दुनिया-जगत

पश्चिम एशिया तनाव के बीच जयशंकर ने UAE और आर्मेनिया के समकक्षों से बात की

नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को कहा कि उन्होंने यूएई के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री शेख अब्दुल्ला बिन जायद अल नाहयान से पश्चिम एशिया की मौजूदा स्थिति और कूटनीति की भूमिका पर बात की। इजराइल और ईरान के बीच बढ़ते सैन्य तनाव के बीच पश्चिम एशिया में स्थिति लगातार बदल रही है। एक्स पर एक पोस्ट में जयशंकर ने कहा, "पश्चिम एशिया की मौजूदा स्थिति और कूटनीति की भूमिका पर यूएई के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री @ABZayed के साथ टेलीकॉन हुआ। संपर्क में बने रहने पर सहमति बनी।" एक्स पर एक अन्य पोस्ट में जयशंकर ने कहा कि उन्होंने अपने अर्मेनियाई समकक्ष अरारत मिर्जोयान से भी बात की।
अर्मेनिया के विदेश मंत्री @AraratMirzoyan से बात की। जयशंकर ने कहा, "क्षेत्र में चल रहे घटनाक्रम और हमारे घनिष्ठ सहयोग पर चर्चा की।" इजरायल ने शुक्रवार को ईरान के परमाणु, मिसाइल और सैन्य परिसरों को निशाना बनाकर हमले किए, जिससे पश्चिम एशिया में तनाव बढ़ गया और इस्लामिक गणराज्य द्वारा जवाबी कार्रवाई की गई। भारत ने शुक्रवार को कहा था कि वह दोनों देशों के बीच हाल के घटनाक्रमों पर "गहरी चिंता" में है और उभरती स्थिति पर "बारीकी से नज़र रख रहा है", जबकि नई दिल्ली ने दोनों देशों से किसी भी तरह के आक्रामक कदम से बचने का आग्रह किया। बढ़ते तनाव के बीच, जयशंकर ने शुक्रवार को स्थिति पर चर्चा करने के लिए इजरायल और ईरान में अपने समकक्षों से बात की। शुक्रवार को एक पोस्ट में, जयशंकर ने कहा कि उन्हें इजरायल के विदेश मंत्री गिदोन सा’आर का फोन आया। बाद में एक अन्य पोस्ट में, जयशंकर ने कहा कि उन्होंने ईरान के विदेश मंत्री सैय्यद अब्बास अराघची के साथ भी टेलीफोन पर बातचीत की।
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भारत-साइप्रस व्यापार में अपार संभावनाएं, PM मोदी ने सीईओ फोरम में जताया विश्वास

लिमासोल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार (स्थानीय समय) को भारत- साइप्रस सीईओ फोरम को संबोधित करते हुए भारत की महत्वपूर्ण प्रगति और आर्थिक ताकत पर जोर दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि साइप्रस भारत के लिए एक भरोसेमंद साझेदार रहा है और उसने देश में महत्वपूर्ण निवेश किया है। कई भारतीय कंपनियों ने भी साइप्रस में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है , जिसे यूरोप के प्रवेश द्वार के रूप में देखा जाता है।
भारत और साइप्रस के बीच आपसी व्यापार 150 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया है, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी का मानना ​​है कि विकास और सहयोग की बहुत अधिक संभावनाएं हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा , " साइप्रस लंबे समय से हमारा विश्वसनीय साझेदार रहा है और यहां से भारत में महत्वपूर्ण निवेश हुआ है। कई भारतीय कंपनियां भी साइप्रस आई हैं ; एक तरह से साइप्रस को यूरोप के प्रवेश द्वार के रूप में देखा जाता है। आज आपसी व्यापार 150 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया है, लेकिन हमारे संबंधों की वास्तविक क्षमता इससे कहीं अधिक है...", उन्होंने भारत की बढ़ती आर्थिक ताकत पर प्रकाश डाला, जिसके साथ देश निकट भविष्य में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए तैयार है। भारत- साइप्रस सीईओ फोरम को संबोधित करते हुए, पीएम मोदी ने भारत के तेज़ विकास और साइप्रस के साथ सहयोग की इसकी क्षमता पर जोर दिया ।
पीएम मोदी ने कहा, "...पिछले एक दशक में भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और बहुत निकट भविष्य में हम दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर बहुत तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। आज भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती उभरती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है...आज भारत के पास स्पष्ट नीति है..."
प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी सरकार की लगातार तीसरी चुनावी जीत के बाद पिछले दशक में हुई "डिजिटल क्रांति" पर प्रकाश डाला और कहा कि "दुनिया के 50 प्रतिशत डिजिटल लेनदेन भारत में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) के माध्यम से होते हैं।"
पीएम मोदी ने कहा, "ऐसा 6 दशक बाद हुआ है कि लगातार तीसरी बार एक ही सरकार चुनी गई है। पिछले 10 वर्षों में डिजिटल क्रांति हुई है। वित्तीय समावेशन इसका एक उदाहरण बन गया है। आज दुनिया के 50 प्रतिशत डिजिटल लेन-देन यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस यानी यूपीआई के जरिए भारत में होते हैं।"
प्रधानमंत्री ने फ्रांस की तरह साइप्रस को भी यूपीआई में शामिल करने के लिए हो रही बातचीत का स्वागत किया और कहा, "फ्रांस जैसे कई देश इससे जुड़े हुए हैं। साइप्रस को इसमें शामिल करने के लिए बातचीत चल रही है और मैं इसका स्वागत करता हूं।"
उन्होंने भारत की बढ़ती आर्थिक ताकत और भविष्य के बुनियादी ढांचे के विकास पर इसके फोकस पर प्रकाश डाला। पीएम मोदी ने नए विनिर्माण मिशन, समुद्री और बंदरगाह विकास, जहाज निर्माण और तेजी से बढ़ते नागरिक विमानन क्षेत्र सहित फोकस क्षेत्रों के बारे में भी विस्तार से बताया।
पीएम मोदी ने कहा, "हम भारत में भविष्य के बुनियादी ढांचे के विकास में सालाना सौ अरब डॉलर से अधिक का निवेश कर रहे हैं। इस साल के बजट में हमने मैन्युफैक्चरिंग मिशन शुरू किया है। हमारा फोकस समुद्री और बंदरगाह विकास पर है। हम जहाज निर्माण और जहाज तोड़ने को भी प्राथमिकता दे रहे हैं। इसके लिए नई नीति भी लाई जा रही है। नागरिक उड्डयन क्षेत्र भी तेजी से आगे बढ़ रहा है। नवाचार भारत की आर्थिक ताकत का एक मजबूत स्तंभ बन गया है। हमारे 1 लाख से अधिक स्टार्टअप सिर्फ सपने नहीं, बल्कि समाधान बेचते हैं..."
प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी बताया कि साइप्रस स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) ने गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी (गिफ्ट सिटी) में सहयोग करने पर सहमति व्यक्त की है, जिससे आर्थिक सहयोग और निवेश के अवसरों को बढ़ावा मिलेगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "मुझे खुशी है कि साइप्रस स्टॉक एक्सचेंज और एनएसई (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) ने मेरे गृह राज्य गुजरात में गिफ्ट सिटी में सहयोग पर सहमति व्यक्त की है..."
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत इस वर्ष के अंत तक यूरोपीय संघ के साथ मुक्त व्यापार समझौता ( एफटीए ) करने के लिए प्रतिबद्ध है, जो पिछले महीने ब्रिटेन के साथ हुई महत्वाकांक्षी एफटीए पर हुई बातचीत और सहमति के बाद प्राप्त गति पर आधारित होगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने भारत, साइप्रस और ग्रीस व्यापार एवं निवेश परिषद की स्थापना का स्वागत किया, जो आर्थिक सहयोग और विकास के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में काम कर सकता है।
"पिछले महीने भारत और ब्रिटेन के बीच एक महत्वाकांक्षी एफटीए पर सहमति बनी थी। हम इस साल के अंत तक भारत और यूरोपीय संघ के बीच एक मुक्त व्यापार समझौता करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस पर बातचीत में गति आ रही है। मैं भारत, साइप्रस और ग्रीस व्यापार और निवेश परिषद की स्थापना का स्वागत करता हूं। यह एक बहुत अच्छी पहल है और आर्थिक सहयोग के लिए एक महत्वपूर्ण मंच बन सकती है। मेरी टीम ने सभी के विचारों और सुझावों को नोट किया है। हम एक कार्य योजना बनाकर इनका पालन करेंगे। मैं आपको भारत आने के लिए भी आमंत्रित करता हूं...", पीएम मोदी ने कहा।
प्रधानमंत्री मोदी ने हवाई अड्डे पर उनका स्वागत करने के लिए साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलिडेस को भी धन्यवाद दिया।
उन्होंने कहा, "मैं आज के लिए राष्ट्रपति के प्रति आभार व्यक्त करना चाहता हूं, वे मुझे हवाई अड्डे पर लेने आए। उन्होंने व्यापारिक नेताओं के साथ एक बड़ी गोलमेज बैठक आयोजित की। मैं उनके द्वारा मुझे दिए गए सकारात्मक विचारों और हमारी साझेदारी के लिए भी ईमानदारी से उनका धन्यवाद करता हूं।"
प्रधानमंत्री मोदी राष्ट्रपति क्रिस्टोडौलिडेस के निमंत्रण पर 15-16 जून तक साइप्रस की यात्रा पर जा रहे हैं । यह 20 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली साइप्रस यात्रा है। (एएनआई)
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PM मोदी ने रणनीतिक संबंधों को बढ़ावा देने साइप्रस में बिजनेस राउंडटेबल इवेंट में भाग लिया

