धर्म समाज

नरसिंह द्वादशी आज, इस मुहूर्त में करें भगवान की पूजा

सनातन धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व होता है लेकिन नरसिंह द्वादशी व्रत को बेहद ही खास माना गया है जो कि भगवान विष्णु के अवतार भगवान नरसिंह को समर्पित है। इस दिन भक्त प्रभु की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि रखते हैं।
पंचांग के अनुसार हर साल फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को नरसिंह द्वादशी मनाई जाती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान नरसिंह की पूजा करने वालों के जीवन में सुख समृद्धि हमेशा बनी रहती है इसके अलावा अगर व्रत का पालन किया जाए तो समस्त पापों का नाश हो जाता है और मोक्ष मिलता है। इस बार नरसिंह द्वादशी का व्रत पूजन आज यानी 11 मार्च दिन मंगलवार को किया जा रहा है, तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा नरसिंह द्वादशी पूजा का शुभ मुहूर्त और मंत्र के बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
नरसिंह द्वादशी शुभ मुहूर्त-
ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 4 बजकर 59 मिनट से लेकर 5 बजकर 48 मिनट तक.
अभिजित मुहूर्त- दोपहर 2 बजकर 30 मिनट से लेकर 3 बजकर 17 मिनट तक
विजय मुहूर्त- दोपहर 12 बजकर 8 मिनट से लेकर 12 बजकर 55 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त- शाम 6 बजकर 24 मिनट से लेकर 6 बजकर 49 मिनट तक.
नरसिंह द्वादशी मंत्र जाप-
आपको बता दें कि नरसिंह द्वादशी के दिन पूजा पाठ के दौरान भगवान नरसिंह के इन खास मंत्रों का जाप जरूर करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान नरसिंह की कृपा प्राप्त होती है।
आपत्ति निवारक नरसिंह मंत्र-
ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम्। नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्यु मृत्युं नमाम्यहम्॥
नरसिंह गायत्री मंत्र-
ॐ वज्रनखाय विद्महे तीक्ष्ण दंष्ट्राय धीमहि | तन्नो नरसिंह प्रचोदयात ||
संपत्ति बाधा नाशक नरसिंह मंत्र-
ॐ नृम मलोल नरसिंहाय पूरय-पूरय, ऋण मोचक नरसिंह मंत्र
ॐ क्रोध नरसिंहाय नृम नम:
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29 मार्च को शनिदेव कुंभ से निकलकर मीन राशि में करेंगे गोचर

  • जानिए...किन राशियों पर पड़ेगा इसका क्या प्रभाव
हिंदू धर्म शास्त्रों में शनि देव को कर्मफल और न्याय का देवता कहा गया है. शनि देव सबसे धीरे राशि परिवर्तन करते हैं. शनि देव एक राशि में ढाई साल रहते हैं. अब साल 2025 में शनि देव राशि परिवर्तन करने जा रहे हैं. शनि अभी अपनी ही राशि कुंभ में गोचर कर रहे हैं. साल 2025 के मार्च माह में वो कुंभ से निकलकर मीन राशि में प्रवेश कर जाएंगे
इस साल शनि देव का 29 मार्च को राशि परिवर्तन होगा. 29 मार्च को शनि देव कुंभ से निकलकर मीन राशि में गोचर करने लगेंगे. शनि देव के राशि परिवर्तन का असर ज्योतिष शास्त्र में बताई गई सभी 12 राशियों पर अलग-अलग देखने को मिलेगा. वहीं इस दौरान कुछ राशियां हैं, जिन्हें बेहद संभलकर रहने की आवश्यकता रहेगी|
मेष राशि-
मेष ज्योतिष शास्त्र में पहली राशी मानी जाती है. शनि देव के राशि परिवर्तन कर मीन में जाने बाद मेष राशि के जातकों पर शनि देव की साढ़ेसाती आरंभ हो जाएगी. इस वजह से मेष राशि वालों को 29 मार्च के बाद बेहद सावधानी और सतर्कता बरतने की जरूरत होगी. साल 2025 का समय मेष राशि के जातकों के लिए कठिन और परेशानी भरा रहेगा|
सिंह और धनु राशि:-
शनि देव के राशि परिवर्तन का असर सिंह और धनु राशि के जातकों पर भी पड़ेगा. शनि देव के मीन राशि में प्रवेश करने के बाद सिंह और धनु राशि वालों पर ढैय्या लग जाएगी. इस कारण 29 मार्च से सिंह और धनु राशि के जातकों को करियर और आर्थिक मामलों में बेहद सतर्क रहने की जरूरत होगी|
उपाय-
बता दें कि शनि देव के बुरे प्रभावों से बचने के लिए मेष सिंह और धनु राशि के जातक कोई भी गलत काम न करें. किसी के बारे में बुरा न सोचें. साथ ही शनि देव से संबंधित वस्तुओं का दान करें. शनिवार को शनि देव की प्रतिमा पर तेल चढ़ाएं. पिपल के पेड़ की पूजा करें. शनिवार को काले कुत्ते को रोटी खिलाने से भी शनि देव प्रसन्न होकर कृपा करते हैं|
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मंगलवार को करें ये उपाय, सभी दोषों से मिलेगा छुटकारा

हफ्ते का हर दिन किसी न किसी देवी देवता की पूजा अर्चना को समर्पित है वही मंगलवार का दिन हनुमान पूजा के लिए श्रेष्ठ माना गया है इस दिन भक्त हनुमान जी की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं माना जाता है कि ऐसा करने से बजरंगबली की कृपा प्राप्त होती है। लेकिन इसी के साथ ही अगर मंगलवार के दिन कुछ विशेष उपायों को किया जाए तो वास्तु दोष और पितृ दोष से छुटकारा मिल जाता है तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा मंगलवार के आसान उपाय बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
मंगलवार के आसान उपाय-
ज्योतिष अनुसार अगर कोई व्यक्ति अपने जीवन में लगातार संघर्ष कर रहा है या कड़ी मेहनत के बाद भी उसे सफलता हासिल नहीं हो रही है तो कपूर का उपाय किया जा सकता है। इसके लिए घर में शाम के समय कपूर और लौंग को एक साथ करके जलाएं। ऐसा करने से सकारात्मकता का संचार होता है साथ ही मानसिक तनाव कम हो जाता है और नकारात्मक विचारों को दूर करने में भी मदद मिलती है।
यह उपाय आत्मविश्वास और मनोबल को मजबूत करता है इससे मन शांत रहता है और समस्याओं से भी छुटकारा मिल जाता है। कपूर और लौंग जलाने से न केवल मानसिक शांति मिलती है बल्कि वास्तुदोष और पितृदोष भी खत्म हो जाता है। घर में सुख समृद्धि और प्रेम बना रहता है।
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भौम प्रदोष पर करें ये उपाय, दूर होंगी आपकी सभी परेशानियां

