दुनिया-जगत

चीन समर्थक प्रत्याशियों को मिली भारी जीत, चुनाव की रिपोर्ट देने बीजिंग पहुंचीं कैरी लैम

हांगकांग की नेता और चीन समर्थक कैरी लैम बुधवार को बीजिंग में शीर्ष नेताओं के साथ बैठक कर रही हैं ताकि उन्हें नए कानूनों के तहत हुए क्षेत्र के पहले विधायी चुनावों की रिपोर्ट दी जा सके. यह नया कानून यह सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया था कि सत्तारूढ़ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के प्रति वफादार 'देशभक्त' ही उम्मीदवार के तौर पर चुनावों में खड़े हो पाएं. उम्मीद के मुताबिक, 90 सीटों वाली विधान परिषद के लिए रविवार के चुनाव में पार्टी समर्थित नेताओं ने जीत हासिल कीं.

इन्होंने नरमपंथियों और निर्दलीय उम्मीदवारों की घटती संख्या को मात दी है. लोकतंत्र समर्थक विपक्ष में प्रमुख हस्तियों को चुप करा दिया गया है, जेल में डाल दिया गया है या निर्वासन में रहने पर मजबूर किया गया है  केवल 20 सीटों पर सीधे चुनाव हुआ, जबकि 40 को बीजिंग द्वारा नियुक्त समिति के सदस्यों द्वारा भरा गया, जो क्षेत्र के मुख्य कार्यकारी का चयन करती है. लैम ने 30.2 प्रतिशत मतदान के बावजूद कहा कि वह चुनाव से संतुष्ट हैं.

अब तक का सबसे कम मतदान
यह 1997 में ब्रिटेन द्वारा हांगकांग को चीन को सौंपे जाने के बाद से सबसे कम मतदान है. नामांकित होने से पहले सभी उम्मीदवारों को बड़े पैमाने पर बीजिंग समर्थक समिति द्वारा जांचा गया था और अतीत में बयानों या कार्यों के आधार पर कई को अयोग्य घोषित कर दिया गया था . हांगकांग में चीन की बढ़ती पकड़ के चलते लोगों का विरोध बढ़ रहा है. जिसके चलते यहां भारी विरोध प्रदर्शन भी देखने को मिले हैं. लोगों का कहना है कि देश में लोकतंत्र खत्म हो रहा है.

चीन की पकड़ होगी मजबूत
हांगकांग की विधायिका के लिए हुए चुनाव में चीन समर्थक प्रत्याशियों ने भारी जीत दर्ज की है. जिससे पता चलता है कि अब चीन यहां अपनी पकड़ और मजबूत करेगा विपक्षी खेमे ने चुनाव की आलोचना की है. सबसे बड़े लोकंतत्र समर्थक दल डेमोक्रेटिक पार्टी ने 1997 के बाद पहली बार अपने एक भी उम्मीदवार को चुनावी मैदान में नहीं उतारा. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा कि मतदान प्रतिशत कम रहने के कई कारण रहे. झाओ ने प्रेस वार्ता के दौरान कहा, 'इसकी वजह केवल महामारी नहीं है, बल्कि हांगकांग में चीन विरोधी ताकतों की तरफ से पैदा की गई बाधा और बाहरी शक्तियां भी जिम्मेदार हैं |
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राष्ट्रपति जो बाइडेन अमेरिका वासियों से टीका लेने की करेंगे अपील

अमेरिका राष्ट्रपति जो बाइडेन क्रिसमस से महज कुछ दिन पहले अमेरिकावासियों से कोरोना वायरस का टीका लेने की अपील करेंगे ताकि ओमीक्रोन स्वरूप की लहर से सुरक्षा प्रदान की जा सके। बाइडेन की मंगलवार दोपहर होने वाली बहस से पहले व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने सोमवार को मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि राष्ट्रपति की लॉकडाउन लगाने की कोई योजना नहीं है, इसके बजाय वह लोगों को टीकाकरण के लिए प्रोत्साहित करना चाहते हैं, और कोई अर्हता रखता है तो बूस्टर खुराक ले। साकी ने संवाददातााओं से कहा, ‘‘यह भाषण देश में लॉकडाउन के लिए नहीं होगा। यह भाषण टीकाकरण के फायदे को लेकर होगा।’बाइडेन के शीर्ष चिकित्सा सलाहकार डॉ.एंथनी फाउची ने कहा कि इस सप्ताहांत राष्ट्रपति चेतावनी देंगे कि बिना टीकाकरण के अमेरिकियों के ‘‘शर्दियों के दिन कैसे होंगे।’’

 
 
 
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हेलेन मिरेन, जिम ब्रॉडबेंट अभिनीत फिल्म द ड्यूक 25 मार्च को होगी रिलीज