लिमासोल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलिडेस के साथ एक बिजनेस राउंडटेबल कार्यक्रम में भाग लिया और कई क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को बढ़ावा देने के लिए प्रमुख सीईओ के साथ बातचीत की।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर पीएम मोदी ने कहा, "राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलिडेस और मैंने, भारत और साइप्रस के बीच वाणिज्यिक संबंधों को और अधिक मजबूत बनाने के लिए अग्रणी कंपनियों के सीईओ के साथ बातचीत की। इनोवेशन, एनर्जी, टेक्नोलॉजी और अन्य क्षेत्रों में अपार संभावनाएं हैं। मैंने पिछले दशक में भारत के विकास के बारे में भी चर्चा की।"
इससे पहले साइप्रस के राष्ट्रपति ने एक्स पर कहा, "आज, हम साइप्रस और भारत के बीच आर्थिक सहयोग को गहरा और विस्तारित कर रहे हैं। साथ मिलकर हम रणनीतिक साझेदारी के एक नए युग में प्रवेश कर रहे हैं, जो विश्वास और हमारे साझा मूल्यों पर आधारित है और इनोवेशन हमारी समृद्ध ऐतिहासिक यात्रा द्वारा संचालित है।" साइप्रस के राष्ट्रपति ने एक्स पर एक अन्य पोस्ट में कहा, "भारतीय प्रधानमंत्री और साइप्रस एवं भारतीय व्यापारिक समुदाय के सदस्यों के साथ राउंडटेबल पर चर्चा की।"
प्रधानमंत्री मोदी रविवार को साइप्रस पहुंचे और यह पिछले दो दशकों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की इस द्वीपीय देश की पहली यात्रा है। साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलिड्स द्वारा लारनाका अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर औपचारिक सम्मान के साथ स्वागत किए जाने से इस यात्रा ने भारत-साइप्रस संबंधों में नई गति का संकेत दिया, जिसमें दोनों देशों ने व्यापार, प्रौद्योगिकी, शिक्षा और सांस्कृतिक आदान-प्रदान में गहन सहयोग के लिए प्रतिबद्धता जताई।
साइप्रस में भारतीय प्रवासियों ने प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा का स्वागत "वंदे मातरम" और "भारत माता की जय" के नारों के साथ किया। साइप्रस ने वैश्विक मुद्दों पर भारत के रुख का लगातार समर्थन किया है, जिसमें सीमा पार से आतंकवाद की निंदा भी शामिल है।
भारत की आंतरिक नीतियों की तुर्की द्वारा हाल ही में की गई आलोचना के विपरीत, साइप्रस एक विश्वसनीय सहयोगी के रूप में उभरा है, जिसने संयुक्त राष्ट्र जैसे मंचों पर भारत की आकांक्षाओं की वकालत की है।
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इजरायल के ईरान पर भयंकर हमले, 20 कमांडरों सहित 78 की मौत

तेहरान। इजरायल और ईरान के बीच वर्षों से सुलगती दुश्मनी अब खुले युद्ध में बदल गई है। शुक्रवार तडक़े इजरायल ने ईरान की राजधानी तेहरान सहित चार एटमी और कम से कम 60 सैन्य ठिकानों पर लड़ाकू विमानों से जबरदस्त बमबारी की। इस हमले में ईरान के 20 सैन्य कमांडर और 78 से ज्यादा नागरिक मारे गए। मारे गए कमांडरों में ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशन गाड्र्स कॉप्र्स के चीफ कमांडर होसैन सलामी और ईरान के खतम अल-अनबिया सेंट्रल हेडक्वार्टर के कमांडर घोलम-अली राशिद शामिल रहे। इस हमले में ईरान के कम से कम छह प्रमुख परमाणु वैज्ञानिक मारे गए। इन वैज्ञानिकों की मौत ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को गहरा झटका दिया है। मारे गए वैज्ञानिकों में अब्दुल हमीद मिनोउचहर, अहमदरजा जोल्फाघारी, सैयद अमीरहोसेन फेक्ही, मोत्लाबीजादेह, मोहम्मद मेहदी तहरेनची और फेरेदून अब्बासी के नाम शामिल हैं। ये सभी वैज्ञानिक यूरेनियम संवर्धन प्रक्रिया में विशेषज्ञ थे। इसके अलावा सेंट्रीफ्यूज तकनीक के विकास में भी इनका अहम योगदान रहा है। इन छह वैज्ञानिकों की मौत से ईरान के परमाणु कार्यक्रम को गहरा नुकसान पहुंचा है। इनकी मौत से ईरान का परमाणु सपना एक से दो साल पीछे जा चुका है। ईरान ने इजरायली हमलों को ‘युद्ध की घोषणा’ करार दिया है।
ईरानी सेना ने साफ कहा है कि अब जवाबी कार्रवाई की कोई सीमा नहीं होगी। ईरानी राष्ट्रपति ने धमकी दी कि इजरायल अपने इस कदम पर पछताएगा। ईरान ने तत्काल प्रतिक्रिया के रूप में इजरायल पर 100 से ज्यादा ड्रोन से हमला करने की कोशिश की। हालांकि इजरायल ने इन सभी ड्रोन को उसकी सीमा में घुसने से पहले ही मार गिराने का दावा किया है। इसके बाद इजरायली वायुसेना ने ईरान के ताबरीज और शिराज में एयरफोर्स बेस को निशाना बनाया है। इस बीच अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी धमाकेदार बयान दिया। उन्होंने कहा कि मैंने ईरान को कई बार डील का मौका दिया था। उसे चेताया था कि अमरीका और इजरायल के पास दुनिया के सबसे घातक हथियार हैं, मगर उसने नहीं सुना। अब वे भुगत रहे हैं तथा आगे और भी तबाही तय है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह हमला सिर्फ एक जवाबी कार्रवाई तक सीमित नहीं रहेगा,बल्कि एक बड़े युद्ध की शुरुआत हो सकती है, जबकि फ्रांस, रूस, भारत और चीन जैसे देश तनाव कम करने की अपील कर रहे हैं। दोनों पक्ष पीछे हटने को तैयार नहीं दिखते। अगला कदम अब ईरान का होगा, जिसे दुनिया सांस रोककर देख रही है। ईरान ने इस हमले को परमाणु आतंकवाद करार दिया है और इजराइल व अमरीका को जिम्मेदार ठहराया है। उसने संयुक्त राष्ट्र में शिकायत करते हुए बदला लेने की बात भी कही है।
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इजराइल-ईरान संघर्ष के बीच भारत ने सुरक्षा सलाह जारी की

