कोई भी पौधा लगा देते हैं. ऐसे में आज हम आपको बताएंगे उन पौधों के बारे में जिन्हें वास्तु (Vastu) के अनुसार नहीं लगाने की सलाह दी जाती है.
कांटेदार पौधे
घर में पौधों से हरियाली आती है और नेगेटिविटी कम होती है, लेकिन घर में कभी भी कांटेदार प्लांट्स ना लगाएं. घर में कांटेदार पौधे लगाना अशुभ माना गया है.
बोनसाई पौधे
बोनसाई पौधे लगाने का भी तेजी से चलन बढ़ रहा है. पर शायद आप नहीं जानते कि बोनसाई पौधे घर में प्रगति को रोकने का काम करते हैं.
मेहंदी और इमली का पेड़
वैसे तो मेहंदी किसी भी अच्छे काम में बहुत ही शुभ मानी जाती है, लेकिन मेहंदी के पौधे को घर के अंदर नहीं लगाने की सलाह दी जाती है.
सूखा हुआ पौधा
घर में अंदर कोई भी पौधा अगर सूख गया हो तो उसे तुरंत हटा देना चाहिए. घर में सूखे पौधे रखना शुभ नहीं माना जाता.
और भी

प्रदोष व्रत रविवार 5 मई को, जानिए...शुभ मुहूर्त

सनातन धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व होता है लेकिन शिव साधना को समर्पित प्रदोष व्रत बेहद ही खास माना गया है जो कि हर माह में पड़ता है इस दिन भक्त भगवान भोलेनाथ की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं माना जाता है कि ऐसा करने से प्रभु का आशीर्वाद मिलता है पंचांग के अनुसार अभी वैशाख का महीना चल रहा है और इस माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत किया जाएगा। जो कि 5 मई दिन रविवार को पड़ रहा है रविवार के दिन प्रदोष पड़ने के कारण ही इसे ​रवि प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है इस दिन पूजा पाठ और व्रत करने से आरोग्य जीवन का आशीर्वाद प्राप्त होता है साथ ही आय, आयु और सौभाग्य में वृद्धि होती है। प्रदोष व्रत पर भगवान शिव के साथ माता पार्वती की विधिवत पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और वैवाहिक जीवन में भी मधुरता आती है जानिए प्रदोष व्रत पूजा का मुहूर्त।
रवि प्रदोष पूजा मुहूर्त-
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार प्रदोष व्रत पर शिव साधना प्रदोष काल में करना शुभ माना जाता है, प्रदोष काल सूर्यास्त के 1 घंटे से पहले और एक घंटे बाद तक का समय होता है माना जाता है कि इस मुहूर्त में अगर प्रदोष व्रत के दिन शिव पार्वती की विधिवत पूजा की जाएं तो जीवन की सारी परेशानियां दूर हो जाती है और सुख समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है इस शुभ दिन पर भक्त भगवान को प्रसन्न करने के लिए उनकी विधिवत पूजा की भी करते हैं और भक्ति में लीन रहते हैं।
और भी

वरुथिनी एकादशी पर करें तुलसी के ये उपाय, दूर होगी आर्थिक तंगी

हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित है। वैशाख मास में पड़ने वाली एकादशी तिथि को वरुथिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है, जो भक्त इस कठिन व्रत का पालन करते हैं उन्हें सुख-शांति का वरदान मिलता है। इसके अलावा देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
इस साल यह एकादशी 4 मई, 2024 दिन शनिवार को मनाई जाएगी। वहीं, अगर इस शुभ तिथि पर तुलसी के कुछ उपाय कर लिए जाए, तो बहुत सारे कष्टों से छुटकारा मिलता है।
एकादशी तिथि पर तुलसी से करें यह काम-
एकादशी के दिन अगर आप भगवान विष्णु की पूजा कर रहे हैं, तो उनकी पूजा और भोग में तुलसी दल का उपयोग जरूर करें। कहा जाता है कि इससे श्री हरि उस भोग को तुरंत स्वीकार करते हैं। साथ ही जीवन की सभी मुश्किलों से छुटकारा मिलता है। हालांकि इस दिन तुलसी पत्र नहीं तोड़ना चाहिए, इसलिए एक दिन पहले तुलसी पत्र तोड़कर रख लें।
एकादशी पर करें मां तुलसी की पूजा-
वरुथिनी एकादशी पर प्रात: उठकर स्नान करें और पवित्र वस्त्र धारण करें। इसके बाद तुलसी पर जल चढ़ाएं। उसके समक्ष घी का दीया जलाएं। फिर फूल, मिठाई और फल आदि चीजें अर्पित करें। देवी के वैदिक मंत्रों का जाप करें। अंत में भाव के साथ आरती करें। इस उपाय को करने घर की आर्थिक तंगी दूर होती है।
एकादशी के दिन घर में करें तुलसी जल का छिड़काव-
वरुथिनी एकादशी पर गंगाजल में तुलसी दल डाल लें। इसके बाद उसे भगवान विष्णु को अर्पित कर दें। फिर उस जल को पूरे घर पर छिड़कें। इस उपाय को करने से घर की सारी नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है। साथ ही घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इसके अलावा रोग-दोष से मुक्ति मिलती है।
और भी