ब्रिटिश फिल्म निर्माता रोजर मिशेल की अंतिम फिल्म 'द ड्यूक' 25 मार्च, 2022 को सिनेमाघरों में पहुंचेगी। फिल्म, जिसमें जिम ब्रॉडबेंट और हेलेन मिरेन हैं, वर्तमान में लॉस एंजिल्स में लेमले रॉयल में प्रदर्शनी में हैं।डेडलाइन की रिपोर्ट के अनुसार, रिचर्ड बीन और क्लाइव कोलमैन की पटकथा वाली फिल्म अगले कुछ हफ्तों में अन्य क्षेत्रों में विस्तार करने से पहले न्यूयॉर्क और लॉस एंजिल्स के सिनेमाघरों में खुलेगी।1961 में सेट, 'द ड्यूक' सच्ची घटनाओं से प्रेरित है और यह 60 वर्षीय टैक्सी ड्राइवर केम्पटन बंटन की कहानी कहता है, जिसने नेशनल से स्पेनिश कलाकार फ्रांसिस्को गोया द्वारा चित्रित ड्यूक ऑफ वेलिंगटन का चित्र चुरा लिया था। लंदन में गैलरी, जो इसे गैलरी के इतिहास में चोरी का एकमात्र मामला बनाती है। केम्पटन ने फिरौती के नोट भेजे जिसमें उन्होंने कहा कि वह सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली बुजुर्गों को मुफ्त टेलीविजन सेवाओं की शर्त पर पेंटिंग वापस कर देंगे। फिल्म का निर्माण निकी बेंथम द्वारा किया गया है और कैमरून मैकक्रैकन, जेनी बोर्गर्स, एंड्रिया स्कार्सो, ह्यूगो हेपेल, पीटर स्कार्फ और क्रिस्टोफर बंटन कार्यकारी निर्माता के रूप में काम कर रहे हैं।
 
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फ्रांस के रक्षा मंत्री ने जरूरत पड़ी तो भारत को अतिरिक्त राफेल देने को तैयार

फ्रांस की रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पार्ले ने शुक्रवार को कहा कि उनका देश भारत को आवाश्यकता पड़ने पर अतिरिक्त राफेल युद्धक विमान देने को तैयार है। उन्होंने इसके साथ ही कहा कि एक ही तरह का विमान रणनीतिक साझेदारों द्वारा उपयोग करना उनके संबंधों की ''वास्तविक परिसंपत्ति और मजबूती' को दिखाता है। भारत की यात्रा पर आईं पार्ले ने यह टिप्पणी अपने भारतीय समकक्ष राजनाथ सिंह से विस्तृत मुद्दों पर होने वाली वार्ता से पहले थिंकटैंक में की। फ्रांसीसी दूतावास ने गुरुवार को जानकारी दी थी कि कोविड-19 महामारी के बावजूद भारत को निर्धारित समय पर 33 राफेल लड़ाकू विमानों की आपूर्ति की जा चुकी है। भारत ने सितंबर 2016 में फ्रांस के साथ करीब 59 हजार करोड़ रुपये में 36 राफेल लड़ाकू विमानों के लिए अंतर सरकारी स्तर पर समझौता किया था।

कोविड के बावजूद हमने वक्त से डिलीवर किया
पार्ले ने एक सवाल के जवाब में कहा, ''मैं खुश हूं कि भारतीय वायुसेना राफेल विमानों से संतुष्ट है और हमें गर्व है कि कोविड-19 महामारी के बावजूद हमने करार के तहत समय पर 36 विमानों की आपूर्ति की...यह उपलब्धि है।'' उन्होंने कहा, ''एक ही तरह के विमान का उपयोग करना वास्तविक परिसंपत्ति और ताकत है। मैं निश्चिंत हूं कि नयी संभावनाओं की गुंजाइश है। यदि भारत की अतिरिक्त आवश्यकता व्यक्त की गयी तो हम उसका जवाब देने को तैयार हैं।''

भारत 36 और राफेल खरीदेगा?
फ्रांसीसी रक्षामंत्री ने भारतीय नौसेना के बेड़े में दूसरे विमानवाहक पोत के शामिल करने की योजना को रेखांकित करते हुए संकेत दिया कि फ्रांस की पोत आधारित लड़ाकू जेट की आपूर्ति करने में रुचि है। उन्होंने कहा, ''हम जानते है कि विमानवाहक पोत जल्द सेवा में होगा...उसके लिए विमानों की जरूरत होगी। अगर भारत फैसला करता है तो हम कोई और राफेल (संस्करण) देने को तैयार हैं। गौरतलब है कि भारत के स्वदेश में निर्मित पहले विमान वाहक पोत विक्रांत को अगले साल अगस्त में भारतीय नौसना में शामिल करने की योजना है। फ्रांसीसी कंपनी दसाल्ट एविएशन द्वारा निर्मित राफेल विमानों की पहली खेप की आपूर्ति भारत को पिछले साल 29 जुलाई को की गई थी। माना जा रहा है कि फ्रांस भारत के साथ 36 और राफेल विमानों की खरीददारी के लिए वार्ता की इच्छा जता रहा है।
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फूड डिलीवरी कंपनी ने पहली बार अंतरिक्ष में पहुंचाया खाना

