धान का कटोरा

विधानसभा की कार्यवाही से आमजनों को अवगत कराने में संसदीय पत्रकार निभाते हैं बड़ी भूमिका : मुख्यमंत्री साय

  • छत्तीसगढ़ के 25 वर्षों की स्वर्णिम यात्रा में संसदीय पत्रकारों का योगदान अतुलनीय : विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह
  • मुख्यमंत्री साय संसदीय पत्रकारिता विषय पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में हुए शामिल
रायपुर। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने आज विधानसभा परिसर के प्रेक्षागृह में संसदीय रिपोर्टिंग विषय पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला को संबोधित करते हुए छत्तीसगढ़ राज्य और विधानसभा के रजत जयंती वर्ष की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि प्रदेश विधानसभा ने भी 25 वर्षों की गौरवमयी यात्रा पूरी की है और लोकतांत्रिक मूल्यों को सुदृढ़ किया है। मुख्यमंत्री श्री साय ने बताया कि हाल ही में विधायकों के लिए भी कार्यशालाओं का आयोजन किया गया था, जिसका लाभ हमारे सदस्यों को मिला है। उन्होंने कहा कि विधानसभा में अनेक नवनिर्वाचित विधायक भी हैं, जिनकी यह जिम्मेदारी है कि वे अपने क्षेत्र की समस्याओं को सदन में उठाएं। इसी तरह पत्रकारों की भी अहम भूमिका है, जो विधानसभा की गतिविधियों को जनता तक पहुंचाते हैं। उन्होंने कहा कि आप सभी पत्रकार बंधु बड़ी मेहनत से विधानसभा की कार्यवाही को कवर करते हैं, जिससे आमजन यह जान पाते हैं कि विधायकों द्वारा उनके मुद्दों को गंभीरता से उठाया जा रहा है।
मुख्यमंत्री श्री साय ने छत्तीसगढ़ विधानसभा द्वारा उत्कृष्ट पत्रकारों को सम्मानित करने की परंपरा को भी सराहा और कहा कि इससे पत्रकारों का मनोबल बढ़ता है तथा संसदीय रिपोर्टिंग को प्रोत्साहन मिलता है। उन्होंने विश्वास जताया कि यह कार्यशाला पत्रकारों के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगी और इसके माध्यम से विधानसभा की गतिविधियां और अधिक प्रभावी रूप से जनता तक पहुंचेंगी
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने अपने संबोधन में संसदीय पत्रकारिता की महत्ता बताते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ की 25 वर्षों की स्वर्णिम यात्रा में पत्रकारों का योगदान अतुलनीय रहा है। उन्होंने कहा कि संसदीय पत्रकारिता अत्यंत संवेदनशील दायित्व है, जो सदन की गोपनीयता, अनुशासन और गरिमा को बनाए रखते हुए जनता तक सटीक एवं निष्पक्ष जानकारी पहुंचाने का कार्य करती है। डॉ. सिंह ने कहा कि पत्रकार जब पक्ष–विपक्ष से परे रहकर निष्पक्ष रूप से विधानसभा की कार्यवाही का अवलोकन करते हैं और उसे प्रस्तुत करते हैं, तब लोकतंत्र मजबूत होता है। उन्होंने कहा कि संसदीय प्रणाली की गहरी समझ से ही पत्रकार बेहतर ढंग से जनता को विधानसभा की गतिविधियों से अवगत करा सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि संसदीय पत्रकारिता में विशेष रूप से विधानसभा की प्रक्रिया से जुड़े समाचारों को सरल भाषा में प्रस्तुत करना आवश्यक है, ताकि आमजन तक वे प्रभावी ढंग से पहुंच सकें। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सिंह ने इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ एवं दिवंगत पत्रकारों का पुण्य स्मरण करते हुए कहा कि प्रदेश की पत्रकारिता परंपरा ने सदैव विधानसभा की गरिमा बनाए रखने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
कार्यशाला में नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने पत्रकारों की भूमिका को नारद मुनि की परंपरा से जोड़ते हुए कहा कि पत्रकार समयबद्धता और सजगता के साथ लोकतंत्र के संवाहक होते हैं। डॉ. महंत ने कहा कि इस कार्यशाला के माध्यम से सभी को कुछ नया सीखने का अवसर मिलेगा और संसदीय पत्रकारिता को समझने का दायरा और व्यापक होगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह आयोजन उपयोगी सिद्ध होगा और पत्रकारों के कार्य को नई दिशा देगा। उन्होंने अपनी लंबी संसदीय यात्रा का स्मरण करते हुए कहा कि इस दौरान पत्रकारों के साथ बिताए गए समय और अनुभव अत्यंत मूल्यवान रहे हैं। उन्होंने पत्रकारों की सजगता, सटीकता और संवेदनशीलता की सराहना की, जो वर्षों से संसदीय गतिविधियों को जनता तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
इस अवसर पर संसदीय कार्य मंत्री श्री केदार कश्यप, विधानसभा के सचिव श्री दिनेश शर्मा, आईआईएमसी के पूर्व महानिदेशक श्री संजय द्विवेदी सहित बड़ी संख्या में पत्रकार उपस्थित थे।
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युक्तियुक्तकरण से शिक्षा व्यवस्था को मजबूती

  • नगरदा स्कूल को मिला जीवविज्ञान शिक्षक
रायपुर। छत्तीसगढ़  शासन द्वारा शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से चलाए जा रहे युक्तियुक्तकरण अभियान का असर अब जमीनी स्तर पर दिखने लगा है। इसी क्रम में सक्ती जिले के शासकीय हायर सेकण्डरी स्कूल नगरदा को लंबे समय बाद जीवविज्ञान विषय के लिए शिक्षक की सौगात मिली है।
पूर्व में इस विद्यालय में जीवविज्ञान शिक्षक की अनुपस्थिति के कारण विद्यार्थियों को विषय की पढ़ाई में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। अब युक्तियुक्तकरण की पहल के चलते इस विषय के लिए शिक्षक की पदस्थापना हो गई है, जिससे विद्यार्थियों को संतुलित और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुलभ हो रही है।
विद्यालय के प्राचार्य श्री छतराम सिदार ने बताया कि शिक्षक की नियुक्ति से विद्यार्थियों की पढ़ाई में सकारात्मक बदलाव देखने को मिल रहा है और आने वाले समय में इसके परीक्षा परिणामों में भी स्पष्ट प्रभाव दिखाई देगा। उन्होंने मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय द्वारा शिक्षा क्षेत्र में दी जा रही प्राथमिकता के लिए धन्यवाद व्यक्त किया है।
ज्ञात हो कि राज्य सरकार द्वारा युक्तियुक्तकरण के अंतर्गत प्रदेश के स्कूलों में शिक्षकों की समुचित पदस्थापना की जा रही है, ताकि सभी विषयों में योग्य शिक्षक उपलब्ध कराए जा सकें और ग्रामीण अंचलों के विद्यार्थियों को भी समग्र व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित की जा सके।
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पीएम सूर्य घर योजना : बिजली बचत से आर्थिक सशक्तिकरण तक

रायपुर। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना का असर अब पूरे छत्तीसगढ़ में दिखने लगा है। इस महत्वाकांक्षी योजना से न केवल आम नागरिकों को बिजली बिल से राहत मिल रही है, बल्कि वे अब स्वच्छ ऊर्जा के माध्यम से आत्मनिर्भर भी बन रहे हैं।
सक्ती जिले के बाराद्वार निवासी श्री यशवंत कुमार राठौर भी इस योजना से लाभान्वित होने वालों में शामिल हैं। उन्होंने अपने घर की छत पर 3 किलोवाट का सोलर रूफटॉप सिस्टम स्थापित किया है। इस सोलर सिस्टम से वे गर्मी के मौसम में प्रतिदिन औसतन 18 यूनिट, जबकि बरसात के मौसम में 10 यूनिट तक बिजली का उत्पादन कर रहे हैं
श्री राठौर का कहना है कि इस योजना से न केवल उनके बिजली बिल में भारी कमी आई है, बल्कि अतिरिक्त यूनिट का लाभ उन्हें आर्थिक रूप से भी मिल रहा है। उन्होंने इसे एक पर्यावरण अनुकूल और आर्थिक रूप से फायदेमंद योजना बताते हुए सभी नागरिकों से अपील की कि वे भी इस पहल का हिस्सा बनें और स्वच्छ ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा दें।
इस योजना के तहत आम नागरिक पीएम सूर्यघर पोर्टल (pmsuryaghar.gov.in), मोबाइल ऐप अथवा नजदीकी विद्युत कार्यालय से संपर्क कर आसानी से आवेदन कर सकते हैं।राज्य सरकार और केंद्र सरकार की संयुक्त पहल से यह योजना ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में मील का पत्थर साबित हो रही है। इससे न केवल आमजन को राहत मिल रही है, बल्कि हर घर सौर ऊर्जा के सपने को भी साकार किया जा रहा है।
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जिला अस्पताल का एनआरसी बना कुपोषित बच्चों के लिए जीवनदाता

