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अष्टमी और नवमी तिथि पर कब होगा कन्या पूजन, जानिए...सही तिथि, सामग्री और पूजा विधि

हिंदू धर्म में कन्याओं को मां दुर्गा का स्वरूप माना जाता है. लोग अष्टमी और नवमी तिथि को कन्याओं का पूजन तथा भोजन कराते हैं. चैत्र नवरात्रि की शुरुआत इस साल 30 मार्च से हुई, जिसका समापन 6 अप्रैल को रविवार को होगा. इस बार चैत्र नवरात्रि सिर्फ 8 दिन की है, जिसके वजह से अष्टमी और नवमी तिथि और कन्या पूजन को लेकर कुछ असमंजस की स्थिति बनी हुई है. ऐसे में कन्या पूजन कब और कैसे करें? आइए जानते हैं|
वैदिक पंचांग के अनुसार, अष्टमी तिथि के शुरुआत 4 अप्रैल को रात 8 बजकर 12 मिनट पर होगी. वहीं तिथि के समापन 5 अप्रैल को शाम 7 बजकर 26 मिनट पर होगी, जिसके बाद महानवमी तिथि का शुरुआत हो जाएगी जो कि 6 अप्रैल को शाम 7 बजकर 22 मिनट पर समाप्त हो जाएगी. ऐसे में अष्टमी तिथि का कन्या पूजन 5 अप्रैल और महानवमी 6 अप्रैल को होगी|
कन्या पूजन की सामग्री-
कन्याओं का पैर धोने के लिए साफ जल, और कपड़ा, बैठना के लिए आसन, गाय के गोबर से बने उपले, पूजा की थाली, घी का दीपक, रोली, महावर, कलावा ,चावल, फूल, चुन्नी, फल, मिठाई, हलवा-पूरी और चना, भेंट और उपहार|
कन्या पूजन विधि-
कंजक पूजन के लिए अष्टमी या नवमी के दिन सुबह जल्दी उठकर घर और पूजा स्थल की साफ-सफाई करें. फिर स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें. इसके बाद भगवान गणेश और महागौरी की पूजा करें. कन्या पूजन के लिए कन्याओं को और एक बालक को आमंत्रित करें. जब कन्याएं घर में आए तो माता का जयकारा लगाएं. उसके बाद सभी कन्याओं का पैर खुद अपने हाथों से धुलें और पोछें. इसके बाद उनके माथे पर कुमकुम और अक्षत का टीका लगाएं. फिर उनके हाथ में मौली या कलावा बाधें. एक थाली में घी का दीपक जलाकर सभी कन्याओं की आरती उतारें. आरती के बाद सभी कन्याओं हलवा-पूरी, चना का भोग लगाएं. भोजन के बात अपनी सामर्थ अनुसार कन्याओं को कुछ न कुछ भेंट जरूर दें. आखिरी में कन्याओं का पैर छूकर उनका आशीर्वाद जरूर प्राप्त करें|

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