नई दिल्ली। बढ़ते क्षेत्रीय तनाव के बीच, इजरायल में भारतीय दूतावास ने ईरान-इजरायल के बीच संघर्ष बढ़ने के बीच देश में रहने वाले भारतीय नागरिकों के लिए शनिवार को एक नई सुरक्षा सलाह जारी की। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में, आधिकारिक हैंडल @indemtel ने कहा: "क्षेत्र में मौजूदा स्थिति को देखते हुए, इजरायल में सभी भारतीय नागरिकों को सतर्क रहने और इजरायली अधिकारियों और होम फ्रंट कमांड द्वारा जारी किए गए सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करने की सलाह दी जाती है।" सलाह में भारतीय नागरिकों से सावधानी बरतने, देश के भीतर सभी गैर-जरूरी यात्राओं से बचने और निर्दिष्ट सुरक्षा आश्रयों के करीब रहने का आग्रह किया गया है।
इसमें कहा गया है, "हम भारतीय नागरिकों की सुरक्षा और भलाई सहित विकसित स्थिति की लगातार निगरानी कर रहे हैं। किसी भी आपात स्थिति में, कृपया दूतावास के 24×7 टेलीफोन: +972 54-7520711, +972 54-3278392, या ईमेल: cons1.telaviv@mea.gov.in पर संपर्क करें।" इससे पहले शुक्रवार को इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की और उन्हें दिन में पहले ईरान के खिलाफ इजरायल रक्षा बलों (आईडीएफ) द्वारा सैन्य अभियान शुरू करने के बाद “विकसित स्थिति” के बारे में जानकारी दी।
“इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू से फोन पर बात की। उन्होंने मुझे विकसित स्थिति के बारे में जानकारी दी। मैंने भारत की चिंताओं को साझा किया और क्षेत्र में शांति और स्थिरता की शीघ्र बहाली की आवश्यकता पर जोर दिया,” फोन कॉल के बाद पीएम मोदी ने एक्स पर पोस्ट किया। नेतन्याहू के कार्यालय ने कहा कि उन्होंने “ईरान के विनाश के खतरे” को दूर करने के लिए इजरायल द्वारा ‘ऑपरेशन राइजिंग लायन’ शुरू करने के बाद पीएम मोदी सहित विश्व नेताओं से बात की। इजरायल के प्रधानमंत्री के कार्यालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया, “कल रात से प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने जर्मन चांसलर, भारतीय प्रधानमंत्री और फ्रांसीसी राष्ट्रपति सहित विश्व नेताओं के साथ बातचीत की है। प्रधानमंत्री अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प, रूसी राष्ट्रपति पुतिन और ब्रिटिश प्रधानमंत्री से बात करने वाले हैं।”
इसमें आगे कहा गया, "नेताओं ने ईरान के विनाश के खतरे के मद्देनजर इजरायल की रक्षा जरूरतों के प्रति समझदारी दिखाई; प्रधानमंत्री ने कहा कि वह आने वाले दिनों में उनके संपर्क में बने रहेंगे।" शुक्रवार को नेतन्याहू ने आधिकारिक तौर पर 'ऑपरेशन राइजिंग लायन' की शुरुआत की घोषणा की, जो इजरायल की सुरक्षा के लिए ईरान के परमाणु खतरे को खत्म करने के लिए एक लक्षित सैन्य अभियान है। शनिवार को तनाव और बढ़ गया जब ईरान से मध्य और उत्तरी इजरायल की ओर दो बड़े बैराज में लगभग 100 मिसाइलें दागी गईं। इजरायली सेना और राष्ट्रीय आपातकालीन सेवा मैगन डेविड एडोम (एमडीए) के अनुसार, हमलों के परिणामस्वरूप कम से कम 41 लोगों को काफी नुकसान हुआ और वे घायल हो गए। एमडीए ने बताया कि दो व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो गए, दो को मध्यम चोटें आईं और चार को हल्की से मध्यम चोटें आईं। बाकी लोगों को हल्की चोटें आईं या उन्हें घबराहट के दौरे सहित आघात संबंधी लक्षण दिखाई दिए। ईरानी राज्य टेलीविजन ने बाद में पुष्टि की कि मिसाइल हमले दोनों देशों के बीच बढ़ती शत्रुता के बीच नए सिरे से शुरू किए गए आक्रमण का हिस्सा थे। आईडीएफ ने हमलों की पुष्टि करते हुए कहा कि "इज़राइल की ओर एक और बमबारी की गई है", हालांकि मिसाइलों की संख्या और विशिष्ट लक्ष्य क्षेत्रों का तुरंत खुलासा नहीं किया गया।
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ईरान के ज़ांजन में सेना के अड्डे पर इज़रायली हवाई हमला : रिपोर्ट

तेल अवीव। रिपोर्टों से पता चलता है कि इज़रायली लड़ाकू विमानों ने उत्तरी ईरान में तेहरान से लगभग 200 मील दूर स्थित शहर ज़ांजन में एक सेना के अड्डे को निशाना बनाया है, अल जज़ीरा ने यूके स्थित आउटलेट ईरान इंटरनेशनल का हवाला देते हुए रिपोर्ट की। हमले के बाद की स्थिति में काफ़ी नुकसान हुआ, जिसमें बड़ी आग और धुआँ भी शामिल है।
इज़रायली वायु सेना ने एक्स पर एक वीडियो साझा किया और लिखा, "ईरानी क्षेत्र में खतरों को खत्म करने के लिए वायु सेना लगातार ठिकानों पर हमला कर रही है।" इससे पहले, इज़रायल डिफेंस फोर्सेज इंटरनेशनल के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल नदाव शोशानी ने कहा कि इज़रायल ने आतंकी ठिकानों को निशाना बनाकर सटीक अभियान चलाया, जबकि ईरान ने नागरिक आबादी पर गोलीबारी की।
एक्स पर एक पोस्ट में उन्होंने कहा, "इज़राइल ने हज़ारों मील दूर से काम करते हुए आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए। ईरान ने नागरिक आबादी पर अंधाधुंध मिसाइलें दागीं। एक पक्ष बहादुरी से ऑपरेशन करता है और अपने नागरिकों को सुरक्षित रखता है - दूसरा पक्ष कायरों की तरह छिपता है और नागरिकों को निशाना बनाता है। आपको बस इतना ही जानना है।" उन्होंने कहा कि दुनिया इसे सिर्फ़ इज़राइल की समस्या नहीं मान सकती।
एक्स पर एक पोस्ट में उन्होंने कहा, "एक बार फिर, ईरानी मिसाइलों का निशाना पूरे इज़राइल में घर, परिवार, बच्चे हैं। दुनिया अब इसे सिर्फ़ इज़राइल की समस्या नहीं मान सकती। चुप्पी का मतलब है मिलीभगत।" यह शुक्रवार को इज़राइल द्वारा ईरान की परमाणु सुविधाओं पर "पूर्व-निवारक" हमले शुरू करने के बाद आया है। स्पष्टीकरण में, इजरायली रक्षा बलों (आईडीएफ) ने एक्स पर कहा, "ईरान परमाणु हथियार प्राप्त करने के पहले से कहीं अधिक करीब है। ईरानी शासन के हाथों में सामूहिक विनाश के हथियार इजरायल राज्य और व्यापक दुनिया के लिए एक अस्तित्वगत खतरा हैं। इजरायल राज्य के पास अपने नागरिकों की रक्षा के लिए कार्य करने के दायित्व को पूरा करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है और ऐसा करना हर जगह जारी रहेगा।" जवाब में, ईरान ने तेल अवीव पर ड्रोन और मिसाइल हमले करके जवाबी कार्रवाई की। तब से इजरायल ने अपने जवाबी हमले जारी रखे हैं।
इस बीच, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता एस्माईल बाकेई ने अमेरिका पर ईरान पर इजरायल के हमले का समर्थन करने का आरोप लगाया, उन्होंने कहा कि वाशिंगटन की अनुमति के बिना हमला नहीं हुआ होगा, अल जजीरा ने अर्ध-आधिकारिक तस्नीम समाचार एजेंसी का हवाला देते हुए बताया। "दूसरे पक्ष [अमेरिका] ने इस तरह से काम किया है कि बातचीत निरर्थक हो गई है," बाकेई ने हाल के महीनों में तेहरान के साथ उसके परमाणु कार्यक्रम को रोकने के लिए अमेरिका द्वारा की गई बातचीत के बारे में कहा। उन्होंने कहा, "आप बातचीत करने का दावा नहीं कर सकते और साथ ही ज़ायोनी शासन [इज़राइल] को ईरान के क्षेत्र को निशाना बनाने की अनुमति देकर काम को विभाजित भी नहीं कर सकते।" (एएनआई)
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ईरान, इराक के ऊपर हवाई क्षेत्र अनुपलब्ध है, जिससे इजराइल-ईरान तनाव के बाद यात्रा में देरी हो रही

