दुनिया-जगत

अमेरिकी अधिकारियों से मिला भारतीय प्रतिनिधिमंडल

  • पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर की चर्चा
वाशिंगटन। वरिष्ठ कांग्रेस सांसद शशि थरूर के नेतृत्व में भारत का एक सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल अमेरिका पहुंचा। सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने प्रमुख अमेरिकी सांसदों और अधिकारियों से मुलाकात की और उन्हें हाल ही में हुए पहलगाम आतंकवादी हमले और ऑपरेशन सिंदूर के जरिए भारत की जवाबी कार्रवाई के बारे में जानकारी दी।
यह यात्रा आतंकवाद विरोधी सहयोग को मजबूत करने के लिए वाशिंगटन में द्विदलीय समर्थन जुटाने तथा क्षेत्रीय सुरक्षा खतरों के मद्देनजर भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक संबंधों को गहरा करने के लिए चल रहे कूटनीतिक प्रयास का हिस्सा है।
प्रतिनिधिमंडल ने अमेरिकी उप विदेश मंत्री क्रिस्टोफर लैंडौ के साथ महत्वपूर्ण बैठक की। वाशिंगटन में भारतीय दूतावास ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया, "डॉ. शशि थरूर के नेतृत्व में सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने आज अमेरिकी उप विदेश मंत्री के साथ स्पष्ट बातचीत की। भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने उन्हें पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बारे में जानकारी दी।"
प्रतिनिधिमंडल ने सीनेटर क्रिस वैन होलेन से भी मुलाकात की। होलेन प्रभावशाली अमेरिकी सीनेट विदेश संबंध समिति के सदस्य हैं। उस बैठक में, भारतीय सांसदों ने पहलगाम हमले की सीमा पार प्रकृति पर चर्चा की और आतंकवाद के खिलाफ भारत के दृढ़ रुख को दोहराया।
दूतावास ने एक अन्य एक्स पर पोस्ट किया, "डॉ. शशि थरूर के नेतृत्व में भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने अमेरिकी सीनेट की हाउस फॉरेन रिलेशंस कमेटी के सदस्य सीनेटर क्रिस वैन होलेन के साथ एक सार्थक बैठक की। प्रतिनिधिमंडल ने उन्हें पहलगाम में हुए जघन्य आतंकवादी हमले के बारे में जानकारी दी। प्रतिनिधिमंडल ने भारत के ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा की और सभी रूपों में सीमा पार आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए भारत के दृढ़ संकल्प को सामने रखा। सीनेटर ने भारत में बार-बार होने वाले आतंकवादी हमलों के पीड़ितों के प्रति सहानुभूति व्यक्त की, कहा कि अमेरिका आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के साथ खड़ा है, और भारत के आत्मरक्षा के अधिकार के लिए समर्थन व्यक्त किया।
इससे पहले, भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने संयुक्त राज्य अमेरिका में भारत के राजदूत द्वारा आयोजित एक स्वागत समारोह में अमेरिकी कांग्रेस के सदस्यों, अमेरिकी सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों और अमेरिकी थिंक टैंक और मीडिया के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की।
इससे पहले गुरुवार को प्रतिनिधिमंडल ने वाशिंगटन में संयुक्त राज्य अमेरिका के उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस के साथ एक बैठक की, जिसमें उन्हें ऑपरेशन सिंदूर, भारत द्वारा सामना किए जा रहे आतंकवाद और क्षेत्रीय सुरक्षा के बारे में जानकारी दी गई।
अमेरिका में भारतीय दूतावास ने एक्स पर पोस्ट किया, "डॉ. शशि थरूर के नेतृत्व में सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने आज सुबह उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस से मुलाकात की। बातचीत में आतंकवाद विरोधी क्षेत्र में सहयोग सहित भारत-अमेरिका साझेदारी को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।"
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ओम बिरला ने ब्रिक्स फोरम में ईरान के स्पीकर से मुलाकात की

  • चाबहार बंदरगाह के जरिए कनेक्टिविटी बढ़ाने पर हुई चर्चा
ब्रासीलिया। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने ब्राजील की राजधानी ब्रासीलिया में आयोजित 11वें ब्रिक्स संसदीय मंच के दौरान ईरान की संसद (मजलिस) के अध्यक्ष डॉ. मोहम्मद बाघेर ग़ालिबफ से मुलाकात की। इस बैठक में दोनों नेताओं ने भारत और ईरान के बीच पुराने और दोस्ताना रिश्तों पर बातचीत की।
उनकी बातचीत का मुख्य विषय भारत और ईरान के रिश्तों को मजबूत करना था। इसमें चाबहार बंदरगाह का भी ज़िक्र हुआ, जो दक्षिण एशिया, मध्य एशिया और अन्य क्षेत्रों के साथ संपर्क बढ़ाने में अहम भूमिका निभाता है।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर अपनी बातचीत की मुख्य बातें साझा कीं। ओम बिरला ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा, "ब्रासीलिया में 11वें ब्रिक्स संसदीय मंच के दौरान ईरान की संसद (मजलिस) के अध्यक्ष, महामहिम डॉ. मोहम्मद बाघेर ग़ालिबफ़ से गर्मजोशी से बातचीत हुई। इस मुलाकात में भारत और ईरान के पुराने और दोस्ताना संबंधों पर चर्चा हुई। बातचीत में चाबहार बंदरगाह के जरिए आपसी संपर्क बढ़ाने, संसदीय सहयोग मजबूत करने और क्षेत्रीय व वैश्विक चुनौतियों का समाधान तलाशने पर विशेष ध्यान दिया गया।"
उन्होंने आगे कहा, "आतंकवाद से मुकाबले के लिए वैश्विक स्तर पर मिलकर ठोस प्रयास करने की ज़रूरत को भी रेखांकित किया गया और इस दिशा में ईरान के सहयोग की सराहना की गई। इसके साथ ही, भारत की यह प्रतिबद्धता दोहराई गई कि वह कानूनी उपायों, तकनीकी सुधारों और संबंधित एजेंसियों के बेहतर तालमेल के ज़रिए आतंकवाद से सख्ती से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है। डॉ. ग़ालिबफ़ को 2026 में भारत में होने वाले ब्रिक्स संसदीय मंच में शामिल होने का निमंत्रण भी दिया गया।"
बिरला ने समावेशी तकनीकी विकास के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को भी बताया। उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) को लेकर भारत के दृष्टिकोण पर भी बात की, जिसे उन्होंने "हमारे प्राचीन सभ्यतागत मूल्यों और आधुनिक तकनीकी नवाचार का अनूठा मेल" कहा।
उन्होंने अपने एक्स पोस्ट में कहा, "जिम्मेदार और समावेशी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए अंतर-संसदीय सहयोग" विषय पर आयोजित सत्र में बिरला ने एआई को लेकर भारत का दृष्टिकोण साझा किया। उन्होंने बताया कि भारत एआई को प्राचीन मूल्यों और आधुनिक तकनीकी नवाचार का मेल मानता है।
उन्होंने अपने पोस्ट में कहा, "जिम्मेदार और समावेशी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए अंतर-संसदीय सहयोग" विषय पर आयोजित सत्र में, भारत के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) को लेकर दृष्टिकोण पर चर्चा की गई। इसमें बताया गया कि भारत एआई को अपने प्राचीन सभ्यतागत मूल्यों और आधुनिक तकनीकी नवाचार का अनोखा मेल मानता है।"
उन्होंने कहा, "यह दृष्टिकोण दिखाता है कि एआई मानव-केंद्रित होना चाहिए, जो न्याय, समानता और मानवाधिकारों जैसे मूल्यों की सेवा करे। बिरला ने बताया कि भारत किस तरह एआई का इस्तेमाल स्वास्थ्य सेवा, कृषि, जलवायु परिवर्तन, शिक्षा और शासन जैसे अहम क्षेत्रों में कर रहा है, ताकि हर नागरिक को इसका लाभ मिले-खासकर समाज के सबसे कमजोर वर्गों को।"
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रविशंकर प्रसाद के नेतृत्व में भारतीय प्रतिनिधिमंडल पहुंचा जर्मनी

  • आतंकवाद के खिलाफ भारत के एकजुट और दृढ़ रुख से कराएगा अवगत
बर्लिन। भारतीय जनता पार्टी के सांसद रविशंकर प्रसाद के नेतृत्व में एक सर्वदलीय भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल आतंकवाद के खिलाफ भारत के एकजुट और दृढ़ रुख से अवगत कराने के लिए बर्लिन पहुंचा। जर्मनी में भारत के राजदूत अजीत गुप्ते ने गुरुवार शाम भारतीय प्रतिनिधिमंडल का स्वागत किया और उन्हें भारत-जर्मनी संबंधों के बारे में जानकारी दी। इस दौरान व्यापार और निवेश, रक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा गतिशीलता जैसे कई क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया।
जर्मनी में भारतीय दूतावास ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "जर्मनी में भारत के राजदूत अजीत वी. गुप्ते ने सांसद रविशंकर प्रसाद के नेतृत्व में सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल को बर्लिन पहुंचने पर जानकारी दी।"
जर्मनी में भारतीय दूतावास ने एक्स पर एक अन्य पोस्ट में कहा, "भारतीय प्रतिनिधिमंडल की चर्चा में भारत-जर्मनी रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने पर जोर दिया गया, जिसमें व्यापार, निवेश, रक्षा, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और गतिशीलता में सहयोग बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित था।
जर्मनी में भारतीय दूतावास के अनुसार, 5-7 जून तक जर्मनी में अपने प्रवास के दौरान, प्रतिनिधिमंडल जर्मन संसद (बुंडेस्टैग) और जर्मनी के संघीय विदेश कार्यालय के वरिष्ठ गणमान्य व्यक्तियों और थिंक-टैंक और जर्मनी में भारतीय समुदाय के प्रमुख प्रतिनिधियों के साथ बातचीत करेगा।
रविशंकर प्रसाद के नेतृत्व में नौ सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल में भाजपा सांसद दग्गुबाती पुरंदेश्वरी, पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर, भाजपा सांसद गुलाम अली खटाना और समिक भट्टाचार्य, कांग्रेस सांसद अमर सिंह, शिवसेना-यूबीटी से प्रियंका चतुर्वेदी, एआईएडीएमके सांसद एम थंबीदुरई और पूर्व राजनयिक पंकज सरन शामिल हैं।
ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत सरकार के चल रहे कूटनीतिक प्रयासों और आतंकवाद के प्रति शून्य सहनशीलता की नीति के "अटूट पालन" के तहत प्रतिनिधिमंडल जर्मनी पहुंचा। बता दें कि 22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकवादियों ने निर्दोष 26 लोगों की गोली मारकर जान ली थी। जवाब में भारत ने ऑपरेशन सिंदूर चलाकर पाकिस्तान और पीओके में 9 आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया। भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान और पाक अधिकृत जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी बुनियादी ढांचे के खिलाफ लक्षित हमले किए, जिसके परिणामस्वरूप जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे समूहों से जुड़े 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए।
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अमेरिका में बोले शशि थरूर- "पहलगाम जैसे आतंकी हमलों की कीमत चुकानी पड़ेगी"

