धर्म समाज

प्रदोष व्रत के दिन इन चीजों से करें शिवलिंग का अभिषेक

  • हर काम में मिलेगी सफलता
सनातन धर्म में प्रदोष व्रत को अत्यंत पुण्यदायक माना गया है। इस व्रत के दिन संध्या के समय भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना का विधान है। भक्तगण इस दिन व्रत रखते हैं। इस व्रत को करने से जीवन में सुख, शांति और सफलता का आगमन होता है। मान्यता है कि इस दिन शिवलिंग का अभिषेक विशेष विधियों से करने पर महादेव प्रसन्न होते हैं और साधक को आशीर्वाद देते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि किस तरह से शिवलिंह का अभिषेक करना चाहिए।
प्रदोष व्रत तिथि-
वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 25 अप्रैल को सुबह 11: 44 बजे होगी और इसका समापन 26 अप्रैल के दिन सुबह 8:27 बजे होता। उदया तिथि के अनुसार 25 अप्रैल 2025 को वैशाख माह का पहला प्रदोष व्रत रखा जाएगा। इस दिन शुक्रवार होने के कारण इसे शुक्र प्रदोष कहा जाएगा। इस दिन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त प्रदोष काल होता है, जो शाम 06:53 बजे से राल 09:03 बजे तक रहेगा।
विशेष मुहूर्त-
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:19 से 5:02 तक
गोधूलि बेला: शाम 6:52 से 7:13 तक
निशीथ काल: रात 11:57 से 12:41 तक
अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:53 से दोपहर 12:45 तक
शिवलिंग पर अर्पण करने के लिए सामग्री-
प्रदोष व्रत की पावन तिथि पर शिवलिंग पर जल और घी अर्पित करना विशेष फलदायक माना गया है। इस दौरान मन में शांतिपूर्वक भगवान शिव का ध्यान करें और अपने जीवन की बाधाओं से मुक्ति हेतु प्रार्थना करें।
इस दिन शिवलिंग पर दूध, दही, शहद और बेलपत्र चढ़ाना भी अत्यंत शुभ माना गया है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इन वस्तुओं से अभिषेक करने से व्यापार में उन्नति होती है, रुके हुए कार्य पूरे होते हैं और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
इन वस्तुओं से न करें शिवलिंग पर अभिषेक-
शिव पूजा के दौरान कुछ वस्तुएं ऐसी होती हैं, जिन्हें अर्पित करना वर्जित माना गया है। विशेष रूप से तुलसी के पत्ते, हल्दी और सिंदूर शिवलिंग पर चढ़ाना अशुभ माना जाता है। ऐसा करने से जीवन में बाधाएं उत्पन्न हो सकती हैं।
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शमी का पौधा घर में लेकर आता है बरकत, जानिए...इसके फायदे

हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे को पूजनीय स्थान दिया गया है और इसलिए घरों में इसका नियमानुसार पूजन किया जाता है. शास्त्रों के अनुसार केवल तुलसी ही नहीं, बल्कि पीपल, केले और शमी के पेड़ों को भी पूजनीय माना गया है. जिस प्रकार पीपल और केला गुरु का प्रतिनिधित्व करते हैं. उसी प्रकार शमी का पौधा शनि ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है. कहा जाता है कि यदि घर में शमी का पौधा लगाया जाए तो उससे शनि का प्रभाव काफी हद तक कम होता है. इसके अलावा भी शमी का पौधा कई फायदे प्रदान करता है|
शमी का पौधा घर में लगाने के फायदे-
शमी के पौधे को शनि ग्रह का कारक माना जाता है और शास्त्रों के मुताबिक इसे घर में लगाना बेहद शुभ होता है. तुलसी की तरह ही शमी के पौधे की पूजा करना बेहद लाभकारी होता है|
मान्यता है कि शमी के पौधे को घर में लगाने से शनि की दशा शांत होती है और इसलिए शनिवार के दिन शमी के पौध में घी का दीपक अवश्य लगाना चाहिए. शमी के पौधे को साक्षात शनि का रूप माना जाता है|
यदि किसी घर में आए दिन कलेश व कलह का माहौल रहता है वहां शमी के पौधे की पूजा अवश्य करनी चाहिए. कहा जाता है कि बुधवार के दिन शमी की पत्तियां भगवान गणेश को चढ़ानी चाहिए. इससे घर का माहौल अच्छा हेाता है. साथ ही घर पर आने वाली परेशानियों से भी छुटकारा भी मिलता है|
कहा जाता है कि प्रदोष काल में शमी के पौधे की पूजा करनी चाहिए. साथ ही उसकी जड़ों में जल अर्पित करने के बाद घी का दीपक जलाना चाहिए. इससे घर परिवार में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है|
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मंगलवार के दिन जरूर करें इन मंत्रों का जाप, मिलेंगे विशेष लाभ

सप्ताह में प्रत्येक दिन देवी-देवी देवताओं की उपासना के लिए समर्पित है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मंगलवार का दिन हनुमान जी की उपासना के लिए समर्पित है. हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार, हनुमान जी अष्टचिरंजीवी देवताओं में से एक हैं. मान्यता है कि आज भी हनुमान जी धरती पर वास करते हैं और भक्तों की प्रार्थना का निवारण करते हैं. ऐसे में मंगलवार के दिन उनकी उपासना करने से व्यक्ति को रोग, दोष और अन्य बाधाओं से मुक्ति मिल जाती है. आइए पढ़ते हैं हनुमना जी के कुछ चमत्कारी मंत्र-
मंगलवार के दिन करें इन मंत्रों का जाप-
ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय विश्वरूपाय अमितविक्रमाय प्रकट-पराक्रमाय महाबलाय सूर्यकोटिसमप्रभाय रामदूताय स्वाहा|
मंगलवार के दिन इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को यश-कीर्ति की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है|
ॐ नमो हनुमते रुद्रावताराय रामसेवकाय रामभक्तितत्पराय रामहृदयाय लक्ष्मणशक्ति भेदनिवावरणाय लक्ष्मणरक्षकाय दुष्टनिबर्हणाय रामदूताय स्वाहा|
इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है और जीवन में आ रही बाधाएं दूर हो जाती है|
ॐ हं हनुमत्ये नमो नमः
श्री हनुमत्ये नमो नमः
जय जय हनुमत्ये नमो नमः
श्री राम दुताय नमो नमः
इन मंत्रों का जाप करने से घर-परिवार में उत्पन्न हो रही नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है|
हनुमान जी के मंत्रों का प्रभाव-
मान्यता है कि हनुमान जी मंत्रों का जाप करने से व्यक्ति के सभी दुःख और कष्ट समाप्त हो जाते हैं और चिंताएं दूर हो जाती है.
इसके साथ मंगलवार के दिन इन मंत्रों का जाप करने से हनुमान जी प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद प्रदान करते हैं.
इन मंत्रों का जाप शुद्ध मन और तन से करने से रुके हुए कार्य पूरे होने लगते हैं और सभी क्षेत्रों में सफलता मिलती है.
मंगलवार के दिन मंत्र जाप करने से ग्रहों के कारण आ रही समस्याएं भी दूर हो जाती है और कई प्रकार के दोष भी दूर हो जाते हैं|
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सोमवार को करें भगवान शिव के इन 5 मंत्रों का जाप