मंगलवार को भौम प्रदोष व्रत किया जाएगा। प्रदोष के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। प्रदोष का व्रत करने से जातकों की सभी परेशानी दूर हो जाती है। वहीं प्रदोष व्रत जब मंगलवार को पड़ता है तो उसे भौम प्रदोष के नाम से जाना जाता है। भौम प्रदोष में महादेव के साथ ही बजरंगबली की आराधना भी की जाती है। इसके अलावा इस दिन इन विशेष उपायों को करने से अल-अलग शुभ फलों की प्राप्ति होती है। भौम प्रदोष का दिन कर्ज से मुक्ति पाने के लिए बहुत ही श्रेष्ठ माना जाता है।
भौम प्रदोष के उपाय-
1. अगर आप अपने बड़े भाई के साथ रिश्ते में प्यार बरकरार रखना चाहते हैं, तो भौम प्रदोष के दिन आपको दो पत्थर के टुकड़े लेकर उन्हें लाल रंग से रंगना चाहिए और अपने भाई के हाथ से छुआना चाहिए। अब उनमें से एक पत्थर को बहते जल में प्रवाहित कर दें और दूसरे पत्थर को संभालकर हमेशा अपने पास रखें।
2. अगर आप कर्ज के बोझ तले फंसे हैं और उससे जल्द से जल्द बाहर निकलना चाहते हैं, तो भौम प्रदोष व्रत के दिन आपको लेनदार को ज्यादा ना सही, लेकिन कुछ राशि, चाहें तो एक रुपया ही जरूर लौटाना चाहिए और अगली किश्त भी जब तैयार हो, तो मंगलवार के दिन ही चुकाएं
3. अगर अब तक कभी भी कर्ज लेने की नौबत नहीं आई है और आप चाहते हैं कि आगे भी आपके ऊपर ऐसी कोई नौबत ना आये, तो इसके लिये भौम प्रदोष के दिन आपको आसन पर बैठकर, हाथ जोड़कर ऋणमोचक मंगल स्रोत का पाठ करना चाहिए।
4. अपने दांपत्य जीवन में आ रही परेशानियों को दूर करने के लिये भौम प्रदोष के दिन शिव मंदिर में जाकर, शिवजी और माता पार्वती पर एक साथ मौली, यानी कलावे को सात बार लपेट दें और ध्यान रहे कि सात बार धागा लपेटते हुए उसे बीच में तोड़ना नहीं है, जब पूरा सात बार लपेट दें, तभी हाथ से धागे को तोड़ें। एक बात और कि धागा तोड़ने के बाद उसमें गांठ न लगाएं, उसे ऐसे ही वहां लपेटकर छोड़ दें।
5. आपको बता दूं कि शरीर में नाभि के आसपास का क्षेत्र मंगल का होता है। अतः अगर आपकी नाभि के आस-पास किसी प्रकार की परेशानी बनी रहती है, तो भौम प्रदोष के दिन आपको 900 ग्राम मसूर की दाल लेकर अपनी नाभि से छुआकर दान करनी चाहिए।
6. अगर आप और आपके जीवनसाथी के बीच पॉजिटिव ऊष्मा खत्म होती जा रही है और अनबन अपनी जगह बनाती जा रही है, तो भौम प्रदोष के दिन आपको बहते पानी में 11 रेवड़ियां या बतासे प्रवाहित करनी चाहिए।
7. अगर आपकी संतान के जीवन में किसी प्रकार की परेशानी चल रही है, तो भौम प्रदोष के दिन आपको इस मंत्र का 108 बार जप करना चाहिए। मंत्र इस प्रकार है-'ॐ भूमि पुत्राय नमः।'
8. अगर आपके बिजनेस में कुछ समस्याएं चल रही हैं, जिसका असर आपके पारिवारिक जीवन पर भी पड़ रहा है तो भौम प्रदोष के दिन आपको एक सूखा नारियल लेकर, उस पर केसरिया सिन्दूर से तिलक लगाकर हनुमान जी के चरणों में चढ़ाना चाहिए।
9. अगर आप अपनी ताकत का लोहा मनवाना चाहते हैं, तो भौम प्रदोष के दिन आपको हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। साथ ही हनुमान जी के मंदिर में चमेली के तेल का दीपक जलाना चाहिए।
10. अगर आप चाहते हैं कि आपके जीवन में सब मंगल ही मंगल हो तो इसके लिये भौम प्रदोष के दिन आपको मंगल के इस मंत्र का एक माला जप करना चाहिए। मंत्र
इस प्रकार है-'ॐ मंगलाय नमः।'
11. अगर आप अच्छे लोगों के साथ दोस्ती बढ़ाना चाहते हैं, तो भौम प्रदोष के दिन आपको हनुमान मंदिर जाकर शहद की शीशी भेंट करनी चाहिए और हनुमान जी के दाहिने पैर से सिंदूर लेकर अपने माथे पर लगाना चाहिए।
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CM विष्णुदेव साय ने माता कौशल्या की पूजा-अर्चना कर प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि की कामना की

  • वैद्यराज सुषेण मंदिर व श्री दशरथ दरबार के दर्शन, जलसेन सरोवर में कछुओं को खिलाया दाना
  • मंदिर परिसर के सौंदर्यीकरण व रखरखाव हेतु दिए आवश्यक निर्देश
रायपुर। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने सोमवार को राजधानी रायपुर के ग्राम चंदखुरी स्थित माता कौशल्या मंदिर में दर्शन व पूजा-अर्चना कर प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि और खुशहाली की कामना की। इस दौरान उपमुख्यमंत्री श्री विजय शर्मा सहित अन्य गणमान्य जनप्रतिनिधि उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री श्री साय ने माता कौशल्या एवं प्रभु श्रीराम के समक्ष नमन करते हुए राज्य की प्रगति, जनता की मंगलकामना और सामाजिक समरसता की प्रार्थना की। इसके साथ ही उन्होंने मंदिर परिसर में स्थित वैद्यराज सुषेण मंदिर और श्री दशरथ दरबार के भी दर्शन किए। मुख्यमंत्री ने माता कौशल्या मंदिर परिसर में स्थित जलसेन सरोवर में कछुओं को दाना खिलाया और मंदिर परिसर के रखरखाव व सौंदर्यीकरण हेतु आवश्यक दिशानिर्देश दिए। इस अवसर पर माता कौशल्या जन्मभूमि सेवा संस्थान के सदस्यों ने मुख्यमंत्री को माता कौशल्या और प्रभु श्रीराम की प्रतिमा का छायाचित्र भेंट किया।
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नरसिंह द्वादशी के दिन पढ़ें ये व्रत कथा, नष्ट होंगे सभी दुख