वाशिंगटन। अमेरिका में इन दिनों भारतीय सांसदों के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कांग्रेस सांसद शशि थरूर कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को जो आतंकी हमला हुआ, उसके जैसे हमलों की अब एक बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी। भारत यह कभी बर्दाश्त नहीं करेगा कि सीमा पार से आकर कोई हमारे नागरिकों को मारे और उसे सजा भी न मिले।
अमेरिका में भारतीय दूतावास द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में थरूर और उनके साथ गए सांसदों ने कई थिंक टैंक्स से मुलाकात की। इस बातचीत में भारत की आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई और भारत-अमेरिका के बहुआयामी रिश्तों पर चर्चा हुई।
इस प्रतिनिधिमंडल में कई दलों के सांसद शामिल हैं, जैसे शांभवी चौधरी (लोक जनशक्ति पार्टी), सरफराज अहमद (झारखंड मुक्ति मोर्चा), जी.एम. हरीश बालयोगी (तेलुगु देशम पार्टी), शशांक मणि त्रिपाठी, तेजस्वी सूर्या, भुवनेश्वर कलिता (सभी भाजपा से), शिवसेना के सांसद मिलिंद देवड़ा और अमेरिका में भारत के पूर्व राजदूत तरनजीत सिंह संधू।
थरूर ने बताया कि जहां-जहां भी प्रतिनिधिमंडल गया, उन्हें समर्थन और एकजुटता मिली। उन्होंने कहा कि यह हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण था कि हम पूरी दुनिया को बताएं कि भारत अब किसी भी आतंकी हमले को हल्के में नहीं लेगा।
थरूर ने कहा, "हम जहां भी गए वहां हमें पूरी समझ और एकजुटता मिली। हम इन्हीं दो चीजों के लिए यहां आए थे। हम एक विकासशील देश हैं, हमारा पूरा ध्यान देश की प्रगति और गरीबी हटाने पर है। लेकिन हम इस तरह की आतंकी घटनाओं को बर्दाश्त नहीं कर सकते हैं। जो इस तरह के योजनाबद्ध और मिलिट्री स्टाइल में किए गए हमले होते हैं, तो इसकी कीमत जरूर चुकानी होगी। ऐसे हमलों की सज़ा जरूर होगी और यह बहुत ही मजबूत संदेश था जो हमने भेजा।"
इससे पहले शशि थरूर और उनके दल ने अमेरिका के उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस से भी मुलाकात की और आतंकवाद से निपटने, तकनीकी सहयोग बढ़ाने जैसे कई अहम मुद्दों पर चर्चा की। इस मुलाकात को उन्होंने भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने की दिशा में बेहद सकारात्मक और उपयोगी बातचीत बताया।
थरूर ने 'एक्स' पर एक अन्य पोस्ट में कहा, "वाशिंगटन डी.सी. में आज हमारे प्रतिनिधिमंडल के साथ उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस के साथ शानदार बैठक हुई। आतंकवाद विरोधी प्रयासों से लेकर तकनीकी सहयोग बढ़ाने तक, हमने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर व्यापक चर्चा की। भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने के लिए वास्तव में रचनात्मक और उत्पादक आदान-प्रदान, जिसमें विचारों की शानदार बैठक हुई।"
भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या ने भी 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा "आज वाशिंगटन डी.सी. में अमेरिकी उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस के साथ अमेरिका में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों के साथ बैठक की। हाल ही में भारत की अपनी यात्रा के दौरान, उपराष्ट्रपति वेंस ने निर्दोष नागरिकों पर पाकिस्तान समर्थित हमलों की क्रूरता को भी प्रत्यक्ष रूप से देखा, जिससे पाकिस्तानी आतंकवाद को रोकने के लिए वैश्विक प्रयासों की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत के मजबूत आतंकवाद विरोधी प्रयासों से लेकर भारत और अमेरिका के बीच तकनीकी सहयोग बढ़ाने तक के महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई।"
बता दें कि ब्राजील की अपनी यात्रा पूरी करने के बाद सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल अमेरिका पहुंचा है। यह कूटनीतिक प्रयास ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत की व्यापक वैश्विक पहुंच का हिस्सा है। ऑपरेशन सिंदूर को 7 मई को पहलगाम में आतंकवादियों द्वारा 22 अप्रैल को किए गए हमले के सैन्य जवाब के रूप में शुरू किया गया था, जिसमें 26 लोगों की जान चली गई थी और कई अन्य घायल हो गए थे। इसके बाद, भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान और पाक अधिकृत जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी बुनियादी ढांचे को निशाना बनाकर हमले किए, जिसके परिणामस्वरूप जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे आतंकी समूहों से जुड़े 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए।
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एस. जयशंकर ने दिल्ली में जेडी(यू) सांसद संजय कुमार झा के नेतृत्व वाले सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की

नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संजय कुमार झा के नेतृत्व वाले सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की, जिसने हाल ही में जापान, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर, इंडोनेशिया और मलेशिया की बहु-देशीय यात्रा पूरी की है। जयशंकर ने ट्विटर पर अपने विचार साझा करते हुए कहा, "@SanjayJhaBihar के नेतृत्व वाले सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल से मिलकर अच्छा लगा, जिसने जापान, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर, इंडोनेशिया और मलेशिया की यात्रा की।"
बैठक के बाद जेडीयू सांसद संजय झा ने कहा, "हमने विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की और उन्हें पांच देशों की अपनी यात्रा के बारे में फीडबैक दिया... हमने पांच देशों की अपनी यात्रा के दौरान अपने अनुभव उनके साथ साझा किए। पांच देशों की अपनी यात्रा के दौरान हमने तथ्यों के साथ पूरी स्थिति को समझाया और उन्हें बताया कि भारत में चार दशकों से सीमा पार आतंकवाद हो रहा है।"
जेडी(यू) सांसद संजय कुमार झा के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल का उद्देश्य सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समर्थन को मजबूत करना था। यह कूटनीतिक संपर्क 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर के बाद शुरू किया गया है, जो 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में एक निर्णायक प्रतिक्रिया के रूप में शुरू किया गया था, जिसमें 26 लोगों की जान चली गई थी और यह हमला पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादियों द्वारा किया गया था।
झा के साथ, प्रतिनिधिमंडल में विभिन्न दलों के सांसद शामिल थे - भाजपा की अपराजिता सारंगी, बृज लाल, प्रदान बरुआ, हेमंग जोशी; टीएमसी के अभिषेक बनर्जी; सीपीआई-एम के जॉन ब्रिटास; और कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद - जो आतंकवाद के खिलाफ एक एकीकृत राष्ट्रीय रुख को दर्शाता है।
बहु-राष्ट्र यात्रा ने पूर्व और दक्षिण पूर्व एशिया के प्रमुख देशों के साथ मजबूत जुड़ाव के माध्यम से क्षेत्रीय शांति, सुरक्षा और विकास के लिए भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। वापसी के बाद विदेश मंत्री के साथ बैठक के बारे में जानकारी साझा करते हुए, कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने कहा कि जयशंकर को प्रतिनिधिमंडल की विदेश में व्यस्तताओं के बारे में अच्छी जानकारी थी, क्योंकि राजदूतों ने उन्हें पहले ही जानकारी दे दी थी। खुर्शीद ने कहा कि मंत्री महोदय को पता है कि "हमने कहां, किससे, किस स्तर पर मुलाकात की और मुख्य मुद्दे क्या उठाए गए" और कुछ सामान्य बातचीत में उन चिंताओं को संबोधित किया गया जिन्हें सरकार के ध्यान में लाने की आवश्यकता थी। सांसदों ने विदेशों में पारस्परिक मैत्री संबंधों की कमी का मुद्दा भी उठाया।
खुर्शीद ने स्पष्ट किया, "कई स्थानों पर, एकतरफा मैत्री संबंध उनका है," उन्होंने कहा कि भारतीय सांसद "अभी तक हमारी ओर से वे कदम नहीं उठा पाए हैं।" विदेश मंत्री ने इन बिंदुओं को स्वीकार किया और कहा कि उनका अध्ययन किया जाएगा। खुर्शीद ने आगे कहा कि प्रतिनिधिमंडल से उनकी यात्राओं और चर्चा किए गए मुद्दों के बारे में विस्तृत संदर्भ प्रदान करने के लिए कहा गया था। उन्होंने कहा, "हर देश से संदेश पहले ही हमारी सरकार के पास आ चुके हैं।" प्रतिनिधिमंडल की यात्रा ने आतंकवाद से निपटने के लिए भारत के एकजुट दृष्टिकोण और क्षेत्र में रणनीतिक भागीदारों के साथ कूटनीतिक संपर्क को गहरा करने के उसके प्रयासों को उजागर किया। (एएनआई)
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ट्रम्प ने 12 मुस्लिम देशों के नागरिकों पर लगाया यात्रा प्रतिबंध