शिव पर चढ़े जल से करें ये उपाय, सुख-समृद्धि का होगा आगमन

नई दिल्ली। शिव पुराण में बताया गया है कि शिवलिंग पर जल चढ़ाने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। बहुत से लोगों को संदेह होता है कि शिवलिंग पर चढ़ाए गए जल का क्या किया जाए। आइये जानते हैं शिव पुराण इस विषय पर क्या कहता है।
शिवलिंग पर चढ़ाया गया जल चरणामृत माना जाता है। ऐसे में आप इस जल को प्रसाद के रूप में ग्रहण कर सकते हैं। इसके अलावा शिव पुराण के 22 अध्यायों के 18 श्लोकों में यह वर्णित है कि शिवलिंग का जल पीने से व्यक्ति कई प्रकार के रोगों से मुक्त हो जाता है।
यह काम करो-
शिवलिंग पर चढ़ाए गए जल को कभी भी फेंकना नहीं चाहिए। यह जल अत्यंत पवित्र माना जाता है। -शिवलिंग पर जल चढ़ाने के बाद सबसे पहले अपनी उंगलियों से जल को सोख लें, फिर इसे आंखों पर लगाएं और फिर गर्दन और माथे पर लगाएं। माना जाता है कि इस तरह से व्यक्ति कई तरह के ग्रह दोषों को दूर कर सकता है।
इसे ध्यान में रखो-
याद रखें कि आपको हमेशा उत्तर दिशा की ओर मुख करके ही शिवलिंग पर जल चढ़ाना चाहिए। शिवलिंग का जल पीते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जल किसी के पैर पर न गिरे। साथ ही इस पानी को पीते समय आपको शिवलिंग को भी नहीं छूना चाहिए। अन्यथा, आपको सभी लाभ नहीं मिलेंगे.
और भी

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बनारस में काल भैरव के किए दर्शन

वाराणसी। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने गुरुवार को काशी के कोतवाल कहे जाने वाले काल भैरव के दर्शन किए और पीएम मोदी की जीत का आशीर्वाद मांगा। बुधवार को पीएम मोदी के चुनाव कार्यालय उद्घाटन के लिए अमित शाह काशी पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने एक जनसभा को संबोधित किया था। एयरपोर्ट निकलने से पहले गृहमंत्री अमित शाह ने काशी के कोतवाल बाबा काल भैरव के दर्शन किए। शाह तकरीबन दो मिनट तक मंदिर में रहे और फिर बाहर निकले।
इस दौरान जय श्रीराम, मोदी-योगी जिंदाबाद, अमित शाह जिंदाबाद के नारे भी लगे। बाहर निकलने पर केंद्रीय मंत्री ने हाथ उठाकर स्थानीय लोगों का अभिवादन किया। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का काशी विश्वनाथ धाम जाने का कार्यक्रम तय था, लेकिन अंतिम समय में रद्द कर दिया गया। बताया जा रहा है कि उनकी कोई जनसभा थी, इस कारण उन्होंने अपना दर्शन कार्यक्रम रद्द कर दिया।
इसके पहले अमित शाह ने गुरुवार सुबह ताज होटल में काशी के कुछ प्रबुद्धजनों से मुलाकात की, चुनाव में बड़ी जीत सुनिश्चित करने के लिए सुझाव मांगे, काशी के विकास कार्यों पर उनकी राय जानी। समीक्षा के दौरान उन्होंने चुनाव में कोई कमी न रह जाए इसके संदेश भी दिया।
और भी

