धान का कटोरा

मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े ने किया आंगनबाड़ी और प्राथमिक शाला का औचक निरीक्षण

रायपुर। महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े ने सूरजपुर के पंच मंदिर वार्ड में आंगनबाड़ी केंद्र और शासकीय प्राथमिक शाला का औचक निरीक्षण किया। उन्होंने बच्चों की शिक्षा, पोषण, स्वच्छता और शैक्षणिक व्यवस्थाओं का जायजा लिया। आंगनबाड़ी में बच्चों की उपस्थिति, पोषण आहार की गुणवत्ता, टीकाकरण और पोषण ट्रैकर ऐप के उपयोग की जांच की गई। मंत्री ने कुपोषण से जूझ रहे बच्चों की नियमित निगरानी और गुणवत्तापूर्ण आहार सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
प्राथमिक शाला में उन्होंने शिक्षकों से पाठ्यक्रम, मध्याह्न भोजन और पुस्तक वितरण की जानकारी ली। बच्चों से संवाद कर उनकी पढ़ाई और सपनों को जाना। मंत्री श्रीमती राजवाड़े ने कहा कि मजबूत बचपन ही सशक्त भविष्य की नींव है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार बाल विकास को प्राथमिकता दे रही है। उन्होंने अधिकारियों को नियमित निरीक्षण और बेहतर व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। निरीक्षण में जिला कार्यक्रम अधिकारी, बीईओ, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, शिक्षक और स्थानीय जनप्रतिनिधि मौजूद रहे।
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बिलासपुर में 100 करोड़ रुपये की लागत से बनेगी आधुनिक एजुकेशन सिटी

  • मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने की घोषणा
रायपुर। सीएम विष्णुदेव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और छात्रों के सर्वांगीण विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है। इसी क्रम में बिलासपुर शहर को एक आधुनिक एजुकेशनल हब के रूप में विकसित करने की दिशा में ऐतिहासिक पहल की जा रही है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के दिशानिर्देश पर बिलासपुर में एजुकेशनल सिटी की अवधारणा विकसित की गई है। इस परियोजना के लिए बिलासपुर नगर पालिक निगम की लगभग 13 एकड़ भूमि का उपयोग प्रस्तावित है।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि बिलासपुर एजुकेशनल सिटी में नालंदा परिसर की स्थापना की जाएगी, जहां 500 छात्र-छात्राएं एक साथ बैठकर फिजिकल एवं डिजिटल लाइब्रेरी का लाभ ले सकेंगे। इसके साथ ही तीन बहुमंजिला इमारतों का निर्माण किया जाएगा, जिनमें कुल 48 हॉल सेटअप ( 1 सेटअप में 1 हॉल, 2 कक्ष और 1 टॉयलेट) तैयार किए जाएंगे। इस व्यवस्था में एक साथ 4,800 विद्यार्थियों के कोचिंग क्लास अटेंड करने की सुविधा रहेगी।
छात्रों के शैक्षणिक एवं व्यक्तित्व विकास के लिए 700 सीटों वाले आधुनिक ऑडिटोरियम का निर्माण भी किया जाएगा। वहीं, बाहर से आने वाले लगभग 1000 विद्यार्थियों के लिए हॉस्टल फैसिलिटी भी निर्मित की जाएगी। खेलकूद और स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए एजुकेशनल सिटी में एस्ट्रोटर्फ खेल मैदान तथा सुंदर गार्डन भी विकसित किए जाएंगे। साथ ही, वाहनों के लिए मल्टी लेवल पार्किंग की व्यवस्था होगी ताकि आने-जाने में कोई असुविधा न हो।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि इस महत्वाकांक्षी परियोजना की अनुमानित लागत करीब 100 करोड़ रुपये होगी और इसके निर्माण कार्य की कार्य योजना नगर पालिक निगम बिलासपुर द्वारा तैयार कर ली गई है। शीघ्र ही निर्माण कार्य प्रारंभ होगा, जिससे बिलासपुर एजुकेशनल सिटी प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में नई मिसाल कायम करेगी।
उल्लेखनीय है कि राज्य गठन के पश्चात बिलासपुर शहर ने शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। बिलासपुर में एसईसीएल का मुख्यालय और रेलवे का डीआरएम कार्यालय भी स्थित है, जिससे यह शहर न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे देश में अपनी विशिष्ट पहचान बना रहा है। यहां एक केंद्रीय विश्वविद्यालय, दो विश्वविद्यालय, आठ महाविद्यालय, लोक सेवा आयोग, व्यापम और आईआईटी जैसे प्रतिष्ठित परीक्षाओं की तैयारी करवाने वाले करीब 100 से अधिक कोचिंग संस्थान संचालित हो रहे हैं, जिनमें प्रदेश के 50,000 से अधिक छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं। छत्तीसगढ़ सरकार शिक्षा को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकताओं में स्थान देती है। हमारी यह अटल प्रतिबद्धता है कि प्रदेश का प्रत्येक विद्यार्थी आधुनिक संसाधनों, उन्नत अधोसंरचना और प्रेरक वातावरण में अपनी क्षमताओं को संवार सके और आत्मविश्वास के साथ अपने सपनों को साकार कर सके।
बिलासपुर एजुकेशन सिटी का निर्माण इसी दिशा में एक ऐतिहासिक पहल है। यह न सिर्फ बिलासपुर को छत्तीसगढ़ का एजुकेशनल हब बनाएगा, बल्कि प्रदेश के हजारों युवाओं को उच्चस्तरीय सुविधाओं में अध्ययन और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी का अवसर देगा। नालंदा परिसर, बहुमंजिला कोचिंग भवन, डिजिटल और फिजिकल लाइब्रेरी, हॉस्टल, ऑडिटोरियम, खेल मैदान और ग्रीन जोन – ये सभी सुविधाएं विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास को समर्पित होंगी। मुझे विश्वास है कि यह परियोजना आने वाले वर्षों में छत्तीसगढ़ के शैक्षणिक परिदृश्य को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाएगी और हमारे युवाओं को उज्ज्वल भविष्य की ओर अग्रसर करेगी।"
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माना विमानतल में ऑटोमेटेड पार्किंग शुरू

  • फास्ट टैग की तरह कट जाएगा शुल्क
रायपुर। राजधानी के माना विमानतल में ऑटोमेटेड पार्किंग शुरू कर दिया गया है। यात्री अपने वाहन से एयरपोर्ट के पार्किंग बैरियर पर पहुंचेंगे, ऑटोमेटेड सिस्टम से पार्किंग  शुल्क की पर्ची निकलेगी और शुल्क फास्ट टैग से कट जाएगा। इससे निकास द्वार पर रुकने की ज़रूरत नहीं होगी। एयरपोर्ट  प्रबंधन ने पार्किंग शुल्क में कोई वृद्धि नहीं की  है।
रायपुर एयरपोर्ट डायरेक्टर ने 27 जून को रात में इस सिस्टम की शुरूआत कर दी है। एयरपोर्ट अफसरों के  अनुसार  पार्किंग एंट्री पर ऑटोमैटेड सिस्टम से पर्ची निकलेगी। इसे सभी वाहन चालक स्वयं ले सकेंगे। एंट्री पर लगे सिस्टम से वाहन का नंबर और एंट्री का समय पर्ची पर स्वतः अंकित होगा। जैसे ही पर्ची लेंगे, पार्किंग एंट्री पर लगा बैरियर खुल जाएगा और यात्री, मित्र  रिश्तेदार को एयरपोर्ट के प्रस्थान या आगमन द्वार से लेने के बाद जब पार्किंग एग्जिट पर पहुंचेंगे, तो फास्टैग से शुल्क कट जाएगा। अब यात्रियों के ड्रॉप और पिकअप के तय समय के अनुसार पैसा कटेगा। पार्किंग के दरों में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है।
एयरपोर्ट प्रबंधन ने एक बयान में कहा कि न‌ई व्यवस्था से पूर्व में निर्मित होने वाली सभी विवादास्पद स्थितियां अब पूर्ण रूप से ऑटोमेटेड सिस्टम होने के कारण नहीं होंगी l इससे नई व्यवस्था से सभी यात्रिओं को सुविधा होगी और समय की भी बचत होगी l
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पलारी में डायरिया का प्रकोप, 24 से ज्यादा मरीज भर्ती