नरसिंह द्वादशी का हर साल फाल्गुन माह शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है. मान्यता है कि नरसिंह द्वादशी के दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करने वाले के जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है. इसके अलावा व्रत का पालन करने वाले को जीवन के समस्त पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. साथ ही नरसिंह द्वादशी के दिन पूजा के दौरान व्रत कथा का पाठ करना भी बहुत आवश्यक माना जाता है|
नरसिंह द्वादशी की व्रत कथा-
कथा के अनुसार, प्राचीन काल में कश्यप नाम के ऋषि रहा करते थे. जिनकी पत्नी का नाम दिति था और उनके दो पुत्र थे पहला हिरण्याक्ष और दूसरा हिरण्यकश्यप. बताया जाता है कि, यह दोनों ऋषि के पुत्र थे इसके बाद भी इनकी प्रवृत्ति असुर वाली हो गई थी. दोनों भाइयों ने चारों और हाहाकार मचा दिया था. ऐसे में भगवान विष्णु ने वराह रूप में पृथ्वी की रक्षा करने के लिए हिरण्याक्ष का वध कर दिया था. अपने भाई की मृत्यु से हिरण्यकश्यप को बेहद दुख हुआ और उसी दिन से वह भगवान विष्णु को अपना शत्रु मानने लगा. इसके बाद हिरण्यकश्यप अपने प्रतिशोध का बदला लेने के लिए कठोर तपस्या करने लगा जिससे प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी से उसने मनचाहा वरदान प्राप्त किया|
इसके बाद उसने स्वर्ग पर आक्रमण कर देवताओं को पराजित कर दिया. इस तरह वह तीनों लोकों का स्वामी बन गया. इस प्रकार उसे अपनी शक्ति पर काफी अहंकार हो गया कि वह खुद को ही देवता समझने लगा. अहंकार मे डूबे हिरण्यकश्यप का अत्याचार बढ़ता जा रहा है. कुछ समय में उसकी पत्नी कयाधु ने प्रहलाद नाम के पुत्र को जन्म दिया. जो भगवान विष्णु का परम भक्त था. प्रहलाद जब थोड़ा बड़ा हुआ तो हिरण्यकश्यप ने उससे खुद की पूजा करने के लिए कहा लेकिन प्रहलाद का मन तो सिर्फ विष्णु भगवान की ही भक्ति में लगा रहता था इसलिए उसके ऊपर पिता की किसी बात का प्रभाव नहीं पड़ा|
अपने बेटे को भगवान विष्णु की भक्ति से लगे देखकर हिरण्यकश्यप के क्रोध का ठिकाना न रहा उसने प्रहलाद का मन भगवान विष्णु की भक्ति से हटाने के लिए ढेरों प्रयास किए. लेकिन किसी प्रयासों में सफलता न मिलने के बाद उसने अंत में अपनी बहन होलिका के साथ मिलकर उसे अग्नि में जलाने का प्रयत्न किया. क्योंकि होलिका को वरदान था कि उसे अग्नि जला नहीं पाएगी. लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रहलाद बज गया और होलिका जलकर भस्म हो गई|
ऐसे में भगवान की इस अद्भुत कृपा को देखते हुए हिरण कश्यप की प्रजा भी प्रभु विष्णु की भक्ति करने लगी. जिस पर हिरण कश्यप को बहुत क्रोध आया और उसने भरी सभा में अपने पुत्र को मृत्यु दंड देने का निर्णय किया. तब उसने प्रहलाद को अपने दरबार में एक खंभे से बांधकर कहा कि, तू कहता है कि तेरे कण-कण में भगवान हैं. तो तू अपने भगवान को बुला ले कि वह इस खंभे से निकल कर तुझे बचाएं.ये कहते हुए हिरण कश्यप ने खंभे पर गदा से प्रहार किया. ठीक उसी समय वहां नरसिंह प्रकट हुए और उन्होंने हिरण्यकश्यप को अपनी जांघों पर रखकर उसकी छाती को अपने नाखूनों से फाड़कर उसे मृत्युदंड दिया|
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प्रदोष व्रत कल, जानिए...शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और पारण नियम

हिंदू धर्म में प्रदोष का व्रत बहुत विशेष माना गया है. प्रदोष व्रत हर माह की कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर रखा जाता है. ये व्रत देवों के देव महादेव को समर्पित है. जो भी इस व्रत को करता है भगवान शिव उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं. प्रदोष का व्रत सप्ताह में पड़ने वाले दिनों के नाम पर होता है. मतलब प्रदोष व्रत के दिन जो वार पड़ता है उसी के नाम पर प्रदोष व्रत होता है. मार्च माह का पहला प्रदोष व्रत कल रखा जाएगा. ऐसे में आइए जानते हैं कि इस व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत पारण के नियम तक सबकुछ|
हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत कल यानी 11 मार्च को सुबह 8 बजकर 13 मिनट पर हो जाएगी. वहीं इस तिथि का समापन 12 मार्च को सुबह 9 बजकर 11 मिनट पर हो जाएगा. ऐसे में प्रदोष का व्रत कल रखा जाएगा. कल मंगलवार है, इसलिए ये भौम प्रदोष व्रत कहलाएगा.प्रदोष व्रत में भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल में की जाती है. ऐसे में कल भगवान शिव की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 47 मिनट पर शुरू होगा. ये मुहूर्त रात 9 बजकर 11 मिनट पर समाप्त होगा|
पूजा विधि-
प्रदोष व्रत के दिन पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें. व्रत का संकल्प लें. फिर पूजा स्थल की सफाई करें. पूजा स्थल पर गंगाजल छिड़कें. फिर एक बर्तन में शिवलिंग रखें. शिवलिंग का पंचामृत से अभिषेक करें. उस पर बेल पत्र, गुड़हल, आक और मदार के फूल चढ़ाएं. भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें. शिव पुराण और शिव तांडव स्त्रोत का पाठ जरूर करें. प्रदोष व्रत कथा पढ़ें. शाम के प्रथम प्रहर में स्नान के बाद शिव परिवार की पूजा करें. आरती के साथ पूजा का समापन करें. प्रदोष व्रत पर पूरा दिन उपवास करें. व्रत में सात्विक भोजन करें|
प्रदोष व्रत में क्या खाएं और क्या नहीं-
प्रदोष व्रत में फालाहार कर सकते हैं. इस दिन पूर्ण व्रत भी रख सकते हैं. जो फालाहारी प्रदोष व्रत रखना चाहते हैं, तो फालाहार में संतरा, केला, सेब समेत आदि चीजें ग्रहण की जा सकती हैं. हरी मूंग खाई जा सकती है. दूध, दही, सिंघाड़े का हलवा, साबूदाना की खिचड़ी, कुट्टू के आटे की पूड़ी और समा चावल की खीर खाई जा सकती है. सूखे मेवे खाए जा सकते हैं. नारियल पानी पिया जा सकता है. इस व्रत में लहसुन-प्याज और मांसाहार का सेवन भूलकर भी नहीं करें. शराब न पियें. गेहूं-चावल अनाज आदि न खाएं. लाल मिर्च और सादा नमक भी नहीं खाएं|
क्या करें और क्या नहीं-
इस दिन सच्ची श्रद्धा और भक्ति से व्रत के नियम का पालन करें. प्रदोष व्रत के दिन गरीबों और जरूरतमंदों को दान अवश्य करें. घर और मंदिर में सफाई का विशेष ध्यान रखें. इस दिन घर को पवित्र और शुद्ध रखें. प्रदोष व्रत के दिन किसी से लड़ाई-झगड़ा नहीं करें. इस दिन महिलाओं का अपमान न करें. मन में किसी के लिए नाकारात्मक विचार न लाएं. भगवान शिव को पूजा के समय उनको केतकी के फूल और हल्दी न| चढ़ाएं.शिवलिंग पर टूटे चावल न चढ़ाएं|
इन चीजों का करें दान-
प्रदोष व्रत के दिन फलों का दान करें. इस दिन वस्त्रों का दान करें. इस दिन अन्न का दान करें. इस दिन दूध का दान करें. काले तिल का दान करें. गाय का दान करें. इस दिन दान करने वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है. सौभाग्य की प्राप्ति होती है. विवाह में आ रहीं बाधाएं दूर हो जाती हैं. भगवान शिव का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है|
प्रदोष व्रत का महत्व-
प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव का पूजन और उपवास करने से जीवन के सारे संकट दूर हो जाते हैं. जीवन में सुख-समृद्धि और खुशियों का आगमन होता है. कल भौम प्रदोष व्रत है. इस व्रत को करने से मंगल की कृपा भी प्राप्त होती है. साथ ही मंगल के दोष दूर होते हैं. प्रदोष का व्रत करने से आध्यात्मिक उत्थान होता है. ये व्रत बहुत की पुण्यदायी माना गया है. इस व्रत को करने से मरने के बाद शिव धाम में स्थान मिलता है|
व्रत का पारण-
हिंदू धर्म शास्त्रों में बताया गया है कि प्रदोष के व्रत का पारण उपवास के अगले दिन सूर्योंदयय के बाद ही किया जाता है. इस भौम प्रदोष व्रत का पारण 12 मार्च को 6 बजकर 34 मिनट के बाद किया जा सकता है. हिंदू धर्म शास्त्रों में प्रदोष के व्रत का पारण करने के कुछ नियम बताएं गए हैं, जिनका पालन व्रत के पारण के समय किया जाना चाहिए. व्रत पारण के दिन सबसे पहले स्नान करें. भगवान शिव की पूजा करें. इसके बाद सात्विक भोजन से व्रत का पारण करें. व्रत के पारण के बाद दान करना भी शुभ होता है|
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फाल्गुन पूर्णिमा, जानिए...स्नान-दान का शुभ मुहूर्त

