धान का कटोरा

छत्तीसगढ़ सरकार ने डीएपी की कमी पूरा करने पुख्ता वैकल्पिक व्यवस्था की

  • एनपीके और एसएसपी उर्वरकों के लक्ष्य में 4.62 लाख मेट्रिक टन की बढ़ोत्तरी
  • मुख्यमंत्री ने कहा- किसानों को परेशान होने की जरूरत नहीं 
  • चालू खरीफ सीजन में अब 17.18 लाख मेट्रिक टन उर्वरक वितरण का लक्ष्य   
रायपुर। देश में डीएपी खाद के आयात में कमी के चलते चालू खरीफ सीजन में राज्य में डीएपी की आपूर्ति प्रभावित होने का वैकल्पिक मार्ग छत्तीसगढ़ सरकार ने निकाल लिया है। किसानों को डीएपी खाद की किल्लत के चलते परेशान होने की जरूरत नहीं है। डीएपी के बदले किसानों को भरपूर मात्रा में इसके विकल्प के रूप में एनपीके और एसएसपी खाद की उपलब्धता सोसायटियों के माध्यम सुनिश्चित की जा रही है। डीएपी की कमी को पूरा करने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने एनपीके (20:20:013) और एनपीके (12:32:13) के वितरण लक्ष्य में 3.10 लाख मेट्रिक टन तथा एसएसपी के वितरण लक्ष्य में 1.80 लाख मेट्रिक टन की वृद्धि करने के साथ ही इसके भण्डारण एवं वितरण की भी पुख्ता व्यवस्था सुनिश्चित की है। एनपीके और एसएसपी के लक्ष्य में वृद्धि होने के कारण चालू खरीफ सीजन में विभिन्न प्रकार के रासायनिक उर्वरकों का वितरण लक्ष्य 14.62 लाख मेट्रिक टन से 17.18 लाख मेट्रिक टन हो गया है। 
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने कहा है कि डीएपी खाद की कमी को लेकर किसानों को परेशान होने की जरूरत नहीं है। इसके विकल्प के रूप में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा अन्य रासायनिक उर्वरक जैसे-एनपीके और एसएसपी की भरपूर व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। इंदिरा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों और कृषि विभाग के अधिकारियों के सुझाव के अनुरूप किसान डीएपी के बदले उक्त उर्वरकों का प्रयोग कर बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। सोसायटियों से किसानों को उनकी डिमांड के अनुसार खाद-बीज की उपलब्धता सुनिश्चित हो, इस पर कड़ी निगाह रखी जा रही है। किसानों की समस्याओं का समाधान सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। 
यहां यह उल्लेखनीय है कि चालू खरीफ सीजन में 14.62 लाख मेट्रिक टन उर्वरक वितरण का लक्ष्य कृषि विभाग द्वारा निर्धारित किया गया था, जिसमें यूरिया 7.12 लाख मेट्रिक टन, डीएपी 3.10 लाख मेट्रिक टन, एनपीके 1.80 लाख मेट्रिक टन, एमओपी 60 हजार मेट्रिक टन, एसएसपी 2 लाख मेट्रिक टन शामिल था। डीएपी के कमी को देखते हुए कृषि विभाग ने इस लक्ष्य को संशोधित किया है। डीएपी की आपूर्ति की कमी चलते इसके लक्ष्य को 3.10 लाख मेट्रिक टन से कमकर 1.03 लाख मेट्रिक टन किया गया है, जबकि एनपीके के 1.80 लाख मेट्रिक टन के लक्ष्य को बढ़ाकर 4.90 लाख मेट्रिक टन और एसएसपी के 2 लाख मेट्रिक टन को बढ़ाकर 3.53 लाख मेट्रिक टन कर दिया गया है। यूरिया और एमओपी के पूर्व निर्धारित लक्ष्य को यथावत् रखा गया है। इस संशोधित लक्ष्य के चलते रासायनिक उर्वरकों के वितरण की मात्रा 14.62 लाख मेट्रिक टन से बढ़कर अब 17.18 लाख मेट्रिक टन हो गई है। 
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि डीएपी की कमी को अन्य उर्वरकों के निर्धारित मात्रा का उपयोग कर पूरी की जा सकती है और फसल उत्पादन बेहतर किया जा सकता है। फसलों के लिए जरूरी पोषक तत्व जैसे नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश सहित मात्रा में मिले तो उपज में कोई कमी नहीं आती है। डीएपी की कमी को देखते हुए किसानों को अन्य फॉस्फेट खादों के उपयोग की सलाह दी है। डीएपी के प्रत्येक बोरी में 23 किलोग्राम फॉस्फोरस और 9 किलोग्राम नाइट्रोजन होता है। इसके विकल्प के रूप में तीन बोरी एसएसपी और एक बोरी यूरिया का उपयोग करने से पौधों को पर्याप्त मात्रा में फॉस्फोरस, कैल्सियम, नाइट्रोजन और सल्फर मिल जाता है। एसएसपी उर्वरक पौधों की वृद्धि के साथ-साथ जड़ों के विकास में भी सहायक है, इसके उपयोग से फसल की क्वालिटी और पैदावार बढ़ाने में मदद मिलती है। डीएपी की कमी को दूर करने के लिए किसान जैव उर्वरकों का भी उपयोग कर सकते हैं। 
कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार खरीफ-2025 में किसानों को विभिन्न प्रकार के रासायनिक उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए 12.13 लाख मेट्रिक टन उर्वरकों का भण्डारण कराया गया है, जिसमें से 7.29 लाख मेट्रिक टन का वितरण किसानों को किया जा चुका है। राज्य में वर्तमान में सहकारी और निजी क्षेत्र में 4.84 लाख मेट्रिक टन खाद वितरण हेतु उपलब्ध है।
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छत्तीसगढ़ में लंबित मामलों के निराकरण के लिए चलेगा “मध्यस्थता राष्ट्र के लिए” अभियान

  • उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा की अध्यक्षता में वर्चुअल बैठक सम्पन्न
रायपुर। छत्तीसगढ़ में न्यायिक प्रक्रियाओं को सरल, त्वरित और जन-हितैषी बनाने के लिए शुरू किए गए “मध्यस्थता राष्ट्र के लिए” अभियान के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु बुधवार को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश श्री न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण वर्चुअल बैठक आयोजित हुई। इस बैठक में प्रदेश के सभी प्रधान जिला न्यायाधीश, परिवार न्यायालयों के प्रधान न्यायाधीश, वाणिज्यिक न्यायालय रायपुर के न्यायाधीश, छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव, बिलासपुर, और सभी जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों के सचिव शामिल हुए।
मुख्य न्यायाधीश श्री रमेश सिन्हा ने अपने संबोधन में मध्यस्थता को न केवल एक वैकल्पिक विवाद निपटान प्रणाली, बल्कि न्याय को सुलभ और प्रभावी बनाने का सशक्त माध्यम बताया। उन्होंने कहा कि मध्यस्थता से लंबित मामलों की संख्या में कमी लाई जा सकती है और पक्षकारों को संतोषजनक समाधान प्राप्त हो सकता है। उन्होंने सभी न्यायालयों को अधिक से अधिक मामलों को मध्यस्थता के लिए चिह्नित करने और रेफरल प्रक्रिया को व्यवस्थित रूप से लागू करने का निर्देश दिया। साथ ही, मध्यस्थता निगरानी समिति को समयबद्ध तरीके से प्रतिवेदन प्रेषित करने पर जोर दिया।
बैठक की सह-अध्यक्षता श्री न्यायमूर्ति पार्थ प्रतीम साहू, अध्यक्ष-छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय की मध्यस्थता एवं सुलह निगरानी समिति, तथा समिति के सदस्य श्री न्यायमूर्ति नरेश कुमार चंद्रवंशी और श्री न्यायमूर्ति राधाकिशन अग्रवाल ने की। बैठक में मध्यस्थता केंद्रों की भूमिका, प्रक्रिया और मामलों की पहचान से संबंधित महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश साझा किए गए।यह अभियान छत्तीसगढ़ में न्यायिक प्रणाली को और अधिक प्रभावी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। मध्यस्थता को एक सशक्त विकल्प के रूप में अपनाने पर बल देते हुए, बैठक में यह सुनिश्चित करने पर जोर दिया गया कि राज्य के सभी स्तरों पर इस प्रक्रिया को प्रभावी ढंग से लागू किया जाए।
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माओवाद प्रभावित सुरपनगुड़ा में युक्तिकरण से जगी शिक्षा की नई उम्मीद

  • नियमित शिक्षक की नियुक्ति से बच्चों को मिली गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, ग्रामीणों में खुशी का माहौल
रायपुर। माओवाद प्रभावित सुकमा जिले के कोंटा विकासखंड के सुदूरवर्ती गांव सुरपनगुड़ा में अब शिक्षा की नई रोशनी फैल रही है। घने जंगलों और पहाड़ियों के बीच बसे इस गांव के बच्चे भी अब राज्य के अन्य बच्चों की तरह गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से लाभान्वित हो रहे हैं। यह संभव हो पाया है छत्तीसगढ़ शासन की युक्तिकरण नीति के प्रभावी क्रियान्वयन से, जिसके अंतर्गत प्राथमिक शाला सुरपनगुड़ा में पहली बार एक नियमित शिक्षक की पदस्थापना की गई है।
अब तक इस स्कूल में शिक्षकों की भारी कमी थी। कक्षाएं तो थीं, पर नियमित शिक्षक के अभाव में बच्चों की पढ़ाई शिक्षादूतों के भरोसे संचालित हो रही थी। माता-पिता बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित थे, लेकिन कोई स्थायी समाधान नजर नहीं आ रहा था। शासन द्वारा लागू की गई युक्तिकरण योजना के तहत अब छात्र संख्या के आधार पर शिक्षकों की तैनाती सुनिश्चित की गई है। इसी पहल के तहत सुरपनगुड़ा के बच्चों को एक स्थायी शिक्षक की सौगात मिली है।
युक्तिकरण प्रक्रिया के माध्यम से सुकमा जिले के दुर्गम और संवेदनशील इलाकों में भी शिक्षा व्यवस्था को मजबूती दी जा रही है। सुरपनगुड़ा जैसे क्षेत्र, जहां तक पहुँचना भी एक चुनौती होता है, वहां अब शिक्षक अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहे हैं और बच्चों को पूरे समर्पण के साथ पढ़ा रहे हैं।
नियमित शिक्षक की नियुक्ति से बच्चों की स्कूल में उपस्थिति में वृद्धि हुई है। मध्यान्ह भोजन योजना का भी सकारात्मक असर देखने को मिल रहा है, बच्चे न सिर्फ पढ़ने आ रहे हैं बल्कि स्कूल में मिलने वाले भोजन का आनंद भी ले रहे हैं। इससे बच्चों में पढ़ाई के प्रति रुचि बढ़ी है और ग्रामीणों का विश्वास भी शासन की योजनाओं पर और मजबूत हुआ है। यह पहल न केवल सुरपनगुड़ा बल्कि पूरे माओवाद प्रभावित अंचलों में शिक्षा के क्षेत्र में उम्मीद की एक नई किरण बनकर सामने आई है। युक्तिकरण की यह नीति शिक्षा को अंतिम छोर तक पहुंचाने की दिशा में एक प्रभावी कदम सिद्ध हो रही है।
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छत्तीसगढ़ सरकार के किसान हितैषी निर्णयों से खेती में उत्साह

