दुनिया-जगत

जयशंकर ने जिम्बाब्वे को स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं दीं

नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को अपने जिम्बाब्वे के समकक्ष अमोन मुरवीरा , सरकार और जिम्बाब्वे के लोगों को उनके 45वें स्वतंत्रता दिवस पर शुभकामनाएं दीं और दोनों देशों के बीच "दीर्घकालिक" साझेदारी को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता दोहराई।
एक्स पर एक पोस्ट में, जयशंकर ने कहा," जिम्बाब्वे के 45वें स्वतंत्रता दिवस पर एफएम डॉ. अमोन मुरवीरा, सरकार और लोगों को शुभकामनाएं। हमारी दीर्घकालिक साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।" भारत और जिम्बाब्वे का घनिष्ठ और सौहार्दपूर्ण संबंधों का एक लंबा इतिहास है। विदेश मंत्रालय (MEA) के अनुसार, मुन्हुमुतापा साम्राज्य के युग के दौरान, भारतीय व्यापारियों ने जिम्बाब्वे के साथ मजबूत संबंध स्थापित किए , कपड़ा, खनिज और धातुओं का व्यापार किया। पिछले साल अगस्त में जिम्बाब्वे के उपराष्ट्रपति कॉन्स्टेंटिनो गुवेया डोमिनिक न्याकाडज़िनो चिवेंगा 19वें सीआईआई भारत -अफ्रीका बिजनेस कॉन्क्लेव में भाग लेने के लिए नई दिल्ली आए थे। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित कॉन्क्लेव में चिवेंगा की भागीदारी भारत और जिम्बाब्वे के बीच मजबूत संबंधों को उजागर करती है ।
" जिम्बाब्वे के वीपी सीजीडीएन चिवेंगा 19वें सीआईआई भारत -अफ्रीका बिजनेस कॉन्क्लेव के लिए नई दिल्ली पहुंचे, जहां उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया। कॉन्क्लेव में उनकी भागीदारी भारत और जिम्बाब्वे के बीच मजबूत संबंधों को उजागर करती है और अफ्रीका के साथ मजबूत और सहयोगी संबंध के लिए हमारी प्रतिबद्धता को मजबूत करती है," जायसवाल ने पहले एक्स पर पोस्ट किया था।
6 अगस्त को, भारत और जिम्बाब्वे ने हरारे में अपना तीसरा विदेश कार्यालय परामर्श आयोजित किया और द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा की। विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार , दोनों पक्षों ने विकास साझेदारी, व्यापार और आर्थिक संबंधों, डिजिटल प्रौद्योगिकी, कृषि, स्वास्थ्य, रक्षा, कांसुलरी और सांस्कृतिक मुद्दों में सहयोग को मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की । एक पक्ष का नेतृत्व जिम्बाब्वे के विदेश मामलों और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मंत्रालय के मुख्य निदेशक (राजनीतिक) माइक चिगीजी ने किया।
विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार, दोनों पक्षों ने संयुक्त राष्ट्र में सहयोग सहित आपसी हित के क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया। चर्चाओं ने दोनों पक्षों को द्विपक्षीय संबंधों की वर्तमान स्थिति का जायजा लेने और दोनों देशों के बीच संबंधों को और गहरा करने के अवसरों का पता लगाने का अवसर प्रदान किया। (एएनआई)
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सूडान : एक शिविर पर हुआ हमला तो विस्थापितों ने दूसरे में ली शरण, वहां भी हुई बमबारी

संयुक्त राष्ट्र। जमजम विस्थापन शिविर पर बमबारी से बचकर भागे अनुमानित 400,000 लोगों में से अधिकांश ने अन्य सूडानी शरणार्थी शिविर में शरण ली, लेकिन वहां भी बमबारी की गई। संयुक्त राष्ट्र मानवीय एजेंसी ने यह जानकारी दी।
संयुक्त राष्ट्र के मानवीय मामलों के समन्वय कार्यालय (ओसीएचए) ने कहा, "जमजम तक पहुंच पूरी तरह से अवरुद्ध है।" ओसीएचए ने कहा, "स्थानीय प्राधिकारियों और साझेदारों की रिपोर्ट से पता चलता है कि सशस्त्र समूह अल फशर और आस-पास के क्षेत्रों, जिसमें अबू शौक शिविर भी शामिल है, पर गोलाबारी जारी रखे हुए हैं, जिससे वहां रहने वाले सभी नागरिक स्पष्ट रूप से भारी खतरे में हैं।"
जमजम शिविर पर बमबारी से बचकर भाग रहे 4,00,000 लोगों में से अधिकांश लोग उत्तरी दारफुर राज्य की राजधानी एल फशेर और तावीला शहरों की ओर चले गए, जहां लोग पहले से ही भारी तनाव में हैं। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार कार्यालय ने कहा कि असुरक्षा के बावजूद सहायता संगठन तत्काल जरूरतों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र और उसके मानवीय सहयोगियों ने तवीला में 1,700 मीट्रिक टन आपातकालीन भोजन वितरित किया। इस बीच, एक स्थानीय भागीदार ने एल फशर में 10,000 नए विस्थापित लोगों को स्वच्छ पानी उपलब्ध कराने के लिए वाटर ट्रकिंग पहल शुरू की। अंतर्राष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन, तावीला में तत्काल जरुरतों और प्रतिक्रिया प्राथमिकताओं का निर्धारण करने के लिए मानवीय मूल्यांकन कर रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कहा कि विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) ने बताया कि उसकी एक टीम गुरुवार को ग्रेटर खार्तूम पहुंची, जहां वह देश की राजधानी में सहायता बढ़ाने के लिए स्थानीय अधिकारियों के साथ समन्वय कर रही है।
दुजारिक ने कहा, "डब्ल्यूएफपी का लक्ष्य आने वाले महीने में लगभग 1 मिलियन लोगों तक सहायता पहुंचाना है।" उन्होंने बताया, "डब्ल्यूएफपी ने यह भी कहा कि 280 मीट्रिक टन से अधिक खाद्य और पोषण आपूर्ति ले जाने वाले 14 ट्रकों का एक काफिला खार्तूम के दक्षिण में स्थित जबल अवलिया में पहुंचा है, यह आगमन गुरुवार सुबह हुआ। यह क्षेत्र उन क्षेत्रों में से एक है जहां अकाल का खतरा सबसे अधिक है, इसलिए आपूर्ति की बहुत आवश्यकता है।" जमजम शिविर और सूडान के कई अन्य स्थानों में पहले ही अकाल की स्थिति घोषित कर दी गई है।
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रक्षा सचिव ने लंदन में की ड्रोन, निगरानी, ​​डिफेंस स्पेस और विमानन पर चर्चा