सनातन धर्म में पूर्णिमा और अमावस्या तिथि को बेहद ही खास माना गया है जो कि हर माह में एक बार आती है साल में कुल 12 पूर्णिमा आती है। इस दिन पूजा पाठ और व्रत का विधान होता है मान्यता है कि पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी में स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और कष्ट दूर हो जाते हैं।
पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह में पड़ने वाली पूर्णिमा को फाल्गुन पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस दिन स्नान दान, पूजा पाठ और तप जप करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही फाल्गुन पूर्णिमा पितरों की आत्मा की शांति के लिए भी खास मानी जाती है
मान्यता है कि इस दिन पितरों का श्राद्ध तर्पण और पिंडदान करने से पितृदोष समाप्त हो जाता है और घर में सुख शांति व समृद्धि सदा बनी रहती है तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा बता रहे हैं कि फाल्गुन मास की पूर्णिमा कब मनाई जाएगी, तो आइए जानते हैं।
फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि-
हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि का आरंभ 13 मार्च को सुबह 10 बजकर 35 मिनट पर हो जाएगा। वही इस तिथि का समापन 14 मार्च को दोपहर 12 बजकर 23 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार फाल्गुन पूर्णिमा 14 मार्च को मनाई जाएगी। इसके अलावा फाल्गुन पूर्णिमा का व्रत 13 मार्च को करना उत्तम रहेगा।
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सोमवार को भगवान शिव की ये विशेष पूजा करने से पूरी होंगी आपकी सभी मनोकामनाएं

भगवान शिव लिए सोमवार का दिन खास महत्व रखता है। ऐसे में सोमवार को कौन सी पूजा करने से शिव जी प्रसन्न रहेंगे|
एक खास तरह की पूजा सोमवार को की जाती है, जो रात को होती है। सोमवार की पूजा रात को एक बजे से लेकर 4 बजे तक की जाती है।
हिंदू धर्म में सोमवार के दिन को भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने के लिए सबसे उत्तम दिन माना गया है। ऐसी मान्यता है कि सोमवार को शिवजी का दिन माना जाता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा करने पर सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। आइए जानते हैं कि सोमवार भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए क्या करें।
सोमवार की पर ऐसे करें शिवजी की पूजा-
एक खास तरह की पूजा सोमवार को की जाती है, जो रात को होती है। इसलिए भक्तों को शाम को पूजा से पहले स्नान करना चाहिए। शिवजी की पूजा रात को एक बजे से लेकर 4 बजे तक की जाती है। सुबह स्नान करके शिवजी को पंचामृत से स्नान कराएं और फिर केसर युक्त जल को 8 बार शिवजी को चढ़ाए। सोमवार की रात भर दीपक जलाकर रखें। शिवजी को चंदन का तिलक लगाकर बेलपत्र, भांग, धतूरा, जायफल, मिठाई और फल-अत्र चढ़ाए। केसर वाली खीर का भोग लगाए। पूजा करते वक्त ओम नमो भगवते रुद्राय, ॐ नम: शिवाय रुद्राय शम्भवाय भवानि पतये नमो नमः मंत्र का जाप करें।
सोमवार की पर रुद्राभिषेक का महत्व-
बहुत सारे लोग शिव जी को प्रसन्न करने के लिए या फिर कालसर्प दोष की मुक्ति के लिए रुद्राभिषेक कराते हैं। रुद्राभिषेक के लिए सोमवार की का दिन बहुत शुभ माना जाता है। रुद्राभिषेक में भगवान शिवलिंग पर रुद्र के मंत्रों का उच्चारण करते हुए उनका अभिषेक किया जाता है। ये अभिषेक दूध, दही, घी, शहद आदि से होता है।
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Holi पर क्यों नहीं दिखेगा चंद्र ग्रहण? यहां जाने कथा

