धर्म समाज

राजस्थान के इन प्रसिद्ध शिव मंदिरों में दर्शन मात्र से पूरी होती हैं भक्तों की मुरादें

राजस्थान। हिंदू धर्म में भगवान शिव को पूजनीय देवता माना जाता है। भगवान शिव को ब्रह्मांड का रचयिता और सृष्टि का निर्माण करने वाले देवताओं में से एक माना जाता है। भारत में भगवान शिव को महाकाल, भोले, शंभू, नटराज, महादेव और आदियोगी जैसे कई अलग-अलग नामों से जाना जाता है। सावन में लोग भगवान शिव की पूजा करने के लिए अलग-अलग शिव मंदिरों में पहुंचते रहते हैं।देश के अन्य राज्यों की तरह राजस्थान में भी ऐसे कई शिव मंदिर हैं, जहां हर दिन हजारों शिव भक्त दर्शन के लिए पहुंचते रहते हैं। इस लेख में हम आपको राजस्थान में स्थित कुछ प्रसिद्ध और पवित्र शिव मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं।
घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर-
अगर राजस्थान में स्थित सबसे प्रसिद्ध और पवित्र शिव मंदिर का नाम लिया जाए तो घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर उस सूची में सबसे ऊपर है। यह पवित्र मंदिर राजस्थान के सवाई माधोपुर के शिवाड़ में स्थित है। इसे भगवान शिव का अंतिम ज्योतिर्लिंग भी माना जाता है। घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर को भगवान शंकर के बारहवें अवतार 'घुश्मेश्वर' के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर स्थानीय लोगों के लिए बेहद खास है, क्योंकि उनका मानना ​​है कि यह मंदिर गांव की रक्षा करता है। शिवरात्रि और महाशिवरात्रि पर हजारों श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
अचलेश्वर महादेव मंदिर-
अचलेश्वर महादेव मंदिर राजस्थान के धौलपुर में स्थित है। यह पवित्र मंदिर राजस्थान और मध्य प्रदेश की सीमा के पास स्थित है, इसलिए दोनों राज्यों से श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते रहते हैं। कहा जाता है कि यह एक अनोखा मंदिर है, क्योंकि यहां शिवलिंग की नहीं, बल्कि भगवान शिव के पैर के अंगूठे की पूजा की जाती है। इस मंदिर के बारे में एक और मान्यता यह है कि यहां स्थापित शिवलिंग का रंग बदलता रहता है। महाशिवरात्रि और सावन माह में हजारों शिव भक्त यहां दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
भांड देवड़ा मंदिर-
राजस्थान के रामगढ़ में स्थित भांड देवड़ा भगवान शिव को समर्पित एक पवित्र और प्रसिद्ध मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण 10वीं शताब्दी में हुआ था। इस पवित्र मंदिर को राजस्थान का मिनी खजुराहो भी कहा जाता है। जी हां, भांड देवड़ा के बारे में कहा जाता है कि यह मंदिर खजुराहो स्मारक समूह की शैली में बना है, इसलिए इसे राजस्थान का मिनी खजुराहो भी कहा जाता है। मान्यता है कि जो भी यहां सच्चे मन से दर्शन के लिए आता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। पहाड़ी की चोटी पर मौजूद होने के कारण मंदिर के आसपास का नजारा भी पर्यटकों को खूब आकर्षित करता है। महाशिवरात्रि और सावन माह में यहां भक्तों की भीड़ लगी रहती है।
देव सोमनाथ मंदिर-
राजस्थान के डूंगरपुर में स्थित देव सोमनाथ मंदिर को पवित्र मंदिर के साथ-साथ भव्य मंदिर भी माना जाता है। सोम नदी के तट पर स्थित देव सोमनाथ मंदिर करीब 1 हजार साल पुराना माना जाता है। देव सोमनाथ मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह मंदिर 108 खंभों पर टिका है, जो मिट्टी और चूने से जुड़े हुए हैं। इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि जो भी यहां दर्शन के लिए आता है, उसकी मनोकामना पूरी होती है। महाशिवरात्रि और सावन के दौरान यहां भक्तों की भारी भीड़ होती है।
इन शिव मंदिरों के भी करें दर्शन-
राजस्थान में ऐसे कई और पवित्र और प्रसिद्ध शिव मंदिर हैं, जिनके दर्शन आप भी कर सकते हैं। जैसे- उदयपुर में स्थित एकलिंगजी शिव मंदिर, राजस्थान के झुंझुनू में स्थित चौमुखा भैरवी शिव मंदिर और अलवर में स्थित नलदेश्वर मंदिर के दर्शन किए जा सकते हैं।
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अक्षय तृतीया पर बनेगा शुभ योग, जानिए...सोने की खरीदारी का शुभ मुहूर्त

भगवान विष्णु के तीन अवतारों नर-नारायण, हयग्रीव व परशुराम जी का अवतरण भी इसी तिथि को हुआ था। अक्षय तृतीया के दिन किए गए शुभ कार्य, दान, उपवास व व्रत का अक्षय फल मिलता है अर्थात सम्पूर्ण फल मिलता है। विशेष रूप से इस दिन महालक्ष्मी व भगवान विष्णु पर तरबूज व खरबूजा चढ़ाने से पूरे वर्ष भर विजय और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। सनातन धर्मानुसार वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया या आखा तीज कहते हैं। पौराणिक शास्त्रानुसार अक्षय तृतीया विवाह और शुभकार्य के लिए स्वयंसिद्ध मुहूर्त माना जाता है तथा सभी शुभ कार्य बिना मुहूर्त देखे भी किए जा सकते हैं।
अक्षय तृतीया पर शुभ योग-
30 अप्रैल 2025 को अक्षय तृतीया पर बहुत से शुभ योग बनने वाले हैं। जिसमें सोना खरीदना बहुत शुभ माना जाता है। इस योग में लक्ष्मी पूजा करने से धन वृद्धि होती है। अक्षय तृतीया के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बनेगा, जो बहुत खास है। इसके अतिरिक्त जो अन्य शुभ योग बनने वाले हैं उनमें शोभन योग दोपहर 12: 02 तक रहेगा। रवि योग शाम को 04:18 से शुरू होकर सारी रात रहने वाला है।
अक्षय तृतीया पर पूजा का शुभ मुहूर्त-
अक्षय तृतीया 29 अप्रैल 2025 की शाम 5:31 पर शुरू होगी। जो 30 अप्रैल 2025 की दोपहर 02:12 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि को ध्यान में रखते हुए 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया की पूजा और खरीदारी करना सबसे शुभ रहने वाला है।
अक्षय तृतीया पर सोने की खरीदारी का शुभ मुहूर्त-
सोना खरीदने के लिए वैशाख महीने में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि यानी अक्षय तृतीया का दिन विशेष तिथियों में से एक है। आप भी सोना खरीदने की इच्छा रखते हैं तो 30 अप्रैल 2025 अक्षय तृतीया की सुबह 5:41 मिनट से दोपहर 2:12 मिनट तक का समय बहुत शुभ है। अक्षय तृतीया की पूजा के लिए प्रात: 5:41 से दोपहर 12:18 तक का समय शुभ है। इस दौरान पूजा कर सकते हैं।
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वैशाख अमावस्या 27 अप्रैल को, जानिए...शुभ समय और पूजा विधि

हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि को विशेष रूप से पवित्र और फलदायक माना गया है। साल के हर महीने पड़ने वाली अमावस्या का धार्मिक दृष्टिकोण से अलग-अलग महत्व होता है। इस दिन स्नान, दान और पूजा-पाठ जैसे कर्म करने से व्यक्ति को शुभ फल की प्राप्ति होती है। फिलहाल वैशाख मास चल रहा है और इस महीने की अमावस्या तिथि को वैशाख अमावस्या कहा जाता है। इस दिन का धार्मिक दृष्टिकोण से विशेष महत्व बताया जाता है।
इस दिन श्रद्धा और आस्था के साथ भगवान विष्णु की पूजा करना अत्यंत शुभ होता है। साथ ही पवित्र नदियों में स्नान कर के जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र या धन का दान देना भी बहुत पुण्य का काम होता है। आइए जानते हैं इस साल वैशाख अमावस्या किस दिन मनाई जाएगी|
पंचांग के अनुसार साल 2025 की वैशाख अमावस्या की तिथि 27 अप्रैल को सुबह 4:49 बजे से शुरू होकर 28 अप्रैल को सुबह 1 बजे तक रहने वाली है। चूंकि उदया तिथि 27 अप्रैल को ही है, इसलिए इसी दिन वैशाख अमावस्या मनाई जाएगी। यह तिथि रविवार के दिन पड़ रही है, जो एक शुभ संकेत है।
पूजा विधि-
इस पावन दिन की शुरुआत ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करने से होती है। शुद्धता और सात्विकता का पालन करते हुए हरे रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है। व्रत का संकल्प लेकर, पितरों के लिए तर्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है। इसके बाद भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा की जाती है। विधिपूर्वक पूजा के दौरान विष्णु मंत्रों का जप करने से आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही इस दिन ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा देना और जरूरतमंदों की सहायता करना भी बहुत शुभ माना जाता है।
सावधानियां-
इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें और सात्विक भोजन ग्रहण करें।
नकारात्मक विचारों से दूर रहें और मन को शांत रखें।
 
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अप्रैल में ग्रहों का दुर्लभ संयोग, इन 3 राशि वालों को मिल सकता है लाभ

साल 2025 का चौथा माह यानी अप्रैल जारी है, जो ग्रह-गोचर की दृष्टि से बेहद खास है। इस माह में कई ग्रह राशि व नक्षत्र परिवर्तन करने वाले हैं, जिसका प्रभाव सभी राशियों पर पड़ता है। हालांकि कुछ ग्रह इस माह अन्य ग्रहों के साथ मिलकर युति निर्माण भी करेंगे, जो कुछ राशि वालों के लिए लाभकारी हो सकता है। बता दें, अप्रैल महीने में मीन राशि में बुध, शुक्र और न्याय के देवता शनि का दुर्लभ संयोग बन रहा है। ये संयोग मिथुन राशि समेत इन राशि वालों के लिए कल्याणकारी साबित हो सकता है। शनि,बुध और शुक्र के प्रभाव से आपके अटके काम पूरे और विवाह में आ रही बाधाएं दूर होंगी। आइए इन लकी राशियों के नाम जानते हैं...
मिथुन राशि- बुध, शुक्र और शनि के दुर्लभ संयोग से मिथुन राशि वालों को करियर में लाभ हो सकता है। शनि के प्रभाव से आपको कोर्ट को मामलों में राहत मिलेगी। यदि किसी सरकारी काम को पूरा करने में समस्या रही थी, तो वह दूर होगी। आपको पैतृक संपत्ति से अच्छा खासा लाभ मिल सकता है। आप ध्यान, साधना जैसी क्रियाओं से जुड़ेंगे। आत्मविश्वास बढ़ेगा।
धनु राशि- ग्रहों के शुभ प्रभाव से विदेश यात्रा, ऑनलाइन कोर्स या किसी रिसर्च प्रोजेक्ट का हिस्सा बन सकते हैं। नौकरी कर रहे लोगों के वेतन में वृद्धि होगी। जो लोग बेरोजगार और नौकरी की तलाश में हैं उनकी यह तलाश पूरी होगी। आपके लिए यह दुर्लभ संयोग शुभ रहेगा। बिजनेस में अटकी योजनाएं सफल होंगी। परिवार में चल रही सभी दिक्कतें दूर होंगी।
कुंभ राशि- ग्रहों के दुर्लभ संयोग से कुंभ राशि के नौकरीपेशा लोगों को उच्च अधिकारियों से सराहना और पदोन्नति मिल सकती है। आपके आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होगी। आपकी आर्थिक स्थिति में अच्छा सुधार देखने को मिल सकता है। वेतन में वृद्धि होगी। आप इस समय करियर के लेकर कुछ नया प्लान करेंगे।

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण)-
यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं, ज्योतिष, पंचांग, धार्मिक ग्रंथों आदि पर आधारित है। यहां दी गई सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए झूठा सच उत्तरदायी नहीं है। 
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वैशाख माह में भगवान विष्णु की पूजा का है विशेष महत्व