नई दिल्ली। शनिवार को इंडिगो की ओर से जारी एक सलाह में कहा गया है कि ईरान, इराक और आस-पास के इलाकों के ऊपर हवाई क्षेत्र अनुपलब्ध है, जिससे इजराइल और ईरान के बीच तनाव के बीच यात्रा की अवधि बढ़ गई है या देरी हो रही है। एक्स पर एक पोस्ट में, इंडिगो ने कहा, "ईरान और आस-पास के इलाकों के ऊपर हवाई क्षेत्र अनुपलब्ध है। कुछ उड़ान मार्गों को समायोजन की आवश्यकता हो सकती है, जिससे यात्रा की अवधि बढ़ सकती है या देरी हो सकती है।"
"हम हवाई अड्डे के लिए रवाना होने से पहले हमारी वेबसाइट या मोबाइल ऐप पर अपनी उड़ान की स्थिति की जांच करने की सलाह देते हैं। हमारी टीमें आपकी किसी भी सहायता को प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध और उपलब्ध हैं। हम आपके धैर्य और समझ की सराहना करते हैं क्योंकि हम एक सुरक्षित और निर्बाध यात्रा सुनिश्चित करने का प्रयास करते हैं," पोस्ट में लिखा है।
शुक्रवार को, ईरान, इराक और पड़ोसी क्षेत्र के ऊपर हवाई क्षेत्र की स्थिति ने देश में उड़ान के शेड्यूल को प्रभावित किया। यह सलाह शुक्रवार को इजरायल द्वारा ईरान के परमाणु कार्यक्रम को निशाना बनाकर किए गए "पूर्व-निवारक अभियान" के बाद आई है। नेतन्याहू ने एक वीडियो बयान में इजरायली सेना द्वारा किए गए "बहुत सफल शुरुआती हमले" की घोषणा की। उन्होंने कहा कि इजरायल ने अपने बड़े पैमाने के सैन्य अभियान के माध्यम से, जिसे उन्होंने 'राइजिंग लायन' नाम दिया, "ईरान की मुख्य संवर्धन सुविधा" और "ईरान के प्रमुख परमाणु वैज्ञानिकों को निशाना बनाया जो ईरानी बम पर काम कर रहे हैं।" इजरायली प्रधानमंत्री ने वैश्विक चेतावनियों के बावजूद ईरान पर परमाणु हथियार कार्यक्रम को आगे बढ़ाने का आरोप लगाया, उन्होंने कहा कि तेहरान के पास कई परमाणु बम बनाने में सक्षम समृद्ध यूरेनियम का भंडार है।
ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने कहा कि ईरान के सशस्त्र बल इजरायल का सामना करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि देश के सभी अधिकारी सशस्त्र बलों के पक्ष में हैं। टाइम्स ऑफ इजरायल के अनुसार, नवीनतम ईरानी मिसाइल बैराज में एक महिला की मौत हो गई और पांच घायल हो गए।
स्पष्टीकरण में, इजरायली रक्षा बलों (आईडीएफ) ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "ईरान परमाणु हथियार प्राप्त करने के पहले से कहीं अधिक करीब है। ईरानी शासन के हाथों में सामूहिक विनाश के हथियार इजरायल राज्य और व्यापक दुनिया के लिए एक अस्तित्वगत खतरा हैं। इजरायल राज्य के पास अपने नागरिकों की रक्षा के लिए कार्य करने के दायित्व को पूरा करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है और ऐसा करना हर जगह जारी रहेगा, जहाँ ऐसा करने की आवश्यकता होगी।" हमले के बाद, सीएनएन ने बताया कि सैन्य नेताओं और परमाणु वैज्ञानिकों सहित ईरान के कई शीर्ष व्यक्ति मारे गए। जवाब में, ईरान ने तेल अवीव पर गोलाबारी और मिसाइल हमले करके जवाबी कार्रवाई की। तब से इजरायल ने अपने जवाबी हमले जारी रखे हैं। (एएनआई)
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अहमदाबाद विमान दुर्घटना जांच में ब्रिटेन शामिल, अमेरिका ने समर्थन दिया

अमेरिका। यूनाइटेड किंगडम की एयर एक्सीडेंट्स इन्वेस्टिगेशन ब्रांच (AAIB) और यूनाइटेड स्टेट्स की फेडरल एविएशन एजेंसी (FAA) ने गुरुवार को अहमदाबाद से लंदन गैटविक (LGW) के लिए उड़ान भरने वाले एयर इंडिया के विमान AI171 की दुखद दुर्घटना के बाद भारतीय अधिकारियों द्वारा की जा रही जांच में सहायता की पेशकश की। “यूके एयर एक्सीडेंट्स इन्वेस्टिगेशन ब्रांच (AAIB) ने औपचारिक रूप से विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो, भारत को अपनी सहायता की पेशकश की है। इसके अलावा, यूके AAIB को भारतीय सुरक्षा जांच में विशेषज्ञ का दर्जा प्राप्त होगा। यह ICAO अनुलग्नक 13 के अनुसार है क्योंकि विमान में यूके के नागरिक सवार थे,” AAIB द्वारा जारी एक बयान में कहा गया। “हम भारत में भारतीय नेतृत्व वाली जांच का समर्थन करने के लिए एक बहु-विषयक जांच दल तैनात कर रहे हैं। हमारी संवेदनाएँ इस दुखद दुर्घटना से प्रभावित सभी लोगों के साथ हैं,” इसमें कहा गया।
लंदन जाने वाले बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर विमान में कम से कम 169 भारतीय और 53 ब्रिटिश नागरिक यात्रा कर रहे थे, जो गुरुवार दोपहर अहमदाबाद हवाई अड्डे से उड़ान भरने के तुरंत बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया। विमान दुर्घटना के तुरंत बाद, भारत में ब्रिटिश उच्चायोग ने कहा कि वह स्थानीय अधिकारियों के साथ मिलकर तथ्यों को तत्काल स्थापित करने और इसमें शामिल लोगों को सहायता प्रदान करने के लिए काम कर रहा है। इस बीच, लंदन में, विदेश, राष्ट्रमंडल और विकास कार्यालय (FCDO) ने कहा कि जिन ब्रिटिश नागरिकों को कांसुलर सहायता की आवश्यकता है या जिन्हें अपने मित्रों या परिवार के बारे में चिंता है, उन्हें सूचीबद्ध फ़ोन नंबरों पर कॉल करना चाहिए। परामर्श में यह भी उल्लेख किया गया है कि गुजरात राज्य सरकार ने एक आपातकालीन केंद्र स्थापित किया है
, जिससे संपर्क किया जा सकता है, जबकि एयर इंडिया ने भी एक समर्पित यात्री हॉटलाइन नंबर स्थापित किया है। "आज की दुखद घटना के संबंध में यूके के निरंतर समर्थन के हिस्से के रूप में, AAIB भारतीय अधिकारियों को उनकी जांच में सहायता करने के लिए भारत में एक टीम तैनात करेगा। मुझे घटनाक्रम पर नियमित अपडेट मिलते रहते हैं, और मेरी संवेदनाएँ इसमें शामिल सभी लोगों के साथ हैं," यूके के परिवहन सचिव हेइडी अलेक्जेंडर ने एक्स पर पोस्ट किया। देश की वायु दुर्घटना जांच शाखा यूके, उसके विदेशी क्षेत्रों और क्राउन निर्भरता के भीतर नागरिक विमान दुर्घटनाओं और गंभीर घटनाओं की जांच करती है। AAIB निरीक्षक चार मुख्य विषयों से हैं: संचालन, इंजीनियरिंग, रिकॉर्ड किए गए डेटा और मानवीय कारक। फील्ड जांच के लिए, शाखा इन विषयों से चुने गए निरीक्षकों की एक छोटी टीम (कम से कम दो) को दुर्घटना स्थल पर या किसी गंभीर घटना के बाद विमान के स्थान पर भेजती है।
AAIB ने विस्तार से बताया कि "किसी वाणिज्यिक विमान से जुड़ी गंभीर घटना की पत्राचार जांच में अधिक शामिल हो सकता है, उदाहरण के लिए उड़ान डेटा रिकॉर्डर की वसूली और हमारी प्रयोगशालाओं में साक्ष्य का विश्लेषण शामिल है। औसतन, पत्राचार जांच किसी घटना की तारीख से लगभग तीन महीने बाद प्रकाशित की जाती है।" यूनाइटेड स्टेट्स की संघीय विमानन एजेंसी ने भी एयर इंडिया फ्लाइट AI171 पर एक बयान जारी किया, जिसमें कहा गया कि वह राष्ट्रीय परिवहन सुरक्षा बोर्ड (NTSB) के साथ समन्वय में तुरंत एक टीम लॉन्च करने के लिए तैयार है - एक स्वतंत्र अमेरिकी सरकारी जांच एजेंसी जो नागरिक परिवहन दुर्घटना जांच के लिए जिम्मेदार है।
एफएए द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है, "अहमदाबाद (एएमडी) से लंदन गैटविक (एलजीडब्ल्यू) के लिए उड़ान भरने वाली एयर इंडिया की फ्लाइट एआई171 के संबंध में एफएए एनटीएसबी के संपर्क में है, जो गुरुवार 12 जून को भारत में दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। जब कोई अंतरराष्ट्रीय घटना होती है, तो वह सरकार जांच का नेतृत्व करती है। सहायता का अनुरोध किए जाने की स्थिति में, एनटीएसबी आधिकारिक अमेरिकी प्रतिनिधि है और एफएए तकनीकी सहायता प्रदान करता है। हम एनटीएसबी के साथ समन्वय में तुरंत एक टीम भेजने के लिए तैयार हैं।"
 