  • जीवन में नहीं बढ़ेगा कर्ज
हिंदू धर्म में सोमवार के दिन का बहुत अधिक महत्व होता है और ये दिन भगवान शिव को समर्पित है. उन्हें महादेव, शंकर, भोलेनाथ आदि नामों से भी जाना जाता है. शिव की पूजा का विशेष महत्व है और यह कई लाभकारी मानी जाती है. शिव को कर्ज मुक्ति का देवता भी माना जाता है. शिव ध्यान और योग के देवता हैं. उनकी पूजा मन को शांत करती है और शिव की कृपा से व्यक्ति को धन, वैभव और समृद्धि प्राप्त होती है. भगवान शिव की कृपा पाने और जीवन से कर्ज को दूर करने के लिए सोमवार के दिन इन पांच शक्तिशाली मंत्रों का जाप किया जाता है|
ऐसी मान्यता है कि सोमवार के दिन शिव शंकर की पूजा करने से जीवन के सारे दुख खत्म होते हैं. शिव जी के मंत्र भी बहुत शक्तिशाली हैं और माना जाता है कि अगर सोमवार के दिन शिव स्तुति की जाए तो इसका बहुत लाभ भक्तों को होता है. शिव जी के मंत्र पढ़ने से भी इंसान के जीवन के दुख दूर होते हैं. शिव जी के कई सारे ऐसे मंत्र हैं जो इंसान के जीवन की अलग-अलग समस्याओं को दूर करते हैं. जैसे मन को शांत करने का भी मंत्र है. भय मुक्ति का भी अलग मंत्र है. और शक्ति प्राप्ति का भी अलग मंत्र है|
इन मंत्रों का करें जाप-
ॐ नमः शिवाय: यह सबसे सरल और शक्तिशाली मंत्र है. इसे नियमित रूप से जपने से सभी तरह की समस्याओं का समाधान होता है.
ऊं पषुप्ताय नमः: इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को धन लाभ होता है और आर्थिक स्थिति मजबूत होती है.
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥: यह मंत्र लंबी उम्र, स्वास्थ्य और समृद्धि प्रदान करता है.
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥: यह गायत्री मंत्र है, जिसका जाप करने से बुद्धि और विवेक बढ़ता है.
ॐ नमो भगवते रुद्राय नमः: यह मंत्र सभी मनोरथों को पूरा करने वाला है और इससे लोगों को कर्ज से छुटकारा मिलता है|
मंत्र जाप के नियम-
शुद्धता: मंत्र जाप से पहले स्नान करके साफ कपड़े पहन लें.
शांत वातावरण: किसी शांत जगह पर बैठकर मंत्र का जाप करें.
एकाग्रता: मन को एकाग्र करके मंत्र का उच्चारण करें.
नियमितता: प्रतिदिन निश्चित संख्या में मंत्र का जाप करें|
करें ये उपाय-
सोमवार के दिन शिवलिंग की पूजा करने से कई तरह के लाभ मिलते हैं और इस दिन जरूरतमंदों को दान करने से भी कर्ज से मुक्ति मिल सकती है. सकारात्मक सोच रखने से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं. अगर आप चाहते हैं कि आप लंबी उम्र तक जीवन बिताएं और स्वस्थ्य जीवन का हिस्सा बनें तो ऐसे में आपको शिव जी के एक खास मंत्र का इस्तेमाल करना चाहिए. मंत्रों का जाप करने से व्यक्ति को लंबी उम्र का वरदान मिलता है. ये शिव जी के बहुत शक्तिशाली मंत्र है जो काफी प्रचलित भी हैं|
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बेहद शुभ योग में मनाई जाएगी परशुराम जयंती, नोट कर लें सही तिथि

हिंदू धर्म में परशुराम जयंती को बहुत ही पवित्र त्योहार माना जाता है। इस दिन को भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम की जयंती के रूप में मनाया जाता है। उन्हें एक ऐसा अवतार माना जाता है जो ब्राह्मण होते हुए भी क्षत्रियों की तरह शस्त्रधारी और योद्धा थे। इस दिन अगर कोई व्यक्ति सच्चे मन से भगवान परशुराम की पूजा करता है तो उसे साहस और शक्ति का आशीर्वाद मिलता है। आइए जानते हैं परशुराम जयंती 2025 की तिथि, पूजा विधि, महत्व और इससे जुड़ी कुछ खास बातें।
परशुराम जयंती 2025 की तिथि और समय
परशुराम जयंती प्रतिवर्ष वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। यह वही दिन होता है, जब अक्षय तृतीया का पर्व भी मनाया जाता है, जिससे इस दिन का महत्व और अधिक बढ़ जाता है।
परशुराम जयंती की तिथि: 29 अप्रैल 2025, मंगलवार
तृतीया तिथि प्रारंभ: 29 अप्रैल 2025 को सायं 5:31 बजे
तृतीया तिथि समाप्त: 30 अप्रैल 2025 को दोपहर 2:12 बजे
प्रदोष काल में भगवान परशुराम का जन्म हुआ था, इस वजह से 29 अप्रैल को यह पर्व मनाया जाएगा।
परशुराम जयंती की पूजा विधि
ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। शुद्ध वस्त्र पहनें और पूजा का संकल्प लें।
पूजा स्थल को साफ करें और गंगाजल से शुद्ध करें।
लकड़ी की चौकी पर सफेद कपड़ा बिछाकर भगवान परशुराम की प्रतिमा या चित्र रखें।
भगवान परशुराम को चंदन, अक्षत, पुष्प, तुलसी दल, धूप, दीप, नैवेद्य आदि अर्पित करें।
परशुराम स्तुति या विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
इस दिन व्रत रखने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है। गरीबों को अन्न, वस्त्र, तांबे के बर्तन और ब्राह्मणों को दक्षिणा दें।
इन मंत्रों का करें जाप
ॐ ब्रह्मक्षत्राय विद्महे क्षत्रियान्ताय धीमहि तन्नो राम: प्रचोदयात्।।
ॐ जामदग्न्याय विद्महे महावीराय धीमहि तन्नो परशुराम: प्रचोदयात्।।
ॐ रां रां ॐ रां रां परशुहस्ताय नम:।।
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अक्षय तृतीया पर सोना खरीदना माना जाता है बेहद शुभ

इस साल 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया का त्यौहार मनाया जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की पूजा करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है। अक्षय तृतीया का दिन सालभर की शुभ तिथियों की श्रेणी में आता है। ऐसे में यह दिन कोई भी मांगलिक कार्य के लिए बहुत ही उत्तम माना जाता है। इसके साथ ही अक्षय तृतीया के दिन सोना खरीदने का भी विधान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अक्षय तृतीया के दिन सोना की खरीदने से धन-धान्य में बरकत होती है।
अक्षय तृतीया 2025 पर सोना खरीदना का शुभ मुहूर्त
अक्षय तृतीया पूजा मुहूर्त- 30 अप्रैल को सुबह 6 बजकर 11 मिनट से दोपहर 12 बजकर 36 मिनट तक
वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि का आरंभ- 29 मार्च को शाम 5 बजकर 31 मिनट पर
तृतीया तिथि समाप्त- 30 अप्रैल को दोपहर 2 बजकर 12 मिनट पर
29 अप्रैल को सोना खरीदने का समय- शाम 5 बजकर 31 मिनट से 30 अप्रैल को सुबह 6 बजकर 11 मिनट तक
30 अप्रैल को सोना खरीदना का शुभ मुहूर्त- सुबह 6 बजकर 11 मिनट से दोपहर 2 बजकर 12 मिनट तक
अक्षय तृतीया पर सोना नहीं खरीद सकते हैं तो घर ले आएं ये चीजें- चांदी, कौड़ी, मिट्टी का घड़ी या मटका, जौ, घर, वाहन।
अक्षय तृतीया का महत्व-
हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया का पर्व अत्याधिक शुभ और पवित्र दिन माना जाता है। अक्षय तृतीया को आखा तीज के नाम से भी जाना जाता है। अक्षय शब्द का अर्थ कभी कम न होने वाला होता है। इसीलिए इस दिन कोई भी जप, यज्ञ, दान-पुण्य करने का लाभ कभी कम नहीं होता। मान्यताओं के अनुसार, अक्षय तृतीया सौभाग्य एवं सफलता प्रदान करती है। इस दिन सोना की खरीदने से उसमें सदैव वृद्धि होने के साथ ही व्यक्ति को धन-समृद्धि की भी प्राप्ति होती है।
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चारधाम यात्रा के लिए 19 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने कराया रजिस्ट्रेशन