  • जानिए...इस माह में कब रखा जाएगा एकादशी व्रत
हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। इस व्रत को करने से जातक पर भगवान विष्णु की अपार कृपा बरसती है। हर माह में दो बार एकादशी का व्रत रखा जाता है एक कृष्ण और दूसरा शुक्ल पक्ष में। दोनों ही तिथि में आने वाली एकादशी का खास महत्व होता है। इस तरह पूरे साल में 24 एकादशी का व्रत रखा जाता है। लेकिन जब अधिक मास या मलमास पड़ता है तो यह संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। वैशाख माह भगवान विष्णु की पूजा के लिए सबसे उत्तम मास माना जाता है। तो ऐसे में यहां जान लीजिए वैशाख माह में आने वाली एकादशी व्रत के बारे में।
वरुथिनी एकादशी 2025 डेट और मुहूर्त
वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को वरुथिनी एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस साल यह तिथि 24 अप्रैल को पड़ रही है। इसी दिन एकादशी का व्रत रखा जाएगा। पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का आरंभ 23 अप्रैल को शाम 4 बजकर 43 मिनट पर होगा। एकादशी तिथि का समापन 24 अप्रैल को दोपहर 2 बजकर 32 मिनट पर होगा।
वरुथिनि एकादशी का पारण 25 अप्रैल 2025 को किया जाएगा। पारण के लिए शुभ समय सुबह 6 बजकर 14 मिनट से सुबह 8 बजकर 47 मिनट तक रहेगा। बता दें कि एकादशी व्रत में पारण का विशेष महत्व होता है। एकादशी का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले किया जाता है।
मोहिनी एकादशी 2025 व्रत डेट और मुहूर्त
मोहिनी एकादशी का व्रत 8 मई 2025 को रखा जाएगा। पंचांग के मुताबिक, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का प्रारंभ 7 मई को सुबह 10 बजकर 19 मिनट पर होगा। एकादशी तिथि का समापन 8 मई को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर होगा। मोहिनी एकादशी का पारण 9 मई को किया जाएगा। पारण का समय सुबह 6 बजकर 6 मिनट से सुबह 8 बजकर 42 मिनट तक रहेगा।
एकादशी व्रत का महत्व
वैशाख माह में आने वाली दोनों ही एकादशी का खास महत्व है। वरुथिनी एकादशी व्रत को सुख-सौभाग्य का प्रतीक है। माना जाता है कि जो भी व्यक्ति इस व्रत को करता है, भगवान विष्णु उसकी हर संकट से रक्षा करते हैं। वहीं मोहिनी एकादशी के दिन व्रत रखने से व्यक्ति को समस्त मोह व बंधनों से मुक्ति मिलती है। एकादशी के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि और संपन्नता आती है।
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संकष्टी चतुर्थी व्रत आज, जानिए...शुभ समय, राहुकाल और सूर्योदय-सूर्यास्त का समय

16 अप्रैल को वैशाख कृष्ण पक्ष की उदया तृतीया और बुधवार का दिन है। तृतीया तिथि बुधवार दोपहर 1 बजकर 18 मिनट तक रहेगी, उसके बाद चतुर्थी तिथि लग जाएगी।16 अप्रैल को पूरे दिन और पूरी रात सर्वार्थ सिद्धि योग रहने वाला है। साथ ही बुधवार को पूरा दिन, पूरी रात पार कर गुरुवार सुबह 5 बजकर 55 मिनट तक अनुराधा नक्षत्र रहेगा। इसके अलावा 16 अप्रैल को संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी का व्रत किया जाएगा। आचार्य इंदु प्रकाश से जानिए बुधवार का पंचांग, राहुकाल, शुभ मुहूर्त और सूर्योदय-सूर्यास्त का समय।
16 अप्रैल 2025 का शुभ मुहूर्त
वैशाख कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि- 16 अप्रैल 2025 को दोपहर 1 बजकर 18 मिनट तक रहेगी, उसके बाद चतुर्थी तिथि लग जाएगी
सर्वार्थ सिद्धि योग- 16 अप्रैल को पूरे दिन और पूरी रात
अनुराधा नक्षत्र- 16 अप्रैल 2025 को पूरा दिन, पूरी रात पार कर गुरुवार सुबह 5 बजकर 55 मिनट तक
16 अप्रैल व्रत-त्यौहार- संकष्टी चतुर्थी व्रत
राहुकाल का समय
दिल्ली- दोपहर 12:07 - 01:43 तक
मुंबई- दोपहर 12:39 - 02:13 तक
चंडीगढ़- दोपहर 12:23 - 02:00 तक
लखनऊ- दोपहर 12:07 - 01:42 तक
भोपाल- दोपहर 12:20 - 01:56 तक
कोलकाता- दोपहर पहले 11:37 - 01:12 तक
अहमदाबाद- दोपहर 12:40 - 02:15 तक
चेन्नई- दोपहर 12:09 - 01:42 तक
सूर्योदय-सूर्यास्त का समय
सूर्योदय- सुबह 5:54 am
सूर्यास्त- शाम 6:47 pm
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अक्षय तृतीया पर करें इन चीजों का दान, दूर होंगे सभी पारिवारिक कलह

यह वह दिन है जब पुण्य की गंगा बहती है और जो भी इसमें डुबकी लगाता है, उसे मिलता है अक्षय फल यानी की कभी न समाप्त होने वाला पुण्य। विशेष रूप से, यह दिन पितरों को प्रसन्न करने के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। अगर आप भी चाहते हैं कि आपके पूर्वजों की आत्मा तृप्त हो और उनका आशीर्वाद आपके जीवन को प्रकाशित करे, तो आज की इस खबर में हम आपको बताने जा रहे हैं कि अक्षय तृतीया के दिन किस चीज का दान करने से शुभ फल मिलता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, अक्षय तृतीया हर साल वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इस साल यह तिथि 30 अप्रैल को है। इसे बहुत ही शुभ दिन माना जाता है। इसे अबूझ मुहूर्त भी कहा जाता है, यानी इस दिन कोई भी अच्छा काम बिना मुहूर्त देखे किया जा सकता है। शास्त्रों में बताया गया है कि अक्षय तृतीया के दिन किए गए अच्छे कामों का फल कभी खत्म नहीं होता। इसलिए यह दिन बहुत खास माना जाता है। आइए जानें कि अक्षय तृतीया की शुरुआत कब हुई और क्यों यह दिन इतना पुण्यदायी माना जाता है।
जल का कलश-
अक्षय तृतीया के दिन आप जल का कलश दान कर सकते हैं। तांबे, पीतल या मिट्टी के कलश में ठंडा जल भरें। उसमें तुलसी, गुड़ या चंदन की कुछ बूंदें डालें और किसी जरूरतमंद को सौंप दें। यह केवल पानी नहीं है। कहते हैं कि यह तपती आत्माओं के लिए राहत, श्रद्धा और शांति का संदेश भी देती है।
चप्पल और छाता का दान करना-
अक्षय तृतीया पर आप चप्पल और छाता भी दान कर सकते हैं। जब कोई तपती जमीन पर नंगे पांव चलता है या धूप में जाता है, उसके पैर जलते हैं, तो उसके लिए एक जोड़ी चप्पल या एक छाता बहुत मायने रखता है। इसलिए चप्पल और छाता वह चीज है, जो लोगों के लिए काफी जरूरी है और इसे दान करने से ही शुभ फल मिलता है।
सात अनाजों का कर सकते हैं दान-
आप अक्षय तृतीया के दिन सात अनाजों का भी दान कर सकते हैं। आप सत्तू, चना, गेहूं, चावल, जौ, मक्का और मूंग आदि का दान कर सकते हैं। किसी भी जरूरतमंद को अनाज का दान करना सबसे बड़े दानों में से एक माना जाता है। सात अनाजों का दान करने से पितृ दोष से भी मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि भी बढ़ती है।
सफेद वस्तुओं का करें दान-
आप अक्षय तृतीया के दिन सफेद वस्तुओं का भी दान कर सकते हैं। आप दही, चीनी, चावल या सफेद कपड़े दान कर सकते हैं। ये सभी शांति, पवित्रता और सौम्यता के प्रतीक हैं। जब इन्हें श्रद्धा से दान किया जाता है, तो पितरों का आशीर्वाद मिलता है और जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।
फल, गुड़ और शक्कर का दान-
मान्यता है कि अक्षय तृतीया पर शक्कर, गुड़ और ताजे फल दान करना आपकी भावनाओं को और पितरों के आशीर्वाद को और गहरा बना देता है। ऐसे में कोशिश करें कि किसी ऐसी चीज का दान करें तो स्वाद में मीठी हो।
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संकष्टी चतुर्थी व्रत 16 अप्रैल को, जानिए...शुभ मुहूर्त और चंद्रोदय का समय