फूड डिलीवरी करने वाली कंपनी उबर ईट्स ने धरती के साथ-साथ अंतरिक्ष (Space) में भी खाना पहुंचाकर इतिहास रच दिया है. वो ऐसा करने वाली पहली कंपनी बन गई है. इसका एक वीडियो भी उबर ईट्स ने जारी किया है, जिसमें इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में खाने की डिलीवरी दिखाई गई है. वैसे इसे इतिहास की सबसे ज्यादा महंगी फूड डिलीवरी भी कहा जा सकता है.

9 घंटे की यात्रा के बाद पहुंचा खाना
जापानी अरबपति युसाकु मेजावा ने उबर ईट्स की तरफ से ये फूड डिलीवरी की है. उन्होंने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में अंतरिक्ष यात्रियों तक खाना पहुंचाया. 11 दिसंबर को करीब 9 घंटे की रॉकेट यात्रा के बाद मेजावा ISS पहुंचे थे. मेजावा अपने साथ कंपनी का एक बैग ले गए थे, जिसमें 8 दिसंबर को अंतरिक्ष यात्रियों के लिए विशेष रूप से तैयार डिब्बा बंद खाना था. उनकी यात्रा अभी खत्म नहीं हुई है, वो करीब 12 दिन ISS में बिताएंगे.

अंतरिक्ष यात्रियों ने कहा - Thank You
उबर ईट्स की ओर से जारी वीडियो में देखा जा सकता है कि सभी यात्री अपना काम कर रहे हैं, तभी मेजावा दरवाजा खोलते हैं और फूड पैकेट को अंतरिक्ष यात्रियों की ओर उछालते हैं. ISS में गुरुत्वाकर्षण नहीं होता, जिस वजह से पैकेट उड़ते हुए यात्रियों तक पहुंचता है. फूड की डिलीवरी पर खुशी जाहिर करते हुए एक अंतरिक्ष यात्री ने कहा, 'अरे उबर ईट्स, धन्यवाद'.

कंपनी ने अपने बयान में बताया कि फूड पैकेट में मीठी चटनी में पका हुआ मीट था. ये तय मानकों के साथ बनाया गया था, ताकि अंतरिक्ष यात्री उसे खा सकें. उबर सीईओ ने कहा कि कंपनी का लक्ष्य हर जगह डिलीवरी करने का है, जो टारगेट अब पूरा हुआ. गौरतलब है कि जापानी अरबपति युसाकु मेजावा ने हाल ही में इंटरनेशनल स्‍पेस स्‍टेशन (ISS) से पृथ्वी का टाइम लैप्स वीडियो +ट्विटर पर शेयर किया था |
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कोविड संक्रमण को रोकने के लिए वैज्ञानिकों ने विकसित किया मालिक्यूल

विज्ञानियों ने एक ऐसा मालिक्यूल विकसित किया है, जो सार्स सीओवी-2 वायरस की सतह से जुड़कर उसे मानव कोशिकाओं में प्रवेश करने से रोकता है और कोविड का प्रसार नहीं होने देता। डेनमार्क स्थित आरहूस यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पाया कि मालिक्यूल (अणु) का निर्माण उस एंटीबाडी से आसान व किफायती है, जिसका इस्तेमाल फिलहाल रैपिड एंटीजन टेस्ट व कोविड के इलाज में किया जा रहा है।

पीएनएएस नामक पत्रिका में मंगलवार को प्रकाशित अध्ययन में इस मालिक्यूल (अणु) के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है। यह यौगिकों की एक श्रेणी से संबंधित है, जिसे आरएनए एप्टैमर्स कहा जाता और उसी प्रकार के बिल्डिंग ब्लाक्स पर आधारित है, जिनका इस्तेमाल एमआरएनए वैक्सीन के निर्माण के लिए किया गया है। 

एप्टैमर, आनुवंशिक सामग्री डीएनए या आरएनए का टुकड़ा और तीन आयामों (3डी) में मुड़ा हुआ एक संरचना होता है। वह विशेष लक्षित मालिक्यूल की पहचान करता है। आरएनए एप्टैमर वायरस की सतह से जुड़कर उसके स्पाइक प्रोटीन को मानव कोशिकाओं में प्रवेश करने से रोक देता है।आरहूस यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर व अध्ययन के मुख्य लेखक जार्गन जेम्स के अनुसार, 'रैपिड टेस्ट में हमने नए एप्टैमर का परीक्षण शुरू किया है। उम्मीद है कि हम वायरस की बहुत कम सांद्रता का भी पता लगा सकेंगे।'

 
 
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अमेरिकी कांग्रेस के सदस्यों ने की बाइडन और दलाई लामा के बीच बैठक की अपील