  • 1953 बच्चों को मिला सुपोषण, स्वस्थ जीवन की ओर बढ़ाया कदम
रायपुर। स्वास्थ्य मंत्री श्री श्याम बिहारी जायसवाल के मार्गदर्शन में पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) एक सशक्त सामाजिक पहल बनकर उभरा है। बेमेतरा जिले में एनआरसी के द्वारा अब तक 1953 कुपोषित बच्चों को स्वस्थ जीवन की ओर अग्रसर किया है। जिला अस्पताल बेमेतरा के एमसीएच बिल्डिंग में  1 माह से 5 वर्ष तक के गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों को विशेष देखभाल और पोषक आहार के साथ निरूशुल्क उपचार प्रदान किया जाता है।
एनआरसी में बच्चों को 15 दिनों तक विशेष पोषण आहार जैसे थेराप्यूटिक फूड (एफ 75, एफ 100), फार्मूला मिल्क के साथ-साथ दलिया, खिचड़ी, हलवा, इडली आदि भी दिया जाता है। माताओं को दो समय का भोजन और 15 दिन बाद 2,250 रुपये की आर्थिक सहायता भी दी जाती है। यहां  बच्चों के भर्ती की प्रक्रिया सरल है, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, मितानिन, एएनएम और चिरायु टीम की सिफारिश या पालकों की पहल पर सीधे बच्चों को भर्ती किया जाता है।
इस उपलब्धि के पीछे  स्वास्थ्य विभाग की समर्पित टीम और जिला प्रशासन की सजगता का योगदान है। एनआरसी न केवल बच्चों के शरीर को पोषण देता है, बल्कि उनके परिवारों को भी पोषण और स्वास्थ्य के महत्व के प्रति जागरूक करता है। यह पहल बेमेतरा को कुपोषण मुक्त जिला बनाने की दिशा में मील का पत्थर सिद्ध हो रही है।
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मिनी प्लग टाइप सीडलिंग यूनिट : किसानों के लिए गुणवत्तायुक्त पौधों का नया समाधान

  • सालाना 20 लाख पौधों का उत्पादन, समय और लागत दोनों में लाभ
रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की सरकार कृषि क्षेत्र में ऐसे तकनीकी समाधानों को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है, जिनका सीधा लाभ किसानों को मिले और उनकी आय में वृद्धि हो। यह पहल मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के समृद्ध किसान - सशक्त छत्तीसगढ़ के विजन को साकार करने की दिशा में एक अहम कदम है। 
सूरजपुर जिले में स्थापित मिनी प्लग टाइप सीडलिंग यूनिटें किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण नवाचार साबित हो रही हैं। ये यूनिटें, जिनमें से एक शासकीय उद्यान दतिमा में और दूसरी शासकीय उद्यान खोरमा में स्थित है, किसानों को गुणवत्तायुक्त और स्वस्थ पौधे उपलब्ध कराकर पारंपरिक बुवाई की चुनौतियों से मुक्ति दिला रही हैं। दोनों यूनिटों की संयुक्त वार्षिक उत्पादन क्षमता 20 लाख पौधों की है, जहाँ करेला, टमाटर, बैंगन, गेंदा, मिर्च, फूलगोभी, पत्तागोभी, खीरा और तरबूज जैसी विभिन्न प्रकार की सब्जियां, मसाले और फूलों के पौधे तैयार किए जाते हैं। 
इन यूनिटों में तैयार किए गए पौधे कीट-व्याधि से मुक्त, स्वस्थ और उच्च गुणवत्ता वाले होते हैं, जिससे किसानों को बेहतर उत्पादन प्राप्त करने में मदद मिलती है। यदि किसान अपने बीज उपलब्ध कराते हैं, तो उन्हें मात्र 1.00 रुपये प्रति पौधा की दर से पौधे मिलते हैं, जबकि विभागीय बीज से तैयार पौधे 1.50 रुपये प्रति पौधा की दर से उपलब्ध कराए जाते हैं। किसानों की मांग पर, ये यूनिटें टमाटर और बैंगन के ग्राफ्टेड पौधे भी तैयार करती हैं, जो अधिक उपज देने में सहायक होते हैं। बीज से पौधे तैयार होने में सामान्यतः 25 से 30 दिन का समय लगता है, जिससे किसानों को समय पर रोपण के लिए उन्नत किस्म के पौधे मिल जाते हैं। यह सुविधा किसानों को पारंपरिक बीज बुवाई की समय लेने वाली और श्रमसाध्य प्रक्रिया से बचाती है, साथ ही उन्हें आधुनिक, तेज और विश्वसनीय विकल्प प्रदान करती है। जो सीधे तौर पर विष्णु देव साय के नेतृत्व वाली सरकार के किसान-हितैषी नीतियों का परिणाम है।
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मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ में लिया गया बड़ा निर्णय