मीन राशि में विराजित हुए मंगलदेव

  • जानिए...12 राशियों पर क्या होगा असर
उज्जैन। ज्योतिष शास्त्र में पद, प्रतिष्ठा व पराक्रम के कारक माने जाने वाले मंगल ग्रह चैत्र पूर्णिमा पर मंगलवार के दिन सुबह 8.40 बजे पर मीन राशि में प्रवेश कर चुके हैं। उज्जैन मंगल ग्रह का जन्म स्थान है, ऐसे में मंगलवार के दिन मंगल ग्रह का राशि परिवर्तन अनुकूल माना जा रहा है। मंगल के राशि परिवर्तन का असर 12 राशियों पर भी पड़ेगा। कुछ राशि के जातकों को आशातीत सफलता मिलेगी। ज्योतिषाचार्य पं.अमर डब्बावाला के अनुसार, मंगल का मीन राशि में परिभ्रमण 1 जून तक रहेगा। इस दौरान करीब सवा महीने का समय कई सकारात्मक परिवर्तन लेकर आएगा। भू अभिलेख अधिनियम में परिवर्तन की संभावना भी नजर आ रही है। बहुत से मामले में शासन प्रशासन के हस्तक्षेप से परिवर्तन दिखाई देंगे। कहीं-कहीं अग्नि से जुड़ी घटनाएं हो सकती हैं, उसके लिए सावधानी रखने की आवश्यकता है।
ग्रह गोचर की गणना से मंगल मीन राशि में प्रवेश कर रहे हैं। मंगल दक्षिण दिशा का अधिपति है और मीन राशि पूर्व दिशा का प्रतिनिधित्व करती है। इस दृष्टि से मंगल के राशि परिवर्तन का सर्वाधिक असर दक्षिण पूर्व दिशा में अलग-अलग प्रकार से देखने को मिलेगा। राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन भी होंगे।
इन राशियों पर ऐसा रहेगा परिवर्तन का प्रभाव-
मेष : भूमि, भवन पर व्यय होगा, लीगल प्रावधानों पर ध्यान दें।
वृषभ : आर्थिक प्रगति होगी, प्रयास करें सफलता अवश्य मिलेगी।
मिथुन : नया व्यवसाय आरंभ हो सकता है, योजना पर ध्यान दें।
कर्क : मित्रों का सहयोग मिलेगा, सोच विचार कर ही निर्णय लें।
सिंह : सावधानी रखने का समय, सलाह के बाद निर्णय लें।
कन्या : सहयोग से रुका कार्य पूर्ण होगा, वाणी पर नियंत्रण रखें।
तुला : कुछ लोगों के कारण अस्थिरता हो सकती है ध्यान रखें।
वृश्चिक : नए मित्र अच्छा सुझाव दे सकते हैं, गंभीरता से सोचें।
धनु : संपत्ति की प्राप्ति का योग है, प्रयास करें सफलता मिलेगी।
मकर : तनाव की स्थिति कम होगी, फिर भी अधिक सोचने से बचें।
कुंभ : राहत का अनुभव करेंगे, फिर भी जल्दबाजी में निर्णय नहीं लें।
मीन : आय के नए स्तोत्रों से भाग्य आजमाइश कर सकते हैं।

डिसक्लेमर
'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'
और भी

वरुथिनी एकादशी पर करें विष्णु जी की पूजा, मिलते हैं कई लाभ

महीने में दो बार एकादशी का व्रत रखा जाता है, पहली शुक्ल पक्ष की और दूसरी कृष्ण पक्ष की एकादशी। यह दिन भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए सबसे उत्तम दिन माना जाता है। एकादशी के अधिकतम और सबसे तेज़ प्रभाव से लाभ उठाने के लिए कुछ नियमों का पालन करना महत्वपूर्ण है। यहां एकादशी के दिन ध्यान रखने योग्य कुछ बातें दी गई हैं।
वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 3 मई को रात 11:24 बजे से शुरू हो रही है। यह तिथि 4 मई को रात्रि 8:38 बजे समाप्त होगी। ऐसे में उदय तिथि ने बताया कि वर्तिनी एकादशी 4 मई, शनिवार को मनाई जाएगी।
एकादशी का व्रत करने से साधक को भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उसके धन में वृद्धि होती है। साथ ही व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं और अच्छे फल की प्राप्ति होती है। यह भी माना जाता है कि वार्थिनी एकादशी का व्रत करने से साधक को मृत्यु के बाद मुक्ति मिल जाती है।
खाने के नियम-
एकादशी व्रत के दौरान आप एक प्रकार का अनाज, आलू, नारियल और शकरकंद खा सकते हैं। हालाँकि, इस दिन मांस, शराब, लहसुन, प्याज आदि जैसे तामसिक पदार्थों का सेवन करने से बचें। इसके अलावा, एकादशी के दिन चावल का सेवन भी वर्जित है। -एकादशी व्रत के दौरान टेबल नमक का प्रयोग न करें। वैकल्पिक रूप से आप सेंधा नमक का भी उपयोग कर सकते हैं।
ये बातें जरूर याद रखें-
इस दिन तुलसी में जल न डालें और न ही उसके पत्ते तोड़ें। माना जाता है कि माता तुलसी भगवान विष्णु के लिए एकादशी का व्रत भी करती हैं। साथ ही इस दिन आपको बाल भी नहीं धोने चाहिए और न ही काटने चाहिए। एकादशी व्रत करते समय व्यक्ति को अपने स्वभाव पर भी ध्यान देना चाहिए। इस दिन किसी पर क्रोध न करें और सभी से प्यार से बात करें। इस दिन पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन भी किया जाता है।
और भी

