दुनिया-जगत

उत्तर कोरिया ने युद्धपोत प्रक्षेपण विफल होने के बाद कई क्रूज मिसाइलें दागी

सियोल। दक्षिण कोरिया की सेना ने गुरुवार को कहा कि उत्तर कोरिया की तरफ से पूर्वी सागर की ओर कई क्रूज मिसाइलें दागीं गई हैं। यह घटना प्योंगयांग के एक नए युद्धपोत के प्रक्षेपण के दौरान हुई "गंभीर" दुर्घटना के ठीक एक दिन बाद हुई।
उत्तर कोरिया ने पहले कहा था कि बुधवार को एक नए नौसैनिक विध्वंसक के प्रक्षेपण समारोह के दौरान उसके कुछ हिस्से 'नष्ट' हो गए थे। उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग-उन ने इसे एक 'आपराधिक कृत्य' बताया जिसे 'बर्दाश्त' नहीं किया जा सकता।
ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ (जेसीएस) ने कहा, सुबह करीब 9 बजे दक्षिण हैमग्योंग प्रांत के सोंडोक क्षेत्र से उत्तर कोरिया के मिसाइल प्रक्षेपण का पता चला। हालांकि मिसाइलों की संख्या के बारे में कोई पुख्ता जानकारी नहीं मिली। सेना का मानना ​​है कि मिसाइलों को समुद्री प्लेटफार्म से दागा गया हो सकता है। फिलहाल वे अमेरिकी खुफिया अधिकारियों के साथ विस्तृत विश्लेषण कर रहे हैं।
उत्तर कोरिया ने पिछले साल फरवरी में एक नई सतह से समुद्र में मार करने वाली मिसाइल का परीक्षण किया था। इसका नाम पदसुरी-6 रखा था। अधिकारी इस संभावना की जांच कर रहे हैं कि नवीनतम प्रक्षेपण में एंटी-शिप मिसाइल का एक प्रकार शामिल हो सकता है।
जेसीएस ने कहा कि वह उत्तर कोरियाई गतिविधियों पर बारीकी से नजर रख रहा है और किसी भी उकसावे का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए पूरी क्षमता के साथ तैयार है। जेसीएस कहा कि, हम नजर बनाए हुए हैं कि प्योंगयांग मौजूदा सुरक्षा स्थिति का "गलत आकलन" न कर सके।
उत्तर कोरिया ने इस महीने कई सैन्य प्रदर्शन किए हैं, जिसमें 8 मई को पूर्वी सागर में कई छोटी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों का प्रक्षेपण भी शामिल है।
समाचार एजेंसी योनहाप के अनुसार, "दक्षिण की सेना आमतौर पर उत्तर कोरियाई क्रूज मिसाइल प्रक्षेपण की तुरंत घोषणा नहीं करती है, जबकि बैलिस्टिक मिसाइलों पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के तहत प्रतिबंध है।"
बीते 17 मई को उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग-उन ने वायु सेना के उड़ान समूह द्वारा किए गए वायु-विरोधी युद्ध और हवाई हमले के अभ्यासों को देखा था,जिसमें सभी सैन्य इकाइयों को निरंतर और मजबूत युद्ध तैयारियां करने का आदेश दिया था।
कोरियन सेंट्रल न्यूज एजेंसी (केसीएनए) ने कहा, "किम ने गुरुवार को कोरियन पीपुल्स आर्मी के गार्ड्स 1 एयर डिवीजन के तहत उड़ान समूह को अपने दौरे के दौरान दिशा निर्देश दिया, जिसमें पूरी सेना की सभी इकाइयों से युद्ध की तैयारियों के अनुसार अपडेट रहने के लिए कहा गया।
केसीएनए के अनुसार, इन अभ्यासों का मकसद फ्लाइंग कोर के साथ-साथ एंटी-एयर मिसाइल, रडार और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर यूनिट्स को दुश्मन की क्रूज मिसाइलों और सुसाइड ड्रोनों का पता लगाने, उन पर नजर रखने और उन्हें नष्ट करने के मिशन से परिचित कराना था।
केसीएनए ने कहा कि अभ्यास में एक नए प्रकार के लंबी दूरी के सटीक ग्लाइड-गाइडेड बम का परीक्षण और लक्ष्य पर हमला करने का अभ्यास शामिल था। साथ ही एक हेलीकॉप्टर से दुश्मन के ड्रोन को नष्ट करने का प्रशिक्षण कार्यक्रम, नौसैनिक लक्ष्यों पर सटीक बमबारी और रणनीतिक, बहुउद्देशीय ड्रोन की उड़ान का प्रदर्शन भी शामिल था।
और भी

"ऑपरेशन सिंदूर" की सच्चाई बताने संजय झा के नेतृत्व में जापान पहुंचा सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल

टोक्यो। जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) सांसद संजय झा के नेतृत्व में एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल जापान पहुंचा है। यह दौरा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत आतंकवाद के खिलाफ भारत सरकार के कदमों की जानकारी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साझा करने के उद्देश्य से किया गया है। संजय झा ने इस संबंध में जानकारी अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर साझा की।
इसमें उन्होंने कहा कि सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल जापान पहुंच चुका है। हमें यहां आकर बहुत खुशी हो रही है। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आम लोगों पर हुए आतंकी हमले के बाद भारत सरकार की तरफ से आतंकवाद के खिलाफ उठाए गए कदम का हम समर्थन करते हैं।
जेडीयू सांसद ने ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र कर कहा कि इस ऑपरेशन से आतंकवाद के प्रति भारत की जीरो टॉलरेंस की नीति साफ जाहिर होती है। जापान और भारत आतंकवाद के खिलाफ एक साथ हैं और हम शांति की पैरोकारी करते हैं।
संजय झा के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल में राजदूत मोहन कुमार, भाजपा सांसद डॉ. हेमांग जोशी, सीपीआई (एम) सांसद जॉन ब्रिटास, टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी, भाजपा सांसद अपराजिता सारंगी, भाजपा सांसद बृज लाल और भाजपा सांसद प्रदान बरुआ शामिल हैं।
यह वैश्विक अभियान सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने में पाकिस्तान की भूमिका को उजागर करेगा। जापान के बाद, सभी दक्षिण कोरिया (24 मई), सिंगापुर (27 मई), इंडोनेशिया (28 मई) और मलेशिया (31 मई) जाएंगे।
उनके आगमन पर, जापान में भारतीय राजदूत सिबी जॉर्ज ने नेताओं का स्वागत किया, जिन्होंने जापानी नेतृत्व और नागरिक समाज के साथ जुड़ाव के लिए रणनीतिक रोडमैप की रूपरेखा बताई। बता दें कि भारत ने वैश्विक मंच पर पाकिस्तान का आतंकी चेहरा बेनकाब करने के लिए सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का गठन किया है। यह सभी प्रतिनिधिमंडल 33 देशों में जाएंगे। इनमें से एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व जेडीयू सांसद संजय झा कर रहे हैं, जो अब जापान पहुंच चुके हैं, जबकि दूसरे प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व शिवसेना सांसद श्रीकांत शिंदे कर रहे हैं, जो अबु धाबी पहुंच चुके हैं। विदेश मंत्रालय ने इसके लिए प्रतिनिधिमंडल को 150 पन्नों का डोजियर भी सौंपा है, जिसमें पाकिस्तान के काले कारनामों का पूरा लेखा-जोखा है।
और भी

