दुनिया-जगत

घाना के विकास में अहम भूमिका निभा रहे भारतीय : PM नरेंद्र मोदी

  • प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति महामा को दिया भारत आने का निमंत्रण
अकरा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घाना दौरे पर राष्ट्रपति जॉन ड्रामानी महामा के साथ संयुक्त बयान जारी किया। प्रधानमंत्री मोदी ने घाना दौरे को गर्व का अवसर बताया। साथ ही उन्होंने कहा कि घाना में जिस आत्मीयता, गर्मजोशी और सम्मान से हमारा स्वागत हुआ है, उसके लिए मैं हार्दिक आभारी हूं।
पीएम मोदी ने साझा बयान में कहा, "तीन दशकों के लंबे अंतराल के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की घाना यात्रा हो रही है। मेरे लिए यह अत्यंत गर्व की बात है कि मुझे यह अवसर मिला है। घाना में जिस आत्मीयता, गर्मजोशी और सम्मान से हमारा स्वागत हुआ है, उसके लिए मैं हार्दिक आभारी हूं। राष्ट्रपति खुद एयरपोर्ट आए, यह मेरे लिए बहुत बड़े सम्मान की बात है। दिसंबर 2024 के आम चुनावों में राष्ट्रपति महामा दूसरी बार राष्ट्रपति चुने गए। उनकी शानदार जीत के लिए मैं, एक बार फिर उनको बधाई देता हूं। यह घाना के लोगों का उनके नेतृत्व और विजन के प्रति गहरे विश्वास का प्रतीक है।"
प्रधानमंत्री ने भारत-घाना संबंधों पर भी बात की। उन्होंने कहा, "भारत-घाना मित्रता के केंद्र में हमारे साझे मूल्य, संघर्ष और समावेशी भविष्य को लेकर साझे सपने हैं। हमारे देशों के स्वतंत्रता संग्राम ने बहुत से अन्य देशों को प्रेरित किया। आज भी, पश्चिम अफ्रीका में घाना एक जीवंत लोकतंत्र के रूप में अन्य देशों के लिए ‘आशा की किरण’ है। आज राष्ट्रपति और मैंने हमारी द्विपक्षीय साझेदारी को व्यापक भागीदारी का रूप देने का निर्णय लिया है। घाना के राष्ट्र-निर्माण की इस यात्रा में भारत केवल एक सहयोगी नहीं, बल्कि एक सह-यात्री है।"
पीएम मोदी ने कहा, "यह भव्य जुबिली हाउस, विदेश सेवा संस्थान, कोमैंडा शुगर फैक्ट्री, इंडिया-घाना कोफी अन्नान आईसीटी सेंटर, और ‘तेमा पकदन रेलवे लाइन’- ये सिर्फ ईंट-पत्थर नहीं, ये हमारी साझेदारी के प्रतीक हैं। हमारा द्विपक्षीय व्यापार 3 बिलियन डॉलर पार कर चुका है। भारतीय कंपनियों ने लगभग 900 प्रोजेक्ट्स में लगभग दो बिलियन डॉलर का निवेश किया है। आज हमने आपसी व्यापार को अगले पांच वर्षों में दोगुना करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। फिनटेक के क्षेत्र में भारत यूपीआई डिजिटल पेमेंट का अनुभव घाना के साथ साझा करने के लिए तैयार है।"
प्रधानमंत्री मोदी ने डेवलपमेंट को भारत-घाना की साझेदारी का मूल स्तंभ बताया। उन्होंने अपने बयान में कहा, "विकास पार्टनरशिप हमारी साझेदारी का एक मूल स्तंभ है। राष्ट्रपति महामा के ‘आर्थिक पुनर्गठन’ के प्रयासों में भारत के पूर्ण समर्थन और सहयोग का हम आश्वासन देते हैं। आज हमने घाना के लिए आईटेक और आईसीसीआर स्कॉलरशिप को दोगुना करने का निर्णय लिया है। युवाओं के व्यवसायिक एजुकेशन के लिए एक स्किल डेवलपमेंट सेंटर की स्थापना के लिए काम किया जाएगा। कृषि क्षेत्र में राष्ट्रपति महामा के ‘फीड घाना’ प्रोग्राम में सहयोग करने में हमें खुशी होगी। जन औषधि केंद्र के माध्यम से भारत घाना के नागरिकों को सस्ती स्वास्थ्य सेवा, विश्वसनीय देखभाल देने का प्रस्ताव रखता है। वैक्सीन प्रोडक्शन में सहयोग के लिए हमने विचार-विमर्श किया। रक्षा और सुरक्षा क्षेत्र में हम एकजुटता के माध्यम से सुरक्षा के मंत्र को लेकर आगे बढ़ेंगे। सशस्त्र बलों की ट्रेनिंग, मैरीटाइम सिक्युरिटी, डिफेन्स सप्लाइ और साइबर सिक्युरिटी जैसे क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ाया जाएगा।"
उन्होंने आगे कहा, "महत्वपूर्ण खनिजों के अन्वेषण और माइनिंग में भारतीय कंपनियां सहयोग देंगी। अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन और आपदा प्रतिरोधी अवसंरचना के लिए गठबंधन जैसे मंचों पर भारत और घाना पहले से सहयोग कर रहे हैं। घाना के नवीकरणीय ऊर्जा, विशेषकर क्लीन कुकिंग गैस को बढ़ाने के प्रयासों में सहयोग के लिए हमने उन्हें वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन से जुडने के लिए आमंत्रित किया।"
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा, "हम दोनों ग्लोबल साउथ के सदस्य हैं और उसकी प्राथमिकताओं के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट में उनकी सकारात्मक भागीदारी के लिए हम घाना का धन्यवाद करते हैं। भारत के लिए यह गर्व की बात है कि हमारी जी20 अध्यक्षता में अफ्रीकन यूनियन को जी20 की स्थायी सदस्यता मिली। हमने सहेल रिजन सहित, अन्य क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विषयों पर भी विचार विमर्श किया।"
पीएम मोदी ने आतंकवाद का जिक्र करते हुए कहा, "हम एकमत हैं कि आतंकवाद मानवता का दुश्मन है। आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई में सहयोग के लिए हम घाना का आभार प्रकट करते हैं। इस संदर्भ में, हमने काउंटर टेररिज्म में आपसी सहयोग को और मजबूत करने का निर्णय लिया है। यूएन रिफॉर्म्स को लेकर हमारा दृष्टिकोण एक जैसा है। पश्चिम एशिया और यूरोप में चल रहे संघर्ष को लेकर हम दोनों ने गहरी चिंता व्यक्त की है। हमारा मानना है कि यह युद्ध का युग नहीं है। डायलॉग और डिप्लोमसी से ही समस्या का समाधान होना चाहिए।"
उन्होंने घाना में रह रहे भारतीयों के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा, "घाना में भारतीय समुदाय हमारे पीपल-टू-पीपल संबंधों की विशेष कड़ी है। लंबे समय से भारतीय शिक्षक, डॉक्टर और इंजीनियर घाना में सेवाएं दे रहे हैं। यहां की आर्थिक और सामाजिक प्रगति में भी भारतीय समुदाय सकारात्मक योगदान दे रहा है। भारतीय समुदाय के साथ कल अपनी मुलाकात के लिए मैं उत्साहित हूं। राष्ट्रपति आप भारत के घनिष्ठ मित्र हैं। भारत से भली-भांति परिचित हैं। मैं आपको भारत यात्रा का निमंत्रण देता हूं। मुझे विश्वास है कि आप हमें भारत में अपना स्वागत करने का अवसर प्रदान करेंगे।"
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PM मोदी ऑफिसर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द स्टार ऑफ घाना से हुए सम्मानित