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ईरान पर इजरायल का अटैक, भारत ने अपने नारगिकों के लिए जारी की अर्जेंट एडवाइजरी

नई दिल्ली। इजरायल और ईरान में बढ़ते तनाव के बीच, तेल अवीव में भारतीय दूतावास ने देश में मौजूद भारतीय नागरिकों को एक 'अर्जेंट एडवाइजरी' जारी की है। इस एडवाइजरी में यहां रह रहे भारतीय नागरिकों से सतर्क रहने, गैर-जरूरी आवाजाही से बचने और स्थानीय सुरक्षा निर्देशों का पालन करने की सलाह दी गई है।
यह सलाह शुक्रवार सुबह इजरायल के ईरान पर बड़े हवाई हमले करने के बाद आई है, जिससे व्यापक क्षेत्रीय संघर्ष की चिंता बढ़ गई है। इजरायल ने ऑपरेशन को 'नेशन ऑफ लायंस' नाम दिया है। सोशल मीडिया पर भारतीय मिशन ने इजरायल में रहने वाले या यात्रा करने वाले भारतीय नागरिकों के लिए सावधानी और तैयारी के महत्व पर जोर दिया है।
इजरायल में भारतीय दूतावास ने 'एक्स' पोस्ट में लिखा, "क्षेत्र में मौजूदा हालात को देखते हुए, इजरायल में सभी भारतीय नागरिकों को सतर्क रहने और इजरायली अधिकारियों और होम फ्रंट कमांड के बताए गए सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करने की सलाह दी जाती है। कृपया सावधानी बरतें, देश में अनावश्यक यात्रा से बचें और सेफ्टी शेल्टर के करीब रहें।"
दूतावास ने भारतीय नागरिकों से ऑफिशियल चैनल्स के जरिए से अपडेट रहने और किसी भी आपात स्थिति में मिशन के संपर्क में रहने का भी सलाह दी है। यह सलाह इजरायल के ईरान पर 'प्रीएम्प्टिव स्ट्राइक' (अचानक किया गया हमला) करने के बाद विशेष आपातकाल की घोषणा के बाद जारी की गई है। स्थिति अभी भी अस्थिर है। तेहरान में विस्फोटों की सूचना मिली है। समूचे इजरायल में सुरक्षा उपाय बढ़ा दिए गए हैं।
ये हमले तेहरान न्यूक्लियर प्रोग्राम और इजरायल की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए इसके कथित खतरे को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच हुए हैं। एक टेलीविजन बयान में इजरायल के प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस हमले की पुष्टि की। उन्होंने कहा इसे 'इजरायल के अस्तित्व के लिए जरूरी और ईरानी खतरे को कम करने को लेकर किया गया 'टारगेट सैन्य अभियान' बताया है।
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Russia ने 1,200 से ज़्यादा यूक्रेनी सैनिकों के शव लौटाए

मॉस्को। क्रेमलिन के अधिकारी व्लादिमीर मेडिंस्की के हवाले से आरटी ने रिपोर्ट दी है कि रूस ने कीव के साथ हुए हालिया आदान-प्रदान में 1,212 यूक्रेनी सैनिकों के शव लौटाए हैं। कई फ्रंट-लाइन क्षेत्रों से बरामद किए गए शव दोनों देशों के बीच मानवीय समन्वय में निरंतर प्रयास को दर्शाते हैं। आरटी के अनुसार, युद्धबंदियों के उपचार के लिए यूक्रेनी समन्वय मुख्यालय ने सबसे पहले इस हस्तांतरण की घोषणा की।
ये अवशेष रूस के कुर्स्क, डोनेट्स्क, लुगांस्क, खेरसॉन और ज़ापोरोज़े क्षेत्रों के साथ-साथ यूक्रेन के खार्किव क्षेत्र से बरामद किए गए। किसी भी व्यक्ति की पहचान उजागर नहीं की गई। इस बीच, रूस को आदान-प्रदान के दौरान अपने 27 सैनिकों के अवशेष मिले। आर.टी. ने आगे बताया कि कीव के साथ वार्ता में मास्को के मुख्य वार्ताकार मेडिंस्की ने टेलीग्राम पर कहा कि दोनों पक्ष गंभीर रूप से घायल युद्धबंदियों को शामिल करते हुए "तत्काल सैनिटरी आदान-प्रदान" शुरू करने पर सहमत हुए हैं। उन्होंने रूस की प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए कहा, "रूस अपने लोगों को नहीं छोड़ता।" इस महीने की शुरुआत में इस्तांबुल में हुई चर्चाओं के बाद यह आदान-प्रदान हुआ।
आर.टी. के अनुसार, मास्को ने पहले 6,000 से अधिक यूक्रेनी शवों को वापस करने की पेशकश की थी, लेकिन कीव पर स्वीकृति में देरी करने का आरोप लगाया। रसद संबंधी बाधाओं के बावजूद, रूसी लेफ्टिनेंट जनरल अलेक्जेंडर ज़ोरिन ने समझौते को बनाए रखने के मास्को के इरादे की पुष्टि की, इसे "विशुद्ध रूप से मानवीय कार्रवाई" कहा। आर.टी. ने रूसी रक्षा मंत्रालय का हवाला देते हुए बताया कि इस्तांबुल वार्ता से गति को बढ़ाते हुए, पिछले सप्ताह मास्को और कीव के बीच एक प्रमुख कैदी अदला-बदली समझौते के बाद रूसी युद्धबंदियों (POW) के दूसरे समूह को यूक्रेनी कैद से रिहा कर दिया गया है। आर.टी. के अनुसार, जबकि रक्षा मंत्रालय ने वापस लौटे सैनिकों की सही संख्या का खुलासा नहीं किया, उसने एक वीडियो जारी किया जिसमें दिखाया गया कि रिहा किए गए सैनिक रूसी झंडों में लिपटे हुए बसों में चढ़ने की तैयारी कर रहे थे। सैनिकों को वर्तमान में बेलारूस में मनोवैज्ञानिक और चिकित्सा सहायता मिल रही है और उन्हें पुनर्वास के लिए रूसी सैन्य अस्पतालों में स्थानांतरित किया जाएगा।
यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने इस आदान-प्रदान की पुष्टि की, इसे "गंभीर रूप से घायल... सैनिकों" से जुड़ी अदला-बदली का "पहला चरण" बताया और इसे "एक महत्वपूर्ण मानवीय कार्य" कहा। आरटी ने बताया कि इस्तांबुल में प्रत्यक्ष वार्ता के दूसरे दौर के दौरान, दोनों पक्ष गंभीर रूप से घायल, बीमार या 25 वर्ष से कम आयु के बंदियों की अदला-बदली करने पर सहमत हुए। रूसी रक्षा मंत्रालय ने यह निर्दिष्ट नहीं किया कि इस चरण में कौन सी श्रेणियां शामिल थीं।
इसके अतिरिक्त, रूस ने एकतरफा मानवीय इशारे के रूप में 6,000 से अधिक यूक्रेनी सैनिकों के शवों को वापस करने की घोषणा की। आरटी ने बताया कि मॉस्को ने शनिवार को 1,212 शवों को सौंपने का प्रयास किया, लेकिन यूक्रेनी प्रतिनिधि आदान-प्रदान बिंदु पर पहुंचने में विफल रहे। (एएनआई)
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चीन के साथ US का व्यापार समझौता पूरा हुआ : डोनाल्ड ट्रम्प

World : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को कहा की कि चीन के साथ व्यापार समझौता पूरा हो चुका है। इसके तहत चीन चुंबक और दुर्लभ खनिज प्रदान करेगा, जबकि अमेरिका चीनी छात्रों को अपनी विश्वविद्यालयों में पढ़ाई करने की अनुमति देगा। ट्रंप ने हम 55% टैरिफ प्राप्त कर रहे हैं, जबकि चीन को 10% मिल रहा है।
व्हाइट हाउस के अधिकारियों ने बताया कि इस समझौते में अमेरिका को चीनी आयात पर 55% टैरिफ लगाने की अनुमति होगी। चीन अमेरिका से आयात पर 10% टैरिफ लगाएगा।ट्रंप ने यह भी कहा कि समझौता राष्ट्रपति शी जिनपिंग और उनकी मंजूरी के बाद अंतिम रूप लेगा।
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एलन मस्क को अब राष्ट्रपति ट्रंप पर किए अपने पोस्ट पर हो रहा पछतावा

नई दिल्ली। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और अरबपति कारोबारी एलॉन मस्क के बीच पिछले सप्ताह जुबानी जंग छिड़ गई थी. इसी बीच एलॉन मस्क ने X पर पोस्ट किया है. मस्क ने कहा कि मैं अपने पिछले सप्ताह के कुछ पोस्ट को लेकर खेद प्रकट करता हूं, क्योंकि ये कुछ ज्यादा ही हो गया था.
एलॉन मस्क और ट्रंप के बीच विवाद तब गहरा गया जब मस्क ने डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (DOGE) के चीफ के पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद मस्क ने ट्रंप के खर्च और टैक्स कटौती वाले विधेयक जिसे ट्रंप 'One Big Beautiful Bill' कह रहे हैं, उसकी कड़ी आलोचना की. इस पर ट्रंप ने मस्क को जवाब देते हुए कहा कि उन्होंने एलॉन को इस बिल के बारे में बताया था, खासकर इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) सब्सिडी में कटौती की बात, लेकिन एलॉन मस्क ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पलटवार करते हुए कहा कि यह बिल उन्हें कभी दिखाया ही नहीं गया.
इतना ही नहीं, मस्क ने X पर ट्रंप के इंपीचमेंट (महाभियोग) का समर्थन करते हुए एक पोस्ट किया था, हालांकि उसे बाद में डिलीट कर दिया. बात इतनी बढ़ गई थी कि एलॉन ने ट्रंप के जेफरी एपस्टीन से पुराने संबंधों का भी ज़िक्र किया, जिसे ट्रंप ने पुराना और झूठा मुद्दा बताया.
Elon Musk से विवाद बढ़ा तो ट्रंप ने खुली धमकी दी कि वे मस्क की कंपनियों विशेष रूप से SpaceX के साथ सरकारी ठेकों और सब्सिडी खत्म करने पर विचार कर सकते हैं. ट्रंप ने कहा कि मुझे लगता है एलॉन बहुत दुखी और निराश महसूस कर रहे हैं. NBC न्यूज को दिए एक टेलीफोनिक इंटरव्यू में तो ट्रंप ने यहां तक कह दिया कि मुझे लगता है अब हमारा रिश्ता खत्म हो गया है.
ट्रंप ने मस्क को ये भी धमकी दी कि अगर एलॉन मस्क डेमोक्रेटिक उम्मीदवारों को फंडिंग करते हैं, खासकर उन उम्मीदवारों को जो रिपब्लिकन पार्टी के टैक्स बिल का विरोध कर रहे हैं, तो उसके गंभीर परिणाम होंगे. हालांकि ट्रंप ने यह स्पष्ट नहीं किया कि वे परिणाम क्या होंगे.
डोनाल्ड ट्रंप सरकार के खर्च और टैक्स कटौती वाले बिल में इलेक्ट्रिक व्हीकल की खरीद पर मिलने वाली टैक्स छूट को खत्म करने का प्रस्ताव है. अमेरिका की पिछली बाइडेन सरकार नई EV खरीदने पर 7500 डॉलर की टैक्स छूट देती थी. ट्रंप इसे खत्म करने जा रहे हैं. इस बिल में प्रावधान है कि जो कंपनियां 2009 से 2025 के बीच दो लाख EV बेच चुकी हैं, उन्हें छूट नहीं मिलेगी. यह सीधेतौर पर एलॉन मस्क की टेस्ला के लिए झटका है.
एक दूसरी वजह ये भी है कि अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA में एलॉन मस्क अपने भरोसेमंद जेरेड इसाकमैन को एडमिनिस्ट्रेटर के रूप में नियुक्त करवाना चाहते थे, लेकिन ट्रंप ने उनकी सिफारिश को नजरअंदाज कर दिया. मस्क का मानना था कि अगर इसाकमैन NASA में एडमिनिस्ट्रेटर बनते हैं, तो इससे उनकी कंपनी SpaceX को भी फायदा होगा.
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अमेरिकी विदेश विभाग ने कश्मीर मध्यस्थता के मामले को उठाया

वाशिंगटन। भारत के द्विपक्षीय कश्मीर विवाद में बाहरी हस्तक्षेप की बात को बार-बार खारिज करने के बावजूद अमेरिका ने एक बार फिर कश्मीर मामले पर मध्यस्थता की बात दोहराई है। अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने कहा है कि अगर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप मध्यस्थता करने की कोशिश करते हैं, तो इसमें कोई हैरानी नहीं होगी।
मंगलवार को अपनी नियमित ब्रीफिंग में रिपोर्टर ने ट्रंप की मध्यस्थता की पेशकश के बारे में सवाल किया। इसके जवाब में टैमी ब्रूस ने कहा, "जाहिर है, मैं यह नहीं बता सकती कि राष्ट्रपति के दिमाग में क्या है, या उनकी क्या योजना है। हम सभी मानते हैं कि राष्ट्रपति ट्रंप अपने हर कदम में देशों के बीच पीढ़ीगत मतभेदों और पीढ़ीगत युद्ध को सुलझाने की कोशिश करते हैं। इसलिए किसी को भी हैरत में नहीं पड़ना चाहिए कि ट्रंप इस तरह की किसी चीज (कश्मीर विवाद) को मैनेज करना चाहते हैं।"
ब्रूस ने कहा कि जब शशि थरूर के नेतृत्व में भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने हाल ही में डिप्टी सेक्रेटरी क्रिस्टोफर लैंडौ से मुलाकात की, तो अमेरिका ने 'आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के मजबूत समर्थन और उन दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी' की पुष्टि की।
ब्रूस ने कहा, "मैं उनकी (ट्रंप) योजनाओं के बारे में बात नहीं कर सकती। दुनिया उनके स्वभाव को जानती है। मैं इस बारे में कोई विस्तृत जानकारी नहीं दे सकती कि उनके पास इस संबंध में क्या हो सकता है। आप व्हाइट हाउस को कॉल कर सकते हैं। मुझे लगता है कि उनके पास कहने के लिए बहुत कुछ होगा। यह एक रोमांचक समय है कि अगर हम उस विशेष संघर्ष (भारत-पाकिस्तान मामला) में किसी बिंदु पर पहुंच सकते हैं, तो भगवान का शुक्र है, लेकिन सचिव (विदेश मंत्री मार्को) रुबियो और राष्ट्रपति ट्रंप और उपराष्ट्रपति का भी शुक्रिया अदा करना चाहिए।"
ब्रूस ने इस दावे को दोहराया है कि अमेरिका ने पिछले महीने भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिवसीय संघर्ष में युद्ध विराम लाने के लिए हस्तक्षेप किया था। हालांकि, भारत इसे खारिज कर चुका है। भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री कह चुके हैं कि अमेरिका ने भारत-पाकिस्तान युद्ध विराम में मध्यस्थता नहीं की थी। उन्होंने एक भारतीय संसदीय समिति को बताया कि दोनों देशों ने सैन्य कार्रवाई रोकने के लिए द्विपक्षीय स्तर पर निर्णय लिया।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा था कि 'ऑपरेशन सिंदूर' में भारत की सैन्य शक्ति के कारण ही पाकिस्तान को युद्ध विराम के लिए मजबूर होना पड़ा, न कि बाहरी हस्तक्षेप के कारण। जायसवाल ने कश्मीर पर भारत के रुख पर कहा, "हमारा लंबे समय से राष्ट्रीय रुख रहा है कि जम्मू और कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश से संबंधित किसी भी मुद्दे को भारत और पाकिस्तान को द्विपक्षीय रूप से हल करना होगा। यह नीति नहीं बदली है। लंबित मामला पाकिस्तान के अवैध रूप से कब्जाए गए भारतीय क्षेत्र को खाली करना है।"
उन्होंने कहा, "मैं स्पष्ट कर दूं कि यह भारतीय हथियारों की ताकत थी, जिसने पाकिस्तान को अपनी गोलीबारी रोकने के लिए बाध्य किया। आप निश्चित तौर पर इस बात को समझेंगे कि 10 (मई) की सुबह, हमने पाकिस्तानी वायुसेना के प्रमुख ठिकानों पर अत्यंत प्रभावी हमला किया था। "
एक रिपोर्टर ने ब्रूस से पूछा कि क्या पाकिस्तान ने कोई आश्वासन दिया था कि वह आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करेगा, जब पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी के नेतृत्व में उनके प्रतिनिधिमंडल ने हाल ही में राजनीतिक मामलों के लिए अवर सचिव एलिसन हुकर से मुलाकात की थी। इसके जवाब में ब्रूस ने संक्षेप में कहा, "मैं उन बातचीत के विवरण पर चर्चा नहीं करने जा रही हूं।"
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डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा- "ईरान गाजा युद्धविराम वार्ता में शामिल"

