हिंदुस्तान

Axiom-4 मिशन लॉन्च, शुभांशु शुक्ला ने रचा इतिहास, अंतरिक्ष के लिए रवाना

Axiom-4 Mission : भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला इंटरनेशनल स्पेश सेंटर यानी ISS की ओर रवाना हो गए हैं. Axiom-4 में भारत के लाल शुभांशु शुक्ला के साथ उनके तीन और साथी स्पेसएक्स के ड्रैगन एयरक्राफ्ट से अंतरिक्ष के लिए रवाना हो गए हैं.
शुभांशु दोपहर 12:01 बजे अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए रवाना हो गए. वह 28 घंटे की यात्रा करके कल शाम भारतीय समय के मुताबिक करीब 4:30 बजे इंटरनेशनल स्पेश स्टेशन में डॉकिंग करेंगे. शुभांशु शुक्ला पहले भारतीय हैं, जो इंटरनेशनल स्पेश स्टेशन में कदम रखेंगे. वह वहां 14 दिनों तक रहेंगे और रिसर्च करेंगे.
यह मिशन छह बार टलने के बाद आज आखिरकार फाइनल हो गया और स्पेस-एक्स ने बताया कि लॉन्च के लिए मौसम अनुकूल है. अंतरिक्ष में उड़ान भरने को तैयार कैप्टन शुभांशु की पहले तस्वीर सामने आई है, जिसमें वह एस्ट्रोनॉट की ड्रेस में दिख रहे हैं.
अंतरिक्ष में रहेंगे दो हफ्ते
डॉकिंग के बाद, चारों अंतरिक्ष यात्री करीब दो हफ्ते तक अंतरिक्ष स्टेशन पर रहेंगे और वहां वैज्ञानिक अनुसंधान, शिक्षा, वाणिज्यिक परियोजनाओं और STEM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) गतिविधियों में भाग लेंगे.
यह मिशन भारत और ISRO के लिए एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है और वैश्विक सहयोग से अंतरिक्ष अनुसंधान में नए आयाम खोलने की उम्मीद है.
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इमरजेंसी के 50 साल: दिल्ली में प्रदर्शनी का आयोजन

  • सीएम रेखा गुप्ता बोलीं- आपातकाल भारतीय इतिहास का काला दिन
नई दिल्ली। देश में इमरजेंसी के 50 साल पूरे होने पर नई दिल्ली के कनॉट प्लेस के सेंट्रल पार्क में प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इस प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल और दिल्ली सरकार में मंत्री आशीष सूद और कपिल मिश्रा मौजूद रहे।
सीएम रेखा गुप्ता ने कार्यक्रम के दौरान इमरजेंसी को याद किया और कांग्रेस पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, "जो लोग आज संविधान की कॉपियां लेकर जेब में घूमते हैं और दावा करते हैं कि संविधान को दबाया जा रहा है। मैं उनसे कहना चाहती हूं पूरा देश गवाह है कैसे उनको पूर्वजों ने संविधान को दबाया और कुचला। पूरा देश इसका गवाह है।"
उन्होंने कहा, "यह हमारे इतिहास का एक काला अध्याय था, जब लोकतंत्र को कुचला गया। ऐसे समय में जब देश गरीबी, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार से जूझ रहा था, एक निकम्मी सरकार अपनी सत्ता बचाने में व्यस्त थी। सच्चा लोकतंत्र तब होता जब इंदिरा गांधी इस्तीफा देतीं, लोगों को सत्ता वापस सौंपती और माफी मांगती।"
इमरजेंसी की 50वीं वर्षगांठ पर मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने मीडिया से बात करते हुए कहा, "लोकतंत्र की हत्या को 50 साल बीत चुके हैं। मुझे उन लोगों पर हंसी और गुस्सा दोनों आ रहा है, जो आज भी लोकतंत्र को जेब में रखते हैं और दूसरों को इसकी रक्षा करने का उपदेश देते हैं। मैं उनसे कहना चाहती हूं कि लोकतंत्र की हत्या करने वाले आपके ही पूर्वज थे। भारतीय इतिहास में संविधान का गला घोंटने वाले दिन से ज्यादा काला दिन कोई नहीं हो सकता है। आज वे अपनी जेब में संविधान की कॉपी रखकर घूमते हैं और कहते हैं कि लोकतंत्र को बचाओ।"
इमरजेंसी के 50 साल पूरे होने पर केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा, "आपातकाल को अब 50 साल हो गए हैं और एक बड़ी पीढ़ी ऐसी है, जिसने इसे कभी नहीं देखा। मैं निश्चित रूप से कह सकता हूं कि आज 70 या उससे अधिक उम्र के लोगों ने आपातकाल को झेला है, इसे करीब से झेला है और अत्याचारों को खुद देखा है। उस दौरान किए गए अत्याचार और अन्याय की सीमा को बताने के लिए पर्याप्त समय नहीं है।"
दिल्ली सरकार में मंत्री आशीष सूद ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि आपातकाल देश के इतिहास पर काला धब्बा है। ये उन लोगों की असलियत सामने लाता है, जो जेब में संविधान की लाल किताब रखकर चलते हैं और कहते हैं कि संविधान खतरे में हैं। उन्होंने (कांग्रेस) हजारों लोगों की हत्या की, लाखों लोगों को जेल में डाल दिया और इस पर उन्होंने आज तक माफी नहीं मांगी है।
दिल्ली सरकार में मंत्री कपिल मिश्रा ने कहा, "यह प्रदर्शनी दिल्ली सरकार द्वारा लगाई गई है। मनोहर लाल और मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने अभी-अभी इसका जनता के लिए उद्घाटन किया है। प्रदर्शनी का उद्देश्य आपातकाल के दौरान किए गए अत्याचारों को प्रदर्शित करना है। इसका एकमात्र उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि देश उस दौरान हुई लोकतंत्र और संविधान की हत्या को कभी न भूले और उससे मिले सबक को हमेशा याद रखे।"
आपातकाल के 50 साल पूरे होने पर दिल्ली सरकार में मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने मीडिया से बात करते हुए कहा, "आपातकाल को 50 साल हो गए हैं। कांग्रेस, गांधी परिवार और इंदिरा गांधी ने अपनी सत्ता बचाने के लिए जो किया, वह पाप था। आज हम राजीव गांधी पार्क में इसे याद कर रहे हैं, ताकि लोग उनके कुकर्मों को न भूलें। आज भी उनके अंदर एक खतरनाक मानसिकता है, जो कभी भी वापस आ सकती है। इसलिए हाल ही में संजय राउत ने भी आपातकाल को सही ठहराया। यह उनके अंदर समाया हुआ पाप है। हमें डर है कि यह बुराई फिर से उभर सकती है, इसलिए हर पीढ़ी को आपातकाल के अत्याचारों को याद रखना चाहिए और यह भी कि कैसे हमारे बुजुर्गों को जेल में डाला गया था।"
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आपातकाल के 50 साल : भाजपा मना रही संविधान हत्या दिवस

