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शुभ योग में शुक्र प्रदोष व्रत आज, पढ़ें पूरी कथा

इस साल आज 9 मई 2025 को प्रदोष व्रत है। इस दिन शुक्रवार का संयोग होने के कारण यह शुक्र प्रदोष कहलाएगा। मान्यता है कि इस तिथि पर महाकाल की पूजा-अर्चना करने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं, साथ ही कर्ज, तनाव, क्लेश से भी मुक्ति मिलती हैं। यह दिन सुहागिनों के लिए और भी खास है। इस दिन भोलेनाथ को जल, बेलपत्र और शमी का फूल अर्पित करने से माता पार्वती प्रसन्न होती हैं। इसके प्रभाव से व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती हैं। इस बार शुक्र प्रदोष पर हस्त नक्षत्र और वज्र योग बन रहा है। ऐसे में प्रदोष व्रत की संपूर्ण कथा का पाठ अवश्य करें। इससे पूजा का पूर्ण फल प्राप्त होता है। आइए इस कथा को जानते हैं।
शुक्र प्रदोष व्रत कथा-
प्रदोष व्रत महादेव की पूजा और उनकी कृपा पाने का सबसे शुभ दिन होता है। लेकिन इस दिन की उपासना बिना व्रत कथा के अधूरी मानी जाती है। ऐसे में आइए शुक्र प्रदोष व्रत की संपूर्ण कथा के बारे में जानते हैं। दरअसल, प्रदोष व्रत की कथा को लेकर यह कहा जाता है कि एक समय की बात है जब एक नगर में तीन खास दोस्त रहते थे, जिनका नाम राजकुमार, ब्राह्मण कुमार और धनिक पुत्र था। इन तीनों में से राजकुमार और ब्राह्मण कुमार दोनों की शादी हो चुकी थी। हालांकि कुछ समय बाद धनिक पुत्र का भी विवाह हो गया था। परंतु उसका गौना शेष था। यही कारण है कि उसकी पत्नी मायके में रहा करती थी।
फिर एक बार तीनों दोस्त बैठकर स्त्री विषय पर बात कर रहे थे कि तभी ब्राह्मण कुमार ने स्त्रियों की तारीफ करते हुए कहा कि नारीहीन घर एक भूतों का डेरा होता है। दोस्त ब्राह्मण कुमार की यह बात सुनकर धनिक पुत्र ने अपनी पत्नी को घर लाने का निर्णय बना लिया है। इस दौरान धनिक पुत्र के माता-पिता ने उसे यह समझाया कि अभी शुक्र देवता डूबे हैं और इस अवधि में बहू-बेटियों को घर से विदा कराकर उन्हें लाना अशुभ होता है इसलिए अभी रुकना ठीक रहेगा।
लेकिन धनिक पुत्र ने किसी की नहीं मानी और पत्नी को लेकर ससुराल पहुंच गया। हालांकि ससुराल पहुंचने के बाद भी धनिक पुत्र को समझाने का लाख प्रयास किया गया है। लेकिन उसकी जिद्द के कारण सभी को उसकी बातें माननी पड़ी। कुछ देर बाद धनिक पुत्र अपनी पत्नी के साथ घर की ओर निकल पड़ता है। वह शहर से बाहर आया ही था कि उसकी बैलगाड़ी का पहिया निकल गया। इससे बैल की टांगें टूट गई। इस घटना से दोनों पति-पत्नी को चोट पहुंच चुकी थी। परंतु फिर भी वह घर की ओर आने के लिए आगे बढ़ें।
कुछ दूर चलते ही उनका सामना डाकूओं से हो गया और वह उनका सभी सामान और धन लूटकर ले गए। जैसे तैसे दोनों घर पहुंचे ही थे कि धनिक पुत्र को सांप ने काट लिया। घटना के तुरंत बाद धनिक पुत्र के पिता ने वैद्य को बुला लिया। इस दौरान वैद्य ने कहा कि तीन दिन बाद धनिक पुत्र की मृत्यु हो जाएगी। इस बात की जानकारी जैसे ही उसके मित्र ब्राह्मण कुमार हुई, तो वह सीधा धनिक पुत्र के घर आ गया है। इसी बीच उसने धनिक पुत्र के माता-पिता को शुक्र प्रदोष व्रत रखने के कहा। इसके अलावा उसने बोला कि धनिक पुत्र और उसकी पत्नी को वापस ससुराल ही भेज दें। ब्राह्मण कुमार की बात मानकर वह दोनों वापिस ससुराल चले गए और वहां जाते ही धनिक पुत्र की हालत भी सुधर गई। तभी से ऐसा माना जाता है कि शुक्र प्रदोष व्रत के प्रभाव से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।

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