  • उद्योग विभाग को सौंपा जाएगा जशप्योर का ट्रेडमार्क
  • जशप्योर बनेगा ग्लोबल ब्रांड- जशपुर से निकलकर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक पहुँच का मार्ग प्रशस्त
रायपुर। छत्तीसगढ़ के दूरस्थ अंचल जशपुर की आदिवासी महिलाओं के समूह द्वारा प्राकृतिक वनोपज का प्रसंस्करण कर तैयार की गई विभिन्न प्रकार की खाद्य सामग्रियों का ब्रांड जशप्योर अब जशपुर और छत्तीसगढ़ की सीमाओं से बाहर निकलकर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कदमताल करने को तैयार है। 
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के वोकल फॉर लोकल अभियान को आत्मसात करते हुए एक अहम निर्णय लिया गया है जिसके तहत जशपुर जिले की महत्वाकांक्षी महिला केंद्रित ब्रांड जशप्योर का ट्रेडमार्क अब उद्योग विभाग को हस्तांतरित किया जाएगा। यह ऐतिहासिक निर्णय जशप्योर को व्यापक उत्पादन, संस्थागत ब्रांडिंग और राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुँच दिलाने की दिशा में एक बड़ा और निर्णायक कदम है।
जशप्योर- परंपरा को उद्यमिता से जोड़कर खोली उन्नति की राह
जशप्योर ब्रांड महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने वाला उपक्रम है, जिसे जशपुर जिले की आदिवासी महिलाओं द्वारा संचालित किया जाता है। इसका उद्देश्य प्राकृतिक, पोषणयुक्त और रसायनमुक्त खाद्य उत्पादों का निर्माण करते हुए स्थानीय समुदायों को रोजगार उपलब्ध कराना और सतत विकास को बढ़ावा देना है।
इस ब्रांड का लक्ष्य छत्तीसगढ़ की समृद्ध कृषि और वनोपज का प्रसंस्करण कर खाद्य उत्पादों के रूप में तैयार करना तथा रोजगार से जोड़ते हुए व्यावसायिक स्तर पर इन्हें व्यापक पहचान दिलाना है।
जशप्योर के उत्पादों की मुख्य विशेषता यह है कि ये पूरी तरह से प्राकृतिक हैं। इनमें किसी भी प्रकार के प्रिज़र्वेटिव, रंग या कृत्रिम स्वाद का उपयोग नहीं किया जाता और ये सस्टेनेबल पैकेजिंग में उपलब्ध हैं। जशप्योर केवल एक ब्रांड नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ी माटी की महक, आदिवासी बहनों की मेहनत और आत्मनिर्भर छत्तीसगढ़ का प्रतीक बन चुका है।
जशप्योर के उत्पाद बना रहे हैं अपनी अलग पहचान
जशप्योर द्वारा महुआ और अन्य वनोपज को शामिल करते हुए कई प्रकार के पारंपरिक और स्वास्थ्यवर्धक उत्पाद तैयार किए जा रहे हैं। इनमें महुआ आधारित उत्पाद जैसे महुआ नेक्टर, महुआ वन्यप्राश, महुआ कुकीज़, रागी महुआ लड्डू, महुआ कैंडी और महुआ नेक्टर कोकोआ शामिल हैं। इसके अलावा, ढेकी कूटा जवा फूल चावल, मिलेट आधारित पास्ता और कोदो, कुटकी, रागी तथा टाऊ से बने विभिन्न उत्पाद भी पूरे भारत में अपनी पहचान बना रहे हैं।
महिला उद्यमिता को मिल रहा बढ़ावा-
जशप्योर ब्रांड का उद्देश्य केवल व्यापार नहीं है, बल्कि यह आदिवासी महिलाओं के सशक्तिकरण और उनकी आर्थिक स्थिति को सुधारने का एक सशक्त प्रयास भी है। इस ब्रांड के माध्यम से महिलाओं को रोजगार का अवसर मिला है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हुई है और वे आत्मनिर्भर बनने की दिशा में अग्रसर हुई हैं।
जशप्योर द्वारा निर्मित हर उत्पाद आदिवासी महिलाओं की मेहनत और समर्पण का प्रतीक है। ये उत्पाद देशभर के विभिन्न स्टोर्स पर उपलब्ध हैं, जो ब्रांड की व्यापक पहुँच का प्रमाण हैं।
जशप्योर के सभी उत्पाद पूर्णतः प्राकृतिक हैं। इनमें किसी भी प्रकार के प्रिज़र्वेटिव, कृत्रिम रंग या स्वाद का उपयोग नहीं किया जाता। यह उत्पाद श्रृंखला न केवल स्वादिष्ट है, बल्कि पोषण से भरपूर और पर्यावरण-संवेदनशील पैकेजिंग में उपलब्ध है।
जशप्योर के प्रमुख उत्पादों में महुआ नेक्टर, महुआ वन्यप्राश, रागी महुआ लड्डू, महुआ कुकीज़, महुआ कोकोआ ड्रिंक, कोदो, कुटकी, रागी आधारित पास्ता और ढेकी कूटा चावल शामिल हैं।
जशप्योर की सबसे खास बात इसकी महिला प्रधान कार्यशक्ति है। यहां 90 प्रतिशत से अधिक कर्मचारी आदिवासी महिलाएं हैं, जो उत्पादन से लेकर पैकेजिंग तक हर स्तर पर सक्रिय भूमिका निभा रही हैं। इस मंच के माध्यम से ये महिलाएं न केवल आत्मनिर्भर बन रही हैं, बल्कि परंपरागत ज्ञान और तकनीकों को आधुनिक बाजार में प्रस्तुत करने में भी सक्षम हो रही हैं।
वर्ल्ड फूड इंडिया 2024 में मिली सकारात्मक प्रतिक्रिया-
20 सितंबर 2024 को नई दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित वर्ल्ड फूड इंडिया 2024 में जशप्योर का स्टॉल सभी के आकर्षण का केंद्र बना रहा। स्वस्थ जीवनशैली अपनाने वाले उपभोक्ताओं, पोषण विशेषज्ञों और उद्यमियों ने विशेष रुचि के साथ महुआ और मिलेट से बने उत्पादों की सराहना की। इन उत्पादों में कोई एडिटिव, प्रिज़र्वेटिव या स्टेबलाइजर नहीं है, जिससे ये पूरी तरह से प्राकृतिक, सुरक्षित और पोषणयुक्त हैं।
रेयर प्लेनेट के साथ ऐतिहासिक समझौता-
जशप्योर की पहुँच अब देशभर के प्रमुख एयरपोर्ट स्टोर्स तक होगी। रेयर प्लेनेट के साथ हुए समझौते के तहत पहले चरण में पाँच एयरपोर्ट्स पर महुआ और अन्य उत्पादों की बिक्री शुरू की जा रही है। यह पहल जशप्योर को राष्ट्रीय उपभोक्ताओं से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इस एमओयू पर हस्ताक्षर मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय द्वारा ऑनलाइन माध्यम से किए गए, जो राज्य के स्थानीय उत्पादों को वैश्विक पहचान दिलाने की प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
जशप्योर- लोकल टू ग्लोबल की राह पर अग्रसर
जशप्योर से जुड़े जशपुर जिले के युवा वैज्ञानिक श्री समर्थ जैन ने बताया कि जिला प्रशासन और छत्तीसगढ़ शासन के प्रयासों से "महुआ को अब केवल शराब तक ही सीमित नहीं रखा जाएगा, बल्कि इसे फॉरेस्ट गोल्ड या ग्रीन गोल्ड के रूप में भी देखा जाएगा।" जशप्योर ने यह साबित कर दिया है कि स्वास्थ्यवर्धक भोजन स्वादिष्ट भी हो सकता है। उनका मानना है कि शासन की इस पहल से जशप्योर को लोकल टू ग्लोबल ब्रांड बनाने में मदद मिलेगी और निश्चित ही यह निर्णय प्रदेश भर में वनोपज और स्थानीय उत्पादकों के लिए नए अवसरों के द्वार खोलेगा।
ब्रांड ट्रेडमार्क हस्तांतरण के इस ऐतिहासिक निर्णय से जशप्योर को प्रोत्साहन मिलने के साथ ही कच्चे माल की माँग में वृद्धि होगी और आदिवासी महिलाओं को रोजगार के अधिक अवसर प्राप्त होंगे। इस निर्णय से जशप्योर ब्रांड का ट्रेडमार्क उद्योग विभाग को हस्तांतरित किया जाएगा, ताकि इसके दायरे और प्रभाव को और व्यापक बनाया जा सके। इससे जशप्योर के उत्पादों को विश्वस्तरीय बनाने, उत्पादन में वृद्धि के लिए उन्नत मशीनें लगाने और प्रभावी मार्केटिंग सुनिश्चित करने का मार्ग प्रशस्त होगा।
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वित्त मंत्री ओ.पी. चौधरी ने जीएसटी सुधारों पर रखा ठोस विजन