  • कहा- कांग्रेस की आज भी वही मानसिकता
नई दिल्ली। देश में इमरजेंसी के 50 साल पूरे हो गए हैं और इस दिन को भाजपा ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मना रही है। इमरजेंसी के 50 साल पूरे होने पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत कई नेताओं ने बयान दिया। उन्होंने इमरजेंसी को भारतीय लोकतंत्र का सबसे काला अध्याय बताया।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "‘आपातकाल’ कांग्रेस की सत्ता की भूख का ‘अन्यायकाल’ था। 25 जून 1975 को लगे आपातकाल में देशवासियों ने जो पीड़ा और यातना सही, उसे नई पीढ़ी जान सके, इसी उद्देश्य से मोदी सरकार ने इस दिन को ‘संविधान हत्या दिवस’ का नाम दिया। यह दिवस बताता है कि जब सत्ता तानाशाही बन जाती है, तो जनता उसे उखाड़ फेंकने की ताकत रखती है। आपातकाल कोई राष्ट्रीय आवश्यकता नहीं, बल्कि कांग्रेस और एक व्यक्ति की लोकतंत्र विरोधी मानसिकता का परिचायक था। प्रेस की स्वतंत्रता कुचली गई, न्यायपालिका के हाथ बांध दिए गए और सामाजिक कार्यकर्ताओं को जेल में डाला गया। देशवासियों ने ‘सिंहासन खाली करो’ का शंखनाद किया और तानाशाह कांग्रेस को उखाड़ फेंका। इस संघर्ष में बलिदान देने वाले सभी वीरों को भावपूर्ण श्रद्धांजलि।"
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक्स पर लिखा, "आज से 50 साल पहले भारतीय लोकतंत्र का आपातकाल के माध्यम से गला घोंटने का कुत्सित प्रयास किया गया था। आपातकाल को लोग आज भी भारतीय लोकतंत्र के सबसे काले अध्याय के रूप में याद रखते हैं। संविधान को दरकिनार करते हुए जिस तरीके से देश पर आपातकाल थोपा गया वह सत्ता के दुरुपयोग और तानाशाही का बहुत बड़ा उदाहरण है। तमाम विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया गया। ऐसी कोई संवैधानिक संस्था नहीं बची थी, जिसका गलत इस्तेमाल न किया गया हो। मगर इस देश में जो लोकतांत्रिक परंपराएं रही हैं, उनको चाह कर भी तत्कालीन सरकार मिटा नहीं पाई। आज भारत में लोकतंत्र जीवित है, इसके लिए आपातकाल में जिन्होंने भी संघर्ष किया, जेल काटी और यातनाएं सहीं, उन सभी का बहुत बड़ा योगदान है। भारत की आने वाली पीढ़ियां उनका योगदान कभी भुला नहीं सकतीं।"
उन्होंने आगे कहा, "प्रधानमंत्री मोदी ने 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ मनाने का निर्णय लिया है, ताकि हर देशवासी को स्मरण रहे कि तानाशाही कैसे लोकतंत्र की हत्या करने का प्रयास करती है।" भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा, "25 जून 1975 की आधी रात को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ‘आंतरिक अशांति’ का बहाना बनाकर भारत पर आपातकाल थोप कर देश के संविधान की हत्या कर दी थी। 50 वर्ष बाद भी कांग्रेस उसी मानसिकता के साथ चल रही है; उसकी नीयत आज भी वैसी ही तानाशाही वाली है।"
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इमरजेंसी के 50 साल पूरे होने पर कहा, "50 साल पहले कांग्रेस द्वारा किए गए अत्याचारों को हमारे प्रधानमंत्री ने याद किया है। उस समय लगाया गया आपातकाल हमारे लोकतंत्र का सबसे काला अध्याय है।"
भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने एक्स पर लिखा, "जब सत्ता डगमगाई, तो संविधान को कुचल दिया। अपने भविष्य के लिए, पूरे देश का वर्तमान बंधक बना लिया। लोकतंत्र की हत्या कर, अभिव्यक्ति को कैद किया और देश पर तानाशाही का अंधेरा थोप दिया। 25 जून, 1975 वो काला दिन जब 'मैं' का अहंकार 'हम' की आजादी पर भारी पड़ा। याद रखेगा भारत."

 

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PM मोदी ने 'द इमरजेंसी डायरीज' में बयां किया आपातकाल का अपना सफर

  • 1975 की इमरजेंसी के 50 साल
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में इमरजेंसी के 50 साल पूरे होने पर अपनी भूमिका से जुड़ी एक किताब को सोशल मीडिया पर साझा किया है। उन्होंने ‘द इमरजेंसी डायरीज’ में आपातकाल (1975-1977) के दौरान अपने सफर को साझा किया है।
पीएम मोदी ने 'एक्स' पर लिखा, "आपातकाल के दौरान मैं एक युवा आरएसएस प्रचारक था। आपातकाल विरोधी आंदोलन मेरे लिए एक बड़ा सीखने का अनुभव था। इसने हमारे लोकतांत्रिक ढांचे को संरक्षित रखने की महत्ता को और मजबूत किया। साथ ही, मुझे विभिन्न राजनीतिक विचारधाराओं के लोगों से बहुत कुछ सीखने का मौका मिला।"
उन्होंने कहा, "मुझे खुशी है कि ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन ने उन अनुभवों को एक किताब के रूप में संकलित किया है, जिसकी प्रस्तावना एचडी देवेगौड़ा ने लिखी है, जो स्वयं आपातकाल विरोधी आंदोलन के एक मजबूत नेता रहे हैं। ‘द इमरजेंसी डायरीज’ में मैंने आपातकाल (1975-1977) के दौरान के अपने सफर को साझा किया है। इसने उस समय की कई यादें ताजा कर दी। मैं उन सभी लोगों से आग्रह करता हूं, जिन्हें आपातकाल के वो काले दिन याद हैं या जिनके परिवारों ने उस समय कष्ट झेले, वे अपने अनुभव सोशल मीडिया पर साझा करें। इससे युवाओं में उस शर्मनाक दौर के बारे में जागरूकता बढ़ेगी।"
इस किताब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 25 जून 2024 को आपातकाल के काले दिनों को याद करते हुए दिए बयान का जिक्र किया गया है। इसमें कहा गया, "भारत की नई पीढ़ी को कभी नहीं भूलना चाहिए कि कैसे संविधान को पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया, उसे तार-तार किया गया और देश को एक जेल में बदल दिया गया, जहां लोकतंत्र को पूरी तरह कुचल दिया गया।"
इस किताब में आगे बताया गया, "1970 के दशक के मध्य में जब भारत आपातकाल की लोहे की जंजीरों में जकड़ा था, लोकतंत्र कैद में था। उस समय नरेंद्र मोदी, जो तब एक युवा संघ प्रचारक थे, कई अन्य प्रमुख नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ इंदिरा गांधी के तानाशाही शासन के खिलाफ खड़े होने वाले नेताओं की पहली पंक्ति में थे। यह पुस्तक भारतीय लोकतंत्र के सबसे अंधेरे दौर के दौरान उनके अनकहे अनुभवों को उजागर करती है। आपातकाल के दौरान पीएम मोदी का सफर सत्तावाद के खिलाफ संघर्ष की एक अनूठी, जमीनी कहानी प्रस्तुत करता है। उनकी गुप्त गतिविधियों, खतरों से बाल-बाल बचने, और लोकतंत्र को बहाल करने की अटूट प्रतिबद्धता को इस किताब में देखा जा सकता है, जो उस डर और दमन के माहौल में उनके कार्यों को दर्शाती है।"
यह भी बताया गया, "उनकी आत्मकथा ‘संघर्ष मा गुजरात’ और अन्य प्रत्यक्षदर्शी विवरणों के आधार पर यह पुस्तक भारत के इतिहास के एक महत्वपूर्ण क्षण को रोशनी में लाती है और उस नेता के जीवन के एक रचनात्मक अध्याय को सामने लाती है, जो आज विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के सर्वोच्च पद की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। यह कहानी है दृढ़ता, चतुराई और संविधान में निहित लोकतांत्रिक आदर्शों व संस्थानों को संरक्षित करने की अटल निष्ठा की। यह एक प्रमाण है कि कैसे मोदी जैसे मेहनती युवा कार्यकर्ताओं के नेतृत्व में जनता के संकल्प ने एक ऐसे आंदोलन को आकार दिया, जिसने राष्ट्र के भाग्य को बदल दिया।"
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लोकतंत्र का काला अध्याय है आपातकाल : PM नरेंद्र मोदी

