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वट पूर्णिमा व्रत आज, जानें क्या करें और क्या न करें

पंचांग के मुताबिक इस बार ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 10 जून को सुबह 11 बजकर 35 मिनट पर होगी। इसका समापन 11 जून को दोपहर 1:13 मिनट पर है। ऐसे में वट पूर्णिमा का व्रत 10 जून को रखा जा रहा है। इस दौरान जहां पति की लंबी उम्र और वैवाहिक जीवन सुखमय के लिए व्रत रखने का विधान है। वहीं कुछ खास चीजों को करने की मनाही भी होती है। ऐसे में आइए जानते हैं कि वट पूर्णिमा पर क्या करें और क्या न करें।हिंदू धर्म में वट सावित्री व्रत को नारी शक्ति, प्रेम और त्याग का प्रतीक माना जाता है। इस पर्व पर सभी महिलाएं पति की लंबी उम्र और अच्छी सेहत के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। इसके अलावा वट सावित्री व्रत पर वट वृक्ष की पूजा का विधान है। मान्यता है कि वट वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है। इसलिए पेड़ की उपासना करने से महिलाओं को सभी देवताओं का आशीर्वाद मिलता है। इस व्रत को साल में दो बार रखा जाता है, जिसमें पहला ज्येष्ठ अमावस्या और दूसरा ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा तिथि पर रखा जाता है।
क्या करें और क्या न करें-
वट पूर्णिमा के दिन सुबह ही स्नान कर लेना चाहिए और साफ वस्त्रों को धारण करें।
इस दिन वट वृक्ष की पूजा अवश्य करनी चाहिए। यह बेहद शुभ होता है।
वट पूर्णिमा के दिन पेड़ को जल अर्पित करें और हल्दी-कुमकुम से पूजा करना न भूलें।
वट पूर्णिमा के दिन सावित्री और सत्यवान की कथा का पाठ करें।
इस दिन लाल धागे से वट वृक्ष के चारों ओर सात बार परिक्रमा करनी चाहिए।
वट पूर्णिमा पर निर्जला व्रत रखें।
इस दिन व्रत का पारण करते हुए महिलाएं पति को तिलक लगाकर उनके चरणों का स्पर्श करें।
सत्यव्रत का पालन करें-
तामसिक चीजों से दूर रहें।
पूजा में पवित्रता का खास ख्याल रखें।
जरुरतमंदों को अन्न, फल, धन और वस्त्रों का दान करें।
स्वच्छता का खास ध्यान रखना चाहिए।
वट पूर्णिमा पर आप किसी भी तरह के विवाद या कलह में न पड़े।
व्रती महिलाओं को मन में नकारात्मक विचारों को रखने से बचना चाहिए। इसके अलावा झूठ भी न बोलें।
इस दिन आप बाल न धोएं और कटवाएं भी न।
एक दिन पहले सात्विक भोजन करें।
वट पूर्णिमा व्रत में सोलह श्रृंगार करें।

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