दिल्ली/घाना। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को दो दिवसीय यात्रा पर घाना पहुंचे, जो पश्चिम अफ्रीकी देश की उनकी पहली द्विपक्षीय यात्रा है. अकरा के कोटोका अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उनका भव्य स्वागत किया गया और 21 तोपों की सलामी दी गई. इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी को घाना के दूसरे राष्ट्रीय सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया गया. घाना के राष्ट्रपति जॉन महामा द्वारा पीएम मोदी को 'ऑफिसर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द स्टार ऑफ घाना' से सम्मानित किया गया.
राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित किए जाने पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "घाना के राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित किया जाना मेरे लिए अत्यंत गर्व और सम्मान की बात है. मैं राष्ट्रपति महामा, घाना सरकार और घाना के लोगों का दिल से आभार प्रकट करता हूं. मैं इस सम्मान को 1.4 अरब भारतीयों की ओर से विनम्रता पूर्वक स्वीकार करता हूं. यह सम्मान मैं हमारे युवाओं की आकांक्षाओं को, उनके उज्ज्वल भविष्य को, हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विविधता और परंपराओं को तथा भारत तथा घाना के ऐतिहासिक संबंधों को समर्पित करता हूं."
इससे पहले पीएम मोदी ने घाना की सरजमीं पर मिले गर्मजोशी भरे स्वागत को लेकर आभार व्यक्त करते हुए कहा कि राष्ट्रपति का खुद एयरपोर्ट आना, उनके लिए बहुत बड़े सम्मान की बात है. संयुक्त वक्तव्य जारी करने के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि भारत-घाना मित्रता के केंद्र में हमारे साझे मूल्य, संघर्ष और समावेशी भविष्य को लेकर साझे सपने हैं, जिसने अन्य देशों को भी प्रेरित किया है.
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अमेरिकी विदेश मंत्री ने जयशंकर के साथ बैठक में अमेरिका-भारत संबंधों की मजबूती की पुष्टि की

वाशिंगटन। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने एक बयान में कहा कि अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने अमेरिका-भारत संबंधों की मजबूती की पुष्टि की। ब्रूस द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ द्विपक्षीय बैठक में रुबियो ने अमेरिका-भारत समझौते के कार्यान्वयन पर प्रकाश डाला।
"सचिव ने द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करने के लिए प्रत्येक मंत्री से अलग-अलग मुलाकात की। विदेश मंत्री इवाया के साथ अपनी बैठक में, सचिव ने इंडो-पैसिफिक शांति और समृद्धि के लिए यूएस-जापान गठबंधन को महत्वपूर्ण बताया और जापान के साथ गहन सुरक्षा और ऊर्जा क्षेत्र सहयोग की संभावना तलाशी। विदेश मंत्री जयशंकर के साथ अपनी बैठक में, सचिव ने यू.एस.-भारत संबंधों की मजबूती की पुष्टि की, यू.एस.-इंडिया कॉम्पैक्ट के कार्यान्वयन पर प्रकाश डाला, जो व्यापार, रक्षा, ऊर्जा, अवैध आव्रजन का मुकाबला करने, मादक पदार्थों के खिलाफ़ और बहुत कुछ पर हमारे दोनों देशों के सहयोग को बढ़ाएगा।
अंत में, सचिव ने इंडो-पैसिफिक में सुरक्षा बढ़ाने और सुरक्षित महत्वपूर्ण खनिज आपूर्ति श्रृंखलाओं के निर्माण पर सहयोग पर चर्चा करने के लिए यूएस-ऑस्ट्रेलिया गठबंधन के माध्यम से सहयोग को गहरा करने के लिए विदेश मंत्री वोंग से मुलाकात की। एक गौरवशाली इंडो-पैसिफिक राष्ट्र के रूप में, संयुक्त राज्य अमेरिका इस क्षेत्र में हमारे साझा हितों की रक्षा के लिए क्वाड भागीदारों के साथ सहयोग को गहरा करना जारी रखेगा," बयान में कहा गया। नेताओं ने एक स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लिए अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता की पुष्टि की। "विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने आज क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक के लिए वाशिंगटन में ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री पेनी वोंग, भारतीय विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर और जापानी विदेश मंत्री इवाया ताकेशी की मेज़बानी की।
अधिकारियों ने एक स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत के प्रति अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता और क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और समृद्धि का समर्थन करने के लिए मिलकर काम करने के अपने संकल्प की फिर से पुष्टि की। विदेश मंत्रियों ने क्वाड क्रिटिकल मिनरल्स इनिशिएटिव के शुभारंभ की घोषणा की, जो महत्वपूर्ण खनिज आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुरक्षित और विविधतापूर्ण बनाकर आर्थिक सुरक्षा और सामूहिक लचीलापन मजबूत करने के लिए हमारी साझेदारी का एक महत्वाकांक्षी विस्तार है," बयान में कहा गया।
इससे पहले, क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक के संयुक्त बयान में कहा गया था कि क्वाड सदस्यों ने आतंकवाद के सभी रूपों की स्पष्ट रूप से निंदा की। सदस्यों ने 22 अप्रैल के पहलगाम आतंकी हमले का जिक्र करते हुए अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाने का आह्वान किया। (एएनआई)
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भारी बारिश और अचानक आई बाढ़ के कारण 50 से अधिक लोगों की मौत

इस्लामाबाद। पाकिस्तान में पिछले कुछ दिनों में भारी बारिश और अचानक आई बाढ़ के कारण 50 से अधिक लोगों की मौत हो गई है, जिसमें सबसे अधिक मौतें खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में हुई हैं, जहां 10 बच्चों सहित 21 लोगों की जान चली गई, स्थानीय मीडिया ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
बलूचिस्तान में भारी बारिश ने प्रांत के कई जिलों में कहर बरपाया है, जिसमें लासबेला, हुब, बरखान, झोब, हरनई और डेरा बुगती शामिल हैं, जहां पिछले दो दिनों में बाढ़ के पानी में बह जाने और बांधों में डूबने की घटनाओं में पांच लोगों की मौत हो गई और छह अन्य घायल हो गए।
रिपोर्टों से पता चलता है कि झोब में अचानक आई बाढ़ में बह जाने के कारण एक ही परिवार के चार सदस्यों की मौत हो गई, जिनमें तीन महिलाएं और एक बच्चा शामिल है।दुखद घटना के बाद, स्थानीय लोगों ने प्रभावी आपदा प्रबंधन प्रणाली, पूर्व चेतावनी तंत्र और सुरक्षित पर्यटन प्रोटोकॉल की मांग की है, खासकर झोब जैसे दूरदराज और बाढ़-ग्रस्त क्षेत्रों में।
प्रांतीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (PDMA) ने यह भी बताया कि बलूचिस्तान में, मानसून और भारी बारिश के कारण कृषि भूमि और आवासीय घरों को भारी नुकसान पहुंचा है, जिसमें खुजदार में 10 घर ढह गए और जियारत में एक स्कूल सहित दो इमारतें ढह गईं।
इसके अलावा, भारी बारिश ने प्रांत के क्वेटा और लासबेला जिलों में दो पुलों को आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त कर दिया मौसम विभाग ने 4 जुलाई से शुरू होने वाले मानसून के एक और दौर का अनुमान लगाया है, जिसमें इस मौसम में सामान्य स्तर से अधिक बारिश होने की उम्मीद है। पाकिस्तान के राष्ट्रीय आपातकालीन संचालन केंद्र (NEOC) ने रविवार से शनिवार तक पाकिस्तान के विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक बारिश-हवा और गरज के साथ बौछारें पड़ने की आशंका के साथ कई प्रभाव-आधारित मौसम अलर्ट जारी किए हैं।
इससे मध्य खैबर पख्तूनख्वा के निचले इलाकों में शहरी बाढ़ भी आ सकती है, खास तौर पर पेशावर, चरसद्दा, नौशेरा और कोहाट शहरों में। इसके अलावा, दक्षिणी सिंध में भारी से बहुत भारी बारिश का अनुमान है, जिसका असर 29 जून से 5 जुलाई तक हैदराबाद, बदीन, थट्टा और कराची पर पड़ेगा। स्वात प्रशासनिक अधिकारियों के अनुसार, नदी में अचानक आई बाढ़ के कारण खैबर पख्तूनख्वा में कई स्थानों पर 73 लोग फंस गए हैं। उन्होंने यह भी पुष्टि की कि शुक्रवार को स्वात नदी में अचानक आई बाढ़ में दो पर्यटक परिवारों में से 17 की मौत हो गई, जिनमें से 18 बह गए। यह घटना फिजागत इलाके में हुई, जहां दो परिवारों के सदस्य नदी के किनारे नाश्ता कर रहे थे, तभी अचानक जल स्तर बढ़ने से उनमें से कई बह गए, स्थानीय मीडिया ने बताया। पीड़ित पंजाब प्रांत और खैबर पख्तूनख्वा के निवासी थे। (आईएएनएस)
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क्वाड मंत्रियों ने पहलगाम के आतंकवादियों को न्याय के कटघरे में लाने की मांग की

