धान का कटोरा

कभी सूर्य की तपन से मिलती थी परेशानी, अब वही बना राहत की किरण

  • अब नहीं करनी पड़ती बिजली की बचत, हर उपकरण चल रहा है बेफिक्र
  • पीएम सूर्यघर योजना बनी 'ज्योति' के घर की असली रोशनी
रायपुर। एक दौर था जब गर्मी के मौसम का नाम सुनते ही आम लोगों के चेहरे पर चिंता की लकीरें उभर आती थीं। कोरबा जिले के कटघोरा में रहने वाली श्रीमती ज्योति अनंत के लिए भी यह मौसम परेशानी और असुविधा लेकर आता था। भीषण गर्मी में बिजली की लगातार कटौती और ऊपर से महंगे बिजली बिल ने उनका चैन और सुकून छीन लिया था। दिन-रात पंखे और कूलर बंद रहते थे, और घर का बजट बिजली के बिल में ही उलझ कर रह जाता था।
लेकिन आज, वही सूर्य जिसकी तपिश उन्हें सताती थी, अब उनके जीवन को रोशन कर रहा है। यह बदलाव संभव हुआ है प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना के तहत, जिसे केंद्र सरकार द्वारा आम नागरिकों के लिए शुरू किया गया है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की दूरदर्शी सोच और मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में क्रियान्वित इस योजना ने हजारों परिवारों को राहत पहुंचाई है, जिनमें श्रीमती ज्योति अनंत भी एक हैं।
उन्होंने अपने घर की छत पर इस योजना के तहत सोलर पैनल लगवाया और अब वही सूर्य, जो कभी कष्ट का कारण था, आज ऊर्जा और आत्मनिर्भरता का स्रोत बन गया है। श्रीमती अनंत बताती हैं कि पहले वे और उनका परिवार गिन-गिन कर बिजली का उपयोग करते थे ताकि बिल कम आए, लेकिन फिर भी हजारों का बिल आता था। कटौती का समय तय नहीं था, जिससे दैनिक जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता था।
एक दिन जब पड़ोसी से उन्हें इस योजना की जानकारी मिली, तो उन्होंने तुरंत इसकी विस्तृत जानकारी जुटाई और स्वयं योजना की वेबसाइट पर जाकर रजिस्ट्रेशन किया। कुछ ही समय में उनके घर की छत पर सोलर पैनल इंस्टॉल कर दिया गया, साथ ही शासन द्वारा 78,000 की सब्सिडी भी प्राप्त हुई। पहले ही महीने में उन्हें इसका लाभ महसूस हुआ। अब बिजली जाती है या नहीं, इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि सोलर एनर्जी से उनका घर चलता है।
श्रीमती अनंत कहती हैं, "पहले गर्मी का मौसम एक सज़ा लगता था, अब यही मौसम राहत और मुनाफा लेकर आता है। हम न केवल अपनी जरूरत की बिजली खुद बना रहे हैं, बल्कि अतिरिक्त बिजली को ग्रिड में भेजकर आर्थिक रूप से भी लाभ पा रहे हैं।"
उन्होंने यह भी बताया कि योजना की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसका कोई जोखिम नहीं है और पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुँचता, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक मजबूत कदम है। उनकी छत अब केवल बिजली उत्पादन का केंद्र नहीं रही, बल्कि हरित छत्तीसगढ़ की ओर उनका योगदान भी बन गई है।
श्रीमती अनंत अब अपने अनुभव के आधार पर अन्य लोगों को भी इस योजना से जुड़ने की सलाह देती हैं। वे कहती हैं, "हम जैसे मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए यह योजना किसी वरदान से कम नहीं। इससे न केवल बिजली की समस्या का हल हुआ है, बल्कि घरेलू खर्च में भी संतुलन आया है।"
उन्होंने प्रधानमंत्री श्री मोदी और मुख्यमंत्री श्री साय को इस जनकल्याणकारी योजना के लिए हृदय से धन्यवाद दिया और उम्मीद जताई कि ऐसी योजनाएं भविष्य में भी आम जन तक पहुँचती रहेंगी।
और भी

छत पर बिजलीघर, घर में उजियारा: प्रधानमंत्री सूर्यघर योजना से बदली जिंदगी

  • खैरागढ़-छुईखदान-गंडई जिले में बढ़ा सौर ऊर्जा का उपयोग, 
  • केंद्र व राज्य सरकार से मिल रही दोहरी सब्सिडी
रायपुर। प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना ने  जिले के अनेक परिवारों की आर्थिक स्थिति और ऊर्जा व्यवस्था में सकारात्मक बदलाव लाया है। भारत सरकार की इस महत्वाकांक्षी पहल का उद्देश्य सौर ऊर्जा को घर-घर पहुंचाकर आमजन को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना है। योजना के अंतर्गत छत पर सोलर प्लांट स्थापित करने पर केंद्र सरकार द्वारा 30 हजार से लेकर 78 हजार रुपए तक की सब्सिडी दी जा रही है। अब छत्तीसगढ़ शासन द्वारा 30 हजार रुपए की अतिरिक्त सब्सिडी दी जा रही है, जिससे यह योजना और अधिक प्रभावी हो गई है।
जिला खैरागढ़ की निवासी श्रीमती भारती सिंह ने अपने मकान की छत पर 10 किलोवाट का ऑन-ग्रिड सोलर प्लांट स्थापित किया है। उन्हें इस पर केंद्र सरकार से 78 हजार रुपये की सब्सिडी प्राप्त हुई है। उन्होंने बताया कि इस संयंत्र से उन्हें बिजली बिल में लगभग 75 प्रतिशत तक की बचत हो रही है। सौर ऊर्जा के माध्यम से उन्हें सस्ती, स्वच्छ और अबाधित बिजली मिल रही है। उनका मानना है कि यह योजना आम परिवारों के लिए एक सुनहरा अवसर है।
इसी तरह गंजीपारा निवासी श्री शिवादित्य सिंह ने अपने घर की छत पर 5 किलोवाट का सोलर संयंत्र लगाया है। उन्होंने बताया कि योजना के तहत मिलने वाली सब्सिडी के कारण उन्हें संयंत्र की लागत काफी किफायती पड़ी है और अब उनका बिजली खर्च पर लगभग समाप्त हो गया है। वे इसे आम जनता के लिए वरदान मानते हैं। खैरागढ़ नगर के अमलीपारा वार्ड निवासी श्री नीलांबर सिंह ने 4 किलोवाट क्षमता का सोलर प्लांट स्थापित कराया है। उन्होंने कहा कि यह तकनीक उन्हें न केवल आत्मनिर्भर बना रही है, बल्कि पर्यावरण के संरक्षण में भी मददगार साबित हो रही है। वहीं नगर के श्री मनीष अग्रवाल ने भी अपने मकान की छत पर 5 किलोवाट का सौर प्लांट लगाया है। उन्होंने बताया कि उन्हें बिजली की गुणवत्ता में सुधार के साथ-साथ बिल में भी उल्लेखनीय कमी देखने को मिल रही है।
छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी के कार्यपालन अभियंता श्री अशोक कुमार द्विवेदी ने बताया कि प्रधानमंत्री सूर्यघर योजना के तहत एक, दो और तीन किलोवाट की श्रेणियों में क्रमशः 30 हजार, 60 हजार और 78 हजार रुपये तक की सब्सिडी दी जाती है। एक किलोवाट संयंत्र से प्रतिमाह लगभग 120 यूनिट बिजली निःशुल्क प्राप्त होती है, वहीं तीन किलोवाट संयंत्र से 360 यूनिट तक की बिजली उत्पादन संभव है। संयंत्र की स्थापना पर केंद्र सरकार की ओर से 25 वर्षों की वारंटी दी जाती है, जबकि अधिकृत वेंडर द्वारा 5 वर्षों तक प्लांट का निःशुल्क संधारण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह योजना पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है, जिससे ग्रामीण और शहरी उपभोक्ता दोनों ही लाभान्वित हो रहे हैं।
योजना का लाभ लेने के लिए इच्छुक उपभोक्ताओं को चउेनतलंहींतण्हवअण्पद पोर्टल पर जाकर पंजीयन करना होगा। पोर्टल पर राज्य, बिजली वितरण कंपनी और कंज्यूमर नंबर की जानकारी भरकर आवेदन किया जाता है। अनुमोदन मिलने के पश्चात अधिकृत वेंडर से संयंत्र की स्थापना करानी होती है। संयंत्र स्थापित होने के बाद नेट मीटर की प्रक्रिया पूरी कर, आवश्यक दस्तावेज पोर्टल पर अपलोड किए जाते हैं। बैंक खाता विवरण और रद्द चेक जमा करने के उपरांत 30 कार्य दिवसों के भीतर सब्सिडी की राशि उपभोक्ता के खाते में स्थानांतरित कर दी जाती है।
और भी