  • बोगस पंजीयन व फर्जी बिलों पर सख्त कार्रवाई के दिए सुझाव
  • जीएसटी राजस्व संग्रहण विषय पर मंत्रियों के समूह (GoM) की बैठक आयोजित
रायपुर। देशभर में जीएसटी राजस्व संग्रहण को और अधिक पारदर्शी, तकनीक-सक्षम और प्रभावी बनाने के लिए गठित मंत्रियों के समूह (GoM) की महत्वपूर्ण बैठक शुक्रवार को राजधानी दिल्ली में आयोजित हुई। बैठक में छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्री श्री ओ.पी. चौधरी ने राज्य के अनुभव साझा किए और बोगस व्यवसायियों पर सख्त कार्रवाई, पंजीयन प्रक्रिया में आधुनिक तकनीक के प्रयोग तथा फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट पर रोकथाम के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव प्रस्तुत किए। इस समूह का संयोजन गोवा के मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद पी. सावंत कर रहे हैं।
बैठक में छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्री श्री ओ.पी. चौधरी ने बतौर सदस्य भागीदारी की और राज्य के अनुभव एवं नीतिगत सुझाव साझा किए। बैठक का मुख्य उद्देश्य राजस्व संग्रहण में आ रही चुनौतियों का आकलन कर व्यापक समाधान तलाशना था
बैठक के दौरान देश के विभिन्न राज्यों के वित्त मंत्रियों ने अपने-अपने राज्यों में जीएसटी के राजस्व पर पड़ने वाले आर्थिक व अन्य कारकों का विस्तार से विश्लेषण किया। इस अवसर पर श्री चौधरी ने छत्तीसगढ़ में एंटी इवेजन और अनुपालन के क्षेत्र में की गई पहलों की जानकारी दी।
श्री ओ.पी. चौधरी ने बताया कि कर अपवंचन रोकने और वास्तविक करदाताओं को सहूलियत देने के लिए छत्तीसगढ़ में डाटा एनालिटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित टूल्स का सघन उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसे प्रयासों से राज्य के राजस्व में उल्लेखनीय बढ़ोतरी संभव हुई है
बैठक में बीफा, जीएसटी प्राइम और ई-वे बिल पोर्टल जैसी अत्याधुनिक प्रणालियों के प्रजेंटेशन भी हुए। श्री चौधरी ने सुझाव दिया कि इन नवाचारों को पूरे देश में समान रूप से लागू करने से बोगस व्यवसायियों की पहचान और कार्यवाही में तेजी लाई जा सकेगी।
छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्री ने विशेष रूप से फर्जी बिलों पर नियंत्रण, फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट की रोकथाम, तथा पंजीकरण की प्रक्रिया में पारदर्शिता के लिए केंद्रीयकृत डिजिटल तंत्र के विकास पर बल दिया। उन्होंने कहा कि इन उपायों से न केवल राजस्व बढ़ेगा बल्कि करदाताओं में विश्वास भी बढ़ेगा।
वित्त मंत्री श्री चौधरी ने बैठक में यह भी रेखांकित किया कि मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में जीएसटी कलेक्शन के संदर्भ में राज्य स्तर पर नियमित समीक्षा और डेटा आधारित निर्णय प्रक्रियाओं ने सकारात्मक परिणाम दिए हैं। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ का अनुभव अन्य राज्यों के लिए उपयोगी मॉडल बन सकता है।
बैठक में वित्त मंत्री श्री ओ पी चौधरी ने कहा कि सभी राज्यों को मिलकर साझा प्रयास करने चाहिए ताकि जीएसटी राजस्व संग्रहण में स्थायित्व एवं वृद्धि सुनिश्चित हो सके। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि मंत्रियों के समूह द्वारा सुझाए गए उपायों को जीएसटी परिषद शीघ्र लागू करेगी। उन्होंने कहा कि यह बैठक जीएसटी परिषद के समक्ष व्यापक सुधारात्मक प्रस्ताव रखने के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी, जिससे भारत में कर प्रशासन और राजस्व संग्रहण को नई दिशा मिलेगी।
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कोरबा जिले में डीएमएफ से होगी 480 अतिथि शिक्षकों और 351 भृत्यो की नियुक्ति

  • जिले के विद्यालयों में दर्ज संख्या के अनुपात से शिक्षकों की होगी व्यवस्था
  • गत शिक्षा सत्र में सेवा दे चुके अतिथि शिक्षकों, भृत्यो को नियुक्ति में दी जायेगी प्राथमिकता
कोरबा। राज्य शासन के दिशा निर्देशों के तहत कोरबा जिले में अतिशेष शिक्षको की पदस्थापना के बाद भी रिक्त शिक्षकों के पदो और विद्यार्थियों के दर्ज संख्या के हिसाब से कम हो रहे शिक्षकों की प्रतिपूर्ति के लिए कलेक्टर श्री अजीत वसंत ने सार्थक कदम उठाया है। उन्होंने जिले के विद्यालयों में शिक्षकों तथा भृत्यों के रिक्त पदो की संख्या जुटाकर जिला खनिज संस्थान न्यास (डीएमएफ) से मानदेय के आधार पर 480 अतिथि शिक्षकों और 351 भृत्यों के भर्ती का निर्णय लिया है। इन अतिथि शिक्षकों में प्राथमिक शाला के 243, माध्यमिक शाला के 109 और हाई तथा हायर सेकेण्डरी स्कूलों में व्याख्याताओं के 128 पदो पर भर्ती की जायेगी। खास बात यह है कि विगत शिक्षण सत्र में अतिथि शिक्षक के रूप में कार्य करने वाले शिक्षकों को इस सत्र की नियुक्ति में प्राथमिकता दी जायेगी। इसके साथ ही भृत्यों एवं अतिथि शिक्षकों को गत वर्ष दिये जाने वाले मानदेय में भी वृद्धि कर दी गई है।
कलेक्टर द्वारा जिले में शैक्षणिक माहौल को बेहतर बनाने के साथ ही स्कूलों में विद्यार्थियों की दर्ज संख्या के अनुपात में शिक्षक उपलब्ध कराने के उद्देश्य से इस सत्र में भी डीएमएफ से अतिथि शिक्षकों के नियुक्ति का निर्णय लिया है। पूर्व में डीएमएफ के शासी परिषद के बैठक में लिये गये निर्णयों के अनुरूप वर्तमान शिक्षण सत्र में भी अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति का अनुमोदन किया गया है। कलेक्टर ने युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया में अतिशेष शिक्षकों के समायोजन के पश्चात जिला शिक्षा अधिकारी के माध्यम से उन सभी विद्यालयों की जानकारी मंगाई थी, जहां विद्यार्थियों के दर्ज संख्या के अनुपात में शिक्षकों की आवश्यकता है। जिला शिक्षा अधिकारी से जानकारी प्राप्त होने के बाद कलेक्टर द्वारा विद्यालयों में आवश्यक कार्य हेतु मानदेय के आधार पर 351 भृत्यों के भर्ती की स्वीकृति दी गई है। इसी तरह प्राथमिक शाला के 243, माध्यमिक शाला के 109 और हाई तथा हायर सेकेण्डरी स्कूलों में व्याख्याताओं के 128 पदो पर मानदेय के आधार पर भर्ती की स्वीकृति प्रदान की गई है।
कलेक्टर श्री वसंत ने नियुक्ति प्रक्रिया में निर्धारित नियमों का पालन करने और पूर्व में कार्य कर चुके भृत्यों और शिक्षको को प्राथमिकता देते हुए भर्ती प्रक्रिया शीघ्र पूर्ण्करने के निर्देश दिए हैं, ताकि विद्यार्थियों को विद्यालय में शिक्षक की कमी महसूस न हो और उनका पाठ्यक्रम (सिलेबस) समय पर पूरा होने के साथ ही उन्हें जो शिक्षा मिलनी चाहिए वह मिल सकें। जिला खनिज न्यास मद अंतर्गत इन शिक्षकों की नियुक्ति जिला शिक्षा अधिकारी के माध्यम से मेरिट लिस्ट के आधार पर होगी। यह नियुक्ति अस्थाई होगी और विद्यालयों में विषय विशेषज्ञ शिक्षकों की कमी को दूर करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम होगा।     
मिलेगा बढ़ा हुआ मानदेय
डीएमएफ से की जा रही भर्ती में अतिथि शिक्षकों को इस सत्र में गत वर्ष की तुलना में बढ़ा हुआ मानदेय दिया जाएगा। इस सत्र में भृत्य को 8500, प्राइमरी स्कूल के अतिथि शिक्षकों को 11 हजार, मिडिल स्कूल के अतिथि शिक्षकों को 13 हजार और हाई-हायर सेकेण्डरी के अतिथि व्याख्याताओं को 15 हजार रूपये प्रतिमाह मानदेय दिया जाएगा। विगत वर्ष भृत्य को 8000, प्राइमरी स्कूल के अतिथि शिक्षकों को 10 हजार, मिडिल स्कूल के अतिथि शिक्षकों को 12 हजार और हाई-हायर सेकेण्डरी के अतिथि व्याख्याताओं को 14 हजार रूपये प्रतिमाह मानदेय दिया गया था।
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मुख्यमंत्री की पहल से बंजारी एवं फत्तेगंज ग्रामों में जल संकट हुआ समाप्त