वाशिंगटन। आतंकवाद के खिलाफ मिलकर काम करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए "निंदनीय" हमले के जिम्मेदार लोगों को तुरंत सजा मिलनी चाहिए। उन्होंने यह भी अपील की कि संबंधित देश इस मामले में जांच कर रही एजेंसियों के साथ पूरा सहयोग करें। मंगलवार को अपनी बैठक के बाद एक साझा बयान में क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों ने कहा, “हम इस निंदनीय हमले के अपराधियों, योजनाकारों और फंड देने वालों को जल्द से जल्द सजा दिलाने की मांग करते हैं। साथ ही, हम सभी संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों से अपील करते हैं कि वे अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के संबंधित प्रस्तावों के तहत इस मामले में जांच एजेंसियों का पूरा सहयोग करें।”
बयान में कहा गया, "क्वाड देश सीमा पार आतंकवाद समेत हर तरह के आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद की कड़ी निंदा करते हैं और आतंकवाद के खिलाफ मिलकर काम करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हैं।"
भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर, अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो, ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री पेनी वोंग और जापान के विदेश मंत्री ताकेशी इवाया ने भारत-प्रशांत क्षेत्र के प्रमुख लोकतांत्रिक देशों का प्रतिनिधित्व करते हुए इस साल दूसरी बार मंत्री स्तरीय बैठक की।
उन्होंने कहा, "हम 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा करते हैं, जिसमें 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक की मौत हो गई और कई अन्य लोग घायल हुए।"
बयान में हमले के दोषियों को सजा दिलाने की अपील की गई। हालांकि किसी देश का नाम सीधे तौर पर नहीं लिया गया। लेकिन यह साफ था कि इशारा किस ओर है, क्योंकि यह हमला 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' ने किया था, जो लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा एक संगठन है और जिसे पाकिस्तान का समर्थन प्राप्त है।
मंत्रियों की बैठक से पहले जयशंकर ने कहा, "भारत को आतंकवाद के खिलाफ अपने नागरिकों की रक्षा करने का पूरा हक है और हम इस अधिकार का इस्तेमाल जरूर करेंगे। हम उम्मीद करते हैं कि हमारे क्वाड साझेदार इस बात को समझेंगे और इसका सम्मान करेंगे।"
शीर्ष नेताओं ने कहा कि वे साल के अंत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आयोजित किए जाने वाले क्वाड शिखर सम्मेलन का इंतजार कर रहे हैं, जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज और जापान के प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा शामिल होंगे। मंत्रियों ने कहा कि इस साल वे मुंबई में "फ्यूचर क्वाड पोर्ट्स पार्टनरशिप" की शुरुआत करने की योजना बना रहे हैं।
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अरब सागर : नौसेना ने बुझाई जहाज में लगी आग, 14 भारतीयों की जान बची

नई दिल्ली। भारतीय नौसेना ने एक बार फिर अपनी तेज प्रतिक्रिया और समुद्री सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता का परिचय देते हुए समुद्री जहाज पर लगी आग पर काबू पाया है। यह आग उत्तरी अरब सागर में पलाउ-ध्वजवाहक टैंकर एमटी यी चेंग 6 पर लगी थी। इस बड़े अग्निकांड के दौरान नौसेना ने जोखिम भरे अग्निशमन और बचाव अभियान को सफलतापूर्वक अंजाम दिया।
नौसेना ने इस ऑपरेशन में समुद्री टैंकर पर मौजूद सभी 14 भारतीय क्रू सदस्यों को सुरक्षित बचा लिया। नौसेना के मुताबिक 29 जून की सुबह, मिशन-आधारित तैनाती पर मौजूद आईएनएस तबर को एमटी यी चेंग 6 से ‘मेडे’ (आपातकालीन) कॉल प्राप्त हुआ। जहाज ने अपने इंजन कक्ष में भीषण आग लगने की सूचना दी।
यह घटना फुजैरा, संयुक्त अरब अमीरात के पूर्व में लगभग 80 नॉटिकल मील की दूरी पर हुई। भारतीय नौसेना ने तुरंत कार्रवाई करते हुए आईएनएस तबर को अधिकतम गति के साथ घटनास्थल की ओर रवाना किया। टैंकर के पास पहुंचकर, नौसेना ने जहाज के कप्तान से संपर्क स्थापित किया और तत्काल अग्निशमन अभियान शुरू किया।
अग्निशमन अभियान पूरा होने के उपरांत मंगलवार को नौसेना ने बताया कि सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए, 7 क्रू सदस्यों को नौसेना की नौकाओं की मदद से आईएनएस तबर पर सुरक्षित रूप से निकाला गया। सभी समय पर की गई त्वरित कार्रवाई से किसी के घायल होने की सूचना नहीं है। सुरक्षित बचाए गए सभी लोगों को नौसेना की मेडिकल टीम द्वारा स्वास्थ्य जांच प्रदान की गई है।
नौसेना के मुताबिक जहाज के कप्तान सहित शेष क्रू सदस्य जहाज पर रहकर आग बुझाने के प्रयासों में शामिल रहे। आईएनएस तबर से 6 सदस्यीय अग्निशमन और क्षति नियंत्रण दल, विशेष उपकरणों के साथ आग बुझाने के लिए भेजा गया था। प्रारंभिक प्रयासों में ही आग की तीव्रता में काफी कमी आई और धुआं इंजन कक्ष तक सीमित कर दिया गया। इसके बाद अभियान को और तेजी देते हुए 13 अतिरिक्त नौसेना कर्मियों (5 अधिकारी और 8 नाविक) को भी जहाज पर तैनात किया गया।
नौसेना का कहना है कि लगातार प्रयासों के फलस्वरूप आग पर पूरी तरह से नियंत्रण पा लिया गया है। जहाज पर तापमान की निगरानी और स्थिति पर सतत निगरानी रखी जा रही है। आईएनएस तबर फिलहाल मौके पर ही मौजूद है और हर संभव सहायता प्रदान कर रहा है। भारतीय नौसेना के इस साहसी और कुशल प्रयासों ने न केवल टैंकर को बचाया, बल्कि सभी 14 भारतीय क्रू सदस्यों की सुरक्षा सुनिश्चित की। यह घटना फिर एक बार यह सिद्ध करती है कि भारतीय नौसेना न केवल परिचालन रूप से सजग है, बल्कि भारतीय समुद्री क्षेत्र में मानवीय सहायता प्रदान करने के लिए भी सदैव तत्पर है। यह भारत की “प्रथम उत्तरदाता” की भूमिका को और मजबूत करता है।
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द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने वित्त मंत्री सीतारमण ने स्पेन में प्रमुख नेताओं से की मुलाकात