भारत का खौफ, चीन ने पाकिस्तान के साथ मिलकर नया दांव चला

नई दिल्ली। चीन, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के शीर्ष नेताओं ने त्रिपक्षीय सहयोग को गहरा करने और चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) को अफगानिस्तान तक एक्सपैंड करने पर सहमति जताई है. इसका ऐलान पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार, चीनी विदेश मंत्री वांग यी, और अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी के बीच हुई एक अनौपचारिक त्रिपक्षीय बैठक के बाद किया गया है.
पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार बीजिंग के तीन दिनों के दौरे पर हैं. यह भारत द्वारा पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाने वाले ऑपरेशन सिंदूर के बाद इशाक डार का पहला उच्चस्तरीय दौरा है. बैठक में तीनों विदेश मंत्रियों ने क्षेत्रीय सुरक्षा और आर्थिक कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए त्रिपक्षीय सहयोग को महत्वपूर्ण बताया.
पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने चीन और अफगानिस्तान के विदेश मंत्रियों के साथ मीटिंग की अपनी तस्वीर शेयर करते हुए सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, "पाकिस्तान, चीन और अफगानिस्तान क्षेत्रीय शांति, स्थिरता और विकास के लिए एक साथ खड़े हैं."
CPEC परियोजना लगभग 60 बिलियन डॉलर की है और भारत ने इसका कड़ा विरोध किया है, क्योंकि यह कॉरिडोर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) के रास्ते से गुजरता है. भारत इसे अपनी संप्रभुता का उल्लंघन मानता है. इसके बावजूद, चीन और पाकिस्तान अफगानिस्तान को इस इकोनॉमिक कॉरिडोर से जोड़ने की कोशिश में है.
और भी

समुद्री आतंकवाद-लुटेरों पर भारत और संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने जताई चिंता

संयुक्त राष्ट्र। भारत के स्थायी प्रतिनिधि पी. हरीश ने कहा कि समुद्र में आतंकवाद का मुकाबला करना और समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करना भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक हितों के लिए महत्वपूर्ण है। हरीश ने कहा, "भारत समुद्री सुरक्षा और आतंकवाद का मुकाबला करना अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक हितों के लिए महत्वपूर्ण मानता है।" उन्होंने आगे कहा, " लेकिन भारत की समुद्री सुरक्षा रणनीति व्यापक और बहुआयामी है", जो पारंपरिक और गैर-पारंपरिक खतरों—आतंकवाद, समुद्री डकैती, तस्करी, मानव तस्करी और अवैध मछली पकड़ने का सामना करती है।
आतंकवाद और समुद्री डकैती से होने वाले खतरे अन्य लोगों के लिए भी चिंता का विषय थे, जिन्होंने समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने पर सुरक्षा परिषद की खुली बहस में बात की। महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि कोई भी देश "समुद्री डकैती, सशस्त्र डकैती, तस्करी और संगठित अपराध से लेकर शिपिंग, अपतटीय प्रतिष्ठानों और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के खिलाफ विनाशकारी कृत्यों और समुद्री क्षेत्र में आतंकवाद" के संकटों से अछूता नहीं है। उन्होंने चेताया, "और समस्या और भी बदतर होती जा रही है।" सत्र की अध्यक्षता करते हुए ग्रीस के प्रधानमंत्री किरियाकोस मित्सोटाकिस (जो इस महीने परिषद की अध्यक्षता कर रहे हैं) ने तस्करी, आतंकवाद, समुद्री डकैती जैसे विषम समुद्री खतरों के बारे में इसी तरह की चेतावनी दी
हरीश ने कहा, "भारत की समुद्री सुरक्षा रणनीति अपने लंबे समुद्र तट और समुद्री मार्गों की सुरक्षा के लिए मजबूत निगरानी, ​​प्रभावी समन्वय और त्वरित प्रतिक्रिया क्षमताओं पर केंद्रित है।" साथ ही, उन्होंने कहा कि नई दिल्ली का दृष्टिकोण "मजबूत रक्षा क्षमताओं, क्षेत्रीय कूटनीति, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और घरेलू बुनियादी ढांचे के विकास को संतुलित करता है"।
उन्होंने कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'महासागर' के दृष्टिकोण पर आधारित है, जो क्षेत्रों में सुरक्षा और विकास के लिए पारस्परिक और समग्र उन्नति का संक्षिप्त नाम है। उन्होंने कहा कि यह समुद्र में सुरक्षा और सहयोग को बढ़ावा देता है और इसे वैश्विक स्तर पर लागू किया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर, उन्होंने पश्चिमी अरब सागर में शिपिंग हमलों और समुद्री डकैती के लिए भारतीय नौसेना की प्रतिक्रिया का हवाला दिया। बताया कि भारतीय नौसेना ने पश्चिमी अरब सागर में 35 से अधिक जहाजों की तैनाती की, 30 घटनाओं का जवाब दिया और 1,000 से अधिक बोर्डिंग ऑपरेशन किए, जिससे सैकड़ों नाविकों और करोड़ों डॉलर के व्यापारिक जहाजों को बचाया गया।
उन्होंने कहा कि इनसे लगभग 520 चालक दल के सदस्यों और विभिन्न लोगों की जान बच गई और 312 व्यापारी जहाजों की रक्षा हुई, जिनमें 11.9 मिलियन टन से अधिक माल था, जिसका मूल्य 5.3 बिलियन डॉलर से अधिक था।
भारत की नौसेना हूती विद्रोहियों के हमलों से जहाजों की रक्षा करने और लाल सागर क्षेत्र में प्रभावित जहाजों के चालक दल को बचाने के साथ-साथ समुद्री डाकुओं से सुरक्षा करने में सक्रिय थी। उन्होंने कहा कि पिछले साल जब टाइफून यागी ने हमला किया था, तब भारत ने म्यांमार, लाओस और वियतनाम में राहत अभियान चलाए थे।
हरीश ने कहा कि भारत समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अन्य देशों के साथ भी काम करता है, क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर संयुक्त नौसैनिक अभ्यासों में भाग लेता है। उन्होंने कहा कि इनमें से एक पिछले महीने दस अफ्रीकी देशों के साथ एक बड़े पैमाने पर अभ्यास था, 'ऐक्यम्', एकता के लिए संस्कृत शब्द, जो “अफ्रीका भारत प्रमुख समुद्री जुड़ाव” के संक्षिप्त रूप से बना है। तंजानिया द्वारा सह-आयोजित छह दिवसीय अभ्यास उसके तट पर आयोजित किया गया था, और जिबूती से दक्षिण अफ्रीका तक नौ अफ्रीकी देशों ने इसमें भाग लिया था।
और भी