अमेरिकी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने बुधवार को 12 देशों के नागरिकों के अमेरिका में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने संबंधी एक घोषणा पर हस्ताक्षर किए, जिसमें कहा गया कि "विदेशी आतंकवादियों" और अन्य सुरक्षा खतरों से सुरक्षा के लिए यह कदम आवश्यक था। यह निर्देश ट्रम्प द्वारा इस वर्ष अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में शुरू किए गए आव्रजन अभियान का हिस्सा है, जिसमें गिरोह के सदस्य होने के संदेह में सैकड़ों वेनेजुएला के लोगों को अल साल्वाडोर निर्वासित करना और कुछ विदेशी छात्रों के नामांकन को अस्वीकार करने और अन्य को निर्वासित करने के प्रयास शामिल हैं।
नवीनतम यात्रा प्रतिबंध से प्रभावित देश अफगानिस्तान, म्यांमार, चाड, कांगो, इक्वेटोरियल गिनी, इरिट्रिया, हैती, ईरान, लीबिया, सोमालिया, सूडान और यमन हैं। सात अन्य देशों: बुरुंडी, क्यूबा, ​​लाओस, सिएरा लियोन, टोगो, तुर्कमेनिस्तान और वेनेजुएला के लोगों का प्रवेश आंशिक रूप से प्रतिबंधित रहेगा। ट्रम्प ने एक्स पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में कहा, "हम ऐसे लोगों को अपने देश में प्रवेश नहीं करने देंगे जो हमें नुकसान पहुँचाना चाहते हैं।" उन्होंने कहा कि सूची को संशोधित किया जा सकता है और नए देशों को जोड़ा जा सकता है। यह घोषणा 9 जून, 2025 को 12:01 बजे EDT (0401 GMT) पर प्रभावी होगी। आदेश में कहा गया है कि उस तिथि से पहले जारी किए गए वीज़ा रद्द नहीं किए जाएँगे।
अपने पहले कार्यकाल के दौरान, ट्रम्प ने सात मुस्लिम-बहुल देशों के यात्रियों पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की, एक नीति जो 2018 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा बरकरार रखे जाने से पहले कई पुनरावृत्तियों से गुज़री। पूर्व राष्ट्रपति जो बिडेन, एक डेमोक्रेट जो ट्रम्प के उत्तराधिकारी बने, ने 2021 में ईरान, लीबिया, सोमालिया, सीरिया और यमन के नागरिकों पर उस प्रतिबंध को निरस्त कर दिया, इसे "हमारे राष्ट्रीय विवेक पर एक दाग" कहा। ट्रम्प ने कहा कि सबसे कठोर प्रतिबंधों के अधीन देश "आतंकवादियों की बड़े पैमाने पर मौजूदगी" को पनाह देने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं, वीज़ा सुरक्षा पर सहयोग करने में विफल हैं और यात्रियों की पहचान सत्यापित करने में असमर्थ हैं, आपराधिक इतिहास का अपर्याप्त रिकॉर्ड रखते हैं और संयुक्त राज्य अमेरिका में वीज़ा अवधि से अधिक समय तक रहने की उच्च दर है।
ट्रम्प ने कहा, "हम किसी भी ऐसे देश से खुले प्रवास की अनुमति नहीं दे सकते, जहाँ हम संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रवेश करने के इच्छुक लोगों की सुरक्षित और विश्वसनीय रूप से जाँच और स्क्रीनिंग नहीं कर सकते।" उन्होंने बोल्डर, कोलोराडो में रविवार की घटना का हवाला दिया, जिसमें एक व्यक्ति ने इजरायल समर्थक प्रदर्शनकारियों की भीड़ पर गैसोलीन बम फेंका, जो नए प्रतिबंधों की आवश्यकता का एक उदाहरण है। इस हमले में मिस्र के नागरिक मोहम्मद सबरी सोलिमन पर आरोप लगाया गया है। संघीय अधिकारियों ने कहा कि सोलिमन ने अपने पर्यटक वीज़ा की अवधि से अधिक समय तक रहने का फैसला किया था और उसका वर्क परमिट समाप्त हो चुका था - हालाँकि मिस्र यात्रा सीमाओं का सामना करने वाले देशों की सूची में नहीं है।अमेरिका में रहना एक 'बड़ा जोखिम' सोमालिया ने तुरंत सुरक्षा मुद्दों को हल करने के लिए अमेरिका के साथ काम करने का वादा किया।
संयुक्त राज्य अमेरिका में सोमाली राजदूत दाहिर हसन अब्दी ने एक बयान में कहा, "सोमालिया संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ अपने दीर्घकालिक संबंधों को महत्व देता है और उठाई गई चिंताओं को दूर करने के लिए बातचीत में शामिल होने के लिए तैयार है।" राष्ट्रपति निकोलस मादुरो के करीबी सहयोगी वेनेजुएला के आंतरिक मंत्री डायोसाडो कैबेलो ने बुधवार शाम को अमेरिकी सरकार को फासीवादी बताते हुए और वेनेजुएला के लोगों को अमेरिका में रहने की चेतावनी देते हुए जवाब दिया। "सच्चाई यह है कि संयुक्त राज्य अमेरिका में रहना किसी के लिए भी एक बड़ा जोखिम है, न कि केवल वेनेजुएला के लोगों के लिए... वे हमारे देशवासियों, हमारे लोगों को बिना किसी कारण के सताते हैं।" तालिबान के नेतृत्व वाले अफगान विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने टिप्पणी के अनुरोध का तुरंत जवाब नहीं दिया। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इस बारे में टिप्पणी के अनुरोध का तुरंत जवाब नहीं दिया कि वह इस्लामाबाद में प्रतीक्षा कर रहे हजारों अफगानों को कैसे संभालेगा, जो अमेरिकी पुनर्वास के लिए पाइपलाइन में थे। गुरुवार को म्यांमार की सैन्य सरकार के प्रवक्ता को सुबह-सुबह किए गए कॉल का जवाब नहीं दिया गया। लाओस के विदेश मंत्रालय ने टिप्पणी के अनुरोध का तुरंत जवाब नहीं दिया। ट्रम्प ने एक सख्त सीमा रणनीति पर अभियान चलाया और अक्टूबर 2023 के भाषण में अपनी योजना का पूर्वावलोकन किया, जिसमें गाजा पट्टी, लीबिया, सोमालिया, सीरिया, यमन और "हमारी सुरक्षा को खतरा पहुंचाने वाले किसी भी अन्य स्थान" से लोगों को प्रतिबंधित करने का वचन दिया।
ट्रम्प ने 20 जनवरी को एक कार्यकारी आदेश जारी किया, जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा खतरों का पता लगाने के लिए यू.एस. में प्रवेश चाहने वाले किसी भी विदेशी की गहन सुरक्षा जांच की आवश्यकता थी। उस आदेश में कई कैबिनेट सदस्यों को उन देशों की सूची प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया था, जिनसे यात्रा आंशिक रूप से या पूरी तरह से निलंबित की जानी चाहिए क्योंकि उनकी "जांच और स्क्रीनिंग जानकारी बहुत कम है।" नवीनतम यात्रा प्रतिबंधों की पहली बार CBS News द्वारा रिपोर्ट की गई थी।
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विकास को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता के साथ भारत यूएन आर्थिक एवं सामाजिक परिषद के लिए निर्वाचित

संयुक्त राष्ट्र। भारत को संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक परिषद (ईसीओएसओसी) के लिए 2026 से शुरू होने वाले तीन साल के कार्यकाल के लिए चुना गया है। भारत को 187 में से 181 वोट मिले। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 'एक्स' पर कहा कि भारत विकास के मुद्दों को बढ़ावा देने और ईसीओएसओसी को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने समर्थन देने वाले देशों और भारत के यूएन मिशन के राजनयिकों को धन्यवाद दिया।
यह भारत का ईसीओएसओसी में कम से कम 18वां कार्यकाल होगा। भारत 2008 से 2020 तक चार कार्यकाल पूरे कर चुका है। ईसीओएसओसी यूएन का मुख्य निकाय है, जिसमें 193 सदस्य देशों का प्रतिनिधित्व होता है। यह सतत विकास और आर्थिक मामलों पर काम करता है। इसमें 54 सदस्य हैं, जिनमें से एक-तिहाई हर तीन साल में बदलते हैं। इस साल 18 सीटों के लिए चुनाव हुआ।
एशिया-प्रशांत क्षेत्र की चार सीटों के लिए भारत, चीन, लेबनान और तुर्कमेनिस्तान चुने गए। चीन को 180, लेबनान और तुर्कमेनिस्तान को 183-183 वोट मिले। पूर्वी यूरोप ग्रुप में यूक्रेन ने रूस को पछाड़ दिया, जिसके कारण उसे पहले मतदान में क्षेत्र की तीन सीटों में से एक सीट जीतने के लिए पर्याप्त वोट नहीं मिल पाए। ऐसे में उसे दूसरे चरण में हिस्सा लेना पड़ा।
चूंकि क्षेत्र ने तीन सीटों के लिए कोई सूची नहीं बनाई थी, इसलिए तीन सीटों के लिए पांच उम्मीदवार थे। यूक्रेन 130, जबकि क्रोएशिया 140 वोटों के साथ पहले चरण में चुने गए, जिन्होंने दो-तिहाई वोट जीते। रूस 108 वोटों के साथ अपने सहयोगी बेलारूस के खिलाफ दूसरे चरण में हिस्सा लेने के लिए मजबूर हुआ। उसे 96 वोट मिले, जबकि सबसे कम वोट पाने वाला उत्तरी मैसेडोनिया 59 वोटों के साथ बाहर हो गया।
23 देशों ने रनऑफ में मतदान से परहेज किया, जिससे दो-तिहाई बहुमत की सीमा कम हो गई और रूस ने बेलारूस के 46 के मुकाबले 115 वोटों से जीत हासिल की। अमेरिका और जर्मनी ने इटली और लिकटेंस्टीन के अपने सीटों से इस्तीफा देने के कारण ईसीओएसओसी के लिए उप-चुनाव जीते। भारत अपने पड़ोसियों पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका के साथ ईसीओएसओसी में शामिल होगा।
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रूस के सुरक्षा प्रमुख किम जोंग-उन से मुलाकात के लिए प्योंगयांग पहुंचे