नई दिल्ली। भारत और यूनाइटेड किंगडम ने उभरते क्षेत्रीय और वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य की समीक्षा की है। यह समीक्षा रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह के दो दिवसीय लंदन दौरे के दौरान की गई। रक्षा सचिव ने यहां दोनों देशों की आर्मी, नौसेना और वायुसेना के बीच सैन्य संपर्क बढ़ाने पर भी विचार किया। ड्रोन, निगरानी, ​​डिफेंस स्पेस और विमानन को लेकर भी यूनाइटेड किंगडम के साथ चर्चा की गई है।
रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह 16 और 17 अप्रैल को लंदन की आधिकारिक यात्रा पर थे। इस यात्रा में उन्होंने यूनाइटेड किंगडम के साथ वार्षिक द्विपक्षीय रक्षा वार्ता के लिए एक उच्च स्तरीय भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया। यात्रा के दौरान, उन्होंने रक्षा के लिए स्थायी अवर सचिव डेविड विलियम्स के साथ 24वीं भारत-यूके रक्षा सलाहकार समूह की बैठक की सह-अध्यक्षता की। दोनों पक्षों ने उभरते क्षेत्रीय और वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य की समीक्षा के साथ-साथ रक्षा संबंधों को गहरा करने के लिए अपनी साझा प्रतिबद्धता जताई है।
शुक्रवार को इस संबंध में जानकारी देते हुए रक्षा मंत्रालय ने कहा कि चर्चा 2021 में घोषित व्यापक रणनीतिक साझेदारी और 2030 के रोडमैप के संदर्भ में हुई, जो दोनों देशों के बीच सहयोग को आगे बढ़ाता है। रक्षा सचिव ने यूके के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जोनाथन पॉवेल के साथ भी बातचीत की, जिसमें तीनों सेनाओं के बीच सैन्य संपर्क का विस्तार करने को लेकर चर्चा हुई। यहां इस बातचीत में दोनों देशों के रक्षा उद्योगों के बीच सहयोग को मजबूत करने पर फोकस किया गया। रक्षा सचिव ने लंदन में यूके इंडिया बिजनेस काउंसिल द्वारा आयोजित भारत-यूके रक्षा उद्योग गोलमेज सम्मेलन में प्रतिभागियों को संबोधित किया।
रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने यहां नौसेना प्रणाली, ड्रोन, निगरानी, ​​डिफेंस स्पेस और विमानन जैसे प्रमुख रक्षा क्षेत्रों में भारतीय स्टार्ट-अप की बढ़ती क्षमताओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने यूके की कंपनियों को इन भारतीय नवोन्मेषकों के साथ साझेदारी की संभावना तलाशने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने लागत प्रभावी और अत्याधुनिक समाधान देने की उनकी क्षमता पर ध्यान दिलाया। रक्षा सचिव ने यह भी कहा कि भारत भविष्य में उद्योग संपर्क बढ़ाने और औद्योगिक सहयोग रोडमैप विकसित करने के लिए यूके के रक्षा मंत्रालय के साथ मिलकर काम कर रहा है।
गौरतलब है कि इससे पहले भारत और इटली के बीच रक्षा सहयोग और रक्षा संबंधों पर महत्वपूर्ण चर्चा हुई थी। यह चर्चा इटली की राजधानी रोम में हुई थी। भारत के रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने 14 और 15 अप्रैल को इटली की राजधानी रोम का आधिकारिक दौरा किया था। इस दौरान दोनों देशों ने समुद्री सहयोग, लाल सागर (रेड सी) और पश्चिमी हिंद महासागर क्षेत्र की स्थिति पर विचार-विमर्श किया। रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने अपनी यात्रा में इटली के रक्षा मंत्री गुइडो क्रोसेट्टो से भेंट की थी। इस बैठक में दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी के एक महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में रक्षा सहयोग को और मजबूत करने के लिए सार्थक चर्चा हुई।
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India ने इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस के साथ मुख्यालय समझौते पर हस्ताक्षर किए

नई दिल्ली। विदेश मंत्रालय (एमईए) की ओर से जारी एक आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि भारत ने आज औपचारिक रूप से इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस (आईबीसीए) के साथ मुख्यालय समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिससे गठबंधन के स्थायी आधार के लिए मेजबान देश के रूप में इसकी भूमिका मजबूत हुई।
हस्ताक्षर समारोह नई दिल्ली में हुआ, जहां विदेश मंत्रालय के सचिव (पूर्व) पी कुमारन और आईबीसीए के महानिदेशक एस पी यादव ने अपने-अपने पक्षों की ओर से समझौते पर हस्ताक्षर किए। विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करके इस बारे में विस्तृत जानकारी साझा की। "सचिव (पूर्व) पी कुमारन और अंतर्राष्ट्रीय बिग कैट एलायंस के महानिदेशक एस.पी. यादव ने नई दिल्ली में भारत सरकार और आईबीसीए के बीच मुख्यालय समझौते पर हस्ताक्षर किए।
भारत सरकार 2023-24 से 2028-29 तक पांच वर्षों के लिए एक कोष बनाने, बुनियादी ढांचे के निर्माण और आवर्ती व्यय को पूरा करने के लिए आईबीसीए को 150 करोड़ रुपये का बजटीय समर्थन प्रदान करती है।
आईबीसीए का मुख्य उद्देश्य सात बड़ी बिल्लियों अर्थात् बाघ, शेर, तेंदुआ, हिम तेंदुआ, चीता, जगुआर और प्यूमा का संरक्षण करना है। इस पहल का उद्देश्य बड़ी बिल्लियों के लिए एक स्थायी भविष्य के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना है, साथ ही वैश्विक वन्यजीव संरक्षण के लिए भारत के नेतृत्व और प्रतिबद्धता को रेखांकित करना है।" यह समझौता भारत को IBCA मुख्यालय और सचिवालय के लिए मेजबान देश के रूप में नामित करता है, जो यह सुनिश्चित करने के लिए एक कानूनी ढांचा तैयार करता है कि गठबंधन प्रभावी रूप से कार्य कर सके और अपने दीर्घकालिक संरक्षण लक्ष्यों को पूरा कर सके।
इसमें IBCA सचिवालय के सदस्यों और कर्मियों के लिए बल में प्रवेश, वीजा, विशेषाधिकार और उन्मुक्ति और परिसर और सामान्य संचालन से संबंधित जिम्मेदारियों से संबंधित विस्तृत प्रावधान शामिल हैं। विदेश मंत्रालय ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि पाठ समय के साथ विशिष्ट प्रशासनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए पूरक समझौतों की भी अनुमति देता है। अपनी प्रतिबद्धता के हिस्से के रूप में, भारत सरकार IBCA को 150 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान करेगी। इस फंडिंग का उपयोग एक आधारभूत कोष बनाने, आवश्यक बुनियादी ढांचे को विकसित करने और 2023-24 से 2028-29 तक पांच साल की अवधि में आवर्ती व्यय को कवर करने के लिए किया जाएगा। यह समर्थन वैश्विक पहल के लिए भारत के सक्रिय समर्थन और संरक्षण में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग पर इसके जोर को रेखांकित करता है।
आईबीसीए को आधिकारिक तौर पर भारत के माननीय प्रधान मंत्री द्वारा 9 अप्रैल, 2023 को मैसूर में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान लॉन्च किया गया था, जिसमें प्रोजेक्ट टाइगर के 50 साल पूरे होने का जश्न मनाया गया था। यह गठबंधन सात प्रमुख बड़ी बिल्ली प्रजातियों - बाघ, शेर, तेंदुआ, हिम तेंदुआ, चीता, जगुआर और प्यूमा के संरक्षण पर केंद्रित है। प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि इसके घोषित लक्ष्यों में हितधारकों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना, सफल संरक्षण मॉडल और विशेषज्ञता को साझा करना और जंगली में इन प्रजातियों की सुरक्षा के लिए संयुक्त प्रयासों को सुविधाजनक बनाना शामिल है। (एएनआई)
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15 साल बाद बांग्लादेश-पाकिस्तान की विदेश सचिव स्तरीय वार्ता