  • जल जीवन मिशन के माध्यम से 73 ग्रामीण परिवारों को घर पर नल से पेयजल उपलब्ध
रायपुर। राज्य शासन की प्राथमिकता वाली योजना जल जीवन मिशन के प्रभावी क्रियान्वयन से राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ विकासखंड के ग्राम बंजारी एवं फत्तेगंज में पेयजल संकट का समाधान हुआ है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय एवं लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री श्री अरूण साव के मार्गदर्शन में जल जीवन मिशन के अंतर्गत इन ग्रामों में पाइपलाइन विस्तार कार्य पूर्ण कर प्रत्येक घर में नल के माध्यम से शुद्ध पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित की गई है।
ग्राम पंचायत चारभाठा के आश्रित ग्राम बंजारी में 39 तथा फत्तेगंज में 34 परिवार निवासरत हैं, जहां पूर्व में पेयजल का एकमात्र स्रोत हैंडपंप ही था। गर्मी के मौसम में जलस्तर गिरने के कारण ग्रामीणों को पेयजल हेतु लंबी दूरी तय करनी पड़ती थी। विशेषकर महिलाओं को दैनिक उपयोग हेतु पानी लाने में अत्यधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था, जिससे उनका अधिकांश समय पेयजल संग्रहण में व्यतीत होता था।
उक्त समस्या के स्थायी समाधान हेतु जल जीवन मिशन के अंतर्गत ग्राम बंजारी में 950 मीटर एवं फत्तेगंज में 750 मीटर पाइपलाइन बिछायी गई। सौर ऊर्जा आधारित पम्प प्रणाली के माध्यम से इन ग्रामों में 24 घंटे नियमित रूप से पर्याप्त मात्रा में पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित की गई है।
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में ग्रामों को हर घर जल घोषित किया गया है। इस योजना से ग्रामीणों की दिनचर्या में सकारात्मक बदलाव आया है। अब पेयजल व्यवस्था में लगने वाला समय अन्य रचनात्मक एवं आर्थिक गतिविधियों में उपयोग किया जा रहा है, जिससे उनकी उत्पादकता में वृद्धि हुई है तथा जीवन स्तर में सुधार हुआ है।
ग्राम की निवासी श्रीमती निर्मला साहू एवं श्रीमती अंजू सिन्हा ने बताया कि पूर्व में पेयजल की व्यवस्था हेतु दिन का अधिकांश समय खर्च होता था, जिससे बच्चों की देखभाल एवं उनकी शिक्षा पर पर्याप्त ध्यान नहीं दे पाती थीं। अब घर में ही नल से जल उपलब्ध होने से बच्चों को पढ़ाई के लिए अधिक समय मिलने लगा है, जिससे शैक्षणिक प्रगति भी हुई है।
जल जीवन मिशन के प्रभावी क्रियान्वयन से ग्राम बंजारी एवं फत्तेगंज में न केवल पेयजल संकट का समाधान हुआ है, अपितु सामाजिक और शैक्षणिक विकास को भी गति मिली है।
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ईरकभट्टी की पाठशाला में लौटी रौनक

  • नियद नेल्लानार योजना बनी बदलाव की धुरी, युक्तियुक्तकरण से शिक्षा को मिला नया आधार
नारायणपुर। नारायणपुर जिले के अबुझमाड़ की सुरम्य वादियों में बसा एक छोटा-सा गांव  ईरकभट्टी, जो कभी माओवादी गतिविधियों की छाया में अपनी रौनक खो चुका था, अब एक बार फिर से मुस्कुराने लगा है। जंगलों की छांव में रहने वाले यहां के वनवासी लंबे समय से अपने मूल अधिकारों और सुविधाओं से वंचित थे, लेकिन अब बदलाव की बयार बहने लगी है। इस बदलाव की शुरुआत हुई है शिक्षा से।
बीते वर्षों में माओवादी हिंसा के कारण ईरकभट्टी जैसे कई गांवों की सामाजिक और सांस्कृतिक धारा थम सी गई थी। गांव के बच्चे स्कूल जाना भूल चुके थे, मांदर की थाप शांत हो गई थी और गांव की गलियों में वीरानी छा गई थी। स्कूलों के बंद होने से आने वाली पीढ़ी के भविष्य पर अंधेरा मंडराने लगा था। लेकिन अब इस अंधेरे को उजाले में बदलने का काम किया है छत्तीसगढ़ सरकार की “नियद नेल्लानार” योजना ने, जिसका अर्थ है, आपका अच्छा गांव।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में शुरू की गई इस अभिनव योजना ने माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में विकास का नया अध्याय लिखा है। सुरक्षा कैम्पों के 5 किलोमीटर के दायरे में स्थित गांवों में शत-प्रतिशत सरकारी योजनाओं को पहुँचाने का लक्ष्य लेकर शुरू हुई यह योजना अब गेम चेंजर साबित हो रही है।
ईरकभट्टी गांव इसका जीवंत उदाहरण है। यहां प्राथमिक शाला वर्षों से बंद थी, लेकिन अब युक्तियुक्तकरण नीति के तहत न केवल स्कूल को फिर से शुरू किया गया है, बल्कि दो योग्य शिक्षकों की भी नियुक्ति की गई है। इससे गांव के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की राह फिर से मिली है।
केवल शिक्षा ही नहीं, अब गांव में सड़क भी बन चुकी है, बिजली पहुंच चुकी है और शासन की कई योजनाएं धरातल पर उतर रही हैं। ग्रामीणों को यह यकीन हो चला है कि अब उनका भविष्य उज्जवल है। एक ओर जहाँ माओवाद का डर घट रहा है, वहीं दूसरी ओर विकास की किरणें गांव-गांव तक पहुँच रही हैं।
ईरकभट्टी की कहानी, सैकड़ों गांवों की उम्मीद
ईरकभट्टी केवल एक गांव नहीं, बल्कि उन सैकड़ों गांवों की आशा बन गया है, जो अब तक विकास की मुख्यधारा से कटे हुए थे। नियद नेल्लानार योजना से ग्रामीणों को न केवल मूलभूत सुविधाएं मिल रही हैं, बल्कि उनके आत्मविश्वास में भी वृद्धि हो रही है। छत्तीसगढ़ सरकार की यह पहल इस बात का प्रमाण है कि सशस्त्र संघर्ष का जवाब संवेदनशील शासन और समग्र विकास से दिया जा सकता है। अब ईरकभट्टी के बच्चे फिर से पाठशाला में हँसते हैं, मांदर की थाप फिर से गूंजने लगी है और गांव की पगडंडियों पर उम्मीदें दौड़ने लगी हैं।
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खाद-बीज की समय पर उपलब्धता से किसानों में लौटा भरोसा

  • गुणवत्ता युक्त खाद-बीज से खरीफ सीजन की तैयारी में दिखा उत्साह
रायपुर। खरीफ 2025 की शुरुआत के साथ ही छत्तीसगढ़ के खेतों में हरियाली की उम्मीदें पल्लवित होने लगी हैं। राज्य शासन के निर्देश पर सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को समय पर खाद-बीज की उपलब्धता सुनिश्चित कराई जा रही है, जिससे कृषक समुदाय में उत्साह का वातावरण है।
कोरबा जिले के करतला विकासखंड अंतर्गत बांधापाली निवासी कृषक श्री मानकुमार ने खाद-बीज वितरण व्यवस्था पर संतोष व्यक्त करते हुए बताया कि इस वर्ष मानसून की समय पर आमद तथा सहकारी समिति से खाद एवं बीज की समय पर उपलब्धता ने किसानों का आत्मविश्वास बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि अब उन्हें बाजारों की ओर नहीं देखना पड़ता, न ही लंबी कतारों में लगने की जरूरत है। समिति में सहज और सुव्यवस्थित रूप से यूरिया, एनपीके एवं सुपर फॉस्फेट जैसे उर्वरक उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
कृषक श्री मानकुमार ने बताया कि उन्होंने इस वर्ष 10 एकड़ में धान की खेती का लक्ष्य निर्धारित किया है। खेतों की जुताई पूर्ण हो चुकी है और हाल ही में क्षेत्र में हुई अच्छी बारिश से रोपाई का कार्य भी आरंभ हो गया है। खाद-बीज की समय पर उपलब्धता के कारण वे पहले से बेहतर उत्पादन की तैयारी में जुटे हैं। रियायती दर पर गुणवत्तापूर्ण सामग्री प्राप्त होने से उन्हें आर्थिक संबल भी प्राप्त हुआ है।
उन्होंने बताया कि वर्षों बाद ऐसा समन्वय देखने को मिला है जब समय पर वर्षा और समय पर उर्वरकों की आपूर्ति दोनों एक साथ हो रही है। इससे किसानों के मन में नई उम्मीदें जागी हैं और राज्य सरकार की योजनाओं के प्रति विश्वास और गहरा हुआ है। शासन के निर्देश पर समितियों को पर्याप्त मात्रा में खाद-बीज की उपलब्धता सुनिश्चित हुई है ताकि किसानों को किसी तरह की असुविधा न हो।
खाद-बीज की समय पर उपलब्धता न केवल कृषि उत्पादन में वृद्धि सुनिश्चित करेगी, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी गति प्रदान करेगी। कृषक श्री मानकुमार जैसे अनेक किसान अब खरीफ की तैयारी में आत्मविश्वास से परिपूर्ण हैं और आशा है कि यह मौसम उनकी मेहनत को समृद्धि में बदल देगा।
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बरसात में मिलावटी खाद्य सामग्री पर प्रशासन सख्त