  • जशपुर जिले में उर्वरक उठाव में 16.13 प्रतिशत और कृषि ऋण वितरण में 8.62 प्रतिशत की वृद्धि
  • किसान क्रेडिट कार्ड से बढ़ा बीज वितरण
रायपुर। राज्य में खरीफ फसल की बुआई शुरू हो चुकी है और किसान पूरी तन्मयता से कृषि कार्यों में जुट गए हैं। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के निर्देश पर राज्य सरकार द्वारा किसानों को खेती के लिए आवश्यक संसाधन जैसे खाद, बीज और ऋण की सुविधाएं प्राथमिकता के साथ उपलब्ध कराई जा रही हैं, जिससे उन्हें किसी प्रकार की परेशानी न हो। इन योजनाओं और सुविधाओं का सकारात्मक असर अब ज़मीनी स्तर पर साफ़ दिखाई दे रहा है।
मुख्यमंत्री के नेतृत्व में लिए गए किसान हितैषी निर्णयों से खेती के प्रति किसानों में नया उत्साह देखा जा रहा है। राज्य में रूपए प्रति क्विंटल की दर से प्रति एकड़ 21 क्विंटल की धान की खरीदी ने किसानों के मन में विश्वास और उमंग भर दी है। हाल ही में आयोजित कैबिनेट बैठक में एक और बड़ा निर्णय लिया गया, जिसमें पंजीकृत धान फसल की जगह दलहन, तिलहन, मक्का जैसी वैकल्पिक फसलें लेने वाले किसानों को भी कृषक उन्नति योजना का लाभ देने की घोषणा की गई। इस निर्णय का किसानों ने खुले दिल से स्वागत किया है और इसे खेती के दायरे को बढ़ाने तथा समृद्धि की दिशा में बड़ा कदम बताया है।
सहकारिता विभाग, जिला जशपुर से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस वर्ष रासायनिक खाद के उठाव में 16.13 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। जून 2024 के अंत तक जहां 7566.100 टन उर्वरकों का वितरण हुआ था, वहीं जून 2025 के अंत तक यह बढ़कर 8786.190 टन हो गया है। इसी तरह अल्पकालिक ऋण वितरण में भी उल्लेखनीय 8.62 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पिछले वर्ष जून अंत तक 34.68 करोड़ रुपये का ऋण किसानों को उपलब्ध कराया गया था, जबकि इस वर्ष यह आंकड़ा बढ़कर 37.67 करोड़ रुपये हो गया है। अर्थात् कुल 2.99 करोड़ रुपये की वृद्धि दर्ज की गई है।
किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से फसल बीजों के वितरण में भी प्रभावशाली 79.55 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। पिछले वर्ष जून तक 1332.21 क्विंटल धान बीज का वितरण हुआ था, जबकि इस वर्ष यह आकड़ा बढ़कर 2392.46 क्विंटल हो गया है।
राज्य सरकार के इन ठोस प्रयासों से स्पष्ट है कि किसानों को संसाधनों की कमी के बिना खेती करने का अवसर मिल रहा है और वे नई उम्मीद के साथ बेहतर उत्पादन की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय की किसानों के प्रति संवेदनशीलता और दूरदर्शिता के चलते छत्तीसगढ़ में कृषि क्षेत्र न केवल सशक्त हो रहा है, बल्कि आर्थिक प्रगति की ओर भी अग्रसर है।
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अंबिकापुर में धूमधाम से मना जिला स्तरीय शाला प्रवेश उत्सव, नवप्रवेशी बच्चों का हुआ आत्मीय स्वागत

अंबिकापुर। अंबिकापुर जिले में बुधवार को राजमोहिनी देवी भवन में जिला स्तरीय शाला प्रवेश उत्सव का भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में सरगुजा सांसद श्री चिंतामणि महाराज उपस्थित रहे। मां सरस्वती के चित्र पर दीप प्रज्वलन के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई। इसके बाद नवप्रवेशी बच्चों का तिलक लगाकर, मिठाई खिलाकर स्वागत किया गया और उन्हें पाठ्यपुस्तकें, गणवेश तथा अन्य शैक्षणिक सामग्री वितरित की गई।
सांसद श्री चिंतामणि महाराज ने बच्चों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि शिक्षा ही सच्चा धन है, जो कभी नष्ट नहीं होता। उन्होंने बच्चों को मेहनत और लगन से पढ़ने तथा माता-पिता और देश का नाम रोशन करने का संदेश दिया। उन्होंने शिक्षकों से आग्रह किया कि बच्चों की रुचि के अनुसार उन्हें पढ़ाई के साथ-साथ खेल और अन्य गतिविधियों में भी भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करें।
कार्यक्रम में लुण्ड्रा विधायक श्री प्रबोध मिंज और अंबिकापुर विधायक श्री राजेश अग्रवाल ने भी बच्चों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि शिक्षा ही समाज को आगे ले जाती है। कलेक्टर श्री विलास भोसकर ने अपने संबोधन में कहा कि शिक्षा के बिना जीवन अधूरा है। उन्होंने कहा कि बच्चों को बेहतर माहौल, संसाधन और अवसर उपलब्ध कराने के लिए प्रशासन प्रतिबद्ध है।
इस अवसर पर स्कूली बच्चों द्वारा नृत्य और नाट्य प्रस्तुति के माध्यम से शिक्षा के महत्व को रेखांकित किया गया। साथ ही छात्रों द्वारा तैयार की गई शैक्षणिक सामग्री के स्टॉल भी लगाए गए। कार्यक्रम के दौरान सरस्वती सायकल योजना के तहत 9वीं कक्षा की छात्राओं को सायकल वितरित की गई, जिससे उन्हें स्कूल आने-जाने में सुविधा हो सके।
शाला प्रवेशोत्सव में शिक्षा क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले छात्र-छात्राओं को भी सम्मानित किया गया। खेल क्षेत्र में राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को भी सम्मान मिला। इसी तरह छत्तीसगढ़ राज्य स्तरीय स्पेशल ओलंपिक प्रतियोगिता 2025 में भी जिले के खिलाड़ियों ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। कार्यक्रम में जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती निरुपा सिंह, उपाध्यक्ष श्री देवनारायण यादव, नगर निगम सभापति श्री हरमिंदर सिंह  सहित  जनप्रतिनिधिगण, अधिकारी शिक्षाविद् एवं बड़ी संख्या में स्कूली बच्चे उपस्थित थे।
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पीएम आवास की शत-प्रतिशत पूर्णता के लिए तत्परता से कार्य करें