देहरादून। उत्तराखंड में 30 अप्रैल से चारधाम यात्रा का शुभारंभ होने जा रहा है। इस यात्रा के शुरू होने से पहले ही लाखों यात्रियों ने रजिस्ट्रेशन करा लिया है। जानकारी के अनुसार, चारधाम यात्रा के लिए अब तक 19 लाख से अधिक यात्रियों ने रजिस्ट्रेशन कराया है।
यमुनोत्री और गंगोत्री धाम के लिए 3-3 लाख से अधिक लोगों ने रजिस्ट्रेशन करवाया है, जबकि केदारनाथ के लिए सबसे अधिक रजिस्ट्रेशन हुआ है। केदारनाथ के लिए अब तक लगभग 6 लाख 48 हजार से ज्यादा लोगों ने अपना रजिस्ट्रेशन किया है। इसके अलावा, बदरीनाथ धाम के लिए 5 लाख 74 हजार से अधिक लोगों ने रजिस्ट्रेशन किया है।
इतना ही नहीं, हेमकुंड साहिब जाने के लिए भी 32 हजार से अधिक लोगों ने रजिस्ट्रेशन किया है। चारधाम यात्रा को लेकर श्रद्धालुओं में अभी से ही उत्साह देखने को मिल रहा है। प्रशासन ने यात्रियों से अपील की है कि वे यात्रा से पहले रजिस्ट्रेशन कराएं और सभी दिशा-निर्देशों का पालन करें, ताकि यात्रा सुचारू रूप से संपन्न हो सके।
इस बीच, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद नियमित तौर पर चारधाम की तैयारियों का जायजा ले रहे हैं। सीएम धामी ने बीते दिनों देहरादून में आयोजित एक उच्चस्तरीय बैठक में चारधाम यात्रा की तैयारियों का जायजा लिया था। उन्होंने बताया था, "हमारा लक्ष्य है कि उत्तराखंड आने वाले प्रत्येक श्रद्धालु को बिना किसी परेशानी के चारधाम के दर्शन कराए जाएं। इसके लिए यात्रा से जुड़े सभी स्टेकहोल्डर्स के साथ लगातार संवाद किया जा रहा है।"
मुख्यमंत्री धामी ने कहा था कि चारधाम यात्रा उत्तराखंड की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस यात्रा को और सरल बनाने के लिए अगर कोई अतिरिक्त कार्य करने की आवश्यकता होगी, तो उसे तत्काल पूरा किया जाएगा। उन्होंने प्रशासन को निर्देश दिए कि यात्रा के दौरान किसी भी प्रकार की कमी न रहे और श्रद्धालुओं को बेहतर अनुभव प्रदान किया जाए।
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23 अप्रैल से शुरू होगी पंचकोसी यात्रा

  • उज्जैन में भगवान नागचंद्रेश्वर से बल लेकर रवाना होते हैं श्रद्धालु
उज्जैन। पौराणिक मान्यता अनुसार, वैशाख कृष्ण दशमी पर 23 अप्रैल को पंचकोसी यात्रा का शुभारंभ होगा। मध्य प्रदेश में विभिन्न स्थानों से इस यात्रा की शुरुआत होती है। बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में भक्त पटनी बाजार स्थित श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर में श्रीफल भेंट कर भगवान से बल लेकर यात्रा पर रवाना होंगे। 27 अप्रैल को अमावस्या के दिन भगवान को मिट्टी का अश्व अर्पित कर बल लौटाने के बाद घरों को रवाना होंगे।
उज्जैन में 118 किलोमीटर की यात्रा-
हमेशा की तरह इस बार भी श्रद्धालु निर्धारित तिथि से दो दिन पहले 21 अप्रैल से प्रथम पड़ाव पिंग्लेश्वर की ओर यात्रा करने लगेंगे। उज्जैन में पंचकोसी यात्रा की निर्धारित तिथि वैशाख कृष्ण दशमी से अमावस्या है।
देशभर के श्रद्धालु पांच दिन पांच कोस की पद यात्रा करते हुए पंचदेव की आराधना करते हैं। नागचंद्रेश्वर के दर्शन के साथ यात्रा शुरू होती है। इसके बाद 118 किलो मीटर की पदयात्रा करते हुए पिंग्लेश्वर, कायावरूहणेश्वर, दुर्दुरेश्वर तथा बिल्वकेश्वर के दर्जन पूजन करेंगे।
नियमानुसार निर्धारित तिथि पर यात्रा की शुरुआत होना चाहिए, लेकिन श्रद्धालु भीड़ से बचने तथा पड़ाव स्थलों पर यात्री सुविधाओं का पहले लाभ प्राप्त करने की होड़ में दो दिन पहले से यात्रा पर रवाना होने लगते हैं।
इस बार भी 21 अप्रैल से श्रद्धालु यात्रा पर रवाना होने लगेंगे। प्रशासन ने परंपरा को देखते हुए ही पड़ाव पर अभी से ही इंतजाम शुरू कर दिए हैं।
सत्तू, दाल बाटी व कैरी, प्याज का उपयोग
पंचकोसी यात्रा वैशाख की भीषण गर्मी में की जाती है। इन दिनों दोपहर का तापमान 42 डिग्री सेल्सियस है। इस गर्मी में पांच दिन तक खुले में रखना अपने आप में एक तप है। यात्री इस मौसम में खुद को स्वस्थ रखते हुए, धर्म आराधना करने के लिए सुबह सत्तू का सेवन करते हैं।
दिन में दाल बाटी के साथ केरी,प्याज की चटनी का सेवन किया जाता है। छाछ, ककड़ी, मौसमी फल डाइट का हिस्सा रहते हैं।
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कालाष्टमी 20 अप्रैल रविवार को, बनेंगे 5 शुभ योग