मुख्यमंत्री साय से केन्द्रीय मंत्री सतीश चन्द्र दुबे ने की सौजन्य मुलाकात

रायपुर। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय से आज रायपुर स्थित मुख्यमंत्री निवास में केन्द्रीय कोयला एवं खान राज्य मंत्री श्री सतीश चन्द्र दुबे ने सौजन्य भेंट की। इस दौरान राज्य में कोयला खनन एवं उत्पादन से जुड़े विभिन्न विषयों पर विचार-विमर्श हुआ। बैठक में राज्य में कोयला उत्पादन, खनन कार्यों की प्रगति, श्रमिकों से जुड़ी सुविधाओं एवं विकास कार्यों पर चर्चा की गई। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि केंद्र सरकार के सहयोग से राज्य में कोयला एवं ऊर्जा क्षेत्र में विकास की संभावनाओं को साकार करने में सहायता मिलेगी। श्री साय ने इस दौरान सीएसआर मद की राशि का उपयोग अधिक से अधिक जनकल्याणकारी कार्यों में करने के संबंध में विशेष रूप से चर्चा की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री के सचिव श्री पी. दयानंद, एसईसीएल के मुख्य महाप्रबंधक श्री हरीश दुहन सहित अन्य अधिकारीगण उपस्थित थे।
और भी

राज्यपाल ने मुख्य सचिव अमिताभ जैन को सेवानिवृत्ति पर दी शुभकामनाएं

रायपुर। राज्यपाल श्री रमेन डेका से आज यहां राजभवन में मुख्य सचिव श्री अमिताभ जैन ने सौजन्य भेंट की। राज्यपाल श्री डेका ने श्री जैन के आज सेवानिवृत्त होने पर उन्हें उज्ज्वल भविष्य और सुखमय जीवन के लिए शुभकामनाएं दीं। राज्यपाल श्री डेका ने मुख्य सचिव श्री जैन को राजकीय गमछा और स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया।
और भी

पीएम सूर्यघर योजना से मुफ्त बिजली की राह हुई आसान, बिजली बिल में दिख रहा असर

  • जिंदगी में पहली बार देखा माइनस बिजली बिल-रवि जायसवाल
  • सोलर सिस्टम लगाने बैंक से आसान मासिक किश्तों में मिलता है लोन
रायपुर। पीएम सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना गरीब और मध्यम वर्ग परिवारों को महंगे बिजली बिल से निजात दिलाने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल हैं। जिसमें हितग्राही अपनी छत पर सोलर पैनल के माध्यम बिजली उत्पादन कर अपनी आवश्यकता के बाद बचे सरप्लस बिजली को बेच कर आय भी अर्जित कर सकता है। जिन लोगों ने इस योजना का लाभ लेकर अपनी छतों में सोलर पैनल लगवाए हैं उनके बिजली बिल में इसका असर साफ तौर पर देखा जा सकता है। 
रायगढ़ जिले के रवि जायसवाल ने अपने घर पर दिसंबर माह में 3 किलो वाट का सोलर प्लांट लगवाया है।  इसके लिए उन्हें बैंक लोन भी आसानी से मिल गया। आवेदन करने के बाद विद्युत विभाग ने जल्द उनके घर सोलर प्लांट लगवा दिया। योजना की सब्सिडी भी कुछ ही दिनों में खाते में आ गई। उन्होंने बताया कि पहले उनका बिल जो औसतन 3 से 4 हजार के बीच आता था, वो अब घट कर एक तिहाई से भी कम हो गया है। एक बार बिल माइनस में आया है। उन्होंने कहा कि उन्होंने पहली बार अपनी जिंदगी में बिजली का बिल माइनस में देखा है। उन्होंने कहा कि सोलर प्लांट की लंबी लाइफ  है, एक बार इन्वेस्टमेंट कर आगे 25 सालों तक इस सोलर प्लांट से लाभ लिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आर्थिक रूप से यह योजना राहत तो देती ही है साथ ही पर्यावरण संरक्षण और हरित ऊर्जा के उद्देश्य पूर्ति में भी काफी कारगर है। उन्होंने दूसरों को भी योजना का लाभ लेने के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि अपनी जरूरत की बिजली छत पर बनाएं और सरप्लस बिजली बेच कर पैसे भी कमाएं।
जैसा कि योजना का नाम पीएम सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना है, इसका उद्देश्य सौर ऊर्जा के माध्यम से हितग्राहियों को 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली उपलब्ध कराना है। यह किफायती बिजली पाने का सबसे प्रभावी तरीका है। केंद्र और राज्य सरकार की सब्सिडी के बाद सोलर सिस्टम लगाने के बाद इसकी लागत भी काफी कम हो गई है। बैंको से भी कम दरों पर आसान मासिक किश्त के साथ लोन की सुविधा भी उपलब्ध है।
ऐसे ले सकते हैं 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली
यदि घरेलू उपभोक्ता का प्रतिमाह औसत खपत 300 यूनिट है तब उर्जा प्रभार, नियत प्रभार, ड्यूटी, सेस तथा वी सी ए, सब मिलाकर कुल 2160 रूपए प्रतिमाह बिजली बिल बनता है अर्थात एक वर्ष का कुल औसत खपत 3600 यूनिट मान कर चले तो एक वर्ष का बिजली बिल 25,920 रूपए के लगभग आयेगा। परन्तु यदि उपभोक्ता ने 3 किलो वॉट का सोलर सिस्टम स्थापित कर लिया तो प्रतिदिन 12 यूनिट के आधार पर प्रतिमाह 360 यूनिट उत्पादन होगी। बारिश के मौसम में थोड़े कम उत्पादन को समायोजित करते हुए औसत उत्पादन को न्यूनतम मान कर 300 यूनिट प्रतिमाह मानते हैं तो एक वर्ष का उत्पादन 3600 यूनिट हो जाएगा। जिसमें दिन भर में उपभोक्ता के खपत के अतिरिक्त यूनिट सीधा आटोमेटिक बिजली विभाग के ग्रिड में एक्सपोर्ट हो जाएगा तथा रात में उसके द्वारा की जाने वाली खपत पर आटोमेटिक समायोजन हो जाएगा। अर्थात एक वर्ष के उपभोक्ता के खपत को बढ़ते क्रम में तथा प्रतिवर्ष बिजली बिल की बढ़ोतरी को ध्यान में रखते हुए खपत यूनिट 3600 को उत्पादन यूनिट 3600 को बराबर मान लिया जाये तो वार्षिक बिजली बिल की लागत राशि 25,920 रुपए लगभग शून्य हो जाएगी। यदि खपत 300 यूनिट से अधिक है तो भी प्रति माह औसतन 300 यूनिट का उत्पादन कर उतनी बिजली उपभोक्ता मुफ्त में प्राप्त कर सकता है। खपत 300 यूनिट से कम हुई तो अतिरिक्त बिजली ग्रिड में एक्सपोर्ट हो जाती है जिसका भुगतान उपभोक्ता के बिल में एडजस्ट कर दिया जाता है।
आसान मासिक किश्तों में बैंक लोन उपलब्ध
केंद्र और राज्य सरकार से मिल रही सब्सिडी के बाद उपभोक्ता के लिए 1 किलोवॉट की लागत 15 हजार, 2 किलोवॉट की 30 हजार और 3 किलोवॉट की लागत 72 हजार रुपए रह गई है। साथ ही इसके लिए बैंकों से करीब 6.5 प्रतिशत की दर से लोन आसान मासिक किश्तों के साथ मिल जाता है। यदि उक्त ब्याज दर के साथ 10 वर्षों का लोन भी उपभोक्ता लेते हैं तो उन्हें 1 किलोवॉट के लिए 170 रुपए, 2 किलोवॉट के लिए 341 रुपए और 3 किलोवॉट के लिए 818 रुपए की किश्त आती है। यह 300 यूनिट के लिए लगने वाले मासिक बिजली बिल से भी कम है।
और भी