अमेरिकी कांग्रेस के सदस्यों ने राष्ट्रपति जो बाइडन और तिब्बती आध्यात्मिक धर्मगुरु दलाई लामा के बीच बैठक की अपील की है। उनका कहना है कि तिब्बत को लेकर अमेरिकी कानूनों को पूरी तरह से लागू किया जाना चाहिए और तिब्बत को चीन का हिस्सा कहने की प्रथा खत्म हो जानी चाहिए। अमेरिकी कांग्रेस के 60 से ज्यादा सदस्यों ने इस पर सहमति जताते हुए सीनेट में यह बात कही है। अंडर सेक्रेटरी आफ स्टेट उजरा जेया को लिखे गए पत्र से यह स्पष्ट है कि कांग्रेस अब तिब्बत के मसले पर ध्यान केंद्रित कर रही है। एक ऐतिहासिक रूप से स्वतंत्र देश जिस पर चीनी सरकार ने 60 से अधिक वर्षों से क्रूरता से कब्जा किया हुआ है। विदेश विभाग में तिब्बती मुद्दों के लिए विशेष समन्वयक के रूप में जेया की नियुक्ति जल्द ही होने की उम्मीद है।

तिब्बत के लिए अभियान चलाने वाले समूहों के पत्र में लिखा गया है, ये पत्र तिब्बत में चीन के उत्पीड़न को संबोधित करने के लिए अगले विशेष समन्वयक के लिए एक महत्वपूर्ण ढांचा प्रदान करते हैं। साथ ही यह स्पष्ट करते हैं कि कांग्रेस को उम्मीद है कि बाइडन प्रशासन तिब्बती लोगों का समर्थन करने के लिए जल्द और सार्थक रूप से कार्य करेगा।जेया वर्तमान समय में नागरिक सुरक्षा, लोकतंत्र और मानवाधिकारों के लिए राज्य के अंदर सेक्रेटरी के तौर पर काम करती हैं। बता दें कि साल 2002 के तिब्बती नीति अधिनियम में स्पेशल कोआर्डिनेटर की नियुक्ति अनिवार्य है। पत्र में प्रशासन से दलाई लामा और केंद्रीय तिब्बती प्रशासन से जुड़ने की अपील की गई है। इसके अलावा दलाई लामा के उत्तराधिकारी को लेकर चीन की दखलअंदाजी के विरोध की भी मांग की गई है।बता दें कि चीनी सरकार 86 वर्षीय दलाई लामा के लिए अपना उत्तराधिकारी नियुक्त करने की योजना बना रही है। वहीं, 2020 की तिब्बती नीति और समर्थन अधिनियम में कहा गया है कि सिर्फ दलाई लामा और तिब्बती बौद्ध समुदाय ही उनके उत्तराधिकार पर फैसला कर सकता है।
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ओमिक्रॉन के चलते नॉर्वे में लॉकडाउन

भारत सहित दुनियाभर में कोरोना का खतरा मंडरा रहा है। ब्रिटेन में तेजी से फैल रहे कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन से पहली मौत हुई। इसी बीच नॉर्वे सरकार ने अपने देश में आंशिक रूप से लॉकडाउन लगा दिया है। वहीं, भारत के पड़ोसी देश चीन और पाकिस्तान में भी ओमिक्रॉन के केस सामने आए हैंं।
एजेंसी के अनुसार, यूनाइटेड किंगडम में 27 नवंबर को पहले ओमिक्रॉन मामले का पता चला था। प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने सख्त प्रतिबंध लगा दिए हैं। (12 दिसंबर) को उन्होंने कहा कि देश में तीसरी लहर की आशंका है। ब्रिटेन का कहना है कि अगर कार्रवाई नहीं की गई तो महीने के अंत तक ओमिक्रॉन से दस लाख लोग संक्रमित हो सकते हैं।
एजेंसी के अनुसार ओमिक्रॉन के संक्रमण के चलते नॉर्वे में आंशिक रूप से लॉकडाउन लगा दिया गया है। नॉर्वे के प्रधानमंत्री ने कहा कि ओमिक्रॉन संक्रमण के कारण सख्ती बरते जाने की जरूरत है। यहां बार, रेस्तरां, जिम बंद कर दिए गए हैं। सख्त कोविड-19 के नियम लागू किए गए हैं। आशंका है कि जनवरी में नए मामले प्रति दिन 300,000 तक पहुंच सकते हैं।
प्रधानमंत्री जोनास गहर स्टोएरे ने कहा कि नॉर्वे प्रतिबंधों को और कड़ा करेगा। कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वैरिएंट पर काबू पाने के लिए वैक्सीनेशन तेज किया जाएगा। यहां जिम और स्विमिंग पूल बंद करने और स्कूलों में सख्त नियमों के अलावा अन्य चीजों पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है। प्रधानमंत्री ने एक प्रेस कान्फ्रेंस में कहा कि कई लोगों के लिए यह एक तालाबंदी जैसा लगेगा। लोगों के जीवन और उनकी आजीविका के लिए सख्ती बरतना बेहद जरूरी है।
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मेटल डिटेक्टरिस्ट ने खोज निकाली हजार साल पुरानी सोने की बाली