सियोल। रूस के सुरक्षा परिषद सचिव सर्गेई शोइगु नेता किम जोंग-उन से मुलाकात करने के लिए प्योंगयांग पहुंचे, बुधवार को एक रूसी समाचार रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई। रूसी समाचार एजेंसी टैस की रिपोर्ट के अनुसार शोइगु राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के निर्देश पर उत्तर कोरिया पहुंचे और किम से मुलाकात करने वाले हैं। यह यात्रा ऐसे समय में हुई है जब ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि किम पिछले साल जून में आपसी रक्षा संधि पर हस्ताक्षर करने की पहली वर्षगांठ मनाने के लिए पुतिन के साथ शिखर सम्मेलन के लिए रूस आ सकते हैं, जिसके कारण उत्तर कोरिया ने यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में रूसी पक्ष की ओर से हजारों सैनिकों की तैनाती की थी।
रूस की सुरक्षा परिषद का हवाला देते हुए, टैस ने कहा कि किम और शोइगु व्यापक रणनीतिक साझेदारी संधि के कार्यान्वयन और रूस-यूक्रेन युद्ध में लड़ने वाले उत्तर कोरियाई सैनिकों की स्मृति पर चर्चा करेंगे। एजेंडे में यूक्रेन से जुड़े अंतर्राष्ट्रीय मुद्दे भी शामिल हो सकते हैं, ऐसा कहा गया।
शोइगु की यात्रा तीन महीने से भी कम समय बाद हुई है, जब वे दोनों देशों के बीच सहयोग पर चर्चा करने के लिए उत्तर कोरिया के नेता से मिलने के लिए उत्तर कोरिया गए थे। योनहाप समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, उनकी यात्रा उत्तर कोरिया के राज्य सुरक्षा मंत्री री चांग-डे द्वारा उच्च-स्तरीय सुरक्षा अधिकारियों की एक अंतरराष्ट्रीय बैठक के अवसर पर मॉस्को में उनके साथ बैठक करने के ठीक एक सप्ताह बाद हुई।
उस बैठक के दौरान, री और शोइगु ने कथित तौर पर यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में रूस का समर्थन करने के लिए उत्तर कोरिया द्वारा सैनिकों की तैनाती से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की। कड़े अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के बीच, उत्तर कोरिया ने संसाधनों और सहयोग के लिए रूस की ओर रुख किया है और माना जाता है कि उसने सैनिकों की तैनाती और हथियारों की आपूर्ति के बदले में अपने परमाणु और मिसाइल शस्त्रागार को आगे बढ़ाने के लिए दुर्लभ रक्षा प्रौद्योगिकियां प्राप्त की हैं।
इससे पहले 2 जून को, उत्तर कोरिया ने उत्तर और रूस के बीच सैन्य सहयोग पर एक रिपोर्ट जारी करने के लिए प्योंगयांग के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंधों के प्रवर्तन पर एक निगरानी समूह की निंदा की, इस कदम को एक राज्य के संप्रभु अधिकारों का उल्लंघन कहा।
बहुपक्षीय प्रतिबंध निगरानी दल (MSMT) ने गुरुवार को प्योंगयांग के परमाणु और मिसाइल कार्यक्रमों के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का उल्लंघन करते हुए उत्तर कोरिया और रूस के बीच किए गए अवैध सैन्य सहयोग का विवरण देते हुए पहली रिपोर्ट जारी की।
कोरियन सेंट्रल न्यूज एजेंसी (KCNA) के अनुसार, उत्तर कोरिया के विदेश मंत्रालय में बाहरी नीति कार्यालय के प्रमुख ने कहा कि MSMT ने उत्तर और रूस के बीच सहकारी संबंधों पर सवाल उठाने वाली एक रिपोर्ट गढ़कर "राजनीतिक उकसावे" का काम किया है। (आईएएनएस)
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सुप्रिया सुले के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने की मिस्र के विदेश मंत्री अब्देलती के साथ मुलाकात

  • आतंकवाद पर हुई चर्चा
काहिरा। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-शरदचंद्र पवार (एनसीपी-एसपी) सांसद सुप्रिया सुले के नेतृत्व में सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने मिस्र के विदेश मंत्री अब्देलती से मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल ने मिस्र की ओर से आतंकवाद की कड़े शब्दों में निंदा किए जाने का स्वागत किया और भारत के आतंकवाद से लड़ने के दृढ़ संकल्प को दोहराया। यह जानकारी मिस्र में भारतीय दूतावास ने एक प्रेस बयान में दी।
दो दिवसीय मिस्र दौरे पर गए इस प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को मिस्र के नेताओं, बुद्धिजीवियों और प्रभावशाली लोगों के साथ बातचीत की, जिसकी अध्यक्षता मिस्र के पूर्व विदेश मंत्री नबील फहमी ने की। मिस्र में भारतीय दूतावास ने मंगलवार शाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर प्रेस बयान में कहा कि उन्होंने आतंकवाद से निपटने के लिए भारत के दृढ़ संकल्प को भी स्पष्ट रूप से व्यक्त किया और मिस्र द्वारा आतंकवाद की कड़ी निंदा का स्वागत किया।
प्रतिनिधिमंडल ने कतर, इथियोपिया और दक्षिण अफ्रीका के सफल दौरे के बाद सोमवार को मिस्र की राजधानी काहिरा पहुंचा। इसमें भाजपा सांसद राजीव प्रताप रूडी, ‘आप’ सांसद विक्रमजीत सिंह साहनी, कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी, भाजपा सांसद अनुराग सिंह ठाकुर, तेलुगु देशम पार्टी के लवू श्री कृष्ण देवरायलु, कांग्रेस सांसद आनंद शर्मा, पूर्व केंद्रीय मंत्री वी. मुरलीधरन और पूर्व राजदूत सैयद अकबरुद्दीन शामिल थे।
ये सभी सोमवार को मिस्र की राजधानी काहिरा पहुंचे। मंगलवार को, प्रतिनिधिमंडल ने मिस्र के शीर्ष राजनीतिक नेतृत्व, अरब लीग, मीडिया और बुद्धिजीवियों के साथ बातचीत जारी रखी। दोनों देशों ने भारत-मिस्र रणनीतिक साझेदारी की बढ़ती गति को स्वीकार किया और आतंकवाद के खिलाफ एकजुट रुख की पुष्टि की।
बयान में कहा गया कि मिस्र ने पहलगाम आतंकी हमले की कड़ी निंदा की और भारतीय प्रतिनिधिमंडल इस बात की सराहना करता है। मिस्र के विदेश मंत्री अब्देलती ने भारत के साथ पूर्ण एकजुटता जताई और आतंकवाद विरोधी सहयोग को और गहरा करने का स्वागत किया।
प्रतिनिधिमंडल ने अरब लीग के महासचिव अहमद अबुल घीत से भी मुलाकात की और भारत के अरब दुनिया के साथ राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक साझेदारी पर चर्चा की। दोनों पक्षों ने आतंकवाद का मुकाबला करने और इसके लिए बहुपक्षीय सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया।
इससे पहले, मंगलवार सुबह काहिरा के हेलियोपोलिस युद्ध स्मारक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध में अपने प्राणों की आहुति देने वाले भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि दी। भारतीय दूतावास ने अपने बयान में कहा कि यह भारत और मिस्र के बीच ऐतिहासिक संबंधों और साझा बलिदानों को दर्शाता है।
नबील फहमी की अध्यक्षता में एक उच्च-स्तरीय बैठक में प्रतिनिधिमंडल ने मिस्र के प्रमुख बुद्धिजीवियों, मीडिया नेताओं और प्रभावशाली लोगों के साथ चर्चा की। प्रतिनिधिमंडल ने आतंकवाद से लड़ने के लिए भारत की सैद्धांतिक स्थिति और सामूहिक संकल्प को दोहराया और मिस्र के लगातार समर्थन का स्वागत किया।
प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों का साक्षात्कार प्रमुख मिस्र मीडिया आउटलेट्स ने लिया, जिसमें उन्होंने आतंकवाद विरोधी, क्षेत्रीय सहयोग और जन-केंद्रित कूटनीति पर भारत के दृष्टिकोण को व्यक्त किया। इन बैठकों ने भारत और मिस्र की रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने और आतंकवाद के खतरे से निपटने की साझा प्रतिबद्धता को फिर से दोहराया।
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ब्रिक्स सम्मेलन में अंतरिक्ष और डिजिटल तकनीक पर चर्चा