सेविले। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इंटरनेशनल बिजनेस फोरम लीडरशिप समिट के दौरान कई द्विपक्षीय बैठकें कीं, जहां उन्होंने रक्षा, शिक्षा, टेक्नोलॉजी और कृषि सहित अन्य क्षेत्रों में आपसी हित के क्षेत्रों में सहयोग पर चर्चा की।
उन्होंने न्यूजीलैंड के साइंस, इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी मिनिस्टर डॉ. शेन रेती से मुलाकात की। दोनों मंत्रियों ने रक्षा, शिक्षा, टेक्नोलॉजी और कृषि में आपसी हित के क्षेत्रों में सहयोग पर चर्चा की। वित्त मंत्री ने बैंकिंग, बुलियन एक्सचेंज, पूंजी बाजार, फंड इकोसिस्टम, फिनटेक, इंश्योरर्स और रिइंश्योरर्स के संदर्भ में गिफ्ट-आईएफएससी में उपलब्ध विश्व स्तरीय अवसरों पर चर्चा की।
वित्त मंत्रालय द्वारा एक्स पर एक पोस्ट के अनुसार, "उन्होंने शैक्षिक आदान-प्रदान को भारत-न्यूजीलैंड संबंधों की आधारशिला बताया, जिसमें कई भारतीय छात्र न्यूजीलैंड में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।" डॉ. रेती ने द्विपक्षीय रूप से शिक्षा क्षेत्र के संबंधों को बढ़ाने की आवश्यकता पर सहमति व्यक्त की और प्रशांत क्षेत्र के साथ जुड़ने में न्यूजीलैंड के अनुभव को भी साझा किया।
वित्त मंत्री सीतारमण ने प्रशांत द्वीप देशों के साथ भारत की मजबूत साझेदारी पर प्रकाश डाला और प्रशांत द्वीप मंच के माध्यम से न्यूजीलैंड के साथ जुड़ाव बढ़ाने की आशा व्यक्त की। उन्होंने ‘एफएफडी4’ बैठक के दौरान पेरू के विदेश मंत्री एल्मर शियालर से भी मुलाकात की।
एक आधिकारिक बयान के अनुसार, दोनों नेताओं ने फिनटेक, व्यापार, निवेश, खनन और रक्षा के साथ-साथ इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं, विशेष रूप से रेलवे में सहयोग की संभावनाओं पर रणनीतिक साझेदारी को गहरा करने पर चर्चा की।
वित्त मंत्री सीतारमण ने रेल संपर्क बनाने और रोलिंग स्टॉक के निर्माण में भारत की विशेषज्ञता पर प्रकाश डाला। शियालर ने कहा कि वह पेरू में विकसित किए जा रहे तीन रेल संपर्कों के लिए अंतरराष्ट्रीय बोलियों में भारत की भागीदारी की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
वित्त मंत्री ने पेरू को निर्यात में विविधता लाने में विशेष रूप से ऑटोमोबाइल, फार्मास्यूटिकल्स, कपड़ा, इंजीनियरिंग सामान और आईटी सेवाओं में भारत की रुचि साझा की और पेरू से तांबा और लिथियम जैसे महत्वपूर्ण खनिजों के आयात को महत्व दिया।
उन्होंने जर्मनी की विकास मंत्री रीम अलाबली से भी मुलाकात की। उन्होंने इंडिया-जर्मनी ग्रीन एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट पार्टनरशिप के अंतर्गत सहयोग के विभिन्न पारस्परिक क्षेत्रों पर चर्चा की, जिसमें ग्रीन एंड रिन्यूएबल एनर्जी, अर्बन मोबिलिटी एंड सस्टेनेबल अर्बन डेवलपमेंट और इकोलॉजी के माध्यम से सस्टेनेबल आजीविका शामिल हैं।
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चीन भारत के साथ सीमा सीमांकन पर चर्चा के लिए तैयार

बीजिंग। भारत के साथ सीमा का मुद्दा जटिल है। इसे सुलझाने में समय लगेगा। वहीं, चीन ने सोमवार को कहा कि वह सीमा सीमांकन समेत अन्य मुद्दों पर लगातार बातचीत कर सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए तैयार है। शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के रक्षा मंत्रियों का सम्मेलन 26 जून को चीन के बंदरगाह शहर किंगदाओ में हुआ। सम्मेलन के दौरान भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीनी रक्षा मंत्री एडमिरल डोंग जून से मुलाकात की और द्विपक्षीय वार्ता की। भारत और चीन को सीमा सीमांकन समेत जटिल मुद्दों को नए सिरे से बातचीत के जरिए सुलझाना चाहिए। राजनाथ सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि भारत-चीन संबंधों में सामान्य गति बनाए रखना और नई समस्याओं को पैदा होने से बचाना दोनों पक्षों की जिम्मेदारी है। राजनाथ सिंह की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने कहा, "चीन सीमा सीमांकन और प्रबंधन पर भारत के साथ बातचीत जारी रखने के लिए हमेशा तैयार है। इससे दोनों पक्षों को सीमा पर शांति बनाए रखने और सीमा पार सहयोग को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।" आप भारत-चीन विशेष प्रतिनिधियों की 23 दौर की वार्ता के बाद भी समाधान न होने पर सवाल उठा रहे हैं। भारत के साथ सीमा का मुद्दा जटिल है। इसलिए इसे सुलझाने में समय लगेगा।
इस बारे में दिलचस्प बात यह है कि दोनों देशों ने कूटनीतिक और सैन्य समेत विभिन्न माध्यमों से बातचीत शुरू कर दी है। मुझे पूरा भरोसा है कि दोनों देश एक ही दिशा में काम करेंगे और सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए संपर्क में बने रहेंगे," उन्होंने कहा।
पूर्वी लद्दाख में गतिरोध के बाद से भारत-चीन के रिश्ते तनावपूर्ण हैं। दोनों देशों ने पिछले साल के अंत में एक विघटन समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। तब से, दोनों देश द्विपक्षीय संबंधों को बहाल करने के लिए काम कर रहे हैं।
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ईरान ने अमेरिकी हमलों को लेकर इजराइल पर निशाना साधा