कोपेनहेगेन। डेनमार्क के बोवलिंग के पास मेटल डिटेक्टरिस्ट को एक हजार साल पुरानी सोने की बाली खोदाई के दौरान मिली है। विशेषज्ञों का दावा है कि इसे बीजान्टियम के सम्राट द्वारा किसी सैन्य अधिकारी को उपहार में दिया होगा। बताया जा रहा है कि 11वीं शताब्दी का ऐसा स्वर्ण आभूषण नॉडिंक देशों में पहले कभी नहीं मिली।
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मानवाधिकारों के कथित उल्लंघन के मुद्दे पर फंसा पेंच

ढाका। मानवाधिकारों के कथित उल्लंघन के मुद्दे पर बांग्लादेश और अमेरिका के संबंध में पेंच खड़ा होता दिख रहा है। अमेरिका ने पिछले हफ्ते बांग्लादेश के अर्ध सैनिक बल- रैपिड एक्शन बटालियन के सात पूर्व और वर्तमान अधिकारियों पर मानवाधिकार हनन के आरोप में प्रतिबंध लगा दिए थे। इस अमेरिकी कदम से बांग्लादेश बहुत आहत हुआ है। उसने इस पर नाराजगी भरी प्रतिक्रिया जताई है। इस बीच परोक्ष रूप से चीन भी इस विवाद में कूद पड़ा है।

 

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भूकंप के तेज झटकों से कांपा इंडोनेशिया

जकार्ता। इंडोनेशिया में भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए हैं। इसके बाद सुनामी की चेतावनी जारी कर दी गई है। संयुक्त राज्य भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (यूएसजीएस) ने कहा कि इंडोनेशिया में मौमेरे से 95 किमी उत्तर पूर्वी नुसा तेंगारा में रिक्टर पैमाने पर 7.7 तीव्रता का भूकंप आया है जिसके बाद सुनामी की चेतावनी जारी कर दी गई है। मौसम विभाग ने बताया कि भूकंप का केंद्र पांच किलोमीटर की गहराई पर था। ताजा जानकारी के अनुसार अभी किसी भी तरह के जानमाल के नुकसान की खबर नहीं है। इससे पहले भी पांच दिसंबर को इंडोनेशिया के टोबेलो से 259 किमी की दूरी पर उत्तर दिशा में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। रिक्टर पैमाने पर इस भूकंप की तीव्रता 6.0 दर्ज की गई थी।
सुनामी शब्द जापानी भाषा के 'सु' तथा 'नामी' से लिया गया है। 'सु' का शाब्दिक अर्थ समुद्रतट या बंदरगाह होता है वहीं नामी का मतलब तरंग या लहर से है। यानी सुनामी का अर्थ 'समुद्री लहर' होता है। सुनामी शब्द का प्रयोग सबसे पहले जापानी मछुआरों द्वारा किया गया था। सुनामी का कारण समुद्र के आंतरिक तल में उथल-पुथल मचना है जिसके बाद महासागरीय लहरें समुद्र से उठकर आसपास के क्षेत्रों को तबाह कर देती हैं।

 

 

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शिखर वार्ता में होगी अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा

बीजिंग। चीन के राष्ट्रपति और रूसी नेता ब्लादिमीर पुतिन द्विपक्षीय रिश्तों और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा के लिए कल एक वर्चुअल शिखर सम्मेलन आयोजित करेंगे। यह बातचीत मॉस्को और पश्चिमी देशों के बीच यूक्रेन की सीमा पर हजारों रूसी सैनिकों के जमावड़े के दौरान हो रही है।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने हालांकि किसी खास मुद्दे का जिक्र नहीं किया लेकिन कहा कि वीडियो बैठक के बाद विवरण जारी किया जाएगा। उन्होंने कहा, दोनों राष्ट्राध्यक्ष इस साल चीन-रूस संबंधों और विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग की पूरी समीक्षा करेंगे। बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने पुतिन को चेतावनी दी है कि यदि रूस ने यूक्रेन पर हमला किया तो वे उसे दर्दनाक पाबंदियों के साथ सख्त आर्थिक क्षति पहुंचाएंगे। उधर, अमेरिका ने उइगरों के साथ मानवाधिकार मुद्दों को लेकर चीन का भी विरोध किया है।
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ड्रोन हमले में किसी भी सैनिक को सजा नहीं देगा अमेरिका