नीदरलैंड पहुंचे विदेश मंत्री जयशंकर, रणनीतिक

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने हेग में अपने डच समकक्ष कैस्पर वेल्डकंप से मुलाकात की और द्विपक्षीय साझेदारी को मजबूत करने पर चर्चा की। जयशंकर ने पहलगाम हमले की निंदा करने और आतंकवाद के खिलाफ समर्थन के लिए नीदरलैंड्स को धन्यवाद दिया। उन्होंने यूरोपीय संघ के साथ सहयोग पर भी बात की। यह दौरा भारत की कूटनीतिक पहल का एक भाग है।
आईएएनएस, हेग। विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने सोमवार को हेग में अपने डच समकक्ष कैस्पर वेल्डकंप के साथ चर्चा की। उन्होंने पहलगाम हमले की कड़ी निंदा करने और आतंकवाद के खिलाफ शून्य सहिष्णुता के समर्थन के लिए नीदरलैंड्स को सराहते हुए आभार जताया।
विदेश मंत्री मे एक्स पर दी जानकारी
जयशंकर ने बैठक के बाद एक्स पर पोस्ट में कहा कि हमने द्विपक्षीय साझेदारी को गहरा करने और यूरोपीय संघ के साथ सहयोग पर व्यापक चर्चा की। विदेश मंत्री नीदरलैंड्स, डेनमार्क और जर्मनी के छह दिवसीय दौरे के पहले चरण में सोमवार को हेग पहुंचे थे।
भारत की चल रही कूटनीतिक पहल का हिस्सा है ये दौरा
विदेश मंत्रालय के अनुसार, जयशंकर का यह दौरा भारत की चल रही कूटनीतिक पहल का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य रणनीतिक संबंधों को गहरा करना और प्रमुख यूरोपीय साझीदारों के साथ सहयोग बढ़ाना है।
इस दौरे के दौरान विदेश मंत्री तीन देशों के नेतृत्व से मिलेंगे और द्विपक्षीय संबंधों और आपसी रुचि के क्षेत्रीय और वैश्विक मामलों पर अपने समकक्षों के साथ चर्चा करेंगे।
और भी

ट्रंप ने रूस-यूक्रेन के बीच युद्धविराम की कोशिशें की तेज

  • पुतिन और जेलेंस्की से फोन पर की बात
वॉशिंगटन। पश्चिम एशिया का दौरा पूरा करने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस-यूक्रेन के बीच युद्धविराम की कोशिशें तेज कर दी हैं। इसी के तहत ट्रंप ने सोमवार को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की से फोन पर बात की। इस बातचीत के बाद ट्रंप ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि उन्हें उम्मीद है कि सोमवार को दोनों देशों के नेताओं से हुई बातचीत युद्धविराम का रास्ता साफ करेगी। ट्रंप ने नाटो देशों के नेताओं के साथ भी सोमवार को बात की।
यूक्रेन पर दबाव बनाने का आरोप
डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति चुनाव जीत से पहले ही दावा किया था कि वे सत्ता में आए तो रूस-यूक्रेन युद्ध रुकवा देंगे। हालांकि जनवरी में सत्ता संभालने के बाद अब ट्रंप को कई माह बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक रूस और यूक्रेन के बीच युद्धविराम नहीं हो पाया है, जिससे ट्रंप की समझौता कराने वाले नेता की छवि को नुकसान पहुंच रहा है। कई लोगों का मानना है कि ट्रंप प्रशासन यूक्रेन पर शांतिवार्ता के लिए दबाव बना रहा है। यूक्रेन में अमेरिकी राजदूत रह चुकीं ब्रिजेट ब्रिंक ने भी आरोप लगाया है कि अमेरिकी सरकार यूक्रेन पर दबाव बना रही है। उन्होंने कहा कि जो आक्रामणकारी है, उसका ही समर्थन किया जा रहा है और पीड़ित को दबाया जा रहा है।
रूस ने बात नहीं मानी तो और प्रतिबंध लगा सकता है अमेरिका
अमेरिका की वित्त सचिव स्कॉट बेसेंट ने राष्ट्रपति ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति पुतिन की बातचीत पर कहा कि अगर रूस ने शांतिवार्ता पर बात नहीं मानी तो इसके चलते रूस पर अतिरिक्त प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं। बीते हफ्ते तुर्किये में रूसी और यूक्रेनी राष्ट्रपति की बातचीत होनी थी, लेकिन आखिरी समय में पुतिन ने तुर्किये जाने से इनकार कर दिया। इसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेनी राष्ट्रपति भी तुर्किये नहीं गए। इस बातचीत में कुछ ठोस नतीजे तो नहीं निकले और सिर्फ युद्धबंदियों को छोड़ने पर दोनों देशों में सहमति बनी। 
इससे पहले जेलेंस्की की अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस, अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो से इटली में मुलाकात हुई। जेलेंस्की ने इनके अलावा कई यूरोपीय नेताओं से भी मुलाकात की। वहीं ट्रंप द्वारा पुतिन और जेलेंस्की से बात करने की जानकारी ऐसे समय सामने आई है, जब रूस ने यूक्रेन पर लड़ाई शुरू होने के बाद सबसे बड़ा ड्रोन हमला किया। इस हमले में कुल 273 ड्रोन्स से हमला किया गया। 
 
और भी

सुरक्षा-व्यापार वार्ता को लेकर पाक उप प्रधानमंत्री चीन रवाना

  • चीनी विदेश मंत्री वांग यी से करेंगे बातचीत
इस्लामाबाद। पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार सोमवार को चीन की तीन दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर रवाना हुए। एआरवाई न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, वे चीनी विदेश मंत्री वांग यी के निमंत्रण पर बीजिंग जा रहे हैं। 19-21 मई तक चीन की अपनी यात्रा के दौरान, डार के साथ अफगानिस्तान के लिए पाकिस्तान के विशेष प्रतिनिधि मोहम्मद सादिक भी हैं। भारत और पाकिस्तान के बीच शत्रुता समाप्त करने पर सहमति बनने के बाद यह उनकी पहली चीन यात्रा है।
यात्रा के दौरान, डार अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ दक्षिण एशिया में विकसित क्षेत्रीय स्थिति और शांति और स्थिरता के लिए इसके निहितार्थ पर बातचीत करेंगे, उनके कार्यालय ने एक बयान में घोषणा की। दोनों पक्ष द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा करेंगे और आपसी हितों के क्षेत्रीय और वैश्विक विकास पर विचारों का आदान-प्रदान करेंगे। डार की यात्रा पाकिस्तान और चीन के बीच चल रहे उच्च स्तरीय आदान-प्रदान का हिस्सा है। यह दोनों देशों की 'ऑल-वेदर स्ट्रेटेजिक कोऑपरेटिव पार्टनरशिप' को और मजबूत करने की साझा प्रतिबद्धता को भी रेखांकित करता है।
एआरवाई न्यूज ने सूत्रों के हवाले से बताया कि डार चीनी प्रधानमंत्री के साथ भी बैठक करेंगे। तालिबान द्वारा नियुक्त विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी 20 मई को चीन पहुंचेंगे।एआरवाई न्यूज ने सूत्रों के हवाले से बताया कि चीन, अफगानिस्तान और पाकिस्तान के विदेश मंत्री बीजिंग में त्रिपक्षीय बैठक करेंगे। सूत्रों के मुताबिक, तीनों नेता भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के मद्देनजर मौजूदा क्षेत्रीय स्थिति पर चर्चा करेंगे। सूत्रों के मुताबिक, नेता आपसी व्यापार और सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देने पर भी चर्चा करेंगे।
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया, जिसमें 26 लोगों की जान चली गई और कई अन्य घायल हो गए। पहलगाम आतंकवादी हमले के जवाब में, भारतीय सशस्त्र बलों ने 7 मई की तड़के ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया, जिसमें पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर (पीओजेके) में नौ आतंकी स्थलों को निशाना बनाया गया, जिसमें जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम), लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और हिजबुल मुजाहिदीन (एचएम) जैसे आतंकी संगठनों से जुड़े 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए। हमले के बाद, पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा और जम्मू और कश्मीर में सीमा पार से गोलाबारी के साथ-साथ सीमावर्ती क्षेत्रों में ड्रोन हमलों का प्रयास किया, जिसके बाद भारत ने एक समन्वित हमला किया और पाकिस्तान के एयरबेसों में रडार बुनियादी ढांचे, संचार केंद्रों और हवाई क्षेत्रों को क्षतिग्रस्त कर दिया। 10 मई को, भारत और पाकिस्तान शत्रुता समाप्त करने पर एक समझ पर पहुँचे। (एएनआई)
और भी