  • स्वास्थ्य विभाग अलर्ट
बलौदाबाजार। बलौदाबाजार जिले के पलारी नगर पंचायत में डायरिया तेजी से पैर पसार रहा है। वार्ड नंबर 1 से 4 तक के इलाकों में उल्टी-दस्त की शिकायत वाले मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। अब तक 24 से ज्यादा मरीजों को पलारी के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया है।
स्वास्थ्य विभाग ने स्थिति को गंभीरता से लेते हुए वार्ड नंबर 4 में विशेष स्वास्थ्य शिविर लगाया गया है, जहां मरीजों का इलाज चल रहा है। साथ ही, पलारी स्वास्थ्य केंद्र में अतिरिक्त बेड की व्यवस्था की गई है। आसपास के इलाकों से डॉक्टरों को भी बुलाकर उनकी ड्यूटी लगाई गई है, ताकि इलाज में किसी तरह की कमी न रहे।
पलारी सीएचसी में मरीजों का इलाज कर रहे डॉ. पंकज वर्मा ने बताया कि स्थिति अभी काबू में है और सभी भर्ती मरीजों का इलाज लगातार जारी है। उन्होंने लोगों से अपील की है कि खाने-पीने का खास ध्यान रखें। पानी को उबालकर ही पिएं और पुराने या सड़े-गले फल-सब्जियों से परहेज करें।
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रायपुर गद्दा फैक्ट्री में कर्मचारी जिंदा जला, आगजनी की घटना

रायपुर. मंदिर हसौद के कोटेश्वर स्थित गद्दा फैक्ट्री में शुक्रवार रात बड़ा हादसा हो गया. गद्दा बनाने वाली इस फैक्ट्री में भीषण आग भड़क उठी. हादसे के वक्त फैक्ट्री के भीतर एक कर्मचारी काम कर रहा था, जिसकी जिंदा जलकर मौत हो गई. वहीं फैक्ट्री भी जलकर हो गई.
मृतक की पहचान मगर लोग, धमतरी जिला निवासी त्रिलोचन ध्रुव के रूप में हुई है. इस भयवाह हादसे के वक्त वह फैक्ट्री में फंस गया था. आग इतनी भीषण थी कि काबू पाने के लिए दमकल की चार वाहनों की मदद लेनी पड़ी. कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया. पुलिस ने शव जले हुए शव के अवशेष को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है. फिलहाल आग लगने का कारण सामने नहीं आया है. मामले की जांच की जारी है.
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एग्री -हॉर्टी एक्सपो एवं क्रेता-विक्रेता सम्मेलन में शामिल हुए CM विष्णुदेव साय

  • अन्नदाताओं की समृद्धि से हो रही प्रदेश की उन्नति
जशपुर। सीएम साय ने आज कैम्प कार्यालय बगिया से जशपुर में आयोजित “एग्री-हॉर्टि एक्सपो एवं क्रेता-विक्रेता सम्मेलन” का वर्चुअल शुभारंभ किया। छत्तीसगढ़ एक कृषि सम्पन्न प्रदेश है, जहाँ पारम्परिक कृषि के साथ-साथ हॉर्टिकल्चर, पशुपालन, मत्स्य पालन और डेयरी विकास में भी असीम संभावनाएं हैं।
इन सभी क्षेत्रों में किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए हमारी सरकार निरंतर प्रयास कर रही है। जशपुर की उर्वर भूमि अब सेब, लिची और चाय जैसी उच्च मूल्य वाली फसलों की पहचान बन रही है, जिससे किसानों को सीधा लाभ मिल रहा है।
आधुनिक तकनीक एवं बाजार से जोड़कर कृषकों की आय बढ़ाने और उन्हें आर्थिक रूप से सम्पन्न बनाने की दिशा में यह दो दिवसीय सम्मेलन निश्चित रूप से कारगर सिद्ध होगा।सभी किसान भाईयों को शुभकामनाएं!
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कलेक्टर और एसएसपी ने रायपुर शहर का औचक निरीक्षण किया

रायपुर। कलेक्टर डॉ. गौरव सिंह और एसएसपी डॉ. लाल उम्मेद सिंह ने रायपुर शहर का औचक निरीक्षण किया। शहर के विभिन्न क्षेत्रों में पहुंचकर यातायात को सुव्यवस्थित करने स्थिति तथा व्यवस्था का जायजा ले रहे है। इस दौरान निगम आयुक्त विश्वदीप, सीईओ जिला पंचायत कुमार बिश्वरंजन सहित जिला स्तरीय अधिकारी उपस्थित है। रायपुर में देर रात से सुबह तक रुक-रुककर तेज बारिश हो रही है। सुबह से घने बादल छाए हुए हैं।
बारिश से कई इलाकों में जलभराव हो गया है। इस बीच मौसम विभाग ने अगले 5 दिन छत्तीसगढ़ में हल्की से मध्यम बारिश का अलर्ट जारी किया है। सूरजपुर और बलरामपुर-रामानुजगंज में बिजली गिरने और हैवी रेन का यलो अलर्ट है। अन्य 31 जिलों में सिर्फ बिजली गिरने का यलो अलर्ट है।
छत्तीसगढ़ में मानसून का ग्राफ लगातार बढ़-घट रहा है। शुक्रवार को 24 से अधिक जिलों के 69 स्थानों पर बारिश हुई। औसतन बारिश 25.51 मिमी दर्ज की गई। तापमान की बात करें तो शुक्रवार को 31.2 डिग्री सेल्सियस के साथ दुर्ग सबसे गर्म रहा। वहीं 22.2 डिग्री न्यूनतम तापमान के साथ पेण्ड्रा सबसे ठंडा रहा।
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अनिल टुटेजा ने न्यायिक निगरानी में शराब घोटाले की जांच की मांग की, HC से याचिक ख़ारिज

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के चर्चित शराब घोटाले में जेल में बंद पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा को हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। टुटेजा ने अदालत से गुहार लगाई थी कि उनके खिलाफ ईडी, एसीबी और पुलिस की कार्रवाई की न्यायिक निगरानी हो, लेकिन हाईकोर्ट ने उनकी यह याचिका खारिज कर दी।
अनिल टुटेजा की ओर से उनके वकील ने कोर्ट में दलील दी कि उन्हें एक राजनीतिक साजिश के तहत फंसाया गया है और उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है। वकील ने कहा कि जांच एजेंसियां पक्षपात कर रही हैं, इसलिए जांच की मॉनिटरिंग जरूरी है। हालांकि, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से पेश हुए उपमहाधिवक्ता डॉ. सौरभ पांडेय ने इसका कड़ा विरोध किया। उन्होंने कोर्ट को बताया कि अनिल टुटेजा सिर्फ शराब घोटाले में ही नहीं, बल्कि डीएमएफ और कोयला घोटाले जैसे कई गंभीर मामलों में भी आरोपी हैं।
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने साफ किया कि जांच एजेंसियां अपना काम कर रही हैं और इस स्तर पर न्यायिक निगरानी की जरूरत नहीं है। इसी के साथ टुटेजा की याचिका खारिज कर दी गई। गौरतलब है कि अनिल टुटेजा इन दिनों ईडी की कार्रवाई के चलते न्यायिक हिरासत में हैं और उनसे जुड़े भ्रष्टाचार के मामलों की जांच लगातार जारी है।
 
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जीपीएम जिला गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में हुआ शामिल