वाशिंगटन। अफगानिस्तान में हुए ड्रोन हमले और 10 अफगान नागरिकों की मौत की सजा अमेरिका अपने सैनिकों को नहीं देगा। न्यूज एजेंसी एएफपी ने पेंटागन के हवाले से लिखा है कि वह ड्रोन हमले में अफगान नागरिकों की मौत की सजा अमेरिका किसी भी सैनिक को देने नहीं जा रहा है। अमेरिका की ओर से इस ड्रोन हमले की जांच के बाद पेंटागन ने कहा था कि इस हमले में किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं किया गया था। हालांकि, दस अफगान नागरिकों की मौत एक दुखद गलती थी और यह हमला पुष्टिकरण पूर्वाग्रह और संचार टूटने के साथ संयुक्त निष्पादन त्रुटियों का परिणाम था।

 

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यूएई ने हटाया शादी से पहले शारीरिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से

शारजाह। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने बीते वर्ष नवंबर में शादी से पहले शारीरिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से हटा दिया। हालांकि, इस फैसले के एक वर्ष बाद भी तमाम बिन ब्याही माएं बच्चों के जन्म प्रमाणपत्र हासिल करने के लिए भटक रही हैं। बहरहाल, दो सप्ताह में लागू होने वाले एक नए कानून में अविवाहित महिलाओं के बच्चों के लिए जन्म प्रमाणपत्र प्राप्त करने के बारे में कोई उपाय नहीं किया है, जबकि कानून इसके अभाव में बच्चे रखने पर महिलाओं को अपराधी घोषित करता है।
बच्चों के लिए जन्म प्रमाणपत्र प्राप्त करना एक महंगी प्रक्रिया है, गरीब लोग, खासतौर पर विदेशी घरों या दफ्तारों में मामूली वेतन पर काम करते हैं, वे इस खर्च उठाने में असमर्थ होते हैं। दिसंबर 2020 में शारजाह सेंट्रल जेल से तीन महीने की बेटी के साथ रिहा हुई स्टार ने बताया कि वह और छह अन्य अविवाहित महिलाएं जेल में बंद थीं, जिनमें से ज्यादातर फिलिपींस की थीं। स्टार ने बताया कि कैद के दौरान उनसे बेटी को छीन लिया गया था। 15 महिलाओं को एक बाथरूम साझा करना होता था, खाने में केवल चावल और रोटी मिलती थीं। महज 30 मिनट कोठरी से बाहर निकलने दिया जाता था। पुलिस अपमानजनक तरीके से बच्चे के जन्म व शारीरिक संबंधों की पूछताछ करती थी।
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काबुल भी वायु प्रदूषण से बुरी तरह प्रभावित, अफगानिस्तान सरकार ने जताई चिंता

अफगानिस्तान की राजधानी काबुल भी इस वक्त वक्त वायु प्रदूषण से बुरी तरह प्रभावित है। यहां पर लगातार एक्यूआई का स्तर बढ़ रहा है। कई इलाकों में एक्यूआई 'गंभीर' श्रेणी में दर्ज हो रहा है। आलम यहा है कि यहां की आबोहवा में लोगों को सांस लेना मुश्किल हो रहा है। ऐसे में सरकार की तरफ से भी लोगों से अनुरोध किया गया है कि वह बढ़ते वायु प्रदूषण को रोकने के लिए वह अपना सहयोग करे। बता दें कि वायु प्रदूषण को लेकर ये चिंता ऐसे वक्त में सामने आई है जब सरकार ने किसी को राष्ट्रीय पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (एनईपीए) का नेतृत्व करने के लिए नियुक्त नहीं किया है।

काबुल निवासियों ने शनिवार को बताया कि शहर में गंभीर वायु प्रदूषण के चलते सांस की बीमारी की दर बढ़ रही है। बताया जा रहा है कि ठंड के मौसम में वायु प्रदूषण बहुत बढ़ जाता है क्योंकि लोग ज्यादातर सस्ते ईंधन का उपयोग करते हैं।यहां पर स्थित निवासी नूर गुल ने कहा, 'काबुल में प्रदूषण बढ़ रहा है, और यह बहुत खतरनाक है, जिससे कई समस्याएं और बीमारियां पैदा हो रही हैं।' सरकारी और निजी अस्पतालों के स्वास्थ्य कर्मचारियों ने काबुल में प्रदूषण पर चिंता व्यक्त करते हुए पुष्टि की है कि सर्दी शुरू होते ही सांस की बीमारियों के मरीज बढ़ जाते हैं।

एक डॉक्टर टैंकीन ने कहा, 'प्रदूषण से संबंधित बीमारियां बढ़ रही हैं और कई मरीज अस्पतालों में इलाज के लिए आ रहे हैं।' इस बीच, काबुल नगर पालिका के अधिकारियों ने सभी निवासियों से प्रदूषण कम करने में सहयोग करने का आग्रह किया है। काबुल के डिप्टी मेयर हमदुल्ला नोमानी ने कहा, 'यह हमारी जिम्मेदारी है, और हम अपने प्रयास जारी रखेंगे, इसलिए हम लोगों से सहयोग करने का अनुरोध करते हैं।'
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तुर्की में महंगाई की मार से लोगों का जीना हुआ मुश्किल