शादी के बाद महिलाएं क्यों पहनती हैं बिछिया

  • जानिए...इसका धार्मिक महत्व
विवाह के बाद मांग में सिंदूर, मंगलसूत्र, माथे की बिंदी, चूड़ियां और पांव में बिछिया पहन कर एक विवाहित महिला की सुंदरता में चार चांद लग जाते हैं. शादी के बाद पांव में चांदी की बिछिया पहनना जरूरी होता है. देखा जाए तो इसका धार्मिक महत्व होने के साथ कुछ साइंटिफिक महत्व भी है. चलिए जानते हैं कि महिलाएं बिछिया क्यों पहनी जाती है और इसके क्या लाभ हैं.
सनातन धर्म में कहा गया है कि विवाहित महिलाओं को पांव की उंगलियों में बिछिया पहनना काफी लाभकारी होता है. ऐसा करने पर विवाहित जीवन में सुख और शांति आती है. पैर की दूसरी और तीसरी उंगली में पहनी गई बिछिया एक तरफ जहां पति पत्नी के दांपत्य जीवन को सुखमय करती है. वहीं इससे मां लक्ष्मी भी प्रसन्न होती है. पांव में बिछिया पहनने से जीवन में नकारात्मकता कम होती है और पारिवारिक सुख बढ़ता है. कहते हैं कि बिछिया चांदी की ही पहननी चाहिए. चांदी चंद्रमा का कारक माना गया है और इसे पहनने से शरीर का तापमान भी नियंत्रित रहता है और ग्रहों की बाधा भी दूर होती है. इसे धारण करने से मन शांत रहता है और क्रोध हावी नहीं होता है.
बिछिया पहनने के साइंटिफिक कारण-
बिछिया का धार्मिक महत्व तो है ही, साथ ही इसे पहनने से शारीरिक और मानसिक लाभ भी होते हैं. हेल्थ एक्सपर्ट कहते हैं कि बिछिया पहनने से महिलाओं में थायराइड की आशंका कम होती है. चूंकि चांदी ठंडी प्रकृति की होती है, इसलिए इसे धारण करने पर शरीर की गर्मी और ज्यादा तापमान से छुटकारा मिलता है. चूंकि पैरों की तीन उंगलियां (जिनमें बिछिया पहनी जाती है) महिलाओं के गर्भाशय और दिल से जुड़ी होती हैं, इसलिए इन उंगलियों में बिछिया पहनने से प्रजनन क्षमता बढ़ती है और गर्भधारण करने में दिक्कत नहीं आती है. बिछिया पहनने से महिलाओं का हार्मोन सिस्टम दुरुस्त रहता है जिससे उनका स्वास्थ्य सही रहता है. बिछिया एक एक्यूप्रेशर ट्रीटमेंट की तरह भी काम करती है जिससे शरीर के निचले अंगों और मांसपेशियों की हेल्थ दुरुस्त रहती है.
और भी

इस विधि से करें भगवान गणेश जी की पूजा

  • जीवन में होगा सुख शांति का आगमन
सनातन धर्म में बुधवार का दिन भगवान शिव के पुत्र भगवान गणेश को समर्पित है. इस दिन गणपति बापा की विशेष पूजा होती है। इसलिए जीवन में सुख और शांति प्राप्त करने के लिए व्रत रखा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान गणेश की पूजा और व्रत करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और भगवान प्रसन्न होते हैं।
भगवान गणेश की पूजा कैसे करें-
बुधवार की सुबह उठकर देवी-देवता का स्मरण कर दिन की शुरुआत करें। इसके बाद स्नान कर साफ कपड़े पहन लें। इसके बाद मंदिर को गंगा जल छिड़क कर साफ और शुद्ध किया जाता है। इसके बाद मेज पर पीला या लाल कपड़ा बिछाकर उस पर भगवान विराजमान होते हैं। अब उन्हें फूल और घास दें. देसी दीपक जलाएं और आरती करें. इसके बाद गणेश चालीसा और मंत्र का जाप करें. अंत में, मैं आपके सुख, समृद्धि और समृद्धि की कामना करता हूं। प्रभु को कुछ विशेष दें। लोगों को प्रसाद बांटें. इस दिन अपने वक्फ का पालन करें और गरीबों को भोजन, कपड़े आदि का दान करें। पूजा के दौरान इन मंत्रों का जाप करें:
गणेश गायत्री मंत्र-
ॐ एकदन्ताय विद्महे, वक्रतुण्डाय दिमाहि, तनु दंति प्रच्युदयत्।
ॐ महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय दिमहि, तन्नो दंति प्रचोदयात्।
ॐ गजाननै विद्महे, वक्रतोंदाय दिमहि, तनु दंति प्रच्युदयत्।
गणेश बिज मंत्र
ॐ गं गणपतयै नमु नमः।
और भी

शादी से पहले दूल्हा-दुल्हन को क्यों लगाई जाती है हल्दी

  • जानिए...इसकी वजह
सनातन धर्म में शादी के दौरान कई रस्में निभाई जाती हैं। सभी अनुष्ठानों का विशेष अर्थ होता है। ऐसी ही एक रस्म है हल्दी रस्म। इस रस्म में शादी से पहले दूल्हा-दुल्हन को हल्दी लगाई जाती है। हल्दी में कई औषधीय गुण होते हैं और इसके इस्तेमाल से आपकी त्वचा में चमक आती है। इससे दूल्हा-दुल्हन का रूप भी निखरता है। आइए आपको बताते हैं कि शादी से पहले दूल्हा-दुल्हन को हल्दी क्यों लगाई जाती है।
भगवान विष्णु को जगत का पालनहार कहा जाता है। सभी शुभ एवं मांगलिक कार्यों में भगवान की पूजा अवश्य की जाती है। श्रीहरि की पूजा में हल्दी का विशेष महत्व है। आख़िरकार यही कारण है कि शादी से पहले दूल्हा-दुल्हन द्वारा हल्दी का इस्तेमाल शुभ माना जाता है। हल्दी को सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। हल्दी का प्रयोग दूल्हा-दुल्हन को बुरी नजर से बचाने के लिए किया जाता है।
हल्दी के उपयोग का महत्व-
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बृहस्पति को विवाह और वैवाहिक संबंधों का कारक ग्रह माना जाता है। इसी वजह से शादी से पहले दूल्हा-दुल्हन को हल्दी लगाने से वैवाहिक जीवन हमेशा खुशहाल बना रहता है। इसके अलावा हल्दी नकारात्मक ऊर्जा को भी बरकरार रखती है। हल्दी की शुभता और उसका रंग दंपत्ति के जीवन में समृद्धि लाता है।
वैज्ञानिक कारण-
हल्दी सेहत के लिए अच्छी होती है. इसमें एंटीसेप्टिक और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं। इसलिए हल्दी का सेवन करने से संक्रमण नहीं होता है और रंगत भी निखरती है। थकान भी दूर हो जाती है.
और भी