  • रक्त शक्ति महा अभियान में एक ही दिन में 51727 महिलाओं का हुआ एचबी जांच 
रायपुर। एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम और बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम को जिले में शामिल करते हुए 26 जून को गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले में चलाए गए रक्त शक्ति महा अभियान में एक ही दिन में जिले की 13 से 45 वर्ष आयु वर्ग की 51,727 महिलाओं का हीमोग्लोबीन (एचबी) जांच कराने पर जिले का नाम गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में शामिल हो गया है। गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड की स्टेट हेड श्रीमती सोनल राजेश शर्मा ने आज एसेम्बली हॉल मल्टीपरपज स्कूल पेण्ड्रा में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी घोषणा करते हुए जिला कलेक्टर को प्रमाण पत्र प्रदान किया। 
स्वास्थ्य मंत्री श्री श्याम बिहारी जायसवाल ने गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में जिले का नाम दर्ज होने पर इस उत्कृष्ट कार्य के लिए जिला प्रशासन को शुभकामनाएं और बधाई दी है।  उन्होंने कहा कि रक्त की कमी होने से बहुत सारी समस्याएं होती है।  एचबी की वास्तविक जानकारी प्राप्त करने के लिए रक्त शक्ति महा अभियान ने बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया है। 
जिला कलेक्टर श्रीमती लीना कमलेश मंडावी ने कहा कि इस अभियान में जिला स्तर से लेकर मैदानी स्तर के सभी विभागों के अमले की सेवाएं ली गई। इस अभियान में जनप्रतिनिधियों, सामाजिक संगठनों और मीडिया की भी सराहनीय सहभागिता रही। अभियान में मितानिन, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, स्व सहायता समूह की महिलाएं, पंचायत सचिव, पटवारी, कोटवार, ग्रामीण कृषि विकास विस्तार अधिकारियों ने इस उपलब्धि को हासिल करने में महत्वपूर्ण योगदान किया है।
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दंतेवाड़ा में PMKSYके तहत कोल्ड चेन और विकिरण सुविधा होगी शुरू

  • बस्तर अंचल की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में आएगा क्रांतिकारी बदलाव
  • लघु वनोपजों, उद्यानिकी फसलों, मिलेट्स के परिरक्षण, मूल्य संवर्धन और बाजारों तक पहुंच होगी आसान
रायपुर। आदिवासी बहुल दंतेवाड़ा जिले में इमली, महुआ जैसी लघु वनोपजों, जैविक सब्जियों, फलों और मिलेट्स के परिरक्षण और उनकी ताजगी बनाए रखने के लिए 25 करोड़ रूपए की लागत से प्रसंस्करण और कोल्ड स्टोरेज इकाई की स्थापना की जाएगी। राज्य सरकार के प्रस्ताव को केन्द्र सरकार ने मंजूरी प्रदान कर दी है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने केन्द्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री श्री चिराग पासवान से चर्चा कर इस प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान करने का आग्रह किया था।
जनजातीय परिवारों की आय को बढ़ावा देने और उपजों के संग्रहण के बाद होने वाले नुकसान को कम करने के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, दंतेवाड़ा जिला प्रशासन पातररास गांव में एक एकीकृत कोल्ड चेन और बहु-उत्पाद खाद्य विकिरण सुविधा स्थापित किया जा रहा है। यह अत्याधुनिक बुनियादी ढांचा-प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (PMKSY) 2024 के तहत भारत में अपनी तरह की पहली सरकारी नेतृत्व वाली सुविधा-बस्तर क्षेत्र में वन और बागवानी उत्पादों के भंडारण, प्रसंस्करण और विपणन के तरीके को बदलने के लिए तैयार है।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने कहा कि “यह परियोजा देश में PMKSY 2024 के तहत पहली ऐसी सरकारी पहल है, जो उपजों के परिरक्षण और उनकी बाजार तक पहुंच को आसान बनाएगी। परियोजना के तहत विकसित किया जा रहा बुनियादी ढांचा आदिवासी आजीविका के लिए गेम-चेंजर साबित होगा। यह हमारे वन उपज संग्राहकों और किसानों को बेहतर मूल्य प्राप्त करने, उपज की बर्बादी को कम करने और बड़े बाजारों तक उपजों को पहुंचाने में मदद करेगी। समय के साथ, यह उपजों का मूल्य संवर्धन कर बस्तर की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करेगी और जो वास्तव में यहाँ के लोगों की अपनी परियोजना होगी।”
बस्तर अंचल के लिए यह एक युगांतकारी कदम साबित होगा। इस इकाई की स्थापना से इमली सहित अन्य उपजों के प्रसंस्करण, संरक्षण और निर्यात को प्रोत्साहन मिलेगा। साथ ही स्थानीय किसानों और लघु वनोपज संग्राहकों को उपज का उचित मूल्य मिलेगा, रोजगार के नए अवसर निर्मित होंगे और आर्थिक समृद्धि व सतत विकास का मार्ग प्रशस्त होगा।
24.98 करोड़ रूपए की लागत वाली यह परियोजना जिला परियोजना आजीविका महाविद्यालय सोसायटी (DPLCS) दंतेवाड़ा द्वारा कार्यान्वित की जा रही है, जो जनजातीय क्षेत्रों में आजीविका सृजन के लिए प्रतिबद्ध एक सरकारी पंजीकृत निकाय है।
उपजों के संग्रहण के बाद की कमी को पूरा करेगी परियोजना 
दंतेवाड़ा और आस-पास के जिलों में प्रचुर मात्रा में लघु वन उपज (एमएफपी) जैसे इमली, महुआ, जंगली आम, बाजरा और देशी मसाले पाए जाते हैं। हालांकि, उचित भंडारण, संरक्षण और मूल्य-संवर्धन बुनियादी ढांचे की कमी के कारण इस उपज का 7-20 प्रतिशत हिस्सा हर साल नष्ट हो जाता है।
नई सुविधा कोल्ड स्टोरेज, गामा विकिरण, प्रसंस्करण और लॉजिस्टिक्स बुनियादी ढांचे को मिलाकर उपजों की शेल्फ लाइफ बढ़ाने, खराब होने को कम करने और स्थानीय उत्पादों की बाजार पहुंच क्षमता में सुधार करके इस महत्वपूर्ण आवश्यकता को पूरा करती है।
परियोजना की मुख्य विशेषताएं
राज्य द्वारा आवंटित भूमि पर पातररास गांव में स्थित इस परियोजना में शामिल हैं-
 1500 मीट्रिक टन कोल्ड स्टोरेज
 1000 मीट्रिक टन फ्रोजन स्टोरेज
 5 स्टेजिंग कोल्ड रूम (प्रत्येक 30 मीट्रिक टन)
 ब्लास्ट फ्रीजर और पकने वाले चैम्बर 
 गामा विकिरण इकाई (कोबाल्ट-60 स्रोत के साथ 1000 केसीआई)
 3 रेफ्रिजरेटेड परिवहन वाहन (क्षमता प्रत्येक 9 मीट्रिक टन)
 सौर ऊर्जा प्रणाली (70 किलोवाट)
वार्षिक रूप से 10,000 मीट्रिक टन से अधिक उपजों की प्रसंस्करण क्षमता के साथ, यह परियोजना दंतेवाड़ा, बस्तर, बीजापुर, सुकमा, कोंडागांव और नारायणपुर में किसानों और लघु वनोपज संग्राहकों के लिए लाभप्रद होगी। 
पीएमकेएसवाई के तहत वित्त पोषित-सरकार के नेतृत्व में क्रियान्वयन में पहली बार
इस परियोजना को निम्नलिखित माध्यम से वित्तपोषित किया गया है-
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय (एमओएफपीआई) द्वारा प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (पीएमकेएसवाई) के तहत 10 करोड़ रूपए का सहायता अनुदान सहायता।
जिला खनिज फाउंडेशन (डीएमएफ) से 14.98 करोड़ रूपए की सहायता।
यह पहली बार है जब किसी सरकारी संगठन या  कि किसी निजी संस्था ने - पीएमकेएसवाई के तहत कोल्ड चेन और विकिरण सुविधा स्थापित की है, जो ग्रामीण भारत में सार्वजनिक क्षेत्र के नेतृत्व वाले बुनियादी ढांचे के लिए एक खाका तैयार कर रही है।
आर्थिक और सामाजिक प्रभाव
इस परियोजना से किराये के संचालन और मूल्य वर्धित सेवाओं से 8.5 करोड़ रूपए का वार्षिक राजस्व उत्पन्न होने की उम्मीद है, जिसमें अनुमानित आंतरिक दर प्रतिफल (रिटर्न) (आईआरआर) 29.35 प्रतिशत है। घाटे को कम करने और लाभप्रदता को बढ़ाने से, यह परियोजना सीधे आदिवासी उत्पादकों की आय में वृद्धि करेगी और आपूर्ति श्रृंखला में स्थानीय रोजगार पैदा करेगी। यह पहल स्थायी आजीविका तक पहुँच का विस्तार करके वामपंथी उग्रवाद (LWE) को कम करने के लिए क्षेत्रीय विकास रणनीतियों के साथ भी जुड़ी हुई है।
समय-सीमा और बाजार एकीकरण
भूमि अधिग्रहण पूरा होने और विकिरण प्रौद्योगिकी के लिए  BRIT (विकिरण और आइसोटोप प्रौद्योगिकी बोर्ड) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जाने के साथ, यह सुविधा 24 महीनों के भीतर चालू होने वाली है। प्रशासन ने पहले ही रायपुर और विशाखापत्तनम में बाजारों की पहचान कर ली है और व्यापक बाजार अपील के लिए निर्यात के अवसरों का पता लगाने और बस्तर-ब्रांडेड मूल्यवर्धित उत्पादों को विकसित करने की योजनाएँ चल रही हैं।
जनजातीय विकास के लिए एक राष्ट्रीय मॉडल
यह सुविधा इस बात का उदाहरण है कि कैसे नीति, सार्वजनिक अवसंरचना और स्थानीय उद्यमिता मिलकर लचीली ग्रामीण अर्थव्यवस्था का निर्माण कर सकते हैं। क्षेत्र के भीतर मूल्य संवर्धन को बनाए रखते हुए, यह परियोजना सुनिश्चित करती है कि अधिक आय उन लोगों के पास रहे जो इसे उत्पादित करते हैं-बस्तर के आदिवासी समुदाय।
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“मोर गांव मोर पानी” अभियान से दंतेवाड़ा में जल संरक्षण की अनोखी मिसाल