साल का पहला चंद्र ग्रहण 14 मार्च 2025 यानि होली के दिन लगने जा रहा है। इस दिन आसमान में एक अलग ही नजारा देखने को मिलेगा। होली के दिन आसमान में लाल रंग का चाँद दिखाई देगा जिसे ब्लड मून कहा जाता है। यह पूर्ण चन्द्रग्रहण होगा। इस पूर्ण चंद्रग्रहण को दुनिया के कई हिस्सों में देखा जा सकेगा, लेकिन भारत में इसकी स्थिति क्या होगी? लोगों में इस बात को लेकर काफी असमंजस है कि क्या यहां ग्रहण दिखाई देगा और क्या सूतक लगेगा। अगर आप भी इस बात को लेकर असमंजस में हैं तो आइए पंडित विनोद पांडेय से जानते हैं इस बारे में सबकुछ।
चन्द्र ग्रहण क्यों महसूस होता है?
सबसे पहले जानते हैं कि चंद्र ग्रहण क्या होता है। दरअसल यह एक खगोलीय घटना है जो तब होती है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीधी रेखा में आ जाते हैं। जब चंद्र ग्रहण होता है तो सूर्य और चंद्रमा के बीच में आने के कारण पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है, इस घटना को चंद्र ग्रहण कहा जाता है। ग्रहण के बारे में लोगों की अलग-अलग मान्यताएं हैं।
चन्द्र ग्रहण कहां दिखाई देगा?
वर्ष का पहला चंद्र ग्रहण 14 मार्च 2025 को लगेगा। वर्ष 2025 का पहला चंद्रग्रहण, जो होली के दिन पड़ेगा, यूरोपीय देशों जैसे उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, प्रशांत और अटलांटिक महासागर, उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों और एशिया-अफ्रीका के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा। होली के दिन हुए चंद्रग्रहण ने लोगों को असमंजस की स्थिति में डाल दिया है। क्योंकि कई लोग इस बात को लेकर असमंजस में हैं कि यह भारत में दिखाई देगी या नहीं। इसके पीछे कारण है होली का त्यौहार जो बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
क्या चंद्रग्रहण भारत में दिखाई देगा?
होली भी 14 मार्च को मनाई जाती है। ऐसे में लोग जानना चाहते हैं कि क्या भारत में भी चंद्र ग्रहण लगेगा। दरअसल, हिंदू धर्म में ग्रहण का बहुत महत्व है। ग्रहण के दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। पंडित विनोद पांडे ने बताया कि हालांकि ग्रहण 14 मार्च यानी होली के दिन लगेगा, लेकिन यह भारत में दिखाई नहीं देगा क्योंकि जिस समय यूरोपीय देश में ग्रहण लगेगा, उस समय भारत में दिन होगा। ऐसे में न तो भारत में इसका कोई प्रभाव पड़ेगा और न ही सूतक काल मान्य होगा।
 
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होलाष्टक के दिनों में उग्र रहेंगे ये ग्रह, इन दिनों तक न करें गलती

फाल्गुन माह का आरंभ हो चुका है और इस महीने कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं जिसमें होली को प्रमुख माना जाता है इस साल होली का त्योहार 14 मार्च को है। होली से आठ दिन पहले होलाष्टक लग जाता है और इसे शुभ समय हीं माना जाता है मान्यता है कि होलाष्टक में किसी भी तरह के शुभ और मांगलिक नहीं करने चाहिए ऐसा करने से कष्ट उठाना पड़ सकता है।
पंचांग के अनुसार इस साल होलाष्टक का आरंभ 7 मार्च से हो चुका है और समापन 13 मार्च यानी होली से एक दिन पहले होलिका दहन पर हो जाएगा। ऐसे में होलाष्टक के आठ दिनों में कुछ कार्यों को भूलकर भी नहीं करना चाहिए वरना परेशानी उठानी पड़ सकती है, तो आज हम आपको बता रहे हैं कि होलाष्टक के दिनों में किन कार्यों को करने से बचना चाहिए तो आइए जानते हैं।
होलाष्टक पर न करें कोई गलती-
आपको बता दें कि होलाष्टक की अवधि में शादी विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन आदि शुभ और मांगलिक कार्य नहीं करने चाहिए। इसके अलावा नया कारोबार शुरू करना भी वर्जित होता है। होलाष्टक के आठ दिनों में नया घर नहीं लिया जाता है यही नहीं इस दौरान घर का निर्माण कार्य भी शुरू नहीं करना चाहिए। इसके अलावा आठ दिनों तक सोना चांदी भी खरीदने से बचना चाहिए। ऐसा करने से परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
होलाष्टक पर ये ग्रह हो जाते हैं उग्र-
आपको बता दें कि होलाष्टक के पहले दिन चंद्रमा, दूसरे दिन सूर्य, तीसरे दिन शनि, चौथे दिन शुक्र, पांचवे नि गुरु बृहस्पति, छठे दिन ग्रहों के राजकुमार बुध और सातवें दिन मंगल, इसके अलावा आठवें दिन पापी ग्रह राहु की अवस्था उग्र हो जाती है।
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औषधि से कम नहीं तिल का तेल! त्वचा, हड्डी और दिल का रखता है खास ख्याल