  • अवमानक जलेबी और लड्डू किए गए नष्ट 
बलौदाबाजार। वर्षा ऋतु में खाद्य जनित बीमारियों की रोकथाम हेतु बलौदाबाजार जिले में खाद्य पदार्थों की सतत निगरानी की जा रही है। इसी कड़ी में खाद्य एवं औषधि प्रशासन की टीम द्वारा बलौदाबाजार विकासखंड अंतर्गत ग्राम अर्जुनी स्थित 8 प्रतिष्ठानों में आकस्मिक निरीक्षण किया गया।
खाद्य सुरक्षा अधिकारी श्री उमेश वर्मा ने बताया कि शुक्रवार को की गई जांच कार्रवाई के दौरान कुल 45 खाद्य नमूने लिए गए। जांच में एक प्रतिष्ठान में विक्रय हेतु रखे गए बूंदी लड्डू और जलेबी अवमानक स्तर के पाए गए। इस पर त्वरित कार्रवाई करते हुए लगभग 4 किलोग्राम जलेबी एवं 3 किलोग्राम बूंदी लड्डू का मौके पर ही नष्टीकरण किया गया। उन्होंने बताया कि खाद्य एवं औषधि प्रशासन द्वारा लगातार निगरानी और जांच अभियान चलाया जा रहा है, ताकि बरसात के मौसम में मिलावटी और खराब खाद्य पदार्थों की बिक्री पर नियंत्रण रखा जा सके एवं आमजन को सुरक्षित खाद्य सामग्री उपलब्ध हो सके।
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युक्तियुक्तकरण बना शिक्षा सुधार की नींव : अब हर छात्र को मिल रहा विषय विशेषज्ञ शिक्षक

  • गणित से था डर, अब है लगाव- करतला स्कूल में शिक्षक की नियुक्ति से बदली शिक्षा की दिशा
रायपुर। जब भी कक्षा में गणित का नाम लिया जाता, कक्षा 8वीं के बच्चों के चेहरे पर डर और भ्रम साफ नजर आता। समीकरण समझना तो दूर, स्क्वायर, क्यूब, रूट या एल्जेब्रा के सवालों में वे ऐसे उलझ जाते मानो यह कोई रहस्य हो। फॉर्मूले याद रहते थे, लेकिन उन्हें सवालों में कैसे और कहाँ लगाना है, यह समझ ही नहीं आता था।
यह समस्या केवल कोरबा जिले के करतला क्षेत्र की नहीं है, बल्कि प्रदेश के उन सैकड़ों स्कूलों की है जहाँ शिक्षक की अनुपलब्धता के कारण बच्चों की समझ, रुचि और आत्मविश्वास तीनों ही शिक्षा से दूर हो रहे थे। विशेषकर गणित जैसे तकनीकी विषय में, शिक्षक की अनुपस्थिति बच्चों के बुनियादी कौशल के विकास में सबसे बड़ी बाधा बन रही थी। लेकिन अब यह तस्वीर तेजी से बदल रही है। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा प्रारंभ की गई युक्तियुक्तकरण नीति के सफल क्रियान्वयन से प्रदेश के सुदूरवर्ती और शिक्षकविहीन स्कूलों में भी विषय-विशेषज्ञ शिक्षकों की नियुक्ति की जा रही है। इसका उदाहरण कोरबा जिले के शासकीय माध्यमिक शाला, करतला में देखने को मिल रहा है, जहाँ हाल ही में गणित विषय के शिक्षक श्री किशोर केसरवानी की पदस्थापना की गई है।
पूर्व में इस स्कूल में गणित विषय के शिक्षक की अनुपस्थिति के कारण बच्चों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। अब शिक्षक श्री किशोर केसरवानी के आने से न केवल बच्चों की कठिनाइयाँ दूर हुई हैं, बल्कि उनमें गणित के प्रति एक नई रुचि भी जागृत हुई है। शिक्षक श्री केसरवानी ने आते ही बच्चों को सभी मूलभूत फॉर्मूलों को दोहरवाया, उन्हें बीस तक का पहाड़ा याद कराया और गणित को रोजमर्रा की गतिविधियों के माध्यम से समझाने का नवाचार प्रारंभ किया। उनका मानना है कि गणित केवल क्लासरूम तक सीमित विषय नहीं है, यह जीवन का हिस्सा है, इसे चलते-फिरते, खेलते-कूदते और उदाहरणों के माध्यम से समझाया जाना चाहिए। जब गणित से डर खत्म होगा, तब बच्चे उसमें रुचि लेंगे।
छत्तीसगढ़ शासन की इस दूरदर्शी पहल युक्तियुक्तकरण से न केवल एक स्कूल को शिक्षक मिला, बल्कि हजारों ऐसे बच्चों को मार्गदर्शन मिल रहा है, जो अब तक केवल इंतज़ार कर रहे थे। शिक्षा विभाग द्वारा यह कदम उन स्कूलों की पहचान करके उठाया गया, जहाँ शिक्षकों की कमी थी या कोई शिक्षक ही नहीं था। अब ऐसी शालाओं में भी योग्य शिक्षकों की नियुक्ति हो रही है। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में संचालित यह नीति प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने का एक निर्णायक प्रयास है, जिससे बच्चों का भविष्य उज्जवल दिशा की ओर बढ़ रहा है।
स्कूल के छात्रों में इस बदलाव को लेकर उत्साह देखने को मिल रहा है। कक्षा आठवीं के छात्र मनीष राठिया ने कहा, पहले हमारे पास गणित का कोई शिक्षक नहीं था। हम सिर्फ किताबों से देखते थे, लेकिन समझ नहीं पाते थे। अब सर के आने से पढ़ाई में मज़ा आने लगा है, और गणित अब डरावना नहीं लगता। वहीं स्कूल के अन्य विद्यार्थियों ने भी शिक्षक की उपस्थिति को लेकर खुशी जाहिर की और कहा कि अब वे परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करने के लिए पहले से अधिक आत्मविश्वास महसूस कर रहे हैं।
श्री केसरवानी इससे पूर्व माध्यमिक शाला फरसवानी में कार्यरत थे। उन्होंने कहा, “सरकार की इस पहल से बच्चों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आया है। अब दूरस्थ अंचलों में भी शिक्षा का प्रकाश पहुँच रहा है। जब शिक्षक सही स्थान पर होंगे तभी शिक्षा का उद्देश्य पूरा हो पाएगा। वे आगे कहते हैं कि गणित जैसे विषय को लेकर अक्सर बच्चों में भय होता है, लेकिन यदि उन्हें सही मार्गदर्शन मिले, तो वे न केवल इस विषय को समझ सकते हैं, बल्कि उसमें उत्कृष्टता भी प्राप्त कर सकते हैं। कोई भी बच्चा अब शिक्षक की अनुपस्थिति के कारण पीछे न रह जाए। भविष्य में यह पहल प्रदेश के शिक्षा परिदृश्य को एक नई ऊँचाई तक ले जाने में मील का पत्थर साबित होगी।
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13 साल बाद महलोई स्कूल में गूंजा फिजिक्स का सूत्र, युक्तियुक्तकरण से लौट आई पढ़ाई की रौनक