  • पर्यावरण संरक्षण एवं जल प्रबंधन को मिला सशक्त आधार
रायपुर। जल संकट से जूझ रहे ग्रामीण इलाकों में राहत पहुंचाने की दिशा में दक्षिण बस्तर (दंतेवाड़ा) जिले ने “मोर गांव मोर पानी महा अभियान” के तहत उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है। यह राज्य शासन की एक महत्वाकांक्षी पहल है जिसका उद्देश्य जल संरक्षण और वर्षा जल संचयन को बढ़ावा देना है। इस क्रम में कलेक्टर एवं सीईओ जिला पंचायत के मार्गदर्शन में इस अभियान में आधुनिक जीआईएस आधारित रिज टू वैली अप्रोच अपनाते हुए 2,965 जल संरचनाओं का चयन किया गया है, जो जल प्रबंधन के क्षेत्र में जिले की दूरदर्शी सोच को दर्शाता है। इस अभियान का उद्देश्य जल संरक्षण के प्रति समुदाय को जागरूक एवं सक्रिय भागीदारी हेतु प्रेरित करना है। लोगों को पानी का महत्व को समझाते हुए भूजल संवर्धन में सहभागी बनने हेतु प्रोत्साहित किया जा रहा है। इस क्रम में नरेगा के तहत गैबियन स्ट्रक्चर, कंटूर ट्रेंच स्टोन चेक डेम वृक्षारोपण आदि कार्याे का क्रियान्वयन किया जा रहा है। जिसे जिले में पर्यावरण संरक्षण एवं जल प्रबंधन को सशक्त आधार मिलेगा। 
सैकड़ों जल संरचनाएं और त्वरित कार्यान्वयन
जिले में अब तक 1,751 कम लागत वाली तथा 71 उच्च लागत की जल संरचनाएं सफलतापूर्वक मनरेगा के अंतर्गत निर्मित की जा चुकी हैं, जिन पर कुल 450.04 लाख का व्यय हुआ है। इसके अतिरिक्त, जिले द्वारा 402 नई जल संरचनाओं का लक्ष्य निर्धारित किया गया है और इनका निर्माण कार्य जोरों पर है, जिन्हें अगले 15 दिनों के भीतर पूर्ण कर लेने का लक्ष्य रखा गया है। यह सभी प्रयास वर्षा ऋतु से पहले पूरे किए जा रहे हैं ताकि अधिकतम वर्षा जल का संचयन किया जा सके और ग्रामीण क्षेत्रों को दीर्घकालीन लाभ मिल सके। जल संरचनाओं पर निर्माण कार्य के तहत लूज बोल्डर चेक डेम, मिट्टी के बांध, गैबियन स्ट्रक्चर, फेरोसिमेंट टेंक, आरसीसी संरचनाएं, जल निकासी उपचार के विविध उपाय शामिल किए गये है। ये संरचनाएं न केवल जल संरक्षण में सहायक हैं, बल्कि मृदा अपरदन रोकने और कृषि उत्पादकता बढ़ाने में भी सहायक सिद्ध हो रही हैं।
जनभागीदारी से जन आंदोलन की ओर
जन सहभागिता इस अभियान की सफलता का मूल मंत्र है। इसके अंतर्गत जल संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए रैलियों, प्रशिक्षणों, दीवार लेखन, जल शपथ जैसे कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। युवाओं को “जल सेना” के रूप में संगठित किया गया जो निर्माण कार्यों में सहयोग कर रहे हैं। साथ ही, मनरेगा के तहत स्थानीय ग्रामीणों को रोजगार देकर निर्माण कार्यों को तेजी से अंजाम दिया जा रहा है।
सतत आजीविका और समग्र विकास
यह अभियान केवल संरचनाओं के निर्माण तक सीमित नहीं है। इसके बहुउद्देश्यीय लक्ष्य जैसे मृदा स्वास्थ्य में सुधार, मछली पालन, कृषि और बागवानी को बढ़ावा, प्रवासन की रोकथाम, रसोई बागवानी एवं बहुफसली खेती को प्रोत्साहन देना तय किए गए है। इन प्रयासों से ग्रामीणों की आजीविका में स्थायित्व आएगा और जल संकट की समस्या पर दीर्घकालीन समाधान मिलेगा। कुल मिलाकर तकनीक, सुशासन, समुदाय और निर्माण का संगम बनकर दंतेवाड़ा एक आदर्श मॉडल प्रस्तुत कर रहा है।
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छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री सूर्य घर-मुफ्त बिजली योजना ला रही क्रांति