वरुथिनी एकादशी और मोहिनी एकादशी कब, जानें तिथि और शुभ मुहूर्त

सनातन धर्म में एकादशी की तिथि का अधिक महत्व है. एकदशी का व्रत महीने में दो बार रखा जाता है। यह तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है। मान्यता है कि एकादशी के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने से भक्त पर भगवान की कृपा बनी रहती है, जिससे जीवन में सुख-समृद्धि भी आती है. कुछ ही दिनों में मई आ जाएगी. ऐसे में आइए जानते हैं मई में कब और कौन सी एकादशी है.
पंचांग के अनुसार वरुतिनी एकादशी तिथि 3 मई को रात 11:24 बजे शुरू होगी और 4 मई को रात 8:38 बजे समाप्त होगी. ऐसे में वरुतिनी एकादशी व्रत 4 मई को रखा जाएगा.
पंचांग के अनुसार मोहिनी एकादशी तिथि 18 मई को सुबह 11:22 बजे शुरू होगी और 19 मई को दोपहर 1:50 बजे समाप्त होगी. ऐसे में मोहिनी एकादशी का व्रत 19 मई को रखा जाएगा.
एकादशी व्रत का अर्थ-
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एकादशी व्रत रखने का विशेष महत्व होता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक को भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है। ऐसा कहा जाता है कि विधिपूर्वक एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति की आर्थिक स्थिति बेहतर हो जाती है। साथ ही घर में सुख-शांति बनी रहती है।
और भी

इस शुभ मुहूर्त में करें पवन पुत्र की पूजा, जानें विधि

भगवान राम और सीता के प्रति अपनी अटूट भक्ति रखने वाले हनुमान जी का हर साल चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि को जन्मोत्सव मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार, इस साल 23 अप्रैल, 2024 यानी आज हनुमान जी का जन्मोत्सव है। अंजना और केसरी के पुत्र हनुमान जी को वानर देवता, बजरंगबली और वायु देव भी कहा जाता है। हनुमान जी को अंजनेय भी कहा जाता है। हनुमान को उनकी अपार शक्ति और ताकत के लिए पूजा जाता है। हनुमान को विभिन्न नामों से जाना जाता है जिनमें मारुति नंदन, बजरंगबली, पवन पुत्र, वीर हनुमान, सुंदर और संकट मोचन, जो अपने भक्तों के सभी संकटों को दूर करते हैं।
हनुमान जंयती 2024 शुभ मुहूर्त-
हनुमान जयंती की पूर्णिमा तिथि 23 अप्रैल 2024 यानी आज सुबह 3:25 मिनट से शुरू हो चुकी है और तिथि का समापन 24 अप्रैल 2024 यानी कल सुबह 5:18 मिनट पर होगा। ज्योतिषियों की मानें तो, हनुमान जयंती की पूजा अभिजीत मुहूर्त में करना सबसे शुभ माना जाता है। अभिजीत मुहूर्त आज सुबह 11:53 मिनट से लेकर दोपहर 12:46 मिनट तक रहेगा।
पूजन मुहूर्त-
हनुमान जयंती का पहला मुहूर्त- आज सुबह 4:20 मिनट से लेकर सुबह 5:04 मिनट तक रहेगा।
दूसरा मुहूर्त- सुबह 9:03 मिनट से लेकर सुबह 10:41 मिनट तक रहेगा।
तीसरा मुहूर्त रात में होगा- रात 8:14 मिनट से लेकर रात 9:35 मिनट तक रहेगा।
शुभ योग-
चित्रा नक्षत्र- चित्रा नक्षत्र 22 अप्रैल 2024 यानी कल रात 8 बजे शुरू हो चुका है और समापन 23 अप्रैल 2024 यानी आज रात 10:32 मिनट पर होगा।
वज्र योग- वज्र योग 23 अप्रैल 2024 आज सुबह 4:29 मिनट पर शुरू होगा और समापन 24 अप्रैल 2024 यानी कल सुबह 4:57 मिनट पर होगा।
पूजन विधि-
उत्तर पूर्व दिशा में चौकी पर लाल कपड़ा रखें। फिर उसके बाद हनुमान जी के साथ श्रीराम के चित्र की स्थापना करें, साथ ही हनुमान जी को लाल और श्रीराम को पीले फूल चढ़ाएं। हनुमान जी को लड्डुओं का भोग लगाएं और तुलसी भी अर्पित करें।
ऐसे करें हनुमान जी की पूजा-
पहले श्रीराम के मंत्र 'ऊं राम रामाय नम:' का जाप करें, फिर हनुमान जी के मंत्र 'ऊं हं हनुमते नम:' का जाप करें।
और भी