  • व्यापार समेत अहम मुद्दों पर बात
इस्लामाबाद। पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच 15 साल के लंबे अंतराल के बाद विदेश सचिव स्तर की वार्ता हुई। गुरुवार को हुई इस बातचीत में विदेश मंत्रालय के सचिवों के बीच दोनों देशों के व्यापार संबंधों और द्विपक्षीय रिश्ते के अलग-अलग पहलुओं पर विस्तार से बातचीत हुई। यह मुलाकात और वार्ता इसलिए भी अहम है क्योंकि दोनों देशों के अधिकारियों की बातचीत पाकिस्तान के उपप्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार आने वाले दिनों में ढाका जाने वाले हैं।
शीर्ष अधिकारियों की बातचीत के संबंध में देश की सरकारी एजेंसी ने बयान जारी किया। बांग्लादेश संगबाद संस्था (बीएसएस) ने कहा, बांग्लादेश के विदेश सचिव जशीम उद्दीन और पाकिस्तान की विदेश सचिव आमना बलूच ने ढाका में आयोजित विदेश कार्यालय परामर्श (FOC) के दौरान विस्तार से बात की। बलूच बुधवार को ढाका पहुंची हैं। खबरों के मुताबिक बलूच बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस और विदेश मामलों के सलाहकार तौहीद हुसैन से शिष्टाचार भेंट भी करेंगी।
 
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ब्राजील : टमाटर फार्म पहुंचे शिवराज सिंह चौहान

साओ पाउलो। केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान इन दिनों ब्रिक्स कृषि मंत्रियों की 15वीं बैठक में भाग के लिए ब्राजील गए हुए हैं। इस बैठक से पहले कृषि मंत्री ब्राजील के टमाटर फॉर्म पहुंचे और कृषि सिंचाई तकनीक का जायजा लिया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर किए अपने एक वीडियो पोस्ट में इसकी जानकारी दी।
उन्होंने अपने एक्स पोस्ट में लिखा, "ब्राजील प्रवास के दौरान मुझे यहां के एक प्रमुख सोया तेल क्रशिंग और पैकेजिंग संयंत्र का अवलोकन करने तथा आधुनिक तकनीकी को समझने का अवसर मिला। ब्राजील ने सोयाबीन उत्पादन में उल्लेखनीय उपलब्धियां अर्जित की हैं। यहां उच्च स्तर की मशीनीकरण प्रक्रिया और उन्नत अनुसंधान को देखकर अत्यंत प्रसन्नता हुई। इस दौरान ब्राजील के प्रतिनिधिमंडल को भारत में सितंबर 2025 में होने वाले वर्ल्ड फूड इंडिया 2025 कार्यक्रम में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया।
इस वीडियो में उन्होंने कहा, "मैं यहां के कृषि मंत्री के साथ इस फॉर्म में आया हूं। यहां टमाटर की खेती हो रही है। मैंने यहां के सिंचाई के सिस्टम को देखा है। इसमें एक मशीन है, जिसमें यूरिया का टैंक है। वह यूरिया पानी में घोला जा रहा है। पानी में यूरिया घोलकर टैंक के जरिए पाइपलाइन तक पहुंच रही है। इन पाइपों में स्प्रिंकल लगे हुए हैं। इन स्प्रिंकलों से इन टमाटरों में पानी दिया जा रहा है, जिसमें पहले से ही न्यूट्रियंट्स मिले हुए हैं। इसमें जितनी जरूरत है, उतना ही पानी दिया जाता है। यह पूरा सिस्टम ही मैकेनाइज्ड है। पास में ही पानी का टैंक बनाया गया है। उस पानी के टैंक में बारिश के दिनों में जल इकट्ठा होता है। उसी पानी से खेतों की सिंचाई की जाती है। उसी पानी को इससे फुहारेनुमा छिड़का जाता है। ताकि ढंग से सिंचाई हो सके। यह पूरा कंट्रोल्ड सिस्टम है। पौधे को जितने न्यूट्रिएंट्स और पानी चाहिए, उतना ही दिया जाता है।"
बता दें कि केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान 17 अप्रैल को ब्राजील में आयोजित ब्रिक्स कृषि मंत्रियों की 15वीं बैठक में भाग लेंगे। इस दौरान वे ब्राजील के कृषि और पशुधन मंत्री कार्लोस हेनरिक बाक्वेटा फावारो और कृषि विकास एवं पारिवारिक कृषि मंत्री लुइज पाउलो टेक्सेरा के साथ द्विपक्षीय बैठक भी करेंगे।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अनुसार, इस बैठक में ब्रिक्स समूह के सदस्य देशों ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका, सऊदी अरब, मिस्र, संयुक्त अरब अमीरात, इथियोपिया, इंडोनेशिया और ईरान के कृषि मंत्री और वरिष्ठ अधिकारी हिस्सा लेंगे। यह सम्मेलन कृषि, कृषि प्रौद्योगिकी, ग्रामीण विकास और खाद्य सुरक्षा जैसे विषयों पर भारत और ब्राजील के बीच सहयोग को मजबूत करने के उद्देश्य से आयोजित किया जा रहा है।
15वीं ब्रिक्स कृषि मंत्रिस्तरीय बैठक का मुख्य विषय है: "ब्रिक्स देशों के बीच सहयोग, नवाचार और न्यायसंगत व्यापार के माध्यम से समावेशी और टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देना।" इसके अतिरिक्त, शिवराज सिंह चौहान साओ पाउलो में ब्राजील की प्रमुख कृषि व्यवसाय कंपनियों के प्रमुखों और ब्राजीलियाई वनस्पति तेल उद्योग संघ के प्रतिनिधियों से भी मुलाकात कर रहे हैं। इस दौरान वे कृषि मूल्य श्रृंखला में साझेदारी और निवेश की संभावनाओं पर चर्चा करेंगे, जिससे दोनों देशों के बीच व्यावसायिक सहयोग को और अधिक गति मिल सके।
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इस्राइल के रक्षा मंत्री बोले- गाजा के सिक्योरिटी जोन से नहीं हटेंगे इस्राइली सैनिक

  • "पहले वाली गलती नहीं दोहराएंगे"
गाजा। इस्राइल के रक्षा मंत्री इस्राइल काट्ज का कहना है कि गाजा के सिक्योरिटी जोन में इस्राइली सैनिक अनिश्चितकाल तक तैनात रहेंगे। यह कथित सिक्योरिटी जोन या बफर जोन इस्राइल और गाजा की सीमा पर बनाया गया है, जिसमें गाजा की काफी जमीन नो मेंस लैंड में तब्दील हो गई है। इस्राइली रक्षा मंत्री ने ये भी कहा है कि गाजा के साथ ही लेबनान और सीरिया में भी उनके सैनिक अनिश्चिकाल तक तैनात रहेंगे।
गौरतलब है कि जिस कथित सिक्योरिटी या बफर जोन में इस्राइली सैनिक तैनात हैं, वह गाजा के कुल क्षेत्रफल का लगभग 10 प्रतिशत है। इस बफर जोन के जरिए इस्राइल ने पूरे गाजा को चारों तरफ से घेर लिया है और बफर जोन से लोगों को विस्थापित होना पड़ा है। इस्राइली रक्षा मंत्री ने कहा है कि अगर हमास ने बंधकों को नहीं छोड़ा तो इस्राइली सेना गाजा में अपने ऑपरेशन और सघन करती चली जाएगी। उन्होंने कहा कि इससे गाजा और छोटा और अलग-थलग पड़ जाएगा। 
काट्ज ने कहा कि पहले की तरह इस्राइली सेना जब्त इलाकों को इस बार खाली नहीं करेगी और दुश्मनों और इस्राइल के बीच के बफर जोन में तैनात रहेगी। इस्राइली सेना ने लेबनान के कुछ इलाकों से भी अपने सैनिक हटाने से इनकार कर दिया है। इसी तरह सीरिया में भी इस्राइल ने बफर जोन बना लिया है। इस्राइल की सरकार का कहना है कि 7 अक्तूबर 2023 जैसे हमले रोकने के लिए इस्राइली सेना का इन बफर जोन इलाकों में तैनात रहना जरूरी है।
मालदीव में इस्राइली नागरिकों की एंट्री पर लगी रोक
मालदीव की सरकार ने इस्राइल पासपोर्ट धारकों के मालदीव में एंट्री करने पर रोक लगा दी है। मालदीव की सरकार ने गाजा युद्ध के विरोध में यह कदम उठाया है। इस्राइली नागरिकों की एंट्री रोकने के लिए मालदीव की सरकार ने अपने अप्रवासन कानून में बदलाव किए हैं। इन बदलावों को मंगलवार को मालदीव की संसद से भी मंजूरी मिल गई। हालांकि अभी यह साफ नहीं है कि क्या इस्राइल के साथ दूसरे देश की नागरिकता रखने वाले नागरिकों की भी एंट्री प्रतिबंधित कर दी गई है या नहीं। मालदीव की कैबिनेट ने एक साल पहले ही यह फैसला कर लिया था, जिस पर संसद की मुहर अब लगी है।
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'ये लोग सामाजिक सुरक्षा फंड को लूटना चाहते हैं' : बाइडन