  • सोलर पॉवर से रोशन जिंदगियां
रायपुर। छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री सूर्य घर-मुफ्त बिजली योजना ला रही क्रांतिकेन्द्र एवं राज्य सरकार की महती योजना प्रधानमंत्री सूर्य घर-मुफ्त बिजली योजना ने न सिर्फ लोगों के बिजली बिल को शून्य किया है, बल्कि उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव भी लाया है। इस योजना के माध्यम से लोग न केवल ऊर्जा के खर्च से मुक्त हो रहे हैं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी अहम भूमिका निभा रहे हैं। अब वे हर माह बिजली बिल भुगतान की झंझट से मुक्ति पा चुके हैं। महासमुंद जिले में अधिकारियों ने बताया कि अभी तक 142 सोलर कनेक्शन सफलतापूर्वक स्थापित किए जा चुके हैं।
महासमुंद जिले के कौशिक कॉलोनी निवासी एवं रिटायर्ड बैंक मैनेजर श्री लक्ष्मीकांत पाणिग्रही ने बताया कि उन्होंने अपने घर की छत पर 6 किलोवाट का रूफटॉप सोलर प्लांट लगाया है। इस प्लांट की कुल लागत लगभग 3.15 लाख रुपये आई, जिसमें से 78,000 रुपये की सब्सिडी उन्हें केंद्र एवं राज्य सरकार की ओर से प्राप्त हुई। उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए बताया, पहले हर महीने मुझे सामान्य दिनों में 6,000 रुपये और गर्मियों में 12,000 रुपये तक का बिजली बिल चुकाना पड़ता था, लेकिन अब मेरा बिजली बिल शून्य आ रहा है। यह योजना न सिर्फ बचत करवा रही है, बल्कि पर्यावरण की भी रक्षा कर रही है।
इसी तरह हाउसिंग बोर्ड निवासी एवं शिक्षिका श्रीमती ज्योति विश्वाश ने भी 3 किलोवाट का सोलर पैनल अपने घर की छत पर स्थापित किया। उन्होंने बतायाछत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री सूर्य घर-मुफ्त बिजली योजना ला रही क्रांति सोलर पैनल लगते ही सिर्फ 15 दिनों में मेरा बिजली बिल शून्य हो गया। पहले हर महीने 3,000 रुपये तक का बिल आता था, अब बिजली बिल की कोई चिंता नहीं है। साथ ही 24 घंटे निर्बाध बिजली मिल रही है। उन्होंने कहा कि इस योजना से मुझे न सिर्फ मासिक बिजली बिल से मुक्ति मिली, बल्कि बारिश के दिनों में होने वाली आपदा की स्थिति में बिजली बंद की चिंता भी खत्म हो गई है।
विद्युत विभाग के कार्यपालन अभियंता ने बताया कि महासमुंद जिले में प्रधानमंत्री सूर्यघर-मुफ्त बिजली योजना के तहत, 142 परिवार न सिर्फ ऊर्जा बचा रहे हैं, बल्कि अपनी जीवनशैली में भी बड़ा बदलाव ला रहे हैं। उन्होंने बताया कि योजना के तहत पंजीयन कार्य जारी है। उल्लेखनीय है कि सोलर प्लांट को विद्युत ग्रिड से जोड़ा जाता है। यदि उपभोक्ता जरूरत से अधिक बिजली पैदा करता है, तो अतिरिक्त बिजली ग्रिड को सप्लाई कर सकता है, जिससे अतिरिक्त आय भी मिलती है। सरकार द्वारा एक किलोवाट वाले प्लांट पर 30 हजार रुपए सब्सिडी, 2 किलोवाट वाले प्लांट पर 60 हजार रुपए सब्सिडी एवं 3 किलोवाट से अधिक क्षमता वाले प्लांट पर 78,000 रुपये तक की सब्सिडी का प्रावधान है। जो कनेक्शन के लगते ही 15 से 30 दिन के भीतर प्राप्त हो जाता है।
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विशेष पिछड़ी जनजाति के ठेमुराम कमार को मिला पीएम आवास

  • बारिश अब डर नहीं बल्कि सुकून की फुहारें
  • मुख्यमंत्री साय को पीएम आवास देने के लिए दिया धन्यवाद
रायपुर। छत्तीसगढ़ की अति पिछड़ी जनजातियों में शामिल कमार जनजाति की घटती आबादी को देखते हुए शासन द्वारा इन्हें विशेष संरक्षण प्रदान किया गया है। इसी जनजाति के ठेमु राम कमार जो धमतरी जिले के नगरी विकासखंड अंतर्गत ग्राम पिपरही भर्री निवासी है। उन्होंने बताया कि पहले अपने परिवार के साथ टूटी-फूटी झोपड़ी में बेहद कठिन हालातों में जीवन व्यतीत कर रहे थे। चार सदस्यीय परिवार के मुखिया ठेमु राम बरसात के मौसम को सबसे ज्यादा डरावना मानते थे, जब खपरैल के बीच से टपकते पानी के कारण पूरी रात जागकर बितानी पड़ती थी। तेज हवाओं के हर झोंके के साथ डर का साया मंडराता रहता था कि कहीं कोई अनहोनी न हो जाए। ऐसे में जीवन बस जैसे-तैसे कट रही थी।
प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) इस परिवार के लिए आशा की नई किरण बनकर आई। योजना के तहत ठेमु राम को पक्का मकान स्वीकृत हुआ। उनकी पत्नी पार्वती को शुरुआत में आशंका थी कि योजना का लाभ लेना आसान नहीं होगा, लेकिन सरकारी प्रक्रिया पारदर्शी रही और उन्हें किसी प्रकार की परेशानी नहीं उठानी पड़ी। तय समय पर खाते में किस्तों की राशि मिली और ठेमु राम ने अपने ही मकान के निर्माण कार्य में खुद श्रमिक बनकर मेहनत की। एक-एक ईंट जोड़कर उन्होंने अपने परिवार का सपना साकार किया। आज उनका परिवार सुरक्षित, सम्मानजनक और खुशहाल जीवन जी रहा है। श्री ठेमूराम कमार बताते है कि अब बारिश उनके लिए डर नहीं बल्कि सुकून की फुहारें लेकर आती है। पक्की छत के नीचे वे निश्चिंत होकर चौन की नींद सोते हैं। ठेमु राम ने बताया कि वे राजमिस्त्री हैं और मनरेगा के तहत उन्हें रोजगार भी मिलता है। शासन की महतारी वंदन योजना के तहत उनकी पत्नी को प्रतिमाह एक हजार रूपये मिलते हैं। साथ ही आयुष्मान भारत योजना, राशन कार्ड जैसी योजनाओं से भी उनके परिवार को लाभ हो रहा है। आज कमार जनजाति का यह परिवार शासन की योजनाओं का सजीव उदाहरण है कि सही दिशा, इच्छाशक्ति और सरकारी सहयोग से जीवन को बदला जा सकता है। ठेमु राम कमार ने अपने शब्दों में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय का हृदय से धन्यवाद देते हुए कहा-“अब हमारा जीवन अंधेरे से उजाले की ओर बढ़ चुका है, हमारा सपना सच हो गया।
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"प्रधानमंत्री सूर्यघर योजना" से रोशन हुआ अशोक का जीवन