"प्रदेश में अक्षय उर्जा से पर्यावरण संरक्षण दिशा में बढ़ते कदम"

  • पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना से श्री मनीष कुमार गुप्ता का बिजली बिल हुआ शून्य
रायपुर। प्रदेश में अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना एक महत्वपूर्ण पहल साबित हो रही है। इस योजना के जरिए आम लोगों को न केवल बिजली बिल की बढ़ती चिंता से राहत मिल रही हैए बल्कि ग्रीन एनर्जी को अपनाकर वे पर्यावरण संरक्षण में भी अपनी भागीदारी निभा रहे हैं।
अम्बिकापुर के देवेंद्रम कॉलोनी में रहने वाले श्री मनीष कुमार गुप्ता बताते हैं किए पीएम सूर्य घर.मुफ्त बिजली योजनांतर्गत हमने अपने घर की छत पर तीन किलो वाट का सोलर पैनल लगवाया है। शासन की इस योजना के तहत हमें 78 हजार रुपए की सब्सिडी भी मिली है। तीन किलोवाट का सोलर पैनल लगवाने में करीब 1 लाख 95 हजार रुपए तक की लागत लगती है। उन्होंने बताया कि पहले उनके यहां 3 से 4 हजार रुपए तक का हर महीने बिजली बिल आता था। वहीं गर्मियों में बिजली का बिल भी बढ़ जाता था। लेकिन जब से हमने अपने घर की छत पर सोलर पैनल लगवाया है पिछले तीन महीने से बिजली बिल शून्य हो गया है। उन्होंने कहा कि शासन की इस योजना से अक्षय उर्जा में एक क्रांति आई है। उन्होंने सभी बिजली उपभोक्ताओं से अपील की है कि ग्रीन उर्जा को बढ़ावा देने और अपने बिजली बिल का बजट खत्म करने के लिए इस योजना का ज्यादा से ज्यादा लाभ उठाएं। उन्होंने इस योजना के लिए शासन का आभार व्यक्त किया।
पीएम सूर्य घर-मुफ्त बिजली योजना हेतु आवेदन की प्रक्रिया
प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना का लाभ लेने के लिए उपभोक्ता राष्ट्रीय सौर ऊर्जा पोर्टल ;ीजजचेरूध्ध्चउेनतलंहींतण्हवअण्पदध्  द्ध पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। आवेदन के लिए बिजली कनेक्शन नंबरए आधार कार्ड और छत की फोटो जैसी सामान्य जानकारियां अपलोड कर सकते हैं या फिर अपने नजदीकी बिजली विभाग में संपर्क कर इस योजना का लाभ उठा सकते हैं।
और भी

मोर गांव मोर पानी महाभियान के तहत जल संरक्षण की अनूठी पहल

  • सरगुजा जिले की ग्राम पंचायतों में 125 संरचनाओं का निर्माणए भू-जल स्तर में वृद्धि की दिशा में बड़ा कदम 
रायपुर। सरगुजा जिले में मोर गांव मोर पानी महाभियान के तहत जल संरक्षण और भू.जल स्तर को बढ़ाने के लिए व्यापक स्तर पर कार्य किया जा रहा है। कलेक्टर श्री विलास भोसकर और जिला मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री विनय कुमार अग्रवाल के मार्गदर्शन में मनरेगा योजना के तहत जल संवर्धन के लिए विभिन्न संरचनाओं का निर्माण तेज गति से जारी है।
जनपद पंचायत उदयपुर के पांच पंचायतों में पलकाए फुलचूहीए रिखीए ललाती और केसमा इस महाभियान का केंद्र बनी हैं। यहां पहाड़ी ढलानों पर कुल 125 संरचनाएं बनाई जा रही हैंए जिनमें स्ट्रेगर ट्रेंचए कंटूर ट्रेंचए वाटर एब्जॉरप्शन ट्रेंचए लूज बोल्डर चेक डैमए गली प्लग और डबरी शामिल हैं। इन संरचनाओं का मुख्य उद्देश्य बरसात के मौसम में नालों के माध्यम से बहकर व्यर्थ जाने वाले पानी को रोकना और उसे धरती में समाहित कर भू.जल स्तर को बढ़ाना है।
GIS तकनीक से वैज्ञानिक प्लानिंग
इन कार्यों की योजना बनाने और कार्यान्वयन में आधुनिक GIS तकनीक ;जियोग्राफिक इन्फॉर्मेशन सिस्टमद्ध का उपयोग किया जा रहा है। GIS  तकनीक की मदद से रिज टू वैली ;पहाड़ी की चोटी से घाटी तकद्ध सिद्धांत पर आधारित स्ट्रक्चर्स की प्लानिंग की गई है ताकि बारिश का पानी व्यवस्थित तरीके से संरचनाओं में एकत्र हो और अधिकतम जल संचयन हो सके।
मिट्टी कटाव पर भी लगेगा अंकुश
पूर्व में इन क्षेत्रों में वर्षाजल के बहाव से बड़े पैमाने पर मिट्टी कटाव की समस्या उत्पन्न होती थी। अब इन संरचनाओं के निर्माण से न केवल जल संरक्षण होगा बल्कि मिट्टी कटाव की समस्या पर भी स्थायी समाधान मिलेगा। इन संरचनाओं से नालों का बहाव धीमा होगा और पानी धीरे.धीरे भूमि में रिसकर भू.जल भंडार को समृद्ध करेगा।
ग्रामीणों में उत्साहए प्रशासन को धन्यवाद
इस महाभियान से ग्रामीणों में भी खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों ने प्रशासन की इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह कार्य उनके गांवों की जल समस्या के स्थायी समाधान की दिशा में ऐतिहासिक कदम है। ग्रामीणों ने उम्मीद जताई कि इन कार्यों से आने वाले वर्षों में सिंचाईए पीने के पानी और पर्यावरण संरक्षण में बड़े बदलाव दिखेंगे।
प्रशासन की प्राथमिकता : जल संरक्षण और पर्यावरण सुरक्षा
कलेक्टर श्री विलास भोसकर ने मार्गदर्शन में मोर गांव मोर पानी महाभियान के तहत जिले में जल संरक्षण की दिशा में हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। सभी संबंधित विभागों को समन्वय के साथ कार्य करने और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं ताकि यह अभियान जिले में जल संकट दूर करने में मील का पत्थर साबित हो। जिला मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री विनय कुमार अग्रवाल के नेतृत्व में जल संरक्षण संरचनाओं का निर्माण जनसहभागिता से किया जा रहा है ताकि लोगों में भी जल के प्रति जागरूकता बढ़े और वे अपनी जिम्मेदारी निभाएं।
और भी

प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना : सौर ऊर्जा से संवरते सपने