हर माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी का व्रत रखा जाता है। इस दिन भगवान शिव के रुद्रावतार बाबा भैरव की पूजा की जाती है। कालाष्टमी व्रत या काल भैरव की पूजा करने से सभी प्रकार के भय से मुक्ति मिलती है। अगर आप बिना किसी हथियार के भी अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर लेते हैं तो भी आप बच सकते हैं। 20 अप्रैल रविवार को आ रही कालाष्टमी पर 5 शुभ योग बन रहे हैं। सर्वार्थ सिद्धि योग और सिद्ध योग से मन की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस दौरान जो भी काम किया जाता है, उससे मन की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। शास्त्रों के अनुसार संकट, विपत्तियों और सभी तरह की समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए भैरव साधना बहुत जरूरी है।
तंत्रसार के अनुसार भगवान शंकर के अवतारों में भैरवनाथ विशेष महत्व रखते हैं। नाथ संप्रदाय की तांत्रिक व्यवस्था में भैरव बाबा को सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। रविवार को कालाष्टमी पर भैरव मंत्र का प्रयोग करने से व्यापार में विजय, जीवन में आने वाली परेशानियां, शत्रु पक्ष से परेशानी, बाधाएं, रुकावटें, कोर्ट केस आदि से मुक्ति मिलती है। भैरव की पूजा का मुहूर्त 20 अप्रैल को सुबह 11:58 बजे से दोपहर 12:42 बजे तक रहने वाला है। काल भैरव की पूजा और मंत्र जाप निशिता मुहूर्त में किया जाता है। तंत्र और मंत्र सिद्धि के लिए निशिता मुहूर्त बहुत शुभ होता है। इस समय सिद्ध योग और सर्वार्थ सिद्धि योग भी बनेगा।
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शनिवार को करें ये खास उपाय, शनिदेव की कृपा से दूर होंगे कष्ट

शनिवार का दिन मुख्य रूप से शनिदेव को समर्पित है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनिदेव न्याय और कर्मफलदाता ग्रह है. यह सभी ग्रहों में सबसे मंद गति से चलने वाले ग्रह है जिस कारण से इनका जातकों को पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह का प्रभाव काफी दिनों तक रहता है. शनिदेव के नकारात्मक प्रभाव से जातक का जीवन बहुत ही कष्टकारी हो जाता है|
ऐसा माना जाता है कि जिन लोगों के ऊपर शनि की साढ़ेसाती और शनि की ढैय्या चलती है उनको इसके प्रभाव को कम करने या फिर खत्म करने के लिए शनिवार के दिन विशेष उपाय किए जाते हैं. आइए जानते है शनिवार के दिन किन उपायों को करने पर व्यक्ति के जीवन में दुर्भाग्य का साया खत्म हो जाता है और जीवन में सौभाग्य में वृद्धि होती है. इसके साथ ही जीवन में आने वालों कष्टों से छुटकारा मिलता है|
शनिवार के दिन करें ये उपाय-
शनिदेव को पीपल का पेड़ बहुत प्रिय है. शनिवार को पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाएं, तिल का तेल चढ़ाएं और परिक्रमा करें. इससे शनि दोष से मुक्ति मिलती है|
शनिवार को शनि मंदिर जाकर शनिदेव की पूजा करें. उन्हें तेल का दीपक जलाएं और काले तिल चढ़ाएं. शनिवार को काले तिल का दान करना बहुत शुभ माना जाता है. आप गरीबों को काले तिल दान कर सकते हैं|
हनुमान जी को शनिदेव का मित्र माना जाता है. शनिवार को हनुमान चालीसा का पाठ करने से शनि दोष का प्रभाव कम होता है. शनिवार को किसी गरीब व्यक्ति को भोजन कराएं. इससे शनिदेव प्रसन्न होते हैं.
शनिवार को नीले रंग के वस्त्र का दान करना शुभ माना जाता है. शनि मंत्र का जाप करने से शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है. शनिवार को सरसों के तेल का दीपक जलाने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं|
शनिदेव की कृपा पाने के लिए और जीवन के हर एक क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए शनिवार के दिन चीटियों को आटे में चीनी मिलाकर खिलाना चाहिए|
शनि दोष से बचने के लिए और शनिदेव की कृपा के लिए शनिवार के दिन काली गाय और काले कुत्ते को रोटी खिलाएं. इस उपाय से जीवन में समृद्धि का रास्ता खुलता है|
शनिवार के दिन गरीबों ओर असहायों की मदद जरूर करनी चाहिए. इस दिन इन्हे तेल से बनी हुई चीजें खाने में देने पर शनिदेव का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है|
अगर आपके ऊपर शनि से संबंधित किसी प्रकार की बाधा चल रही है तो इससे मुक्ति पाने के लिए शनिवार के दिन काले घोड़े की नाल या फिर नाव की कील से बनी अंगूठी को पहनें|
जिन लोगों के ऊपर शनि की साढ़ेसाती और शनि की ढैय्या चल रही हो तो उन्हें शनिवार के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करनी चाहिए और 7 बार परिक्रमा करते हुए ऊं शं शनैश्चराय नम: मंत्र का जाप करना चाहिए.
शनिदेव के प्रकोप से बचने के लिए और उनका आशीर्वाद पाने के लिए शनिवार के दिन हनुमान चालीसा का पाठ करना बहुत ही शुभ लाभदायक होता है|
जीवन में अगर किसी प्रकार की आर्थिक परेशानियां चल रही हैं तो इससे निजात पाने और सुख-शांति के लिए शनिवार के दिन पीपल के पेड़ के नीचे तेल का दीपक जलाएं|
शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या से मुक्ति पाने के लिए शनिवार के दिन शनिदेव की पूजा जरूर करनी चाहिए. इस इन्हें नीले रंग का फूल अर्पित करें और ॐ शं शनैश्चराय नमः मंत्र का जाप करें|
शनिदेव के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए शनिवार के दिन काला चना, काली उड़द दाल और काले कपड़े का दान करना चाहिए|
जानिए...क्या है महत्व-
ऐसी मान्यता है कि शनिवार के दिन इन उपायों को करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं और लोगों पर अपनी कृपा बरसाते हैं. ऐसा माना जाता है कि शनिवार के दिन विधि विधान से पूजा की जाए तो शनिदेव की कृपा से लोगों को कष्ट धीरे-धीरे दूर होने लगते हैं और साथ ही जीवन में आने वाली परेशानियां खत्म होने लगती है. इसके अलावा घर में सुख-समृद्धि का वास होता है और ज्यादा परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता है|
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शनिवार को करें पीपल के पेड़ का ये उपाय