  • तीन पंचायतों के सचिवों को नोटिस
रायपुर। प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत आवास निर्माण की स्थिति की समीक्षा के लिए बुधवार को जिला पंचायत सभाकक्ष रायगढ़ में बैठक आयोजित हुई। कलेक्टर श्री मयंक चतुर्वेदी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में जिले के विभिन्न विकासखण्डों के पंचायत सचिवों एवं फील्ड अधिकारियों के कार्य प्रगति की गहन समीक्षा की गई। बैठक में जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री जितेन्द्र यादव भी उपस्थित रहे।
आवास निर्माण में कमतर प्रगति वाले तीन पंचायतों के सचिवों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया, जिनमें ग्राम पंचायत क्रोन्धा (धरमजयगढ़) के सचिव नंदलाल राठिया, ग्राम पंचायत धौराभांठा (तमनार) के सचिव तुलसीराम राठिया और ग्राम पंचायत अमलीडीह (घरघोड़ा) की सचिव शांति बेहरा शामिल हैं। कलेक्टर ने स्पष्ट कहा कि आवास निर्माण की प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की लापरवाही को बर्दाश्त नहीं की जाएगी। 
कलेक्टर श्री चतुर्वेदी ने कहा कि स्वीकृत आवासों की शत-प्रतिशत पूर्णता सुनिश्चित करना प्राथमिकता होनी चाहिए। इसके लिए सभी फील्ड अधिकारी एवं पंचायत सचिव तत्परता और जिम्मेदारी के साथ कार्य करें। उन्होंने नियमित फील्ड निरीक्षण के निर्देश देते हुए व्यक्तिगत प्रगति रिपोर्ट के आधार पर अधिकारियों के काम-काज की समीक्षा की। बैठक के दौरान उत्कृष्ट कार्य करने वाले तकनीकी सहायकों की सराहना की गई, जिनमें विकासखण्ड खरसिया की डूलिमा चौधरी, प्रियंका देशमुख, धरमजयगढ़ के दिना कुमार रात्रे, तमनार के प्रकाश साव एवं लैलूंगा के श्रवण पैंकरा शामिल हैं।
इस मौके पर सीईओ जिला पंचायत श्री यादव ने ग्राम पंचायतवार स्वीकृत एवं जनमन पोर्टल पर दर्ज आवासों की अद्यतन स्थिति की जानकारी ली। बैठक में मनरेगा के कार्यक्रम अधिकारी, ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के सब-इंजीनियर, पीएम आवास योजना ग्रामीण के विकासखण्ड समन्वयक एवं तकनीकी सहायक सहित सभी विकासखण्डों के ग्राम पंचायत सचिव उपस्थित रहे।
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युक्तियुक्तकरण से साकार हुई गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की परिकल्पना

  • पीएमश्री शाला संबलपुर में शिक्षकों की संख्या में वृद्धि से अध्ययन-अध्यापन व्यवस्था हुई सुदृढ़
रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा स्कूलों में आवश्यकता के अनुरूप शिक्षकों की पदस्थापना के उद्देश्य से लागू की गई युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया पूरे प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में एक सार्थक पहल सिद्ध हो रही है। इसी कड़ी में बालोद जिले के डौण्डीलोहारा विकासखण्ड के पीएमश्री शासकीय प्राथमिक शाला संबलपुर में भी शिक्षकों की कमी की समस्या दूर हुई है। युक्तियुक्तकरण के माध्यम से इस शाला में दो शिक्षकों की नवीन पदस्थापना से अध्ययन-अध्यापन की गतिविधियां सुचारू रूप से संचालित हो रही हैं, जिससे न केवल विद्यार्थियों एवं पालकों को लाभ हुआ है, बल्कि ग्रामीणों एवं शिक्षा जगत से जुड़े लोगों में भी संतोष एवं प्रसन्नता का वातावरण है।
शाला में युक्तियुक्तकरण से पूर्व कुल तीन शिक्षक पदस्थ थे, जबकि विद्यार्थियों की संख्या 150 से अधिक थी। शिक्षकों की इस कमी के कारण शैक्षणिक गतिविधियों में व्यवधान उत्पन्न हो रहा था। राज्य शासन की पहल से अब शाला में प्रधानपाठक श्रीमती वीणा ठाकुर सहित कुल पांच शिक्षक श्री अनिल दिल्लीवार, श्री राबिन नागवंशी, श्रीमती बंसती टिकेश्वर एवं श्रीमती सुनीता की पदस्थापना हो चुकी है, जिससे कक्षा संचालन में सुगमता आई है तथा विद्यार्थियों को विषयवार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त हो रही है।
स्थानीय साहित्यकार एवं शिक्षाविद् श्री बिरेन्द्र निरोटी एवं शाला विकास समिति के अध्यक्ष श्री गंगाराम निषाद ने राज्य शासन की इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि ग्रामीणजन एवं जनप्रतिनिधियों द्वारा लंबे समय से शिक्षकों की नियुक्ति की मांग की जा रही थी, जो अब पूर्ण हुई है। इससे ग्रामीणों, पालकों और विद्यार्थियों में शिक्षा के प्रति नया उत्साह देखने को मिल रहा है।
राज्य शासन की युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया से शिक्षकविहीन अथवा एकल शिक्षकीय शालाओं में भी अब जरूरत के मुताबिक शिक्षक पदस्थ हुए हैं। यह पहल न केवल शिक्षा के स्तर को सुधारने में सहायक है, बल्कि गुणवत्तापूर्ण एवं समावेशी शिक्षा की दिशा में राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को भी दर्शाती है।
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बीजापुर जिले के 54 हजार से अधिक महिला संग्राहकों को चरण पादुका की जाएगी वितरित

रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार तेंदूपत्ता संग्राहक परिवारों की महिलाओं को विशेष सुविधा देने के उद्देश्य से चरण पादुका वितरण किया जा रहा है। इस योजना के तहत बीजापुर जिले के 54 हजार 330 महिला तेंदूपत्ता संग्राहकों को चरण पादुका वितरित की जाएगी।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की मंशानुरूप और वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री केदार कश्यप के मार्गदर्शन में चरण पादुका योजना संचालित की जा रही है। योजना की शुरुआत 21 जून 2025 को नवोदय विद्यालय बीजापुर में की गई, जहां धनोरा और संतोषपुर की प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियों के 15-15 महिला संग्राहकों को चरण पादुका वितरित की गई।
उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार द्वारा चरण पादुका योजना की पहल तेंदूपत्ता संग्राहक महिलाओं की सुरक्षा और सुविधा को ध्यान में रखते हुए की जा रही है। पूर्ववर्ती सरकार में यह योजना बंद कर दी गई थी जिसे तेंदूपत्ता संग्राहक परिवारों के हित में पुनः प्रारंभ किया गया है। जिससे उन्हें जंगलों में कार्य करते समय उनके पैरों को सुरक्षा मिल सके। राज्य सरकार की यह योजना ग्रामीण और वनों में कार्यरत महिला श्रमिकों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने की दिशा में एक सराहनीय कदम है।
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स्कूल चले हम अभियान को मिली नई उड़ान