  • बिजली बिल हुआ आधा, 30 हजार का अतिरिक्त अनुदान दे रही राज्य सरकार
रायपुर। प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना पूरे देश की तरह बिलासपुर जिले के लोगों के लिए भी फायदेमंद साबित हो रही है। इससे न केवल पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिल रहा है, बल्कि महंगाई के इस दौर में भारी-भरकम बिजली बिल से भी राहत मिल रही है। बिलासपुर की अशोक नगर निवासी श्रीमती अंजलि सिंह ने अपनी छत पर तीन किलोवाट का सोलर प्लांट स्थापित किया है। उन्होंने बताया कि इस सोलर प्लांट की कुल लागत एक लाख 85 हजार रुपए आई। इसमें केंद्र सरकार से 78 हजार रुपए की सब्सिडी भी मिली है।
श्रीमती अंजलि सिंह ने बताया कि सोलर प्लांट लगाने से पहले उसके घर का मासिक बिजली बिल ढाई से तीन हजार रुपए तक आता था। लेकिन अब उसका बिजली बिल आधा हो गया है। इससे उन्हें आर्थिक रूप से बड़ी राहत मिली है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की दूरदर्शी सोच से अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान मिल रहा है। प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना में अब राज्य सरकार भी केंद्र सरकार के साथ मिलकर उपभोक्ताओं को लाभ पहुंचा रही है।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की कैबिनेट ने अक्षय ऊर्जा को प्रोत्साहन देने और बिजली उपभोक्ताओं को राहत पहुंचाने प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना में 30 हजार रुपए तक का अतिरिक्त अनुदान देने का निर्णय लिया है। बिलासपुर की श्रीमती अंजलि सिंह ने बताया कि पहले बिजली चले जाने पर दिक्कतें होती थीं, बार-बार शिकायत करनी पड़ती थी। अब इन समस्याओं से छुटकारा मिल गया है। उन्होंने बताया कि आवेदन करने के दस दिनों के भीतर सेट-अप भी लग गया था। उन्होंने योजना के लिए सरकार को धन्यवाद देते हुए कहा कि सोलर सिस्टम का रखरखाव बेहद सरल है और इसमें कोई अतिरिक्त खर्च नहीं आता है। उन्होंने हर व्यक्ति के लिए इसे उपयोगी बताते हुए इस योजना से जुड़ने का सुझाव दिया है।
सरकार से मिल रही सब्सिडी, वेबसाइट या एप से कर सकते हैं पंजीयन
प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना के तहत स्थापित सोलर रूफ-टॉप संयंत्र विद्युत ग्रिड से नेट मीटरिंग के माध्यम से जोड़ा जाता है। उपभोक्ता अपनी जरूरत से अधिक बिजली का उत्पादन कर ग्रिड को सप्लाई कर सकते हैं, जिससे उनका बिजली बिल शून्य होने के साथ-साथ अतिरिक्त आय भी प्राप्त होती है। योजना के अंतर्गत एक किलोवाट का सोलर प्लांट स्थापित करने पर केंद्र सरकार से 30 हजार रुपए और राज्य सरकार से 15 हजार रुपए यानि कुल 45 हजार रुपए की सब्सिडी मिलती है। दो किलो वॉट पर केंद्र सरकार से 60 हजार रुपए और राज्य सरकार से 30 हजार रुपए तथा तीन किलोवाट का सोलर पैनल स्थापित करने पर केंद्र सरकार से 78 हजार रुपए और राज्य सरकार से 30 हजार रुपए यानि कुल एक लाख आठ हजार रुपए का अनुदान प्राप्त होगा। वेबसाइट https://pmsuryaghar.gov.in या पीएम सूर्यघर मोबाइल एप पर पंजीयन कराकर प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना का लाभ लिया जा सकता है।
और भी

छत्तीसगढ़ के वित्तीय प्रबंधन में वित्त अधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका : ओपी चौधरी

  • छत्तीसगढ़ राज्य वित्त सेवा अधिकारी संघ की वार्षिक आमसभा एवं स्नेह सम्मेलन, शामिल हुए वित्त मंत्री
रायपुर। वित्त मंत्री श्री ओपी चौधरी ने छत्तीसगढ़ के नीति प्रबंधन और नियंत्रण में राज्य वित्त सेवा के अधिकारियों की सराहना की और कहा कि राज्य के वित्तीय प्रबंधन में वित्त अधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने वित्त सेवा के अधिकारियों को पूरी ईमानदारी और सजगता से कार्य करने के लिए प्रेरित किया। वित्त मंत्री श्री चौधरी रविवार को राजधानी रायपुर के न्यू-सर्किट हाऊस में आयोजित छत्तीसगढ़ राज्य वित्त सेवा अधिकारी संघ के वार्षिक आमसभा एवं स्नेह सम्मेलन को सम्बोधित कर रहे थे। 
वित्त मंत्री श्री ओपी चौधरी ने छत्तीसगढ़ राज्य वित्त सेवा अधिकारी संघ की विभिन्न मांगों पर आवश्यक पहल करने के लिए आश्वस्त किया। उन्होंने संघ की वेबसाईट का शुभारंभ तथा स्मारिका ‘सुनिधि‘ का विमोचन तथा सेवानिवृत्त अधिकारियों को शॉल, श्रीफल व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित भी किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता छत्तीसगढ़ पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग के अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष, सेवानिवृत्त प्रमुख सचिव छत्तीसगढ़ शासन श्री आर.एस. विश्वकर्मा ने की। 
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में श्रीमती शीतल शाश्वत वर्मा, विशेष सचिव वित्त विभाग, श्री चंदन कुमार, विशेष सचिव वित्त विभाग एवं श्री रितेश अग्रवाल, संचालक कोष एवं लेखा शामिल हुए। आमसभा एवं स्नेह सम्मेलन में सेवानिवृत्त वित्त अधिकारियों ने व्याख्यान दिए। इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुतियाँ दी गईं। छत्तीसगढ़ राज्य वित्त सेवा अधिकारी संघ की अध्यक्ष डॉ. अल्पना घोष ने संघ का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया और विभिन्न प्रस्तावों को सदस्यों के समक्ष रखा जिसे सर्वसम्मति से पारित किया गया। संघ के कोषाध्यक्ष श्री अनिल पाठक द्वारा संघ के आय-व्यय का विवरण सभा में रखा गया। संघ के सचिव श्री सचिन शर्मा द्वारा धन्यवाद प्रेषित करने के पश्चात् सम्मेलन का समापन हुआ।
और भी

केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से नागपुर में सौजन्य मुलाकात

  • बलरामपुर शहर में 10 किलोमीटर फोरलेन बायपास मार्ग बनाने दिया प्रस्ताव
  • अम्बिकापुर-रामानुजगंज-गढ़वा राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक-343 कॉरीडोर का निर्माण है प्रगति पर 
रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार के कृषि विकास एवं आदिम जाति कल्याण मंत्री श्री रामविचार नेताम ने रविवार को नागपुर, महाराष्ट्र में केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी से सौजन्य मुलाकात की। मंत्री श्री नेताम ने इस दौरान बताया कि निर्माणाधीन अम्बिकापुर-रामानुजगंज-गढ़वा राष्ट्रीय राजमार्ग कमांक-343 में कॉरीडोर योजना के लिए 397.44 करोड़ रुपये एवं 199.05 करोड़ रुपये की स्वीकृति प्रदान की गयी है। 
मंत्री श्री नेताम ने केंद्रीय मंत्री श्री गड़करी से आग्रह करते हुए कहा कि यह मार्ग अम्बिकापुर से रामानुजगंज होते हुए झारखण्ड को जोड़ने वाला अंतर्राज्यीय मुख्य मार्ग है। इस मार्ग से यात्री बसें, व्यावसायिक वाहन एवं आमजनों के आवागमन अधिक होने के साथ-साथ अति विशिष्टजनों का आवागमन भी होता है। इसी मार्ग पर बलरामपुर शहरी भाग स्थित है, जो कि जिला मुख्यालय है, जिसके दोनों ओर व्यवसायिक एवं आवासीय बसाहट है। सभी छोटे अथवा भारी वाहनों का आवागमन वर्तमान में शहरी क्षेत्र से होने के कारण आये दिन माल वाहकों से जाम की स्थिति एवं दुर्घटनाएं होती रहती है।
मंत्री श्री नेताम ने बताया कि बलरामपुर शहरी क्षेत्र में आवागमन में होने वाली असुविधा को देखते हुए फोरलेन बायपास मार्ग अनुमानित लम्बाई 10 किलोमीटर की अत्यधिक आवश्यकता है। इसके निर्माण से आम नागरिकों के सुचारू आवागमन के साथ-साथ अन्तर्राज्यीय व्यवसाय एवं राजस्व में बढ़ोत्तरी होगी।
मंत्री श्री नेताम ने केन्द्रीय मंत्री से बलरामपुर बायपास की स्वीकृति प्रदान करने का आग्रह किया। इसके लिए जिला बलरामपुर-रामानुजगंज के निवासी आपका हृदय से आभारी रहेंगे। उन्होंने केन्द्रीय मंत्री को बताया कि भारत सरकार राष्ट्रीय राजमार्ग भारत माला परियोजना के तहत दक्षिण छत्तीसगढ़ रायपुर से विशाखापट्टनम मार्ग का कार्य पूर्णता पर है। इससे प्रदेश के नागरिकों को सीधे दक्षिण भारत एवं महाराष्ट्र मुंबई की बेहतर आवागमन की सुविधा उपलब्ध होगी। इसी तर्ज पर भारत माला परियोजना के तहत उत्तर छत्तीसगढ़ को जोड़ते हुए रायपुर-बिलासपुर-अम्बिकापुर से वाड्रफनगर होते हुए बनारस (वाराणसी) तक रोड के बन जाने से सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ के नागरिकों को उत्तर दक्षिण एवं पूर्व पश्चिम के सभी महानगरों से बेहतर आवागमन की सुविधा प्राप्त हो जाएगी। मंत्री श्री नेताम ने केन्द्रीय मंत्री श्री गडकारी से रायपुर-बनारस (वाराणसी) मार्ग को भारत माला परियोजना के तहत शामिल कर स्वीकृति प्रदान करने का अग्राह किया।
और भी