  • इमरजेंसी के 50 साल पूरे होने पर बोले प्रधानमंत्री
नई दिल्ली। देश में इमरजेंसी के आज 50 साल पूरे हो गए हैं। आपातकाल के 50 साल पूरे होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिक्रिया आई है। उन्होंने इमरजेंसी के दौरान संघर्ष करने वालों को सलाम किया और कहा कि आपातकाल लोकतंत्र का काला अध्याय है।
पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "आज भारत के लोकतंत्र के सबसे अंधेरे अध्याय, आपातकाल की घोषणा के 50 साल पूरे हुए हैं। इस दिन को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाया जाता है। उस दिन भारतीय संविधान के मूल्यों को कुचला गया, मौलिक अधिकार छीन लिए गए, प्रेस की आजादी खत्म कर दी गई और कई राजनीतिक नेता, सामाजिक कार्यकर्ता, छात्र और आम नागरिक जेल में डाल दिए गए। ऐसा लगा मानो तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने लोकतंत्र को ही कैद कर लिया था।"
उन्होंने इमरजेंसी के दौरान संघर्ष करने वालों को नमन किया और कहा, "हम उन सभी लोगों को नमन करते हैं, जिन्होंने आपातकाल के खिलाफ डटकर संघर्ष किया। ये लोग देश के हर कोने से, हर वर्ग से, अलग-अलग विचारधाराओं से थे, जिन्होंने एक ही लक्ष्य के लिए साथ मिलकर काम किया- भारत के लोकतांत्रिक ताने-बाने की रक्षा और स्वतंत्रता सेनानियों के आदर्शों को बचाना। उनके सामूहिक संघर्ष ने सुनिश्चित किया कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार को लोकतंत्र बहाल करना पड़ा और नए चुनाव कराने पड़े, जिसमें उन्हें करारी हार मिली।"
प्रधानमंत्री ने आगे कहा, "हम अपने संविधान के सिद्धांतों को मजबूत करने और विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए एक साथ काम करने की प्रतिबद्धता दोहराते हैं। हम नई ऊंचाइयों को छुएं और गरीबों व वंचितों के सपनों को पूरा करें।"
इसके अलावा, केंद्रीय मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने कहा, "25 जून 1975 की मध्य रात्रि को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 'आंतरिक अशांति' के बहाने भारत पर आपातकाल लगाया, जिससे देश के संविधान की हत्या हुई। 50 साल बाद भी कांग्रेस उसी मानसिकता के साथ चल रही है, उसके इरादे अभी भी पहले की तरह तानाशाही हैं।"

 

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नेहा हत्याकांड का खुलासा, बुर्का में तौफीक था, छत से दिया था धक्का

दिल्ली। उत्तर पूर्वी दिल्ली के थाना ज्योति नगर इलाके में 19 वर्षीय युवती नेहा की दर्दनाक हत्या के मामले में बड़ा अपडेट सामने आया है. नेहा को कथित रूप से बुर्का पहनकर बिल्डिंग में दाखिल हुए तौफीक नाम के युवक ने छत से नीचे फेंक दिया था, जिससे इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. अब पुलिस ने आरोपी तौफीक को उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले के टांडा से गिरफ्तार कर लिया है.
पुलिस के मुताबिक, 23 जून सुबह करीब 8:30 बजे सूचना मिली कि अशोक नगर इलाके में एक लड़की छत से गिर गई है. मौके पर पहुंची पुलिस टीम को बताया गया कि घायल युवती को उसके पिता जीटीबी अस्पताल ले गए हैं. बाद में जांच के दौरान सामने आया कि 19 वर्षीय नेहा को जानबूझकर छत से धक्का दिया गया था. परिजनों और चश्मदीदों के बयान के आधार पर पता चला कि तौफीक बुर्का पहनकर नेहा के घर की बिल्डिंग में दाखिल हुआ था, और छत पर दोनों के बीच किसी बात को लेकर झगड़ा हुआ, जिसके बाद उसने नेहा को नीचे फेंक दिया.
थाना ज्योति नगर पुलिस ने मामले में तत्काल संज्ञान लेते हुए भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 109(1)/351(2) के तहत मामला दर्ज किया. सीसीटीवी फुटेज, फोन कॉल रिकॉर्ड, और अन्य तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर तौफीक की पहचान की गई. इसके बाद दिल्ली पुलिस की कई टीमें लगाई गईं और आरोपी को रामपुर के टांडा से गिरफ्तार कर लिया गया. पुलिस का कहना है कि तौफीक से पूछताछ की जा रही है और यह जानने की कोशिश की जा रही है कि घटना की पूर्व नियोजित साजिश थी या आपसी बहस में यह कदम उठाया गया. नेहा की मौत ने इलाके में गुस्से और आक्रोश की लहर पैदा कर दी है. स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया है कि आरोपी पहले से नेहा को परेशान कर रहा था और पहले भी धमकियां दी थीं.
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भारत ने पहली बार वैश्विक सतत विकास लक्ष्य रैंकिंग में शीर्ष 100 देशों में जगह बनाई