हनुमान जयंती पर बजरंगबली के सवरूप में महाकाल ने धारण किया अति मनमोहक रूप

उज्जैन। आज महाकाल मंदिर में होने वाली सभी आरतियों में पवनपुत्र हनुमान की उपस्थिति बाबा महाकालेश्वर के श्रंगार में दिखाई दी। दरअसल महाकाल मंदिर के पुजारी राम गुरु ने इस खास उत्सव की जानकारी दी कि महाकालेश्वर मंदिर में सभी महत्वपूर्ण त्योहार धूमधाम से मनाए जाते हैं, जैसे कि रामनवमी पर भगवान महाकाल को राम रूप में सजाया गया और कृष्ण जन्माष्टमी पर वे श्रीकृष्ण के रूप में दर्शन देते हैं। इसलिए, आज हनुमान जयंती पर भगवान महाकाल को बजरंगबली के रूप में सजाया गया।
आज हनुमान जयंती के अवसर पर मंगलवार को महाकाल मंदिर में एक विशेष भस्म आरती का आयोजन किया गया। इस आरती में, भगवान महाकाल को पवन पुत्र हनुमान के स्वरूप में सजाया गया, जिसमें मावा, ड्राई फूड, चंदन, केसर, आदि का उपयोग किया गया। इसके बाद, एक भव्य भस्म आरती का आयोजन किया गया, दरअसल महाकालेश्वर मंदिर में प्राचीन काल से हनुमान जयंती पर भगवान महाकाल पवन पुत्र हनुमान के रूप में दर्शन देते हैं।
आज हनुमान जयंती के पावन अवसर पर भक्तों की भारी भीड़ महाकाल मंदिर में दिखाई दी। दरअसल इस दौरान भक्तों का तांता भगवान महाकाल के हनुमान स्वरुप को देखने के लिए लगा। महाकालेश्वर मंदिर की भस्म आरती के दर्शन करने से भगवान शिव और पवन पुत्र हनुमान का एक साथ आशीर्वाद भक्तो को मिला है।
दरअसल आपको बता दें कि महाकालेश्वर मंदिर में यह विशेष संयोग अत्यंत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। वहीं इस दौरान मंदिर के पुजारी का कहना है कि ‘भस्म आरती के साथ ही सुबह की भोग आरती, प्रातकालीन आरती, संध्याकालीन आरती एवं रात्रि होने से पहले होने वाली शयन आरती में भी बाबा महाकाल का हनुमान जी के रूप में श्रंगार किया जाता है।
और भी

मुख्यमंत्री निवास में हनुमान जयंती पर CM विष्णुदेव साय ने की पूजा-अर्चना

रायपुर। आज प्रभु श्रीराम के अनन्य भक्त केसरीनंदन भगवान हनुमान जी की जयंती के उपलक्ष्य में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने सपरिवार मुख्यमंत्री निवास में पूजा-अर्चना कर प्रदेश वासियों के लिए मंगल कामना की।
श्री सालासर बालाजी धाम में मनाया गया हनुमान जन्मोत्सव-
पूरे देश में आज हनुमान जन्मोत्सव की धूम है। देश के हनुमान मंदिरों में सुबह से भक्तों की भीड़ लगी हुई है। इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में स्थित श्री सालासर बालाजी धाम में भी भव्य रूप से हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाता है। सालासर बालाजी मंदिर में आज सुबह से लेकर शाम तक कई अलग-अलग कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है।
आज के कार्यक्रमों में सबसे पहले सुबह 10 बजे सालासर बालाजी भगवान का दुग्धाभिषेक किया जाएगा। इसके बाद भगवान को सवामणी भोग लगाया जाएगा। इसके बाद आज 11 बजे से भजन गंगा का आयोजन होगा। इसके बाद दोपहर 3.30 बजे से सालासर बालाजी में सुंदरकांड का पाठ होगा। इसके बाद शाम 7 बजे भजन संध्या का आयोजन किया जाएगा।
और भी

श्री सालासर बालाजी धाम में मनाया गया हनुमान जन्मोत्सव

रायपुर। पूरे देश में आज हनुमान जन्मोत्सव की धूम है। देश के हनुमान मंदिरों में सुबह से भक्तों की भीड़ लगी हुई है। इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में स्थित श्री सालासर बालाजी धाम में भी भव्य रूप से हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाता है। सालासर बालाजी मंदिर में आज सुबह से लेकर शाम तक कई अलग-अलग कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है।
आज के कार्यक्रमों में सबसे पहले सुबह 10 बजे सालासर बालाजी भगवान का दुग्धाभिषेक किया जाएगा। इसके बाद भगवान को सवामणी भोग लगाया जाएगा। इसके बाद आज 11 बजे से भजन गंगा का आयोजन होगा। इसके बाद दोपहर 3.30 बजे से सालासर बालाजी में सुंदरकांड का पाठ होगा। इसके बाद शाम 7 बजे भजन संध्या का आयोजन किया जाएगा।
और भी