फ्रांस में होली की धूम, करीब 20,000 लोग हुए शामिल

पेरिस। फ्रांस में होली का त्यौहार धूमधाम से मनाया गया, जिसमें करीब 20,000 लोग शामिल हुए, फ्रांस में भारतीय दूतावास ने सोमवार को यह जानकारी दी। एक्स पर एक पोस्ट में, भारतीय दूतावास ने बताया कि होली का उत्सव ग्लोबल इंडियन ऑर्गनाइजेशन, फ्रांस द्वारा आयोजित किया गया था, जो एक गैर-लाभकारी, सामाजिक, गैर-राजनीतिक संगठन है, जार्डिन डी'एक्लिमेटेशन, जो पेरिस का एकमात्र मनोरंजन और अवकाश पार्क है जिसे 1860 में खोला गया था, लक्जरी सामान मुगल एलवीएमएच समूह और वैल-डी-रूइल के मेयर और विभागीय पार्षद मार्क-एंटोनी जैमेट।
इस उत्सव में 20,000 लोगों ने भाग लिया, जिसमें विविधता में एकता की भावना और स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व और जीवन के आनंद के आदर्शों को उजागर किया गया, जिन्हें फ्रांस और भारत के लोग बहुत मानते हैं, राजदूत संजीव सिंगला ने कार्यक्रम के दौरान कहा।
"पेरिस में होली - रंगों के भारतीय त्योहार "होली" का जीवंत उत्सव @Jardindacclim द्वारा @GIOFranceParis @LVMH @MA_Jamet द्वारा आयोजित किया गया। इस उत्सव में लगभग 20,000 लोग शामिल हुए। राजदूत संजीव सिंगला ने अपने वक्तव्य में कहा कि आज के उत्सव ने विविधता में एकता की भावना और स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व और जीवन के आनंद के आदर्शों को रेखांकित किया, जिन्हें फ्रांस और भारत के लोग बहुत प्यार करते हैं", X पर पोस्ट में कहा गया। इस कार्यक्रम में पेरिस के लोगों के लिए भारतीय संस्कृति के जीवंत तत्वों का उत्सव मनाया गया, ताकि वे भारत की बारीकियों को समझ सकें और उनकी सराहना कर सकें। कई संगीत और नृत्य प्रदर्शनों से लेकर मेंहदी कला और भारत से फ्रांस में लजीज व्यंजन लाने तक, होली के उत्सव ने दोनों मित्र देशों के बीच सांस्कृतिक जुड़ाव के पुल बनाए। विदेश मंत्रालय ने पहले दिए गए एक बयान में कहा था कि फ्रांस में भारतीय दूतावास पूरे साल पेरिस और फ्रांस के महत्वपूर्ण शहरों में स्थानीय और भारत-आधारित कलाकारों के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों और कार्यक्रमों का आयोजन करता है।
विदेश मंत्रालय के अनुसार, मुख्य भूमि फ्रांस में अनुमानित 1,19,000 भारतीय समुदाय (एनआरआई सहित) हैं, जो मुख्य रूप से पुडुचेरी, कराईकल, यनम, माहे और चंद्रनगर और तमिलनाडु, गुजरात और पंजाब राज्यों के पूर्ववर्ती फ्रांसीसी उपनिवेशों से आते हैं। फ्रांसीसी विदेशी क्षेत्रों के संबंध में अनुमानित भारतीय मूल की आबादी है - रीयूनियन द्वीप (3,00,159), ग्वाडेलोप (57,180), मैरिटिनिक (8,090) और सेंट मार्टिन (1950)। फ्रांस में 50 से अधिक भारतीय सामुदायिक संगठन सक्रिय हैं। विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत-फ्रांस के बीच दीर्घकालिक साझेदारी का मूल साझा लोकतांत्रिक मूल्यों, वैश्विक चुनौतियों से निपटने के साधन के रूप में बहुपक्षवाद में विश्वास, अंतर्राष्ट्रीय कानून के प्रति सम्मान, मजबूत आर्थिक, सांस्कृतिक शैक्षणिक और लोगों के बीच संबंधों पर आधारित है। (एएनआई)
और भी

पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में विस्फोट में चार की मौत, 20 घायल

कराची। पाकिस्तान के अशांत बलूचिस्तान प्रांत में एक बाजार के पास बम विस्फोट हुआ, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई और 20 अन्य घायल हो गए। यह जानकारी सोमवार को मीडिया रिपोर्ट में दी गई। यह विस्फोट रविवार को बलूचिस्तान के किला अब्दुल्ला जिले में जब्बार मार्केट के पास हुआ, जिससे इमारत को भारी नुकसान पहुंचा और लोगों में दहशत फैल गई। एक्सप्रेस ट्रिब्यून अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, विस्फोट के बाद कई दुकानें ढह गईं और कई प्रतिष्ठानों में आग लग गई।
किला अब्दुल्ला के डिप्टी कमिश्नर रियाज खान ने कहा कि विस्फोट में चार लोगों की मौत हो गई और 20 अन्य घायल हो गए। उन्होंने कहा कि यह बाजार फ्रंटियर कॉर्प्स (एफसी) किले की पिछली दीवार के पास स्थित था। विस्फोट के बाद, अज्ञात हमलावरों और एफसी कर्मियों के बीच गोलीबारी हुई। कानून प्रवर्तन अधिकारियों ने इलाके को सील कर दिया और व्यापक तलाशी और निकासी अभियान शुरू किया।
घायलों में आदिवासी बुजुर्ग हाजी फैजुल्लाह खान ग़बीज़ई का एक सुरक्षा गार्ड और कई राहगीर शामिल हैं। यह विस्फोट खुजदार जिले के नाल इलाके में एक चेक पोस्ट पर अज्ञात हथियारबंद लोगों द्वारा किए गए घातक बंदूक हमले में चार लेवी कर्मियों की जान जाने के कुछ दिनों बाद हुआ है। स्थानीय जातीय बलूच समूहों और पार्टियों द्वारा लगाए गए आरोपों के कारण बलूचिस्तान लगभग दो दशकों से अशांति का सामना कर रहा है कि संघीय सरकार प्रांत की खनिज संपदा का दोहन कर रही है।
और भी

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने ब्राजील में भारतीय प्रवासियों से बातचीत की