  • मुफ्त बिजली से राहत, पर्यावरण की भी सुरक्षा
  • हर महीने 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली, अब घर की छतों से चमक रहा उज्ज्वल भविष्य
रायपुर। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शी सोच और मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के सुशासन में संचालित प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना आज आम नागरिकों के जीवन में व्यापक सकारात्मक परिवर्तन ला रही है। यह योजना न केवल घरेलू बिजली संकट का समाधान बन रही है, बल्कि आर्थिक राहत और स्वच्छ ऊर्जा के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी मील का पत्थर साबित हो रही है।
बीते वर्षों में बिजली बिलों की बढ़ती लागत और गर्मियों में अघोषित बिजली की आंख-मिचौली जैसी समस्याओं से आमजन परेशान थे। ऐसे में यह योजना लोगों के लिए आशा की एक किरण बनकर आई है। प्रधानमंत्री सूर्यघर योजना के अंतर्गत आम नागरिक अब अपने घर की छतों पर सौर पैनल लगाकर प्रतिमाह 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली उत्पन्न कर रहे हैं, जिससे न केवल उनका मासिक खर्च कम हुआ है, बल्कि ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का रास्ता भी खुला है।
योजना के अंतर्गत केंद्र सरकार द्वारा 30 हजार से 78 हजार रुपये तक की सब्सिडी दी जा रही है। साथ ही, कम ब्याज दर पर ऋण की सुविधा से अब मध्यमवर्गीय और निम्न आय वर्ग के लोग भी सौर ऊर्जा की ओर तेजी से अग्रसर हो रहे हैं। यह योजना हर उस नागरिक तक पहुंच रही है जो बिजली के भारी बिल और बार-बार की कटौती से परेशान था।
कोरबा जिले के छुरी गांव निवासी श्री अशोक अग्रवाल इस योजना के सफल लाभार्थियों में से एक हैं। उन्होंने बताया कि योजना की जानकारी मिलने के बाद उन्होंने तुरंत अपने घर की छत पर 3 किलोवाट क्षमता वाला सोलर पैनल स्थापित कराया। महज 3 से 4 दिनों में यह सिस्टम तैयार होकर बिजली उत्पादन शुरू कर चुका है।
उन्हें शासन की ओर से 78,000 रुपये की सब्सिडी प्राप्त हुई, जिससे सिस्टम की लागत बहुत कम हो गई। श्री अग्रवाल के घर के बगल में ही उनका राइस मिल भी है, जिससे पहले बिजली की खपत अधिक और बिल काफी भारी आता था। लेकिन अब सोलर सिस्टम लगने के बाद से उनका बिजली बिल शून्य हो गया है, और बिजली की निर्बाध आपूर्ति भी सुनिश्चित हो गई है।
श्री अग्रवाल ने बताया, “पहले गर्मियों में जरा सी बारिश या बिजली चमकने पर सप्लाई कट जाती थी। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। पूरे मौसम भर बिजली मिलती रही, जिससे परिवार को काफी राहत मिली।” उन्होंने कहा कि कोरबा जैसे औद्योगिक जिले में जहां बिजली की मांग अधिक रहती है, वहां यह योजना गर्मी के मौसम में रामबाण सिद्ध हो रही है।
उन्होंने बताया कि अब कोरबा जिले में लोग तेजी से इस योजना को अपना रहे हैं और अपने घरों की छतों पर सोलर पैनल इंस्टॉल कर रहे हैं। श्री अग्रवाल स्वयं भी अपने अनुभव को लोगों के साथ साझा कर उन्हें योजना के प्रति जागरूक कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वे अपने परिचितों को भी सोलर सिस्टम अपनाने की सलाह दे रहे हैं।
श्री अग्रवाल ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय को इस प्रभावी और दूरगामी योजना के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने कहा कि यह पहल न केवल वर्तमान की आवश्यकता है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी ऊर्जा संरक्षण और पर्यावरण सुरक्षा का सशक्त मार्ग है।
प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना आज न केवल बिजली संकट का समाधान बन रही है, बल्कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में ऊर्जा आत्मनिर्भरता का एक सफल मॉडल भी बनकर उभर रही है। कोरबा जिले सहित पूरे प्रदेश में अब इस योजना की सफलता की कहानियां रोजाना गढ़ी जा रही हैं। जिससे आमजन सौर ऊर्जा के माध्यम से प्रकाशमय और सशक्त भविष्य की ओर कदम बढ़ा सकें।
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प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना

  • पर्यावरण हो रहा सुरक्षित, बिजली बिल में भी आ रही कमी
  • भूपेन्द्र साहू को बिजली बिल से मिल रही राहत
रायपुर। प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना का उद्देश्य देश के नागरिकों को सस्ती और स्थायी ऊर्जा मुहैय्या कराना है। इस योजना से न सिर्फ हमारा पर्यावरण सुरिक्षत हो रहा है, बल्कि इसकी मदद से लोगों के घरों में आने वाले अधिक बिजली के बिल में भी कमी आयी है। धमतरी के समीप कोलियारी गांव के श्री भूपेन्द्र ने बताया कि उन्हें प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना की जानकारी समाचार पत्र-पत्रिकाओं के जरिए प्राप्त हुई। इस बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए उन्होंने विद्युत विभाग के कार्यालय से सम्पर्क किया तथा योजना का लाभ लेने आवेदन दिया और एक माह में ही उनका सौर पैनल लग गया। वे बताते हैं कि उन्होंने तीन किलोवॉट का पैनल लगवाया है, इससे अब बिलकुल बिजली बिल नहीं पटाना पढ़ रहा।
प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना सौर पैनलों के माध्यम से घरेलू उपयोग के लिए ऊर्जा उत्पन्न करने पर जोर देती है। इससे न केवल बिजली की कमी को दूर किया जा सकेगा, बल्कि पर्यावरण पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। सस्ती बिजली योजना के तहत घरेलू उपभोक्ताओं को सस्ती दरों पर बिजली उपलब्ध कराने का प्रावधान है। इस योजना के तहत सौर पैनल इंस्टॉलेशन और मेंटेनेंस के लिए स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर पैदा होंगे। योजना का एक अन्य लाभ है कि यह ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की पहुंच बढ़ाने में मदद करेगी, जिससे वहां की जीवनशैली में सुधार होगा। सौर ऊर्जा का उपयोग न केवल पर्यावरण के लिए बल्कि आर्थिक दृष्टिकोण से भी फायदेमंद है।
प्रधानमंत्री सूर्यघर-मुफ्त बिजली योजना अंतर्गत स्थापित प्लांट नेट मीटरिंग द्वारा विद्युत ग्रिड से संयोजित होगा, जिससे उपभोक्ता द्वारा अपनी खपत से अधिक उत्पादित बिजली ग्रिड में सप्लाई हो जाती है। इससे न केवल उपभोक्ता के घर का बिजली बिल शून्य हो जाता है, बल्कि ग्रिड में दी गई बिजली के एवज में अतिरिक्त आय भी प्राप्त होती है। शासन द्वारा प्रधानमंत्री सूर्यघर-मुफ्त बिजली योजना अंतर्गत 30 हजार रूपए से 78 हजार रूपए तक की सब्सिडी प्रति प्लांट दिए जाने का प्रावधान है। रूफटॉप सोलर संयंत्र की क्षमता अनुसार लागत राशि एवं सब्सिडी अलग-अलग है। उपभोक्ता द्वारा सोलर प्लांट के ब्रांड चयन कर सकते हैं। 3 किलोवाट से अधिक क्षमता का प्लांट लगाने पर अधिकतम 78 हजार रूपए तक सब्सिडी का प्रावधान है। प्रधानमंत्री सूर्यघर-मुफ्त बिजली योजना का लाभ लेने के लिए आवेदक को वेबसाईट चउेनतलंहींतण्हवअण्पद या चउेनतलंहींत मोबाईल एप पर पंजीयन कर लॉग इन आईडी प्राप्त करना होगा। इसके बाद वेब पोर्टल पर उपलब्ध वेंडर का चुनाव कर बिजली कर्मचारी की मदद से वेब पोर्टल पर पूर्ण आवेदन करना होगा। निर्धारित अनुबंध हस्ताक्षरित होने के पश्चात वेंडर द्वारा छत पर प्लांट की स्थापना एवं डिस्कॉम द्वारा नेट मीटर स्थापित किया जाता है। स्थापित प्लांट के सत्यापन पश्चात शासन द्वारा सब्सिडी ऑनलाईन जारी कर दी जाती है। इस दौरान यदि उपभोक्ता इच्छुक हो तो शेष राशि का प्रकरण सात प्रतिशत ब्याज दर पर बैंक ऋण हेतु बैंकों को जनसमर्थन पोर्टल द्वारा ऑनलाईन प्रेषित किया जाता है।
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छत्तीसगढ़ में “प्रधानमंत्री सूर्यघर योजना” से बढ़ रही ऊर्जा आत्मनिर्भरता