  • राष्ट्रपति पद से हटने के बाद ट्रंप प्रशासन पर बरसे अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति
वॉशिंगटन। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन ने डोनाल्ड ट्रंप का नाम लिए बगैर ट्रंप प्रशासन पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने ट्रंप प्रशासन पर सामाजिक सुरक्षा प्रशासन को कमजोर करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सामाजिक सुरक्षा प्रशासन को कमजोर इसलिए किया जा रहा है ताकि इसके पैसे को लूटा जा सके। राष्ट्रपति पद से हटने के बाद पहली बार बाइडन ने सार्वजनिक रूप से ट्रंप प्रशासन और उसकी नीतियों पर तीखा हमला बोला।
बाइडन ने ट्रंप प्रशासन को घेरा
बाइडन ने शिकागो में वकीलों के एक राष्ट्रीय सम्मेलन में अपने संबोधन के दौरान कहा कि अब नए प्रशासन को सत्ता में 100 दिन ही हुए हैं, लेकिन इन 100 दिनों में ही इस सरकार ने कितना नुकसान कर दिया है। उन्होंने संघीय सरकार से बड़े पैमाने पर कर्मचारियों की छंटनी पर नाराजगी जाहिर की और कहा कि सरकार अभी हजारों और कर्मचारियों को निकालने की कोशिश कर रही है। बाइडन ने ट्रंप प्रशासन के कामकाज की आलोचना करते हुए कहा कि ये लोग पहले गोली चला रहे हैं और उसके बाद निशाना लगा रहे हैं और इसके चलते लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
बाइडन ने ट्रंप प्रशासन पर लगाया देश बांटने का आरोप
बाइडन ने सरकार पर देश को बांटने का आरोप लगाया और कहा कि अमेरिका पहले कभी इतना बंटा हुआ नहीं था। उन्होंने कहा कि ये करीब 30 प्रतिशत लोग हैं, लेकिन इनके सीने में दिल नहीं है। बाइडन ने कहा कि सरकार सामाजिक सुरक्षा के फंड में कटौती कर रही है। सामाजिक सुरक्षा प्रशासन में बड़े पैमाने पर कर्मचारियों की छंटनी की गई है, जिससे प्रशासन का कामकाज प्रभावित हुआ है। अब लोग सामाजिक सुरक्षा की वेबसाइट पर लॉगइन करते हैं तो वेबसाइट क्रैश हो जा रही है। इससे लोगों को सामाजिक सुरक्षा का लाभ नहीं मिल रहा। बाइडन ने कहा कि 'लोगों को अपने आप से पूछना चाहिए कि ऐसा क्यों हो रहा है? ये लोग सामाजिक सुरक्षा को निशाना क्यों बना रहे हैं? वे इसे कमजोर करके इसे लूटना चाहते हैं ताकि अमीरों को टैक्स कटौती का लाभ दिया जा सके।'
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अमेरिका ने चीन के 125% टैरिफ के जवाब में 245% टैरिफ लगाने का किया एलान

नई दिल्ली। व्हाइट हाउस की ओर से जारी एक दस्तावेज में कहा गया है कि चीन को अब अमेरिका पर अपनी जवाबी कार्रवाइयों के कारण 245 प्रतिशत तक टैरिफ का सामना करना पड़ेगा। यह जानकारी तब सामने आई जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने आयातित खनिजों और उससे बने उत्पादों पर अमेरिकी निर्भरता के कारण पैदा हुई जोखिमों की जांच के लिए एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए।
दस्तावेज में ट्रम्प के उस दावे का हवाला दिया गया है कि "विदेशी महत्वपूर्ण खनिजों पर अत्यधिक निर्भरता" और उनके खराब उत्पाद अमेरिकी रक्षा क्षमताओं, बुनियादी ढांचे के विकास और तकनीकी नवाचार को खतरे में डाल सकते हैं। आदेश में कहा गया है कि ट्रम्प ने सभी देशों पर 10 प्रतिशत टैरिफ लगाया है और उन देशों पर पारस्परिक रूप से उच्च टैरिफ लगाए हैं जिनके साथ अमेरिका का व्यापार घाटा सबसे अधिक है।
व्हाइट हाउस ने कहा कि 75 से अधिक देश पहले ही नए व्यापार समझौतों पर चर्चा करने के लिए संपर्क कर चुके हैं। इसे देखते हुए चीन को छोड़कर अन्य देशों पर लगने वाला जवाबी टैरिफ फिलहाल टाल दिया गया है। अमेरिका के अनुसार चीन ने जवाबी कार्रवाई की है इसलिए चीन के उत्पादों पर अमेरिका में आयात पर 245 प्रतिशत तक टैरिफ लगाया जाएगा।
चीन पर सख्ती का अमेरिका ने बताया यह कारण
ट्रंप प्रशासन के दस्तावेज में यह भी उल्लेख किया गया है कि चीन ने कुछ महीने पहले अमेरिका को गैलियम, जर्मेनियम, एंटीमनी और अन्य प्रमुख उच्च-तकनीकी सामग्रियों के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिनके सैन्य उपयोग की संभावना थी। इसी सप्ताह चीन छह भारी दुर्लभ रेयर अर्थ मेटल के साथ-साथ रेयर अर्थ चुंबकों के निर्यात को भी निलंबित कर दिया था। व्हाइट हाउस ने दावा किया कि इस तरह की कार्रवाई दुनिया भर में ऑटोमेकर्स, एयरोस्पेस निर्माताओं, सेमीकंडक्टर कंपनियों और सैन्य ठेकेदारों के लिए महत्वपूर्ण घटकों की आपूर्ति रोकने के लिए की गई।
अमेरिका-चीन के बीच जारी टैरिफ वॉर में अब तक क्या-क्या हुआ?
अमेरिका की ओर से 02 अप्रैल 2025 को अपने व्यापारिक साझेदारों पर जवाबी टैरिफ लगाने के एलान के बाद चीन के साथ उसका व्यापार युद्ध एक नए मुकाम पर पहुंच गया। दोनों देश एक-दूसरे पर हर दिन एक नए भारी भरकम टैरिफ का एलान कर रहे हैं। इससे पहले, ट्रंप प्रशासन ने शुक्रवार को कुछ इलेक्ट्रॉनिक सामानों को टैरिफ से छूट दी थी। उस दौरान, चीन ने अमेरिका से सभी इलेक्ट्रॉनिक सामानों पर जवाबी टैरिफ को पूरी तरह से खत्म करने की अपील की थी। चीन ने अमेरिका से आयात पर 125 प्रतिशत टैरिफ का एलान कर रखा है। अब अमेरिका ने चीन के उत्पादों पर पहले घोषित 145% की जगह 245% टैरिफ लगाने का एलान किया है। 
पूर्व में, चीन के वाणिज्य मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि हमारी अमेरिका से अपील है कि वह अपनी गलतियों को सुधारने के लिए बड़ा कदम उठाए। जवाबी टैरिफ को जैसी गलत नीति को रद्द करे और आपसी सम्मान के सही रास्ते पर लौट आए। अमेरिका का इलेक्ट्रॉनिक सामान पर टैरिफ खत्म करना एक छोटा कदम है। हम इसके प्रभाव की जांच कर रहे हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कुछ खास इलेक्ट्रॉनिक सामानों को जवाबी टैरिफ से छूट देने का एलान किया था। इसमें स्मार्टफोन, लैपटॉप और कुछ अन्य तकनीकी उपकरण भी शामिल किए गए हैं। ट्रंप प्रशासन का मानना है कि इन उत्पादों की ज्यादा मांग अमेरिका में होती है, लेकिन इनका उत्पादन अधिकतर चीन, कोरिया और वियतनाम जैसे देशों में होता है। 
चीन ने विश्व व्यापार संगठन में भी अमेरिका के खिलाफ मामला दर्ज किया है। चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन यह बातचीत बराबरी और आपसी सम्मान पर आधारित होनी चाहिए। मंत्रालय ने यह भी कहा, अगर अमेरिका और टैरिफ बढ़ाता है, तो चीन अब उसे नजरअंदाज करेगा।
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अमेरिका के साथ टैरिफ युद्ध में उलझे बीजिंग ने जारी किए 85,000 वीजा