साओ पाउलो। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने ब्राजील के साओ पाउलो में जीवंत भारतीय प्रवासी समुदाय से बातचीत की और वैश्विक मंच पर भारत के बढ़ते कद पर प्रकाश डाला, जिसमें मजबूत आर्थिक विकास, तेजी से बुनियादी ढांचे का विकास और मजबूत होती अंतरराष्ट्रीय साझेदारी शामिल है, जैसा कि नितिन गडकरी कार्यालय से साझा किए गए एक बयान में बताया गया है।
बातचीत के दौरान, उन्होंने भारत में विशेष रूप से जैव ईंधन, हरित हाइड्रोजन, स्वच्छ ऊर्जा और फ्लेक्स-फ्यूल मोबिलिटी में व्यापक निवेश और नवाचार के अवसरों पर जोर दिया। उन्होंने समुदाय के गहरे सांस्कृतिक मूल्यों और नवाचार, कृषि-व्यवसाय, ऊर्जा और डिजिटल सहयोग के माध्यम से भारत-ब्राजील संबंधों को आगे बढ़ाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका की सराहना की। भारत को "अवसरों की भूमि" कहते हुए, गडकरी ने वैश्विक भारतीय प्रवासियों को एक स्थायी और समृद्ध भविष्य के निर्माण में अन्वेषण, निवेश और भागीदारी करने के लिए आमंत्रित किया। उनकी बातचीत का विवरण भी एक्स पर साझा किया गया।
इससे पहले बुधवार को, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने ब्राजील के ब्रासीलिया में ब्रिक्स परिवहन मंत्रियों की बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व किया था, जिसमें उन्होंने एक स्थायी, लचीला और भविष्य के लिए तैयार परिवहन बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए भारत की प्रतिबद्धता को स्पष्ट किया था।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री ने एक्स पर एक वीडियो भी साझा किया और लिखा, "ब्रासीलिया में ब्रिक्स परिवहन मंत्रियों की बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व किया - एक स्थायी, लचीला और भविष्य के लिए तैयार परिवहन पारिस्थितिकी तंत्र के लिए दृष्टिकोण को आगे बढ़ाया।" प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की प्रगति पर जोर देते हुए, गडकरी ने पीएम गतिशक्ति, राष्ट्रीय रसद नीति, भारतमाला और सागरमाला जैसी प्रमुख पहलों पर प्रकाश डाला - ये ऐसे कार्यक्रम हैं जो एक एकीकृत और भविष्य के लिए तैयार परिवहन पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं जो समावेशी विकास को बढ़ावा देता है और क्षेत्रीय संपर्क को मजबूत करता है।
एक्स पर एक पोस्ट साझा करते हुए, गडकरी ने लिखा, "ब्रासीलिया में ब्रिक्स परिवहन मंत्रियों की बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व करने का सम्मान मिला, जहां वैश्विक भागीदारों के साथ टिकाऊ, लचीले और मल्टीमॉडल परिवहन बुनियादी ढांचे के लिए भारत के दृष्टिकोण को साझा किया गया। चर्चा में प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी के दूरदर्शी नेतृत्व में शुरू की गई प्रमुख परिवर्तनकारी पहलों पर प्रकाश डाला गया, जिनमें पीएम गतिशक्ति, राष्ट्रीय रसद नीति, भारतमाला और सागरमाला शामिल हैं।"
पोस्ट में कहा गया है, "ये प्रमुख कार्यक्रम एक एकीकृत, भविष्य के लिए तैयार परिवहन पारिस्थितिकी तंत्र बनाने की भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं जो समावेशी विकास और क्षेत्रीय संपर्क को बढ़ावा देता है।" (एएनआई)
और भी

भारत अमेरिकी वस्तुओं पर 100 प्रतिशत टैरिफ हटाने को तैयार : डोनाल्ड ट्रंप

वाशिंगटन। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने दावा किया है कि भारत ने अमेरिकी वस्तुओं पर सभी टैरिफ हटाने की पेशकश की है। हालांकि इसके बाद भी उन्होंने कहा कि स्पष्ट सफलता के बावजूद वह व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की जल्दी में नहीं हैं।
फॉक्स न्यूज को शुक्रवार को दिए एक इंटरव्यू में डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, भारत ऐसे देश का सबसे अच्छा उदाहरण है, जो अपनी सभी बाधाओं को दूर करने के लिए दृढ़ संकल्पित है। ट्रंप ने कहा कि, "वे व्यापार करना लगभग असंभव बना देते हैं। क्या आप जानते हैं कि वे संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए अपने टैरिफ में 100 प्रतिशत की कटौती करने को तैयार हैं?" इस दावे के बावजूद उन्होंने संकेत दिया, "हर कोई हमारे साथ व्यापार करना चाहता है। भारत के साथ ये समझौता कितना जल्दी होगा, यह देखना होगा। मुझे कोई जल्दी नहीं है। हम हर किसी के साथ व्यापार की योजना नहीं बना रहे हैं।"
डोनाल्ड ट्रंप के दावे पर प्रतिक्रिया देते हुए भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने गुरुवार को कहा, "बातचीत चल रही है लेकिन अंतिम चरण से फिलहाल काफी दूर है।" विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, "भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता चल रही है। ये जटिल वार्ताएं हैं। जब तक सब कुछ तय नहीं हो जाता, तब तक कुछ भी तय नहीं होता। किसी भी व्यापार सौदे को पारस्परिक रूप से लाभकारी होना चाहिए। इसे दोनों देशों के लिए काम करना चाहिए। व्यापार सौदे से हमारी यही अपेक्षा होगी। जब तक ऐसा नहीं हो जाता, इस पर कोई भी निर्णय समय से पहले होगा।"
ट्रंप का यह बयान ऐसे समय में आया है जब उनकी टीम वैश्विक व्यापार गतिशीलता को बड़े स्तर पर बदलने का विचार कर रही है। शुक्रवार को पहले ट्रंप ने कहा था कि वह "अगले दो से तीन सप्ताह में" व्यापारिक साझेदारों के लिए नई आयात शुल्क दरें निर्धारित करने की योजना बना रहे हैं। ट्रंप ने पाकिस्तान के साथ व्यापार के विस्तार की संभावना पर भी विचार करने की बात कही है।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा था कि, भारत में पहलगाम आतंकी हमले के बाद सीमा विवाद के बीच दोनों देशों के बीच युद्ध विराम समझौते के लिए मध्यस्थता करने में व्यापार प्रक्रिया को बढ़ाना एक बड़ा कारक था। ट्रंप ने कहा, "मैं शांति स्थापित करने के लिए दोनों देशों के साथ बराबरी से व्यापार करना चाहता हूं।"
भारत-पाकिस्तान ही नहीं, अमेरिका-चीन के साथ भी विवाद कम करने की कोशिश कर रहा है। ट्रंप ने इसे दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के प्रति उदारता का कार्य बताया है। हाल में हुई वार्ता के बाद, अमेरिका और चीन के बीच चला ट्रेड वॉर थमता नजर आ रहा है। अमेरिका ने चीन पर अपनी दर 145 प्रतिशत से घटाकर 30 प्रतिशत कर दी है और बीजिंग ने अपने टैरिफ स्तरों को 125 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया है। दोनों देश आगे की चर्चाओं पर भी विचार कर रहे हैं। ट्रंप के मुताबिक, अगर उन्होंने चीन के साथ समझौता नहीं किया होता तो चीन बिखर गया होता।
और भी