  • श्रीमती कस्तूरी बाई को मिला 78 हजार रुपये की सब्सिडी का लाभ
रायपुर। प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना के माध्यम से छत्तीसगढ़ में ऊर्जा क्रांति की नई शुरुआत हो चुकी है। केंद्र एवं राज्य सरकार के संयुक्त प्रयासों से चल रही इस महत्वाकांक्षी योजना का लाभ अब आम नागरिकों तक पहुंचने लगा है। सक्ती जिले की वार्ड क्रमांक 14 निवासी श्रीमती कस्तूरी बाई साहू इसका उदाहरण बनकर सामने आई हैं, जिन्होंने अपने घर की छत पर 3 किलोवाट का सोलर प्लांट स्थापित कर न केवल बिजली संकट से राहत पाई, बल्कि सरकार से मिलने वाली सब्सिडी का लाभ भी उठाया।
श्रीमती कस्तूरी बाई ने बताया कि उन्हें इस सौर संयंत्र के लिए केंद्र सरकार से 78 हजार रुपये की सब्सिडी प्राप्त हुई, जिससे पूरी प्रणाली की लागत काफी कम हो गई। उनका कहना है कि सोलर प्लांट लगने के बाद से बिजली आपूर्ति में आई स्थिरता से उनका परिवार अत्यंत संतुष्ट है। गर्मी के मौसम में हल्की बारिश या आंधी के दौरान बिजली की कटौती आम बात थी, लेकिन अब ऐसा नहीं हो रहा। उन्होंने इस योजना को अपने परिवार के लिए वरदान बताया।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना के तहत केंद्र सरकार और छत्तीसगढ़ राज्य सरकार मिलकर सोलर संयंत्रों की स्थापना के लिए वित्तीय सहायता प्रदान कर रहे हैं।1 किलोवाट संयंत्र पर 30 हजार केंद्र और 15 हजार राज्य के मिलाकर 45 हजार रुपए की सब्सिडी, 2 किलोवाट संयंत्र पर 60 हजार केंद्र और 30 हजार राज्य के मिलाकर 90 हजार रुपए की सब्सिडी, 3 किलोवाट संयंत्र पर 78 हजार केंद्र और 30 हजार राज्य के मिलाकर 1 लाख 8 हजार रुपए की सब्सिडी दी जाती है।इन संयंत्रों से क्रमशः 120, 240 और 360 यूनिट तक बिजली निःशुल्क प्राप्त की जा सकती है, जिससे उपभोक्ताओं के मासिक खर्च में भारी कमी आती है। योजना के अंतर्गत लगाए जाने वाले सोलर पैनलों की 25 साल की वारंटी और 5 साल का फ्री संधारण अधिकृत वेंडर द्वारा किया जाएगा।
इस योजना से छत्तीसगढ़ में न केवल घरेलू उपभोक्ताओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया जा रहा है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी नागरिकों की सीधी भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है। सौर ऊर्जा के उपयोग से कार्बन उत्सर्जन में कमी आ रही है और हर घर बिजली की आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर हो रहा है।
राज्य शासन ने प्रदेशवासियों से अपील की है कि वे अपने नजदीकी विद्युत कार्यालय या पोर्टल पर संपर्क कर प्रधानमंत्री सूर्यघर योजना का अधिकतम लाभ उठाएं। योजना से संबंधित जानकारी और पंजीयन प्रक्रिया पूरी तरह सरल और पारदर्शी है।
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छत्तीसगढ़ में रेल क्रांति: 47 हजार करोड़ रूपए की रेल विकास परियोजनाएं प्रगति पर

  • वर्ष 2030 तक रेल नेटवर्क हो जाएगा दोगुना, 32 अमृत भारत स्टेशन में होंगी वर्ल्ड क्लास सुविधाएं
  • नई रेल परियोजनाओं का सर्वे अंतिम चरण में, रेल सुविधाओं के साथ ही पर्यटन, व्यापार, उद्योग और रोजगार की बढेंगी संभावनाएं
रायपुर। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की पहल पर विकसित भारत और विकसित छत्तीसगढ़ की संकल्पना को पूरा करने और छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था को बूस्ट करने के लिए नई-नई रेल परियोजनाओं को मंजूरी मिल रही है। वर्ष 1853 से लेकर 2014 तक 161 साल में छत्तीसगढ़ में केवल 1100 रूट किलोमीटर रेल लाइन बिछाई गई थी।  प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में वर्ष 2014 से वर्ष 2030 तक प्रदेश में रेल नेटवर्क दोगुना बढ़कर 2200 रूट किलोमीटर हो जाएगा। 
केन्द्र सरकार द्वारा वर्ष 2025-26 के बजट में छत्तीसगढ़ को 6925 करोड़ रूपए राशि आबंटित की गई है। वर्तमान में केन्द्र सरकार की मदद से छत्तीसगढ़ में 47 हजार करोड़ रूपए की लागत से रेल विकास परियोजनाओं का कार्य प्रगति पर है। राज्य को दो नई वंदे भारत ट्रेन रायपुर-विशाखापटनम और रायपुर-नागपुर की सौगात मिली है। इसके अलावा राज्य सरकार ने मेट्रो ट्रेन के लिए सर्वे कराने का भी निर्णय लिया है। गौरतलब है कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व. श्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में छत्तीसगढ़ में बिलासपुर में जोनल कार्यालय को मंजूरी दी गई थी। 
छत्तीसगढ़ को नई और प्रगतिरत रेल परियोजना के पूर्ण होेने से राज्य में रेल सुविधाओं में बढ़ोत्तरी के साथ ही यहां पर्यटन, व्यापार, उद्योग के साथ-साथ रोजगार की संभावनाएं भी बढ़ेंगी। इन रेल परियोजनाओं से सामाजिक-आर्थिक विकास को गति मिलेगी।   
वर्ल्ड क्लास रेल्वे स्टेशन 
छत्तीसगढ़ राज्य के 32 स्टेशनों को अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत वर्ल्ड क्लास रेलवे स्टेशन के रूप में विकसित किया जा रहा है। ये स्टेशन आधुनिक यात्री सुविधाओं से युक्त, विश्वस्तरीय सुविधाओं से सुसज्जित बनाए जा रहे हैं। हाल में ही प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अमृत भारत रेल्वे स्टेशन योजना के तहत राज्य के 5 पुनर्विकसित अंबिकापुर, उरकुरा, भिलाई, भानुप्रतापपुर एवं डोंगरढ़ स्टेशनों का लोकार्पण किया गया है। 
अमृत भारत रेल्वे स्टेशन योजना में लगभग 1680 करोड़ रूपए की लागत से 32 रेल्वे स्टेशनों का पुनर्विकास किया जा रहा है, जिनमें तीन प्रमुख स्टेशनों बिलासपुर (लागत 435 करोड़), रायपुर (लागत-463 करोड़) एवं दुर्ग स्टेशन (लागत-456 करोड़) का व्यापक पुनर्विकास भी शामिल है। अमृत भारत स्टेशन के अंतर्गत भाटापारा, भिलाई पावर हाउस, तिल्दा नेवरा, बिल्हा, बालोद, दल्लीराजहरा, हथबंद, सरोना, मरोदा, मंदिरहसौद, निपानिया, भिलाई नगर, रायपुर, दुर्ग, राजनांदगांव, रायगढ़, बाराद्वार, चाम्पा, नैला, जांजगीर, अकलतरा, कोरबा, उसलापुर, पेंड्रा रोड, बैकुंठपुर रोड, बिलासपुर, महासमुंद, जगदलपुर के स्टेशनों का पुनर्विकास किया जा रहा है।  
प्रगतिरत रेल परियोजनाएं 
वर्तमान में छत्तीसगढ़ में 47 हजार करोड़ रूपए की लागत से स्वीकृत रेल परियोजनाओं का निर्माण किया जा रहा है। इनमें प्रमुख परियोजनाएं इस प्रकार है-  राजनांदगांव-नागपुर तीसरी लाइन लम्बाई 228 किमी, छत्तीसगढ़ में 48 किमी, लागत 3544.25 करोड़, बिलासपुर-झारसुगुड़ा चौथी लाइन, लंबाई-206 किमी, छत्तीसगढ़ में 153 किमी, लागत 2135.34 करोड़, खरसिया-धरमजयगढ़ नई रेललाइन, लंबाई-162.5 किमी, लागत 3438.39 करोड़, गौरेला-पेंड्रा रोड-गेवरा रोड परियोजना, लंबाई 156.81 किमी, लागत 4970.11 करोड़, केन्द्री-धमतरी एवं अभनपुर-राजिम आमान परिवर्तन, लंबाई-67.20 किमी, लागत- 544 करोड़, बोरिडांड-अम्बिकापुर दोहरीकरण, लंबाई 80 किमी, लागत-776 करोड़, चिरमिरी-नागपुर न्यू हॉल्ट लाइन, लंबाई-17 किमी, लागत-622.34 करोड़ रूपए शाामिल हैं। 
बस्तर अंचल में नई स्वीकृत रेल परियोजनाएं
भारत सरकार के रेल मंत्रालय ने रावघाट-जगदलपुर नई रेल लाइन (140 किमी) परियोजना को स्वीकृति प्रदान कर दी है। इस परियोजना पर 3513.11 करोड़ रुपए की लागत आएगी। यह निर्णय बस्तर अंचल के सामाजिक, आर्थिक और औद्योगिक विकास में मील का पत्थर साबित होगा।
रावघाट-जगदलपुर रेललाइन की मंजूरी से बस्तर अंचल में यात्रा, पर्यटन, व्यापार और रोजगार की सम्भावनाएं बढ़ेंगी। यह रेल परियोजना नक्सलवाद के उन्मूलन की दिशा में भी महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी। बस्तर में केके रेल लाईन (कोत्तवलसा से किंरदुल) दोहरीकरण का काम तेजी से चल रहा है। 446 किलोमीटर लम्बाई के रेल लाईन का 170 किलोमीटर हिस्सा छत्तीसगढ़ में है। छत्तीसगढ़ में इस रेल लाईन का 148 किलोमीटर दोहरीकरण कार्य पूर्ण हो चुका है।
सुकमा-दंतेवाड़ा-बीजापुर भी रेल नेटवर्क में 
कोठागुडेम (तेलंगाना) से किरंदुल तक प्रस्तावित 160.33 किमी लंबी नई रेललाइन के फाइनल लोकेशन सर्वे कार्य को केंद्र सरकार द्वारा स्वीकृति मिलने के बाद सर्वे अब अंतिम चरण में है। इस प्रस्तावित रेललाइन का 138.51 किमी हिस्सा छत्तीसगढ़ के सुकमा, दंतेवाड़ा और बीजापुर से होकर गुजरेगा, जो अब तक रेल कनेक्टिविटी से वंचित रहे हैं। यह परियोजना न केवल आवागमन को सरल बनाएगी, बल्कि इन जिलों के सामाजिक-आर्थिक विकास में भी क्रांतिकारी बदलाव लाएगी।
नई रेल परियोजनाओं का सर्वे अंतिम चरण में 
छत्तीसगढ़ में अम्बिकापुर-बरवाडीह 200 किलोमीटर लागत 9718 करोड़, खरसिया-नया रायपुर-परमलकसा नई रेल लाइन 278 किलोमीटर लागत 7854 करोड़, रावघाट-जगदलपुर नई रेल लाइन 140 किलोमीटर लागत 3513 करोड़, सरदेगा-भालूमाड़ा नई रेललाइन 37.24 किलोमीटर लागत 1282 करोड़ रूपए और धरमजयगढ़-पत्थलगांव-लोहरदगा 301 किलोमीटर लागत 16,834 करोड़ रूपए रेल परियोजनाओं का डीपीआर तैयार हो रहा है। धरमजयगढ़-लोहरदगा और अंबिकापुर-बरवाडीह रेल परियोजना के लिए सर्वेक्षण का काम अंतिम चरण में। 
छत्तीसगढ़ रेलवे कॉरपोरेशन की परियोजना 
छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा रेल कनेक्टिविटी को बढ़ाने के लिए कटघोरा से डोंगरगढ़ रेल लाईन निर्माण के लिए 300 करोड़ रूपये का बजट प्रावधान किया गया है। इस रेल लाईन के बनने से नागपुर-झारसुगुड़ा रेल मार्ग पर चलने वाली माल-गाड़ियों का लोड कम होगा। छत्तीसगढ़ खनिज विकास निधि सलाहकार समिति द्वारा छत्तीसगढ़ रेलवे कॉरपोरेशन को डोंगरगढ़-कबीरधाम-मुंगेली-कटघोरा रेलमार्ग हेतु भू-अर्जन एवं प्रारंभिक निर्माण कार्य के लिए 300 करोड़ रुपए की राशि दिए जाने की स्वीकृति प्रदान की गई।