कब से शुरू है वैशाख 2024, वैशाख माह में करें इन मंत्रों का जाप

हिंदू नववर्ष के पहले महीने चैत्र की समाप्ति के साथ ही दूसरा महीना वैशेख शुरू हो जाता है. इस माह को धार्मिक दृष्टि से भी विशेष माह माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन का सीधा संबंध विशाखा नक्षत्र से है और इसलिए इस माह को वैशाख माह के नाम से जाना जाता है। श्री हरि विष्णु जी और परशुराम जी की पूजा को समर्पित। पुराणों के अनुसार इस माह में स्नान और दान करने से सभी प्रकार की चिंताएं दूर हो जाती हैं। तो कृपया हमें बताएं कि यह कब शुरू होगा और इस दौरान हमें क्या करना है। क्या आपको इसकी जरूरत है?
वैशाख 2024 कब प्रारंभ होगा?-
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, वैशाख माह की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि 24 अप्रैल, बुधवार को सुबह 5:18 बजे शुरू हो रही है। यह तिथि पूरी रात तक रहती है। यह भी 23 मई को समाप्त हो रहा है। चूंकि प्रतिपदा वैशेख कृष्ण पक्ष का दिन 24 अप्रैल है, इसलिए मैं आपको यह भी बताना चाहूंगा कि वैशेख माह भी इसी दिन शुरू होता है।
वैशेषिक मास में दान करें।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, वैशाख माह में लोगों को जल का पात्र, वस्त्र, आम, जलपात्र, सातो, पादुकाएं, पवनरोधक, छत्र व्यवस्था, भोजन और फल आदि वस्तुओं का दान करना चाहिए। ऐसा करना बहुत उपयोगी माना जाता है. यह जीवन में आनंद प्रदान करता है और अनंत फल प्राप्त करना संभव बनाता है। वैशाख माह में गरीबों की मदद करनी चाहिए।
वैशाख माह में इन मंत्रों का जाप करें-
ॐ माधवाय नमः
ॐ फ़्रेम श्री लक्ष्मीवासोदेभाई नमः। इस मंत्र का जाप करने से आपकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
ॐ शुद्ध कृष्ण नमः। इस मंत्र का जाप करने से संतान प्राप्ति की संभावना बढ़ जाती है।
“ओम नमो नारायणाय” इस मंत्र का जाप करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी।
और भी

सोमवार के दिन करें शिव स्तुति का पाठ, मिलेगा भौतिक सुखों का वरदान

शास्त्रों में भगवान शिव की पूजा को बहुत शुभ माना गया है। देवों के देव देव की आराधना से आप जो चाहें वह आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। सोमवार के दिन भोलेनाथ की पूजा करने की परंपरा है। ऐसा माना जाता है कि सच्ची भावना से पूजा करने पर भगवान शिव जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं।
ऐसे में अगर आप भगवान शिव की कृपा पाना चाहते हैं तो आपको सुबह पवित्र स्नान करने के बाद विधि-विधान से उनकी पूजा करनी चाहिए। इसके बाद उनकी स्तुति, भजन और आरती करनी चाहिए। ऐसा करने से महादेव के साथ-साथ माता पार्वती का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है।
शिव की जय
आशुतोष शशांक शेखर,
चंद्र मौली चिदम्बरा,
शम्भू को बहुत सम्मान,
दिगंबर को हार्दिक सम्मान.
निर्भय ओंकार अविनाशी है,
आप दिव्य देव हैं
संसार के रचयिता, संहारक,
शिवम् सत्यम् सुन्दरः।
निरंकार स्वरूप कालेश्वर,
महा योगीश्वर,
दयानिधि दानिश्वर जय,
जटाधर अभयंकर।
शूल पाणि त्रिशूल धारी,
औघड़ी बाघंबरी,
जय महेश त्रिलोचनाई,
विश्वनाथ विशंभरा.
नट नागेश्वर हरो हर,
पाप, सर्प, शाप है तुझ पर,
महादेव बड़े भोले हैं,
सदैव शिव, शिव बलवान।
सांसारिक पति के प्रति समर्पण,
क्या मैं सदैव आपके चरणों में पड़ा रह सकता हूँ,
सारे पाप क्षमा हो जाते हैं
जय जयति जगदीश्वरा।
जीवन की दुनिया का जन्म,
सारा क्रोध और द्वेष दूर हो गया,
ओम नमः शिवाय, दोस्त,
पंचाक्षर का जाप जारी रखें.
आशुतोष शशांक शेखर,
चंद्र मौली चिदम्बरा,
शम्भू को बहुत सम्मान,
दिगंबर को हार्दिक सम्मान.
दिगंबर को हार्दिक सम्मान.
दिगंबर को हार्दिक सम्मान.
दिगंबर को हार्दिक सम्मान.
भगवान शिव की आरती.
जय शिव ओमकारा, स्वामी ओम जय शिव ओमकारा।
ब्रह्मा विष्णु सदैव शिव की अर्ध-आंशिक धारा हैं। ॐ जय शिव...॥
एकानं चतुरानन पंचानन राजे।
बैलगाड़ी से सजा हंसानान गरुड़ासन। ॐ जय शिव...॥
यानी दो पन्ने, चार वर्ग, दस पन्ने.
त्रिगुण रूपनिरहता त्रिभुवन जन मोहे॥ ॐ जय शिव...॥
अक्षमाला बनमाला रूण्डमाला धारी।
चंदन मृगमद सोहै भले शशिधारी॥ ॐ जय शिव...॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे। ॐ जय शिव...॥
और भी