नई दिल्ली। भारत ने पहली बार वैश्विक सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) रैंकिंग में शीर्ष 100 देशों में जगह बनाई है। मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने में प्रगति के लिए मूल्यांकन किए गए 167 देशों में भारत ने स्थान प्राप्त किया है। संयुक्त राष्ट्र सतत विकास समाधान नेटवर्क की 10वीं और नवीनतम सतत विकास रिपोर्ट (एसडीआर) के अनुसार, भारत 2025 एसडीजी सूचकांक में 67 अंकों के साथ 99वें स्थान पर है, जबकि चीन 74.4 अंकों के साथ 49वें और अमेरिका 75.2 अंकों के साथ 44वें स्थान पर है। भारत 2024 में 109वें, 2023 में 112वें, 2022 में 121वें, 2021 में 120वें, 2020 में 117वें, 2019 में 115वें, 2018 में 112वें और 2017 में 116वें स्थान पर था।
भारत के पड़ोसियों में, भूटान 70.5 अंकों के साथ 74वें स्थान पर है, नेपाल 68.6 अंकों के साथ 85वें स्थान पर है, बांग्लादेश 63.9 अंकों के साथ 114वें और पाकिस्तान 57 अंकों के साथ 140वें स्थान पर है। भारत के समुद्री पड़ोसी, मालदीव और श्रीलंका क्रमशः 53वें और 93वें स्थान पर रहे। एसजीडी को 2015 में इस विचार के साथ अपनाया गया था कि ग्रह को बचाने के लिए, 2030 तक समग्र विकास मैट्रिक्स में किसी को भी पीछे नहीं छोड़ा जाना चाहिए। स्कोर 0 से 100 के पैमाने पर प्रगति को मापता है, जहाँ 100 यह दर्शाता है कि किसी देश ने सभी 17 लक्ष्य हासिल कर लिए हैं और 0 का मतलब है कि कोई प्रगति नहीं हुई है।
रिपोर्ट के लेखकों ने संकेत दिया कि वैश्विक स्तर पर एसडीजी प्रगति रुक ​​गई है, जहाँ 2030 तक 17 लक्ष्यों में से केवल 17 प्रतिशत ही हासिल किए जाने का अनुमान है। विश्व प्रसिद्ध अर्थशास्त्री जेफरी सैक्स द्वारा इसके मुख्य लेखक के रूप में रिपोर्ट में कहा गया है, "संघर्ष, संरचनात्मक कमज़ोरियाँ और सीमित राजकोषीय स्थान दुनिया के कई हिस्सों में एसडीजी प्रगति में बाधा डालते हैं।" यूरोपीय देश, विशेष रूप से नॉर्डिक राष्ट्र, एसडीजी सूचकांक में शीर्ष पर बने हुए हैं, जिसमें फिनलैंड पहले, स्वीडन दूसरे और डेनमार्क तीसरे स्थान पर है। शीर्ष 20 देशों में से 19 यूरोप में हैं।
फिर भी इन देशों को जलवायु और जैव विविधता से संबंधित कम से कम दो लक्ष्यों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिसका मुख्य कारण अस्थिर उपभोग है, लेखकों ने कहा। पूर्वी और दक्षिण एशिया ने 2015 से एसडीजी प्रगति के मामले में अन्य सभी वैश्विक क्षेत्रों से बेहतर प्रदर्शन किया है, जिसका मुख्य कारण तेज़ सामाजिक-आर्थिक विकास है। पूर्वी और दक्षिण एशिया के जिन देशों ने 2015 से सबसे तेज़ प्रगति (अंकों में) दिखाई है, उनमें नेपाल (+11.1), कंबोडिया (+10), फिलीपींस (+8.6), बांग्लादेश (+8.3) और मंगोलिया (+7.7) शामिल हैं। अपने समकक्षों के बीच तेज़ प्रगति दिखाने वाले अन्य देशों में बेनिन (+14.5), पेरू (+8.7), संयुक्त अरब अमीरात (+9.9), उज्बेकिस्तान (+12.1), कोस्टा रिका (+7) और सऊदी अरब (+8.1) शामिल हैं।
हालाँकि दुनिया भर में केवल 17 प्रतिशत लक्ष्य ही प्राप्त किए जा सके हैं, लेकिन अधिकांश संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों ने बुनियादी सेवाओं और बुनियादी ढाँचे तक पहुँच से संबंधित लक्ष्यों पर मजबूत प्रगति की है, जिसमें मोबाइल ब्रॉडबैंड उपयोग (एसडीजी 9), बिजली तक पहुँच (एसडीजी 7), इंटरनेट उपयोग (एसडीजी 9), पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर (एसडीजी 3) और नवजात मृत्यु दर (एसडीजी 3) शामिल हैं।
पाँच लक्ष्य 2015 से प्रगति में महत्वपूर्ण उलटफेर दिखाते हैं। ये हैं मोटापा दर (एसडीजी 2), प्रेस स्वतंत्रता (एसडीजी 16), संधारणीय नाइट्रोजन प्रबंधन (एसडीजी 2), रेड लिस्ट इंडेक्स (एसडीजी 15) और भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक (एसडीजी 16)। रिपोर्ट में कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र बहुपक्षवाद के लिए सबसे अधिक प्रतिबद्ध शीर्ष तीन देश बारबाडोस (1), जमैका (2) और त्रिनिदाद और टोबैगो (3) हैं। जी20 देशों में, ब्राज़ील (25) सर्वोच्च स्थान पर है, जबकि चिली (7) ओईसीडी देशों में सबसे आगे है।
संयुक्त राज्य अमेरिका, जिसने हाल ही में पेरिस जलवायु समझौते और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से खुद को अलग कर लिया है और औपचारिक रूप से SDG और 2030 एजेंडा के प्रति अपना विरोध व्यक्त किया है, लगातार दूसरे वर्ष सबसे निचले पायदान (193वें) पर है। यह रिपोर्ट, जो स्पेन के सेविले (30 जून-3 जुलाई) में विकास के लिए वित्तपोषण पर चौथे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (FfD4) से पहले आई है, ने कहा कि वैश्विक वित्तीय संरचना (GFA) टूट गई है। "पैसा आसानी से अमीर देशों में जाता है, न कि उभरती और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं (EMDE) में, जो उच्च विकास क्षमता और रिटर्न की दरें प्रदान करते हैं। FfD4 के एजेंडे में सबसे ऊपर GFA में सुधार की आवश्यकता है ताकि EMDE में पूंजी का प्रवाह कहीं अधिक मात्रा में हो सके," इसमें कहा गया है।
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इलेक्शन कमीशन ने राहुल गांधी को दिया चर्चा का निमंत्रण