 

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आर्टिफिसियल इन्टेलिजेंस और डिजिटल लोक प्रशासन प्रभावित परिवेश में प्रशासनिक नेतृत्व विषय पर वक्तव्य व परिचर्चा आयोजित

  • भारतीय लोक प्रशासन संस्थान छत्तीसगढ़ शाखा, रायपुर द्वारा न्यू सर्किट हाउस, सिविल लाईन्स रायपुर में आयोजित हुआ परिचर्चा
रायपुर। भारतीय लोक प्रशासन संस्थान छत्तीसगढ़ शाखा के द्वारा शुक्रवार को यहाँ सिविल लाइन स्थित न्यू सर्किट हाउस में श्री सुयोग्य मिश्रा, पूर्व मुख्य सचिव की अध्यक्षता में  भारतीय प्रशासनिक सेवा अन्य अखिल भारतीय सेवा के सेवानिवृत्त व अन्य वरिष्ठ सदस्यों की एक बैठक तथा राज्य में स्थित एमिटि विश्व विद्यालय के कुलपति डॉ० पियूष कान्त पाण्डेय का व्याख्यान व परिचर्चा आयोजित किया गया। सर्वप्रथम श्री सुयोग्य मिश्रा ने पुष्पगुच्छ से मुख्य वक्ता का स्वागत किया।
डॉ. पियूष ने वर्तमान परिवेश में देश में आर्टिफिशियल इन्टेलिजेंस की तकनीकि के उपयोग को राज्य के प्रशासनिक नेतृत्व हेतु अपरिहार्य बताया और कहा कि इसके उपयोग में यह ध्यान रखा जाना आवश्यक होगा कि मानवीय संवेदनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना इस संसाधन का समन्वित उपयोग किया जाना संभव नहीं होगा। विज्ञान की यह तकनीक एक अवसर व एक चुनौती समाज के सम्मुख लेकर आयी है। जहाँ एक ओर यह तकनीक शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि सेक्टर के विकास संबंधित प्रशासनिक अड़चनों के सटीक व सामयिक समाधान के अवसर को प्रभावी सरल व मितव्ययी बना सकती है वही यह व्यक्तिगत जानकारियों संवेदनशील ऑकड़ो की सुरक्षा व सदुपयोग इस तकनीक तक सामान्य जनों की आसान पहुँच सुनिश्चित किये जाने, इसे समावेशी बनाये जाने जैसी चुनौतियों भी प्रस्तुत करती है। उल्लेखित व्याख्यान में वक्ता, प्रतिभागियों में चर्चा को जीवंत बनाते हुये बहुत से मानवोपयोगी प्रश्नों पर वस्तु स्थिति को और स्पष्ट कर सकने में सफल हो सके और इस विवादित तकनीक को मानवोपयोगी निरुपित करने के संबंध में सफल रहे। परंतु इस तकनीक की चुनौतियों के प्रति सबको जागरुक करने तथा मेधा व सावधानी से तकनीकि को उपयोग करने पर ही इसके नियंत्रित व सफल उपयोग संभव होने के तथ्य से भी उन्होंने प्रतिभागियों को अवगत कराया। यह भी बात सामने आयी कि नीति निर्माताओं, नेतृत्व कर्ताओं के द्वारा इस तकनीकि संबंधित नवाचार, अन्वेषण व अनुसंधान को ठोस आधार व पर्याप्त गति दिये बिना तकनीकि का अपेक्षित व पूर्ण सामयिक लाभ प्राप्त नहीं हो सकेगा। आगे आने वाली पीढ़ी को भी विकास की अपेक्षित गति बनाये रखने के योग्य बनाये रखकर ही समुचित स्थान व सम्मान दिलाते हुये देश व समाज को अपेक्षानुसार लाभान्वित किया जाना संभव हो सकेगा। कार्यक्रम के अंत में संस्था के सदस्य सचिव श्री अनुप श्रीवास्तव ने मुख्य वक्ता व सभी उपस्थित अधिकारियों व प्रतिभागी प्रबुद्ध जनों का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए आभार व्यक्त किया।
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