पाकिस्तानी पीएम ने नूर खान एयरबेस पर भारत के हमले की बात स्वीकारी

  • भाजपा ने दिखाए सबूत!
नई दिल्ली। भारत की ओर से चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर की गूंज पाकिस्तान के सैन्य हलकों में भी सुनाई दे रही है, जो भारतीय सशस्त्र बलों की अद्वितीय सटीकता और रणनीतिक सैन्य कौशल को दर्शाता है। इस ऑपरेशन की सफलता ने पाकिस्तान के नेतृत्व को आश्चर्यचकित कर दिया, यहां तक कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भी स्वीकार किया कि नूर खान एयर बेस पर हमला हुआ था।
9 और 10 मई की मध्य रात्रि को 2:30 बजे प्रधानमंत्री शरीफ को जनरल असीम मुनीर ने अचानक जगाया और उन्हें पाकिस्तानी क्षेत्र में भारतीय सेना की ओर से किए गए एयर स्ट्राइक के बारे में बताया। भाजपा के राष्ट्रीय आईटी विभाग के प्रमुख और पश्चिम बंगाल के सह-प्रभारी अमित मालवीय ने कहा कि पाक पीएम शरीफ ने स्वयं नूर खान एयर बेस और अन्य स्थानों पर बमबारी की बात स्वीकार की है। उन्होंने इस घटना को ऑपरेशन सिंदूर की साहस और दक्षता का प्रमाण बताया।
अमित मालवीय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने खुद माना है कि जनरल असीम मुनीर ने उन्हें रात 2:30 बजे फोन करके बताया कि भारत ने नूर खान एयर बेस और कई अन्य स्थानों पर बमबारी की है। यह 'ऑपरेशन सिंदूर' के स्केल, सटीक लक्ष्य और साहस के बारे में बहुत कुछ बताता है।"
पहलगाम में आतंकवादी हमले के जवाब में शुरू किए गए इस ऑपरेशन में भारत ने रावलपिंडी में नूर खान एयर बेस सहित प्रमुख पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठानों पर निर्णायक हवाई हमले किए। इस हमले के महत्व को कम करके नहीं आंका जा सकता, क्योंकि यह बेस - जिसे पहले पीएएफ चकलाला के नाम से जाना जाता था - पाकिस्तान के एयर मोबिलिटी कमांड के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में कार्य करता है, जिसमें साब एरीये (हवाई प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली), सी-130 परिवहन विमान और आईएल-78 हवाई ईंधन भरने वाले टैंकर मौजूद हैं।
यह पाकिस्तान के लिए एक गंभीर रणनीतिक झटका है, जिससे पाकिस्तान की तीव्र सैन्य कार्रवाई करने की क्षमता काफी सीमित हो जाएगी। रिपोर्ट्स से पता चलता है कि भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तानी हवाई ठिकानों पर सटीक हमले किए, जिनमें रनवे, रडार स्थल, विमान हैंगर और कमांड सेंटर को निशाना बनाया गया।
सेटेलाइट से मिली तस्वीरों से पता चला है कि पाकिस्तान को भारी क्षति हुई है। भारत ने मात्र 25 मिनट में 24 मिसाइलें दागीं और सफलतापूर्वक ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया।
और भी

यूएन में "अंतरराष्ट्रीय वेसाक दिवस" पर विशेष पैनल का आयोजन, भारत ने की मेजबानी

न्यूयॉर्क। न्यूयॉर्क में स्थित संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन ने शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय वेसाक दिवस के अवसर पर एक विशेष पैनल चर्चा का आयोजन किया। इस चर्चा का शीर्षक 'गौतम बुद्ध की शिक्षाएं- आंतरिक और वैश्विक शांति का मार्ग' था।
इस कार्यक्रम में उच्च-स्तरीय राजनयिकों, विद्वानों और आध्यात्मिक नेताओं ने हिस्सा लिया। उन्होंने बुद्ध की शिक्षाओं की आज के वैश्विक चुनौतियों में प्रासंगिकता को रेखांकित किया।
भारतीय मिशन ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "भारत-यूएन न्यूयॉर्क ने अंतरराष्ट्रीय वेसाक दिवस के उपलक्ष्य में ‘गौतम बुद्ध की शिक्षाएं- आंतरिक और वैश्विक शांति का मार्ग’ विषय पर पैनल चर्चा का आयोजन किया।"
इस पैनल में वियतनाम, लाओ पीडीआर, थाईलैंड, भूटान, मंगोलिया, कंबोडिया, नेपाल, श्रीलंका और रूस सहित कई बौद्ध-बहुल देशों के स्थायी प्रतिनिधि और वरिष्ठ राजनयिक शामिल थे। उनकी उपस्थिति ने बौद्ध मूल्यों की वैश्विक एकता और साझा सांस्कृतिक विरासत को दर्शाया।
भारत के संयुक्त राष्ट्र स्थायी प्रतिनिधि, राजदूत पार्वथानेनी हरीश ने सत्र का उद्घाटन किया और बुद्ध के संदेश की सार्वभौमिक अपील पर जोर दिया। राजदूत पार्वथानेनी हरीश ने कहा, "बुद्ध की करुणा, अहिंसा और बुद्धिमत्ता की शिक्षाएं संकट और दुख से भरी दुनिया में आंतरिक और वैश्विक शांति का मार्ग दिखाती हैं।"
नालंदा विश्वविद्यालय के अंतरिम कुलपति प्रो. अभय कुमार सिंह ने बौद्ध धर्म से गहरे ऐतिहासिक संबंधों का उल्लेख करते हुए बुद्ध की शांति और करुणा की शिक्षाओं पर प्रकाश डाला। प्रोफेसर संतोष कुमार राउत ने बताया कि बौद्ध दर्शन 21वीं सदी की चुनौतियों का सामना करने में कैसे मदद कर सकता है।
वेसाक दुनिया भर के बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए सबसे पवित्र दिन है, जो गौतम बुद्ध के जन्म, ज्ञान प्राप्ति और परिनिर्वाण को चिह्नित करता है। ये सभी घटनाएं मई की पूर्णिमा को हुई थीं। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 1999 में प्रस्ताव 54/115 के माध्यम से वेसाक को अंतरराष्ट्रीय दिवस के रूप में मान्यता दी, ताकि बौद्ध धर्म के वैश्विक आध्यात्मिकता और शांति में योगदान को सम्मान दिया जाए।
यह कार्यक्रम इस बात की याद दिलाता है कि 2,500 साल पहले बुद्ध द्वारा दिखाया गया मार्ग आज भी व्यक्तिगत परिवर्तन और सामूहिक सौहार्द की यात्रा को रोशन करता है, जो वर्तमान युग में पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक है।
और भी