  • कहा- "सभी मुद्दों पर चर्चा करने के लिए तैयार आयोग"
नई दिल्ली। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल द्वारा महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 पर चर्चा की मांग का चुनाव आयोग ने जवाब दिया है। उन्होंने राहुल गांधी को चुनाव आयोग के साथ बातचीत के लिए निमंत्रित किया है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग आपसे व्यक्तिगत रूप से मिलने और सभी मुद्दों पर चर्चा करने के लिए भी तैयार है।
भारत निर्वाचन आयोग सचिवालय ने कहा, "पिछले साल हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों पर एक अखबार में प्रकाशित आपके लेख के मद्देनजर मुझे यह बताने का निर्देश दिया गया है कि नवंबर 2024 में विधानसभा चुनावों के बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) की ओर से इसी तरह के मुद्दे उठाए गए थे। आयोग ने 24 दिसंबर 2024 को आईएनसी को एक विस्तृत जवाब दिया था, जिसकी प्रति ईसीआई की वेबसाइट पर उपलब्ध है।"
इसमें आगे कहा गया, "सभी चुनाव भारत के निर्वाचन आयोग द्वारा संसद द्वारा पारित निर्वाचन कानूनों, उनमें बनाए गए नियमों और समय-समय पर जारी किए गए आयोग के निर्देशों के अनुसार सख्ती से आयोजित किए जाते हैं। जैसा कि आप जानते हैं कि पूरी चुनाव प्रक्रिया विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र स्तर पर विकेंद्रीकृत तरीके से आयोजित की जाती है, जिसमें महाराष्ट्र भर में 1,00,186 से अधिक बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ), 288 निर्वाचक रजिस्ट्रेशन ऑफिसर (ईआरओ), 139 सामान्य पर्यवेक्षक, 41 पुलिस पर्यवेक्षक, 71 व्यय पर्यवेक्षक, 288 रिटर्निंग ऑफिसर (आरओ) जो आयोग द्वारा नियुक्त किए गए थे और राष्ट्रीय एवं राज्य राजनीतिक दलों द्वारा नियुक्त 1,08,026 बूथ लेवल एजेंट (बीएलए), जिनमें आईएनसी के 28,421 एजेंट शामिल थे- ने इसमें भाग लिया था।"
उन्होंने कहा, "हम मानते हैं कि चुनाव के संचालन से संबंधित कोई भी मुद्दा आईएनसी के उम्मीदवारों की ओर से सक्षम न्यायालय में चुनाव याचिकाओं के माध्यम से पहले ही उठाया गया होगा। फिर भी अगर आपके पास अभी भी कोई मुद्दे हैं, तो आप हमें लिख सकते हैं। आयोग आपसे व्यक्तिगत रूप से मिलने और सभी मुद्दों पर चर्चा करने के लिए भी तैयार है। इसके लिए आप सुविधाजनक तारीख और समय चुनाव आयोग के ईमेल के माध्यम से सूचित कर सकते हैं।"
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भारतीयों का खून बहाने वालों के लिए कोई भी ठिकाना सुरक्षित नहीं, 22 मिनट में ही दुश्मन ने टेके घुटने : पीएम मोदी

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि आज का भारत देशहित में जो सही है, उसके हिसाब से कदम उठाता है। पीएम मोदी मंगलवार को दिल्ली में आयोजित श्रीनारायण गुरु और महात्मा गांधी के बीच ऐतिहासिक बातचीत की शताब्दी समारोह बैठक में शामिल हुए। प्रधानमंत्री ने मंच से सशक्त होते भारत के जज्बे को सलाम किया। साथ ही ऑपरेशन सिंदूर का भी जिक्र किया। कहा कि 22 मिनट में ही हमने दुश्मन को घुटने पर ला दिया।
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत तेजी से दुनिया की तीसरी अर्थव्यवस्था बनने की ओर बढ़ रहा है। हाल में दुनिया ने देखा है कि भारत का सामर्थ्य क्या है। ऑपरेशन सिंदूर से भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी कठोर नीति को दुनिया के सामने स्पष्ट कर दिया है। हमने दिखा दिया है कि भारतीयों का खून बहाने वाले आतंकवादियों के लिए कोई भी ठिकाना सुरक्षित नहीं है।
प्रधानमंत्री मोदी ने 'मेड इन इंडिया' हथियारों की प्रशंसा करते हुए कहा, "आज का भारत देशहित में कदम उठाता है। आज सैन्य जरूरतों के लिए भी भारत की विदेशों पर निर्भरता लगातार कम हो रही है। हम डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भर हो रहे हैं, जिसका प्रभाव हमने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान देखा है। हमारी सेनाओं ने भारत में बने हथियारों से दुश्मन को 22 मिनट में घुटने टेकने के लिए मजबूर कर दिया। मुझे विश्वास है कि आने वाले समय में 'मेड इन इंडिया' हथियारों का डंका पूरी दुनिया में बजेगा।"
कार्यक्रम में पीएम मोदी ने कहा, "देश के संकल्पों को पूरा करने के लिए हमें श्रीनारायण गुरु की शिक्षाओं को जन-जन तक पहुंचाना है। इसके लिए सरकार भी सक्रियता के साथ काम कर रही है। हम शिवगिरी सर्कल का निर्माण करके श्रीनारायण गुरु से जुड़े तीर्थ स्थानों को जोड़ रहे हैं। मुझे विश्वास है कि उनके आशीर्वाद और उनकी शिक्षाएं अमृतकाल की यात्रा में रास्ता दिखाती रहेंगी। हम सब एक साथ मिलकर विकसित भारत के सपने को पूरा करेंगे।
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शंघाई सहयोग संगठन बैठक में शामिल होंगे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

  • कई मुद्दों पर चर्चा संभव
नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 25-26 जून को चीन के किंगदाओ में होने वाली शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) बैठक में शामिल होंगे। शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय शांति, सुरक्षा, आतंकवाद के खिलाफ सहयोग और एससीओ सदस्य देशों के रक्षा मंत्रालयों के बीच सहयोग जैसे मुद्दों पर चर्चा की उम्मीद है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भारत के वैश्विक शांति और सुरक्षा के दृष्टिकोण को प्रस्तुत करेंगे, आतंकवाद और उग्रवाद को खत्म करने के लिए संयुक्त प्रयासों का आह्वान करेंगे और एससीओ के भीतर व्यापार, आर्थिक सहयोग और संपर्क बढ़ाने पर जोर देंगे। वह चीन और रूस सहित कुछ देशों के रक्षा मंत्रियों के साथ द्विपक्षीय वार्ता भी करेंगे।
रक्षा मंत्री कार्यालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट शेयर कर शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया, "रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 25 से 26 जून, 2025 तक चीन के किंगदाओ में आयोजित होने वाली शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) रक्षा मंत्रियों की बैठक में एक उच्च स्तरीय भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे।"
भारत एससीओ को क्षेत्र में बहुपक्षीय सहयोग, राजनीतिक, सुरक्षा, आर्थिक और लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने के लिए महत्व देता है। एससीओ की नीति संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता, आंतरिक मामलों में गैर-हस्तक्षेप, आपसी सम्मान और समानता के सिद्धांतों पर आधारित है।
एससीओ एक अंतर-सरकारी संगठन है, जिसकी स्थापना 2001 में हुई थी। भारत 2017 में पूर्ण सदस्य बना और 2023 में इसकी अध्यक्षता संभाली। एससीओ के सदस्यों में कजाकिस्तान, चीन, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, ईरान, बेलारूस और भारत शामिल हैं। चीन ने ‘शंघाई भावना को कायम रखना: एससीओ आगे बढ़ रहा है’ थीम के तहत 2025 के लिए एससीओ की अध्यक्षता संभाली है। शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) का आयोजन ऐसे समय में हो रहा है, जब भारत-पाकिस्तान, रूस-यूक्रेन और इजरायल-ईरान के बीच तनाव की स्थिति देखने को मिली है।
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ऑपरेशन सिंधु : इजरायल से 165 भारतीय नागरिकों को लेकर दिल्ली पहुंचा एक और विमान