  • मोहला में उल्लास के साथ मनाया गया जिला स्तरीय शाला प्रवेश उत्सव
रायपुर। राज्य शासन की "स्कूल चले हम" अभियान को एक नई गति और व्यापक जनभागीदारी प्रदान करते हुए जिला मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी में नवीन शिक्षा सत्र 2025-26 के शुभारंभ पर जिला स्तरीय शाला प्रवेश उत्सव का भव्य आयोजन किया गया। यह उत्सव पीएमश्री स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम विद्यालय, मोहला के प्रांगण में पारंपरिक हर्षाेल्लास एवं गरिमामय वातावरण में संपन्न हुआ।
शाला प्रवेश उत्सव में विशेष अतिथि के रूप में विधायक श्री इंद्र शाह मांडवी, जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती नम्रता सिंह, उपाध्यक्ष श्री भोजेश शाह मांडवी, कलेक्टर श्रीमती तुलिका प्रजापति, एसडीएम श्री हेमेंद्र भुआर्य सहित अनेक जनप्रतिनिधि एवं प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित रहे। कार्यक्रम में नवप्रवेशी छात्र-छात्राओं का तिलक लगाकर एवं मिठाई खिलाकर आत्मीय स्वागत किया गया तथा उन्हें निशुल्क पाठ्य पुस्तकें, गणवेश एवं साइकिल का वितरण कर शिक्षा की ओर प्रेरित किया गया।
इस अवसर पर जिला शिक्षा अधिकारी श्री फत्तेराम कोसरिया ने स्वागत उद्बोधन में कहा कि बोर्ड परीक्षाओं, प्रतियोगी परीक्षाओं एवं खेलकूद जैसी गतिविधियों में जिले के विद्यार्थियों ने उल्लेखनीय प्रदर्शन किया है। उन्होंने शिक्षकों एवं पालकों से बच्चों के सर्वांगीण विकास हेतु सहभागिता की अपील की।
जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती नम्रता सिंह ने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए पालकों से विद्यालयीन गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी का आह्वान किया। विधायक श्री इंद्र शाह मांडवी ने जिले में शिक्षा के क्षेत्र में हो रहे गुणात्मक सुधार की सराहना करते हुए छत्तीसगढ़ सरकार शिक्षा विभाग एवं शिक्षकों के समन्वित प्रयास की प्रशंसा की। कलेक्टर श्रीमती तुलिका प्रजापति ने विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ-साथ जागरूकता एवं खेल गतिविधियों से जोड़ने के लिए शिक्षकों को प्रेरित किया। जिला स्तरीय शाला प्रवेश उत्सव के आयोजन से शिक्षा के प्रति जनचेतना को बल मिला है और ‘स्कूल चले हम’ अभियान को ग्रामीण अंचलों में भी नई उड़ान प्राप्त हुई है। यह आयोजन न केवल शिक्षा को प्रोत्साहित करने का सशक्त माध्यम बना, बल्कि सामाजिक सहभागिता एवं सहयोग की भावना को भी नई दिशा दी है।
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खाद-बीज की पर्याप्त उपलब्धता से किसानों के चेहरों पर लौटी मुस्कान

रायपुर। राज्य शासन के स्पष्ट निर्देशों के अनुरूप बालोद जिले में किसानों को कृषि कार्य हेतु आदान सामग्री खाद-बीज की समय पर आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है। जिले की सेवा सहकारी समितियों के माध्यम से कृषकों को खाद-बीज की सहज उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है, जिससे किसानों के चेहरों पर संतोष और प्रसन्नता के भाव स्पष्ट रूप से परिलक्षित हो रहे हैं।
ग्राम बघमरा के किसान श्री विमलचंद पटेल ने सेवा सहकारी समिति मेढ़की से डीएपी, पोटाश एवं यूरिया प्राप्त कर अपनी खेती के लिए आवश्यक तैयारी प्रारंभ कर दी है। श्री पटेल ने जानकारी देते हुए बताया कि लगभग चार एकड़ में वे धान की खेती करते हैं। उन्होंने शासन की खाद-बीज वितरण व्यवस्था की सराहना करते हुए कहा कि समितियों में खाद और बीज की कोई कमी नहीं है और किसान अपनी आवश्यकता अनुसार सामग्री सहज रूप से प्राप्त कर पा रहे हैं। इससे समय पर कृषि कार्य आरंभ हो सका है।
श्री पटेल ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी एवं मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि केंद्र एवं राज्य सरकार की किसान हितैषी योजनाएं, जैसे प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, कृषक उन्नति योजना आदि ने किसानों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाया है। उन्होंने कहा कि सोसायटियों के माध्यम से खाद-बीज के वितरण की बेहतर व्यवस्था हमारे लिए किसी वरदान से कम नहीं है।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के निर्देशानुसार राज्य शासन द्वारा यह सुनिश्चित किया गया है कि प्रदेश के किसानों को खेती-किसानी में किसी प्रकार की कठिनाई का सामना न करना पड़े। इसी क्रम में बालोद जिले में भी जिला प्रशासन द्वारा खाद-बीज की आपूर्ति एवं वितरण की बेतहर व्यवस्था की गई है। सेवा सहकारी समिति मेढ़की सहित अन्य समितियों में समुचित मात्रा में उर्वरक एवं बीज की उपलब्धता बनाए रखी गई है, जिससे कृषकों को समय पर आवश्यक संसाधन प्राप्त हो सकें।
कृषक विमलचंद पटेल सहित अन्य किसानों ने जिले में खाद-बीज वितरण के लिए की गई प्रशासनिक व्यवस्था की सराहना की है। शासन-प्रशासन के इन सुनियोजित प्रयासों से जिले के किसान अब आत्मविश्वास के साथ कृषि कार्य में जुटे हैं।
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मुख्यमंत्री ने जीएसटी विभाग की समीक्षा बैठक में कर अपवंचन पर सख्ती के दिए निर्देश