अमेरिकी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि ईरान अमेरिका, इजरायल और हमास के साथ चल रही बातचीत का हिस्सा है। इसका लक्ष्य गाजा में लड़ाई को रोकना और बंधकों को मुक्त कराना है। व्हाइट हाउस में बोलते हुए ट्रंप ने कहा, "हम बंधकों को वापस पाना चाहते हैं।" उन्होंने कहा कि ईरान भी इसमें शामिल है, लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि कैसे।
व्हाइट हाउस ने कोई अतिरिक्त विवरण नहीं दिया। ईरान के संयुक्त राष्ट्र कार्यालय ने भी सवालों का जवाब नहीं दिया। अमेरिका ने इजरायल और हमास के बीच 60 दिनों के युद्धविराम का सुझाव दिया है। इजरायल इस योजना पर सहमत हो गया है, लेकिन हमास ने अभी तक इसे स्वीकार नहीं किया है।
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यूरोप की भारत के साथ मजबूत संबंध बनाने में गहरी रुचि है : एस. जयशंकर

ब्रुसेल्स। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार को बेल्जियम और लक्जमबर्ग के भारतीय समुदाय के सदस्यों को संबोधित किया, जिसमें उन्होंने बदलते वैश्विक परिदृश्य और आत्मनिर्भरता के लिए बढ़ते दबाव के बीच भारत के साथ संबंधों को गहरा करने में यूरोप की बढ़ती रुचि पर प्रकाश डाला।
"मैं जो कर रहा हूं, उसका संदर्भ देने के लिए, मुझे लगता है कि बेल्जियम में रहने वाले आप सभी, जो लगभग यूरोप के केंद्र में रहते हैं, आज समझेंगे कि दुनिया में बहुत सी चीजें हो रही हैं, विशेष रूप से यूरोप के संबंध में, और भारत के साथ मजबूत संबंध बनाने में यूरोप की बहुत अधिक रुचि है," जयशंकर ने बातचीत के दौरान कहा।
बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य पर विचार करते हुए, मंत्री ने कहा कि यूरोप, भारत की आत्मनिर्भर भारत की अवधारणा की तरह, अपनी निर्भरता पर पुनर्विचार करना शुरू कर रहा है और रणनीतिक स्वायत्तता की ओर बढ़ रहा है। उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि इसका एक हिस्सा यह है कि दुनिया किस दिशा में जा रही है। इस भावना में वृद्धि हुई है कि, देखिए, सभी देश एक तरह से आत्मनिर्भर भारत के बारे में बात करते थे। मेरा मतलब है कि अब आत्मनिर्भर यूरोप भी बन रहा है - यूरोप, जो महसूस करता है कि यूरोप की कई समस्याएं हैं जिनका समाधान यूरोप को ही करना होगा।" उन्होंने कहा कि इस पुनर्विचार से यूरोप के बाहरी जुड़ाव में स्पष्ट बदलाव आया है। जयशंकर ने कहा, "उन्हें अपने पैरों पर खड़ा होना होगा और इसलिए उन्हें अन्य देशों के साथ मजबूत संबंधों की आवश्यकता है, और मुझे लगता है कि इस प्रक्रिया में बहुत हद तक इसी तरह की सोच है।"
भारतीय प्रवासियों के योगदान को स्वीकार करते हुए जयशंकर ने कहा, "आप सभी अलग-अलग व्यवसायों, जीवन के विभिन्न क्षेत्रों से आते हैं। मुझे यकीन है कि आपको यह बताने की ज़रूरत नहीं है कि यहाँ क्या हो रहा है और अन्य संभावनाएँ क्या हैं। लेकिन निश्चित रूप से, जब विशेष रूप से बेल्जियम की बात आती है, तो हम देख सकते हैं कि बेल्जियम हमेशा से भारत का एक प्रमुख भागीदार रहा है।" दोनों देशों के बीच मजबूत कूटनीतिक नींव को याद करते हुए उन्होंने कहा, "हमारे बीच हमेशा से अच्छी राजनीतिक समझ रही है क्योंकि यह भारत के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने वाले शुरुआती देशों में से एक था।" भविष्य की ओर देखते हुए, मंत्री ने सभी क्षेत्रों में जुड़ाव को गहरा करने के लिए नई दिल्ली के इरादे को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, "राजनीतिक रूप से, हमारे लिए चीजें हमेशा सहज रही हैं; लेकिन अब हमारा प्रयास केवल हमारे पास जो है, उससे संतुष्ट होना नहीं है, बल्कि विभिन्न देशों के साथ अपने सहयोग को बढ़ाना है - विशेष रूप से, मैं कहूंगा, आर्थिक सहयोग, लोगों से लोगों के बीच संबंध और समुदाय की भलाई।"
जयशंकर ने भारतीय प्रवासियों से संपर्क किया, जिसके तुरंत बाद उन्होंने बेल्जियम के उप प्रधान मंत्री और विदेश मंत्री मैक्सिम प्रीवोस्ट से मुलाकात की। दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने और आतंकवाद की साझा चुनौती से निपटने पर चर्चा की। ब्रुसेल्स की उनकी यात्रा तीन महीने पहले राजकुमारी एस्ट्रिड के नेतृत्व में 300 सदस्यीय बेल्जियम के आर्थिक प्रतिनिधिमंडल के भारत दौरे के तुरंत बाद हुई है। उस यात्रा के दौरान, राजकुमारी एस्ट्रिड ने श्रम प्रवास, फार्मास्यूटिकल्स, रक्षा, हीरे, अंतरिक्ष और हरित ऊर्जा में सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री जयशंकर से मुलाकात की।
विशेष रूप से, जयशंकर की यात्रा भगोड़े भारतीय व्यवसायी मेहुल चोकसी की हिरासत के साथ मेल खाती है, जो वर्तमान में बेल्जियम की जेल में बंद है। पंजाब नेशनल बैंक में 13,850 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के सिलसिले में भारत में वांछित चोकसी को भारत के प्रत्यर्पण अनुरोध के आधार पर अप्रैल में गिरफ्तार किया गया था। भारत और बेल्जियम के बीच प्रत्यर्पण संधि है और मंत्री की यात्रा के दौरान इस मामले पर कूटनीतिक बातचीत होने की उम्मीद है।
जयशंकर 8 से 14 जून, 2025 तक फ्रांस, यूरोपीय संघ और बेल्जियम की आधिकारिक यात्रा पर हैं। उनकी यात्राएँ यूरोप भर में प्रमुख भागीदारों के साथ संबंधों को मजबूत करने के भारत के व्यापक प्रयास का हिस्सा हैं। (एएनआई)
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चीन ने भारतीय नौसेना का जताया आभार