नई दिल्ली। 'ऑपरेशन सिंधु' के तहत इजरायल से 165 भारतीय नागरिकों को लेकर विशेष विमान दिल्ली के पालम एयरफोर्स स्टेशन पर उतरा। ईरान और इजरायल संघर्ष के बीच भारत की प्राथमिकता अपने नागरिकों की सुरक्षा और सुरक्षित घर वापसी थी। इसी मकसद से भारत सरकार ने 'ऑपरेशन सिंधु' चलाया। सरकार ने 23 जून से इजरायल से भारतीयों को निकालने का अभियान शुरू किया। मंगलवार को दो बैच में 300 से ज्यादा भारतीय नागरिकों को इजरायल से निकाला गया है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने 'एक्स' के जरिए जानकारी दी कि इजराइल से 165 भारतीय नागरिकों को लेकर एक विमान दिल्ली पहुंचा है। रंधीर जायसवाल ने लिखा, "ऑपरेशन सिंधु के तहत भारतीय वायुसेना के सी-17 विमान ने 165 भारतीय नागरिकों को इजरायल से निकाला। दिल्ली पहुंचने पर इन भारतीयों का विदेश राज्य मंत्री एल मुरुगन ने स्वागत किया।"
इजरायल से निकाले गए भारतीयों का ये दूसरा बैच था। इसके पहले सुबह करीब 8.20 बजे एक विशेष विमान दिल्ली में उतरा, जिसमें 161 भारतीय नागरिक थे। इन लोगों को इजरायल से निकालकर लाया गया। रंधीर जायसवाल के मुताबिक, इजरायल से इन भारतीयों को जॉर्डन के अम्मान शहर ले जाया गया। वहां से दिल्ली के लिए विशेष विमान 161 नागरिकों को लेकर रवाना हुआ।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने जानकारी दी कि पहले जत्थे में आए भारतीय नागरिकों का दिल्ली में विदेश राज्य मंत्री पाबित्रा मार्गेरिटा ने स्वागत किया। उन्होंने कहा कि विदेश में भारतीय नागरिकों की सुरक्षा सरकार के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता बनी हुई है।
इसके पहले भारत ने ईरान से अपने नागरिकों को निकाला। 'ऑपरेशन सिंधु' के तहत भारत अब तक 1700 से अधिक नागरिकों को युद्धग्रस्त ईरान से सुरक्षित वापस ला चुका है। ईरान से लौटने वाले नागरिकों में काफी संख्या में छात्र शामिल थे। सुरक्षित भारत वापसी पर इन लोगों ने सरकार को धन्यवाद दिया।
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मुंबई से सूरत तक बारिश का कहर, सड़कों पर जलभराव

  • रायगढ़ में खतरे के निशान को पार हुई कुंडलिका नदी
मुंबई/सूरत/रायगढ़। महाराष्ट्र और गुजरात में मूसलाधार बारिश ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है। मुंबई से सूरत और रायगढ़ तक बारिश के कारण लोगों को जलभराव और जाम जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
गुजरात के सूरत में पिछले दो दिनों से लगातार हो रही भारी बारिश ने आम जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित कर दिया है। पूना पर्वत गाम, वराछा, कपोदरा, कटारगाम, वेद रोड और जहांगीर पुरा जैसे निचले इलाकों में भारी जलभराव की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। हालात यह हैं कि सड़कें पानी से भरे तालाबों में तब्दील हो गई हैं, जिस वजह से लोगों को परेशानी उठानी पड़ रही है।
इतना ही नहीं, सूरत के बारडोली इलाके में स्थित आशापुरी मंदिर के पास जलभराव हो गया है, जिससे लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। इसके अलावा, दीपनगर इलाके में घरों और दुकानों में बारिश का पानी भर गया है।
इसके अलावा, गुजरात के तापी जिले में मंगलवार सुबह से हो रही भारी बारिश से व्यारा, वालोद, बाजीपुरा और सोनगढ़ जैसे इलाके प्रभावित हुए हैं। वालोद के पास कलमकुई और वांस्कुई-माधी के बीच सड़क पर नाले का पानी आ गया है, जिससे स्थानीय निवासियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
वहीं, महाराष्ट्र के मुंबई में समुद्र में ऊंची लहरें उठ रही हैं। मुंबई में हाई टाइड को लेकर अलर्ट भी जारी किया गया है। इसके अलावा, महाराष्ट्र के रायगढ़ में पिछले दो दिनों से हो रही भारी बारिश के कारण कुंडलिका नदी का जलस्तर भी बढ़ गया है। कुंडलिका नदी चेतावनी स्तर के निशान को पार कर गई है। बताया जा रहा है कि उन्नई बांध के दो गेट को खोल दिया गया है, जिस वजह से कुंडलिका नदी के जलस्तर में बढ़ोत्तरी हुई है। सुरक्षा के मद्देनजर कुंडलिका नदी पर बने पुराने और कम ऊंचाई वाले पुल को यातायात के लिए बंद कर दिया गया है। एहतियात के तौर पर पुलिस प्रशासन और स्थानीय तहसील प्रशासन इस क्षेत्र पर कड़ी नजर रख रहा है।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मोदी ने श्रीनारायण गुरु को किया नमन

  • बोले- देश भेदभाव की हर गुंजाइश कर रहा खत्म
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीनारायण गुरु को नमन किया है। नई दिल्ली के विज्ञान भवन में श्रीनारायण गुरु और महात्मा गांधी के बीच ऐतिहासिक बातचीत की शताब्दी समारोह बैठक आयोजित की गई है, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी शामिल हुए। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं श्रीनारायण गुरु को नमन करता हूं और महात्मा गांधी को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।
अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि हम एक ऐतिहासिक घटना को याद कर रहे हैं, जिसने न सिर्फ हमारे स्वतंत्रता आंदोलन को एक नई दिशा दी, बल्कि एक स्वतंत्र भारत के सपने को भी गति दी। उन्होंने कहा कि 100 साल पहले श्री नारायण गुरु और महात्मा गांधी के बीच हुई मुलाकात आज भी बहुत प्रेरणादायक है। यह उस समय बहुत महत्वपूर्ण क्षण था। आज भी यह एक स्वतंत्र और विकसित भारत के सपने को ऊर्जा प्रदान करता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की विशेषता है कि हमारा देश जब भी मुश्किलों के भंवर में फंसता है तो कोई न कोई महान विभूति देश के किसी कोने में जन्म लेकर समाज को नई दिशा दिखाता है। कोई समाज के आध्यात्मिक उत्थान के लिए काम करता है तो कोई सामाजिक क्षेत्र में समाज सुधारों को गति देता है। श्रीनारायण गुरु ऐसे ही महान संत थे।
पीएम मोदी ने कहा, "श्री नारायण गुरु के आदर्श पूरी मानवता के लिए बहुत बड़ी पूंजी हैं। जो लोग देश और समाज की सेवा के लिए संकल्प पर काम करते हैं, श्री नारायण गुरु उनके लिए प्रकाश स्तंभ की तरह हैं।" प्रधानमंत्री ने कहा, "श्री नारायण गुरु ने एक ऐसे समाज की परिकल्पना की थी, जो भेदभाव से मुक्त हो। मुझे संतोष है कि आज देश सैचुरेशन अप्रोच पर चलते हुए भेदभाव की हर गुंजाइश को खत्म कर रहा है।"
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि शिवगिरी मठ और पूज्य संतों से जुड़े लोग जानते हैं कि मैं श्रीनारायण गुरु और शिवगिरी मठ के प्रति कितना समर्पित हूं। मैं खुद को सच में सौभाग्यशाली मानता हूं कि शिवगिरी मठ हमेशा मेरे साथ खड़ा रहा है। ये बहुत बड़ी कृपा है कि मठ के संतों ने हमेशा मुझ पर प्यार और स्नेह बरसाया है।
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गल्फ एयरस्पेस बंद होने का असर, चेन्नई से आने-जाने वालीं 11 उड़ानें रद्द