  • छत्तीसगढ़ में जीएसटी कलेक्शन में ऐतिहासिक बढ़त, 18% वृद्धि दर के साथ देश में अव्वल
रायपुर। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने बुधवार को मंत्रालय स्थित महानदी भवन में वाणिज्यिक कर (जीएसटी) विभाग की समीक्षा बैठक ली। उन्होंने विभाग के कार्यों एवं राजस्व संग्रहण की विस्तार से जानकारी प्राप्त की और कर संग्रहण बढ़ाने के उपायों पर कार्य करने के निर्देश दिए। 
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि कर की राशि का उपयोग देश और प्रदेश के विकास कार्यों में होता है, इसलिए सभी को ईमानदारी पूर्वक कर अदा करना चाहिए। श्री साय ने कहा कि जो लोग कर (जीएसटी) की चोरी करते हैं, उनके विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाए तथा उनसे कर की वसूली सुनिश्चित की जाए। बैठक के दौरान अधिकारियों ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में राज्य को जीएसटी एवं वैट से कुल 23,448 करोड़ रुपये का कर राजस्व प्राप्त हुआ, जो राज्य के कुल कर राजस्व का 38% है। छत्तीसगढ़ ने 18% की जीएसटी वृद्धि दर हासिल की है, जो देश में सर्वाधिक है।
बैठक में वित्त एवं वाणिज्यिक कर (जीएसटी) मंत्री श्री ओ.पी. चौधरी ने विभागीय जानकारी साझा की। मुख्यमंत्री श्री साय ने जीएसटी संग्रहण हेतु विभाग द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की और कहा कि आगे भी नियमों के अनुरूप संग्रहण बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयास किए जाएं। उन्होंने विभागीय अधिकारियों के साथ कर अपवंचन के मामलों एवं उनसे निपटने के उपायों पर भी विस्तार से चर्चा की।
मुख्यमंत्री श्री साय ने फर्जी बिल, दोहरी बहीखाता प्रणाली और गलत टैक्स दरों का उपयोग कर अनुचित लाभ लेने वाले लोगों पर सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए। उन्होंने विभाग की नवाचारी पहलों की प्रशंसा करते हुए कहा कि जीएसटी पंजीकरण की औसत समय सीमा को 13 दिन से घटाकर 2 दिन कर दिया गया है। 
बैठक में अधिकारियों ने जीएसटी विभाग द्वारा हाल ही में की गई बड़ी कार्रवाइयों एवं कर चोरी की राशि की वसूली की जानकारी दी। बैठक में बताया गया कि विभाग द्वारा की गई कार्रवाइयों से शासन के कर राजस्व में निरंतर वृद्धि हो रही है। 
उल्लेखनीय है कि प्रदेश के सभी 33 जिलों में जीएसटी कार्यालय स्थापित किए गए हैं, जिससे कर संग्रहण एवं जीएसटी से जुड़ी सेवाओं का कार्य पारदर्शिता और समयबद्धता के साथ संपादित किया जा रहा है।
बैठक में मुख्य सचिव श्री अमिताभ जैन, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव श्री सुबोध कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के सचिव श्री मुकेश कुमार बंसल, मुख्यमंत्री के सचिव श्री राहुल भगत तथा आयुक्त वाणिज्यिक कर श्री पुष्पेंद्र मीणा सहित वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे।
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राज्य की आर्थिक मजबूती और वित्तीय अनुशासन को लेकर सरकार प्रतिबद्ध : CM विष्णुदेव साय

  • मुख्यमंत्री ने ली वित्त विभाग की उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक
  • वित्तीय प्रबंधन में दक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के दिए निर्देश
रायपुर। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने बुधवार को मंत्रालय महानदी भवन, नवा रायपुर में प्रदेश की आर्थिक स्थिति और वित्तीय प्रबंधन की गहन समीक्षा की। इस अवसर पर वित्त मंत्री श्री ओपी चौधरी सहित विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। बैठक में बजट प्रबंधन, राजस्व संग्रहण, व्यय नियंत्रण, वित्तीय अनुशासन और ई-गवर्नेंस जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर व्यापक चर्चा हुई।
मुख्यमंत्री श्री साय ने अधिकारियों से राज्य की जीएसडीपी, पूंजीगत व्यय और योजनाओं की वित्तीय प्रगति की विस्तृत जानकारी प्राप्त की। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की प्राथमिकता है कि वित्तीय संसाधनों का उपयोग पारदर्शिता और दक्षता के साथ किया जाए, ताकि जनकल्याणकारी योजनाएं निर्बाध रूप से संचालित हो सकें।मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि  राज्य की प्रगति उसकी वित्तीय स्थिरता पर निर्भर करती है। जितनी सशक्त वित्तीय व्यवस्था होगी, उतनी ही तेजी से हम विकास की दिशा में आगे बढ़ पाएंगे। उन्होंने कहा कि सरकार ने आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित किया है, जिससे राज्य की जीएसडीपी में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है।
बैठक में वित्त मंत्री श्री ओपी चौधरी ने विभाग की वर्तमान वित्तीय स्थिति, राजस्व प्राप्तियों, व्यय नियंत्रण और आगामी रणनीतियों की जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि सरकार की प्राथमिकताओं के अनुरूप योजनाओं को समयबद्ध रूप से वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं और विभाग वित्तीय पारदर्शिता व सुशासन की दिशा में निरंतर कार्य कर रहा है।
मुख्यमंत्री ने वित्त विभाग की कार्यप्रणाली की सराहना करते हुए कहा कि बीते डेढ़ वर्षों में विभाग के द्वारा अपनाए गए नवाचारों से राज्य की आर्थिक आधारशिला और अधिक मजबूत हुई है। उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य है कि शासन की प्रत्येक जनकल्याणकारी योजना का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे और राज्य वित्तीय सुशासन के साथ विकास की नई ऊंचाइयों को छुए।
बैठक में मुख्य सचिव श्री अमिताभ जैन, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव श्री सुबोध कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के सचिव श्री मुकेश कुमार बंसल और श्री राहुल भगत सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे।
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मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से पंथी नृत्य दल ने की सौजन्य मुलाकात

रायपुर। मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय से उनके निवास कार्यालय में पंथी नृत्य दल ने सौजन्य मुलाकात की। पंथी नृत्य दल के सदस्यों ने बताया कि वे 13 से 24 फरवरी 2025 तक मिस्र (इजिप्ट) में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक महोत्सव में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके है। मुख्यमंत्री श्री साय ने पंथी नृत्य दल के सभी कलाकारों को अपने कला-प्रदर्शन के माध्यम से विदेश की धरती पर छत्तीसगढ़ की माटी की सुगंध बिखेरने के लिए बधाई और शुभकामनाएं दीं। इस अवसर पर विधायक श्री खुशवंत सिंह साहेब उपस्थित थे।
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राज्यपाल श्री डेका ने पूर्व राज्यपाल श्री शेखर दत्त के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया

रायपुर। छत्तीसगढ़ के राज्यपाल श्री रमेन डेका ने प्रदेश के पूर्व राज्यपाल श्री शेखर दत्त के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। राज्यपाल श्री डेका ने अपने शोक संदेश में कहा कि श्री दत्त एक कुशल प्रशासक ही नहीं, बल्कि एक सच्चे सैनिक और राष्ट्रभक्त थे। उन्होंने सेना से लेकर प्रशासन तक की अपनी प्रत्येक जिम्मेदारी को पूरी निष्ठा और देशप्रेम के साथ निभाया। छत्तीसगढ़ राज्य के विकास में उनका योगदान सदैव अविस्मरणीय रहेगा। राज्यपाल ने दिवंगत आत्मा की शांति की प्रार्थना करते हुए उनके शोकसंतप्त परिजनों के प्रति गहन संवेदना व्यक्त की है।
श्री शेखर दत्त ने अपने करियर की शुरुआत भारतीय सेना से की थी। वे 1966 में सेना में शामिल हुए और 1971 के भारत-पाक युद्ध में उन्होंने साहसपूर्वक हिस्सा लिया। इस युद्ध में बहादुरी और उत्कृष्ट नेतृत्व के लिए उन्हें वीरता के लिए दिया जाने वाला विशिष्ट सेवा पदक सेना मेडल प्रदान किया गया। सेना से स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति लेने के बाद वे भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में चयनित होकर तत्कालीन मध्य प्रदेश राज्य तथा केंद्र सरकार में कई उच्च पदों पर कार्य किया।
उल्लेखनीय है कि श्री शेखर दत्त 23 जनवरी 2010 से 1 जुलाई 2014 तक छत्तीसगढ़ के राज्यपाल  के पद पर आसीन रहे। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने उच्च शिक्षा, कृषि, उद्यानिकी, पशु संवर्धन, समाज कल्याण, आयुर्वेद, स्वास्थ्य, पर्यावरण, बच्चों और युवाओं के हित, अनुसूचित जाति-जनजातियों के कल्याण,उद्योग तथा कला, संस्कृति जैसे क्षेत्रों में सक्रिय भूमिका निभाई।
उन्होंने हमेशा वैज्ञानिक सोच और बौद्धिक विमर्श को प्रोत्साहित किया और प्राकृतिक संसाधनों पर शोध को बढ़ावा देने हेतु पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर परिसर में केंद्र सरकार द्वारा ‘नेशनल सेंटर फॉर नेचुरल रिसोर्सेज’ की स्थापना में अहम योगदान दिया। रायपुर स्थित राजीव स्मृति वन में ‘शहीद वाटिका’ के निर्माण में भी उनकी प्रेरक भूमिका रही, जो देश के वीर जवानों की स्मृति को सदा जीवंत बनाए रखेगा।
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पूर्व राज्यपाल शेखर दत्त के निधन पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने किया शोक व्यक्त

रायपुर। छत्तीसगढ़ के पूर्व राज्यपाल श्री शेखर दत्त के निधन पर मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने गहरा शोक व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि  स्वर्गीय श्री शेखर दत्त जी एक कुशल प्रशासक, दूरदर्शी नेता और देश सेवा के प्रति पूर्णतः समर्पित व्यक्तित्व थे। अपने लम्बे प्रशासनिक अनुभव और अद्भुत कार्यकुशलता से उन्होंने छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि स्वर्गीय श्री दत्त जी का जीवन सादगी, कर्तव्यनिष्ठा और उत्कृष्ट जनसेवा के आदर्श मूल्यों से परिपूर्ण था। उनके निधन से देश ने एक प्रबुद्ध और कर्मठ व्यक्तित्व को खो दिया है, जिसकी भरपाई कठिन है। मुख्यमंत्री ने ईश्वर से दिवंगत आत्मा की शांति और शोक संतप्त परिजनों को यह दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना की है।
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विष्णुदेव सरकार ला रही छत्तीसगढ़ जन विश्वास विधेयक

रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार आम लोगों को राहत देने के लिए बड़ा कदम उठाने जा रही है. इसके लिए विधानसभा के मानसून सत्र के लिए छत्तीसगढ़ जन विश्वास विधेयक तैयार किया जा रहा है. इसमें बहुत सारी बातों को शामिल किया गया है, जिनमें अवैध तरीके से घर, दुकान या कॉम्प्लेक्स बनाने पर तीन माह की सजा के प्रावधान को खत्म कर केवल 50 हजार रुपए जुर्माना लगाने की तैयारी है.
विधानसभा के मानसून सत्र में पेश किए जाने वाले इस विधेयक के प्रारूप को राज्य मंत्रिमंडल की मंजूरी मिल चुकी है. इसके तहत प्रदेश के नगर तथा ग्राम निवेश, आबकारी, छत्तीसगढ़ सोसायटी पंजीकरण अधिनियम और छत्तीसगढ़ औद्योगिक अधिनियम में कुछ बदलाव किए जा रहे हैं. सार्वजनिक स्थानों पर शराब पीने वालों पर 5000 रुपए का जुर्माना लगाने की तैयारी है. जबकि अभी 2000 रुपए जुर्माने का प्रावधान है. औद्योगिक संबंध अधिनियम की धारा 86 से 93 औद्योगिक दल अधिकारिकरण और अन्यों से संबंधित है. इनमें औद्योगिक विवादों की सूचना, सुलह प्रक्रिया, न्यायधिकरण का गठन और उनके अधिकार क्षेत्र, और अन्य संबंधित पहलू शामिल है. इस तरह के मामलों में अधिकतम जुर्माने की 50% राशि जमा करने का प्रावधान किया जा सकता है.
इसी तरह उपधारा के मुताबिक, पिछली बार के इसी तरह के मामले में फैसला आने के बाद दूसरी बार अपराध पर यह लागू नहीं होगा. उपधारा एक में प्राधिकृत अधिकारी राज्य सरकार के निर्देश के मुताबिक, ऐसे अपराध के केस को खत्म करने के लिए अपनी शक्तियों का प्रयोग कर सकेगा. यदि कोई व्यक्ति जिम्मेदार अधिकारी के आदेश का पालन नहीं करता है तो उस पर जुमाने के अतिरिक्त अधिकतम जुर्माने की 20% राशि भुगतान करनी होगी.
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पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना से रीता बनाफर ने पर्यावरण संरक्षण में दिया योगदान