नई दिल्ली। केरल के कोच्चि में सोमवार को सिंगापुर के एक कंटेनर शिप में विस्फोट के बाद भयानक आग लगी थी. यह आग अरब सागर में लगी थी, जिसके बाद भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल ने जहाज पर सवार चालक दल को सुरक्षित बचाया था. अब इसे लेकर चीन ने भारतीय नौसेना का आभार जताया है.
सिंगापुर के कंटेनर जहाज MV Wan Hai 503 पर चालक दल के 22 सदस्य सवार थे. इनमें से 18 को सुरक्षित बचाया गया. इनमें से 14 चीन और छह ताइवान के नागरिक थे.
भारत में चीन की राजदूत यू जिंग ने कहा कि नौ जून को एमवी वान हई 503 जहाज में आग लगी थी. यह आग केरल के अजिक्कल से 44 नॉटिकल मील दूर लगी थी. जहाज पर चालक दल के कुल 22 लोग सवार थे जिनमें से 14 चीन के और ताइवान के छह नागरिक थे. हम भारतीय नौसेना की त्वरित कार्रवाई के लिए उनका दिल से आभार जताते हैं. हम घायलों के जल्द ठीक होने की कामना करते हैं.
बता दें कि केरल के कोच्चि में सोमवार को सिंगापुर के एक कंटेनर शिप में भयानक आग लगी थी. इंडियन कोस्ट गार्ड के मुताबिक कंटेनर शिप एमवी वान हाई 503 से इमरजेंसी अलर्ट मिला था. यह जहाज 7 जून 25 को 22 क्रू मेंबर्स के साथ श्रीलंका के कोलंबो पोर्ट से मुंबई के लिए रवाना हुआ था, जिसे 10 जून को पहुंचना था.
धमाके की जानकारी मिलने के बाद कोर्ट गार्ड की टीम ने तत्काल रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया था, लेकिन आग धीरे-धीरे शिप पर रखे बाकी कंटेनर्स में भी फैल गई थी. इसके बाद 18 क्रू मेंबर लाइफ सेविंग राफ्ट पर सवार होकर जहाज से बाहर निकले थे.
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मालवाहक जहाज में लगी आग, अलर्ट पर अस्पताल, 18 को बचा लिया

कोझिकोड। भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल ने सोमवार को सिंगापुर के ध्वज वाले मालवाहक जहाज 'वान हाई 503' के 18 क्रू मेंबर्स को बचा लिया। अधिकारियों ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि केरल तट से करीब 70 नॉटिकल माइल्स दूर इस मालवाहक जहाज में आग लग गई थी।
जहाज में आग लगने की घटना केरल के बेपोर-अझिकाल तट से दूर अरब सागर में हुई। कंटेनर जहाज के 18 क्रू मेंबर्स अपनी जान बचाने के लिए समुद्र में कूद गए, जिन्हें सुरक्षित बचाने के बाद, जहाज के फायर एंड सेफ्टी डिपार्टमेंट के चार क्रू मेंबर्स का पता लगाया जा रहा है।
घटनास्थल से कुछ तस्वीरें सामने आई हैं जिसमें जहाज के ऊपरी डेक पर आग धधकती हुई देखी जा सकती है। भारतीय तटरक्षक बल के अलर्ट करने के साथ ही कोझिकोड और कोच्चि के अस्पतालों को हाई अलर्ट पर रहने को कहा गया है, ताकि किसी भी आपात स्थिति से निपटा जा सके।
नौ जून सुबह करीब 10 बजकर 30 मिनट पर एमओसी (कोच्चि) को एमओसी (मुंबई) से कंटेनर जहाज के डेक पर विस्फोट की जानकारी मिली। यह जहाज 7 जून को कोलंबो से मुंबई के लिए रवाना हुआ था, जिसकी लंबाई 270 मीटर और गहराई 12.5 मीटर थी।
इस बीच कोच्चि और मंगलुरु से डोर्नियर एयरक्राफ्ट और तटरक्षक बल तथा नौसेना के जहाज घटनास्थल पर पहुंच गए हैं। बेपोर बंदरगाह के अधिकारी कैप्टन के. अरुण कुमार ने बताया कि कुछ कंटेनर्स में ज्वलनशील तरल पदार्थ और ठोस पदार्थ और टॉक्सिक पदार्थ भी थे। बचाए गए क्रू मेंबर्स को बेपोर लाया जा सकता है। अधिकारियों के अनुसार इस क्रू में कोई भी भारतीय नहीं है।
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भारत का लक्ष्य 5 मध्य एशियाई देशों के साथ मिलकर दुर्लभ खनिजों की खोज करना

नई दिल्ली। भारत और मध्य एशियाई देशों के बीच नई दिल्ली में भारत-मध्य एशिया वार्ता की चौथी बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में चीन के पृथ्वी पर पाए जाने वाले दुर्लभ खनिजों और मैग्नेट के निर्यात पर रोक के बाद भारत और पांच मध्य एशियाई देशों ने दुर्लभ पृथ्वी खनिज (रेयर अर्थ) और महत्वपूर्ण खनिजों की संयुक्त खोज में रुचि व्यक्त की।
नई दिल्ली में सितंबर 2024 में आयोजित पहले इंडिया-सेंट्रल एशिया रेयर अर्थ फोरम के परिणामों की सराहना करते हुए, मंत्रियों ने संबंधित अधिकारियों से जल्द से जल्द दूसरे इंडिया-सेंट्रल एशिया रेयर अर्थ फोरम बैठक आयोजित करने का आह्वान किया।
मंत्रियों ने महत्वपूर्ण खनिजों में सहयोग के नए क्षेत्रों का पता लगाने के लिए प्रतिनिधिमंडलों के आदान-प्रदान को भी प्रोत्साहित किया। भारत सरकार घरेलू विनिर्माण क्षमताओं को विकसित करना चाहती है और रेयर अर्थ मटीरियल के क्षेत्र में कंपनियों को उत्पादन-आधारित राजकोषीय प्रोत्साहन देने पर विचार कर रही है।
इस बीच, कजाकिस्तान, किर्गिज गणराज्य, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के विदेश मंत्रियों ने भारत और मध्य एशियाई देशों के बीच व्यापार और निवेश के मौजूदा स्तर पर ध्यान दिया। साथ ही, आपसी व्यापार की पूरी क्षमता को साकार करने के लिए फार्मास्यूटिकल्स, सूचना प्रौद्योगिकी, कृषि, ऊर्जा, कपड़ा, रत्न और आभूषण आदि क्षेत्रों में ठोस प्रयास करने के महत्व पर बल दिया।
विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार, मंत्रियों ने भारत और मध्य एशियाई देशों के बीच अधिक वित्तीय संपर्क के महत्व को रेखांकित किया, जिसमें डिजिटल भुगतान प्रणाली, बेहतर अंतर-बैंक संबंध और राष्ट्रीय मुद्राओं में व्यापार शामिल है।
बयान के अनुसार, वित्तीय और बैंकिंग संबंधों की महत्वपूर्ण भूमिका को पहचानते हुए, पक्षों ने भारत और मध्य एशियाई भागीदारों के बीच बैंकिंग और वित्तीय संपर्क को गहरा करने के तरीकों का पता लगाने के लिए एक संयुक्त कार्य समूह की स्थापना में भी रुचि व्यक्त की।
मध्य एशियाई देशों ने डिजिटल परिवर्तन में तेजी लाने और बड़े पैमाने पर सार्वजनिक सेवा वितरण प्रदान करने में इंडिया स्टैक के महत्व पर ध्यान दिया।
भारत ने मध्य एशियाई देशों में डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) विकसित करने में सहायता प्रदान करने पर सहमति व्यक्त की।
मंत्रियों ने इंडिया-सेंट्रल एशिया डिजिटल पार्टनरशिप फोरम की स्थापना पर भी सहमति व्यक्त की और उद्घाटन बैठक की मेजबानी करने के लिए उज्बेकिस्तान के प्रस्ताव का स्वागत किया।
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