जीवन रक्षक डॉक्टर समाज के सच्चे नायक हैं - रमेन डेका

  • चिकित्सकों के सम्मान समारोह में शामिल हुए राज्यपाल
रायपुर। जीवन रक्षक डॉक्टर समाज के सच्चे नायक हैं जो दिन-रात निः स्वार्थ भाव से लोगों की सेवा कर उनकी जान बचाते हैं। उनकी मेहनत, उनका ज्ञान और सेवा भावना समाज को स्वस्थ्य बनाती है। राज्यपाल श्री रमेन डेका ने रविवार को धन्वंतरी सम्मान कार्यक्रम में उक्त बाते कही।
श्री डेका आईबीसी 24 न्यूज चौनल द्वारा आयोजित धन्वंतरी सम्मान समारोह में कार्यक्रम में बतौर मुख्यअतिथि उपस्थित रहे। इस कार्यक्रम में राज्य भर के उत्कृष्ट अस्पतालों, चिकित्सकों, मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर श्री डेका ने कहा कि भगवान धन्वंतरी के नाम पर रखा गया यह सम्मान डॉक्टरों को समर्पित है जो दिन-रात बिना थके, बिना रूके इंसान की सेवा मेें लगे रहते हैं। शहर हो या गांव, सामान्य सर्दी-खांसी हो या कोई बड़ी बीमारी डॉक्टर हर इलाज के लिए तत्पर रहते हैं।
श्री डेका ने कहा कि चिकित्सा सबसे श्रेष्ठ व्यवसाय है। भारत एक विशाल देश जहां 140 करोड़ से अधिक लोग रहते है। उनको स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध करने के लिए स्वास्थ्य के क्षेत्र में बहुत कार्य करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि चिकित्सा को व्यवसाय न बनाया जाए इसमे मानवीय संवेदना की जरूरत है। चिकित्सकों का दायित्व बहुत बड़ा है, उनसे बहुत अपेक्षाएं है, धैर्य के साथ सेवा को प्राथमिकता दें।
श्री डेका ने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री की स्वच्छ भारत अभियान की परिकल्पना के तहत ‘प्रधानमंत्री टी.बी. मुक्त भारत योजना‘ शुरू की गई है जिसका लक्ष्य भारत को टी.बी. जैसे रोग से सदा के लिए मुक्ति दिलाना है। इसमें आप सब अपनी ओर से महत्वपूर्ण योगदान कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि टी.बी. के साथ-साथ ब्रेस्ट कैंसर के प्रति जनमानस में जागरूकता की कमी है। विशेष कर गांवों में इन बीमारियों के प्रति लोगांे को जागरूक करने की जरूरत है। उन्होंने चिकित्सकों से आव्हान किया कि ब्रेस्ट कैंसर और टी.बी. उन्मूलन के लिए कार्य करें, टी.बी. मरीजों को गोद लंे। श्री डेका ने बताया कि वे स्वयं प्रदेश के हर जिले में 10-10 टी.बी मरीजों के निःक्षय मित्र बने हैं और उन्हें पौष्टिक आहार उपलब्ध करने के लिए हर माह 500-500 सौ रूपए की राशि दे रहें हैं। उन्होंने राज्य के तीन गांवों को गोद लिया है जहां टी.बी. उन्मूलन विशेष प्राथमिकता में शामिल हैं। श्री डेका कहा कि ब्रेस्ट कैंसर की रोकथाम हेतु गांवों का चयन कर सर्वे कराया जाएगा और महिलाओं कोे इस रोग के प्रति जागरूक भी किया जाएगा। उन्होंने चिकित्सकों को भी इस क्षेत्र में कार्य करने हेतु प्रेरित किया।
श्री डेका ने सम्मान प्राप्त करने वाले सभी चिकित्सकों को बधाई दी और कहा कि यह समारोह स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति जागरूकता बढ़ाने और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का एक अनुरणीय प्रयास है।
कार्यक्रम में स्वास्थ्य मंत्री श्री श्याम बिहारी जायसवाल, चैनल के सभी वरिष्ठ अधिकारी, संवाददाता सहित विभिन्न अस्पतालों के संचालक, चिकित्सक एवं उनके परिजन बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
और भी

मुख्यमंत्री साय से केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री श्रीमती सावित्री ठाकुर ने की सौजन्य मुलाकात

  • नक्सल क्षेत्रों में 159 आंगनबाड़ी केंद्र, 70 लाख महिलाओं को ₹10,431 करोड़- सशक्तिकरण की नई मिसाल
रायपुर। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय से रविवार को राजधानी रायपुर स्थित मुख्यमंत्री निवास में केंद्रीय राज्य मंत्री महिला एवं बाल विकास श्रीमती सावित्री ठाकुर ने सौजन्य मुलाकात की। इस दौरान मुख्यमंत्री श्री साय ने श्रीमती ठाकुर के साथ प्रदेश में महिलाओं और बच्चों के कल्याण के लिए संचालित विभिन्न योजनाओं पर विस्तार से चर्चा की।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार राज्य के सर्वांगीण विकास के संकल्प के तहत विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों को सशक्त बनाने पर ध्यान दे रही है। उन्होंने बताया कि नक्सल प्रभावित बीजापुर, सुकमा, कांकेर, दंतेवाड़ा और नारायणपुर जिलों में नियद नेल्लानार योजना के तहत महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा 159 आंगनबाड़ी केंद्रों का सफलतापूर्वक संचालन किया जा रहा है। यह पहल उन दुर्गम क्षेत्रों में शासन की योजनाओं को सीधे अंतिम पंक्ति तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
मुख्यमंत्री श्री साय ने यह भी अवगत कराया कि महतारी वंदन योजना अंतर्गत मार्च 2024 से जून 2025 की अवधि में 70 लाख से अधिक महिलाओं को ₹10,431.30 करोड़ की राशि सीधे उनके बैंक खातों में ट्रांसफर की गई है। इससे महिलाओं की आर्थिक आत्मनिर्भरता को मजबूत आधार मिला है।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने केंद्रीय राज्य मंत्री श्रीमती ठाकुर को शॉल एवं श्रीफल भेंट कर सम्मानित किया। मुलाकात के दौरान प्रदेश की महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े और राज्य बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ. वर्णिका शर्मा उपस्थित थीं।
और भी

तेंदूपत्ता संग्राहकों के सम्मान में "चरण पादुका योजना" का पुनः शुभारंभ : मुख्यमंत्री