  • भारत ने दोहराई अपनी प्रतिबद्धता
ब्रासीलिया। भारत ने ब्राजील में आयोजित संचार मंत्रियों की बहुपक्षीय बैठक में ब्रिक्स देशों के साथ लंबे समय से चली आ रही कूटनीतिक साझेदारी को मजबूत करने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है। केंद्रीय ग्रामीण विकास और संचार राज्य मंत्री चंद्रशेखर पेम्मासानी ने ब्राजील में 11वीं ब्रिक्स संचार मंत्रियों की बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए आधार से यूपीआई तक की डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर (डीपीआई) की उपलब्धियों को रेखांकित किया, जो अब समावेशी तकनीकी विकास के लिए वैश्विक मॉडल बन चुका है।
उन्होंने सोमवार को ब्रासीलिया में आयोजित बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चार प्रमुख क्षेत्रों, यूनिवर्सल और सार्थक कनेक्टिविटी, अंतरिक्ष और पर्यावरणीय स्थिरता और डिजिटल इकोसिस्टम में भारत की प्रगति को साझा किया।
दरअसल, ब्रिक्स में ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका, मिस्र, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), इथियोपिया, ईरान, इंडोनेशिया और सऊदी अरब समेत 11 देश शामिल हैं। पेम्मासानी ने मंगलवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर पोस्ट करते हुए लिखा, "ब्राजील के साथ स्मार्ट और सुरक्षित भविष्य के लिए डिजिटल संबंधों को मजबूत करने हेतु उपयोगी द्विपक्षीय वार्ता हुई। इसके अलावा, स्वदेशी 4जी/5जी विकास, घरेलू विनिर्माण और 6जी, क्वांटम टेक्नोलॉजी, सैटकॉम में सहयोग पर चर्चा की। ब्राजील के 6 गीजाहर्ट ट्रायल, सैटकॉम जरूरतों, टेलीकॉम सुरक्षा और वैश्विक डीपीआई सहयोग पर भी बात हुई।"
उन्होंने ब्रिक्स संचार मंत्रियों की बैठक के दौरान दक्षिण अफ्रीका के समकक्ष मंत्री के साथ भी रचनात्मक बातचीत की और वैश्विक मंचों पर उनके निरंतर समर्थन की सराहना की। दोनों पक्षों ने डिजिटल डिवाइड को कम करने के लिए कौशल विकास, यूपीआई-आधारित कैशलेस भुगतान प्रणाली सहित डिजिटल बैंकिंग, और डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसे क्षेत्रों में सहयोग पर चर्चा की।
इसके साथ ही उन्होंने बहुपक्षीय प्लेटफार्मों पर अधिक सहयोग की संभावनाओं पर विचार किया और डिजिटल साझेदारी को मजबूत करने के लिए हर संभव समर्थन का आश्वासन दिया।
केंद्रीय ग्रामीण विकास और संचार राज्य मंत्री चंद्रशेखर पेम्मासानी ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, "यह बैठक बहुत सफल रही। इसमें लगभग 10 देशों ने हिस्सा लिया और सभी ने अपने अनुभव साझा किए और एक-दूसरे से सीखा। कुल मिलाकर अन्य देशों की तुलना में भारत ने 4जी और 5जी कनेक्टिविटी बढ़ाने, फाइबर ऑप्टिक्स बिछाने, टेलीकॉम धोखाधड़ी रोकने और सैटेलाइट सुधारों में शानदार काम किया है। लोगों ने भारत के प्रगतिशील और गतिशील दृष्टिकोण की सराहना की।"
2 जून को ब्रासीलिया में ब्राजील की अध्यक्षता में ब्रिक्स संचार मंत्रियों की बैठक हुई, जिसमें यूनिवर्सल और सार्थक कनेक्टिविटी, अंतरिक्ष और पर्यावरणीय स्थिरता और डिजिटल इकोसिस्टम पर चर्चा हुई। इसका उद्देश्य एक खुला, समावेशी, नवाचार-प्रधान, विकास-उन्मुख, समान और टिकाऊ डिजिटल भविष्य के लिए सहयोग को मजबूत करना था।
इस बीच, कांग्रेस सांसद शशि थरूर के नेतृत्व में भारत का एक सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत ब्राजील पहुंचा। चंद्रशेखर पेम्मासानी ने आईएएनएस से बात करते हुए थरूर के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल की सराहना भी की।
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आतंकवाद के खिलाफ भारत को मिला ब्रिटिश नेताओं का समर्थन

  • दोनों देशों के बीच सहयोग को मजबूत करने पर हुई चर्चा
लंदन। भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद के नेतृत्व में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने लंदन में ब्रिटिश सरकार के मंत्रियों, सांसदों, पार्टी नेताओं, थिंक टैंक्स और भारत मैत्री समूहों के साथ उच्च-स्तरीय बैठकें कीं। इनमें ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और भारत की आतंकवाद-विरोधी रणनीति में महत्वपूर्ण बदलाव के बारे में जानकारी दी गई।
प्रतिनिधिमंडल ने सीमा-पार आतंकवाद के खिलाफ भारत-ब्रिटेन सहयोग को मजबूत करने पर चर्चा की और वैश्विक सुरक्षा, न्याय और रणनीतिक साझेदारी के लिए साझा प्रतिबद्धता को दोहराया। ब्रिटिश संसद में यूके की नागरिकता और आव्रजन मंत्री सीमा मल्होत्रा के साथ बातचीत में प्रतिनिधिमंडल ने आतंकवाद के खिलाफ भारत के दृढ़ संकल्प को रेखांकित किया।
प्रतिनिधिमंडल ने लेबर पार्टी के भारत-मैत्री समूहों, जैसे लेबर फ्रेंड्स ऑफ इंडिया, लेबर कन्वेंशन ऑफ इंडियन ऑर्गेनाइजेशंस, सिख फॉर लेबर और हिंदू फॉर लेबर से मुलाकात कर आतंकवाद के खिलाफ भारत के एकजुट रुख को रखा।
उन्होंने आतंकवाद से निपटने के लिए भारत की प्रतिबद्धता दोहराई और इसे वैश्विक स्थिरता के लिए खतरा बताया। साथ ही उन्होंने स्थायी शांति, सुरक्षा और मानवता के लिए मजबूत सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया।
लेबर इंडिया फ्रेंडशिप ग्रुप्स ने भारत के साथ एकजुटता व्यक्त की और आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई का समर्थन किया। उन्होंने सहमति जताई कि आतंकी ढांचे को नष्ट करना और आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकना जरूरी है, क्योंकि भारत को प्रभावित करने वाली समस्या अन्य देशों, जैसे यूके को भी प्रभावित कर सकती है।
दोनों पक्षों ने आपसी समझ बढ़ाने के लिए निरंतर संवाद और लेबर पार्टी तथा भारत के बीच सहयोग को मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताई।
कंजर्वेटिव कैंपेन मुख्यालय में प्रतिनिधिमंडल ने कंजर्वेटिव पार्टी के सह-अध्यक्ष डोमिनिक जॉनसन और कंजर्वेटिव फ्रेंड्स ऑफ इंडिया के सह-अध्यक्ष कुलेश शाह के साथ चर्चा की। उन्होंने भारत की आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई का समर्थन किया, इसके वैश्विक प्रभाव को स्वीकार किया और यूके में भारतीय डायस्पोरा के योगदान की सराहना की।
इससे पहले, सोमवार को प्रतिनिधिमंडल ने यूके के थिंक टैंक के साथ सीमा-पार आतंकवाद और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के भारत की रणनीति में नए मानक स्थापित करने पर चर्चा की। इससे पहले सोमवार को प्रतिनिधिमंडल ने यूके के थिंक टैंक के साथ सीमा-पार आतंकवाद के खतरे पर चर्चा की और बताया गया कि कैसे ‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारत की आतंक के खिलाफ लड़ाई में एक नया रणनीतिक मानक स्थापित करता है।
भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा, "आज सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के सहयोगियों के साथ, मुझे यूके के थिंक टैंक्स और शैक्षणिक समुदाय के साथ बातचीत का अवसर मिला। हमने आतंकवाद के प्रति भारत के जीरो टॉलरेंस रुख को साझा किया और राज्य-प्रायोजित आतंकवाद का मुकाबला करने में भारत द्वारा स्थापित 'नए सामान्य' को उजागर किया। प्रमुख थिंक टैंक्स के साथ हमारी बातचीत सार्थक रही, और हमने अपनी चिंताओं को व्यक्त करते हुए अपनी यात्रा का उद्देश्य बताया।"
उन्होंने आगे लिखा, "हमने पाकिस्तान से निपटने में भारत की क्षमता पर जोर दिया। हम शांति और सौहार्द में विश्वास करते हैं, लेकिन अपने नागरिकों को आतंकवाद से बचाने के लिए निर्णायक कदम उठाने की जरूरत को भी समझते हैं। दुनिया को आतंकवाद की समस्या को समझना होगा। हमने भारत की आर्थिक उपलब्धियों, वैश्विक स्तर पर विनिर्माण केंद्र के रूप में उभरने और एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में विकास पथ पर अग्रसर होने की बात भी रेखांकित की। हमारा मानना है कि आतंकवाद और व्यापार साथ-साथ नहीं चल सकते।"
इस नौ सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल में विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि शामिल हैं, जिनमें रविशंकर प्रसाद (भाजपा), दग्गुबाती पुरंदेश्वरी (भाजपा), प्रियंका चतुर्वेदी (शिव सेना-यूबीटी), गुलाम अली खटाना (भाजपा), अमर सिंह (कांग्रेस), समिक भट्टाचार्य (भाजपा), एम. थंबीदुराई (एआईएडीएमके), पूर्व केंद्रीय मंत्री एम.जे. अकबर और पूर्व राजदूत पंकज सरन हैं।
फ्रांस, इटली और डेनमार्क की यात्रा के बाद यह भारतीय प्रतिनिधिमंडल ऑपरेशन सिंदूर के महत्व और भारत की वैश्विक कूटनीतिक पहल को उजागर करने के लिए लंदन पहुंचा है।
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शशि थरूर के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने की ब्राजील के उपराष्ट्रपति से मुलाकात

  • आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता पर जोर
ब्रासीलिया। कांग्रेस सांसद शशि थरूर के नेतृत्व में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने ब्राजील के उपराष्ट्रपति गेराल्डो अल्कमिन से मुलाकात की। इस दौरान उपराष्ट्रपति गेराल्डो अल्कमिन ने भारतीय प्रतिनिधिमंडल की ब्राजील यात्रा को लेकर खुशी जाहिर की।
ब्राजील के उपराष्ट्रपति गेराल्डो अल्कामिन ने कहा, "भारतीय विदेशी मामलों में संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्ष शशि थरूर और सांसदों व भारत के ब्राजील राजदूत का स्वागत करना हमारे लिए सम्मान और खुशी की बात है। हम खुश और सम्मानित महसूस कर रहे हैं, क्योंकि ब्राजील एक मित्र देश और भारत का एक महत्वपूर्ण वाणिज्यिक साझेदार है। हम हमले के पीड़ितों के प्रति एकजुटता व्यक्त करते हैं। ब्राजील हमेशा शांति और समझ को बढ़ावा देता है और हम भारत के साथ अपने संबंधों को मजबूत करना चाहते हैं।"
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, "यह यात्रा अब तक बहुत अच्छी रही है और हम चारों देशों में हुई बैठकों की गुणवत्ता से बहुत संतुष्ट हैं। आज ब्रासीलिया में हमने राष्ट्रपति के वरिष्ठ कूटनीतिक सलाहकार से मुलाकात की, जो पहले विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री और संयुक्त राष्ट्र में राजदूत रह चुके हैं। हमारी बातचीत में हमारी स्थिति को पूरी तरह समझा गया। हमारी सीनेट की विदेश संबंध समिति के अध्यक्ष के साथ भी शानदार बैठक हुई। वे भारत-ब्राजील मैत्री समूह के अध्यक्ष भी हैं और हमारे विचारों और स्पष्टीकरण के प्रति बहुत सहायक और ग्रहणशील थे।"
शशि थरूर ने कहा, "हम आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई में एकजुटता चाहते हैं। इन देशों में यह बात स्पष्ट हो गई है कि वे कुछ मुद्दों को समझते हैं, लेकिन कुछ अन्य को पूरी तरह नहीं समझा गया है। कई देश स्वाभाविक रूप से बातचीत का सुझाव देते हैं, लेकिन उन लोगों से बातचीत करना बहुत मुश्किल है, जो आपके सिर पर बंदूक ताने हुए हैं और आपकी सीमा पर आतंकवादी भेज रहे हैं। यह एक मूलभूत समस्या है। पहला कदम यह होना चाहिए कि वे आतंकवाद के ढांचे को खत्म करें।"
शशि थरूर ने अमेरिका दौरे का जिक्र करते हुए कहा, "वाशिंगटन डीसी एक विशेष रूप से दिलचस्प मामला है, क्योंकि यह एक बड़ा देश है, एक महाशक्ति है, जिसका दुनिया में बहुत प्रभाव है और वहां सूचनाओं, गलत सूचनाओं और अन्य जानकारियों का प्रवाह चलता रहता है। हम विभिन्न लोगों से बातचीत कर रहे हैं, जिनमें सरकारी अधिकारी, सीनेटर, और कैपिटल हिल के कांग्रेस सदस्य शामिल हैं। हम थिंक टैंक्स और विदेश नीति में विशेषज्ञता रखने वाली संस्थाओं से भी मुलाकात कर रहे हैं।"
इसके साथ ही केंद्रीय ग्रामीण विकास और संचार राज्य मंत्री चंद्रशेखर पम्मसानी ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, "बैठक काफी सफल रही। इस प्रक्रिया में लगभग 10 देशों ने भाग लिया, जिनमें से प्रत्येक ने अपने अनुभव साझा किए और एक-दूसरे से सीखा। कुल मिलाकर, अन्य देशों की तुलना में भारत ने असाधारण काम किया है, चाहे 4जी और 5जी कनेक्टिविटी का विस्तार करना हो, फाइबर ऑप्टिक्स बिछाना हो, दूरसंचार धोखाधड़ी को रोकना हो या उपग्रह सुधारों को लागू करना हो।"
उन्होंने शशि थरूर की तारीफ करते हुए कहा, "वे (शशि थरूर) स्पष्ट रूप से बहुत अनुभवी व्यक्ति हैं, जिन्हें ऐसे मामलों को संभालने में व्यापक अंतरराष्ट्रीय अनुभव है। मेरा मानना है कि वे और उनकी टीम भारत के दृष्टिकोण और सच्चाई को बाकी दुनिया के सामने पेश करने में सराहनीय काम कर रहे हैं और वे काफी सफल रहे हैं। उदाहरण के लिए कल ही वे कोलंबिया की स्थिति में बदलाव लाने में सफल रहे। यह पीएम मोदी की एक बहुत अच्छी पहल है, जिसके नतीजे स्पष्ट रूप से मिल रहे हैं।"
इसके अलावा, शशि थरूर ने प्रतिनिधिमंडल के साथ चैंबर ऑफ डेप्युटीज में समिति के प्रेसीडेंसी हॉल में विदेश मामलों और राष्ट्रीय रक्षा समिति के अध्यक्ष संघीय उप फिलिप बरोज से भी मुलाकात की।
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भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने मलेशियाई नेताओं से आतंकवाद पर भारत का रुख स्पष्ट किया

कुआलालंपुर। जनता दल यूनाइटेड के सांसद संजय कुमार झा के नेतृत्व में एक सर्वदलीय भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने आतंकवाद के खिलाफ भारत के रुख को पेश करते हुए कुआलालंपुर में प्रमुख मलेशियाई राजनीतिक नेताओं से बातचीत की।
मलेशिया में भारतीय दूतावास ने सोमवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर एक प्रेस बयान में कहा कि भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने मलेशिया के प्रमुख राजनीतिक दलों और थिंक टैंक के प्रतिनिधियों से उच्च स्तरीय बातचीत की। इस दौरान उन्होंने आतंकवाद के हर रूप और उसके किसी भी तरीके के खिलाफ भारत की ज़ीरो टॉलरेंस की नीति को स्पष्ट रूप से सामने रखा।
प्रेस बयान में कहा गया कि इस यात्रा से यह स्पष्ट हुआ कि आतंकवाद और उसे समर्थन देने वालों के खिलाफ सख्त और उचित कदम उठाने को लेकर भारत में एक मजबूत राष्ट्रीय सहमति है। मलेशिया में भारतीय दूतावास ने अपने प्रेस बयान में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सीमा पार आतंकवाद से निपटने के लिए मलेशिया जैसे रणनीतिक साझेदारों के साथ मिलकर काम करने और देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
संजय कुमार झा के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल में भाजपा सांसद अपराजिता सारंगी, बृज लाल, हेमांग जोशी और प्रदान बरुआ, तृणमूल कांग्रेस के सांसद अभिषेक बनर्जी, सीपीआई (एम) के राज्यसभा सदस्य जॉन बरिटास, वरिष्ठ कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद और फ्रांस में भारत के पूर्व राजदूत मोहन कुमार शामिल हैं। जापान, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर और इंडोनेशिया की यात्रा पूरी करने के बाद प्रतिनिधिमंडल अपने दौरे के अंतिम चरण में मलेशिया पहुंचा है। वहां वह 'ऑपरेशन सिंदूर' के महत्व और पाकिस्तान समर्थित सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ भारत की लगातार चल रही लड़ाई पर प्रकाश डालेगा।
मलेशिया में भारतीय दूतावास ने अपने बयान में कहा कि पीपुल्स जस्टिस पार्टी (केदिलन राक्यत) के नेता सिम त्से त्सिन के साथ हुई बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत के मजबूत रुख को उजागर किया और सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ देश की एकजुटता को दोहराया।
पीकेआर प्रतिनिधिमंडल ने भारतीय प्रतिनिधिमंडल द्वारा साझा की गई विस्तृत जानकारी की सराहना की। प्रतिनिधिमंडल के नेता संजय कुमार झा ने इस दौरान मलेशिया की राष्ट्रीय एकता मामलों की उप मंत्री सरस्वती कंडासामी से भी मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री कार्यालय (कानून और संस्थागत सुधार) में उप मंत्री एम. कुला सेगरन के नेतृत्व वाली डेमोक्रेटिक एक्शन पार्टी (डीएपी) के साथ सकारात्मक और रचनात्मक बातचीत की।
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कनिमोझी के नेतृत्व में स्पेन पहुंचा भारतीय प्रतिनिधिमंडल

