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सूर्य देव को जल चढ़ाने से होते हैं ये विशेष लाभ

  • जानिए...अर्घ्य देने के नियम
हिंदू धर्म में सूर्य देव को आत्मा का प्रतीक और नवग्रहों के अधिपति के रूप में पूजा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार प्रतिदिन प्रातः सूर्य को अर्घ्य देने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, और सुख-समृद्धि का आगमन होता है। हालांकि सूर्य को अर्घ्य देने के लिए भी कुछ नियमों का पालन करना पड़ता है, तभी इसका शुभ फल प्राप्त होता है। आइए जानते हैं सही फल पाने के लिए सूर्य को अर्घ्य देने की विधि क्या है और इससे क्या लाभ मिलते हैं।
सूर्य को अर्घ्य देने के लाभ-
नियमित रूप से अर्घ्य देने से जीवन में शांति, समृद्धि और आत्मबल की वृद्धि होती है। इससे कुंडली में यदि सूर्य से संबंधित दोष हों तो वह भी दूर होते हैं। रविवार को सूर्य पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है। यदि विवाह में देरी हो रही है, तो प्रतिदिन सूर्य को जल अर्पित करने से अच्छे प्रस्ताव आने लगते हैं। इससे आत्मविश्वास और मान-सम्मान में वृद्धि होती है।
सूर्य को अर्घ्य देने की सही विधि-
सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर लें ताकि तन और मन शुद्ध रहें।
सूर्योदय के समय पूर्व दिशा की ओर मुंह करके कुश के आसन पर खड़े हों।
तांबे के लोटे में जल लें और उसमें मिश्री, रोली, चंदन, लाल पुष्प और अक्षत मिलाएं।
जैसे ही सूर्य की नारंगी किरणें दिखाई दें, दोनों हाथों से इस तरह जल अर्पित करें कि जल की धार के बीच से सूर्य दिखाई दें।
कोशिश करें कि जल सीधा धरती पर न गिरे, बल्कि आसन या किसी पात्र में जाए। इससे जल में समाहित ऊर्जा व्यर्थ नहीं जाती।
अर्घ्य देते समय इन मंत्र का 11 बार जप करें- “ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते, अनुकंपय मां भक्त्या गृहाणार्घ्यं दिवाकर”
इसके बाद यह मंत्र पढ़ें- “ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय, सहस्त्र किरणाय मनोवांछित फलं देहि देहि स्वाहा”
अर्घ्य देने के बाद सीधे हाथ की अंजलि में थोड़ा जल लें और अपने चारों ओर छिड़कें, फिर तीन बार दाएं घूमें।
जिस स्थान पर पूजा की है, उसे नमन करें और आसन हटा लें।

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