तेहरान। ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने शनिवार को डोनाल्ड ट्रम्प की “अपमानजनक और अस्वीकार्य” टिप्पणियों की निंदा की, जब अमेरिकी राष्ट्रपति ने ईरान के अयातुल्ला अली खामेनेई को “बदसूरत और अपमानजनक मौत” से बचाने का दावा किया। अराघची ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपने अकाउंट पर लिखा, “अगर राष्ट्रपति ट्रम्प वाकई डील चाहते हैं, तो उन्हें ईरान के सर्वोच्च नेता ग्रैंड अयातुल्ला खामेनेई के प्रति अपमानजनक और अस्वीकार्य लहजे को छोड़ देना चाहिए और उनके लाखों समर्थकों को चोट पहुँचाना बंद कर देना चाहिए।”
विदेश मंत्री ने कहा, “महान और शक्तिशाली ईरानी लोग, जिन्होंने दुनिया को दिखाया कि इजरायली शासन के पास हमारी मिसाइलों से बचने के लिए ‘डैडी’ के पास भागने के अलावा कोई विकल्प नहीं था, वे धमकियों और अपमानों को बर्दाश्त नहीं करते।” पिछले सप्ताहांत अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु स्थलों पर हमले किए, लेकिन इस बात पर कोई सहमति नहीं बन पाई कि वे कितने प्रभावी थे।
इन हमलों के साथ, वाशिंगटन 13 जून को शुरू हुए 12-दिवसीय संघर्ष में ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर इजरायल की बमबारी में शामिल हो गया। विदेश मंत्री की शनिवार को निंदा तब हुई जब ट्रंप ने अपने ट्रुथ सोशल प्लेटफॉर्म पर कहा कि उन्होंने ईरानी नेता को हत्या से बचाया था, उन्होंने खामेनेई पर कृतघ्नता का आरोप लगाया। ट्रंप ने पोस्ट किया, "मुझे ठीक-ठीक पता था कि वह कहाँ छिपा हुआ था, और मैं इजरायल या दुनिया में अब तक के सबसे महान और सबसे शक्तिशाली अमेरिकी सशस्त्र बलों को उसका जीवन समाप्त नहीं करने दूंगा।" "मैंने उसे एक बहुत ही बदसूरत और अपमानजनक मौत से बचाया, और उसे यह कहने की ज़रूरत नहीं है, 'धन्यवाद, राष्ट्रपति ट्रंप!'" ट्रंप ने यह भी कहा कि वह हाल के दिनों में ईरान के खिलाफ प्रतिबंधों को हटाने की संभावना पर काम कर रहे थे, जो तेहरान की मुख्य मांगों में से एक है। ट्रंप ने ईरान को वार्ता की मेज पर लौटने के लिए प्रोत्साहित करते हुए कहा, "लेकिन नहीं, इसके बजाय मुझे क्रोध, घृणा और घृणा का बयान मिला और मैंने प्रतिबंधों में ढील देने के सभी काम तुरंत बंद कर दिए।" ईरान ने इस बात से इनकार किया है कि वह अमेरिका के साथ परमाणु वार्ता फिर से शुरू करने के लिए तैयार है, जबकि ट्रंप ने कहा था कि अगले सप्ताह फिर से वार्ता शुरू होगी।
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पाकिस्तान में आत्मघाती हमला : सैन्य काफिले को बनाया गया निशाना

  • 13 सैनिकों की मौत, 10 जवानों समेत 29 घायल
इस्लामाबाद। पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिमी इलाके में शनिवार को एक बड़ा आत्मघाती हमला हुआ है, जिसमें सेना के कम से कम 13 जवानों की मौत हो गई. इस हमले में 29 अन्य लोग घायल भी हुए हैं, जिनमें आम नागरिक भी शामिल हैं. यह घटना पाकिस्तान के ख़ैबर पख़्तूनख़्वा प्रांत के उत्तरी वज़ीरिस्तान ज़िले में हुई.
अधिकारियों के अनुसार, एक आत्मघाती हमलावर ने विस्फोटकों से भरी अपनी गाड़ी को सेना के एक काफिले से सीधे टकरा दिया. धमाका इतना ज़ोरदार था कि पास के दो घरों की छतें भी ढह गईं. पुलिस ने बताया कि मलबे में दबकर छह बच्चे भी घायल हो गए. कुल घायलों में 10 सेना के जवान और 19 आम नागरिक हैं. अधिकारियों के मुताबिक, घायल हुए चार सैनिकों की हालत बहुत नाज़ुक बनी हुई है.
इस हमले की ज़िम्मेदारी हाफ़िज़ गुल बहादुर नाम के सशस्त्र गुट ने ली है. यह गुट पाकिस्तानी तालिबान का ही एक हिस्सा माना जाता है.
जब से 2021 में पड़ोसी देश अफ़गानिस्तान में तालिबान ने सत्ता संभाली है, तब से पाकिस्तान में, खासकर अफ़गान सीमा से लगे इलाकों में, हिंसक हमलों में तेज़ी आई है. पाकिस्तान लगातार यह आरोप लगाता रहा है कि अफ़गानिस्तान अपनी ज़मीन का इस्तेमाल उसके खिलाफ़ हमलों के लिए होने दे रहा है. हालांकि, अफ़गान तालिबान हमेशा इन आरोपों से इनकार करता आया है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल की शुरुआत से अब तक ख़ैबर पख़्तूनख़्वा और बलूचिस्तान जैसे प्रांतों में हुए आतंकी हमलों में लगभग 290 लोग मारे जा चुके हैं, जिनमें ज़्यादातर सुरक्षाकर्मी थे.
 
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डोनाल्ड ट्रंप का दावा, गाजा में अगले हफ्ते तक हो सकता है सीजफायर

वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इजरायल-ईरान युद्ध विराम के बाद बड़ा बयान दिया है। ट्रंप ने कहा है कि एक हफ्ते के अंदर अब गाजा पट्टी में भी युद्ध विराम हो जाएगा। ओवल ऑफिस में पत्रकारों से बातचीत में ट्रंप ने कहा कि उन्होंने युद्धविराम विराम और बंधकों की रिहाई के लिए समझौते को सुरक्षित करने की कोशिश में शामिल कुछ लोगों से बात की है। हालांकि, ट्रंप ने इस बारे में विस्तार से नहीं बताया।
'व्हाइट हाउस' में ट्रंप कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य और रवांडा के विदेश मंत्रियों की मेजबानी कर रहे थे। इस दौरान ट्रंप ने पत्रकारों से कहा, "गाजा में स्थिति भयावह है, और इसे देखते हुए हम उस क्षेत्र में बहुत सारा पैसा और बड़ी मात्रा में खाद्य सामग्री पहुंचा रहे हैं।"
उन्होंने आगे कहा, "सैद्धांतिक रूप से हम इसमें शामिल नहीं हैं, लेकिन हम इसमें शामिल भी हैं, क्योंकि लोग मर रहे हैं। मैं उन लोगों की भीड़ को देखता हूं, जिनके पास न तो भोजन है, न ही कुछ और।" इसके साथ ही ट्रंप ने अफसोस जताते हुए कहा कि कुछ सहायता को 'बुरे लोग' चुरा रहे हैं, लेकिन नई गाजा ह्यूमैनिटेरियन फाउंडेशन (जीएचएफ) प्रणाली 'काफी अच्छी' है।
ट्रंप ने कहा कि अन्य देशों को मदद के लिए आगे आना चाहिए। अमेरिका के अलावा, अन्य देश गाजा ह्यूमैनिटेरियन फाउंडेशन (जीएचएफ) से दूर रहे हैं। इसकी विवादास्पद प्रणाली के कारण गाजा के लोगों को भोजन लेने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है; उन्हें आईडीएफ रेखा को पार करना पड़ता है।
इजरायली मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ये बयान अहम है क्योंकि इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के शीर्ष सहयोगी और स्ट्रैटेजिक अफेयर्स मिनिस्टर रॉन डर्मर अगले हफ्ते वॉशिंगटन जाने वाले हैं। बता दें, 7 अक्टूबर 2023 में इजरायल के नोवा फेस्टिवल में हमास के अचानक किए गए हमले के बाद इलाके में तनाव बढ़ा। हमास के हमले में लगभग 1,200 लोग मारे गए और 251 को बंधक बना लिया गया था। हमले के बाद ही इजरायल ने गाजा पर हवाई हमले शुरू कर दिए थे।
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यूरोपीय संघ के नेताओं ने रूस पर कड़े प्रतिबंधों पर चर्चा की

