छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध हास्य कवि पद्मश्री डॉ. सुरेंद्र दुबे का अंतिम संस्कार आज
27-Jun-2025 12:38:53 pm
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- सीएम ने कहा- उनकी कमी की पूर्ति होना संभव नहीं
- पद्मश्री डॉ. सुरेंद्र दुबे ने छत्तीसगढ़ का नाम देश और दुनिया में विख्यात किया
रायपुर\बेमेतरा\दुर्ग\कोरबा। छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध हास्य कवि पद्मश्री डॉ. सुरेंद्र दुबे का निधन राज्य के साथ ही साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति है. सीएम विष्णुदेव साय गुरुवार रात सुरेंद्र दुबे के निवास पहुंचे. उनके पार्थिव शरीर पर पुष्पांजलि अर्पित कर भावभीनी श्रद्धांजलि देते हुए ये बातें कही. सीएम ने शोक-संतप्त परिजनों से भेंट कर अपनी गहरी संवेदना प्रकट की. इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा, वित्त मंत्री ओपी चौधरी, धमतरी नगर निगम के महापौर रामू रोहरा सहित अन्य जनप्रतिनिधि मौजूद रहे.
सीएम ने कहा "पद्मश्री डॉ. सुरेंद्र दुबे ने छत्तीसगढ़ का नाम देश और दुनिया में विख्यात किया. सुरेंद्र दुबे की कमी की पूर्ति होना संभव नहीं है. प्रभु से प्रार्थना है कि उनकी आत्मा को शांति दें."
कौन है सुरेंद्र दुबे: डॉ. सुरेन्द्र दुबे का जन्म 8 जनवरी 1953 को छत्तीसगढ़ के बेमेतरा शहर के गंजपारा में हुआ. बेमेतरा शहर में ही उनकी शिक्षा हुई और यही के रामलीला मंच से उन्होंने कला का रास्ता चुना. वे पेशे से आयुर्वेदाचार्य थे, लेकिन उनका असली परिचय एक हास्य कवि के रूप में रहा. उन्होंने हास्य-व्यंग्य की दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई. उन्होंने पांच किताबें लिखीं और देश-विदेश के कई कवि सम्मेलनों और टेलीविज़न कार्यक्रमों में भाग लिया. वे 2008 में काका हाथरसी से हास्य रत्न पुरस्कार के प्राप्तकर्ता भी रहे है
भारत सरकार ने उन्हें वर्ष 2010 में देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री से नवाजा. इसके अलावा उन्हें 2012 में पंडित सुंदरलाल शर्मा सम्मान, अट्टहास सम्मान, और अमेरिका में लीडिंग पोएट ऑफ इंडिया जैसे अंतरराष्ट्रीय सम्मान भी मिले. वर्ष 2019 में वॉशिंगटन में उन्हें हास्य शिरोमणि सम्मान से नवाजा गया.
भिलाई निवासी और उनके सहयोगी कवि गजराज दास महंत ने उन्हें याद करते हुए कहा "सुरेन्द्र दुबे सिर्फ कवि नहीं, प्रेरणास्त्रोत थे. उनके साथ मंच साझा करना मेरे लिए सौभाग्य रहा।डॉ. दुबे की रचनात्मकता और हास्य-कला पर देश के तीन विश्वविद्यालयों ने शोध कर पीएचडी की उपाधि दी, जो उनकी साहित्यिक गहराई को दर्शाता है. उनका निधन छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश के लिए अपूरणीय क्षति है."
कोरबा से जुड़ी सुरेंद्र दुबे की यादें: कवि सम्मेलन का मंच सजा हुआ था. पद्मश्री सुरेंद्र दुबे के साथ ही अन्य कवि मंच पर पहुंच चुके थे. लेकिन श्रोताओं की संख्या कम थी. किसी को उम्मीद नहीं थी की ठीक निर्धारित समय पर कार्यक्रम शुरू हो जाएगा. खाली कुर्सियों को देख आयोजक और कवि थोड़े हिचके, लेकिन सुरेंद्र दुबे का अंदाज निराला था. वह छत्तीसगढ़ की जनता के मिजाज को समझते थे. अपनी क्षमता पर भी उन्हें पूरा भरोसा था. अपने फन में माहिर और आत्मविश्वास से लबरेज दुबे ने कहा कि "यह मेरी जिम्मेदारी है"...फिर क्या था उन्होंने माइक अपने हाथ में थामा और फिर देखते ही देखते हजारों का हुजूमों पड़ा. देर रात तक ठहाकों का दौर चला.
यह स्मृति पद्मश्री सुरेंद्र दुबे से जुड़ी हुई है और यह वाक्या कोरबा जिले का है. जिसके बारे में हास्य कवि सम्मेलन के आयोजक और कोरबा जिले के वरिष्ठ पत्रकार राजेंद्र जायसवाल ने बताया. सुरेंद्र दुबे से जुड़ी स्मृतियों को साझा किया.
जायसवाल आगे कहते हैं "वह दिन मुझे आज भी एकदम अच्छे से याद है. जब हमारे द्वारा आयोजित कवि सम्मेलन में श्रोताओं के कम संख्या देखकर भी उन्होंने कैसे माइक संभाला और फिर देखते ही देखते हजारों के भीड़ उमड़ पड़ी. वह विलक्षण प्रतिभा के धनी थे. छत्तीसगढ़ की कला, संस्कृति और यहां के माटी की खुशबू को उन्होंने जिस तरह से देश-विदेश में फैलाया, लोगों को प्रभावित किया. वह अद्वितीय है. अब तो उनकी स्मृतियां ही शेष हैं. सदैव सबको हंसाने वाले आज हम सभी को रुला कर चले गए. समझ नहीं आ रहा है कि किस तरह से अपने विचारों को व्यक्त करूं."
मशहूर पद्मश्री डॉ सुरेंद्र दुबे की ख्याति ऐसी थी कि छत्तीसगढ़ से लेकर पूरे देश और विदेशों तक भी उन्होंने कई कवि सम्मेलन में हिस्सा लिया.उनके निधन पर देश के प्रख्यात कवि कुमार विश्वास ने भी सोशल मीडिया पर अपने विचारों को साझा किया और कहा कि "छत्तीसगढ़ी साहित्य का एक वैश्विक राजदूत आज इस दुनिया से विदा हो गया, जिसकी कमी हमेशा खलेगी".
बेमेतरा में सुरेन्द्र दुबे के के बचपन के मित्र रेवेंद्र शर्मा ने बताया "बेमेतरा के श्री राम लीला मंच में उन्होंने शुरुआती दिनों में राम और सीता का अभिनय किया था. वे बचपन से ही कलाकारी में रुचि रखते थे. वह सहज एवं सरल स्वभाव के थे.
पड़ोसी नरसिंह नंदवाना ने कहा "सुरेंद्र दुबे के आकस्मिक निधन से शोकग्रस्त हूं. वह मेरे पड़ोसी थे और उनके साथ मेरा बहुत ही अच्छा संबंध था. बेमेतरा में रामलीला कार्यक्रम में विभिन्न पात्रों किरदार निभाते थे."
प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ी हास्य कवि पद्मश्री डॉ. सुरेन्द्र दुबे का गुरुवार को निधन हो गया. उन्होंने ACI अस्पताल में इलाज के दौरान अंतिम सांस ली. बताया जा रहा है कि अचानक तबीयत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां हार्ट अटैक से उनका निधन हो गया. उनके निधन से साहित्य और हास्य कविता जगत में शोक की लहर है.