  • स्वाभिमान और सुरक्षा का प्रतीक बनी चरण पादुका योजना
रायपुर। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने रविवार को दुर्ग जिले के जामगांव में महिला तेंदूपत्ता संग्राहकों को चरण पादुका पहनाकर ‘चरण पादुका योजना’ का पुनः शुभारंभ किया गया। प्रदेश के 12 लाख 40 हजार से अधिक तेंदूपत्ता संग्राहकों को अब यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की एक और गारंटी का प्रत्यक्ष लाभ प्राप्त होगा। 
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि हमारी सरकार वनवासियों और तेंदूपत्ता संग्राहक भाइयों-बहनों के जीवन स्तर को सशक्त और सुरक्षित बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत है। चरण पादुका योजना उन परिश्रमी हाथों के प्रति हमारी कृतज्ञता का प्रतीक है, जो कठिन परिस्थितियों में वनोपज संग्रहण का कार्य करते हैं।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि तेंदूपत्ता संग्राहक परिवारों का राज्य की अर्थव्यवस्था, वनोपज आधारित रोजगार और स्थानीय समृद्धि में अमूल्य योगदान है। उनकी मेहनत से ही छत्तीसगढ़ की वनोपज परंपरा जीवंत बनी हुई है और लाखों परिवारों को आजीविका का सहारा मिलता है। ‘चरण पादुका योजना’ हमारे संकल्प पत्र "मोदी की गारंटी" का महत्वपूर्ण वादा था, जिसे हमारी सरकार ने पूरी प्रतिबद्धता के साथ पूरा किया है। यह योजना केवल चरण पादुका वितरण भर नहीं, बल्कि तेंदूपत्ता संग्राहकों के श्रम और स्वाभिमान का सम्मान है। 
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि इस योजना के माध्यम से हम तेंदूपत्ता संग्राहकों के उस परिश्रम को नमन कर रहे हैं, जो जंगलों की पगडंडियों से होकर प्रदेश की समृद्धि तक पहुँचता है। सरकार उनके हर सुख-दुख में सहभागी है और उनके जीवन में गरिमा और सुरक्षा सुनिश्चित करना हमारा कर्तव्य है।
और भी

मुख्यमंत्री साय ने नवनिर्मित आधुनिक आयुर्वेदिक प्रसंस्करण इकाई और केन्द्रीय भंडार गृह परिसर का किया लोकार्पण

  • फॉरेस्ट टू फार्मेसी मॉडल को साकार करने की दिशा में सरकार की ऐतिहासिक पहल
  • 27.87 एकड़ क्षेत्र में 36.47 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित है आधुनिक आयुर्वेदिक प्रसंस्करण इकाई
रायपुर। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने रविवार को दुर्ग जिले के पाटन विधानसभा के अंतर्गत ग्राम जामगांव (एम) में छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ मर्यादित द्वारा निर्मित आधुनिक आयुर्वेदिक औषधि प्रसंस्करण इकाई एवं केन्द्रीय भंडार गृह परिसर तथा स्प्रेयर बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड द्वारा पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप अंतर्गत निर्मित हर्बल एक्सट्रेक्शन इकाई का लोकार्पण किया।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि   प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की गारंटी को हमारी सरकार पूरी प्रतिबद्धता के साथ पूरा कर रही है। हमारी सरकार डेढ़ वर्षों से लगातार विकास की दिशा में अग्रसर है। तीन करोड़ जनता से किए गए वचनों को हम प्राथमिकता से पूरा कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि  तीन नई हर्बल इकाइयों से लगभग दो हजार लोगों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा। छत्तीसगढ़ का 44 प्रतिशत भू-भाग वन क्षेत्र से आच्छादित है, जो हमारे लिए सौभाग्य का विषय है। आयुर्वेदिक औषधियों की कच्ची सामग्रियां जंगलों से एकत्र कर संयंत्रों तक पहुंचाई जाएंगी, जिससे वनवासियों को प्रत्यक्ष लाभ प्राप्त होगा। उन्होंने कहा कि यह प्रसंस्करण इकाई मध्य भारत की सबसे बड़ी इकाई है और आयुर्वेदिक औषधि निर्माण के क्षेत्र में एक मील का पत्थर सिद्ध होगी। इससे न केवल स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार होगा, बल्कि छत्तीसगढ़ की पहचान राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयुर्वेदिक केंद्र के रूप में स्थापित होगी।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि तेंदूपत्ता संग्राहकों के लिए सरकार ने संग्रहण दर 4,500 रुपए से बढ़ाकर 5,500 रुपए प्रति मानक बोरा कर दी है, जिससे लगभग 13 लाख तेंदूपत्ता संग्राहक परिवारों को इसका सीधा लाभ मिलेगा। साथ ही पूर्ववर्ती सरकार में बंद की गई ‘चरण पादुका योजना’ को पुनः प्रारंभ किया गया है, जिसके अंतर्गत आज पांच हितग्राही महिलाओं को चरण पादुका वितरित की गईं।
मुख्यमंत्री ने लोगों से ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान से जुड़ने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को अपनी माँ के नाम पर कम से कम एक पेड़ अवश्य लगाना चाहिए और उसका संरक्षण करना चाहिए। इससे पर्यावरण संरक्षण के साथ ही माँ के प्रति सम्मान भाव भी बना रहेगा।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वन मंत्री श्री केदार कश्यप ने कहा कि छत्तीसगढ़ में 44.10 प्रतिशत वनाच्छादित क्षेत्र है, जिससे वनोपज की बहुलता है। यह प्रसंस्करण इकाई मध्य भारत की सबसे बड़ी इकाई है। इसके प्रारंभ से वनोपज का संग्रहण, प्रसंस्करण और विपणन सुगम होगा। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ का वनोपज अब वैश्विक बाजार में अपनी पहचान बनाएगा। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में 67 प्रकार की वनोपज का संग्रहण किया जाता है, जिससे 13 लाख 40 हजार वनवासियों को सीधा लाभ मिलेगा। श्री कश्यप ने कहा कि ‘मोदी की गारंटी’ के अनुरूप ‘चरण पादुका योजना’ को पुनः प्रारंभ किया गया है।
महामंडलेश्वर श्री श्री 1008 स्वामी कैलाशनंद गिरी जी महाराज ने भी कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आयुर्वेदिक औषधियों की महत्ता पर प्रकाश डाला।
मुख्यमंत्री श्री साय ने लोकार्पण से पूर्व प्रसंस्करण इकाई परिसर में आंवला का पौधा रोपित किया। इसके साथ ही वन मंत्री श्री कश्यप ने सीताफल का पौधा, सांसद श्री विजय बघेल ने बेल तथा महामंडलेश्वर श्री श्री 1008 डॉ. स्वामी कैलाशानंद गिरी जी महाराज ने भी सीताफल का पौधा रोपित किया।
उल्लेखनीय है कि आयुर्वेदिक प्रसंस्करण इकाई छत्तीसगढ़ की समृद्ध वन संपदा को विज्ञान और आधुनिक तकनीक से जोड़कर ‘फॉरेस्ट टू फार्मेसी मॉडल’ को साकार करने की दिशा में ऐतिहासिक पहल है। 27.87 एकड़ क्षेत्र में 36.47 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित यह इकाई प्रतिवर्ष 50 करोड़ रुपए मूल्य के उत्पाद तैयार करेगी। यहां प्रदेश के वनों से प्राप्त औषधीय और लघु वनोपज – जैसे महुआ, साल बीज, कालमेघ, गिलोय, अश्वगंधा आदि का संगठित एवं वैज्ञानिक प्रसंस्करण कर चूर्ण, सिरप, तेल, टैबलेट एवं अवलेह जैसे गुणवत्तापूर्ण उत्पाद निर्मित होंगे। यह इकाई ‘छत्तीसगढ़ हर्बल्स’ ब्रांड के तहत प्रदेश के उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहचान दिलाने का प्रमुख केंद्र बनेगी।
परियोजना के अंतर्गत 2,000 से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। इसमें बड़ी संख्या में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित होगी, जिससे उन्हें स्वरोजगार मिलेगा। वहीं युवाओं को तकनीकी प्रशिक्षण प्राप्त होने से स्थानीय स्तर पर आजीविका के नए द्वार खुलेंगे। इकाई में आधुनिक वेयरहाउस की 20,000 मीट्रिक टन की संग्रहण क्षमता विकसित की गई है, जिससे मौसमी वनोपजों के दीर्घकालीन संरक्षण एवं गुणवत्ता नियंत्रण में सहायता मिलेगी। यह परियोजना प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के ‘वोकल फॉर लोकल’ एवं ‘आत्मनिर्भर भारत’ के विजन को साकार करती है। यह न केवल वन उत्पादों के स्थानीय मूल्य संवर्धन का उदाहरण प्रस्तुत करती है, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन, आर्थिक विकास और सामाजिक समावेशिता को भी सशक्त बनाती है।
मुख्यमंत्री श्री साय की दिखी संवेदनशीलता: अपने हाथों से पहनाई चरणपादुका
इस अवसर पर मानवीय संवेदनशीलता और सम्मान का अनूठा दृश्य भी देखने को मिला, जब मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने ग्राम बढ़भुम (जिला बालोद) की हितग्राही श्रीमती शकुंतला कुरैटी को स्नेहपूर्वक अपने हाथों से चरण पादुका पहनाई।मुख्यमंत्री श्री साय की पहल से प्रेरित होकर वन मंत्री सहित अन्य अतिथियों ने भी हितग्राहियों – श्रीमती वैजयंती कुरैटी, श्रीमती निर्मला उईके, श्रीमती ललिता उईके तथा श्रीमती अघनतीन उसेंडी को अपने हाथों से चरण पादुका पहनाई। 
इस अवसर पर सांसद श्री विजय बघेल, विधायकगण श्री डोमन लाल कोर्सेवाड़ा, श्री सम्पत लाल अग्रवाल, श्री ललित चन्द्राकर, श्री गजेन्द्र यादव एवं श्री रिकेश सेन, पूर्व मंत्री श्रीमती रमशीला साहू, पूर्व विधायक श्री दया राम साहू, महामंडलेश्वर श्री श्री 1008 डॉ. स्वामी कैलाशानंद गिरी जी महाराज, स्थानीय आदिवासी स्वास्थ्य परंपरा एवं औषधि पादप बोर्ड के अध्यक्ष श्री विकास मरकाम, वन विकास निगम के अध्यक्ष श्री रामसेवक पैकरा, वन बल प्रमुख श्री व्ही. श्रीनिवास राव, छत्तीसगढ़ राज्य वनोपज संघ के प्रबंध संचालक श्री अनिल कुमार साहू एवं संघ के कार्यकारी अध्यक्ष श्री एस. मणिकासगन उपस्थित थे।
और भी