इस बार अप्रैल की संकष्टी चतुर्थी पर दो शुभ योग बन रहे हैं, हालांकि इस दिन भद्रा काल भी रहेगा, लेकिन वह स्वर्ग लोक में स्थित होगा। इसलिए इसका नकारात्मक प्रभाव पृथ्वी पर नहीं पड़ेगा। इस उपवास का समापन चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद होता है, इसलिए चंद्रोदय के समय का विशेष ध्यान रखना चाहिए। ऐसे में आइए जानते हैं इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और चंद्रोदय का समय|
दृक पंचांग के अनुसार वैशाख कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 16 अप्रैल, बुधवार को दोपहर 1:16 बजे से प्रारंभ होकर 17 अप्रैल, गुरुवार को दोपहर 3:23 बजे तक रहेगी। उदयातिथि के अनुसार यह व्रत 16 अप्रैल को रखा जाएगा।
पूजा का शुभ मुहूर्त-
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में यानी सुबह 4:26 बजे से 5:10 बजे के बीच स्नान कर लें और गणेश जी की पूजा का संकल्प लें। उसके बाद सूर्योदय के पश्चात विधि पूर्वक पूजन करें। उस दिन अभिजीत मुहूर्त नहीं रहेगा। हालांकि, विजय मुहूर्त दोपहर 2:30 बजे से 3:21 बजे तक और अमृत काल शाम 6:20 बजे से रात 8:06 बजे तक रहेगा।
शुभ योगों का संयोग-
इस बार संकष्टी चतुर्थी के दिन दो अत्यंत शुभ योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग बन रहे हैं। इन योगों में किया गया कार्य विशेष फलदायी होता है और किसी भी शुभ कार्य की सफलता की संभावना प्रबल होती है।
चंद्रोदय का समय-
व्रत पूरा करने के लिए रात में चंद्रमा को अर्घ्य देना आवश्यक है। इस दिन चंद्रमा रात 10:00 बजे दिखाई देगा। अर्घ्य देने के लिए दूध, जल और सफेद पुष्पों का प्रयोग करना चाहिए।
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वरुथिनी एकादशी के दिन करें ये 5 उपाय, जीवन में बनी रहेगी सुख-शांति

हिंदू धर्म में वरुथिनी एकादशी एक महत्वपूर्ण व्रत है जो वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है. वरुथिनी एकादशी का व्रत भगवान विष्णु के वराह अवतार को समर्पित है. माना जाता है कि इस व्रत को करने से मनुष्य को अपने पापों से मुक्ति मिलती है और पुण्य की प्राप्ति होती है. यह व्रत सौभाग्य, धन, समृद्धि और कीर्ति प्रदान करने वाला माना जाता है. इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति भी हो सकती है. यह एकादशी उन लोगों के लिए विशेष रूप से फलदायी मानी जाती है जिन्हें चलने-फिरने में कठिनाई होती है|
पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 23 अप्रैल 2025 को शाम 04 बजकर 43 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 24 अप्रैल 2025 को दोपहर 02 बजकर 32 मिनट पर समाप्त होगी. उदयातिथि के अनुसार, वरुथिनी एकादशी का व्रत 24 अप्रैल दिन गुरुवार को रखा जाएगा. इसके व्रत का पारण अगले दिन 25 अप्रैल दिन शुक्रवार को सुबह 05 बजकर 46 मिनट से 08 बजकर 23 मिनट पर किया जाएगा|
वरुथिनी एकादशी व्रत विधि-
दशमी तिथि के दिन सूर्यास्त से पहले भोजन कर लें और रात्रि में ब्रह्मचर्य का पालन करें.
एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें.
भगवान विष्णु की पूजा करें, उन्हें फल, फूल, धूप, दीप आदि अर्पित करें.
दिन भर निराहार रहें या केवल फलाहार करें. अनाज का सेवन वर्जित है.
रात में जागरण करें और भगवान विष्णु के भजन-कीर्तन करें.
द्वादशी के दिन सुबह स्नान के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान-दक्षिणा दें.
इसके बाद व्रत का पारण करें और इसके बाद गरीबों को दान अवश्य करें.
वरुथिनी एकादशी के दिन करें ये उपाय-
मान्यता है कि भगवान श्री विष्णु की पूजा में शंख का प्रयोग अत्यधिक शुभ और फलदायी माना गया है. वरुथिनी एकादशी के दिन यदि शंख से भगवान श्री विष्णु की मूर्ति को स्नान कराया जाए और उनकी पूजा में शंख को पूजित करने के बाद बजाया जाए तो श्री हरि शीघ्र ही प्रसन्न होते हैं और साधक को मनचाहा वरदान प्रदान करते हैं.
वरुथिनी एकादशी के दिन भगवान श्री विष्णु की पूजा में प्रयोग लाएए जाने वाले शंख में गंगाजल भर कर यदि पूरे घर में छिड़का जाए तो घर की सारी नकारात्मक ऊर्जा दूर होती और सकरात्मक ऊर्जा के साथ सुख-सौभाग्य का वास बना रहता है.
वरुथिनी एकादशी के दिन भगवान श्री विष्णु को शीघ्र प्रसन्न करने और उनसे मनचाहा वर पाने के लिए उनकी पूजा में लगाए जाने वाले भोग में उस तुलसी के पत्ते को जरूर चढ़ाएं, जिसे हिंदू धर्म में विष्णुप्रिया कहा गया है.
हिंदू मान्यता है कि भगवान श्री विष्णु की पूजा में पीले रंग की चीजों का प्रयोग बेहद बहुत शुभ माना गया है. ऐसे में वरुथिनी एकादशी व्रत वाले दिन न सिर्फ भगवान श्री विष्णु की पूजा में पीले रंग के वस्त्र, पीले रंग के फूल, पीले रंग का चंदन, पीले रंग के फल, और पीले रंग की मिठाई अर्पित करें बल्कि स्वयं भी पीले रंग के वस्त्र पहनने का प्रयास करें.
वरुथिनी एकादशी के दिन भगवान श्री विष्णु की कृपा पाने के लिए गाय के दूध से बने घी का दीया जलाकर पूजा एवं आरती करना चाहिए. मान्यता है कि एकादशी की पूजा में इस उपाय को करने पर शीघ्र ही हरि कृपा बरसती है|
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वैशाख माह में करें ये उपाय, व्यापार में होगा लाभ