तुर्की में महंगाई ने आम आदमी की कमर तोड़ कर रख दी है. तुर्की में जिस स्पीड के साथ महंगाई बढ़ रही है, उससे उबरना काफी मुश्किल लग रहा है. देश में बढ़ती महंगाई की वजह से अर्थव्यस्था भी चौपट होती जा रही है. तुर्की की करेंसी लीरा का भी बुरा हाल हो रखा है. लीरा की वैल्यू में ऐतिहासिक गिरावट देखी गई. अमेरिकी डॉलर के मुकाबले लीरा में करीब 50 फीसदी की गिरावट आई है. अर्थशास्त्रियों का कहना है कि राष्ट्रपति रजब तैयब अर्दोआन की नीतियों की वजह से तुर्की की ये हालत हो रही है.

रोजाना बढ़ रही हैं फल-सब्जी की कीमतें
तुर्की में बढ़ती महंगाई ने राष्ट्रपति रजब तैयब अर्दोआन की मुश्किलें अब हद से ज्यादा बढ़ा दी हैं. आलम ये है कि देश की मौजूदा वित्तीय हालत को देखते हुए विपक्ष ने समय से पहले ही चुनाव कराने की मांग उठी दी है. बीबीसी हिंदी की एक खबर के मुताबिक तुर्की में फल-सब्जी बेचने वाले दुकानदारों को रोजाना कीमतों में बढ़ोतरी करनी पड़ रही है. यही वजह है कि खरीदार भी अब इन हालातों से बुरी तरह परेशान हो चुके हैं. यहां तक कि राष्ट्रपति के गढ़ माने जाने वाले इलाके में रहने वाले लोग भी अब इस महंगाई से हार मान चुके हैं और राष्ट्रपति की जमकर आलोचना कर रहे हैं.

राष्ट्रपति की नीतियों से जनता में नाराजगी
राजधानी इस्तांबुल के पास रहने वाले एक 76 साल के यिलमाज छोरू ने बीबीसी को बताया, "मैंने अपनी जिंदगी में कभी ऐसी सरकार नहीं देखी. इससे पहले की बेकार सरकारें और मिलिट्री शासन में भी ऐसा कभी नहीं हुआ. मैंने रजब तैयब अर्दोआन को तुर्की का राष्ट्रपति बनाने के लिए वोट दिया था और अब मुझे अपने फैसले पर अफसोस हो रहा है." रिपोर्ट में कहा गया है कि यिलमाज लोगों से उधार पैसा लेकर अपना जीवन चलाने के लिए मजबूर हैं. कई बार तो वे फल-सब्जियों की कीमत सुनकर आगे निकल जाते हैं. अर्थव्यवस्था को लेकर दिया जाने वाला राष्ट्रपति का एक-एक बयान तुर्की को वित्तीय संकट की खाई में ले जा रहा है. खबर में बताया गया कि राष्ट्रपति जब कभी भी देश की अर्थव्यवस्था के बारे में कुछ बोलते हैं तो लीरा की वैल्यू गिरने लगती है

भारत की स्थिति भी खराब!
भारत में भी महंगाई ने आम आदमी को बुरी तरह से परेशान कर रखा है. रोजमर्रा के सामान से लेकर खाने-पीने की चीजें, तेल, पेट्रोल-डीजल, रसोई गैस जैसी जरूरी चीजों की कीमतों ने बीते सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. इतना ही नहीं, देश में अब जरूरी सेवाओं के लिए भी पहले से ज्यादा कीमत चुकानी पड़ रही है. महंगाई के इस दौर में निम्न वर्ग के लोगों के लिए जीवन व्यतीत करना काफी मुश्किल हो गया है. बताया जा रहा है कि जरूरी सामानों की मैन्यूफैक्चरिंग में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल और अन्य जरूरी चीजों की बढ़ती कीमतों की वजह से महंगाई बढ़ती ही जा रही है | 
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ताइवान में फिर भेजे चीन ने लड़ाकू विमान