छोटे-छोटे प्रयास बड़े बदलाव का बनते हैं आधार : अरुण साव

  • उप मुख्यमंत्री ने सुनी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की 'मन की बात'
रायपुर। उप मुख्यमंत्री श्री अरुण साव ने रविवार को रायपुर के भनपुरी स्थित पाटीदार समाज भवन में स्थानीय लोगों और युवाओं के साथ प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ की 123वीं कड़ी का प्रसारण सुना। प्रधानमंत्री ने आज की 'मन की बात' में देशवासियों से अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की सफलता, देश-विदेश में बने कीर्तिमानों, आपातकाल के दौरान लोकतंत्र की हत्या के काले अध्याय जैसे विषयों पर अपने विचार साझा किए। विधायक श्री मोतीलाल साहू ने भी पाटीदार समाज भवन में 'मन की बात' का प्रसारण सुना।
उप मुख्यमंत्री श्री अरुण साव ने  'मन की बात' सुनने के बाद कहा कि जीवन में छोटे-छोटे प्रयास बड़े बदलाव का आधार बनते हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का यह दृष्टिकोण हम सभी को प्रेरित करता है। यदि हम नियमित रूप से छोटे लेकिन सार्थक कदम उठाएं तो समाज और देश में सकारात्मक परिवर्तन संभव है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने आज के कार्यक्रम में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा भारत को ट्रेकोमा मुक्त देश घोषित करने और देश की 64 प्रतिशत आबादी को सरकार की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ मिलने संबंधी अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की रिपोर्ट का उल्लेख किया है। ये उपलब्धियां प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार द्वारा सामाजिक न्याय और समावेशी विकास के लिए उठाए गए ठोस कदमों का प्रमाण है।
श्री साव ने कहा कि प्रधानमंत्री ने विश्व पर्यावरण दिवस और प्रकृति संरक्षण के महत्व को रेखांकित करते हुए महिला स्वसहायता समूहों द्वारा तैयार हस्तनिर्मित उत्पादों की सराहना की है। प्रधानमंत्री ने स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा देने फिटनेस और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में हो रहे नवाचारों के बारे में भी बताया है। रायपुर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री नंदकुमार साहू, रायपुर नगर निगम के पार्षदगण और गणमान्य नागरिक बड़ी संख्या में पाटीदार समाज भवन में मन की बात सुनने के लिए मौजूद थे।
और भी

CM विष्णुदेव साय ने सुनी 'मन की बात' की 123वीं कड़ी

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विचारों ने बढ़ाया उत्साह, छोटे प्रयासों से बड़े बदलाव की अपील : मुख्यमंत्री
रायपुर। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने रविवार को मुख्यमंत्री निवास में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के लोकप्रिय मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ को सुना और इसे प्रेरणादायी बताया। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी 'मन की बात' कार्यक्रम के माध्यम से देश के कोने-कोने में हो रहे नवाचारों, जन-भागीदारी और सकारात्मक प्रयासों की चर्चा करते हैं, जिससे राष्ट्र निर्माण के लिए समर्पित लोगों को पहचान और सम्मान मिलता है।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के विचारों से प्रेरणा लेकर छत्तीसगढ़ में जनभागीदारी के साथ स्वास्थ्य और प्रकृति की रक्षा के लिए निरंतर कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आज के ‘मन की बात’ कार्यक्रम में भी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने उपयोगी जानकारियां साझा की। प्रधानमंत्री ने स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देने के लिए फिटनेस और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में चल रहे नवाचारों के बारे में बताया है।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि जीवन में छोटे-छोटे प्रयास बड़े बदलाव का आधार बनते हैं। प्रधानमंत्री श्री मोदी का यह दृष्टिकोण हम सभी को प्रेरित करता है और यदि हम नियमित रूप से छोटे लेकिन सार्थक कदम उठाएं, तो समाज और देश में व्यापक सकारात्मक परिवर्तन संभव है। 
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि प्रधानमंत्री देश की छोटी-छोटी से लेकर बड़ी उपलब्धियों पर भी अपनी बात साझा करते हैं और उसकी सराहना करते हैं। श्री साय ने कहा कि प्रधानमंत्री ने योग दिवस की भव्यता, पर्यावरण संरक्षण में जनभागीदारी, महिला सशक्तिकरण, भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला की उपलब्धि, 1975 के आपातकाल और भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों की वियतनाम यात्रा और भारत के ट्रेकोमा मुक्त होने जैसे विषयों पर अपने विचार साझा किए। मुख्यमंत्री ने कहा कि विकसित भारत हम सभी का संकल्प है और राष्ट्र को आगे ले जाने के लिए छत्तीसगढ़ हर मोर्चे पर दृढ़ संकल्प के साथ खड़ा है।
इस अवसर पर निरंजन पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशनंद गिरी जी महाराज,  केंद्रीय राज्य मंत्री महिला एवं बाल विकास श्रीमती सावित्री ठाकुर, कैबिनेट मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े, विधायक श्री राजेश मूणत, विधायक श्री अनुज शर्मा, विधायक श्री राजेश अग्रवाल, विधायक श्री संपत अग्रवाल, विधायक श्री प्रबोध मिंज, राज्य बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ. वर्णिका शर्मा, सीजीएमएससी के चेयरमैन श्री  दीपक म्हस्के, अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष श्री अमरजीत छाबड़ा, वन विकास निगम के अध्यक्ष श्री रामसेवक पैंकरा, छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड की अध्यक्ष श्रीमती शालिनी राजपूत सहित बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
और भी