  • धन-संपत्ति में होगी वृद्धि
13 अप्रैल से वैशाख का महीना प्रारंभ हो चुका है, जो कि 12 मई तक चलेगा। आपको बता दें कि हमारी संस्कृति में वैशाख महीने का बहुत महत्व है। वैशाख महीने के दौरान भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। इस दौरान भगवान विष्णु की माधव नाम से पूजा की जाती है। बता दें कि वैशाख महीने का एक नाम माधव मास भी है। शास्त्रों में वैशाख महीने के दौरान किये जाने वाले बहुत-से यम-नियम आदि का जिक्र भी किया गया है यानी वैशाख महीने की पूर्णिमा तक ये यम-नियम आदि चलेंगे। अब बात करते हैं वैशाख महीने के दौरान किए जाने वाले विशेष उपायों के बारे में जिन्हें करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
1. अपने करियर की तरक्की सुनिश्चित करने के लिए वैशाख महीने के दौरान तुलसीपत्र से श्री विष्णु के माधव स्वरूप की पूजा करें। साथ ही भगवान विष्णु के केशव और गोविंद नाम का ध्यान करें। आपको बता दूं कि कभी भी भगवान विष्णु के एक नाम का ध्यान नहीं करना चाहिए। लिहाजा जब भी भगवान विष्णु के किसी नाम का ध्यान करें, तो उसके साथ ही श्री हरि के दो और नामों का भी ध्यान करें।
2. अपने घर की सुख-समृद्धि के लिए वैशाख महीने के दौरान आप भगवान विष्णु को तुलसी पत्र के साथ शहद अर्पित करें और श्री विष्णु के माधव स्वरूप के साथ भगवान के अनंत और अच्युत स्वरूप का भी ध्यान करें।
3. आपके जीवन में कभी कोई संकट न आये, इसके लिए वैशाख महीने के दौरान भगवान विष्णु को पंचामृत का भोग लगाएं और उस पंचामृत में तुलसी पत्र डालना न भूलें। इसके अलावा आपको श्री विष्णु के माधव स्वरूप के साथ भगवान के दामोदर और नारायण स्वरूप का ध्यान करना चाहिए।
4. जीवनसाथी के साथ अच्छा तालमेल बनाये रखने के लिए, वैशाख महीने के दौरान आप श्री विष्णु के माधव स्वरूप के साथ भगवान के श्रीधर और पद्मानाभ स्वरूप का भी ध्यान करें और तुलसीपत्र लगी हुई मीठाई का भगवान को भोग लगाएं। प्रतिदिन मिठाई का भोग नहीं लगा सकते, तो मिश्री के साथ तुलसीपत्र भगवान को अर्पित करें।
5. अपने बिजनेस की गति को बढ़ाने के लिए आपको वैशाख महीने में श्री विष्णु के माधव स्वरूप के साथ त्रिविकरम और हृषिकेष का ध्यान करना चाहिए। साथ ही भगवान विष्णु की तुलसीपत्र से पूजा करनी चाहिए।
6. बच्चों के साथ अपने रिश्तों को बेहतर बनाये रखने के लिए आपको वैशाख महीने में श्री विष्णु के माधव स्वरूप के साथ गोविंद और मधुसूदन का ध्यान करना चाहिए। साथ ही भगवान विष्णु को मेवा के साथ तुलसीपत्र अर्पित करना चाहिए।
7. जीवन में अपने शत्रुओं से छुटकारा पाने के लिए और दोस्तों का साथ बनाये रखने के लिए आपको वैशाख महीने में श्री विष्णु के माधव स्वरूप के साथ केशव और दामोदर का ध्यान करना चाहिए। साथ ही भगवान विष्णु की तुलसीदल से पूजा करनी चाहिए।
8. अपनी आर्थिक स्थिति बेहतर करने के लिए आपको वैशाख महीने के दौरान श्री विष्णु के माधव स्वरूप के साथ गोविंद और नारायण का ध्यान करना चाहिए। साथ ही श्री हरि को आटे से बनी पंजीरी में तुलसी दल डालकर भोग लगाना चाहिए।
9. अपने दांपत्य जीवन की ऊष्मा को बनाये रखने के लिए आपको वैशाख महीने के दौरान श्री विष्णु के माधव स्वरूप के साथ अच्युत और मधुसूदन का ध्यान करना चाहिए। साथ ही भगवान विष्णु की तुलसीपत्र से पूजा करनी चाहिए और उन्हें सफेद या पीले फूल अर्पित करने चाहिए।
10. अपने किसी सरकारी काम को बिना समस्या के पूरा करने के लिए वैशाख महीने के दौरान श्री विष्णु के माधव स्वरूप के साथ अनंत और श्रीधर का ध्यान करना चाहिए। साथ ही तुलसीपत्र से श्री हरि की पूजा करनी चाहिए।
11. किसी भी तरह के कॉम्पिटिशन में अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए वैशाख महीने के दौरान श्री विष्णु के माधव स्वरूप के साथ पद्मानाभ और हृषिकेष का ध्यान करना चाहिए। साथ ही भगवान को गंध और तुलसीपत्र अर्पित करना चाहिए।
12. अपने कारोबार को ऊंचे मुकाम तक पहुंचाने के लिए वैशाख महीने के दौरान श्री विष्णु के माधव स्वरूप के साथ त्रिविकरम और मधुसूदन का ध्यान करना चाहिए। साथ ही भगवान विष्णु की तुलसीपत्र से पूजा करनी चाहिए।
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अमरनाथ यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू

  • जानिए...ऑनलाइन और ऑफलाइन प्रोसेस
जम्मू। इस साल की अमरनाथ यात्रा के लिए 14 अप्रैल से रजिस्ट्रेशन शुरू हो गए हैं। यात्रा 3 जुलाई से शुरू होकर 9 अगस्त तक चलेगी। श्री अमरनाथ जी श्राइन बोर्ड ने रजिस्ट्रेशन से जुड़ी पूरी जानकारी उपलब्ध करवाई है।
बोर्ड ने एडवांस पंजीकरण के लिए देश भर में 4 बैंकों की 533 शाखाओं में व्यवस्था की है। हालांकि, सोमवार को अंबेडकर जयंती का अवकाश होने के कारण पंजीकरण मंगलवार से ही शुरू हो पाएगा।
ऑनलाइन और ऑफलाइन प्रोसेस-
श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं।
होमपेज पर, ‘ऑनलाइन सेवाएं’ टैब पर क्लिक करें।
‘यात्रा परमिट पंजीकरण’ चुनें
दिए गए निर्देशों को अच्छी तरह पढ़ने के बाद जारी रखने के लिए ‘मैं सहमत हूं’ पर क्लिक करें
‘पंजीकरण करें’ पर क्लिक करें
जो पेज खुलेगा उस पर आवेदक को अपना नाम, पसंदीदा यात्रा तिथि, आधार संख्या, मोबाइल नंबर सहित अन्य जानकारी दर्ज करना होगी।
साथ ही स्कैन किए गए अनिवार्य स्वास्थ्य प्रमाणपत्र (CHC) के साथ पासपोर्ट आकार की तस्वीर अपलोड करनी होगी।
इसके बाद मोबाइल नंबर को OTP के जरिए वेरिफिकेशन किया जाएगा।
सबमिट करने के बाद दो घंटे के भीतर एक पेमेंट लिंक भेजा जाएगा।
पंजीकरण शुल्क का भुगतान ऑनलाइन करना होगा।
सफल पेमेंट के बाद यात्रा पंजीकरण परमिट पोर्टल से डाउनलोड किया जा सकता है।
जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने उन लोगों के लिए भी व्यवस्था की है जो व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन करना पसंद करते हैं। जम्मू में यह काम वैष्णवी धाम, पंचायत भवन और महाजन हॉल जैसे केंद्रों पर होंगे। यहां चुनी गई यात्रा तिथि से तीन दिन पहले टोकन स्लिप जारी होती है।
तीर्थयात्री अगले दिन स्वास्थ्य जांच और औपचारिक पंजीकरण के लिए सरस्वती धाम जाते हैं। उसी दिन उन्हें अपना कार्ड लेने और प्रक्रिया पूरी करने के लिए जम्मू में RFID कार्ड केंद्र पर भी जाना होगा।
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खरमास समाप्त : मांगलिक कार्य शुरू, जानिए...कब-कब हैं शुभ मुहूर्त

ग्वालियर। मेष संक्रांति 14 अप्रैल, सोमवार को मनाई जा रही है। इस दिन सूर्य मीन राशि से निकलकर मेष राशि में प्रवेश करते हैं, जिससे खरमास की समाप्ति होती है। ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि खरमास की समाप्ति के साथ ही शादी-विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन जैसे शुभ कार्य फिर से शुरू हो जाते हैं। इस तरह मांगलिक कार्य होने से सब तरफ शहनाई के मधुर स्वर गूंजने लगेंगे, सड़कों पर वर यात्रा नजर आने लगेंगी।
अप्रैल माह विवाह के 9 मुहूर्त
अप्रैल माह में शुभ विवाह के लिए कुल नौ मुहूर्त बन रहे हैं। इनमें एक ऐसा दिन है जिसमें बिना मुहूर्त देखे सारे शुभ कार्य किए जा सकते हैं। ये है अक्षय तृतीया। अक्षय तृतीया के दिन किए गए मांगलिक कार्य, खरीदारी, नए काम की शुरुआत का दोगुना फल मिलता है, सुख-समृद्धि दस्तक देती है। इस साल अक्षय तृतीया 30 अप्रैल को है।
14 अप्रैल से 8 जून तक चलेंगे
अप्रैल में 14, 15, 16, 17, 18, 20, 25, 29 और 30 तारीख को शुभ मुहूर्त हैं। मई में सबसे अधिक विवाह मुहूर्त रहेंगे। मई में 1, 5, 6, 8, 10, 14, 15, 16, 17, 18, 22, 23, 24, 27, 28 तारीख शुभ है।
जून में 1, 2, 3, 4, 5 , 7 व 8 को विवाह के लिए उत्तम हैं। 6 जुलाई से लेकर नवम्बर तक चातुर्मास के कारण मांगलिक दिनों का अभाव रहेगा। चातुर्मास के बाद 18 नवंबर से शुभ मुहूर्त शुरू हो जाएंगे। नवंबर में 18, 21, 22, 23, 25, 30 और दिसंबर में 4, 5, 6 दिन शुभ हैं।
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सोमवार की रात करें ये उपाय, बरसेगी महादेव की कृपा

मान्यता है कि सोमवार के दिन भगवान शिव की उपासना और उपवास रखने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं, साथ ही व्यक्ति को मानसिक शांति भी मिलती हैं। वहीं ज्योतिष शास्त्र में सोमवार का संबंध चंद्रमा से जोड़ा गया है। इस दिन किए दान पुण्य से कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है, जिसके प्रभाव से व्यक्ति मानसिक शांति और स्वस्थ महसूस करता है। इसके अलावा चंद्रमा व्यक्ति को सुंदर, आकर्षक और गुणी भी बनाता है। सोमवार कन्याओं के लिए और भी खास और महत्वपूर्ण होता है। इस दिन भोलेनाथ को केवल जल चढ़ाने से मनचाहा वर पाने की कामना पूर्ण होती हैं। इस दौरान शिव चालीसा का पाठ करना और भी लाभकारी है। इससे साधक के भाग्य में वृद्धि और जीवन में खुशियों का वास होता है। ऐसे में आइए इस शक्तिशाली चालीसा के बारे में जानते हैं|
शिव चालीसा
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत संतन प्रतिपाला॥
भाल चंद्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥
अंग गौर शिर गंग बहाए। मुण्डमाल तन छार लगाए॥
वस्त्र खाल बाघंबर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥
मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
नन्दि गणेश सोहै तहं कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥
देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महं मारि गिरायउ॥
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥
दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥
प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥
कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भये प्रसन्न दिए इच्छित वर॥
जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥
मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥
धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥
अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥
नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई॥
ॠनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥
पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे॥
कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
॥दोहा॥
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।
तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश॥
मगसर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान।
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण
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शिवलिंग पर चढ़ाएं ये 5 चीजें, जीवन से दूर हो जाएगी दरिद्रता