ब्रुसेल्स। यूरोपीय संघ के 27 सदस्य देशों के प्रमुख रूस पर कड़े प्रतिबंधों, दर्दनाक नए अमेरिकी टैरिफ को रोकने के तरीकों और मध्य पूर्व संघर्षों में अपनी आवाज़ को कैसे बुलंद किया जाए, इस पर चर्चा करने के लिए गुरुवार को ब्रुसेल्स में मिलेंगे। अधिकांश नेता एक संक्षिप्त लेकिन गहन नाटो शिखर सम्मेलन से आएंगे, जहाँ उन्होंने रक्षा खर्च में बड़ी वृद्धि का वादा किया था और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ अपने कुछ मतभेदों को दूर किया था। यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की बुधवार को ट्रम्प से मिलने के बाद वीडियोकांफ्रेंसिंग के ज़रिए यूरोपीय संघ के शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे।
अमेरिका के नेतृत्व वाले नाटो ने इस सप्ताह यूक्रेन को शीर्ष प्राथमिकता से घटाकर एक गौण खिलाड़ी बना दिया, लेकिन यूक्रेन में रूस का युद्ध यूरोपीय संघ के लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय बना हुआ है। सदस्य रूस के खिलाफ़ प्रतिबंधों के 18वें दौर और रूसी तेल पर मूल्य सीमा बनाए रखने के बारे में चर्चा करेंगे, ऐसे उपाय जिनका कुछ देश विरोध करते हैं क्योंकि इससे ऊर्जा की कीमतें बढ़ सकती हैं।
इस बीच, ट्रम्प की धमकी वाले टैरिफ यूरोपीय संघ पर भारी पड़ रहे हैं, जो सभी 27 सदस्य देशों की ओर से व्यापार सौदों पर बातचीत करता है। उन्होंने बुधवार को स्पेन पर रक्षा पर अधिक खर्च न करने के लिए हमला बोला और और अधिक टैरिफ लगाने का सुझाव दिया। फ्रांस के राष्ट्रपति ने ट्रम्प को लंबे समय से सहयोगी रहे अपने सहयोगियों के साथ व्यापार युद्ध शुरू करने के लिए आड़े हाथों लिया। यूरोपीय नेता मध्य पूर्व में युद्धों के नतीजों को लेकर भी चिंतित हैं और यूरोपीय संघ ईरान के साथ उसके परमाणु कार्यक्रम पर कूटनीतिक वार्ता को फिर से शुरू करने पर जोर दे रहा है। यूरोपीय संघ के सदस्यों को आंतरिक असहमतियों को दूर करना है। वे इस बात पर विभाजित हैं कि गाजा में इजरायल के आचरण के कारण उसके प्रति यूरोपीय नीति के बारे में क्या करना है। और वामपंथी दल यूरोपीय आयुक्त उर्सुला वॉन डेर लेयेन के यूरोपीय संघ के जलवायु नेतृत्व से हटकर सैन्य निवेश के पक्ष में जाने पर हमला कर रहे हैं। रक्षा और सुरक्षा एजेंडे में सबसे ऊपर रहने की संभावना है। शिखर सम्मेलन निष्कर्षों के एक बयान के साथ समाप्त होगा जो अगले चार महीनों के लिए ब्लॉक के लिए एजेंडा निर्धारित करेगा और इसे प्रमुख क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर यूरोप में राजनीतिक भावना के लिए एक संकेत के रूप में देखा जा सकता है।
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राजनाथ सिंह ने चीनी रक्षा मंत्री डॉन से मुलाकात की

  • कहा- दोनों पक्षों को सकारात्मक गति बनाए रखनी चाहिए
किंगदाओ। शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) समिट के दौरान भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और चीन के रक्षा मंत्री डॉन की मुलाकात हुई। राजनाथ सिंह ने खुद इसकी जानकारी दी। बैठक के बारे में जानकारी साझा करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि हमने द्विपक्षीय संबंधों से जुड़े मुद्दों पर रचनात्मक और दूरदर्शी विचारों का आदान-प्रदान किया। रक्षा मंत्री ने कैलाश मानसरोवर यात्रा के फिर से शुरू होने पर खुशी जताई।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर मुलाकात की तस्वीर साझा करते हुए लिखा, "किंगदाओ में एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक के दौरान चीन के रक्षा मंत्री एडमिरल डॉन जून के साथ बातचीत की। हमने द्विपक्षीय संबंधों से संबंधित मुद्दों पर रचनात्मक और दूरदर्शी विचारों का आदान-प्रदान किया। लगभग 6 साल के अंतराल के बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने पर अपनी खुशी व्यक्त की। दोनों पक्षों के लिए ये जरूरी है कि वो इस सकारात्मक गति को बनाए रखें और द्विपक्षीय संबंधों में नई जटिलताओं को जोड़ने से बचें।"
राजनाथ सिंह एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक के लिए गुरुवार को चीन पहुंचे। उनके आगमन पर एडमिरल डॉन जून ने उनका स्वागत किया। राजनाथ सिंह, डॉन जून और अन्य नेताओं ने रक्षा मंत्रियों की बैठक से पहले एक ग्रुप फोटो करवाया।
एससीओ सम्मेलन को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री सिंह ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए जघन्य आतंकी हमले का जिक्र किया, जिसमें एक नेपाली नागरिक सहित 26 नागरिक मारे गए थे। उन्होंने कहा कि भारत ने सीमा पार आतंकी ढांचे को नष्ट करने के लिए "ऑपरेशन सिंदूर" के माध्यम से आत्मरक्षा के अपने अधिकार का इस्तेमाल किया। उन्होंने एससीओ देशों से दोहरे मानदंडों को अस्वीकार करने और आतंकवाद की मदद करने वालों को जवाबदेह ठहराने का भी आग्रह किया।
भारत ने एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक में संयुक्त घोषणापत्र का समर्थन करने से इनकार कर दिया, क्योंकि इस घोषणापत्र में आतंकवाद से जुड़ी चिंताओं को बाहर रखा गया था।
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SCO शिखर सम्मेलन के दौरान राजनाथ सिंह ने बेलारूसी समकक्ष से मुलाकात की