  • शनिदेव का मिलेगा आशीर्वाद, कष्ट होंगे दूर
शनिवार का दिन भगवान शनि देव को समर्पित है। इस दिन सूर्य पुत्र शनि देव की उपासना करने से ढैय्या, साढ़ेसाती जैसे दोषों से मुक्ति मिलती है। शनिवार के दिन सरसों तेल और काला तिल चढ़ाने से शनि देव की कृपा प्राप्त होती है। इसके साथ ही इस दिन पीपल पेड़ की पूजा करने से भी शनि दोष से छुटकारा मिलता है। तो आइए अब आचार्य इंदु प्रकाश से जानते हैं शनिवार के दिन किए जाने वाले विशेष उपायों के बारे में, जिन्हें करने से समस्त परेशानियां दूर हो जाती हैं।
- अगर आपको उन्नति के मार्ग में आये दिन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है तो शनिवार के दिन आपको स्नान आदि के बाद साफ कपड़े पहनकर एक कच्चे सूत के धागे का गोला लेना चाहिए। इसके बाद पीपल के पेड़ के पास जाना चाहिए और उसके तने पर सात बार वो कच्चा सूत लपेटना चाहिए। फिर दोनों हाथ जोड़कर शनि देव का ध्यान करते हुए उनके मंत्र का जप करना चाहिए। मंत्र है- 'ऊँ ऐं श्रीं ह्रीं शनैश्चराय नमः।'
- अगर आपके दांपत्य जीवन से खुशियां कहीं गायब हो गई हैं तो दांपत्य जीवन में फिर से खुशियां भरने के लिए शनिवार के दिन आपको थोड़े-से काले तिल लेने चाहिए और पीपल के पेड़ के पास चढ़ाने चाहिए। साथ ही पीपल की जड़ में पानी चढ़ाना चाहिए और शनि देव के इस मंत्र का जप करना चाहिए। मंत्र है- 'ऊँ श्रीं शं श्रीं शनैश्चराय नमः।'
- अगर आप अपनी संतान को उच्च शिक्षा के लिए विदेश भेजना चाहते हैं, लेकिन आपको किसी न किसी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है तो इस परेशानी से बाहर निकलने के लिए शनिवार के दिन आपको शनि के मंत्र का 11 बार जप करना चाहिए। शनि देव का मंत्र इस प्रकार है- 'ऊँ श्रीं ह्रीं शं शनैश्चराय नमः।'
- अगर आपके घर को किसी की काली नजर लग गई है, जिससे आपके परिवार के सदस्यों की तरक्की नहीं हो पा रही हैं तो इसके लिए शनिवार के दिन स्नान आदि के बाद आपको शनि देव के इस मंत्र का 31 बार जप करना चाहिए। मंत्र है-'ऊँ श्रीं शं श्रीं शनैश्चराय नमः।' और जप के बाद एक नीला फूल लेकर गंदे नाले में प्रवाहित कर दें।
- अगर आपके जीवन में परेशानियों का अंत नहीं हो रहा है, एक के बाद एक परेशानियां आती जा रही हैं तो उनसे छुटकारा पाने के लिए शनिवार के दिन आपको एक कटोरी में सरसों का तेल लेकर और उसको अपने सामने रखकर, उस पर शनि देव के तंत्रोक्त मंत्र का जप करना चाहिए। मंत्र है- 'ऊँ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:।' कटोरी में रखे सरसों के तेल पर कम से कम 11 बार इस मंत्र का जप करना है और जप के बाद उस कटोरी को ढक्कर एक तरफ रख दें। कटोरी में रखे इस तेल का उपयोग आपको शनिवार के दिन करना है। शनिवार शनिवार के दिन आपको इस तेल का दीपक पीपल के पेड़ के नीचे जलाना है।
- अगर आप पढ़ाई-लिखाई के क्षेत्र में मजबूत बने रहना चाहते हैं तो इसके लिए शनिवार के दिन आपको शनि देव के इस मंत्र का जप करना चाहिए। मंत्र इस प्रकार है- 'ऊँ ऐं शं ह्रीं शनैश्चराय नमः।' आपको इस मंत्र का 21 बार जप करना चाहिए और जप के वक्त हाथ में काले तिल लेकर रखने चाहिए। जब जप पूरा हो जाये तो उन तिलों को अपने पास संभालकर रख लें और शनिवार शनिवार के दिन उन्हें पीपल के पेड़ के नीचे रख आएं।
- अगर आपको पैतृक जमीन जायदाद से संबंधी किसी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है तो उस परेशानी से बाहर निकलने के लिए शनिवार के दिन आपको आटे का दीपक बनाना चाहिए और उसमें सरसों का तेल डालकर, बाती लगाकर शनि देव के आगे जलाना चाहिए।
- अगर आपको किसी सरकारी दफ्तर में कोई अर्जी डालनी है और आपको उससे संबंधित कार्यों में परेशानी आ रही हैं तो इस परेशानी से छुटकारा पाने के लिए शनिवार के दिन आपको शनि स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। शनिवार के दिन आप किसी भी वक्त शनि स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं, लेकिन ध्यान रहे कि पाठ करते समय अपना मुंह पश्चिम दिशा की तरफ रखना है क्योंकि पश्चिम दिशा शनि की दिशा है।
- अगर आपको अपने जीवन में हर काम के लिए बहुत अधिक संघर्ष करना पड़ता है या बहुत मेहनत करने के बाद ही आपको कोई सफलता मिल पाती है तो शनिवार के दिन आपको एक मुट्ठी काले तिल लेने चाहिए और बहते जल में प्रवाहित करना चाहिए। साथ ही शनि देव का ध्यान करते हुए प्रार्थना करनी चाहिए।
- अगर आप समाज में यश और सम्मान पाना चाहते हैं तो इसके लिए शनिवार के दिन आपको स्नान आदि के बाद साफ कपड़े पहनने चाहिए और फिर शनि देव के मंत्र का 51 बार जप करना चाहिए। शनि देव का मंत्र इस प्रकार है- ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:।
- अगर आप एक सुंदर, स्वस्थ, निरोगी काया की कामना करते हैं तो इसके लिए शनिवार के दिन आपको गेहूं से बनी एक रोटी पर गुड़ रखकर किसी नर भैंसे को, यानि भैंस को नहीं, केवल नर भैंसे को खिलानी चाहिए। नर भैंसे को खिलाने से ही आपके काम बनेंगे।
- अगर आप आर्थिक रूप से बड़ा लाभ पाना चाहते हैं तो लाभ पाने के लिए शनिवार के दिन आपको एक रुपये का सिक्का लेना चाहिए। अब उस सिक्के पर सरसों के तेल से एक बिन्दु लगाइए और शनि मंदिर में रख आइए। साथ ही शनि देव से आर्थिक लाभ पाने के लिए प्रार्थना भी करिये।
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अनिरुद्धाचार्य महाराज की कथा स्थगित

बिलासपुर। आंधी-तूफान से अनिरुद्धाचार्य का पंडाल तहस-नहस हो गया। आज (19 अप्रैल) से अनिरुद्धाचार्य महाराज की कथा सीपत में होनी थी। ऐसे में बड़ा हादसा टल गया। तेज आंधी-तूफान में पंडाल के साथ ही साउंड, कूलर, टेंट सब भीगकर खराब हो गए। सुरक्षा में चूक पर आयोजकों को नोटिस जारी किया गया है। वहीं कथा को स्थगित कर दिया गया है। छत्तीसगढ़ के कई इलाकों में आज भी बारिश का अलर्ट है।
पूरे प्रदेश में तेज गर्मी और बारिश दोनों ही लोगों को झेलना पड़ रहा है। मौसम विभाग के मुताबिक, प्रदेश में तापमान लगातार 2-3 डिग्री तक बढ़ सकता है। वहीं दूसरी ओर बिजली चमकने और गरज-चमक के साथ हल्की बारिश का भी अलर्ट है।
एक तरफ लू जैसी गर्मी परेशान करेगी, तो दूसरी तरफ बादल गरजेंगे और कहीं-कहीं बारिश भी होगी। शुक्रवार को राज्य के कई हिस्सों में तापमान में इजाफा दर्ज किया गया। सबसे ज्यादा तापमान बिलासपुर और रायपुर में 41.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
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किन 3 राशियों के लिए मंगल का गोचर भाग्य को बदलेगा