नई दिल्ली। भारत स्थित चीनी दूतावास ने 1 जनवरी से 9 अप्रैल, 2025 के बीच भारतीय नागरिकों को 85,000 वीजा जारी किए। दोनों देशों के लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने के एक बड़े प्रयास के तहत यह कदम उठाया गया।
चीनी राजदूत जू फेइहोंग ने एक्स पर लिखा, "9 अप्रैल, 2025 तक, भारत में चीनी दूतावास और वाणिज्य दूतावासों ने इस वर्ष चीन की यात्रा करने वाले भारतीय नागरिकों को 85,000 से अधिक वीजा जारी किए हैं। चीन आने के लिए अधिक से अधिक भारतीय मित्रों का स्वागत है, ताकि वे एक खुले, सुरक्षित, जीवंत, ईमानदार और मैत्रीपूर्ण चीन का अनुभव कर सकें।"
वीजा की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि देखी जा रही है, 2025 के पहले चार महीनों में ही 85,000 वीजा जारी किए गए हैं। जबकि 2023 तक 1,80,000 वीजा जारी किए गए थे। पिछले वर्ष, चीनी दूतावास ने अपने वीजा आवेदन शर्तों को अपडेट किया था और कई प्रमुख छूटें प्रदान की थीं। भारतीय आवेदकों को अब अपने वीजा आवेदन जमा करने से पहले ऑनलाइन अपॉइंटमेंट बुक करने की जरूरत नहीं है। इसके बजाय वे सीधे कार्य दिवसों के दौरान वीजा केंद्रों पर आवेदन जमा कर सकते हैं। वहीं 180 दिनों से कम अवधि के लिए अल्पकालिक, एकल या दोहरे प्रवेश वाले वीजा के लिए आवेदन करने वाले लोगों को फिंगरप्रिंट जैसे बायोमेट्रिक डाटा प्रदान करने से छूट दी गई।
इन परिवर्तनों के साथ-साथ, चीनी दूतावास ने वीजा आवेदन शुल्क भी कम कर दिया है। आवेदकों के लिए नए, कम शुल्क लागू किए हैं। चीन ने यह जानकारी ऐसे समय में जारी कि है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने लगभग हर देश पर संभावित व्यापार शुल्क लगाने की चेतावनी दी है। उनके निशाने पर विशेष तौर पर चीन है, जो वाशिंगटन का प्रमुख व्यापारिक साझेदार और आर्थिक प्रतिद्वंद्वी है।
ट्रंप ने चीनी आयात पर अमेरिकी टैरिफ को बढ़ाकर 145 प्रतिशत कर दिया है, जबकि अन्य देशों के सामानों पर नए टैरिफ को रोक दिया है। जवाबी कार्रवाई में, चीन ने अमेरिकी उत्पादों पर 125 प्रतिशत टैरिफ लगाया है।
चीन ने भारत और अन्य देशों से भी अपील की कि वे 'अमेरिकी टैरिफ दुरुपयोग' के खिलाफ खड़े हों। भारत में चीनी दूतावास के प्रवक्ता यू जिंग ने पिछले सप्ताह कहा था कि भारत और चीन, दो सबसे बड़े विकासशील देशों के रूप में, अमेरिकी टैरिफ कार्रवाइयों के खिलाफ एकजुट होना चाहिए।
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दक्षिण कोरिया और अमेरिका ने बी-1बी बमवर्षक विमानों के साथ संयुक्त हवाई अभ्यास किया

सियोल। मंगलवार को दक्षिण कोरिया और अमेरिका ने मिलकर हवाई युद्धाभ्यास किया, जिसमें अमेरिका का एक बी-1बी बमवर्षक विमान भी शामिल था। यह अभ्यास उत्तर कोरिया की बढ़ती परमाणु और मिसाइल गतिविधियों के विरोध में शक्ति प्रदर्शन के रूप में किया गया।
इस अभ्यास में दक्षिण कोरिया के एफ-35ए और एफ-16 लड़ाकू विमान और अमेरिका के एफ-16 लड़ाकू विमान भी शामिल हुए। मंत्रालय के अनुसार, इस अभ्यास का उद्देश्य यह दिखाना था कि दक्षिण कोरिया और अमेरिका मिलकर उत्तर कोरिया की खतरनाक गतिविधियों का जवाब देने में सक्षम हैं यह अभ्यास उत्तर कोरिया के संस्थापक किम ईल-सुंग की 113वीं जयंती के दिन हुआ, जिसे वहां "डे ऑफ सन" कहा जाता है और यह एक बड़ा राष्ट्रीय पर्व है। दक्षिण कोरिया के मंत्रालय ने कहा, "उत्तर कोरिया की धमकियों को रोकने और उनका जवाब देने के लिए हम अमेरिका के साथ मिलकर ऐसे संयुक्त अभ्यास बढ़ाते रहेंगे और अपनी आपसी साझेदारी को और मजबूत करेंगे।"
योनहाप न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि, मंत्रालय ने यह नहीं बताया कि कितने बी-1बी बमवर्षक तैनात किए गए थे या अभ्यास कहां हुआ। यह इस साल का दूसरा ऐसा संयुक्त अभ्यास था। इससे पहले 20 फरवरी को भी दोनों देशों ने इसी तरह का अभ्यास किया था।
उत्तर कोरिया अकसर इस तरह के अमेरिकी सैन्य अभियानों से नाराज होता रहा है और इन पर तनाव बढ़ाने का आरोप लगाता है। फरवरी वाले अभ्यास के बाद उत्तर कोरिया ने अमेरिका को जवाब देने के लिए "रणनीतिक तरीके" अपनाने की धमकी दी थी। यह नया अभ्यास उस समय हुआ है जब दक्षिण कोरिया के पूर्व राष्ट्रपति यून सुक-योल को उनके द्वारा दिसंबर में लगाए गए अल्पकालिक मार्शल लॉ के मामले में उनके महाभियोग को बरकरार रखा था।
इसके अलावा, दक्षिण कोरिया और अमेरिका के बीच एक और मुद्दे पर बातचीत चल रही है। अमेरिका के ऊर्जा विभाग ने दक्षिण कोरिया को 'संवेदनशील और विशेष श्रेणी वाले देशों' की सूची (एसएलसी) में सबसे निचली श्रेणी में रखा है। अमेरिकी ऊर्जा विभाग का फैसला दोनों देशों के संबंधों में एक बड़ा मुद्दा बन गया है और अब वह अमेरिका से बात करके इस स्थिति को सुलझाने की कोशिश कर रहा है।
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नासा के अधिकारी-कर्मचारियों को भी नहीं बख्श रहे ट्रंप