  • यात्रियों को अलर्ट : यात्रा से पहले एयरलाइंस से अपडेट लें
चेन्नई। मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव ने अंतरराष्ट्रीय हवाई यात्रा को प्रभावित किया है। कतर, यूएई और बहरीन के हवाई क्षेत्र बंद होने से चेन्नई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उड़ानें रद्द हुई हैं। ईरान के अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर मिसाइल हमलों और अमेरिका के ईरानी परमाणु ठिकानों पर हवाई हमलों का सीधा असर हवाई सेवा पर पड़ा है। मंगलवार को ही चेन्नई हवाई अड्डे पर 11 अंतरराष्ट्रीय उड़ानें रद्द की गईं, जिनमें 6 प्रस्थान (डिपार्चर) और 5 आगमन (अराइवल) करने वाली फ्लाइट शामिल हैं।
इनमें कुवैत, मस्कट, अबू धाबी (2) और दोहा (2) की उड़ानें थीं, जो इंडिगो और कतर एयरवेज द्वारा संचालित थीं। दोहा (2), कुवैत (2) और अबू धाबी से आने वाली कतर एयरवेज, इंडिगो और एयर इंडिया एक्सप्रेस की उड़ानें भी रद्द हुई हैं।
एयरपोर्ट अधिकारियों ने कहा कि अगर क्षेत्रीय तनाव जारी रहा तो उड़ानों को आगे भी रद्द किया जा सकता है। यात्रियों को सलाह दी गई है कि प्रभावित देशों की यात्रा से पहले अपनी एयरलाइंस से नवीनतम अपडेट लें।
इसके अलावा, थाईलैंड से दोहा जा रही कतर एयरवेज की तीन उड़ानें कतर के हवाई क्षेत्र में प्रवेश न दिए जाने के कारण मंगलवार तड़के 2 बजे चेन्नई में उतरने को मजबूर हुईं। लंदन, दुबई, बहरीन, अबू धाबी, शारजाह और सिंगापुर सहित प्रमुख अंतरराष्ट्रीय गंतव्यों के लिए उड़ानों को हवाई क्षेत्र प्रतिबंधों के कारण देरी का सामना करना पड़ा।
ईरान और इजरायल में बढ़ते तनाव और अमेरिकी हवाई हमलों के बाद सुरक्षा की दृष्टि से हवाई क्षेत्र बंद किए गए हैं। तनाव बढ़ने और उड़ान मार्गों के प्रभावित होने के कारण चेन्नई हवाई अड्डा हाई अलर्ट पर है और स्थिति पर नजर रख रहा है। यात्रियों की असुविधा कम करने के लिए एयरलाइंस और नियामक एजेंसियों के साथ समन्वय कर रहा है।
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इंडिगो ने मिडिल ईस्ट में फिर से उड़ानें शुरू करने का किया ऐलान

नई दिल्ली। इंडिगो एयरलाइंस ने अस्थायी निलंबन के बाद मिडिल ईस्ट के लिए सावधानीपूर्वक उड़ान संचालन को फिर से शुरू कर दिया है। मिडिल ईस्ट के देश ईरान और इजरायल में तनाव के बीच इंडिगो ने मंगलवार को उड़ान शुरू करने की घोषणा की। सोशल मीडिया के जरिए इसकी जानकारी दी गई।
इंडिगो एयरलाइंस ने मंगलवार को घोषणा की कि वो मध्य पूर्व में बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव के कारण अस्थायी निलंबन के बाद सावधानीपूर्वक उड़ान संचालन फिर से शुरू कर रही है।
इंडिगो एयरलाइन ने 'एक्स' पर मंगलवार को ट्रैवल एडवाइजरी जारी की। 'एक्स' पर एयरलाइन ने लिखा, "मिडिल ईस्ट में एयरपोर्ट्स धीरे-धीरे फिर से खुल रहे हैं। हम सावधानीपूर्वक और चरणबद्ध तरीके से इन मार्गों पर अपनी उड़ानों का संचालन फिर से शुरू कर रहे हैं। हम स्थिति पर लगातार नजर रख रहे हैं। यात्रियों की सुरक्षित और सहज यात्रा सुनिश्चित करने के लिए सबसे सुरक्षित उड़ान मार्गों पर विचार कर रहे हैं। कृपया हमारे मोबाइल ऐप या वेबसाइट के माध्यम से अपडेट लेते रहें। आपके निरंतर सहयोग और विश्वास के लिए धन्यवाद।"
यह घोषणा उस बयान के कुछ घंटों बाद आई है, जिसमें एयरलाइन ने एहतियातन कई प्रमुख मार्गों पर उड़ानें अस्थायी रूप से रोक दी थीं। एयरलाइन की ओर से सक्रिय सुरक्षा उपाय के रूप में कई प्रमुख मार्गों को निलंबित करने के कुछ ही घंटों बाद ये घोषणा की गई। इसके पहले इंडिगो ने एक पोस्ट में लिखा था, "मिडिल ईस्ट की वर्तमान स्थिति को देखते हुए दुबई, दोहा, बहरीन, दम्माम, अबू धाबी, कुवैत, मदीना, फुजैरा, जेद्दा, मस्कट, शारजाह, रियाद, रस अल-खैमा और त्बिलिसी के लिए हमारी उड़ानें सुबह 10 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई हैं। हम समझते हैं कि इससे आपकी यात्रा योजनाओं पर असर पड़ सकता है और इसके लिए हमें खेद है। कृपया आश्वस्त रहें कि ये निर्णय आपकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।"
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मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने की सीएम योगी से मुलाकात

रायपुर। देवों के अधिदेव भगवान शंकर की पावन नगरी काशी में स्थित ‘काशी के कोतवाल’ श्री काल भैरव जी महाराज के दिव्य मंदिर में आज मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने पूजा अर्चना कर प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि और देश के कल्याण हेतु प्रार्थना की।
इस पावन अवसर पर मुख्यमंत्री साय ने बाबा काल भैरव की विधिवत आराधना की और संपूर्ण राष्ट्र के लिए मंगलकामना की। उन्होंने कहा कि बाबा भैरवनाथ की कृपा समस्त देशवासियों पर निरंतर बनी रहे, यही मेरी प्रार्थना है। उन्होंने देश के नागरिकों के जीवन में सुरक्षा, समृद्धि और कल्याण के प्रकाश के निरंतर प्रवाह की कामना भी की।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने विशेष रूप से छत्तीसगढ़ राज्य की शांति, विकास और जनकल्याण की दिशा में अग्रसर यात्रा के लिए बाबा काल भैरव जी से आशीर्वाद प्राप्त किया। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि ईश्वर की कृपा से प्रदेश और देश में सुशासन और समृद्धि का मार्ग और अधिक सुदृढ़ होगा।
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गुजरात-पंजाब में "आप" की जीत से गदगद हुए केजरीवाल