क़िंगदाओ। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन के क़िंगदाओ में चल रहे शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक के दौरान गुरुवार को अपने बेलारूसी समकक्ष लेफ्टिनेंट जनरल विक्टर गेनाडिविच ख्रेनिन से मुलाकात की। सिंह ने 10 सदस्यीय ब्लॉक के सदस्यों की बैठक के दौरान रूसी रक्षा मंत्री एंड्री बेलौसोव के साथ द्विपक्षीय बैठक भी की।
इन मुलाकातों के क्रम में, शंघाई सहयोग संगठन के रक्षा मंत्रियों ने क़िंगदाओ अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन केंद्र का दौरा किया, वह स्थल जहां 2018 में एससीओ शिखर सम्मेलन की बैठक आयोजित की गई थी।
एससीओ रक्षा मंत्रियों की 25 से 26 जून तक आयोजित की जा रही बैठक में सदस्य देश प्रमुख क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक साथ आते हैं। व्यापक एजेंडे के हिस्से के रूप में, चर्चाओं में अंतर्राष्ट्रीय और क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा, आतंकवाद विरोधी सहयोग और एससीओ सदस्य देशों के रक्षा मंत्रालयों के बीच सहयोग बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने की उम्मीद है।
स्थल पर पहुंचने पर, सिंह का स्वागत चीनी रक्षा मंत्री एडमिरल डोंग जून ने किया। सिंह आधिकारिक कार्यवाही से पहले एडमिरल डोंग और अन्य भाग लेने वाले नेताओं के साथ एक समूह फोटोग्राफ के लिए शामिल हुए। राजनाथ सिंह के बाद पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे।
एक प्रेस विज्ञप्ति में, रक्षा मंत्रालय ने कहा, "रक्षा मंत्रालय से एससीओ के सिद्धांतों और अधिदेश के प्रति भारत की निरंतर प्रतिबद्धता को उजागर करने, अधिक अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा प्राप्त करने की दिशा में भारत के दृष्टिकोण को रेखांकित करने, क्षेत्र में आतंकवाद और उग्रवाद को खत्म करने के लिए संयुक्त और लगातार प्रयासों का आह्वान करने और एससीओ के भीतर अधिक व्यापार, आर्थिक सहयोग और कनेक्टिविटी की आवश्यकता पर जोर देने की उम्मीद है। वह बैठक के दौरान चीन और रूस सहित कुछ भाग लेने वाले देशों के रक्षा मंत्रियों के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी करेंगे।"
मंत्रालय ने कहा कि भारत, राजनीति, सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और क्षेत्र में लोगों के बीच संबंधों में बहुपक्षवाद और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक मंच के रूप में एससीओ को विशेष महत्व देता है। रक्षा मंत्रालय के बयान में कहा गया है, "एससीओ संप्रभुता, राष्ट्रों की क्षेत्रीय अखंडता, आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने, आपसी सम्मान, समझ और सभी सदस्य देशों की समानता के सिद्धांतों के आधार पर अपनी नीति का पालन करता है।" एससीओ 2001 में स्थापित एक अंतर-सरकारी संगठन है। भारत 2017 में इसका पूर्ण सदस्य बन गया और 2023 में इसके अध्यक्ष पद पर आसीन होगा। सदस्य देशों में भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान, ईरान और बेलारूस शामिल हैं। चीन ने "शंघाई भावना को कायम रखना: एससीओ आगे बढ़ रहा है" थीम के तहत 2025 के लिए एससीओ की अध्यक्षता संभाली है। (एएनआई)
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फॉक्सकॉन की भारत में बड़े निवेश की तैयारी, सप्लाई चेन का करेगी विस्तार

दिल्ली। ताइवानी दिग्गज कंपनी होन हाई प्रेसिजन इंडस्ट्री कंपनी लिमिटेड (फॉक्सकॉन) को ताइवान की सरकार से भारत और अमेरिका में 2.2 अरब डॉलर की राशि निवेश करने की मंजूरी मिल गई।
फॉक्सकॉन को मंजूरी ऐसे समय पर मिली है, जब वह चीन से बाहर अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं का तेजी से विस्तार कर रहा है। भारत सरकार की 'मेक इन इंडिया' और पीएलआई जैसी पहल बड़ी संख्या में विदेशी इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को आकर्षित करने में सफल रही हैं और इससे देश में तेजी से मैन्युफैक्चरिंग बढ़ी है और रोजगार के अवसर भी पैदा हुए हैं। फॉक्सकॉन को भारत और अमेरिका में 2.2 अरब डॉलर से अधिक की दो महत्वपूर्ण निवेश योजनाओं के लिए विनियामक अनुमोदन प्राप्त हुआ है। फोकस ताइवान की एक रिपोर्ट के अनुसार, मिनिस्ट्री ऑफ इकोनॉमिक अफेयर्स (एमओईए) के तहत आने वाले डिपार्टमेंट ऑफ इन्वेस्टमेंट रिव्यू ने इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग दिग्गज की निवेश योजना को मंजूरी दे दी है।
डिपार्टमेंट ने कंपनी की सहायक कंपनी फॉक्सकॉन सिंगापुर पीटीई लिमिटेड में पूंजी बढ़ाने के उद्देश्य से 1.49 अरब डॉलर के निवेश प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। कंपनी की सिंगापुर स्थित यह इकाई, युजान टेक्नोलॉजी (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड में निवेश करेगी, जो भारत में फॉक्सकॉन की सब्सिडियरी के तहत काम करने वाली एक अन्य इकाई है। प्रमुख ऐप्पल आईफोन मैन्युफैक्चरिंग कंपनी ने अपने भारतीय ऑपरेशंस में 1.48 अरब डॉलर (लगभग 12,800 करोड़ रुपए) का निवेश किया है। यह वर्तमान में स्मार्टफोन डिस्प्ले मॉड्यूल को असेंबल करने के लिए श्रीपेरंबुदूर में एक मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित कर रही है। उद्योग विशेषज्ञों के अनुसार, भारत ने 2014 से 2024 के बीच 500 अरब डॉलर से अधिक का एफडीआई इक्विटी इनफ्लो आकर्षित किया है, जो पिछले दशक में प्राप्त 208 अरब डॉलर से दोगुना से भी अधिक है। प्रमुख उद्योग चैंबर एसोचैम के अध्यक्ष संजय नायर के अनुसार, इसमें से 300 अरब डॉलर अकेले 2019 से 2024 के बीच आए है।
नायर ने बताया कि पिछले दशक में मैन्युफैक्चरिंग और डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर का पुनरुत्थान हुआ है। 2014 से अब तक कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर सेक्टर को 95 अरब डॉलर का एफडीआई मिला है, जबकि सर्विसेज (फाइनेंस और आईटी से लेकर आरएंडडी और कंसल्टेंसी तक) ने 77 अरब डॉलर का निवेश आकर्षित किया है।
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आतंकवाद के केंद्र अब सुरक्षित नहीं, हम उन्हें निशाना बनाने में संकोच नहीं करेंगे : राजनाथ सिंह

किंगदाओ। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह चीन के किंगदाओ में शंघाई कॉर्पोरेशन ऑर्गेनाइजेशन (एससीओ) रक्षा मंत्रियों की बैठक में शामिल होने पहुंचे हैं। गुरुवार को राजनाथ सिंह ने पहलगाम हमलों के बाद शुरू किए गए 'ऑपरेशन सिंदूर' का जिक्र किया। उन्होंने पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए कहा है कि कुछ देश सीमा पार आतंकवादियों को पनाह देते हैं।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक में कहा, "आतंकवाद के प्रति भारत का 'जीरो टॉलरेंस' आज जग जाहिर है। इसमें आतंकवाद के खिलाफ खुद की रक्षा करने का हमारा अधिकार भी शामिल है। हमने दिखाया कि आतंकवाद के केंद्र अब सुरक्षित नहीं हैं। हम उन्हें निशाना बनाने में संकोच नहीं करेंगे।"
उन्होंने आगे कहा, "हमें अपने युवाओं में कट्टरपंथ के प्रसार को रोकने के लिए भी सक्रिय कदम उठाने चाहिए। एससीओ के 'आरएटीएस तंत्र' ने इस संबंध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भारत की अध्यक्षता के दौरान जारी एससीओ राष्ट्राध्यक्षों की परिषद के संयुक्त वक्तव्य 'आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद को बढ़ावा देने वाले कट्टरपंथ का मुकाबला' पर हमारी साझा प्रतिबद्धता का प्रतीक है।"
रक्षा मंत्री ने कहा, "कुछ देश सीमा पार आतंकवाद को नीति के साधन के रूप में इस्तेमाल करते हैं और आतंकवादियों को पनाह देते हैं। ऐसे दोहरे मानदंडों के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। एससीओ को ऐसे देशों की आलोचना करने में संकोच नहीं करना चाहिए।"
राजनाथ सिंह ने क्षेत्र के सामने सबसे बड़ी चुनौती शांति, सुरक्षा और विश्वास की कमी को बताया। उन्होंने कहा कि शांति और समृद्धि आतंकवाद के साथ नहीं रह सकती। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, "मेरा मानना ​​है कि हमारे क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौतियां शांति, सुरक्षा और विश्वास की कमी से संबंधित हैं। इन समस्याओं का मूल कारण कट्टरपंथ, उग्रवाद और आतंकवाद में वृद्धि है।"
उन्होंने कहा, "शांति और समृद्धि उन परिस्थितियों में संभव नहीं, जहां आतंकवाद और सामूहिक विनाश के हथियार गैर-राज्य तत्वों और आतंकवादी संगठनों के हाथों में हों। इन चुनौतियों से निपटने के लिए निर्णायक कार्रवाई की जरूरत है। हमें इन बुराइयों के खिलाफ अपनी सामूहिक सुरक्षा और सुरक्षित भविष्य के लिए एकजुट होकर लड़ना होगा।"
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चीन में पाकिस्तान को भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जमकर सुनाया