  • अब भारतीय मूल की डीईआई प्रमुख को किया बर्खास्त
वॉशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप बड़े पैमाने पर संघीय कर्मचारियों की छंटनी कर रहे हैं। अब ट्रंप ने नासा के अधिकारियों और कर्मचारियों की बर्खास्तगी का आदेश जारी किया है। इसके बाद नासा ने भारतीय मूल की विविधता, समानता और समावेशन (डीईआई) प्रमुख नीला राजेंद्र को बर्खास्त कर दिया। पहले ट्रंप के आदेश के बाद नासा ने नीला राजेंद्र का पदनाम बदलकर टीम एक्सीलेंस और कर्मचारी सफलता के कार्यालय का प्रमुख कर दिया था, लेकिन अंतत: उनको नौकरी से हाथ धोना पड़ा। 
पिछले सप्ताह नासा की जेट प्रोपल्शन प्रयोगशाला ने ईमेल जारी किया। इसमें प्रयोगशाला में काम करने वाले कर्मचारियों को नीला राजेंद्र को बाहर निकालने की सूचना दी गई। नासा के जेपीएल के निदेशक लॉरी लेशिन की ओर से भेजे गए ईमेल में लिखा गया कि नीला राजेंद्र अब जेट प्रोपल्शन प्रयोगशाला में काम नहीं कर रही हैं। हम उनके संगठन में किए गए स्थायी प्रभाव के लिए बेहद आभारी हैं। हम उन्हें शुभकामनाएं देते हैं। 
इससे पहले नीला राजेंद्र नासा के विविधता विभाग की प्रमुख थीं। जिसे मार्च में डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकारी आदेश के बाद बंद कर दिया गया। ट्रंप के आदेश के बाद नासा ने नया विभाग बनाते हुए 10 मार्च को एक ईमेल जारी किया था। इसमें नासा के कर्मचारियों को बताया गया था कि नीला राजेंद्र अब 'टीम उत्कृष्टता और कर्मचारी सफलता कार्यालय' की प्रमुख होंगी। नई भूमिका संभालने के बाद राजेंद्र ने लिंक्डइन पर लिखा था कि नासा में नवगठित कार्यालय के प्रमुख के रूप में उनका काम मुख्य रूप से एक साथ महान कार्य करने की हमारी क्षमता को उजागर करना है।
मगर अप्रैल की शुरुआत में ट्रंप की सख्त कार्रवाई के बाद नीला राजेंद्र को बर्खास्त कर दिया गया। ट्रंप ने सरकारी एजेंसियों में चल रहे विविधता कार्यक्रमों को बंद कर दिया है। कार्यकारी आदेश में कहा गया है कि ऐसे कार्यक्रमों ने अमेरिकियों को नस्ल, रंग और लिंग के आधार पर बांटा है। करदाताओं के पैसे बर्बाद किए हैं और शर्मनाक भेदभाव को जन्म दिया है। नीला राजेंद्र कई वर्षों तक नासा में नेतृत्वकारी भूमिका में रहीं। वे नासा में विविधता लाने के प्रयासों की प्रभारी थीं। उन्होंने स्पेस वर्कफोर्स 2030 शुरू किया। इसका उद्देश्य संगठन में महिलाओं और अल्पसंख्यकों को नियुक्त करना था।  
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सिंगापुर में आम चुनाव का एलान : 23 अप्रैल से नामांकन, 3 मई को मतदान

  • राष्ट्रपति के संसद भंग करने के बाद फैसला
सिंगापुर। सिंगापुर में 14वें आम चुनावों का एलान हो गया है। चुनाव विभाग ने तारीखों का एलान करते हुए कहा कि देशभर में तीन मई को मतदान होगा। जबकि नामांकन 23 अप्रैल से शुरू होंगे। इससे पहले राष्ट्रपति थर्मन शानमुगरत्नम ने प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग की सलाह पर संसद को भंग कर दिया। राजनीतिक दलों ने भी चुनाव को लेकर कमर कस ली। यहां मुख्य मुकाबला सत्तारूढ़ पीएपी और विपक्षी वर्कर्स पार्टी के बीच है। 
सिंगापुर की सत्ता पर 1965 से कायम पीपुल्स एक्शन पार्टी (पीएपी) प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग के नेतृत्व में अपना किला बचाने का प्रयास कर रही है। वोंग ने पिछले साल मई में सिंगापुर के चौथे नेता के रूप में शपथ ली थी। इस चुनाव में वे मजबूत जीत हासिल करना चाहते हैं, क्योंकि सरकार के प्रति मतदाताओं के बढ़ते असंतोष के कारण 2020 के चुनावों में पीएपी को झटका लगा था। '
पीएपी प्रमुख के रूप में अपने पहले आम चुनाव में वोंग असंतुष्ट युवा मतदाताओं तक पहुंचने की कोशिश में है। उन्होंने फॉरवर्ड सिंगापुर योजना शुरू की जिसका उद्देश्य सिंगापुर के लोगों को यह कहने का मौका देना है कि अगली पीढ़ी के लिए अधिक संतुलित, जीवंत और समावेशी एजेंडा कैसे विकसित किया जाए? इसके साथ ही पीएपी में नई जान फूंकने के लिए 30 से ज्यादा नए उम्मीदवार उतारने का एलान किया है। वोंग ने चेतावनी दी है कि आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच आपके कॉकपिट में कौन है, यह मायने रखता है, क्योंकि अमेरिकी टैरिफ वैश्विक व्यापार प्रणाली को प्रभावित करते हैं।
सिंगापुर बनाम दुनिया बड़ी चुनौती
पिछले दिनों पीएम लॉरेंस वोंग ने फेसबुक  पोस्ट में कहा था कि हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती राजनीतिक दलों के बीच नहीं है, बल्कि सिंगापुर बनाम दुनिया है हमारा मिशन अपने देश को स्थिरता, प्रगति और उम्मीद की एक चमकती हुई किरण बनाए रखना। जबकि सिंगापुर दुनिया के सबसे धनी देशों में से एक के रूप में विकसित हुआ है, यह रहने के लिए सबसे महंगे शहरों में से एक भी बन गया है।
इन मुद्दों पर घिर रही पीएपी
चुनाव में सत्तारूढ़ पीएपी के सामने कुछ ऐसे मुद्दे हैं जो मुसीबत बन सकते हैं। बढ़ती आय असमानता, महंगी होती आवास व्यवस्था, आप्रवासन के कारण बढ़ती भीड़ और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध जैसे मुद्दों ने पीएपी की सत्ता पर पकड़ को कमजोर कर दिया है।
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इस्राइल ने गाजा में अस्पताल के गेट पर किया हवाई हमला