जून का महीना कई राशियों के लिए नई आशाएं और शुभ संकेत लेकर आ रहा है. इसका मुख्य कारण मंगल ग्रह का गोचर है, जो चंद्रमा की राशि कर्क से निकलकर सूर्य की राशि सिंह में प्रवेश करने वाला है. ज्योतिष शास्त्र में मंगल को ऊर्जा, भूमि, साहस, पराक्रम और रक्त से संबंधित ग्रह माना जाता है. जब भी मंगल अपनी राशि बदलता है, इसका प्रभाव सभी 12 राशियों पर पड़ता है, लेकिन कुछ राशियों के लिए यह समय विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है. इस बार जब मंगल सिंह राशि में प्रवेश करेगा, तो कुछ विशेष राशियों के लिए आर्थिक लाभ, नौकरी में उन्नति और संपत्ति से संबंधित मामलों में लाभ के अवसर बन रहे हैं. आइए जानते हैं किन 3 राशियों के लिए मंगल का यह गोचर भाग्य को बदलने वाला साबित होगा.
तुला राशि- आय में महत्वपूर्ण वृद्धि के संकेत
जब मंगल सिंह राशि में गोचर करेगा, तब यह तुला राशि के लिए ग्यारहवें भाव में होगा, जिसे लाभ और आय का स्थान माना जाता है. इस अवधि में नए आय के स्रोत उत्पन्न हो सकते हैं. व्यापार में लाभ और पूर्व के निवेश से लाभ प्राप्त होगा. भूमि या संपत्ति से संबंधित कोई शुभ समाचार मिल सकता है. जीवनशैली में सुधार और सामाजिक नेटवर्किंग में वृद्धि होगी. बड़े लक्ष्यों को प्राप्त करने का समय आ गया है. कुल मिलाकर, यह गोचर आपके आर्थिक जीवन को नई ऊंचाइयों पर ले जाने वाला है.
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वृश्चिक राशि- करियर में उन्नति और वित्तीय लाभ
वृश्चिक राशि के लिए मंगल का गोचर दशम भाव, अर्थात् कर्म क्षेत्र में हो रहा है. बेरोजगार व्यक्तियों को नौकरी के आकर्षक प्रस्ताव प्राप्त हो सकते हैं. जो लोग पहले से कार्यरत हैं, उनके लिए पदोन्नति और वेतन वृद्धि के अवसर बन रहे हैं. व्यापार में नए प्रोजेक्ट या ग्राहक मिलने की संभावनाएं हैं. कार्यालय में आपके कार्य की सराहना होगी और नई जिम्मेदारियां भी मिल सकती हैं. इस गोचर के परिणामस्वरूप आपके करियर को एक नई दिशा मिल सकती है.
कर्क राशि- अप्रत्याशित वित्तीय लाभ और आत्मविश्वास में वृद्धि
कर्क राशि के लिए मंगल अब दूसरे भाव में गोचर कर रहा है, जो धन और परिवार से संबंधित है. इस दौरान अचानक कोई महत्वपूर्ण आर्थिक लाभ प्राप्त हो सकता है, नौकरी में नए अवसर सामने आएंगे और पूर्व में किए गए प्रयासों का सकारात्मक परिणाम मिलेगा. आपकी आर्थिक स्थिति पहले से अधिक मजबूत होगी. आत्मविश्वास में वृद्धि होगी और लोग आपकी सलाह को मानेंगे. यह समय है अपनी योजनाओं को क्रियान्वित करने का, क्योंकि भाग्य आपके साथ है.
मंगल का सिंह राशि में गोचर जून 2025 में तुला, वृश्चिक और कर्क राशि वालों के लिए खास मौका लेकर आ रहा है.अगर आप इन राशियों में आते हैं तो आने वाला समय आपके लिए आर्थिक, सामाजिक और प्रोफेशनल रूप से फायदेमंद हो सकता है. इस दौरान जमीन-जायदाद से जुड़े फैसले सोच-समझकर लें और अपने आत्मविश्वास को बनाए रखें, सफलता जरूर मिलेगी.
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वट सावित्री व्रत 26 मई को, जानिए...पूजा विधि, महत्व

पंचांग के अनुसार वट सावित्री व्रत हर साल जेठ माह की अमावस्या तिथि को किया जाता है. इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत तथा वट वृक्ष की पूजा करती है. वैवाहिक जीवन को खुशहाल बनाने वाले इस व्रत को लेकर कुछ खास नियम बताए गए हैं. मान्यता है कि इन सभी नियमों का पालन करने और श्रद्धा-भाव से पूजा करने वाली महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है.
वैदिक पंचांग के अनुसार, जेठ माह की अमावस्या तिथि की शुरुआत 26 मई को दोपहर 12 बजकर 11 मिनट पर होगी. वहीं तिथि का समापन 27 मई को सुबह 8 बजकर 31 मिनट पर होगा. उदया तिथि के अनुसार, इस बार वट सावित्री का व्रत 26 मई को रखा जाएगा.
वट सावित्री व्रत में बरगद के पेड़ की पूजा क्यों करते हैं?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार वट वृक्ष यानि बरगद के पेड़ में​ त्रिदेवों ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है, इसलिए इसे देव वृक्ष भी कहते हैं. बरगद के पेड़ की पूजा करने से व्यक्ति की मनोकमानाएं पूरी होती हैं और पति के अकाल मृत्यु का संकट टल जाता है. जब सत्यवान के जीवन पर संकट आया था, तब वे वट वृक्ष के नीचे लेटे हुए थे.
वट सावित्री व्रत की पूजा विधि-
सबसे पहले सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि करके सूर्य भगवान को जल अर्पण करें और व्रत का संकल्प लें. उसके बाद शादीशुदा महिलाएं शादी का जोड़ा पहन कर या लाल साड़ी पहनकर श्रृंगार करें और बरगद के पेड़ के पास जाकर सबसे पहले गणेश भगवान का पूजन करें. उसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन करके सावित्री और सत्यवान की आराधना करें. बरगद के पेड़ पर रोली और चावल से तिलक करें और उसके बाद 108 बार परिक्रमा करते हुए कच्चा सूत लपेटें. बरगद के पेड़ के सामने पति की लंबी आयु की कामना करें|
वट सावित्री व्रत का महत्व-
इस दिन बरगद के पेड़ के सामने पूजा अर्चना करने से सुहागिन महिलाओं को पति की लंबी आयु का वरदान प्राप्त होता है. मान्यता है जैसे यमराज से सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राणों की रक्षा की थी उसी प्रकार सुहागिनें अपने पति के प्राण की रक्षा करती हैं|
वट सावित्री व्रत में क्या नहीं करें-
सनातन धर्म में किसी भी व्रत में गलत कार्यों से बचना चाहिए. व्रत हमेशावचन और कर्म की शुद्धता के साथ करना चाहिए, तभी उसका पूरा फल प्राप्त होता है, इसलिए किसी के प्रति घृणा या द्वेष न रखें.
वट सावित्री व्रत के दिन व्रती महिलाएं काला, नीला और सफेद रंग का उपयोग अपने श्रृंगार या कपड़ों में न करें. जैसे इन रंगों की चूड़ी, साड़ी, बिंदी आदि का उपयोग न करें.
झूठ बोलने, किसी का अपमान करने या किसी प्रकार के नकारात्मक विचारों को मन में ना आने दें. पूरे दिन शारीरिक और मानसिक शुद्धता बनाए रखें.
बिना पूजा किए व्रत का पारण न करें. साथ वट सावित्री व्रत के दिन तामसिक चीजों से परहेज करें.
वट सावित्री व्रत में क्या करें-
यह व्रत अखंड सौभाग्य का है, इसलिए व्रती को सोलह श्रृंगार करना चाहिए. इसके लिए व्रत से पहले ही व्यवस्था कर लें.
वट सावित्री व्रत करने वाली महिलाओं को लाल, पीले और हरे रंग का उपयोग करना चाहिए. इन रंगों को शुभ माना जाता है. जैसे लाल या पीली साड़ी, हरी चूड़ी, लाल बिंदी, महावर आदि.
वट सावित्री व्रत में वट वृक्ष की पूजा की जाती है. पूजा के समय वट वृक्ष में कच्चा सूत 7 बार लपेटते हैं. 7 बार पेड़ की परिक्रमा करते हुए सूत को लपेटा जाता है. इस व्रत का पारण भीगे चने खाकर करते हैं.
पूजा खत्म होने के बाद माता सावित्री और वट वृक्ष से सुखी दांपत्य जीवन का आशीर्वाद लेते हैं. साथ ही पूजा करते समय आपको वट सावित्री व्रत कथा यानी सावित्री और सत्यवान की कथा सुननी चाहिए|
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गुड फ्राइडे पर लोग चर्च में क्या प्रार्थना करते हैं, क्या है महत्व