  • चीन में एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक में राजनाथ सिंह हुए शामिल
नई दिल्ली। भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन के पोर्ट सिटी क़िंगदाओ में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में हिस्सा लिया. मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर सैन्य गतिरोध के बाद संबंधों में आई गंभीर तनाव के बाद किसी रक्षा मंत्री की यह पहली चीन यात्रा है. इस दौरान राजनाथ सिंह ने आतंकवाद, शांति और सुरक्षा सहित कई अहम मुद्दों पर बात की. उन्होंने कहा, "मेरा मानना ​​है कि हमारे क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौतियां शांति, सुरक्षा और विश्वास की कमी से जुड़ी हैं और इन समस्याओं का मूल कारण बढ़ता कट्टरपंथ, उग्रवाद और आतंकवाद है."
राजनाथ सिंह ने कहा, "शांति और समृद्धि आतंकवाद और गैर-राज्य अभिनेताओं और आतंकवादी समूहों के हाथों में सामूहिक विनाश के हथियारों (WMD) के प्रसार के साथ सह-अस्तित्व में नहीं रह सकती. इन चुनौतियों से निपटने के लिए निर्णायक कार्रवाई की जरूरत है और हमें अपनी सामूहिक सुरक्षा के लिए इन बुराइयों के खिलाफ अपनी लड़ाई में एकजुट होना चाहिए."उन्होंने आगे कहा, "यह जरूरी है कि जो लोग आतंकवाद को प्रायोजित, पोषित और अपने संकीर्ण और स्वार्थी उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल करते हैं, उन्हें इसके नतीजे भुगतने होंगे. कुछ देश सीमा पार आतंकवाद को नीति के साधन के रूप में इस्तेमाल करते हैं और आतंकवादियों को पनाह देते हैं. ऐसे दोहरे मानदंडों के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए. एससीओ को ऐसे देशों की आलोचना करने में संकोच नहीं करना चाहिए."
रक्षा मंत्री ने आगे कहा कि आतंकवाद के प्रति भारत की शून्य सहनशीलता आज उसके कार्यों से झलकती है. इसमें आतंकवाद के खिलाफ खुद की रक्षा करने का हमारा अधिकार भी शामिल है. हमने दिखा दिया है कि आतंकवाद के केंद्र अब सुरक्षित नहीं हैं और हम उन्हें निशाना बनाने में संकोच नहीं करेंगे.
राजनाथ सिंह ने कहा कि हमें अपने युवाओं में कट्टरपंथ के फैलाव को रोकने के लिए भी सक्रिय कदम उठाने चाहिए. SCO के RATS तंत्र ने इस संबंध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. भारत की अध्यक्षता के दौरान जारी किए गए 'आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद को बढ़ावा देने वाले कट्टरपंथ का मुकाबला करने' पर SCO के राष्ट्राध्यक्षों की परिषद का संयुक्त वक्तव्य हमारी साझा प्रतिबद्धता का प्रतीक है.
"हमें आतंकवादियों द्वारा हथियारों और ड्रग्स की सीमा पार तस्करी के लिए ड्रोन सहित इस्तेमाल की जाने वाली तकनीक का मुकाबला करने की कोशिश करनी चाहिए. हमारी आपस में जुड़ी दुनिया में, पारंपरिक सीमाएं अब खतरों के खिलाफ सिर्फ एक बाधा नहीं हैं. इसके बजाय, हम चुनौतियों के एक जाल का सामना कर रहे हैं, जो अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद और साइबर हमलों से लेकर हाइब्रिड युद्ध तक फैले हुए हैं."
रक्षा मंत्री ने कहा कि ये खतरे राष्ट्रीय सीमाओं का सम्मान नहीं करते हैं और इनके लिए पारदर्शिता, आपसी विश्वास और सहयोग पर आधारित एकीकृत प्रतिक्रिया की जरूरत होती है. भारत आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों से लड़ने के अपने संकल्प की पुष्टि करता है.
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4 सौ क्विंटल यूरेनियम गायब होने से ट्रंप के उड़े होश

  • बनाए जा सकते है दर्जनभर परमाणु बम
इजरायल। इजरायल से जारी युद्ध के बीच अमेरिका ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर बम बरसाए और दावा किया कि उन्हें पूरी तरह से तबाह कर दिया। साथ ही यह भी कहा कि ईरान फिलहाल परमाणु परीक्षण कर पाने की स्थित में नहीं रहा। इस सबके बीच अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने इंटरव्यू में बताया कि हाल ही में ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी हवाई हमलों के बाद लगभग 400 किलोग्राम उच्च संवर्धित यूरेनियम लापता है। यह यूरेनियम 60 प्रतिशत तक संवर्धित था और इसे 10 परमाणु हथियार बनाने के लिए पर्याप्त माना जा रहा है। वेंस ने कहा कि ये यूरेनियम भंडार ईरान के प्रमुख परमाणु स्थलों में संग्रहित था, लेकिन अमेरिकी हमलों से पहले ही इसे दूसरी जगहों पर ले जाया गया। उन्होंने दावा किया कि फोर्दो परमाणु फैसिलिटी को इस मिशन में गंभीर क्षति पहुंची है, हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें सटीक स्थिति की जानकारी नहीं है।
वेंस ने कहा, “इस ऑपरेशन का मुख्य उद्देश्य फोर्दो परमाणु फैसिलिटी को नष्ट करना था और हमें पूरा विश्वास है कि हमने इस लक्ष्य को काफी हद तक प्राप्त किया है।” साथ ही उन्होंने यह भी पुष्टि की कि आने वाले हफ्तों में ईरान के साथ लापता यूरेनियम को लेकर बातचीत की जाएगी।
इजरायली खुफिया एजेंसियों ने द न्यूयॉर्क टाइम्स को बताया कि ईरान ने हमलों से पहले ही यूरेनियम और संबंधित उपकरणों को एक गुप्त स्थान पर पहुंचा दिया था। सैटेलाइट तस्वीरों में फोर्दो स्थल के बाहर 16 ट्रकों का काफिला देखा गया था। इन्हीं तस्वीरों के आधार पर इजरायल ने अमेरिका से कार्रवाई की मांग की थी। इसके बाद अमेरिका ने B-2 स्पिरिट बॉम्बर्स द्वारा 'बंकर बस्टर' GBU-37 बमों के साथ "ऑपरेशन मिडनाइट हैमर" को अंजाम दिया, जिसमें फोर्दो, नतांज और इस्फहान स्थलों को निशाना बनाया गया। लेकिन बमबारी के बाद ट्रकों का कोई पता नहीं चला।
अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के प्रमुख राफाएल ग्रोसी ने कहा कि एजेंसी ने हमलों से एक सप्ताह पहले इन स्थलों का निरीक्षण किया था। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से अपील की कि स्थिति की गंभीरता को देखते हुए निरीक्षण तुरंत बहाल किया जाए। उन्होंने कहा, “यह कार्य अत्यंत आवश्यक है और इसमें देरी नहीं होनी चाहिए।”
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