मैड्रिड। डीएमके सांसद कनिमोझी करुणानिधि के नेतृत्व में एक सर्वदलीय भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल अपनी पांच देशों की यात्रा के अंतिम चरण में मैड्रिड पहुंच गया है। यहां भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने 'राष्ट्रपिता' महात्मा गांधी की मूर्ति पर श्रद्धांजलि दी।
भारतीय दूतावास ने रविवार शाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक बयान में कहा, "सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने मैड्रिड में महात्मा गांधी की प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित करके अपनी पांच देशों की यात्रा के अंतिम चरण की शुरुआत की। यह अवसर गांधीजी के अहिंसा और शांति के स्थायी मूल्यों पर विचार करने और उन्हें सम्मान देने का क्षण था।"
प्रेस वक्तव्य में कहा गया, "श्रद्धांजलि समारोह के बाद प्रतिनिधिमंडल ने स्पेन में भारतीय समुदाय के साथ बातचीत की। उन्होंने डायस्पोरा को एक मजबूत संदेश दिया, जिसमें जोर दिया गया कि भारत आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई में अडिग और एकजुट है, जो वैश्विक शांति और मानवता के लिए खतरा है। प्रतिनिधिमंडल आतंकवाद से निपटने के लिए सभी राजनीतिक दलों में मजबूत राष्ट्रीय सहमति और संकल्प को दर्शाता है। उन्होंने स्पेन में भारतीय समुदाय से अपनी जड़ों पर गर्व करने, एकजुट रहने और भारत के न्याय और शांति को बढ़ावा देने के प्रयासों में सक्रिय रूप से समर्थन करने का आग्रह किया।"
कनिमोझी के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल में समाजवादी पार्टी के सांसद राजीव राय, भाजपा सांसद कैप्टन बृजेश चौटा (सेवानिवृत्त), राजद सांसद प्रेम चंद गुप्ता, ‘आप’ सांसद अशोक कुमार मित्तल और संयुक्त राष्ट्र में भारत के पूर्व उप स्थायी प्रतिनिधि, राजदूत मंजीव सिंह पुरी और राजदूत जावेद अशरफ शामिल हैं।
प्रेस वक्तव्य में कहा गया कि बातचीत के दौरान भारतीय प्रवासियों ने बताया कि उनके स्पेनिश परिचितों ने पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले पर हैरानी और चिंता व्यक्त की है, जो आतंकवाद से निपटने में भारत के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में बढ़ती अंतरराष्ट्रीय जागरूकता को दर्शाता है। प्रेस वक्तव्य में कहा गया कि समुदाय ने भारत के आतंकवाद विरोधी प्रयासों के लिए भी मजबूत समर्थन व्यक्त किया और राष्ट्र के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त की।
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रविशंकर प्रसाद के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने ब्रिटेन की शैडो विदेश सचिव से की मुलाकात

लंदन। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद रविशंकर प्रसाद के नेतृत्व में एक सर्वदलीय भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने ब्रिटेन की शैडो विदेश सचिव प्रीति पटेल और उनकी टीम के साथ बैठक की। इसमें सीमा पार आतंकवाद का मुकाबला करने में भारत के दृढ़ संकल्प को साझा किया गया, इस बात को बताया गया कि कैसे ऑपरेशन सिंदूर आतंकवाद का मुकाबला करने के भारत के प्रयासों में नई सामान्य स्थिति का उदाहरण है।
रविवार शाम को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लंदन स्थित भारतीय दूतावास ने एक पोस्ट में कहा, "सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने विदेश सचिव प्रीति पटेल और उनकी टीम से मुलाकात की और सीमा पार आतंकवाद से निपटने में भारत के दृढ़ संकल्प को साझा किया। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि कैसे ऑपरेशन सिंदूर इस चल रहे प्रयास में भारत द्वारा निर्धारित नए सामान्य का उदाहरण है।"
लंदन स्थित भारतीय दूतावास ने एक बयान में कहा, "आज सुबह सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल को ब्रिटेन में भारतीय उच्चायुक्त विक्रम दोराईस्वामी ने भारत-ब्रिटेन संबंधों और आतंकवाद से निपटने में सहयोग के बारे में जानकारी दी। प्रतिनिधिमंडल ने भारत के संविधान के लागू होने की 75वीं वर्षगांठ पर डॉ. बीआर अंबेडकर को श्रद्धांजलि देने के लिए अंबेडकर संग्रहालय का दौरा किया। इस अवसर पर, प्रतिनिधिमंडल ने याद किया कि पाकिस्तान समर्थित और निर्देशित आतंकवाद के सबसे जघन्य उदाहरणों में से एक 26/11 मुंबई हमला 26 नवंबर, 2008 को शुरू किया गया था, वह तारीख जो 1949 में भारत के संविधान को अपनाने का प्रतीक है।"
लंदन स्थित भारतीय दूतावास ने आगे बयान में कहा, "इसके बाद, प्रतिनिधिमंडल ने महात्मा गांधी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करने के लिए टैविस्टॉक स्क्वायर गार्डन का दौरा किया। गांधीजी की विरासत को याद करते हुए, उन्होंने उनके इस विश्वास की पुष्टि की कि "सही होने का कोई निरपेक्ष और सार्वभौमिक मानक नहीं है, इसलिए आतंकवाद को हर मामले में गलत माना जाना चाहिए"।"
बयान में कहा गया, "शाम को सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने इंडिया हाउस में विशाल और विविध भारतीय प्रवासियों के साथ बातचीत की। प्रतिनिधिमंडल ने सभी प्रकार के आतंकवाद से निपटने के लिए भारत के एकजुट रुख और अटूट प्रतिबद्धता की पुष्टि की। उन्होंने आतंकवाद के किसी भी और सभी कृत्यों का निर्णायक ढंग से जवाब देने के लिए भारत की तत्परता पर जोर दिया और ऐसे खतरों के प्रति देश की शून्य सहनशीलता की नीति को रेखांकित किया। प्रतिनिधिमंडल ने रात्रिभोज पर विदेश सचिव और सांसद प्रीति पटेल और उनकी टीम से भी मुलाकात की।"
रविशंकर प्रसाद के नेतृत्व वाले भारतीय प्रतिनिधिमंडल में भाजपा सांसद दग्गुबाती पुरंदेश्वरी और समिक भट्टाचार्य, शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी, भाजपा सांसद गुलाम अली खटाना, कांग्रेस सांसद अमर सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर और पूर्व राजदूत पंकज सरन और एम. थंबीदुरई (एआईएडीएमके) शामिल हैं। यह प्रतिनिधिमंडल 31 मई को लंदन पहुंचा।
इससे पहले रविवार शाम को लंदन स्थित भारतीय दूतावास ने भी एक अन्य 'एक्स' पोस्ट में कहा, "सांसदों के सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने आज लंदन स्थित इंडिया हाउस में विशाल और विविध भारतीय प्रवासियों के प्रतिनिधियों से बातचीत की। उन्होंने सभी प्रकार के आतंकवाद से लड़ने के लिए भारत के एकजुट रुख और अटूट प्रतिबद्धता की पुष्टि की, तथा आतंकवाद के किसी भी और सभी कृत्यों को निर्णायक रूप से दंडित करने के लिए भारत की तत्परता को रेखांकित किया।
भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के अपने सम्मानित सहयोगियों के साथ, मुझे लंदन में डॉ. बीआर अंबेडकर संग्रहालय का दौरा करने का सौभाग्य मिला, जहां हमने डॉ. अंबेडकर को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। हम इस ऐतिहासिक भवन में आकर गौरवान्वित महसूस करते हैं, जहां अंबेडकर दो साल तक रहे थे। भारत सरकार ने इस महत्वपूर्ण आवास को अधिग्रहित कर संरक्षित किया है, जिसका रखरखाव अब भारतीय उच्चायोग की ओर से किया जाता है। पुष्प अर्पित करके, हमने इस महान भारतीय नेता और श्रद्धेय सुधारक को अपना सम्मान दिया। यह उल्लेखनीय है कि अंबेडकर के जीवन और कार्य से जुड़े सभी पांच स्थलों को 'स्मृति स्थल' के रूप में संरक्षित किया गया है, जो उनकी स्थायी विरासत को दर्शाता है। मैं उनके उल्लेखनीय योगदान के प्रति अपनी गहरी श्रद्धांजलि व्यक्त करता हूं। इसके अलावा, हमने आतंकवाद के सभी रूपों से निपटने के लिए भारतीय लोकतंत्र की अटूट प्रतिबद्धता की पुष्टि की।"
भाजपा सांसद प्रसाद ने कहा, "सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के अपने सहयोगियों के साथ मैंने मध्य लंदन के टैविस्टॉक स्क्वायर गार्डन में महात्मा गांधी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की।" भाजपा सांसद और प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों में से एक गुलाम अली खटाना ने विशेष बातचीत में कहा, "लंदन के अंबेडकर संग्रहालय में भारतीय संविधान के निर्माता डॉ. बीआर अंबेडकर को उनकी 75वीं वर्षगांठ पर भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई। न्याय, समानता और लोकतंत्र की उनकी चिरस्थायी विरासत का सम्मान किया गया और आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने के हमारे लोकतांत्रिक संकल्प की पुष्टि की गई।"
समिक भट्टाचार्य ने समाचार एजेंसी आईएएनएस को बताया, "बाबासाहेब अंबेडकर एक दूरदर्शी व्यक्ति थे, जो धर्म से ऊपर उठ गए थे। उन्होंने भारत में जातिवाद को एक सामाजिक वास्तविकता के रूप में पहचाना और यह सुनिश्चित करने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया कि प्रत्येक नागरिक को उसके अधिकार मिलें। देश के प्रति उनकी प्रतिबद्धता, विशेष रूप से संविधान सभा में भारतीय संविधान के निर्माण के दौरान, सर्वविदित है।"
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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने माना- "प्रार्थना के बाद कार्रवाई को तैयार थे, भारत ने ब्रह्मोस दागा"