नई दिल्ली। हमारे शरीर के लिए तिल जितना फायदेमंद हैं, तिल का तेल उससे ज्यादा फायदेमंद है। तिल का तेल एक ऐसा अद्भुत पदार्थ है जिसे सदियों से भारतीय घरों में इस्तेमाल किया जाता रहा है। यह तेल न केवल स्वाद में बेमिसाल है, बल्कि इसके स्वास्थ्यवर्धक गुणों के कारण भी यह एक अमूल्य रत्न माना जाता है।
भारतीय उपमहाद्वीप में तिल का तेल विशेष रूप से सर्दियों में आयुर्वेदिक उपचारों में एक अहम स्थान रखता है। आयुर्वेद के अनुसार, तिल का तेल वात, पित्त और कफ को संतुलित करने का कार्य करता है और शरीर को आंतरिक रूप से मजबूत करता है। तिल के तेल का वर्णन आयुर्वेद की प्रसिद्ध ग्रंथों में जैसे चरक संहिता और सुश्रुत संहिता में किया गया है, जहां इसे स्वास्थ्य लाभ के लिए एक प्रमुख औषधि माना गया है।
यह त्वचा को कोमल और चमकदार बनाने में मदद करता है। साथ ही, तिल के तेल का सेवन करने से यह शरीर के भीतर सूजन और दर्द को कम करने में मदद करता है। यह शरीर के जोड़ों में लचीलापन बनाए रखने में भी सहायक है। तिल के तेल में एक विशेष एंटीऑक्सीडेंट होता है, जो तेल को गर्मी और समय के साथ खराब होने से बचाता है। प्राचीन आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धतियों में इसका उपयोग बाहरी और आंतरिक दोनों तरीकों से किया जाता था। इस तेल का इस्तेमाल न केवल खाने में, बल्कि शरीर की मालिश, बालों की देखभाल और त्वचा के लिए भी किया जाता था। इससे हड्डियां मजबूत होती हैं। आयुर्वेदिक चिकित्सक तिल के तेल को शरीर को अंदर से पोषित करने वाला और बीमारियों से लड़ने में सहायक मानते थे।
चरक संहिता में इसे 'बलवर्धक' और 'तन-मन की शांति' देने वाला बताया गया है। इसके अलावा, सुश्रुत संहिता में इसका उपयोग जोड़ों के दर्द और त्वचा रोगों के इलाज के लिए भी किया गया था। यह न केवल आयुर्वेद में बल्कि विज्ञान में भी महत्वपूर्ण स्थान रखता है। वैज्ञानिक शोधों से यह साबित हुआ है कि तिल के तेल में एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन 'ई', सेसमिन, सेसमोल और ओमेगा-3 जैसे तत्व होते हैं जो शरीर में सूजन को कम करने, रक्तचाप को नियंत्रित करने और दिल को स्वस्थ रखने में सहायक हैं।
यह खालिस देसी तरीका है अपने चेहरे को दमकाने और झुर्रियों को उम्र से पहले न हावी होने देने का। सेसमिन और सेसमोल जैसे तत्व मस्तिष्क में सेरोटोनिन की वृद्धि करते हैं, जिससे तनाव और अवसाद कम होता है। इसके सेवन से मानसिक स्थिति में सुधार होता है और व्यक्ति खुद को ज्यादा शांत और खुश महसूस करता है। साथ ही, तिल का तेल पाचन प्रक्रिया को भी बेहतर बनाता है, जिससे शरीर को उचित पोषण मिल पाता है।
उच्च रक्तचाप, मधुमेह और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से बचाव करने में भी तिल के तेल का कोई जवाब नहीं। तिल में पाया जाने वाला सेसमीन नामक एंटीऑक्सीडेंट कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने से रोकता है।
आधुनिक शोधों ने यह भी साबित किया है कि तिल के तेल के सेवन से ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित किया जा सकता है। यह विशेष रूप से मधुमेह रोगियों के लिए फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि यह रक्त शर्करा के स्तर को स्थिर बनाए रखने में मदद करता है।
साथ ही, यह तेल हृदय की सेहत को बेहतर बनाता है, क्योंकि इसमें आयरन और मैग्नीशियम जैसे खनिज होते हैं, जो दिल की मांसपेशियों को मजबूत करते हैं और रक्त प्रवाह को सामान्य रखते हैं। तिल के तेल का एक अन्य लाभ यह है कि यह कब्ज को दूर कर पेट को साफ रखता है।
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प्रदोष व्रत पर ऐसे पाएं महादेव की कृपा

  • टल जाएगा बड़े से बड़ा संकट
प्रदोष व्रत देवों के देव महादेव की पूजा को समर्पित है। इस दिन प्रभु की उपासना से न केवल दुखों का अंत बल्कि करियर में भी मनचाहे परिणामों की प्राप्ति होती हैं। हिंदू मान्यताओं के मुताबिक प्रदोष व्रत महिलाओं के लिए और भी खास होता है, क्योंकि इस तिथि पर उपवास रखने पर वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि व मधुरता बनी रहती है। वहीं मनचाहा वर पाने के लिए कन्याएं भी भोलेनाथ की आराधना करती है। वर्तमान में मार्च का महीना जारी है और इस माह में 11 मार्च 2025 को प्रदोष व्रत रखा जा रहा है। ज्योतिषियों की मानें तो इस दिन आश्लेषा नक्षत्र और अतिगण्ड योग बन रहा है। ऐसे में शिव चालीसा का पाठ करने से साधक के धन-धान्य व सौभाग्य में वृद्धि हो सकती है, साथ ही महाकाल की कृपा से बड़े से बड़े संकट का भी निवारण हो सकता है।
शिव चालीसा-
॥ दोहा ॥
जय गणेश गिरिजा सुवन,
मंगल मूल सुजान ।
कहत अयोध्यादास तुम,
देहु अभय वरदान ॥
॥ चौपाई ॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला ।
सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके ।
कानन कुण्डल नागफनी के ॥
अंग गौर शिर गंग बहाये ।
मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे ।
छवि को देखि नाग मन मोहे ॥
मैना मातु की हवे दुलारी ।
बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी ।
करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे ।
सागर मध्य कमल हैं जैसे ॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ ।
या छवि को कहि जात न काऊ ॥
देवन जबहीं जाय पुकारा ।
तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥
किया उपद्रव तारक भारी ।
देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥
तुरत षडानन आप पठायउ ।
लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥
आप जलंधर असुर संहारा ।
सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई ।
सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥
किया तपहिं भागीरथ भारी ।
पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी ॥
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं ।
सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥
वेद नाम महिमा तव गाई।
अकथ अनादि भेद नहिं पाई ॥
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला ।
जरत सुरासुर भए विहाला ॥
कीन्ही दया तहं करी सहाई ।
नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥
पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा ।
जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥
सहस कमल में हो रहे धारी ।
कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई ।
कमल नयन पूजन चहं सोई ॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर ।
भए प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥
जय जय जय अनन्त अविनाशी ।
करत कृपा सब के घटवासी ॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै ।
भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै ॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो ।
येहि अवसर मोहि आन उबारो ॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो ।
संकट से मोहि आन उबारो ॥
मात-पिता भ्राता सब होई ।
संकट में पूछत नहिं कोई ॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी ।
आय हरहु मम संकट भारी ॥
धन निर्धन को देत सदा हीं ।
जो कोई जांचे सो फल पाहीं ॥
अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी ।
क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥
शंकर हो संकट के नाशन ।
मंगल कारण विघ्न विनाशन ॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं ।
शारद नारद शीश नवावैं ॥
नमो नमो जय नमः शिवाय ।
सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥
जो यह पाठ करे मन लाई ।
ता पर होत है शम्भु सहाई ॥
ॠनियां जो कोई हो अधिकारी ।
पाठ करे सो पावन हारी ॥
पुत्र हीन कर इच्छा जोई ।
निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे ।
ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा ।
ताके तन नहीं रहै कलेशा ॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे ।
शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥
जन्म जन्म के पाप नसावे ।
अन्त धाम शिवपुर में पावे ॥
कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी ।
जानि सकल दुःख हरहु हमारी ॥
॥ दोहा ॥
नित्त नेम कर प्रातः ही,
पाठ करौं चालीसा ।
तुम मेरी मनोकामना,
पूर्ण करो जगदीश ॥
मगसर छठि हेमन्त ॠतु,
संवत चौसठ जान ।
अस्तुति चालीसा शिवहि,
पूर्ण कीन कल्याण ॥

 

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किस दिन मनाई जाएगी होली भाई दूज