Good Friday 2025 : ईसाई धर्म में गुड फ्राइडे का बहुत अधिक महत्व होता है. यह दिन प्रभु यीशु मसीह के क्रूस पर चढ़ने और उनकी मृत्यु की याद में हर साल मनाया जाता है. इसे ईसाई धर्म के सबसे महत्वपूर्ण दिनों में से एक माना जाता है, हालांकि यह शोक और चिंतन का दिन है, न कि किसी उत्सव का. गुड फ्राइडे ईसाइयों को यीशु मसीह के उस अंतिम और सबसे बड़े बलिदान की याद दिलाता है जो उन्होंने मानव जाति के पापों के प्रायश्चित के लिए दिया था. ईसाई मानते हैं कि यीशु ने स्वेच्छा से क्रूस पर दुख सहा और मरे ताकि वे पाप और मृत्यु पर विजय प्राप्त कर सकें और मनुष्यों को ईश्वर के साथ मेल मिलाप का मार्ग प्रशस्त कर सकें|
ईसाई लोग मानते हैं कि यीशु की मृत्यु सभी मनुष्यों के पापों का प्रायश्चित है. उनके बलिदान के माध्यम से, विश्वासियों को क्षमा और अनन्त जीवन की आशा मिलती है. गुड फ्राइडे उस अंधेरी रात का प्रतिनिधित्व करता है जिसके बाद सुबह की रोशनी आती है. यह दिन ईसाइयों के लिए अपने पापों पर पश्चाताप करने और यीशु के बलिदान के अर्थ पर गहराई से विचार करने का समय है. यह उन्हें अपने जीवन में प्रेम, सेवा और बलिदान के मूल्यों को अपनाने के लिए प्रेरित करता है|
चर्च में की जाती हैं ये प्रार्थनाएं-
गुड फ्राइडे के दिन, दुनिया भर के चर्च में यीशु मसीह के क्रूस पर चढ़ने और मृत्यु के उपलक्ष्य में विशेष सेवाएं आयोजित की जाती हैं. ये सेवाएं आम तौर पर गंभीर और चिंतनशील होती हैं, जो मानवता के लिए यीशु द्वारा किए गए अपार बलिदान पर केंद्रित होती हैं.
गुड फ्राइडे के दिन चर्च में बाइबल से उन अंशों को पढ़ा जाता है जो यीशु के अंतिम दिनों, उनके दुख और क्रूस पर चढ़ने की कहानी बताते हैं. विशेष रूप से चारों सुसमाचारों (मैथ्यू, मार्क, ल्यूक और जॉन) में दिए गए जुनून के वृत्तांत पढ़े जाते हैं.
पादरी या पास्टर बाइबल के पाठों पर प्रवचन देते हैं, यीशु के बलिदान के महत्व और मानव जाति के लिए इसके अर्थ पर प्रकाश डालते हैं.
इस दिन लोग मिलकर प्रार्थना करते हैं, जिसमें दुनिया भर के चर्च, नेता, बीमार, दुखी और जरूरतमंद लोगों के लिए प्रार्थनाएं शामिल होती हैं. अक्सर क्षमा और दया के लिए भी प्रार्थना की जाती है.
कई चर्चों में क्रूस को लाया जाता है और भक्त व्यक्तिगत रूप से उसे छूकर, झुककर या चूमकर यीशु के बलिदान के प्रति अपना सम्मान व्यक्त करते हैं.
कुछ परंपराओं में, गुड फ्राइडे की सेवा में पवित्र भोज (यूचरिस्ट या साम्य) भी शामिल हो सकता है, जिसमें दाखमधु का सेवन किया जाता है. हालांकि, कुछ अन्य परंपराओं में इस दिन साम्य नहीं दिया जाता है क्योंकि यह यीशु के बलिदान का दिन है.
गुड फ्राइडे का दिन मौन और गहरे चिंतन का दिन होता है. लोग यीशु के दुख और प्रेम पर मनन करते हैं|
गुड फ्राइडे का महत्व-
गुड फ्राइडे प्रभु यीशु मसीह के मानव जाति के लिए किए गए अंतिम बलिदान को याद करने का दिन है. ईसाई मानते हैं कि यीशु ने उनके पापों के प्रायश्चित के लिए क्रूस पर अपनी जान दी थी. यह दिन यीशु के असीम प्रेम, करुणा और क्षमा का प्रतीक है. उन्होंने अपने विरोधियों के लिए भी प्रार्थना की. गुड फ्राइडे भक्तों के लिए अपने पापों पर पश्चाताप करने और ईश्वर से क्षमा मांगने का दिन है. भले ही यह शोक का दिन है, लेकिन यह ईस्टर संडे की उम्मीद की ओर भी इशारा करता है. यीशु का मृतकों में से जी उठना, जो पाप और मृत्यु पर विजय का प्रतीक है. गुड फ्राइडे के दिन चर्च में की जाने वाली प्रार्थनाएं और सेवाएं यीशु मसीह के दुख और बलिदान को याद करने, पश्चाताप करने, कृतज्ञता व्यक्त करने और ईस्टर में मिलने वाली आशा की तैयारी करने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं|
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इस वर्ष की रथ यात्रा के लिए AI सुरक्षा

ओडिशा। भगवान जगन्नाथ की विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा में इस साल पहली बार प्रशासन ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) सेवाओं का उपयोग करने का निर्णय लिया है। इन सेवाओं से यातायात और वाहनों की आवाजाही को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। बुधवार की रात पुरी कलेक्ट्रेट में प्रशासनिक अधिकारी सिद्धार्थ शंकर स्वैन की अध्यक्षता में रथयात्रा प्रबंधन को लेकर समीक्षा बैठक हुई। बैठक में सभी विभागों के अधिकारी शामिल हुए। बोडो दांडो में तीन नियंत्रण कक्ष हैं। विभिन्न स्थानों पर स्थिति पर नजर रखने और समय-समय पर इसकी समीक्षा करने के लिए ड्रोन का उपयोग किया जाता है। किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाते हैं। भक्तों की सेवा के लिए बड़ी संख्या में सेवा संगठनों के कार्यकर्ता नियुक्त किए जाते हैं। जगन्नाथ, बलभद्र, सुभद्रा और सुदर्शन (चार देवताओं) के रथों के जुलूस और खींचने के दौरान भगदड़ होती है। इस बार इसे नियंत्रित करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।
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जानिए...कब है शुक्र प्रदोष व्रत, शुभ समय और पूजा विधि