ताइवान और चीन के बीच तनाव बढ़ता ही जा रहा है। चीन ने एक बार फिर ताइवान के वायु रक्षा पहचान क्षेत्र में 13 मिलिट्री एयरक्राफ्ट भेजे हैं। यह ऐसे वक्त में हुआ है जब निकारागुआ ने ताइवान के साथ संबंध तोड़कर चीन के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किए हैं।ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने बताया है कि 13 चीनी विमानों में से दो H-6 बॉम्बर्स और एक Y-8 इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर प्लेन दक्षिण पूर्वी ताइवान के वायु क्षेत्र में बहुत अंदर तक गया। अन्य 10 एयरक्राफ्ट की बात करें तो एक Y-8 पनडुब्बी रोधी युद्धक विमान, एक KJ-500 थर्ड जनरेशन एयरबोर्न, छह शेनयांग J-16 और दो चेंगदू J-10 फाइटर जेट्स शामिल थे।जवाब में ताइवान ने एक लड़ाकू हवाई गश्ती अभियान चलाया, रेडियो चेतावनी भेजी और चीनी सैन्य बेड़े को ट्रैक करने के लिए एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम की तैनाती की। वायु रक्षा पहचान क्षेत्र शुरुआती चेतावनी प्रणाली हैं जो देशों को अपने हवाई क्षेत्र में घुसपैठ का पता लगाने में मदद करते हैं। बता दें कि चीन लगातार ताइवान के वायु रक्षा क्षेत्र में युद्धक विमान भेजता रहा है।

पिछले 2 महीने में चीन ने सैंकड़ों एयरक्राफ्ट ताइवान की वायु सीमा में भेजा है। इसे लेकर ताइवान ने चिंता जताई है और बीजिंग को चेतावनी दी है। बता दें कि बीजिंग ताइवान पर अपनी संप्रभुता का दावा करता है। हालांकि सच ये है कि दोनों पक्ष सात दशक से अधिक वक्त से अलग-अलग शासित हैं।हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से एक बैठक के दौरान यह पूछे जाने पर कि अगर चीन ताइवान पर हमला करता है, तो क्या अमेरिका ताइवान की रक्षा करेगा? इसका जवाब देते हुए बाइडेन ने कहा कि हां, हम ऐसा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। ताइवान के रक्षा मंत्री रक्षा मंत्री चिउ कुओ-चेंग ने ताइवान में चीनी विमानों द्वारा घुसपैठ की रिकॉर्ड संख्या के बाद कहा कि चीन के साथ ताइपे का सैन्य तनाव 40 से अधिक वर्षों में सबसे खराब स्थिति में है।
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भारतीय वास्तुकार बालकृष्ण रॉयल गोल्ड मेडल से नवाजे गए

रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ ब्रिटिश आर्किटेक्ट्स (आरआईबीए) ने यह घोषणा करते हुए बताया कि 70 वर्षीय करियर और 100 से ज्यादा परियोजनाओं के साथ 94 साल के दोशी ने बेहद अहम उपलब्धि हासिल की है।

आरआईबीए ने कहा, दोशी ने भारत व आसपास वास्तुकला की दिशा को प्रभावित किया
आरआईबीए ने कहा, दोशी ने अपने अभ्यास और अपने शिक्षण दोनों के माध्यम से भारत और उसके आसपास के क्षेत्रों में वास्तुकला की दिशा को प्रभावित किया है। आजीवन किए गए काम को मान्यता देने वाले रॉयल गोल्ड मेडल को व्यक्तिगत रूप से महारानी एलिजाबेथ द्वितीय द्वारा अनुमोदित किया जाता है और इसे ऐसे व्यक्ति या लोगों को दिया जाता है, जिनका वास्तुकला की उन्नति पर महत्वपूर्ण प्रभाव रहा है।

दोशी ने इस जीतपर कहा, मैं आश्चर्यचकित हूं और इंग्लैंड की महारानी से 'रॉयल गोल्ड मेडल' प्राप्त करने की बात से सम्मानित महसूस कर रहा हूं। यह बहुत बड़ा सम्मान है। आरआईबीए ने कहा कि उनकी इमारतों में भारत की वास्तुकला, जलवायु, स्थानीय संस्कृति और शिल्प की परंपराओं की गहरी छाप के साथ आधुनिकतावाद का भी संगम दिखता हैं।

गुरु और सहयोगियों को आभार
पदक जीतने पर बालकृष्ण दोशी ने कहा, आज छह दशक बाद, मैं अपने गुरु ले कॉर्बूजियर के समान इस पुरस्कार से सम्मानित होकर अभिभूत हूं। मैं अपनी पत्नी, अपनी बेटियों और सबसे महत्वपूर्ण मेरी टीम और सहयोगियों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं। दोशी 1927 में पुणे में फर्नीचर निर्माण से जुड़े परिवार में जन्मे और जेजे स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर, मुंबई से बाद में अध्ययन किया। उन्होंने पेरिस में भी काम किया।

प्रधानमंत्री मोदी ने दी बधाई
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय वास्तुकार बालकृष्ण दोशी को ब्रिटेन के प्रतिष्ठित शाही स्वर्ण पदक से सम्मानित किए जाने पर बधाई दी और कहा कि वास्तुकला की दुनिया में उनका योगदान स्मारकीय है। मोदी ने ट्वीट किया, दोशी के कार्यों को उनकी रचनात्मकता, विशिष्टता और विविध प्रकृति के लिए विश्व स्तर पर सराहा जाता है। उन्हें बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं।
 
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