  • होलिका दहन पर रहेगा भद्रा का साया 
  • जानिए...तिलक लगाने का तरीका और महत्व
होलिका दहन 13 मार्च, गुरुवार की रात को होगा और अगले दिन 14 मार्च को होली खेली जाएगी। 15 मार्च को पड़वा व 16 मार्च को भाई दूज मनाई जाएगी।
इस वर्ष होलिका गहन पर भद्रा का साया होने के कारण होलिका दहन रात 11 बजकर 26 मिनट से रात साढ़े बारह बजे तक करना शुभ रहेगा। भद्रा में होलिका दहन करने से नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसलिए होलिका का दहन नहीं किया जाता है।
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि धुलेंडी 14 मार्च को मनाई जाएगी, लेकिन उदया तिथि के अनुसार भाई दूज 15 मार्च की बजाए 16 मार्च को मनाई जाएगी। होली का पर्व पूरे भारत में उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है। यह सिर्फ रंगों का त्योहार नहीं है, बल्कि सामाजिक और धार्मिक दृष्टि से भी इसका विशेष महत्व है। इस दिन लोग एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगाकर अपनी खुशियों को साझा करते हैं।
होलिका दहन पर रहेगा भद्रा का साया-
हर साल होलिका दहन के दिन भद्रा काल का विशेष ध्यान रखा जाता है, क्योंकि मान्यता है कि भद्रा में होलिका दहन करना अशुभ माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, भद्रा काल के दौरान किए गए शुभ कार्यों का नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस कारण होलिका दहन का समय निर्धारित करने से पहले भद्रा समाप्त होने का इंतजार किया जाता है।
इस वर्ष भी होलिका दहन के दिन भद्रा का प्रभाव रहेगा। ज्योतिष गणना के अनुसार, भद्रा काल 13 मार्च को रात 10 बजकर 32 मिनट पर समाप्त होगा। इसीलिए 13 मार्च को रात 11 बजकर 26 मिनिट से रात साढ़े बारह बजे तक का समय होलिका दहन के लिए शुभ रहने वाला है। होलिका दहन के लिए यह शुभ अवधि एक घंटा चार मिनिट के लिए रहने वाली है।
होली भाई दूज 16 मार्च को मनेगी-
हिंदू पंचांग के अनुसार, होली भाई दूज यानी चैत्र माह कृष्ण पक्ष की द्वितीय तिथि की शुरुआत 15 मार्च को दोपहर दो बजकर 33 मिनट पर होगी। वहीं तिथि का समापन अगले दिन 16 मार्च को शाम 4 बजकर 58 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार, इस बार होली भाई दूज 16 मार्च को मनाई जाएगी।
होली भाई दूज पर तिलक लगाने का नियम-
होली की भाई दूज के दिन बहनें अपने भाइयों को भोजन का निमंत्रण देती हैं। भाई का प्रेम पूर्वक स्वागत कर उन्हें चौकी पर बैठाएं। भाई का मुख उत्तर-पश्चिम दिशा में होना चाहिए। इसके बाद भाई को कुमकुम से तिलक कर चावल लगाएं। फिर भाई को नारियल देकर सभी देवी-देवता से उसकी सुख, समृद्धि दीर्घायु की कामना करें। अब भाई बहन को उपहार में सामर्थ्य अनुसार भेंट करें। भाई को भरपेट भोजन कराएं।
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मासिक दुर्गाष्टमी व्रत आज, जानिए...पूजा का शुभ मुहूर्त

सनातन धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व होता है वही मासिक दुर्गाष्टमी व्रत को भी बेहद ही खास माना जाता है जो कि पंचांग के अनुसार हर माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर मनाई जाती है ये तिथि मां दुर्गा को समर्पित है और इस दिन मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत पूजन किया जाता है।
मान्यता है कि इस शुभ दिन पर माता रानी की विधिवत पूजा और व्रत करने से देवी की असीम कृपा बरसती है और कष्टों का निवारण हो जाता है।
फाल्गुन मास की मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत आज यानी 7 मार्च दिन शुक्रवार को किया जा रहा है इस दिन माता रानी की विधिवत पूजा उत्तम फल प्रदान करती हैं ऐसे में हम आपको पूजा का शुभ मुहूर्त बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि का आरंभ 6 मार्च को सुबह 10 बजकर 50 मिनट पर हो जाएगा। वही इस अष्टमी तिथि का समापन अगले दिन यानी की 7 मार्च को सुबह 9 बजकर 18 मिनट पर होगा। वहीं उदया तिथि के अनुसार मार्च का दुर्गाष्टमी व्रत 7 मार्च को फाल्गुन माह की दुर्गाष्टमी मनाई जाएगी।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस शुभ दिन पर सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके माता रानी की विधिवत पूजा की जाती है और व्रत का संकल्प किया जाता है माना जाता है कि इस दिन पूजा पाठ और व्रत करने से जीवन की सारी परेशानियां दूर हो जाती है और सुख समृद्धि बढ़ती है।
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होलाष्टक की शुरुआत आज से, इन नियमों का करें पालन

फाल्गुन माह का आरंभ हो चुका है और इस महीने कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं जिसमें होली को प्रमुख माना जाता है इस साल होली का त्योहार 14 मार्च को है। होली से आठ दिन पहले होलाष्टक लग जाता है और इसे शुभ समय हीं माना जाता है
मान्यता है कि होलाष्टक में किसी भी तरह के शुभ और मांगलिक नहीं करने चाहिए ऐसा करने से कष्ट उठाना पड़ सकता है। पंचांग के अनुसार इस साल होलाष्टक का आरंभ 7 मार्च यानी आज से हो चुका है और समापन 13 मार्च यानी होली से एक दिन पहले होलिका दहन पर हो जाएगा। ऐसे में हम आपको बता रहे हैं कि होलाष्टक के दिनों में किन कार्यों को भूलकर भी नहीं करना चाहिए तो आइए जानते हैं।
होलाष्टक में करें इन नियमों का पालन-
आपको बता रहे हैं कि होलाष्टक के दिनों में किसी भी तरह का शुभ कार्य जैसे शादी विवाह, मुंडन या गृह प्रवेश आदि नहीं करना चाहिए। इसे अच्छा नहीं माना जाता है ऐसा करना अशुभ होता है। होलाष्टक के दौरान नया कारोबार भी शुरू नहीं करना चाहिए ऐसा करना अच्छा नहीं होता है।
होलाष्टक के दिनों में लंबी दूरी की यात्रा करने से बचना चाहिए और सकारात्मक रहना चाहिए। होलाष्टक के दिनों में क्रोध नहीं करना चाहिए इस दौरान मन को शांत रखें। साथ ही इस समय किसी का अपमान भी नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से नकारात्मकता बढ़ती है।
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होलिका दहन की रात करें ये उपाय, आएंगे अच्छे दिन

