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कुंडली में कालसर्प दोष तो करें इस मंत्र का जाप, मिलेगी मुक्ति

कुंडली में कालसर्प दोष से लोग परेशान रहते हैं। इससे काम में सफलता नहीं मिलती। मानसिक परेशानी बनी रहती है। मेहनत का फल नहीं मिलता। कालसर्प दोष का योग होने पर व्यक्ति को प्रतिदिन भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। भगवान शिव की पूजा से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। भगवान शिव की पूजा के दौरान अगर आप शिव पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ करते हैं और उस समय इत्र और कपूर का इस्तेमाल करते हैं तो कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। शिव पंचाक्षर स्तोत्र को बहुत ही प्रभावशाली माना जाता है। आइए जानते हैं शिव पंचाक्षर स्तोत्र के बारे में।
शिव पंचाक्षर स्तोत्र-
नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय।
नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मे न काराय नम: शिवाय:।।
मंदाकिनी सलिल चंदन चर्चिताय नंदीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय।
मंदारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय तस्मे म काराय नम: शिवाय:।।
शिवाय गौरी वदनाब्जवृंद सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय।
श्री नीलकंठाय वृषभद्धजाय तस्मै शि काराय नम: शिवाय:।।
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वशिष्ठ कुभोदव गौतमाय मुनींद्र देवार्चित शेखराय।
चंद्रार्क वैश्वानर लोचनाय तस्मै व काराय नम: शिवाय:।।
यज्ञस्वरूपाय जटाधराय पिनाकस्ताय सनातनाय।
दिव्याय देवाय दिगंबराय तस्मै य काराय नम: शिवाय:।।
पंचाक्षरमिदं पुण्यं य: पठेत शिव सन्निधौ।
शिवलोकं वाप्नोति शिवेन सह मोदते।।
नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय।
नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मे ‘न’ काराय नमः शिवायः।।
कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए सावन में रुद्राभिषेक सबसे अच्छा उपाय है। सावन का महीना भगवान शिव की पूजा के लिए सबसे अच्छा महीना माना जाता है। रुद्राभिषेक करने से आप बीमारियों और बुराइयों से मुक्ति पा सकते हैं। शिव पूजा में आप प्रतिदिन शिव पंचाक्षर मंत्र ओम नमः शिवाय का जाप भी कर सकते हैं। यह सबसे सरल और प्रभावशाली मंत्र है।

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