  • तीन चिकित्सक और सात मरीज घायल
गाजा पट्टी। इस्राइल ने मंगलवार को गाजा पट्टी में एक फील्ड अस्पताल के गेट पर हवाई हमला किया। इस हमले में तीन चिकित्सक और सात मरीज समेत 10 लोग घायल हो गए। अस्पताल के प्रवक्ता सबर मोहम्मद ने बताया कि दो मरीज गंभीर रूप से घायल हैं। हालांकि, इस्राइली सेना की ओर से हमले पर तत्काल कोई टिप्पणी नहीं की गई है।
इस्राइली हवाई हमला मुवासी इलाके में कुवैती फील्ड अस्पताल पर हुआ, जहां लाखों लोग विशाल टेंट कैंपों में शरण लिए हुए हैं। इससे पहले, इस्राइल ने निकासी का आदेश देने के बाद रविवार को उत्तरी गाजा में अल-अहली अस्पताल पर हमला किया। अस्पताल के अनुसार, निकासी के दौरान एक मरीज की मौत हो गई। इसके अलावा, हमले में आपातकालीन कक्ष, फार्मेसी और आसपास की इमारतों को भी गंभीर नुकसान पहुंचा। यरूशलम निवासी अस्पताल संचालक एपिस्कोपल डायोसीज ने हमले की निंदा की। 
इस्राइल के आरोपों को हमास ने किया खारिज
वहीं, इस्राइल ने अपने बचाव में कहा कि उसने अस्पताल के भीतर हमास कमांडर और नियंत्रण केंद्र को निशाना बनाया था। बता दें कि इस्राइली सेना ने 18 महीने के युद्ध के दौरान कई बार अस्पतालों को निशाना बनाया है। इस्राइल ने आरोप लगाया है कि हमास के आतंकवादी अस्पतालों को छिपने और सैन्य उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। हालांकि, हमास ने इस्राइल के आरोपों को खारिज कर दिया। वहीं, अस्पताल के कर्मचारियों ने भी इस्राइल के आरोपों से इनकार किया है। उन्होंने इस्राइल पर नागरिकों को खतरे में डालने और क्षेत्र की स्वास्थ्य प्रणाली को नष्ठ करने का आरोप लगाया है। 
हमास के हमले के बाद शुरू हुआ युद्ध
हमास के आतंकवादियों ने 7 अक्तूबर, 2023 को दक्षिणी इस्राइल पर हमला किया था, जिसमें लगभग 1,200 लोग मारे गए थे। मरने वालों में ज्यादातर नागरिक थे। इसके अलावा, हमास के आतंकवादियों ने 251 लोगों का अपहरण कर बंधक बना लिया था। जवाबी कार्रवाई करते हुए इस्राइल ने भी गाजा पट्टी पर हमला किया, जिसके बाद हमास और इस्राइल के बीच युद्ध शुरू हो गया। गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इस्राइल के जवाबी हमले में 51,000 लोग मारे गए हैं। हालांकि, स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह नहीं बताया कि मरने वालों में कितने नागरिक और कितने लड़ाके हैं। 
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टैरिफ विवाद के बीच वियतनाम पहुंचे चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग

  • कहा- व्यापार युद्ध में कोई विजेता नहीं होता
हनोई। जवाबी टैरिफ को लेकर अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध छिड़ा है। दोनों देश एक-दूसरे पर भारी भरकम टैरिफ लगा रहे हैं। इस बीच चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने दक्षिण पूर्व एशिया के दौरे की शुरुआत की। वे सोमवार को वियतनाम पहुंचे। यहां शी ने कहा कि व्यापार युद्ध या टैरिफ युद्ध में कोई विजेता नहीं होता है। दोनों देशों को बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली, स्थिर वैश्विक औद्योगिक, आपूर्ति श्रृंखलाओं और खुले व सहकारी अंतरराष्ट्रीय वातावरण की दृढ़ता से रक्षा करनी चाहिए।
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग वियतनाम पहुंचे हैं। बताया जा रहा है कि अमेरिका की तरफ से बढ़ते दबाव को देखते हुए चीन ने समर्थन जुटाने के लिए यह कदम उठाया है। हालांकि विशेषज्ञ बताते हैं कि यह यात्रा पहले से प्रस्तावित थी, लेकिन टैरिफ युद्ध ने इसे अहम बना दिया है। वियतनाम में चीनी राष्ट्रपति वियतनाम की कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव टो लैम के साथ-साथ प्रधान मंत्री फाम मिन्ह चीन्ह से मुलाकात करेंगे।
सिंगापुर के ISEAS-यूसुफ इशाक इंस्टीट्यूट के विजिटिंग फेलो गुयेन खाक गियांग ने कहा कि शी की यात्रा से चीन दक्षिण-पूर्व एशिया को दिखा सकता है कि वह एक जिम्मेदार महाशक्ति है, वह डोनाल्ड ट्रम्प के तहत अमेरिका के पूरी दुनिया के सामने पेश होने के तरीके से अलग है। 
गुयेन ने कहा कि वियतनाम, मलयेशिया और कंबोडिया की यात्रा इसलिए भी है कि चीन वास्तव में ट्रंप के खिलाफ खुद को कैसे बचा सकता है। 2013 में चीन के राष्ट्रपति बनने के बाद से, उन्होंने केवल दो बार वियतनाम का दौरा किया है। यह उनकी तीसरी यात्रा है और दिसंबर 2023 में उनकी पिछली यात्रा के ठीक एक साल बाद हो रही है।
अंतरराराष्ट्रीय संकट समूह में हुआंग ले-थु ने कहा कि यात्रा का समय एक मजबूत राजनीतिक संदेश भेजता है कि दक्षिण पूर्व एशिया चीन के लिए महत्वपूर्ण है। ट्रंप के टैरिफ से दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्र भी चिंतित हैं कि अगर टैरिफ लागू किए गए तो उनके विकास को जटिल बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि शी की यात्रा यह दिखाने के लिए है कि चीन किस तरह से दबावपूर्ण और स्वार्थी अमेरिका के विपरीत है। इस संकट के समय में चीन किस तरह का नेतृत्व और पहल करने जा रहा है।
वियतनाम के दोनों देशों से रिश्ते
वियतनाम को अमेरिका और चीन के साथ अपने संबंधों को संतुलित करने का पुराना अनुभव है। यह चीन की तरह एक कम्युनिस्ट, एक-पक्षीय प्रणाली के तहत चलता है, लेकिन अमेरिका के साथ इसके मजबूत संबंध रहे हैं। 2023 में यह एकमात्र ऐसा देश था जिसने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और चीन के शी जिनपिंग दोनों का स्वागत किया था। वहीं चीन वियतनाम का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। 2024 में चीन-वियतनाम व्यापार में साल-दर-साल 14.6% की वृद्धि हुई। मौजूदा व्यापार युद्ध के बाद वियतनाम के सामने संकट है। वियतनाम के बाद शी जिनपिंग के मलयेशिया और कंबोडिया जाने की उम्मीद है।
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लांजारोटे में भारी बारिश से बाढ़, आपातकाल घोषित