सोमवार को भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इस दिन शिवजी की पूजा से हर प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, खासकर यदि व्यक्ति गरीबी या दरिद्रता से जूझ रहा है। शिवलिंग पर अर्पित कुछ विशेष वस्तुएं जीवन से दरिद्रता, कष्ट, और दुखों को दूर करने में मदद करती हैं। यह उपाय न केवल व्यक्ति की आर्थिक स्थिति को सुधारते हैं, बल्कि मानसिक शांति और समृद्धि भी लाते हैं। इस आर्टिकल में जानेंगे कि कौन सी 5 चीजें शिवलिंग पर अर्पित करने से दरिद्रता का साया हटता है और जीवन में समृद्धि आती है।
दूध- दूध को भगवान शिव को समर्पित करने का अत्यधिक महत्व है। इसे खासकर सोमवार को शिवलिंग पर अर्पित करने से न केवल दरिद्रता दूर होती है बल्कि यह व्यक्ति को मानसिक शांति और सौभाग्य भी प्रदान करता है। दूध के शीतल और पवित्र गुण भगवान शिव को अत्यधिक प्रिय हैं। सोमवार के दिन, शिवलिंग पर ताजे दूध से अभिषेक करें। यह उपाय आपके जीवन में शांति और समृद्धि लेकर आता है। ध्यान रखें कि दूध अर्पित करते वक्त अपना मन एकाग्र और पवित्र रखें।
शहद- शहद भी एक महत्वपूर्ण सामग्री है, जिसे शिवलिंग पर अर्पित किया जाता है। शहद का स्वाद और गुण भगवान शिव को अत्यधिक प्रिय हैं। शहद में शांति और समृद्धि लाने की शक्ति होती है, जो दरिद्रता को दूर करने में सहायक होती है। शहद को एक साफ पात्र में लेकर शिवलिंग पर अर्पित करें। इससे आपके जीवन में सुख-समृद्धि और धन का आगमन होगा। साथ ही, ध्यान रखें कि शहद की कोई भी अशुद्धता न हो।
गंगाजल- गंगाजल को पवित्र माना जाता है और शिवलिंग पर इसे अर्पित करने से दरिद्रता और सभी तरह के संकट दूर हो सकते हैं। गंगाजल को शिवलिंग पर अर्पित करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन में समृद्धि का वास होता है। एक साफ पात्र में गंगाजल लेकर उसे शिवलिंग पर अर्पित करें। यह उपाय विशेष रूप से सोमवार के दिन प्रभावी होता है। आप चाहें तो गंगाजल में थोड़ा दूध और शहद मिला कर शिवलिंग पर अर्पित कर सकते हैं। इससे आपके जीवन में और भी ज्यादा सकारात्मक परिवर्तन आएंगे।
बेलपत्र- बेलपत्र भगवान शिव को अत्यधिक प्रिय है। शिवलिंग पर बिल्व पत्र अर्पित करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और यह उपाय दरिद्रता को दूर करने में सहायक होता है। बिल्व पत्र के 3 पत्ते खासतौर पर भगवान शिव को अर्पित किए जाते हैं, जिन्हें त्रिलोक की अभिव्यक्ति माना जाता है। सोमवार को शिवलिंग पर तीन बिल्व पत्र अर्पित करें। इसे अर्पित करते समय ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें। यह आपके जीवन से दरिद्रता और कष्टों को दूर करेगा।
शिव पूजा के लिए सोमवार का दिन विशेष रूप से शुभ माना जाता है। यदि आप अपनी आमदनी में बढ़ोतरी और आर्थिक स्थिति में सुधार चाहते हैं, तो यह दिन भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए सबसे अच्छा समय है। दूध, खासकर गाय का दूध, शिवलिंग पर अर्पित करना बेहद प्रभावशाली माना जाता है। यह उपाय भगवान शिव की विशेष कृपा को आकर्षित करता है, जिससे जीवन में समृद्धि और धन की प्राप्ति हो सकती है।
पढ़ाई की परेशानी से मुक्ति पाने के लिए-
पढ़ाई में ध्यान की कमी, मानसिक तनाव या किसी कारण से कठिनाई आ रही हो, तो भगवान शिव की पूजा और उनके मंत्रों का जाप बहुत ही प्रभावशाली उपाय हो सकता है। विशेष रूप से अगर आप अपनी पढ़ाई में रुकावट महसूस कर रहे हैं, तो शिव चालीसा का पाठ और शिवलिंग पर चंदन का टीका लगाने से मानसिक शांति मिलती है और पढ़ाई में समर्पण और सफलता प्राप्त होती है।
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आज हनुमान जन्मोत्सव, जानिए...पूजा का शुभ मुहूर्त, मंत्र और विधि