हनुमान जयंती पर करें हनुमान कथा का पाठ, दुखों का होगा निवारण

  • हनुमान जी का जन्मदिन साल में दो बार क्यों मनाया जाता है? जानिए...
नई दिल्ली। देशभर में हनुमान जयंती का त्योहार बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. हनुमान जयंती वर्ष में दो बार मनाई जाती है। पहला चैत्र माह में, दूसरा कार्तिक माह में। इस बार हनुमान जयंती चैत्र माह में 23 अप्रैल को होगी। हनुमान जयंती के दिन बजरंगबली की विशेष पूजा होती है। इसके अलावा व्रत जीवन की चिंताओं से मुक्ति दिलाने का भी काम करता है। अगर आप भी भगवान हनुमान जी की कृपा पाना चाहते हैं तो इस दिन व्रत रखें और पूजा के दौरान इस कथा का पाठ करें। मान्यता है कि इस कथा को पढ़ने से साधक के जीवन में सुख और शांति आती है। जल्दी से हनुमान जयंती की कथा सुनाइये.
हनुमान जयंती, एक संक्षिप्त इतिहास-
पौराणिक कथा के अनुसार अंजना एक अप्सरा थी। उनका जन्म सृष्टि के श्राप के कारण हुआ था। तभी उनका श्राप हटाया जा सका। जब वह बच्चे को जन्म देती है. भगवान हनुमान के संकट मोचन के पिता श्री केसरी थे। सुमेरु का राजा कौन था? अंजना ने संतान प्राप्ति के लिए 12 वर्षों तक भगवान महादेव की कठोर तपस्या की। इसके बाद उन्होंने हनुमान जी को जन्म दिया। भगवान हनुमान जी को भगवान शिव का अवतार माना जाता है।
हनुमान जयंती 2024 शुभ मुहूर्त-
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, इस वर्ष की चैत्र शुक्ल पूर्णिमा तिथि 23 अप्रैल 2024, मंगलवार को सुबह 3:25 बजे शुरू होगी। हालाँकि, यह बुधवार, 24 अप्रैल 2024 को सुबह 5:18 बजे समाप्त होगा। उदय तिथि को ध्यान में रखते हुए इस बार हनुमान जयंती 23 अप्रैल को मनाई जाएगी.
हनुमान जी का जन्मदिन साल में दो बार क्यों मनाया जाता है?-
हनुमान जन्मोत्सव का दिन अत्यंत भक्ति और सम्मान का प्रतीक है. यह साल में दो बार मनाया जाता है। धर्मग्रंथों के अनुसार, एक बार भूखे बालक हनुमान को कुछ खाने की इच्छा हुई और उन्होंने सूर्य देव को फल समझकर निगल लिया। जब भगवान इंद्र ने उनसे सूर्य देव को अपने मुंह से हटाने के लिए कहा, तो हनुमान ने निम्नलिखित कारणों से इनकार कर दिया, इससे भगवान इंद्र क्रोधित हो गए और उन्होंने हनुमानजी पर बिजली गिराकर उन्हें बेहोश कर दिया। जब पाउंडदेव ने यह दृश्य देखा तो वह क्रोधित हो गये और उन्होंने विश्व भर से वायु का प्रवाह रोक दिया। इसके बाद, भगवान ब्रह्मा और अन्य देवताओं ने अंजनी के पुत्र को दूसरा जीवन दिया और उन्हें अपनी दिव्य शक्तियों से भी संपन्न किया। यह घटना चैत्र मास की पूर्णिमा के दिन घटी और तभी से इस दिन को हनुमान जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है।
इसी दिन अंजनी के पुत्र का जन्म हुआ था।
पौराणिक कथाओं के अनुसार वीर हनुमान का जन्म कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन माता अंजनी के गर्भ से हुआ था। कहा जाता है कि उनके जन्म के समय अनेक शुभ घटनाएँ घटीं जिन्हें अत्यंत दुर्लभ माना गया।
और भी
Previous123456789...9798Next

Jhutha Sach News

news in hindi

news india

news live

news today

today breaking news

latest news

Aaj ki taaza khabar

Jhootha Sach
Jhootha Sach News
Breaking news
Jhutha Sach news raipur in Chhattisgarh