पाकिस्तान। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने माना है कि भारत ने 10 मई की सुबह ब्रह्मोस मिसाइलों का इस्तेमाल करते हुए अपने ऑपरेशन सिंदूर के तहत मिसाइल हमला किया और रावलपिंडी के हवाई अड्डे सहित पाकिस्तान के अंदर कई ठिकानों को निशाना बनाया, जिसमें पाकिस्तान की सेना को कोई सुराग नहीं मिला। भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत हमला किया - 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आतंकी ढांचों पर लक्षित सैन्य हमला जिसमें 26 लोग मारे गए।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने एक बार फिर सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया है कि 9 और 10 मई की रात को भारतीय मिसाइलों ने पाकिस्तान के अंदर कई ठिकानों को निशाना बनाया - जिसमें पाकिस्तान की सेना को कोई सुराग नहीं मिला। उन्होंने दावा किया कि वे (पाकिस्तान के सशस्त्र बल) सुबह 4:30 बजे - फज्र की नमाज के ठीक बाद - भारत पर हमला करने की योजना बना रहे थे, लेकिन उससे पहले, भारत ने रावलपिंडी के हवाई अड्डे सहित पाकिस्तान के कई प्रांतों को निशाना बनाते हुए ब्रह्मोस मिसाइलों को दागा।
मीडिया रिपोर्ट्स में श्री शरीफ के हवाले से अजरबैजान में दिए गए भाषण में कहा गया है, "9-10 मई की रात को हमने भारतीय आक्रमण का जवाब संयमित तरीके से देने का फैसला किया। हमारे सशस्त्र बल सुबह फज्र की नमाज के बाद 4.30 बजे कार्रवाई करने के लिए तैयार थे। लेकिन उस समय से पहले ही भारत ने एक बार फिर ब्रह्मोस का इस्तेमाल करते हुए मिसाइल हमला किया और रावलपिंडी के हवाई अड्डे सहित पाकिस्तान के विभिन्न प्रांतों को निशाना बनाया।" यह पहली बार नहीं है जब श्री शरीफ ने स्वीकार किया है कि ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान में भारी नुकसान पहुंचाया है। इस महीने की शुरुआत में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने पुष्टि की थी कि 10 मई की सुबह नूर खान एयरबेस और पाकिस्तान के अंदर अन्य ठिकानों पर भारतीय मिसाइलों ने हमला किया। इस्लामाबाद में एक समारोह में बोलते हुए श्री शरीफ ने सेना प्रमुख जनरल सैयद असीम मुनीर के 2:30 बजे के फोन कॉल को याद किया, जिसमें उन्हें भारत द्वारा किए गए मिसाइल हमलों की जानकारी दी गई थी। उन्होंने कहा, "9-10 मई की रात करीब 2:30 बजे जनरल आसिफ मुनीर ने मुझे सुरक्षित फोन से कॉल किया और बताया कि भारत ने अपनी मिसाइलें लॉन्च कर दी हैं। एक नूर खान एयरबेस पर और कुछ अन्य इलाकों में गिरी हैं।"
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डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर लिया भारत-पाक शत्रुता खत्म करने का श्रेय

अमेरिकी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत और पाकिस्तान के बीच शत्रुता को समाप्त करने का श्रेय लेते हुए कहा कि उन्होंने व्यापार को बातचीत की रणनीति के रूप में इस्तेमाल किया। एलोन मस्क के डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (DOGE) में सलाहकार की भूमिका से हटने के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान ओवल ऑफिस में बोलते हुए ट्रंप ने कहा, "हमने भारत और पाकिस्तान को लड़ने से रोका। मेरा मानना ​​है कि यह परमाणु आपदा में बदल सकता था, और मैं भारत और पाकिस्तान के नेताओं को धन्यवाद देना चाहता हूं, और मैं अपने लोगों को धन्यवाद देना चाहता हूं। साथ ही, हम व्यापार के बारे में बात करते हैं, और हम कहते हैं कि हम उन लोगों के साथ व्यापार नहीं कर सकते जो एक-दूसरे पर गोली चला रहे हैं और संभावित रूप से परमाणु हथियारों का उपयोग कर रहे हैं। वे उन देशों के महान नेता हैं, और उन्होंने समझा और वे सहमत हुए।"
ट्रंप की टिप्पणी दक्षिण एशियाई देशों के बीच हाल ही में तनाव कम करने के प्रयासों में अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव की भूमिका पर जारी बहस के बीच आई है। इस बीच, भारत ने स्पष्ट किया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच शत्रुता की समाप्ति 10 मई को दोनों डीजीएमओ के बीच संपर्क के बाद हुई थी और ऑपरेशन सिंदूर शुरू होने के बाद से विकसित स्थिति पर भारतीय और अमेरिकी नेताओं के बीच बातचीत हुई थी, लेकिन उनमें से किसी भी चर्चा में व्यापार या टैरिफ का मुद्दा नहीं उठा।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि सैन्य कार्रवाई रोकने पर भारत की स्थिति अच्छी तरह से व्यक्त की गई है। “आपने जिस विशेष मुद्दे का उल्लेख किया है, उस पर हमारी स्थिति अच्छी तरह से व्यक्त की गई है। मैं आपको हमारी स्थिति का संदर्भ दूंगा जो 13 मई को स्पष्ट की गई थी। 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू होने से लेकर 10 मई को गोलीबारी और सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति बनने तक, भारतीय और अमेरिकी नेताओं के बीच विकसित सैन्य स्थिति पर बातचीत हुई। “उनमें से किसी भी चर्चा में व्यापार या टैरिफ का मुद्दा नहीं उठा। विदेश मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया है कि गोलीबारी रोकने का फैसला भारत और पाकिस्तान के डीजीएमओ से सीधे संपर्क के माध्यम से लिया गया है।
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया, जिसमें पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर (पीओजेके) में सीमा पार आतंकी ढांचे पर सटीक हमले किए गए। भारत ने बाद में पाकिस्तान के आक्रमण को विफल किया और उसके एयरबेसों पर बमबारी की। पाकिस्तान के डीजीएमओ द्वारा अपने भारतीय समकक्ष से संपर्क करने के बाद दोनों देश सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमत हुए।
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अमेरिकी संघीय अपील न्यायालय ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के टैरिफ पर रोक लगाने वाले फैसले पर रोक लगा दी

वाशिंगटन डीसी। सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका की एक संघीय अपील अदालत ने गुरुवार (स्थानीय समय) को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार न्यायालय के फैसले पर रोक लगा दी है, जिसने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बड़े पैमाने पर व्यापक टैरिफ लगाने पर रोक लगा दी थी। अपने फ़ैसले में, अमेरिकी संघीय अपील अदालत ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आपातकालीन स्थितियों में टैरिफ़ लगाने की क्षमता को बहाल कर दिया, जिसकी घोषणा उन्होंने इस साल की शुरुआत में की थी। अदालत ने दोनों पक्षों को राष्ट्रपति ट्रंप के टैरिफ़ को रोकने के सवाल पर लिखित तर्क देने का भी आदेश दिया, जो अगले महीने की शुरुआत में प्रस्तुत किए जाने वाले हैं, सीएनएन ने आगे बताया।
इससे पहले, सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, एक अमेरिकी संघीय अदालत ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बड़े पैमाने पर व्यापक टैरिफ लगाने के खिलाफ फैसला सुनाया था, जिसमें कहा गया था कि यह कदम उनके कानूनी अधिकार से परे है और इससे आयातित वस्तुओं की एक विस्तृत श्रृंखला प्रभावित होगी। मैनहट्टन स्थित अमेरिकी अंतर्राष्ट्रीय व्यापार न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय में यह निर्धारित किया गया कि टैरिफ - जिसमें आपातकालीन आर्थिक शक्तियों के तहत लगाए गए टैरिफ भी शामिल हैं - गैरकानूनी थे; हालांकि, सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रम्प प्रशासन ने पहले ही अपील दायर कर दी है, जिससे टैरिफ का भविष्य अनिश्चित हो गया है।
व्हाइट हाउस ने गुरुवार (स्थानीय समय) को अन्य देशों पर व्यापक टैरिफ लगाने के ट्रम्प प्रशासन के कदम को रोकने के लिए अमेरिकी संघीय अदालत के साथ अपनी कड़ी असहमति व्यक्त की। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने अमेरिकी अदालत के फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि न्यायाधीश राष्ट्रपति के अधिकार को "स्वीकार" करने में विफल रहे हैं और अदालत को इस फैसले में हस्तक्षेप करने में कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए।
लेविट ने प्रेस ब्रीफिंग में कहा, "ये न्यायाधीश यह स्वीकार करने में विफल रहे कि संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति के पास विदेशी मामलों से संबंधित मुख्य शक्तियां और अधिकार हैं, जो कांग्रेस ने उन्हें संयुक्त राज्य अमेरिका की अर्थव्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा के लिए दिए हैं। यहां अदालतों की कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए।"
उन्होंने कहा, "अनिर्वाचित न्यायाधीशों द्वारा राष्ट्रपति के निर्णय लेने की प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने की एक परेशान करने वाली और खतरनाक प्रवृत्ति है। यदि राष्ट्रपति ट्रम्प या किसी अन्य राष्ट्रपति की संवेदनशील कूटनीतिक या व्यापार वार्ता को कार्यकर्ता न्यायाधीशों द्वारा बाधित किया जाता है, तो अमेरिका काम नहीं कर सकता। राष्ट्रपति ट्रम्प पूरी दुनिया के साथ अमेरिका के व्यापार समझौतों को फिर से संतुलित करने की प्रक्रिया में हैं, जिससे हमारे देश में टैरिफ राजस्व के रूप में अरबों डॉलर आएंगे और अंततः संयुक्त राज्य अमेरिका को ठगे जाने से बचाया जा सकेगा।"
लेविट ने कहा कि ये न्यायाधीश विश्व मंच पर संयुक्त राज्य अमेरिका की विश्वसनीयता को कम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, "प्रशासन ने इस गंभीर निर्णय को निरस्त करने के लिए अपील लंबित रहने तक स्थगन तथा तत्काल प्रशासनिक स्थगन के लिए पहले ही एक आपातकालीन प्रस्ताव दायर कर दिया है, लेकिन अंततः सर्वोच्च न्यायालय को हमारे संविधान तथा हमारे देश की खातिर इस पर रोक लगानी ही होगी।" (एएनआई)
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