  • कहा- जनता ने भाजपा और कांग्रेस को नकारा
नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा के हाथों करारी हार झेलने के बाद आम आदमी पार्टी (आप) ने भाजपा के गढ़ गुजरात में विसावदर विधानसभा सीट पर जीत हासिल की है। इस सीट पर हुए उपचुनाव में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवाद गोपाल इटालिया जीत गए हैं। वहीं, पंजाब के लुधियाना वेस्ट सीट से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार संजीव अरोड़ा ने जीत हासिल की है। इन दोनों सीट पर मिली जीत से आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल गदगद हैं। उन्होंने कहा कि इन दोनों सीट पर जनता ने भाजपा और कांग्रेस को नकार दिया है।
केजरीवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया। पोस्ट में उन्होंने लिखा, “गुजरात की विसावदर और पंजाब की लुधियाना पश्चिम सीटों पर आम आदमी पार्टी की शानदार जीत पर आप सबको बहुत बहुत बधाई। गुजरात और पंजाब के लोगों को बहुत बधाई और बहुत बहुत शुक्रिया। दोनों जगह पिछले चुनाव के मुकाबले लगभग दोगुने मार्जिन से जीत हुई है। ये दिखाता है कि पंजाब के लोग हमारी सरकार के कामों से बहुत ख़ुश हैं और उन्होंने 2022 से भी ज़्यादा वोट दिया है। गुजरात की जनता अब बीजेपी से परेशान हो चुकी है और उन्हें आम आदमी पार्टी में उम्मीद दिखाई दे रही है। दोनों जगह कांग्रेस और बीजेपी, दोनों पार्टियां मिलकर चुनाव लड़ीं। इन दोनों का एक ही मकसद था -“आप” को हराना। लेकिन लोगों ने दोनों जगह इन दोनों पार्टियों को नकार दिया।“
वहीं, पंजाब के लुधियाना वेस्ट सीट से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार संजीव अरोड़ा की जीत पर पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने खुशी जाहिर की।
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया। पोस्ट में उन्होंने लिखा, “विधानसभा हलका लुधियाना पश्चिमी उपचुनाव में आम आदमी पार्टी की शानदार जीत पर सभी को बहुत-बहुत बधाइयां। बड़ी लीड से मिली यह जीत इस बात का साफ संकेत है कि राज्य के लोग हमारी सरकार के कामों से बेहद खुश है। हम पंजाब की तरक्की और खुशहाली के लिए दिन-रात बिना किसी भेदभाव और पूरी ईमानदारी से काम कर रहे हैं। उपचुनाव के दौरान पंजाबियों से किए गए हर एक वादे को हम प्राथमिकता के आधार पर पूरा करेंगे। संजीव अरोड़ा को बहुत-बहुत मुबारकबाद। साथ ही, इस जीत के लिए दिन-रात मेहनत करने वाली पूरी लीडरशिप और वॉलंटियर्स की टीम को भी बहुत-बहुत बधाई।“
आप के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया ने कहा कि गुजरात और पंजाब के कार्यकर्ता को बधाई देता हूं। गुजरात की जीत पार्टी के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है। हमारे विधायक जनता के मुद्दों को विधानसभा में मजबूती के साथ उठाएंगे। संजीव अरोड़ा पंजाब की विधानसभा में पहुंचे हैं। भगवंत मान की सरकार तीन साल से अच्छा कार्य कर रही है। विधानसभा उपचुनाव में जनता ने अपने वोट की मुहर लगाई है। राज्यसभा सीट खाली होने पर सिसोदिया ने कहा कि पार्टी जब तय करेगी तब बताया जाएगा कि कौन राज्यसभा जाएगा।
गुजरात विसावदर उपचुनाव में ‘आप’ की जीत पर पार्टी के वरिष्ठ नेता गोपाल राय ने कहा कि वहां के किसानों और लोगों ने स्पष्ट संदेश दिया है कि वे मौजूदा राजनीति के खिलाफ हैं। विसावदर का परिणाम पूरे गुजरात में बदलाव का संकेत देता है और यह जीत निस्संदेह ऐतिहासिक है। इसमें शामिल सभी लोगों को बधाई।
आप के वरिष्ठ नेता सौरभ भारद्वाज ने लुधियाना वेस्ट सीट से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार संजीव अरोड़ा की जीत पर कहा कि संजीव अरोड़ा काफी प्रसिद्ध थे। उनकी जीत से एक राज्यसभा सीट खाली होगी। भारद्वाज ने कहा कि इसे ऐसा नहीं देखा जाना चाहिए कि राज्यसभा सीट खाली कराने के लिए उन्हें चुनाव लड़वाया गया। सीट खाली हुई है तो आने वाले दिनों में साफ हो जाएगा कि पार्टी किसे राज्यसभा भेजेगी।
पार्टी के वरिष्ठ नेता संजीव झा ने कहा कि गुजरात में मिली जीत बड़ी है। गुजरात की जनता आप के साथ खड़ी है। 2022 की तुलना में यह बड़ी जीत है। केजरीवाल के कामों के मॉडल की हर प्रदेश को जरूरत है। गुजरात की जनता चाहती हैं कि काम की राजनीति गुजरात में भी आए। जो लोग यह सोचते थे कि आम आदमी पार्टी खत्म हो गई उन्हें इस जीत ने जवाब दिया।
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मुंबई में आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में शामिल हुए सांसद बृजमोहन अग्रवाल

मुंबई। रायपुर लोकसभा सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने आज मुंबई में आयोजित संसद और राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों की विधानमंडलीय निकायों की प्राक्कलन समितियों के राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लिया। इस सम्मेलन की अध्यक्षता लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिड़ला ने की। यह सम्मेलन "प्रशासन में दक्षता और मितव्ययिता सुनिश्चित करने हेतु बजट प्राक्कलनों की प्रभावी निगरानी और समीक्षा में प्राक्कलन समिति की भूमिका" विषय पर केंद्रित था।
इसमें देशभर से आए समिति सदस्यों और राज्यों के प्रतिनिधियों के साथ सार्थक चर्चा और विचार-विमर्श हुआ। सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने सम्मेलन में भाग लेने को एक महत्वपूर्ण और उपयोगी अनुभव बताते हुए कहा कि यह आयोजन बजट प्रबंधन को मजबूत बनाने के साथ-साथ जनहित में पारदर्शी और उत्तरदायी शासन की दिशा में एक प्रभावी कदम है। उन्होंने आगे कहा कि इस तरह के संवाद से न केवल संसदीय प्रक्रियाओं की दक्षता बढ़ती है, बल्कि वित्तीय अनुशासन और निगरानी की क्षमता भी विकसित होती है, जो सुशासन के लिए आवश्यक है।
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