  • हिंदी और इतिहास के शिक्षक भी मिले, बच्चों और पालकों में खुशी की लहर
रायपुर। युक्तियुक्तकरण से लौट आई पढ़ाई की रौनकरायगढ़ जिले के तमनार विकासखंड के महलोई हाई स्कूल में लंबे समय बाद एक नई ऊर्जा देखने को मिल रही है। स्कूल के छात्र अब आत्मविश्वास से भरे हैं, क्योंकि उन्हें वर्षों इंतजार के बाद फिजिक्स, हिंदी और इतिहास जैसे विषयों के शिक्षक मिल गए हैं। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की पहल पर लागू की गई युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया ने इस स्कूल में 13 वर्षों से बनी शिक्षकों की कमी को दूर कर दिया है।
अब स्कूल में सभी विषयों की कक्षाएं नियमित रूप से संचालित हो रही हैं। कक्षा 11वीं की छात्रा दीपिका पटनायक कहती हैं कि फिजिक्स हमारी पढ़ाई का एक महत्वपूर्ण विषय है। पहले शिक्षक नहीं होने के कारण हमें समझने में परेशानी होती थी, लेकिन अब विषय विशेषज्ञ शिक्षक आ गए हैं। इससे हमारी तैयारी बेहतर होगी और हम प्रतियोगी परीक्षाओं में भी अच्छा प्रदर्शन कर सकेंगे।
इतिहास और हिंदी विषयों के लिए भी शिक्षक की नियुक्ति होने से विद्यार्थियों में उत्साह देखा जा रहा है। कक्षा 10वीं की छात्रा नीलम भगत ने बताया कि पहले इन विषयों की पढ़ाई रुक-रुक कर होती थी। अब नियमित शिक्षण मिलने से कोर्स समय पर पूरा हो रहा है, जिससे परीक्षा की तैयारी सुचारु हो गई है।
गांव की निवासी श्रीमती संतोषी तिग्गा बताती हैं कि ग्रामीणों द्वारा वर्षों से शिक्षकों की मांग की जा रही थी। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में की गई युक्तियुक्तकरण की पहल से अब महलोई हाई स्कूल को फिजिक्स, इतिहास और हिंदी के तीन शिक्षक प्राप्त हुए हैं। उन्होंने बताया कि अब विद्यालय में पढ़ाई का माहौल पूरी तरह से बदल गया है और पालकों में भी खुशी की लहर है कि उनके बच्चों को सभी विषयों की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल रही है।
पालकों ने आशा जताई है कि नवपदस्थ शिक्षक विद्यार्थियों को केवल पाठ्यक्रम ही नहीं, बल्कि मूल्य, अनुशासन और समर्पण की भावना भी देंगे जैसे वे अपने बच्चों को देते हैं। विद्यालय में लौटी यह रौनक न केवल एक विद्यालय की तस्वीर बदल रही है, बल्कि पूरे गांव में शिक्षा को लेकर जागरूकता और विश्वास की एक नई लहर भी पैदा कर रही है।
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बलरामपुर-रामानुजगंज जिले की प्रभारी सचिव श्रीमती रीना बाबा साहेब कंगाले पहुंची ग्राम झलारिया

  • विभिन्न योजनाओं के हितग्राहियों से सीधा संवाद कर सुनी जमीनी हकीकत
  • जनकल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन का लिया जायजा, अधिकारियों को दिये आवश्यक निर्देश
रायपुर। खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग की सचिव तथा बलरामपुर-रामानुजगंज जिले की प्रभारी सचिव श्रीमती रीना बाबा साहेब कंगाले ने शुक्रवार को अपने एक दिवसीय प्रवास पर विकासखंड बलरामपुर के ग्राम पंचायत झलारिया का भ्रमण किया। उन्होंने इस दौरान विभिन्न विकास योजनाओं के क्रियान्वयन की स्थिति का अवलोकन करते हुए लाभान्वित हितग्राहियों से सीधा संवाद कर उनके अनुभव सुने और योजनाओं की प्रगति का आंकलन किया। खाद्य सचिव श्रीमती कंगाले ने इस दौरान “एक पेड़ माँ के नाम” अभियान के तहत पौधरोपण किया। साथ ही जल संरक्षण सप्ताह के तहत श्रमदान कर जनभागीदारी का संदेश दिया। 
खाद्य सचिव श्रीमती कंगाले ने इस अवसर पर महिला स्व-सहायता समूह की लखपति दीदी से मुलाकात कर उनकी आजीविका गतिविधियों की सराहना की। प्रभारी सचिव ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकान एवं आंगनबाड़ी केंद्र का निरीक्षण कर संबंधित अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश भी दिए।
ग्राम झलारिया पहुंचने पर प्रभारी सचिव श्रीमती रीना बाबा साहेब कंगाले का स्वागत ग्रामीण महिलाओं ने छत्तीसगढ़ की समृद्ध लोक परंपरा के अनुसार पारंपरिक गीतों और तिलक लगाकर किया। प्रभारी सचिव श्रीमती रीना बाबा साहेब कंगाले ने प्रधानमंत्री आवास योजना की लाभार्थी श्रीमती मानकी देवी से भी मुलाकात की और उनके पुराने एवं वर्तमान आवास के अनुभवों पर चर्चा की। उन्होंने नए घर में जीवन स्तर में आए बदलावों की जानकारी ली और उनके आवास का अवलोकन किया। 
इस अवसर पर प्रभारी सचिव ने उनके आंगन में “एक पेड़ माँ के नाम” अभियान के तहत आम का पौधा रोपित कर पर्यावरण संरक्षण और भावनात्मक जुड़ाव का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि माँ के नाम पर रोपा गया पौधा सिर्फ हरियाली नहीं, बल्कि स्नेह, स्मृति और संस्कृति का प्रतीक है। इसके साथ ही “मोर गांव मोर पानी” अभियान के तहत मनाए जा रहे जल संरक्षण सप्ताह के अंतर्गत उन्होंने श्रीमती मानकी देवी के ही आवास परिसर में सोख्ता गड्ढा निर्माण कार्य में श्रमदान कर सहभागिता दिखाई और जल संरक्षण का संदेश दिया। उन्होंने ग्रामीणों से आह्वान किया “पानी बचाने की जिम्मेदारी केवल शासन की नहीं, समाज की भी है। जब गांव जागरूक होंगे, तभी जल का भविष्य सुरक्षित होगा।
“लखपति दीदी” श्रीमती फूलमती कुमरिया से की मुलाकात
निरीक्षण के दौरान प्रभारी सचिव ने श्रीमती फूलमती कुमरिया के निवास पर पहुंचकर उनके टमाटर की फसल का अवलोकन किया। श्रीमती फूलमती ने स्व-सहायता समूह से लोन लेकर 1 एकड़ भूमि में टमाटर की खेती कर रही है। श्रीमती फूलमती ने बताया कि वे अब तक 70 हजार रूपए के टमाटर का विक्रय कर चुकी है और लगभग उतनी ही फसल उनके खेत में लगी हुई है। उन्होंने बताया कि वे अब लगातार खेती में नवाचार के साथ मेहनत कर रही हैं और आने वाले समय में “लखपति दीदी” की श्रेणी में शामिल होने का लक्ष्य रखती हैं। श्रीमती फूलमती ने आभार स्वरूप टमाटर से भरी टोकरी प्रभारी सचिव को भेंट की। यह भावनात्मक क्षण ग्रामीण आत्मीयता का प्रतीक रहा। श्रीमती कंगाले ने उनकी सराहना करते हुए कहा कि “फूलमती जैसी महिलाएं स्वावलंबन की मिसाल हैं, वे केवल अपने परिवार के लिए नहीं, पूरे गांव के लिए प्रेरणा बन रही हैं।
पीडीएस और आंगनबाड़ी केंद्र का लिया जायजा
प्रभारी सचिव श्रीमती रीना बाबा साहेब कंगाले ने ग्राम झलरिया में सार्वजनिक वितरण प्रणाली अंतर्गत संचालित उचित मूल्य दुकान का निरीक्षण कर संधारित पंजी, भंडारण व्यवस्था, वितरण प्रक्रिया तथा हितग्राहियों की संतुष्टि की स्थिति की जानकारी ली। उन्होंने निर्देश दिए कि कोई भी हितग्राही राशन से वंचित न रहे, यह हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है। इसके पश्चात उन्होंने आंगनबाड़ी केंद्र का भी अवलोकन किया। उन्होंने पूरक पोषण आहार की उपलब्धता, बच्चों की उपस्थिति, टीकाकरण, वजन जांच एवं साफ-सफाई की स्थिति की जानकारी ली। प्रभारी सचिव ने कार्यकर्ताओं को निर्देशित किया कि गर्भवती महिलाओं और बच्चों की देखभाल में किसी प्रकार की लापरवाही न हो और नियमित निगरानी रखी जाए। इस दौरान जिला पंचायत सीईओ श्रीमती नयनतारा सिंह तोमर, जनपद पंचायत सीईओ, स्व-सहायता समूह की महिलाएं एवं ग्रामीणजन मौजूद थे।
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जन सामान्य को शासकीय योजनाओं से लाभान्वित करें : प्रभारी सचिव श्रीमती कंगाले