जीरो टैरिफ प्रस्ताव पर भारत सख्त

  • "पीयूष गोयल आज जाएंगे अमेरिका"
नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस दावे पर कि भारत ने उन्हें शून्य टैरिफ का ऑफर दिया है, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बृहस्पतिवार को कहा, भारत-अमेरिका में व्यापार वार्ता अभी चल ही रही है। कोई भी डील दोनों देशों के लिए फायदेमंद होनी चाहिए। ऐसा नहीं हो सकता कि व्यापार से एक देश को फायदा हो और दूसरे को नुकसान।
जयशंकर ने कहा, जब तक भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार वार्ता नतीजे पर नहीं पहुंच जाती, तब तक इस बारे में कुछ भी कहना या राय देना जल्दबाजी होगी। अभी कोई अंतिम समझौता नहीं हुआ है। जयशंकर ने कहा, इस डील पर अभी से कोई राय बनाना ठीक नहीं है। भारत-अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता कर रही टीम इस पर काम कर रही है। ये चर्चा थोड़ी मुश्किल है। जब तक सब कुछ तय नहीं हो जाता, तब तक साफ तौर पर किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सकता है। बता दें कि ट्रंप ने कतर में कहा था कि भारत की तरफ से उन्हें व्यापार पर शून्य टैरिफ की पेशकश की गई है।
यह पहली बार नहीं है जब ट्रंप ने भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों पर यह बात की। 30 अप्रैल को मिशिगन में ट्रंप ने कहा था, भारत के साथ टैरिफ पर बातचीत बहुत अच्छी चल रही है। मुझे लगता है कि जल्द ही कोई डील हो जाएगी। भारत और अमेरिका के बीच कई महीनों से बातचीत चल रही है। दोनों देश एक ऐसे व्यापार समझौते पर सहमत होने की कोशिश कर रहे हैं जिससे दोनों के बाजार में पहुंच आसान हो और टैरिफ को लेकर जो विवाद हैं, वो भी सुलझ जाएं।
पीयूष गोयल आज जाएंगे अमेरिका: ट्रंप के दावे के बीच, भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल 16 मई को अमेरिका जा रहे हैं, ताकि आधिकारिक स्तर पर कुछ समय से चल रही अग्रिम व्यापार वार्ता शुरू की जा सके। यह यात्रा अप्रैल में अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस की नई दिल्ली यात्रा के बाद हो रही है, जिसमें अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौता करने का प्रयास किया गया था।
दावा : भारत ने दिया है टैरिफ कम करने का प्रस्ताव: 9 मई को रॉयटर्स ने खबर दी थी कि भारत ने अमेरिका के साथ टैरिफ में अंतर को लगभग 13% से घटाकर 4% करने का प्रस्ताव दिया है। अगर ऐसा होता है, तो यह भारत का किसी बड़े व्यापारिक साझेदार के साथ सबसे बड़ा टैरिफ समझौता होगा। बातचीत में शामिल अधिकारियों के अनुसार, भारत ने डील के पहले चरण में 60% अमेरिकी सामानों पर टैरिफ हटाने का प्रस्ताव दिया है। इसके अलावा, मोदी सरकार ने लगभग 90% अमेरिकी इंपोर्ट को तरजीही एक्सेस देने का भी प्रस्ताव रखा है। बदले में, भारत चाहता है कि अमेरिका टैरिफ में बढ़ोतरी न करे। लेकिन अमेरिका ने अभी तक इस पर पूरी तरह से सहमति नहीं दी है, जबकि उसने अपने सहयोगी देशों जैसे यूके के साथ ऐसा समझौता किया है।
कॉन्स के फिल्म बाजार में सतर्कता: इस वर्ष कान्स में फिल्म खरीदार और विक्रेता अनिश्चितता में हैं, क्योंकि ट्रंप ने विदेश निर्मित फिल्मों पर 100% टैरिफ का झटका दिया है। अब सतर्क कारोबारी दृष्टिकोण के चलते बाजार फूंक-फूंककर कदम रख रहा है।
और भी

ऑपरेशन सिंदूर के बाद घुटनों पर आया पाकिस्तान

  • अब वहीं के अखबार ने ही खोल दी PAK प्रधानमंत्री के झूठ की पोल
नई दिल्ली। भारत के ऑपरेशन सिंदूर से मुंह की खाए पाकिस्तान अब नए-नए दावे करने में जुटा है. प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से लेकर रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ और विदेश मंत्री इशाक डार तक लगातार फर्जी दावे कर रहे हैं. इस बीच उपप्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने संसद में कहा कि टेलीग्राफ अखबार ने पाकिस्तानी एयरफोर्स का लोहा माना है और उसे आसमान का Undisputed King बताया है.
इशाक डार ने पाकिस्तानी संसद को संबोधित करते हुए कहा कि ये हम नहीं कह रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय मीडिया कह रहा है. टेलीग्राफ ने लिखा है कि PAF आसमान का बेताज बादशाह है. लेकिन डार के इस झूठ की पोल खुद पाकिस्तानी अखबार डॉन ने खोल दी.
दरअसल डार ने ब्रिटेन के अखबार टेलीग्राफ की एक फेक AI तस्वीर का हवाला देकर पाकिस्तानी एयरफोर्स की तारीफ के पुलिंदे बांधे थे. लेकिन द डॉन ने उनके इस दावे का फैक्ट चेक कर इसे सरासर फर्जी बताया.
सोशल मीडिया पर भी लोगों ने टेलीग्राफ की इस फेक तस्वीर को शेयर किया. टेलीग्राफ अखबार के इस पेज को एआई का इस्तेमाल कर तैयार किया गया है. ब्रिटेन के अखबार के डिजाइन और शैली में ही इस फेक पेज को तैयार किया गया था. लेकिन डॉन ने भी अपने फैक्ट चेक में अखबार के इस फेक पेज की कई अशुद्धियों को उजागर किया.
इशाक डार ने इस झूठे दावे से यह साबित करने की कोशिश की कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया PAF की ताकत का लोहा मानता है. हालांकि, संसद में खड़े होकर इस तरह के झूठे दावे करने की बात उजागर होने के बाद डार ने अब तक इस पर कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया है. पाकिस्तान का विदेश मंत्रालय भी इस पर चुप्पी साधे हुआ है. बता दें कि यह पहली बार नहीं हुआ है, जब पाकिस्तान की सरकार ने इस तरह के झूठे और बेतुके दावे किए हैं.
बता दें कि पहलगाम हमले के बाद जवाबी कार्रवाई में भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत 7-8 मई की दरम्यानी रात पाकिस्तान और पीओके के आतंकी ठिकानों पर हमला किया. पाकिस्तान के इन आतंकी ठिकानों पर भारत ने ब्रह्मोस मिसाइल से हमला किया था.
और भी

भारत-न्यूजीलैंड मुक्त व्यापार समझौते की पहली दौर की वार्ता संपन्न

नई दिल्ली। द्विपक्षीय व्यापार और निवेश जुड़ाव को बढ़ाने की दिशा में एक बड़े कदम के रूप में, भारत-न्यूजीलैंड मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के लिए वार्ता का पहला दौर शुक्रवार को दिल्ली में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि वार्ता 5-9 मई तक आयोजित की गई थी। बयान में कहा गया है कि यह विकास आर्थिक संबंधों को गहरा करने की साझा प्रतिबद्धता और मार्च में न्यूजीलैंड के प्रधान मंत्री क्रिस्टोफर लक्सन की यात्रा के दौरान प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए मार्गदर्शन पर आधारित है। एफटीए को 16 मार्च को वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और न्यूजीलैंड के व्यापार और निवेश मंत्री टॉड मैक्ले के बीच बैठक के दौरान लॉन्च किया गया था। पहले दौर में दोनों भागीदारों के बीच वर्चुअल चर्चाओं की एक श्रृंखला आयोजित की गई, जिसने व्यक्तिगत बैठक के लिए आधार तैयार किया। माल और सेवाओं में व्यापार, व्यापार सुविधा और आर्थिक सहयोग के पारस्परिक रूप से लाभकारी क्षेत्रों सहित एफटीए के सभी क्षेत्रों में रचनात्मक वार्ता हुई।
यह भागीदारी दोनों भागीदारों द्वारा पारस्परिक रूप से लाभकारी, संतुलित और निष्पक्ष व्यापार समझौते के निर्माण को दिए जाने वाले रणनीतिक महत्व को उजागर करती है। हाल के वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार संबंधों में तेजी से वृद्धि देखी गई है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में दोनों देशों के बीच कुल व्यापारिक व्यापार 1.3 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुँच गया है, जो पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में 48.6 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि दर्ज करता है। यह भारत-न्यूजीलैंड आर्थिक साझेदारी की बढ़ती क्षमता को रेखांकित करता है। बयान में कहा गया है कि एफटीए से व्यापार और निवेश क्षमता में और वृद्धि होने, आपूर्ति श्रृंखला एकीकरण में सुधार होने और दोनों पक्षों के व्यवसायों के लिए एक पूर्वानुमानित और परिवर्तनकारी व्यापारिक माहौल को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। दोनों देशों ने भविष्य के लिए तैयार ढांचे की दिशा में काम करने और इस वर्ष एफटीए को पूरा करने के लिए अपने साझा दृष्टिकोण और आपसी समझ की पुष्टि की। अगला दौर जुलाई 2025 में आयोजित किया जाएगा। जैसा कि भारत कई व्यापार समझौतों के माध्यम से अपनी उपस्थिति को लगातार आगे बढ़ा रहा है, यह दौर राष्ट्रीय प्राथमिकताओं और वैश्विक आकांक्षाओं के साथ संरेखित आर्थिक साझेदारी को बढ़ाने के लिए एक दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
और भी

