हर प्रदोष व्रत का है अपना अलग महत्व, जानें किस दिन व्रत करने से कौन सी मनोकामना होती है पूरी
19-Jun-2025 3:50:05 pm
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हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है. यह व्रत भगवान शिव को समर्पित है और मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने और विधि-विधान से पूजा करने से महादेव भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं. प्रत्येक प्रदोष व्रत, जो सप्ताह के अलग-अलग दिनों में पड़ता है, का अपना विशिष्ट महत्व और फल होता है. चलिए जानते हैं कि किस वार के प्रदोष व्रत से कौन सी मनोकामनाएं पूरी होती हैं|
किस दिन के प्रदोष व्रत से पूरी होती है कौन सी मनोकामना?
रविवार प्रदोष व्रत (रवि प्रदोष):
अगर प्रदोष व्रत रविवार को पड़ता है, तो इसे रवि प्रदोष कहा जाता है. इस व्रत को करने से व्यक्ति को उत्तम स्वास्थ्य और लंबी आयु प्राप्त होती है. सूर्य देव का भी आशीर्वाद मिलता है, जिससे मान-सम्मान और तेज में वृद्धि होती है|
सोमवार प्रदोष व्रत (सोम प्रदोष):
सोमवार को पड़ने वाला प्रदोष व्रत सोम प्रदोष कहलाता है. यह व्रत विशेष रूप से चंद्रमा के बुरे प्रभावों को कम करने और मानसिक शांति प्राप्त करने के लिए किया जाता है. संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दंपतियों के लिए भी यह व्रत अत्यंत फलदायी माना जाता है|
मंगलवार प्रदोष व्रत (भौम प्रदोष):
मंगलवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को भौम प्रदोष कहा जाता है. यह व्रत कर्ज मुक्ति और रोगों से छुटकारा पाने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है. मंगल ग्रह से संबंधित दोषों को दूर करने में भी यह प्रभावी है|
बुधवार प्रदोष व्रत (बुध प्रदोष):
जब प्रदोष व्रत बुधवार को पड़ता है, तो इसे बुध प्रदोष कहते हैं. यह व्रत ज्ञान, बुद्धि और शिक्षा में सफलता के लिए किया जाता है. व्यापार में उन्नति और संतान की बुद्धि के विकास के लिए भी यह व्रत लाभकारी माना जाता है|
गुरुवार प्रदोष व्रत (गुरु प्रदोष):
गुरुवार को आने वाला प्रदोष व्रत गुरु प्रदोष कहलाता है. यह व्रत शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने, धन-धान्य में वृद्धि और पैतृक संपत्ति से जुड़े विवादों को सुलझाने के लिए किया जाता है. गुरु प्रदोष से सौभाग्य में भी वृद्धि होती है|
शुक्रवार प्रदोष व्रत (शुक्र प्रदोष):
शुक्रवार को पड़ने वाला प्रदोष व्रत शुक्र प्रदोष कहलाता है. यह व्रत दांपत्य जीवन में सुख-शांति, प्रेम और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए किया जाता है. भौतिक सुख-सुविधाओं और धन-ऐश्वर्य की इच्छा रखने वालों को भी इस व्रत से लाभ होता है|
शनिवार प्रदोष व्रत (शनि प्रदोष):
शनिवार को पड़ने वाला प्रदोष व्रत शनि प्रदोष कहलाता है. यह व्रत शनि दोषों से मुक्ति, साढ़ेसाती और ढैया के अशुभ प्रभावों को कम करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है. नौकरी और व्यवसाय में आ रही बाधाओं को दूर करने में भी यह सहायक है|
प्रदोष व्रत की पूजा विधि:
प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें. भगवान शिव का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें. प्रदोष काल में (सूर्यास्त के 45 मिनट पहले से 45 मिनट बाद तक) शिव मंदिर जाकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें. शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा, अक्षत, धूप, दीप आदि अर्पित करें. शिव चालीसा और प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें. अंत में आरती करें और प्रसाद वितरण करें|
प्रदोष व्रत का महत्व:
प्रदोष व्रत त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है, जो हर महीने में दो बार आती है – एक कृष्ण पक्ष में और एक शुक्ल पक्ष में. सूर्यास्त के बाद और रात्रि से पहले के समय को ‘प्रदोष काल’ कहा जाता है. इस काल में भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न मुद्रा में होते हैं और उनकी पूजा करने से भक्तों को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है|