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योगिनी एकादशी पर भद्रा का साया, जानें कब करें पूजा

हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का बहुत ही खास महत्व माना जाता है। यह व्रत हर महीने में दो बार रखा जाता है- एक कृष्ण पक्ष में और एक शुक्ल पक्ष में। इस प्रकार एक वर्ष में कुल 24 एकादशी होती हैं, जबकि अधिक मास लगने पर इनकी संख्या 26 हो जाती है। धार्मिक मान्यता है कि हर एकादशी अपने नाम और गुणों के अनुसार व्रत करने वाले को फल प्रदान करती है। इन व्रतों के प्रभाव से व्यक्ति को सांसारिक सुख, समृद्धि और अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इस वर्ष आषाढ़ महीने की योगिनी एकादशी को लेकर भक्तों में तिथि और मुहूर्त को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है. ऐसे में हम यहां आपको योगिनी एकादशी की सटीक तिथि, पूजा विधि, पारण का समय और भद्रा काल से जुड़ी संपूर्ण जानकारी प्रदान कर रहे हैं, ताकि आप व्रत को विधिपूर्वक कर सकें और इसका पुण्य लाभ प्राप्त कर सकें|
योगिनी एकादशी के दिन भद्रा काल का साया:
हिंदू पंचांग के अनुसार, योगिनी एकादशी के दिन भद्रा काल का प्रभाव सुबह 5 बजकर 24 मिनट से लेकर 7 बजकर 18 मिनट तक रहेगा. इस अवधि में शुभ कार्यों को करने से बचना चाहिए, क्योंकि भद्रा को अशुभ काल माना गया है|
व्रत, पूजा और धार्मिक अनुष्ठानों की शुरुआत भद्रा समाप्त होने के बाद करना अधिक फलदायी होता है. ऐसे में व्रती 7:18 AM के बाद ही भगवान विष्णु की पूजा और एकादशी व्रत की विधियां आरंभ करें|
कब है योगिनी एकादशी:
हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की योगिनी एकादशी तिथि की शुरुआत 21 जून 2025 को सुबह 7 बजकर 18 मिनट पर हो रही है, और इसका समापन 22 जून 2025 को सुबह 4 बजकर 27 मिनट पर होगा|
हालांकि, 21 जून को एकादशी तिथि का क्षय होने के कारण व्रत इसी दिन यानी 21 जून को रखा जाएगा. शास्त्रों के अनुसार, क्षय वाली एकादशी पर ही व्रत करना पुण्यकारी होता है. इस दिन विधिवत व्रत, उपवास और भगवान विष्णु की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है|

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