शहबाज से नवाज शरीफ ने कहा- "तनाव खत्म करने कूटनीति का इस्तेमाल करें"

लाहौर। पहलगाम हमले और सिंधु जल संधि को निलंबित करने के भारत के फैसले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच, पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने अपने भाई, वर्तमान प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को बढ़ते संकट को कम करने के लिए कूटनीतिक दृष्टिकोण की आवश्यकता पर सलाह देने के लिए कदम उठाया, द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने रिपोर्ट किया। पहलगाम हमले के मद्देनजर भारत द्वारा सिंधु जल संधि को निलंबित करने के बाद, नवाज शरीफ अपने भाई प्रधानमंत्री की मदद करने के लिए लंदन से पाकिस्तान लौट आए।
अपने आगमन के बाद, द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने बताया कि शरीफ ने पीएमएल-एन सुप्रीमो को भारत द्वारा सिंधु जल संधि को निलंबित करने के मद्देनजर राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की बैठक में लिए गए निर्णयों के बारे में जानकारी देने के बाद पीएमएल-एन सुप्रीमो को कूटनीतिक रूप से तनाव कम करने की सलाह दी थी। एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, कहा गया कि शरीफ चाहते थे कि पीएमएल-एन के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार दोनों परमाणु-सशस्त्र राज्यों के बीच शांति बहाल करने के लिए सभी उपलब्ध राजनयिक संसाधनों का उपयोग करे, उन्होंने कहा कि वह आक्रामक रुख अपनाने के इच्छुक नहीं हैं।
इससे पहले 2023 में, नवाज शरीफ ने भारत के साथ अच्छे संबंधों के महत्व को रेखांकित किया था और कहा था कि 1999 में उनकी सरकार को इसलिए हटा दिया गया था क्योंकि उन्होंने कारगिल युद्ध का विरोध किया था।द न्यूज इंटरनेशनल के अनुसार, नवाज ने कहा था कि पीएमएल-एन ने हमेशा अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन हमेशा सत्ता से बाहर कर दिया गया।नवाज ने कहा, "मैं जानना चाहता हूं कि 1993 और 1999 में मेरी सरकारों को क्यों उखाड़ फेंका गया। क्या ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि हमने कारगिल युद्ध का विरोध किया था।" नवाज शरीफ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री थे जब 12 अक्टूबर, 1999 को तख्तापलट में उनकी सरकार को उखाड़ फेंका गया था।
और भी

चीन ने भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव पर गहरी चिंता व्यक्त की

बीजिंग। चीन ने भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव पर गहरी चिंता व्यक्त की और कहा कि वह मौजूदा स्थिति पर नज़र रख रहा है। शनिवार को चीनी विदेश मंत्रालय ने यह टिप्पणी की। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता पाकिस्तान के उन आरोपों पर एक सवाल का जवाब दे रहे थे जिसमें कहा गया था कि भारत ने "10 मई की सुबह नूर खान एयर बेस सहित लक्ष्यों पर हमला किया।"
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, "चीन भारत और पाकिस्तान के बीच मौजूदा स्थिति पर करीब से नज़र रख रहा है और तनाव बढ़ने को लेकर बेहद चिंतित है। हम दोनों पक्षों से शांति और स्थिरता के व्यापक हित में काम करने, शांति और संयम बरतने, शांतिपूर्ण तरीकों से राजनीतिक समाधान के रास्ते पर लौटने और ऐसी किसी भी कार्रवाई से बचने का दृढ़ता से आग्रह करते हैं जिससे तनाव और बढ़ सकता है।"
बयान में आगे कहा गया, "यह भारत और पाकिस्तान दोनों के मौलिक हितों और एक स्थिर और शांतिपूर्ण क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण होगा।" समापन टिप्पणी में, प्रवक्ता ने कहा कि चीन "इस उद्देश्य के लिए एक रचनात्मक भूमिका निभाने के लिए तैयार है।" "यह वही है जो अंतर्राष्ट्रीय समुदाय देखना चाहता है। चीन इस उद्देश्य के लिए एक रचनात्मक भूमिका निभाना जारी रखने के लिए तैयार है।" यह तब हुआ जब दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। पाकिस्तान ने शनिवार को सीमा पार से गोलाबारी की, जिससे जम्मू के राजौरी जिले में नागरिक क्षेत्रों को काफी नुकसान पहुंचा और निवासियों के बीच भय बढ़ गया। विस्फोटों की एक श्रृंखला ने पूरे क्षेत्र में कई घरों और संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया, जिससे निवासियों में दहशत फैल गई।
सूत्रों ने एएनआई को बताया कि शनिवार को पाकिस्तान द्वारा भारत भर में 26 स्थानों पर हमला करने के तुरंत बाद भारत ने जवाबी हमला किया। नियंत्रण रेखा (एलओसी) के साथ कई स्थानों पर अभी भी रुक-रुक कर गोलीबारी जारी है। शीर्ष सरकारी सूत्रों ने बताया कि शनिवार तड़के भारतीय हवाई हमलों में पाकिस्तान के कम से कम चार एयरबेसों पर हमला किया गया, क्योंकि दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। पाकिस्तान के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा पर 26 स्थानों पर ड्रोन देखे गए हैं। इनमें संदिग्ध सशस्त्र ड्रोन शामिल हैं। इन स्थानों में बारामुल्ला, श्रीनगर, अवंतीपोरा, नगरोटा, जम्मू, फिरोजपुर, पठानकोट, फाजिल्का, लालगढ़ जट्टा, जैसलमेर, बाड़मेर, भुज, कुआरबेट और लाखी नाला शामिल हैं। अफसोस की बात है कि एक सशस्त्र ड्रोन ने फिरोजपुर में एक नागरिक क्षेत्र को निशाना बनाया, जिसके परिणामस्वरूप एक स्थानीय परिवार के सदस्य घायल हो गए।
घायलों को चिकित्सा सहायता प्रदान की गई है, और सुरक्षा बलों ने क्षेत्र की तलाशी ली है। भारतीय सशस्त्र बल उच्च स्तर की सतर्कता बनाए हुए हैं, और ऐसे सभी हवाई खतरों को काउंटर-ड्रोन सिस्टम का उपयोग करके ट्रैक और निपटाया जा रहा है। स्थिति पर कड़ी और निरंतर निगरानी रखी जा रही है और जहाँ भी आवश्यक हो, त्वरित कार्रवाई की जा रही है। नागरिकों, विशेष रूप से सीमावर्ती क्षेत्रों में, को घर के अंदर रहने, अनावश्यक आवाजाही को सीमित करने और स्थानीय अधिकारियों द्वारा जारी सुरक्षा निर्देशों का सख्ती से पालन करने की सलाह दी जाती है। रक्षा मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, "घबराने की कोई जरूरत नहीं है, लेकिन सतर्कता और एहतियात बरतना जरूरी है।" (एएनआई)
और भी