बहुत कम लोग जानते हैं कि होली में इस्तेमाल होने वाले रंगों और पदार्थों का पारंपरिक औषधीय महत्व भी होता है। प्राचीन समय में होली के रंग पुष्पों, जड़ी-बूटियों और पौधों से बनाए जाते थे। जैसे हल्दी का रंग स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता था और नीलगिरी के रंग से त्वचा को शांति मिलती थी। इसके अतिरिक्त होली के अवसर पर हल्दी और चंदन का उबटन भी किया जाता है, जो शरीर की शुद्धि और ताजगी के लिए लाभकारी होता है। ज्योतिष विद्वान कहते हैं कि होली की रात किए गए उपाय शीघ्र फल देते हैं। बृहस्पतिवार 13 मार्च की रात को होलिका दहन किया जाएगा। अगले दिन सुबह यानि 14 मार्च को होली की राख के साथ कुछ उपाय किए जाएंगे तो आएंगे अच्छे दिन।
यदि कोई आपकी धन वापसी में बेईमानी कर रहा है और आप मुकद्दमे में नहीं पड़ना चाहते तो होलिका दहन स्थल पर धन न लौटाने वाले का नाम ज़मीन पर अनार की लकड़ी से त्रिकोण के अंदर लिखें और उस पर हरा गुलाल छिड़क दें। होलिका माता से धन वापसी की प्रार्थना करें। अगले दिन वहां से राख उठा कर जल में उस व्यक्ति का नाम लेते हुए प्रवाहित कर दें।
गंभीर रोग यदि मेडिकल उपचार से भी ठीक नहीं हो रहा तो देसी घी में भीगे दो लौंग, एक बताशा, मिश्री, एक पान का पत्ता होलिका दहन में अर्पित करें। दाएं हाथ में 4 गोमती चक्र ले के रोग मुक्ति की प्रार्थना करें। गोमती चक्र रोगी की पलंग के चारों पायों में चांदी की तार से बांध दें।
बच्चे को किसी की नजर लग गई है तो देसी घी में भीगे पांच लौंग, एक बताशा, एक पान का पत्ता होलिका दहन में अर्पित करें। दूसरे दिन वहां की राख लाकर ताबीज में भर के बच्चे को पहनाएं।
यदि आपके घर को बुरी नजर लग गई है, उसे उतारने के लिए देसी घी में भीगे दो लौंग, एक बताशा, मिश्री, एक पान का पत्ता होलिका दहन में अर्पित करें। दूसरे दिन वहां की राख लाकर लाल कपड़े में बांध कर घर में रखें।
घर में अच्छे दिन लाने के लिए थोड़ी सी होली की राख घर लाएं, उसमें राई और खड़ा नमक मिलाकर छुपाकर रख दें।
होलिका दहन पर करें इन मंत्रों का जाप-
अनेन अर्चनेन होलिकाधिष्ठातृदेवता प्रीयन्तां नमम्।।
ओम ह्रीं ह्रीं क्लिंम
ऊं नृसिंहाय नम:
ऊँ प्रह्लादाय नमः
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कल रखा जाएगा मासिक दुर्गाष्टमी व्रत

  • ये 5 उपाय करने से दूर हो जाएंगे सारे दुख
कल मार्च को मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत रखा जाएगा। प्रत्येक महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को श्री दुर्गाष्टमी का व्रत किया जाता है। इस दिन माँ दुर्गा की आराधना की जाती है और व्रत किया जाता है। कहते हैं कि इस दिन पूरी श्रद्धा के साथ जो भी व्यक्ति मां दुर्गा की उपासना करता है, देवी मां की कृपा से उसकी सारी मनोकामना पूरी होती है और जीवन में चल रही किसी भी तरह की समस्या का समाधान निकल जाता है। दुर्गाष्टमी के दिन मां दुर्गा की उपासना से आप अपने जीवन में चल रही किसी भी समस्या का हल निकाल सकते हैं, अपने सुख-सौभाग्य में वृद्धि कर सकते हैं और अपनी सभी इच्छाओं की पूर्ति कर सकते हैं। इसके लिए आपको कुछ उपाय दुर्गाष्टमी पर करने चाहिए।
अगर आपकी सुख-समृद्धि को किसी की नजर लग गयी है, तो आज दुर्गाष्टमी के दिन देवी दुर्गा को हलवे और उबले चने का भोग लगाएं। साथ ही 6 सफेद कौड़ियां लेकर, उन्हें लाल कपड़े में बांधकर दुर्गा मां के मन्दिर में चढ़ाएं अगर आप कौड़ियां ना ले पायें तो 6 कपूर और 36 लौंग लेकर देवी दुर्गा को चढ़ाएं। साथ ही देवी दुर्गा के मंत्र का 11 बार जप करें। मन्त्र इस प्रकार है- दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः/ स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि/दारिद्र्यदुःखभयहारिणि का त्वदन्या/ सर्वोपकारकरणाय सदाऽऽ‌र्द्रचित्ता। आज ऐसा करने से आपके सुख समृद्धि को लगी नजर दूर होगी।
अगर आप कर्ज से मुक्ति पाना चाहते हैं, तो आज के दिन 5 सफेद कौड़ियां लेकर, उन्हें लाल कपड़े में बांधकर देवी माँ के मंदिर में चढ़ाएं और देवी मां की विधि-पूर्वक पूजा करें। पूजा के बाद उस लाल कपड़े को उठाकर अपने साथ घर वापस ले आयें और अपनी तिजोरी में रख लें। आज ऐसा करने से आपको जल्द ही कर्ज से छुटकारा मिलेगा।
अगर आप परिवार से जुड़ी किसी समस्या का हल जल्द से जल्द निकालना चाहते हैं, तो आज आप माँ दुर्गा को लाल चुनरी चढ़ाएं। साथ ही दुर्गा जी के इस मंत्र का 11 बार जप करें। मंत्र इस प्रकार है- सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके, शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते। आज ऐसा करने से जीवन में चल रही समस्याओं से जल्द ही छुटकारा मिलेगा।
अगर आप अपनी बिजनेस संबंधी यात्राओं की सफलता सुनिश्चित करना चाहते हैं, तो आज आपको स्नान आदि के बाद साफ कपड़े पहनकर माँ दुर्गा की विधिपूर्वक धूप-दीप आदि से पूजा करनी चाहिए और पूजा के समय एक एकाक्षी नारियल लेकर, उस पर सात बार मौली लपेटकर देवी माँ को चढ़ाना चाहिए। आज ऐसा करने से आपको बिजनेस सम्बन्धी यात्राओं में लाभ सुनिश्चित होगा।
अगर आप अपने जीवन में खूब धन की प्राप्ति करना चाहते हैं, तो आज आप देवी दुर्गा को खोये का भोग लगाये और हाथ जोड़कर देवी माँ को प्रणाम करें। साथ ही दुर्गा जी के इस मंत्र का एक माला यानि 108 बार जप करें। मंत्र इस प्रकार है- सर्वा बाधा विनिर्मुक्तो धन धान्य सुतान्वित:/ मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशय:। आज ऐसा करने से आपको अथाह धन की प्राप्ति होगी।
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