  • ईको-टूरिज्म को बढ़ावा देने कार्ययोजना जरूरी
रायपुर। खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग की सचिव एवं बलरामपुर-रामानुजगंज जिले की प्रभारी सचिव श्रीमती रीना बाबा साहेब कंगाले की अध्यक्षता में शुक्रवार को संयुक्त जिला कार्यालय भवन परिसर में विभागीय अधिकारियों की समीक्षा बैठक आयोजित की गई।
बैठक में प्रभारी सचिव श्रीमती कंगाले ने विभिन्न विभागों की योजनाओं की प्रगति की समीक्षा करते हुए कहा कि योजनाओं की प्रभावी मॉनिटरिंग सुनिश्चित करने तथा निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जनकल्याणकारी योजनाओं का व्यापक प्रचार-प्रसार कर अधिक से अधिक नागरिकों को लाभान्वित किया जाना चाहिए। उन्होंने जिले में ईको-टूरिज्म की व्यापक संभावनाओं को देखते हुए इस दिशा में एक समग्र एवं प्रभावी कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए
प्रभारी सचिव ने राजस्व विभाग की समीक्षा करते हुए अविवादित, विवादित नामांतरण, सीमांकन, त्रुटि सुधार सहित लंबित प्रकरणों का समयबद्ध निराकरण सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। प्रधानमंत्री जनमन योजना के तहत विशेष पिछड़ी जनजातियों के समग्र उत्थान हेतु किए जा रहे प्रयासों की जानकारी लेते हुए उन्होंने कहा कि इन समुदायों को शासन की मुख्यधारा से जोड़ना अत्यंत आवश्यक है। प्रधानमंत्री आवास योजना की समीक्षा में उन्होंने निर्माण कार्यों की गति बढ़ाने तथा लक्ष्यानुरूप प्रगति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। मनरेगा अंतर्गत संचालित गतिविधियों एवं राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत प्राप्त उपलब्धियों की भी जानकारी ली गई।
बैठक में उन्होंने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के क्रियान्वयन की प्रगति पर संतोष व्यक्त करते हुए उन्होंने पूर्व पंजीकृत कृषकों का अद्यतन पंजीयन भारत सरकार के निर्देशानुसार पूर्ण कराने के निर्देश दिए। शिक्षा विभाग की समीक्षा में उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान की जाए तथा शिक्षकों को समय-समय पर आधुनिक शिक्षण तकनीकों का प्रशिक्षण दिया जाए, ताकि परीक्षा परिणामों में निरंतर सुधार हो सके। बैठक में जल जीवन मिशन, खाद-बीज आपूर्ति, सौर सुजला योजना, उद्योग विभाग की योजनाएं, स्वच्छ भारत मिशन, रेशम विभाग की गतिविधियों तथा रोजगार सृजन कार्यक्रमों की भी गहन समीक्षा की गई।
बैठक में कलेक्टर श्री राजेन्द्र कटारा ने जिले की प्रमुख उपलब्धियों, विकास कार्यों, सामाजिक-आर्थिक संरचना, स्थानीय चुनौतियों एवं प्रशासनिक प्रयासों की जानकारी दी। पुलिस अधीक्षक श्री बैंकर वैभव रमनलाल ने अपराध नियंत्रण, कानून-व्यवस्था तथा सड़क दुर्घटनाओं की रोकथाम हेतु किए गए प्रयासों से अवगत कराया। वनमण्डलाधिकारी श्री आलोक कुमार बाजपेयी ने ‘एक पेड़ माँ के नाम‘ अभियान के अंतर्गत किए जा रहे पौधारोपण कार्यों की जानकारी दी तथा बताया कि पर्यावरण संरक्षण हेतु जनभागीदारी बढ़ रही है। उन्होंने हाथियों द्वारा प्रभावित ग्रामीणों को मुआवजा वितरण एवं ईको-टूरिज्म विकास की दिशा में उठाए गए कदमों की भी जानकारी दी।
बैठक में जिला पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्रीमती नयनतारा सिंह तोमर, अपर कलेक्टर श्री आर.एस. लाल, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्री विश्व दीपक त्रिपाठी सहित विभिन्न विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।
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राज्यपाल रमेन डेका से वाटर वुमेन सुश्री पाठक ने की सौजन्य भेंट

  • नदियों के किनारे 25 लाख पौधे लगाएं
रायपुर। राज्यपाल श्री रमेन डेका से शुक्रवार को यहां राजभवन में वाटर वुमेन और पंचतत्व फाउंडेशन नोएडा (उ.प्र) की संस्थापक सुश्री शिप्रा पाठक ने सौजन्य भेंट की। सुश्री पाठक ने बताया कि उन्होंने आयोध्या से रामेश्वरम तक पद यात्रा की है साथ ही गोमती एवं सरयू नदी के उद्गम से लेकर समागम तक यात्रा कर 25 लाख पौधे नदियों के किनारे लगाए और नदियों की सफाई के लिए लोगों को जागरूक किया। इस अभियान में उनके साथ 15 लाख लोग जुड़े हुए है। छत्तीसगढ़ में भी यह अभियान चलाया जाएगा जिसमें विद्यार्थियों, युवाओं, सामाजिक संगठनों, स्वयंसेवी संस्थानों को जोड़ा जाएगा।
श्री डेका ने पर्यावरण एवं जल संरक्षण के लिए उनके द्वारा किए जा रहे कार्याे की सराहना करते हुए उन्हें स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। उन्होंने भी राज्यपाल को सिंदूर का पौधा भेंट किया। इस अवसर पर फाउंडेशन के सदस्य प्रोफेसर श्री हरिशंकर सिंह उपस्थित थे।
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राज्यपाल ने "एक पेड़ मां के नाम" अभियान के अंतर्गत नीम का पौधा रोपित किया

रायपुर। राज्यपाल श्री रमेन डेका शुक्रवार को पिथौरा विकासखंड अंतर्गत गोड़बहल पहुंचे। इस अवसर पर उन्होंने शासकीय हायर सेकेंडरी स्कूल, गोड़बहाल परिसर में ‘एक पेड़ मां के नाम‘ अभियान के तहत नीम का पौधा रोपित किया। राज्यपाल श्री डेका द्वारा पर्यावरण संरक्षण और जन-जागरूकता के उद्देश्य से इस पौधरोपण कार्यक्रम में सहभागिता दी गई। इस दौरान उन्होंने उपस्थित विद्यार्थियों एवं जनसमुदाय को अधिक से अधिक वृक्षारोपण करने और पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरित किया।
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