World : स्पेन के कैनरी द्वीपसमूह के लांजारोटे द्वीप पर शनिवार को भारी बारिश के कारण सड़कें कीचड़ से भर गईं और कई घरों में बाढ़ आ गई। आपातकाल की स्थिति घोषित की गई, जब दो घंटे के भीतर 6 सेंटीमीटर (2.4 इंच) बारिश हुई।
आपातकालीन सेवाओं ने बताया कि बाढ़ के कारण अर्रेसिफे और टेगुइज़े जैसे क्षेत्रों में 300 कॉल्स का जवाब दिया गया। हालांकि, किसी के घायल होने की खबर नहीं है, लेकिन कई घरों में पानी भर गया और भारी कीचड़ जमा हो गया। वीडियो फुटेज में देखा गया कि ब्रिज के नीचे से मटमैला पानी बह रहा था और कारें पानी में फंसी हुई थीं। आपातकालीन सेवाओं ने रातभर राहत कार्य किया।
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यूक्रेन के सुमी पर रूसी मिसाइल हमले में 34 की मौत, 117 घायल

यूक्रेन। अधिकारियों ने बताया कि पाम संडे मनाने के लिए एकत्रित हुए लोगों के समय रूसी मिसाइलों ने यूक्रेनी शहर सुमी के मध्य में हमला किया, जिसमें कम से कम 34 लोग मारे गए। यह एक सप्ताह से भी कम समय में नागरिकों की जान लेने वाला दूसरा बड़ा हमला है। अधिकारियों ने बताया कि सुबह करीब 10.15 बजे दो बैलिस्टिक मिसाइलें गिरीं। घटनास्थल से प्राप्त तस्वीरों में सड़क के किनारे काले रंग के बॉडी बैग की कतारें दिखाई दे रही हैं, जबकि मलबे के बीच पन्नी के कंबल में लिपटे और शव दिखाई दे रहे हैं। वीडियो फुटेज में दमकल कर्मियों को क्षतिग्रस्त इमारतों के मलबे के बीच जली हुई कारों के खोल बुझाने के लिए संघर्ष करते हुए भी दिखाया गया है।
यूक्रेन की राज्य आपातकालीन सेवा ने एक बयान में कहा कि मृतकों में दो बच्चे भी शामिल हैं। इसमें कहा गया कि 15 बच्चों सहित 117 लोग घायल हुए हैं। यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने कहा, "केवल गंदे लोग ही इस तरह की हरकत कर सकते हैं - आम लोगों की जान लेना।" ज़ेलेंस्की ने हमले के लिए वैश्विक प्रतिक्रिया का आह्वान किया। उन्होंने कहा, "बातचीत से बैलिस्टिक मिसाइलों और हवाई बमों पर कभी रोक नहीं लगी। रूस के प्रति एक आतंकवादी के समान रवैया अपनाने की जरूरत है।" अन्य विश्व नेताओं ने भी हमले की निंदा की, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा कि इसने दोनों पक्षों के बीच वाशिंगटन के नेतृत्व वाली शांति वार्ता को कमजोर किया है।
"हर कोई जानता है: इस युद्ध की शुरुआत अकेले रूस ने की थी। और आज, यह स्पष्ट है कि अकेले रूस ने इसे जारी रखने का विकल्प चुना है - मानव जीवन, अंतर्राष्ट्रीय कानून और राष्ट्रपति ट्रम्प के कूटनीतिक प्रयासों की घोर उपेक्षा करते हुए," उन्होंने एक बयान में लिखा। यूक्रेन में अमेरिका के विशेष दूत कीथ केलॉग ने कहा कि हमलों ने "शालीनता की सभी सीमाओं" को पार कर दिया है।
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हसीना, बहन और ब्रिटेन के पूर्व मंत्री के खिलाफ नये वारंट जारी

बांग्लादेश। बांग्लादेश की एक अदालत ने रविवार को अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना, उनकी बहन शेख रेहाना, ब्रिटिश सांसद और पूर्व मंत्री ट्यूलिप रिजवाना सिद्दीक और 50 अन्य के खिलाफ राजनीतिक सत्ता का दुरुपयोग करके कथित अवैध भूमि अधिग्रहण के मामले में गिरफ्तारी वारंट जारी किया। ढाका ट्रिब्यून अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, ढाका मेट्रोपॉलिटन के वरिष्ठ विशेष न्यायाधीश जाकिर हुसैन ने भ्रष्टाचार निरोधक आयोग (एसीसी) द्वारा दायर तीन अलग-अलग आरोपपत्रों पर विचार करने के बाद यह आदेश पारित किया। अखबार ने एसीसी के सहायक निदेशक (अभियोजन) अमीनुल इस्लाम के हवाले से कहा कि न्यायाधीश हुसैन ने गिरफ्तारी आदेशों के निष्पादन पर रिपोर्ट की समीक्षा के लिए 27 अप्रैल की तारीख तय की है। बंगाली अखबार प्रोथोम एलो ने अदालत के सूत्रों का हवाला देते हुए बताया कि एसीसी ने हाल ही में प्लॉट आवंटन में भ्रष्टाचार के आरोपों पर तीन अलग-अलग मामलों में 53 लोगों के खिलाफ अदालत में आरोपपत्र प्रस्तुत किए हैं। अखबार ने बताया कि हसीना समेत सभी 53 आरोपी फरार थे, इसलिए अदालत ने उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया। 10 अप्रैल को इसी अदालत ने राजुक प्लॉट आवंटन से जुड़े एक अलग भ्रष्टाचार मामले में हसीना, उनकी बेटी साइमा वाजेद पुतुल और 17 अन्य के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया। पुतुल 1 नवंबर, 2023 से नई दिल्ली स्थित विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के दक्षिण पूर्व एशियाई क्षेत्रीय निदेशक के रूप में काम कर रही हैं। 13 जनवरी को एसीसी ने रेहाना के खिलाफ कथित तौर पर अधिकार का दुरुपयोग करके पूर्वाचल न्यू टाउन प्रोजेक्ट में 10 कट्ठा प्लॉट हासिल करने का मामला दर्ज किया। मामले में हसीना और रेहाना की बेटी ब्रिटिश सांसद ट्यूलिप रिजवाना सिद्दीक समेत 15 आरोपियों के नाम शामिल हैं। रेहाना ने पिछली सरकार में कोई आधिकारिक पद नहीं संभाला था। जांच के बाद एसीसी ने 10 मार्च को 17 व्यक्तियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया, जिसमें दो और नाम शामिल किए गए। दूसरे मामले में, एसीसी ने अजमीना सिद्दीक के खिलाफ पूर्वाचल में 10 कट्ठा प्लॉट हासिल करने में इसी तरह की अनियमितताओं के लिए आरोप दायर किए। इस मामले में शुरू में ट्यूलिप सिद्दीक और शेख हसीना सहित 16 आरोपियों को सूचीबद्ध किया गया था। 10 मार्च को प्रस्तुत अंतिम आरोपपत्र में 18 लोगों के नाम थे।
एसीसी ने उसी दिन रेहाना के बेटे रादवान मुजीब सिद्दीक के खिलाफ तीसरा मामला दर्ज किया, जिस पर राजनीतिक प्रभाव का उपयोग करके प्लॉट हासिल करने का आरोप है। ट्यूलिप सिद्दीक और शेख हसीना शुरुआती शिकायत में नामित 16 लोगों में से थे। अंतिम आरोपपत्र में भी 18 आरोपी शामिल थे।
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