  • बिजली बिल में भी मिली राहत
रायपुर। प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना से रीता के बिजली बिल में कमी आई है।दुर्ग जिले के ग्राम धनोरा में रहने वाली रीता बनाफर हमेशा से पर्यावरण के प्रति जागरूक रही हैं। उन्हें प्रकृति से गहरा लगाव है और वे अपने स्तर पर इसे संरक्षित करने के लिए प्रयासरत रहती हैं। 
रीता का कहना है कि हर व्यक्ति को ऊर्जा के स्वच्छ स्रोतों का उपयोग कर पर्यावरण को बचाने में अपना योगदान देना चाहिए। वह लंबे समय से अपने घर के लिए सौर ऊर्जा समाधान की तलाश में थीं, लेकिन शुरुआती लागत उनके लिए एक चुनौती थी। तभी उन्हें श्प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजनाश् के बारे में जानकारी मिली। यह योजना रीता के लिए एक सुनहरा अवसर बनकर आई, जिससे उन्हें पर्यावरण संरक्षण के अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद मिली। उन्होंने इस योजना के तहत अपने घर की छत पर रूफ टॉप सोलर पैनल लगवाने का आवेदन किया। उनके घर की छत पर अत्याधुनिक सोलर पैनल स्थापित हो गए, जो सूरज की रोशनी को स्वच्छ बिजली में बदलने का कार्य करते है।
सोलर पैनल लगने के बाद रीता को दोहरा लाभ मिला है। एक ओर जहां उनके घर की बिजली की जरूरतें काफी हद तक सौर ऊर्जा से पूरी हो रही हैं, वहीं दूसरी ओर वे पर्यावरण को स्वच्छ रखने में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। उन्होंने बताया कि इस माह उनके यहाँ कुल 2199 यूनिट बिजली की खपत हुई, जिसमें से उनके सोलर पैनल ने लगभग आधी बिजली का उत्पादन किया। इससे उन्हें अब आधी बिजली का ही भुगतान करना होगा, जिससे उनके मासिक बिजली बिल में उल्लेखनीय कमी आई है। रीता कहती हैं, यह बिजली बिल में बचत के साथ मेरे पर्यावरण प्रेम की एक साकार अभिव्यक्ति है। मुझे खुशी है कि मैं अपने घर से ही कार्बन उत्सर्जन कम करने में मदद कर रही हूँ। 1.82 लाख रुपये की लागत से लगे इस सोलर पैनल के लिए उन्हें सरकार से 78 हज़ार रुपये की सब्सिडी भी मिली है, जिससे यह निवेश उनके लिए और भी सुलभ हो गया। रीता बनाफर ने सरकार की इस योजना से अपनी व्यक्तिगत आकांक्षाओं और बड़े सामाजिक लक्ष्य को एक साथ पूरा किया हैं। उन्होंने केंद्र और राज्य शासन का हृदय से आभार व्यक्त किया है। उनकी यह कहानी सभी को स्वच्छ ऊर्जा अपनाने और पर्यावरण की रक्षा के लिए प्रेरित करती है।
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पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना से 24 घंटे निर्बाध बिजली की आपूर्ति

  • घर हुए रोशन, बिजली बिल से मिली निजात - हितग्राही परमानंद
रायपुर। प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना से अब बिजली बिल में कमी आ रही है वहीं दूसरी ओर अब लोगों को 24 घंटे निर्बाध रूप बिजली की आपूर्ति हो रही है। महासमुंद जिले के रमनटोला निवासी श्री परमानंद साहू जो कि एक ठेकेदार एवं सप्लायर है। उन्होंने बताया कि उन्होंने अपने घर की छत पर 3 किलोवाट क्षमता का सौर पैनल सिस्टम आज से तीन माह पूर्व स्थापित कराया है। उन्होंने बताया कि सोलर सिस्टम स्थापित किए जाने के बाद बारहों महीने बिजली की आपूर्ति होगी। आंधी-तूफान या अन्य मौसमी आपदा में भी उन्हें बिजली मिलती रहेगी। उन्होंने बताया कि अब उनका बिजली बिल शून्य ही नहीं बल्कि माइनस हो गया है, और उन्हें क्रेडिट यूनिट का भी लाभ मिल रहा है। 
उल्लेखनीय है कि भारत सरकार द्वारा प्रारंभ की गई “पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना“ आम नागरिकों के लिए ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक प्रभावी कदम साबित हो रही है। इस योजना का उद्देश्य देश के आवासीय परिवारों को अपनी बिजली स्वयं उत्पन्न करने के लिए प्रोत्साहित करना है। इसके अंतर्गत 3-5 किलोवाट तक के सोलर रूफटॉप सिस्टम पर केंद्र सरकार द्वारा 78,000 रुपए तथा राज्य सरकार द्वारा 30,000 रुपए तक की सब्सिडी प्रदान की जा रही है। इस पहल से न केवल आम जनता को आर्थिक राहत मिल रही है, बल्कि अक्षय ऊर्जा को भी बढ़ावा मिल रहा है। महासमुंद जिले के अनेक नागरिक इस योजना का लाभ उठा रहे हैं और अपने अनुभव साझा कर रहे हैं।
श्री साहू ने कहा कि यह योजना वास्तव में आम जनता के लिए लाभकारी पहल है। इससे न केवल बिजली खर्च से राहत मिली है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान देने का अवसर मिल रहा है। हर परिवार को इस योजना का लाभ उठाना चाहिए। इस योजना से नागरिकों को फायदा ही फायदा है। उन्होंने बताया कि उनके मोहल्ले में 10-12 घरों में सौर ऊर्जा से उनके घर रोशन हो रहे हैं। जिले में 142 हितग्राहियों छत पर सोलर सिस्टम स्थापित किया गया है। जिससे उनके घर रोशन हो रहे हैं। उन्होंने इसे सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल बताते हुए इस योजना का स्वागत किया है। उन्होंने बताया कि वे स्वयं लोगों को योजना का लाभ उठाने प्रेरित कर रहे हैं।
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