मान्यता है कि इस दिन भक्ति भाव से भोलनाथ की अराधना करने से व्यक्ति के जीवन की तमाम परेशानियां दूर होती हैं. साथ ही घर में सुख समृद्धि का वासा होता है| सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का खास महत्व है. इस दिन भगवान शिव माता पर्वती के साथ समस्त शिव परिवार की पूजा की जाती है. यह व्रत हर माह शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन रखा जाता है. इस व्रत का वर्णन शिवपुराण में मिलता है|
शुक्र प्रदोष व्रत कब है-
पंचांग के अनुसार, वैशाख माह का कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 25 अप्रैल को सुबह 11 बजकर 44 मिनट पर होगा. वहीं तिथि का समापन 26 अप्रैल को सुबह 8 बजकर 27 मिनट पर होगा. उदया तिथि के अनुसार, वैशाख माह का पहला प्रदोष व्रत 25 अप्रैल को रखा जाएगा. वहीं त्रयोदशी तिथि शुक्रवार के दिन होने की वजह से यह शुक्र प्रदोष व्रत कहलाएगा|
शुक्र प्रदोष व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त-
वैदिक पंचांग के अनुसार, शुक्र प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा करने का शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 53 मिनट से लेकर रात 9 बजकर 3 मिनट तक रहेगा. पूजा के लिए भक्तों को कुल 2 घंटे 10 मिनट का समय मिलेगा.
प्रदोष व्रत पूजा विधि-
प्रदोष व्रत रखने के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें|
इसके बाद भगवान शिव का ध्यान करते हुए हाथ में पवित्र जल, फूल और अक्षत लेकर व्रत रखने का संकल्प लें|
अगर संभव हो तो सुबह शिव मंदिर जाएं और शिवलिंग का जलाभिषेक करें.
अगर आप मंदिर न जा पाएं, तो घर में भगवान शिव का अभिषेक करें.
शिव जी को सफेद चीज का भोग लगाएं और फिर विधिवत पूजा-अर्चना करें|
पूजा के बाद गुरु प्रदोष व्रत की कथा सुनें. फिर घी के दीपक से पूरी श्रद्धा के साथ भगवान शिव की आरती करें.
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गुरुवार को करें ये उपाय, जीवन बनेगा खुशहाल

सप्ताह का गुरुवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन श्री हरि की उपासना करने से जातक को मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है। वहीं गुरुवार को पूरा दिन, पूरी रात पार कर शुक्रवार सुबह 8 बजकर 21 मिनट तक ज्येष्ठा नक्षत्र रहेगा। ऐसे में गुरुवार और ज्येष्ठा नक्षत्र के शुभ संयोग में इन उपायों को जरूर करें। इन उपायों को करने से आपको समस्त समस्याओं का समाधान मिल जाएगा। तो यहां आचार्य इंदु प्रकाश से जानिए कि गुरुवार और ज्येष्ठ नक्षत्र के संयोग में क्या उपाय करने चाहिए।
1. अगर गुरुवार आप किसी खास काम के लिए घर से बाहर जा रहे हैं, उदाहरण के लिए अगर आप अपने बच्चों का स्कूल या कॉलेज में एडमिशन करवाने जा रहे हैं या अपनी किसी बिजनेस मीटिंग के लिए जा रहे हैं या अन्य किसी काम से बाहर जा रहे हैं, तो गुरुवार के दिन फिटकरी से अपने दांत साफ करें। साथ ही नहाने के बाद किसी छोटी कन्या का आशीर्वाद लेकर उसे गिफ्ट के रूप में एक फूल दें या एक सिक्का दें।
2. अगर आप एक ही कंपनी में बहुत दिनों से नौकरी कर रहे हैं और आपकी आमदनी में लंबे समय से कोई बढ़ोतरी नहीं हो पा रही है, तो गुरुवार के दिन पूरा दिन अपने पास कोई तांबे से बनी हुई चीज रखें। चाहें फिर वह तांबे का छोटा-सा टुकड़ा ही क्यों न हो। गुरुवार तो पूरा दिन उस तांबे के टुकड़े को या तांबे से बनी किसी अन्य चीज को आपको अपने पास ही रखना है, कल से आप चाहें तो उसे अपने पास रख सकते हैं या अपने घर की तिजोरी में सुरक्षित रख सकते हैं।
3. अगर आपको लगता है कि आपके करीबी बिजनेस में आपको नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं, तो एक कटोरी हरे मोटे मूंग लेकर गुरुवार पूरा दिन नमक वाले पानी में भिगोएं और अगले दिन भिगोये हुए मूंग को नमक वाले पानी में से निकालकर, साफ पानी से धोकर किसी जानवर को खिलाएं।
4. अगर आप अपने अंदर योग्यता का संचार करना चाहते हैं और अपने बिजनेस में बढ़ोतरी करना चाहते हैं, तो गुरुवार के दिन आपको 4 मुखी रुद्राक्ष की विधि-पूर्वक पूजा करके उसे धारण करना चाहिए।
5. अगर बहन या बुआ के साथ आपके रिश्तों में अनबन बनी हुई है, तो गुरुवार के दिन आपको अपने भोजन में से एक रोटी निकालकर अलग रखनी चाहिए और उसके तीन हिस्से करने चाहिए। अब उन तीन हिस्सों में से एक हिस्सा गाय को खिला दें, एक हिस्सा कौवे के लिए रख दें और एक हिस्सा कुत्ते को खाने के लिए दें।
6. अगर आप गणित से संबंधित, यानि जोड़ घटा आदि से संबंधित विषय में कमजोर है, तो गुरुवार के दिन आपको स्टेशनरी का काम करने वाले किसी व्यक्ति को मिट्टी से बनी कोई चीज गिफ्ट करनी चाहिए और अगर उस चीज पर तोते का चित्र बना हो या फिर आपको मिट्टी से बना तोता ही मिल जाये, तो इससे अच्छा गिफ्ट और कोई नहीं होगा।
7. अगर आप अपनी व्यवसायिक यात्रा से अर्थ लाभ पाना चाहते हैं, अपनी फाइनेंशियल कंडिशन को बेहतर करना चाहते हैं, तो गुरुवार के दिन एक केसर की डिब्बी लेकर, उसे भगवान विष्णु के चरणों से लगाकर अपने पास रख लें और जब कभी आप किसी व्यवसायिक यात्रा से बाहर जायें, तो उस केसर से अपने माथे पर तिलक लगाकर जायें। लेकिन अगर आप केसर ना ले सकें, तो आप एक डिब्बी में सुखी हल्दी ले लें।
8. अगर आप आर्थिक रूप से अपने आपको मजबूत बनाना चाहते हैं, तो गुरुवार के दिन किसी दुर्गा मंदिर में जाकर हरे साबुत मूंग का दान करें और आर्थिक रूप से मजबूती पाने के लिए देवी मां से प्रार्थना करें। साथ ही उनके इस मंत्र का 5 बार जप करें। मंत्र इस प्रकार है- सर्व बाधा विनिर्मुक्तो धन धान्य सुतान्वितः। मनुष्यो मत् प्रसादेन भविष्यति न संशयः॥
9. अगर आप अपने घर को निगेटिव एनर्जी से बचाये रखना चाहते हैं, तो गुरुवार के दिन एक फिटकरी का टुकड़ा लेकर घर के मुख्य दरवाजे के पास रख दें और जब तक वह काला न पड़ जाये, उसे वहीं पर रखा रहने दें। बाद में उस फिटकरी के टुकड़े को फेंक दें।
10. अगर आप अपने जीवन में खुशियों का संचार करना चाहते हैं, तो उसके लिए गुरुवार के दिन आपको स्नान आदि के बाद, साफ कपड़े पहनकर सबसे पहले देवी मां के आगे हाथ जोड़कर प्रणाम करना चाहिए। फिर दाहिने हाथ में फूल लेकर देवी मां के आगे रखें और उन्हीं फूलों के ऊपर मिट्टी के एक दीपक में घी डालकर, रूई की बाती लगाकर ज्योत जलाएं। साथ ही देवी मां को लाल चुनरी चढ़ाएं।
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