दो साल से राज्यपाल के पास धूल खा रहा है ओबीसी आरक्षण बिल : भूपेश बघेल

  • सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद आक्रामक हुई कांग्रेस
  • ओबीसी को लेकर देशभर में आंदोलन शुरू करने का ऐलान
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट द्वारा मध्य प्रदेश में ओबीसी आरक्षण पर की गई टिप्पणी के बाद कांग्रेस ने भाजपा को घेरना शुरू कर दिया है। कांग्रेस महासचिव और छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ विधानसभा में पास हुए 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण बिल को लेकर बड़ा आरोप लगाया है।
दिल्ली के इंदिरा भवन में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में बघेल ने कहा कि 2 दिसंबर 2022 को यह बिल विधानसभा में सर्वसम्मति से पास हुआ था। उससे पहले, राज्य स्थापना दिवस पर राज्यपाल अनुसुईया उइके ने उन्हें खुद कहा था— “आप बिल पास कीजिए, मैं एक दिन भी नहीं रोकूंगी।” लेकिन जब विधानसभा से पास होने के दो घंटे के भीतर ही बिल राजभवन पहुंचाया गया, तो राज्यपाल ने इसे ‘अध्ययन’ में डाल दिया। अब दो साल हो चुके हैं, आज 2025 चल रहा है, लेकिन अभी तक यह अध्ययन खत्म नहीं हुआ।
उन्होंने कहा कि इससे साफ हो गया है कि भाजपा की मंशा ओबीसी समाज को उनका अधिकार देने की नहीं है। यह पार्टी जब भी मौका मिलता है, पिछड़े वर्ग के खिलाफ फैसले लेती है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी मध्य प्रदेश में 27 फीसदी आरक्षण लागू नहीं हुआ है।
भूपेश बघेल ने ऐलान किया कि ओबीसी आरक्षण की लड़ाई अब सिर्फ छत्तीसगढ़ तक सीमित नहीं रहेगी। इसकी शुरुआत मध्य प्रदेश से होगी। फिर छत्तीसगढ़ में आंदोलन होगा। और अंत में इसे पूरे देशभर में फैलाया जाएगा। भूपेश बघेल ने कहा, “हम ये लड़ाई हर स्तर पर लड़ेंगे, ताकि ओबीसी समाज को उसका संवैधानिक हक मिल सके।”
संविधान की प्रस्तावना से ‘धर्मनिरपेक्ष’ और ‘समाजवादी’ शब्द हटाने की बहस पर बघेल ने कहा कि आरएसएस इस तरह के मुद्दे समाज में छोड़ती है ताकि बहस हो और लोग धीरे-धीरे उसे स्वीकार करें। लेकिन भारत एक बहुजातीय और बहुधार्मिक देश है, जहां सबके लिए बराबरी की सोच जरूरी है। इसलिए ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ जैसे शब्दों को हटाने की सोच भी नहीं होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि भाजपा सिर्फ अपने दो-तीन बड़े उद्योगपति दोस्तों के लिए फैसले लेती है, और आम जनता को 5 किलो राशन देकर उसे उसका हक देने का दिखावा करती है।
बिहार की जनता फिर जवाब देगी
बिहार चुनाव को लेकर भी उन्होंने भाजपा पर निशाना साधा। कहा कि पिछली बार चुनाव से ठीक पहले आरक्षण पर मोहन भागवत का बयान आया था और उसका नतीजा भाजपा को नुकसान के रूप में देखना पड़ा था। इस बार भी ऐसा ही होगा क्योंकि बिहार की जनता संविधान को मानती है और जवाब देना जानती है।
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- OBC आरक्षण लागू क्यों नहीं?
बता दें कि मध्यप्रदेश में 27% OBC आरक्षण लागू न होने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। कोर्ट ने हैरानी जताते हुए पूछा कि जब विधानसभा द्वारा बनाए गए कानून पर कोई रोक नहीं है, तो सरकार अब तक उसे लागू क्यों नहीं कर रही? यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट की अवकाशकालीन पीठ – न्यायमूर्ति के.बी. विश्वनाथन और न्यायमूर्ति एन. कोटेश्वर सिंह ने की।
कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार हाईकोर्ट के 2019 के अंतरिम आदेश को अब तक मान रही है, जबकि वह आदेश अब प्रभावी नहीं है। विधानसभा द्वारा पारित कानून को लागू न करना गंभीर संवैधानिक स्थिति है। इस मामले में पीएससी सहित कई भर्तियां अटकी हुई हैं और OBC वर्ग के सैकड़ों अभ्यर्थी प्रभावित हो रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश सरकार को नोटिस जारी करते हुए 4 जुलाई तक जवाब मांगा है। यह मामला अब राजनीतिक रूप से भी गरमा गया है।
और भी

मुख्यमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम से मनोज यादव ने बदली व्यवसाय की दिशा

  • योजना से मिला आर्थिक संबल, बढ़ा व्यवसाय, बढ़ी आमदनी
रायपुर। प्रदेश सरकार द्वारा संचालित मुख्यमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम राज्य के शिक्षित बेरोजगार युवाओं, महिलाओं और उद्यमशील नागरिकों को स्वरोजगार के अवसर प्रदान करने हेतु एक महत्वाकांक्षी योजना है। इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में छोटे-मझोले उद्योगों की स्थापना को प्रोत्साहित करना, जिससे स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर सृजित हों और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिले। योजना के अंतर्गत पात्र आवेदकों को निर्धारित परियोजना लागत पर अनुदान और बैंकों के माध्यम से ऋण की सुविधा प्रदान की जाती है। इसी योजना के अंतर्गत महासमुन्द जिले के बसना विकासखंड के ग्राम सराईपाली निवासी श्री मनोज कुमार यादव ने योजना का लाभ लेकर अपने छोटे कम्प्यूटर कार्य केंद्र (च्वाइस सेंटर) को विस्तार देने का कार्य किया। पूर्व में सीमित संसाधनों के साथ संचालित यह व्यवसाय मुख्यमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के सहयोग से एक सफल स्वरोजगार इकाई में परिवर्तित हुआ है।
मनोज यादव का पहले से एक छोटा-सा च्वाइस सेंटर था, जिसे वे लंबे समय से चला रहे थे। वे अपने व्यवसाय का विस्तार करना चाहते थे, परंतु आर्थिक संसाधनों की कमी एक बड़ी चुनौती थी। इसी बीच उन्हें ग्रामोद्योग विभाग, जिला पंचायत महासमुन्द द्वारा संचालित मुख्यमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम की जानकारी मिली। मनोज ने इस योजना के अंतर्गत आवेदन किया और एक लाख रुपए की लागत पर परियोजना स्वीकृत हुई। इसमें से उन्हें 35 प्रतिशत अनुदान प्राप्त हुआ और शेष राशि का ऋण उन्होंने बैंक से प्राप्त किया। इस आर्थिक सहयोग से उन्होंने अपने कम्प्यूटर सेंटर का विस्तार किया, आवश्यक उपकरण खरीदे और सेवाओं की गुणवत्ता को बढ़ाया। उन्होंने बताया कि इस योजना से मिले ऋण और अनुदान से न केवल उनका व्यवसाय बड़ा हुआ बल्कि उनकी आय में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई। उन्होंने समय पर ऋण की किश्तें चुकाते हुए बैंक का पूरा ऋण अदा कर दिया है। आज वे न केवल अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं, बल्कि क्षेत्र के अन्य लोगों को भी डिजिटल सेवाएं प्रदान कर रहे हैं।
मनोज छत्तीसगढ़ शासन के इस अभिनव कार्यक्रम के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कहते हैं कि मुख्यमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम से मुझे आत्मनिर्भर बनने का अवसर मिला। मैं शासन का दिल से आभार व्यक्त करता हूं, जिसने मेरे जैसे सामान्य व्यक्ति को खुद का व्यवसाय खड़ा करने में सहायता की। मुख्यमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम जैसी योजनाएं युवाओं के सपनों को साकार करने का माध्यम बन रही हैं, जो राज्य के समग्र विकास में सहायक सिद्ध हो रही हैं।
और भी