आज 12 अप्रैल को हनुमान जन्मोत्सव मनाया जा रहा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि के दिन ही बजरंगबली का जन्म हुआ था। हनुमान जी को भगवान शिव का ग्यारहवां रुद्रावतार माना जाता है। आज के दिन हनुमान जी की उपासना करने से व्यक्ति को हर प्रकार के भय से मुक्ति मिलती है। साथ ही बजरंगबली की कृपा से उस व्यक्ति को हर प्रकार के सुख-साधन की प्राप्ति होती है। तो आइए जानते हैं कि हनुमान जन्मोत्सव की पूजा विधि, मंत्र और शुभ मुहूर्त के बारे में।
हनुमान जन्मोत्सव 2025 शुभ मुहूर्त-
चैत्र शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि का आरंभ - 12 अप्रैल को भोर 3 बजकर 21 मिनट पर
पूर्णिमा तिथि समाप्त- 13 अप्रैल को सुबह 5 बजकर 51 मिनट पर
हनुमान जन्मोत्सव पूजा के लिए ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 4 बजकर 30 मिनट से सुबह 5 बजकर 30 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 11 बजकर 55 से दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक
संध्या पूजा मुहूर्त- शाम 5 बजकर 30 मिनट से शाम 7 बजे तक
हनुमान जन्मोत्सव पूजा विधि-
हनुमान जन्मोत्सव के दिन स्नान आदि करने के बाद साफ-सुथरे कपड़े पहन लें।
इसके बाद मंदिर या पूजा घर के साफ कर गंगाजल छिड़कर शुद्ध कर लें।
अब एक चौकी रखकर उसपर लाल या नारंगी रंग का कपड़ा बिछा दें।
फिर चौकी पर हनुमान जी, भगवान राम और माता सीता की तस्वीर या प्रतिमा रखें।
प्रतिमा के सामने धूप-दीपक जलाएं।
सबसे पहले भगवान राम और माता सीता की पूजा करें।
हनुमान जी को चोला चढ़ाएं,नए वस्त्र और जनेऊ पहनाएं।
अब बजरंगबली को फूल, फल, माला, लड्डू, बूंदी, गुड़ चना, नारियल और पंचामृत का भोग लगाएं।
इसके बाद हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करें।
पूजा का समापन भगवान राम और हनुमान जी की आरती के साथ करें।
आरती के बाद बजरंगबली के मंत्रों का जाप भी जरूर करें।
हनुमान जन्मोत्सव के दिन करें इन मंत्रों का जाप-
ॐ श्री हनुमते नमः॥
ॐ आञ्जनेयाय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि। तन्नो हनुमत् प्रचोदयात्॥
ओम नमो भगवते हनुमते नम:॥
मनोजवम् मारुततुल्यवेगम् जितेन्द्रियम् बुद्धिमताम् वरिष्ठम्। वातात्मजम् वानरयूथमुख्यम् श्रीरामदूतम् शरणम् प्रपद्ये॥
ॐ नमो हनुमते रूद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय सर्वरोग हराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा।
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CM विष्णुदेव साय ने हनुमान जयंती पर की पूजा-अर्चना

रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने आज हनुमान जयंती के पावन अवसर पर राजधानी रायपुर रेलवे स्टेशन के समीप स्थित हनुमान मंदिर में विधिवत पूजा-अर्चना की। इस अवसर पर उन्होंने भक्ति भाव से हनुमान चालीसा का पाठ किया तथा प्रदेशवासियों की सुख-शांति और समृद्धि के लिए मंगलकामनाएँ कीं। मुख्यमंत्री साय ने कहा कि भगवान हनुमान शक्ति और भक्ति के प्रतीक हैं। उनकी कृपा से हर संकट का समाधान संभव है। उन्होंने प्रदेशवासियों को हनुमान जयंती की शुभकामनाएँ दीं। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ स्टेट सिविल सप्लाईज़ कॉर्पोरेशन के अध्यक्ष संजय श्रीवास्तव भी उपस्थित थे।
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गृहमंत्री विजय शर्मा ने हनुमान मंदिर में पूजा-अर्चना की

कवर्धा। गृहमंत्री विजय शर्मा ने हनुमान मंदिर में पूजा-अर्चना की। सोशल मीडिया में गृहमंत्री विजय शर्मा ने लिखा, आज श्री हनुमान जन्मोत्सव के पावन अवसर पर कवर्धा के सिद्ध पीठ श्री खेड़ापति हनुमान मंदिर में पूजा-अर्चना की और प्रदेश एवं कवर्धा के विकास और समृद्धि की कामना की।
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप। राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।
आप सभी देशवासियों को श्री हनुमान जन्मोत्सव की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
संकटमोचन हनुमान का जन्मोत्सव 10 अप्रैल यानी आज है। इस दिन भक्त हनुमान जी की के साथ भगवान श्रीराम व माता सीता की विधि-विधान से पूजा करते हैं। मान्यता है कि इस दिन बजरंगबली की विधिवत पूजा करने से भक्तों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में आने वाले हर संकट से रक्षा होती है।
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...जहाँ वीर बजरंगबली को देवी स्वरूप में पूजा जाता है

  • अद्भुत परंपरा के बारे में जानिए...
रतनपुर। छत्तीसगढ़ की पावन धरती जहाँ धर्म, आस्था और चमत्कारों की गूंज सदियों से सुनाई देती रही है वहीं बिलासपुर ज़िले से लगभग 30 किलोमीटर दूर रतनपुर नामक एक ऐतिहासिक नगरी स्थित है। इस नगर को कभी छत्तीसगढ़ की राजधानी कहा जाता था और आज यह ‘धर्मनगरी’ के नाम से विख्यात है। रतनपुर देवी महामाया के शक्तिपीठ के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन यही नगर एक और चमत्कारी स्थल के लिए जाना जाता है गिरजाबंद हनुमान मंदिर जहाँ भगवान हनुमान की पूजा देवी के रूप में की जाती है।
हनुमान जी को शक्ति, भक्ति और पराक्रम का प्रतीक माना जाता है। पर क्या आपने कभी उन्हें स्त्री रूप में पूजे जाते देखा या सुना है? गिरजाबंद हनुमान मंदिर इस अनोखी परंपरा का केंद्र है, जहाँ वीर बजरंगबली को देवी स्वरूप में पूजा जाता है। इस मंदिर की मूर्ति में हनुमान जी के बाएं पैर के नीचे अहिरावण दबा हुआ दिखता है, और मूर्ति में स्त्री स्वरूप की झलक स्पष्ट दिखाई देती है।
इस अद्भुत परंपरा की जड़ें रामायण काल में जाकर मिलती हैं। जब रावण की पराजय निश्चित जान अहिरावण छलपूर्वक श्रीराम और लक्ष्मण को पाताल लोक ले गया था तब विभीषण के कहने पर हनुमान जी वहां पहुँचे। पाताल लोक में अहिरावण अपने कुलदेवी निकुम्भला और कामदा के समक्ष श्रीराम और लक्ष्मण की बलि देने वाला था। हनुमान जी ने देवी का रूप धारण कर उनके शरीर में प्रवेश किया और बलि से पहले ही अहिरावण का वध कर दिया। उसी देवी स्वरूप में आज भी यहां उनकी आराधना होती है।
मंदिर की स्थापना से जुड़ी एक और रोचक कथा भी है। रतनपुर के एक राजा और उनकी रानी को कुष्ठ रोग हो गया था। इलाज के तमाम प्रयास विफल रहे। तभी राजा को स्वप्न में हनुमान जी ने दर्शन देकर बताया कि महामाया मंदिर के पास स्थित चंडिका कुंड में उनकी एक दिव्य मूर्ति है, जिसे गिरजा कुंड के समीप स्थापित करें और वहां स्नान करें रोग से मुक्ति मिल जाएगी। राजा ने ऐसा ही किया और चमत्कारिक रूप से दोनों रोगमुक्त हो गए। तभी से इस मंदिर की ख्याति फैल गई।

 

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